After 18 years in Sweden, at the Stockholm Concert Hall, for wisdom, music and meditation.
24 साल बाद उत्तर कोरिया जा रहे पुतिन, जानिए क्या हैं इसके मायने

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मंगलवार को दो दिवसीय यात्रा पर उत्तर कोरिया पहुंचने वाले हैं। बीते 24 वर्षों में पुतिन की उत्तर कोरिया की पहली यात्रा होगी। माना जा रहा है कि पुतिन उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से मुलाकात कर के सैन्य सहयोग बढ़ाने पर चर्चा कर सकते हैं। दोनों देश अमेरिका के साथ अपने अलग-अलग मतभेदों के मद्देनजर अपने गठबंधन को और मजबूत कर रहे हैं।

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उत्तर कोरिया की आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने कहा कि पुतिन किम के निमंत्रण पर मंगलवार और बुधवार को राजकीय यात्रा पर रहेंगे। उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने इस बारे में तत्काल विस्तृत जानकारी नहीं दी है। साथ ही रूस ने भी इस यात्रा की पुष्टि की।इस बात को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं कि रूस और उत्तर कोरिया एक दूसरे से क्या चाहते हैं। ऐसा लगता है कि ये सारा मामला हथियारों की आपूर्ति पर जाकर रुक जाता है।

पुतिन उत्तर कोरिया की यात्रा पर ऐसे वक्त जा रहे हैं जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय किसी हथियार समझौते के बारे में चिंता जता रहा है। माना जा रहा है कि प्योंगयांग द्वारा आर्थिक सहायता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बदले में मास्को को आवश्यक हथियार उपलब्ध कराया जाएगा। युक्रेन से जारी युद्ध में ये हथियार पुतिन के लिए बहुत ज्यादा ही जरूरी हैं। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से ब्लूमबर्ग की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि उत्तर कोरिया ने तोप के लगभग पचास लाख गोले रूस भेजे हैं।

सवाल ये है कि पुतिन का दौरा क्यों अहम है और वो इसी वक़्त क्यों उत्तर कोरिया जा रहे हैं? पहली बात तो ये है कि पुतिन चूंकि सिर्फ़ दूसरी बार उत्तर कोरिया जाने वाले हैं, तो उनके दौरे को लेकर उत्सुकता होना लाज़मी है। इससे पहले वो साल 2000 में तब उत्तर कोरिया के दौरे पर गए थे, जब उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति का पद संभाला था। उस समय किम जोंग उन के पिता किम जोंग इल, उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता थे। लेकिन, इससे इतर दोनों देशों के बीच एक ऐसा रिश्ता है, जो एक दूसरे के प्रति दोस्ती जताने से आगे बढ़कर अब एक दूसरे के फ़ायदे वाला हो गया है और इससे पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि अभी भी रूस और उत्तर कोरिया के संबंध उस स्तर के नहीं हैं, जैसे सोवियत संघ के ज़माने में थे।

हालांकि, रूस के लिए एक ऐसा साझीदार तलाशना काफ़ी महत्वपूर्ण है जो उसी की तरह पश्चिमी देशों और उनके प्रतिबंधों से नफ़रत करता हो और इसी वजह से रूस के साथ कारोबार करने के लिए राज़ी हो।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने पीएम मोदी से की मुलाकात, आईसीईटी समेत इन मुद्दों पर की चर्चा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन से मुलाकात की और द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों, खासकर सेमीकंडक्टर , एआई और दूरसंचार जैसी महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों ( आईसीईटी ) पर पहल के तहत चर्चा की। प्रधानमंत्री ने सभी क्षेत्रों में बढ़ती द्विपक्षीय साझेदारी की गति और पैमाने और आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के अभिसरण पर संतोष व्यक्त किया।प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में यह जानकारी दी।

पीएमओ ने कहा, ‘‘एनएसए सुलिवन ने प्रधानमंत्री को द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति के बारे में जानकारी दी। विशेष रूप से महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों (आईसीईटी) पहल के तहत सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम मेधा), दूरसंचार, रक्षा, महत्वपूर्ण खनिज, अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों के बारे में।’’

बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री ने सभी क्षेत्रों में बढ़ती द्विपक्षीय साझेदारी की गति और पैमाने और आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान पर संतोष व्यक्त किया। इस दौरान, प्रधानमंत्री ने जी7 शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति बाइडन के साथ अपनी हाल की सकारात्मक बातचीत को याद किया। पीएमओ ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने वैश्विक भलाई के लिए व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना जारी रखने और नए कार्यकाल में इसे और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने की प्रतिबद्धता दोहराई।’’

वहीं, प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट पर करते हुए मुलाकात की तस्वीर साझा कर लिखा कि वैश्विक भलाई के लिए भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। मोदी 3.0 सरकार के कार्यकाल के दौरान जो बाइडन के किसी प्रशासनिक अधिकारी की ये पहली भारत यात्रा है।

इससे पहले, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने भी सोमवार को सुविलन से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण और द्विपक्षीय रक्षा संबंधों और क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर चर्चा की। दोनों देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के बीच वार्ता के दौरान लंबे समय से चली आ रही बाधाओं को दूर करने का वादा करते हुए सहयोग को करने वाले परिवर्तनकारी पहल की घोषणा की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के बीच विस्तृत बातचीत के बाद यह घोषणा की गई। दोनों ने भारत के 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीद की योजना, सेना के लिए लड़ाकू वाहनों के संयुक्त निर्माण और जीई एयरोस्पेस व हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच लड़ाकू विमानों के इंजन (जीई एफ414) के उत्पादन को लेकर चल रही बातचीत की भी समीक्षा की।

सुलिवन भारत के दो दिन के दौरे पर हैं। मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बाइडन प्रशासन के किसी बड़े अधिकारी की यह पहली यात्रा है।सुलिवन के भारत दौरे से तीन दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने इटली के अपुलिया क्षेत्र में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की थी।

