पीडब्ल्यूडी की जमीन पर हुए अतिक्रमण कब्जे की शिकायत करने की मिली सजा
जौनपुर। सरकार से लेकर न्यायालय तक का सख्त आदेश है कि जहां कहीं भी सरकारी भूमि, तालाब, पोखरा भीठा की जमीन हो उसे कब्जा मुक्त कराकर खाली कराया जाए। लेकिन लगता है कि इसे खाली कराने और अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध आवाज उठाना गुनाह है, वह भी जब जनसरोकार से जुड़े हुए मसलों और न्याय की खातिर आवाज बुलंद करने को ही फर्जी मुकदमे में फांस दिया जाए तो भला कैसे और कौन आवाज उठाने की हिकामत करेगा? खासकर तब, जब ऐसे मामलों में दबंगो, अतिक्रमणकारियों को इलाकाई पुलिस और थाने पुलिस चौकी के दलालों का संरक्षण प्राप्त हो। ताजा मामला जौनपुर जिले के केराकत कोतवाली और थानागद्दी पुलिस चौकी से जुड़ा हुआ है।
जहां थानागद्दी पुलिस चौकी प्रभारी ने ब्रिटिश हुकूमत की याद दिलाते हुए एक आरटीआई कार्यकर्ता को गुरुवार की रात्रि में घर से उठाकर पूरी रात पुलिस चौकी में रखकर इस कदर बेल्ट, लाठी से पिटाई की है कि वह चलने फिरने में भी असमर्थ है। तुर्रा यह कि उसके बाद फर्जी शिकायत के आधार पर उन्हें जेल भेजने की कार्रवाई पूर्ण कर ली गई है। सरकारी भूमि पर कब्जा करने को लेकर सरकार जहां गंभीर है और चेतावनी दर चेतावनी देती जा रही है, वहीं थानागद्दी के आरटीआई कार्यकर्ता बजरंग बहादुर सिंह उर्फ बजरंगी सिंह पर पुलिस ने उन लोगों को आगे खड़ा कर तहरीर दिलवाई है जो पीडब्ल्यूडी की जमीन पर कब्जा जमाए हुए हैं, जिन्हें कुछ दिनों पूर्व पीडब्ल्यूडी द्वारा बाकायदा नोटिस दी गई थी। नोटिस मिलते ही झल्लाए अतिक्रमणकारियों ने पुलिसिया सांठ-गांठ से बजरंग बहादुर सिंह को फंसाए जाने का ताना-बाना शुरू कर दिया था।
जिसकी आशंका जताते हुए आरटीआई कार्यकर्ता के पुत्र ने दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री को प्रार्थना पत्र लिखकर कुछ ऐसी ही घटनाओं की आशंका जताई थी जो सच साबित हो गई है। दुर्भाग्य की बात है कि बेलगाम हुई थानागद्दी पुलिस चौकी पुलिस एवं केराकत कोतवाली पुलिस ने सारे कायदे कानून, मानवाधिकार नियमों को ताक पर रखकर आईटीआई कार्यकर्ता बजरंगी सिंह की जिस क्रूरता पूर्ण ढंग से बेल्ट और लाठियां इत्यादि से पिटाई की है वह न केवल पुलिस का अमानवीय कृत्य है बल्कि मानवाधिकार कानून का माखौल भी उड़ता हुआ नजर आ रहा है।
पीड़ित बजरंगी सिंह के घर की महिलाएं दहशत में है, महिलाओं का कहना है की गुरुवार को रात्रि में 11:00 बजे घर पर पहुंचे चौकी प्रभारी विद्यासागर सिंह ने जिस अभद्रता और दुर्व्यवहार का नंगा नाच, तांडव मचाते हुए उनके मुखिया को घर से उठा ले जाकर रात भर पुलिस चौकी में बंद कर बुरी तरह से मारने पीटने का काम किया है वह निंदनीय ही नहीं बल्कि कानून और मानवाधिकार के मुंह पर तमाचा भी है।
पुलिस की मनमानी, दलाल की दलाली में बाधक बने थे बजरंगी
आनन-फानन में भले ही पुलिस ने थानागद्दी निवासी राजकुमार सिंह उर्फ राजू की तहरीर पर बजरंगी सिंह और उनके बेटे के नाम पर तहरीर दर्ज कर घर से सोते समय बजरंगी सिंह को उठाकर अपराधियों जैसा पुलिस चौकी में रातभर सलूक किया है वह न केवल अमानवीय है बल्कि चारों तरफ उसकी निंदा भी हो रही है। लोगों की माने तो इस घटना के तह में बजरंगी सिंह का सामाजिक कार्य रहा है जो पुलिस और क्षेत्र के ही एक दलाल को खटकने लगा था। जिसका बजरंगी सिंह में प्रतिरोध करने के साथ ही साथ कई मामले को लेकर जबरदस्त उच्च अधिकारियों से शिकायत भी की थी। लेकिन दुखद है कि उच्च अधिकारियों द्वारा भी कोई ठोस संज्ञान में ना लिए जाने के कारण केराकत पुलिस और थानागद्दी चौकी पुलिस पूरी तरह से बेलगांव बनी हुई दलाल के इशारे पर नाचती आई है। खैर इस मामले को लेकर पीड़ित परिवार के लोगों ने इस मुद्दे को उच्च अधिकारियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री एवं मानवाधिकार आयोग के संज्ञान में लाते हुए इस संपूर्ण मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।
Jun 15 2024, 15:22