*एनसीईआरटी ने 12वीं कि किताबों से हटाया 'आजाद पाक', चीनी घुसपैठ शब्द जोड़ा, जानें और क्या हुए बदलाव*
#ncert_class_12_book_remove_azad_pakistan_add_china_aggression
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की ओर से 12वीं कक्षा की नई राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कई बदलाव किए हैं।एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताबों में कई चीजों को हटाया और जोड़ा गया है।इन किताबों में आजाद पाकिस्तान से लेकर चीन की घुसपैठ और पीओके जैसे शब्दों को लेकर बदलाव हुए हैं। 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में चीन के साथ भारत की सीमा स्थिति का संदर्भ बदल दिया गया है। समकालीन विश्व राजनीति पुस्तक में अध्याय 2 के भाग के रूप में, भारत-चीन संबंध शीर्षक वाले पैराग्राफ के तहत, मौजूदा कथन को बदल दिया गया है।इससे पहले, पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 25 पर मौजूदा वाक्य पढ़ा गया था – “हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर सैन्य संघर्ष ने उस आशा को धूमिल कर दिया।” इस वाक्य को अब बदलकर “हालांकि, भारतीय सीमा पर चीनी आक्रामकता ने उस आशा को धूमिल कर दिया है” कर दिया गया है। सिर्फ भारत-चीन संबंध ही नहीं, बल्कि पाठ्यपुस्तक ‘स्वतंत्रता के बाद से भारत में राजनीति – कक्षा 12’ में, “आजाद पाकिस्तान” शब्द को “पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर” में बदल दिया गया है।पाठ्यपुस्तक के मौजूदा संस्करण के पृष्ठ 119 पर लिखा है, “भारत का दावा है कि यह क्षेत्र अवैध कब्जे में है। पाकिस्तान इस क्षेत्र को ‘आजाद पाकिस्तान’ के रूप में वर्णित करता है।”अब, संस्करण को बदल दिया गया है – “हालांकि, यह भारतीय क्षेत्र है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है जिसे पाकिस्तान अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) कहा जाता है।”
अमेरिकी एनएसे जेके सुलविन ने एस जयशंकर से की मुलाकात, जानें किन मुद्दों पर हुई बात
भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने नई दिल्ली में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात की।जेक सुलिवन ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। एस जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट में कहा, 'द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा हुई। उम्मीद है कि भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी आगे बढ़ेगी।' इसके बाद दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की मुलाकात हुई। इसमें क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नॉलजी (iCET) पर पहल के अलावा द्विपक्षीय संबंध और क्षेत्रीय सुरक्षा के हालात पर चर्चा हुई। iCET में सेमीकंडक्टर, AI, क्वांटम कम्प्यूटिंग, डिफेंस इनोवेशन, स्पेस रिसर्च जैसे उभरती तकनीकों पर साझेदारी बढ़ाने का प्लान है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन से मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों, खासकर सेमीकंडक्टर , एआई और दूरसंचार जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों ( आईसीईटी ) पर पहल के तहत चर्चा की। प्रधानमंत्री ने सभी क्षेत्रों में बढ़ती द्विपक्षीय साझेदारी की गति और पैमाने और आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के अभिसरण पर संतोष व्यक्त किया।प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में यह जानकारी दी। इससे पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने भी सोमवार को सुविलन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण और द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। दोनों देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के बीच वार्ता के दौरान लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर करने का वादा करते हुए सहयोग को करने वाले परिवर्तनकारी पहल की घोषणा की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के बीच विस्तृत बातचीत के बाद यह घोषणा की गई। दोनों ने भारत के 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीद की योजना, सेना के लिए लड़ाकू वाहनों के संयुक्त निर्माण और जीई एयरोस्पेस व हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच लड़ाकू विमानों के इंजन (जीई एफ414) के उत्पादन को लेकर चल रही बातचीत की भी समीक्षा की। सुलिवन 17-18 जून तक दिल्ली के दौरे पर हैं। मोदी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद अमेरिकी प्रशासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी की यह पहली यात्रा है। सुलिवन के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी है। इसमें सरकार के दूसरे बड़े अधिकारियों के अलावा इंडस्ट्री के भी लोग शामिल हैं।

भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर आए संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने नई दिल्ली में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर से मुलाकात की।जेक सुलिवन ने राष्ट्रीय सुरक्षा

ओडिशा के बालासोर में दो समूहों के बीच झड़प के बाद धारा 144 लागू, 30 गिरफ्तार

#clashes_between_two_communities_in_sunhat_baleshwar

ओडिशा के बालेश्वर में दो पक्षों के बीच हिंसक झड़प हो गई। यह घटना बालेश्वर के सुनहट इलाके में दोपहर में घटी, जब अचानक से दो समुदायों के बीच झड़प ने हिंसक रूप ले लिया। इसके बाद हिंसक झड़प पर काबू पाने के लिए प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर दिया है। साथ ही इलाके में शांति बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल भी तैनात किया गया।

स्थानीय लोगों की माने तो अचानक लोगों ने इलाके के नाले में लाल रंग का पानी देखा था। इतनी तादाद में नाले में बहता लाल रंग का पानी देख लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी थी। पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंचकर कुछ नमूने मुख्यतः नाले में बहने वाले लाल रंग के पानी के नमूने और उसमें बहने वाले कुछ पदार्थों को संग्रहि‍त किया था, स्थानीय लोगों ने नाले में बहने वाले लाल पानी को खून बताया और विरोध करते हुए कुछ समय के लिए वहां से गुजरने वाले मुख्य रास्ते पर बैठकर प्रदर्शन किया। 

इसके बाद अचानक दूसरे समुदाय के लोग वहां पहुंच गए और दोनों समुदायों के लोगों के बीच कहासुनी हो गई और फिर झगड़ा शुरू हो गया था। देखते ही देखते एक समुदाय दूसरे समुदाय पर ईंट और पत्थर से हमला करना शुरू कर दिया।

सोमवार दोपहर को, शहर के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाके पतरापाड़ा में दोनों समुदायों के सदस्य एक-दूसरे से भिड़ गए। एक समुदाय द्वारा गोहत्या के संदेह के बाद दूसरे समुदाय ने उनका विरोध किया, जिसके बाद पथराव हुआ। इस घटना में 5 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 15 लोग घायल हो गए। जिला प्रशासन ने इलाके में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी

नीट विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, एनटीए और केंद्र से मांगा जवाब, कहा-0.001% भी लापरवाही हुई है तो…

#supreme_court_hearing_on_neet_case

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नीट परीक्षा में कथित गड़बड़ियों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नीट, यूजी, 2024 में कथित पेपर लीक और गड़बड़ी से संबंधित याचिकाओं पर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) और केंद्र से नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अदालत ने कहा कि अगर नीट परीक्षा में 0.001 फीसदी भी लापरवाही हुई है तो उससे निपटा जाना चाहिए। कोर्ट ने एनटीए से कहा है कि इसे NTA vs स्टूडेंट्स न समझें।साथ ही कोर्ट ने एनटीए को 8 जुलाई को जवाब देने को कहा है। वहीं, अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी

नीट परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर शिक्षाविद नितिन विजय समेत एक दूसरी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की गई। जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने इस याचिका की सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि 8 जुलाई को स्टूडेंट्स को सुप्रीम कोर्ट से काफी उम्मीदें है। एनटीए के खिलाफ काफी एविडेंस है, सुप्रीम कोर्ट ने काफी तल्ख़ टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि इसे NTA vs स्टूडेंट्स न समझें। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर NTA को नोटिस जारी किया है। SC की अहम टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि अगर 0.01% प्रतिशत भी किसी की खामी पाई गई तो उससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने NTA से कहा कि वो छात्रों की शिकायत को नज़रअंदाज न करें। अगर एग्जाम में वाकई कोई गलती हुई है तो उसे समय रहते सुधारा जाए।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि हम इन परीक्षाओं की तैयारियों में बच्चों की मेहनत से अवगत हैं। कोर्ट ने कहा कि मान लीजिए कि इस सिस्टम से धोखाधड़ी कर के कोई व्यक्ति डॉक्टर बन जाए। ऐसा शख्स समाज के लिए नुकसानदेह है। बेंच ने कहा कि परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी का प्रतिनिधित्व करते हुए आपको मजबूती से खड़ा होना होगा। अगर कोई गलती हुई है तो उसे माना जाना चाहिए और बताना चाहिए कि क्या कार्रवाई की जा रही है। इससे आपके प्रदर्शन पर आत्मविश्वास पैदा होता है। 