*अमेरिकी कोर्ट में पेश हुआ निखिल गुप्ता, खुद को बताया निर्दोष, खालिस्तानी पन्नू की हत्या की साजिश रचने का है आरोप*
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खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में शामिल होने के आरोपी निखिल गुप्ता ने अमेरिका के मैनहट्टन की फेडरल कोर्ट में पेश हुआ।गुप्ता ने अपने वकील के माध्यम से आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उन पर गलत आरोप लगाए गए हैं। अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी ने गुप्ता पर भारत सरकार के आदेश पर अमेरिकी जमीन पर पन्नू की हत्या की साजशि रचने का आरोप लगाया है। निखिल गुप्ता पर आरोप है कि पन्नू को मारने के लिए उसने एक हिटमैन को काम पर रखा था और अग्रिम रूप से 15,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया था। अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर बीते साल चेक गणराज्य ने निखिल गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया था, जहां से बीते सप्ताह 14 जून को उन्हें अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया था। दक्षिणी न्यूयॉर्क के संघीय अदालत में मजिस्ट्रेट न्यायाधीश जेम्स कॉट ने 28 जून को होने वाली सुनवाई तक उन्हें हिरासत में रखने का आदेश दिया। गुप्ता के वकील जेफरी चैब्रो ने जमानत के लिए आवेदन नहीं किया। संघीय न्यायालय में अभियोग से पहले निखिल गुप्ता के वकील जेफरी चैब्रोवे समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, 'यह हमारे दोनों देशों के लिए एक जटिल मामला है।' उन्होंने आगे कहा, 'यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम प्रक्रिया के शुरुआती दौर में निष्कर्ष पर पहुंचने से बचें। इस मामले में पृष्ठभूमि और विवरण सामने आएंगे जो सरकारी आरोपों को पूरी तरह से नई रोशनी में ला सकते हैं।' अमेरिका में डेमोक्रेटिक सांसदों के एक समूह ने सोमवार को अमेरिकी धरती पर एक सिख अलगाववादी की हत्या की नाकाम साजिश में भारत सरकार की संलिप्तता के आरोपों पर बाइडन प्रशासन से "मजबूत राजनयिक" प्रतिक्रिया मांगी है। विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को संबोधित करते हुए दो पन्नों के पत्र पर सीनेटर जेफ मर्कले, रॉन विडेन, टिम केन, बर्नी सैंडर्स और क्रिस वान होलेन ने हस्ताक्षर किए हैं। अमेरिकी सांसदों ने लिखा, "हम यह सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत राजनयिक प्रतिक्रिया का आग्रह करते हैं कि इसमें शामिल सभी लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए, और इस मामले पर भारत सरकार के साथ प्रशासन की भागीदारी की स्थिति पर जानकारी देने का भी अनुरोध करते हैं।" बता दें कि निखिल को न्यूयॉर्क में खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल होने का आरोप है। आरोप है कि निखिल गुप्ता ने पन्नू को मारने के लिए एक हिटमैन को काम पर रखा था और अग्रिम रूप से 15,000 अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया था। अप्रैल 2024 में वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) के अधिकारी विक्रम यादव, इस साजिश के पीछे भारतीय अधिकारी थे। अखबार ने यह भी कहा कि तत्कालीन R&AW प्रमुख सामंत गोयल ने ऑपरेशन को मंजूरी दी थी। हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कनाडा यह अनुचित और निराधार आरोप लगाता है कि भारतीय एजेंट पन्नू को मारने की साजिश में शामिल थे।
तपती भट्ठी बनी देश की राजधानी दिल्ली, 35 दिन से पारा 40 के पार, आज और कल के लिए रेड अलर्ट
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#imd_alert_heat_wave_north_india * देश के अधिरांश राज्य “जल” रहे हैं। आमतौर पर ठंडे रहने वाले पहाड़ और लद्दाख के इलाके भी सूरज का प्रकोप झेल रहे हैं। आसमानी “आग” से शरीर झुलस रहा है। लद्दाख से लेकर बिहार-झारखंड तक देश का एक बड़ा हिस्सा गर्म हवा के थपेड़ों से हलकान है। आधी रात तक गर्म हवा लोगों को सोने नहीं दे रही। मौसम विभाग ने बताया है कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार में ज्यादातर स्थानों पर अधिकतम तापमान सामान्य से काफी ऊपर (5.1 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा) रहा। राष्ट्रीय राजधानी में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया जो सामान्य से सात डिग्री ज्यादा था। झारखंड के डाल्टनगंज में अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से 9.1 डिग्री अधिक था। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि मंगलवार यानी आज भी उत्तर पश्चिम भारत में ऐसी ही गर्मी बरकरार रहने वाली है। हां आज रात के बाद तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट होने की उम्मीद है। हालांकि, मध्य और पूर्वी भारत अगले तीन दिनों तक ज्यादा तापमान से जूझता रहेगा और उसके बाद कुछ राहत की उम्मीद है। दिल्ली के लिए आज रेड अलर्ट राजधानी दिल्ली में सोमवार को लू का ऑरेंज अलर्ट रहा। शुष्क हवाओं और आसमान से बरस रही आग से तापमान 45 डिग्री पार कर गया। वहीं मौसम विभाग की तरफ से एक्‍शन कॉलम को आज लाल रंग से मार्क किया गया है, जिसका मतलब है मोस्‍ट विजिल एण्‍ड टेक एक्‍शन ( अधिक सतर्क रहे और एक्‍शन लें)। मौसम विभाग की तरफ से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि मंगलवार 18 जून को आसमान साफ रहेगा। अधिकांश जगहों पर हीव वेव (लू) चलेगी. कई स्‍थानों पर भी भीषण लू की भी संभावना है।इसके अलावा, कुछ स्थानों पर रात में मौसम गर्म रहेगा। दिन में कभी-कभी 30-40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं। 35 दिन से पारा 40 के पार रविवार-सोमवार की दरमियानी रात दिल्ली में तीसरी रात थी, जो बेहद गर्मी थी। वहीं, लगातार आठवें दिन शहर में लू चली। लगातार 35वें दिन शहर का अधिकतम तापमान 40 डिग्री के पार रहा। मानसून नहीं बढ़ रहा आगे मौसम विभाग ने बताया है कि 11 जून के बाद से मानसून आगे नहीं बढ़ा है। इसी वजह से देश के मध्य और उत्तरी इलाकों में बेहद गर्मी पड़ रही है। दिल्ली में तेज हवाएं चल रही हैं, लेकिन इनमें नमी नहीं है और यह बेहद गर्म हैं। शहर के ऊपर हल्के बादल भी हैं, जो गर्मी को रोक कर रखते हैं। इससे शहर का तापमान और बढ़ रहा है। आमतौर पर 27-30 जून के बीच में मानसून दिल्ली पहुंचता है और इस बार भी इसी समय तक मानसून के दिल्ली पहुंचने की संभावना है। हालांकि, उससे पहले पश्चिमी विक्षोभ के कारण 19-20 जून को बारिश की उम्मीद जताई जा रही है।
क्या मणिपुर में कुछ बड़ा होगा? अमित शाह के साथ सेना प्रमुख समेत कई बड़े अधिकारियों की बैठक
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डेस्क: पूर्वोत्तर भारत के राज्य मणिपुर में बीते लंबे समय से जारी हिंसा ने अब तक रुकने का नाम नहीं लिया है। हालांकि, केंद्र सरकार अब इस मुद्दे पर एक्शन मोड में आ गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मणिपुर के हालात को लेकर गृह मंत्रालय में अहम बैठक की है। आपको बता दें कि इससे पह कल गृह मंत्री ने मणिपुर राज्यपाल से भी मुलाकात की थी। माना जा रहा है कि इस बैठक में हिंसा को समाप्त करने के लिए कोई बड़ा फैसला किया जा सकता है।