दूसरी ओर, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने नेशनल मेडिकल कमीशन द्वारा हाईकोर्ट में दायर मामले को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की याचिका दाखिल की है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 8 जुलाई को सुनवाई करेंगे। पहले भी एनटीए की स्थानांतरण याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया था और 8 जुलाई के लिए सुनवाई की तिथि तय कर दी थी। पेपर लीक मामले की जांच की मांग समेत तमाम पहलुओं पर एक दर्जन के करीब याचिकाओं पर भी 8 जुलाई को अदालत सुनवाई करेगी।

प्रियंका गांधी ने आखिर वायनाड को ही क्यों चुना?

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प्रियंका गांधी यूं तो काफी समय से सक्रिय राजनीति कर रही है। हालांकि वो पहली बार चुनावी मैदान में उतरने वालीं हैं। दरअसल, राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2024 में दो सीटों से लड़े थे। एक केरल की वायनाड सीट थी, तो दूसरी यूपी की रायबरेली सीट थी। दोनों सीटों पर राहुल गांधी को जीत मिली थी। सोमवार को राहुल गांधी ने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया है। अब यहां पर उपचुनाव होगा। कांग्रेस की ओर से उप चुनाव में प्रियंका गांधी को प्रत्याशी बनाया गया है। यह उनका राजनीतिक डेब्यू है।अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर प्रियंका गांधी ने वायनाड सीट ही क्यों चुना? 

राहुल के रायबरेली सीट रखने और प्रियंका को वायनाड से चुनाव लड़ाने का फैसला कांग्रेस के लिए बड़ा फैसला है क्योंकि प्रियंका का एक ओर चुनावी डेब्यू हो रहा है। दूसरा अगर वो चुनाव जीत जाती हैं तो दोनों भाई बहन पहली बार संसद में मिलकर बीजेपी का मुकाबला करेंगे। प्रियंका लंबे समय से राजनीति में सक्रिय तो हैं लेकिन चुनावी राजनीति में पहली बार कदम बढ़ा रही हैं। अब तक वो मां सोनिया गांधी और भाई राहुल गांधी की चुनाव लड़ने में मदद करते आई हैं। इसके साथ उनके वायनाड से जीतने पर कांग्रेस उत्तर और दक्षिण भारत के बीच अच्छा बैलेंस भी बना सकती है।

बता दें कि गांधी परिवार का दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने का लंबा इतिहास है। 2014 में जब कांग्रेस पार्टी मुश्किल में थी तक दक्षिण भारत ही कांग्रेस का सहारा बनी थी। 2019 में जब राहुल गांधी मेठी से चुनाव हार गए थे, तब वायनाड ने सात दिया था। अगर इतिहास पर गौर करें दक्षिण में कांग्रेस का सफर पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने की थी जब उन्होंने 1978 में चिकमंगलूर से चुनाव जीता था। इसके बाद 1980 में मेडक से इंदिरा गांधी सांसद बनीं थी। आपातकाल के बाद रायबरेली सीट से जब इंदिरा गांधी का कमबैक करना मुश्किल लग रहा था उस वक्त कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट ने उनके राजनीतिक जीवन के लिए संजीवनी का काम किया। 

1978 के उपचुनाव में उनके लिए एक सुरक्षित सीट तलाशी गई। ये सीट थी कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट। मौजूदा सांसद डीबी गौड़ा से सीट खाली करवाई गई, यहां इंदिरा के सामने चुनौती सीएम वीरेंद्र पाटिल से भिड़ने की थी। कहा जाता है इस उपचुनाव के प्रचार के लिए इंदिरा गांधी खुद 17 से 18 घंटे तक प्रचार किया। चुनाव का नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया और इंदिरा गांधी ने 77 हजार वोटों से जीत हासिल की और उनके विपक्ष में खड़े 26 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।

 

1999 के लोकसभा चुनाव से पहले सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन गईं। संसद पहुंचने के लिए दो सीटें तलाशी गई थी। पहली सीट उत्तर प्रदेश की अमेठी और दूसरी कर्नाटक की बेल्लारी थी। बेल्लारी से सोनिया के सामने बीजेपी की फायरब्रांड नेता सुषमा स्वराज थीं। हालांकि सोनिया गांधी ने अमेठी और बेल्लारी दोनों से जीत दर्ज की। बाद में सोनिया गांधी ने बेल्लारी से इस्तीफा दे दिया था।

ऐसे में साफ है कि कांग्रेस के ले साउथ क्यों जरूरी है? और पहली बार चुनाव लड़ रही प्रियंका के लिए कितना सुरक्षित है?

An Akhal-Teke (Ахал-Теке) A Beautiful Horse. They're known for their intelligence
SHOCKING NEWS
उष्ट्रासन पीठ और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। यह रक्त संचार को बेहतर बनाने के साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है।
उष्ट्रासन पीठ और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। यह रक्त संचार को बेहतर बनाने के साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है।

After 18 years in Sweden, at the Stockholm Concert Hall, for wisdom, music and meditation.
24 साल बाद उत्तर कोरिया जा रहे पुतिन, जानिए क्या हैं इसके मायने

#russian_president_vladimir_putin_on_visit_of_north_korea 

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मंगलवार को दो दिवसीय यात्रा पर उत्तर कोरिया पहुंचने वाले हैं। बीते 24 वर्षों में पुतिन की उत्तर कोरिया की पहली यात्रा होगी। माना जा रहा है कि पुतिन उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से मुलाकात कर के सैन्य सहयोग बढ़ाने पर चर्चा कर सकते हैं। दोनों देश अमेरिका के साथ अपने अलग-अलग मतभेदों के मद्देनजर अपने गठबंधन को और मजबूत कर रहे हैं।

उत्तर कोरिया की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने कहा कि पुतिन किम के निमंत्रण पर मंगलवार और बुधवार को राजकीय यात्रा पर रहेंगे। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने इस बारे में तत्काल विस्तृत जानकारी नहीं दी है। साथ ही रूस ने भी इस यात्रा की पुष्टि की।इस बात को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि रूस और उत्तर कोरिया एक दूसरे से क्या चाहते हैं। ऐसा लगता है कि ये सारा मामला हथियारों की आपूर्ति पर जाकर रुक जाता है।

पुतिन उत्तर कोरिया की यात्रा पर ऐसे वक्त जा रहे हैं जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय किसी हथियार समझौते के बारे में चिंता जता रहा है। माना जा रहा है कि प्योंगयांग द्वारा आर्थिक सहायता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बदले में मास्को को आवश्यक हथियार उपलब्ध कराया जाएगा। युक्रेन से जारी युद्ध में ये हथियार पुतिन के लिए बहुत ज्यादा ही जरूरी हैं। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि उत्तर कोरिया ने तोप के लगभग पचास लाख गोले रूस भेजे हैं।

सवाल ये है कि पुतिन का दौरा क्यों अहम है और वो इसी वक़्त क्यों उत्तर कोरिया जा रहे हैं? पहली बात तो ये है कि पुतिन चूंकि सिर्फ़ दूसरी बार उत्तर कोरिया जाने वाले हैं, तो उनके दौरे को लेकर उत्सुकता होना लाज़मी है। इससे पहले वो साल 2000 में तब उत्तर कोरिया के दौरे पर गए थे, जब उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति का पद संभाला था। उस समय किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल, उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता थे। लेकिन, इससे इतर दोनों देशों के बीच एक ऐसा रिश्ता है, जो एक दूसरे के प्रति दोस्ती जताने से आगे बढ़कर अब एक दूसरे के फ़ायदे वाला हो गया है और इससे पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि अभी भी रूस और उत्तर कोरिया के संबंध उस स्तर के नहीं हैं, जैसे सोवियत संघ के ज़माने में थे।

हालांकि, रूस के लिए एक ऐसा साझीदार तलाशना काफ़ी महत्वपूर्ण है जो उसी की तरह पश्चिमी देशों और उनके प्रतिबंधों से नफ़रत करता हो और इसी वजह से रूस के साथ कारोबार करने के लिए राज़ी हो।