सेनाध्यक्ष भी पहुंचे

मणिपुर के हालात को लेकर गृह मंत्रालय में हुई बैठक में भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे, अगले सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी, मणिपुर के डीजीपी राजीव सिंह, सीआरपीएफ के पूर्व प्रमुख और मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह और कई अन्य बड़े अधिकारी पहुंचे थे। हालांकि, मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह इस बैठक में नहीं पहुंचे थे।

मणिपुर में हालत ठीक करने पर मंथन

गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए आज एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक तकरीबन डेढ घंटे तक चली। इस बैठक में मणिपुर में हालत ठीक करने को लेकर हुआ मंथन। बैठक में NCRB के डीजी विवेक गोगिया भी गृह मंत्रालय पहुंचे थे।
पहली बार चुनाव में उतरेंगी प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी की जीती वायनाड सीट से लडे़ंगी उपचुनाव

लखनऊ । आखिरकार समय आ ही गया..राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी पहली बार चुनावी मैदान में बतौर प्रत्याशी ताल ठोकेंगीं। ये पहली बार होगा, जब अपने राजनीतिक जीवन में प्रियंका गांधी कोई चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस के थिंक टैंक ने तय कर दिया है कि राहुल गांधी वायनाड लोकसभा सीट छोड़ेंगे और प्रियंका गांधी यहां से चुनाव लड़ेंगी।  

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2019 के आम चुनाव में प्रियंका गांधी को कांग्रेस ने महासचिव बनाया और पूर्वी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी थी। हालांकि, राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए थे। इसके बाद वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तो प्रियंका गांधी के हाथ एक बार फिर से निराशा आई, कांग्रेस महज दो सीटों पर सिमट गई। ऐसा लगने लगा था कि प्रियंका उत्तर प्रदेश की राजनीति को अलविदा कह देंगी। 

मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठक के बाद की घोषणा

 

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद देशभर में सियासी दल आंतरिक बैठक कर आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं। इसी कड़ी में सोमवार को कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर बैठक की और राहुल गांधी की संसदीय सीट को लेकर फैसला किया। बैठक के बाद खरगे ने कहा कि राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़ेंगे और रायबरेली अपने पास रखेंगे। इसके बाद प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड लोकसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी। इस मीटिंग में सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और केसी वेणुगोपाल भी शामिल हुए।

राहुल गांधी रायबरेली सीट रखेंगे अपने पास

खरगे ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि हम सबने बैठक में यह तय कर लिया कि राहुल गांधी रायबरेली सीट अपने पास रखेंगे, क्योंकि रायबरेली पहले से भी उनके काफी नजदीक रही है। उस परिवार के साथ जुड़ाव है और पीढ़ियों से वहां से लड़ते आए हैं। इसलिए वहां के लोगों और पार्टी के लोगों का भी कहना है कि वह रायबरेली की सीट अपने पास रखें। वायनाड के लोगों का प्यार भी राहुल को मिला है। वे लोग चाहते हैं कि राहुल वायनाड में ही रहें, लेकिन कानून इसकी इजाजत नहीं देता। इसलिए वायनाड सीट से प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी। 

प्रियंका ने कहा इस फैसले से बहुत खुश हूं

बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए प्रियंका ने कहा कि मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं। वायनाड का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए गर्व की बात होगी। मैं एक अच्छा प्रतिनिधि बनने की कोशिश करुंगी। रायबरेली से मेरा पुराना रिश्ता है और मैंने रायबरेली और अमेठी के लिए काफी काम किया है। मैं भैया की मदद रायबरेली में भी करुंगी। हम दोनों वायनाड और रायबरेली में एक-दूसरे की मदद भी करेंगे।

EVM पर Mid Day अखबार की खबर भ्रामक, चुनाव आयोग से मांगी माफी, जानिए पूरा मामला
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मिड डे अखबार ने अपनी उस रिपोर्ट के लिए खेद प्रकट किया है, जिसमें दावा किया गया था कि मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से जीत हासिल करने वाले रविंद्र वायकर के रिश्तेदार के पास 'EVM अनलॉक करने वाला फोन था'. अखबार ने 16 जून को ये खबर छापी थी और 17 जून को सफाई छापी है.

अखबार ने माना- 'रिपोर्ट में गलती हुई'
अखबार ने अपनी गलती मानते हुए लिखा,

“'वायकर के रिश्तेदार के पास EVM को अनलॉक करने वाला फोन था' (पेज 6, जून 16), इस खबर में गलती से ये लिखा गया था कि आरोपी व्यक्ति ने EVM को अनलॉक करने का OTP जनरेट करने के लिए अपने मोबाइल का इस्तेमाल किया. इस गलती के लिए खेद है.”


मिड डे की 16 जून की रिपोर्ट को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शेयर करते हुए लिखा था,

"भारत में EVM एक ‘ब्लैक बॉक्स’ है, और किसी को भी उसकी जांच करने की अनुमति नहीं है. हमारी चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं. जब संस्थाओं में जवाबदेही का अभाव होता है, तो लोकतंत्र दिखावा बन जाता है और धोखाधड़ी की आशंका बढ़ जाती है."

चुनाव आयोग ने किया था प्रेस कॉन्फ्रेंस

वहीं चुनाव आयोग ने 16 जून की शाम को ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि EVM को अनलॉक करने के लिए कोई OTP नहीं लगता है.

आयोग की तरफ से कहा गया,

“16 जून को जो खबर आई उसे लेकर कुछ लोगों ने ट्वीट किए. EVM को अनलॉक करने के लिए कोई OTP नहीं लगता है. EVM डिवाइस किसी से कनेक्ट नहीं रहता. एक अखबार द्वारा पूरी तरह से गलत खबर चलाई गई है. EVM स्टैंडअलोन सिस्टम है. अखबार की खबर पूरी तरह से गलत है, हमने पेपर को नोटिस जारी किया है. 499 IPC के तहत मानहानि का केस भी किया गया है.”


मुंबई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट पर शिंदे गुट वाली शिवसेना के उम्मीदवार रविंद्र वायकर को 48 वोटों से जीत मिली थी. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक 4 जून को आम चुनावों के नतीजों की घोषणा के समय रविंद्र वायकर के साले मंगेश पांडिलकर को मतगणना केंद्र पर कथित तौर पर मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए देखा गया था. दरअसल, मतदान केंद्र पर मोबाइल या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक चीजों के इस्तेमाल की मंजूरी नहीं है. इस मामले में मुंबई पुलिस ने मंगेश पांडिलकर के खिलाफ केस दर्ज किया है.

मुंबई पुलिस ने क्या बताया?

हालांकि, मुंबई पुलिस ने भी ‘EVM को अनलॉक करने के लिए मोबाइल पर OTP जनरेट करने’ की खबरों का खंडन किया है. बताया है कि काउंटिंग स्टेशन पर एक व्यक्ति को अवैध रूप से मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की मंजूरी देने को लेकर वनराई पुलिस स्टेशन में एक केस दर्ज किया गया है.


मुंबई पुलिस का कहना है कि अभी इस मामले की जांच चल रही है. वहीं कुछ अंग्रेजी और मराठी न्यूज मीडिया ने खबर छापी है कि 'EVM को अनलॉक करने के लिए, एक मोबाइल फोन का इस्तेमाल OTP जनरेट करने के लिए किया गया'. मुंबई पुलिस ने कहा है कि उनकी ओर से ऐसी कोई जानकारी किसी भी अखबार को जारी नहीं की गई है. इसलिए ऐसे न्यूज आर्टिकल झूठे और भ्रामक हैं.
ईवीएम की पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करें या इसे हटा दें”, चुनाव आयोग से बोले राहुल गांधी

#rahul_gandhi_said_evm_is_black_box_election_commission_ensures_transparency 

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर क बार फिर सियासत जारी है।कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को एक बार फिर ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया। उन्होंने चुनाव आयोग से ईवीएम और प्रक्रियाओं की पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने या उन्हें समाप्त करने की मांग की। एक दिन पहले कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया था कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक “ब्लैक बॉक्स” है और किसी को भी इसकी जांच करने की अनुमति नहीं है।

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पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, जब लोकतांत्रिक संस्थानों पर कब्जा कर लिया जाता है तो एकमात्र सुरक्षा चुनावी प्रक्रिया में निहित होती है, जो जनता के लिए पारदर्शी होती है। उन्होंने कहा कि ईवीएम अभी ब्लैक बॉक् है। चुनाव आयोग या तो मशीनों और प्रक्रियाओं की पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए या उन्हें समाप्त कर देना चाहिए। 

वहीं, एक अन्य कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को अचूक मानने से पहले, भारत निर्वाचन आयोग को यह आंकड़ा जारी करना चाहिए कि चुनावों के दौरान कितनी ईवीएम खराब पायी गईं।” उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को यह बताना चाहिए कि आम चुनावों के दौरान कितनी मशीनों ने गलत समय, तारीख और गलत मत दर्ज किए तथा कितनी ईवीएम के घटकों - मतगणना इकाई, मतपत्र इकाई को बदला गया तथा छद्म मतदान के दौरान कितनी ईवीएम में खराबी मिली। 

गोगोई ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “चुनाव लड़ने के बाद मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इन मशीनों ने अशुद्ध नतीजे दिखाए हैं। मुझे उम्मीद है कि निर्वाचन आयोग उपरोक्त आंकड़े जारी करेगा क्योंकि जनता को जानने का अधिकार है।” 

बता दें कि लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद ईवीएम पर एक बार फिर घमासान शुरू हो गया है। रविवार को इसने एकदम से उस वक्त तेजी पकड़ी जब राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने एक खबर का हवाला दिया। इसमें आरोप लगाया गया था कि मुंबई उत्तर पश्चिम सीट से शिवसेना उम्मीदवार के एक रिश्तेदार का फोन काउंटिंग के समय ईवीएम से जुड़ा हुआ था।

वहीं, मुंबई में मतगणना केंद्र के ईवीएम के साथ उम्मीदवार के रिश्तेदार का फ़ोन जुड़े होने को लेकर मीडिया में आई ख़बरों को चुनाव अधिकारी के खारिज किया है। मुंबई नॉर्थ वेस्ट लोकसभा क्षेत्र की रिटर्निंग अफ़सर वंदना सूर्यवंशी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "ईवीएम एक स्टैंडअलोन डिवाइस है, इसमें तार या बेतार कनेक्शन की कोई सुविधा नहीं होता है। जो ख़बर शेयर की जा रही है वो ग़लत है, आधारहीन है।

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे में बड़ी लापरवाही आई सामने, सुबह से खराब पड़ा था ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम

#kanchanjunga_express_accident_big_negligence_revealed 

पश्चिम बंगाल में सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस सोमवार को सुबह न्यू जलपाईगुड़ी के पास हादसे का शिकार हो गई। उसे एक मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी। हादसे ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिरकार ऐसा हुआ क्यों? अब तक मिली जानकारी के मुताबिक यह हादसा भी सिग्नल की गड़बड़ी के कारण बताया जा रहा है।

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रेलवे सूत्र के हवाले से बताया कि पश्चिम बंगाल में रानीपानी रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सही तरह से काम नहीं कर रही थी। सूत्रों की मानें तो सुबह 5.50 बजे से ऑटोमेटिक सिंग्निलिंस सिस्टम में खराबी थी। “ट्रेन नंबर 13174 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) सुबह 8:27 बजे रंगपानी स्टेशन से रवाना हुई और स्वचालित सिग्नलिंग विफलता के कारण रानीपत्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट के बीच रुक गई।” वहीं 8.55 मिनट पर यह हादसा हुआ और 9.01 मिनट पर सुबह रेलवे को इसकी जानकारी मिली।

एक अन्य रेलवे अधिकारी के मुताबिक, जब ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम काम करना बंद कर देती है, तो स्टेशन मास्टर ‘टीए 912’ नामक एक लिखित आधिकार-पत्र जारी करता है, जो चालक को खराबी के कारण उस सेक्शन के सभी रेड सिग्नलों को पार करने का अधिकार देता है। सूत्र ने बताया, ‘रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह कंचनजंघा एक्सप्रेस) को ‘टीए 912′ जारी किया था।’ उन्होंने कहा, ‘जीएफसीजे नामक एक मालगाड़ी लगभग उसी समय सुबह 8:42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 13174 नंबर ट्रेन के पिछले हिस्से से टकरा गई।

सूत्रों ने कहा कि जांच से ही पता चल सकेगा कि क्या मालगाड़ी को खराब सिग्नलों को तेज गति से पार करने के लिए टीए 912 दिया गया था या नहीं। वहीं, अगर मालगाड़ी को टीए 912 नहीं दिया गया था तो चालक को प्रत्येक खराब सिग्नल पर ट्रेन को एक मिनट के लिए रोकना था और 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना था।

रेलवे सूत्रों की मानें तो जिस समय ट्रेन हादसा हुआ उस समय उस इलाके में काफी तेज बारिश हो रही थी। ऐसे में संभव है सिग्नल के लाल बत्ती को ड्राइवर बारिश की वजह से देख नहीं पाया हो और वह आगे बढ़ गया। ऐसी भी आशंका है कि चूंकि ऑटोमैटिक सिग्नल सिस्टम सही तरीके से काम नहीं कर रहा था। ऐसे में मैनुअल सिग्नल सिस्टम को मालगाड़ी का ड्राइवर फॉलो नहीं कर पाया। हांलांकि इसी ट्रैक पर आगे कंचनजंगा एक्सप्रेस खड़ी थी, जिसके ड्राइवर ने सभी नियमों का सही तरीके से पालन किया।

बता दें कि हादसे में ट्रेन चला रहे चालक (लोको पायलट) की भी मौत हो गई। वहीं, कंचनजंगा एक्सप्रेस के गार्ड ने भी अपनी जान गंवा दी है। वहीं, अभी भी कंचनजंगा का एक डब्बा हवा में लटका हुआ है।