सिसोदिया की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट का ईडी-सीबीआई को नोटिस, 8 मई को अगली सुनवाई*
#delhi_high_court_seeks_cbi_ed_response_to_manish_sisodia_bail_pleas

दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक, सिसोदिया हफ्ते में एक दिन अपनी बीमार पत्नी से मुलाकात कर सकते हैं. इस दौरान वो कस्टडी में ही रहेंगे। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका पर ईडी-सीबीआई से जवाब मांगा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 8 मई को होगी। दरअसल, राउज एवेन्यू कोर्ट ने 30 अप्रैल को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने सिसोदिया की ईडी और सीबीआई दोनों ही मामलों में जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट में सिसोदिया ने राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। बता दें कि दें कि राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दूसरी बार सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, इसी मामले के फैसले को लेकर मनीष सिसोदिया ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जानकारी दे दें कि मनीष सिसोदिया ने एक अर्जी दायर कर मांग की थी कि उनकी जमानत याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान, ट्रायल कोर्ट के आदेश को जारी रखा जाए, जिसमें उन्हें सप्ताह में एक बार अपनी बीमार पत्नी से मिलने की इजाजत मिली थी। इस मामले पर ईडी की ओर से कहा गया कि अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश जारी रहता है तो जांच एजेंसी को कोई आपत्ति नहीं है। मनीष सिसोदिया की ओर से वकील ने पहले हाईकोर्ट में कहा कि सिसोदिया को निचली अदालत ने अपनी बीमार पत्नी से मुलाक़ात के लिए हफ्ते में एक दिन की कस्टडी परोल दी थी लेकिन सिसोदिया की ज़मानत अर्जी खारिज होने के बाद वो पत्नी से नहीं मिल पा रहे है। जब तक उनकी ज़मानत अर्जी दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग है, तब तक उन्हें एक दिन की कस्टडी परोल जारी रहने की इजाज़त होनी चाहिए। बता दें कि दिल्ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीबीआई ने पिछले साल 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था।दिल्ली शराब घोटाला मामले में तिहाड़ में बंद सिसोदिया ने कुछ दिन पहले जेल से चिट्ठी लिखी थी। उसमें उन्होंने ये उम्मीद जताई दी थी कि वो जल्द जेल से बाहर आएंगे। सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि अंग्रेजों को भी अपनी सत्ता का बहुत घमंड था। अंग्रेज भी झूठे आरोप लगाकर लोगों को जेल में बंद करते थे। अंग्रेजों ने गांधी-मंडेला को भी जेल में डाला। अंग्रेज शासकों की तानाशाही के बावजूद आजादी का सपना साकार हुआ।
सिसोदिया की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट का ईडी-सीबीआई को नोटिस, 8 मई को अगली सुनवाई

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दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक, सिसोदिया हफ्ते में एक दिन अपनी बीमार पत्नी से मुलाकात कर सकते हैं. इस दौरान वो कस्टडी में ही रहेंगे। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया की जमानत याचिका पर ईडी-सीबीआई से जवाब मांगा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 8 मई को होगी।

दरअसल, राउज एवेन्यू कोर्ट ने 30 अप्रैल को उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने सिसोदिया की ईडी और सीबीआई दोनों ही मामलों में जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट में सिसोदिया ने राउज एवेन्यू कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। बता दें कि दें कि राऊज एवेन्यू कोर्ट ने दूसरी बार सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, इसी मामले के फैसले को लेकर मनीष सिसोदिया ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

जानकारी दे दें कि मनीष सिसोदिया ने एक अर्जी दायर कर मांग की थी कि उनकी जमानत याचिकाओं के लंबित रहने के दौरान, ट्रायल कोर्ट के आदेश को जारी रखा जाए, जिसमें उन्हें सप्ताह में एक बार अपनी बीमार पत्नी से मिलने की इजाजत मिली थी। इस मामले पर ईडी की ओर से कहा गया कि अगर ट्रायल कोर्ट का आदेश जारी रहता है तो जांच एजेंसी को कोई आपत्ति नहीं है।

मनीष सिसोदिया की ओर से वकील ने पहले हाईकोर्ट में कहा कि सिसोदिया को निचली अदालत ने अपनी बीमार पत्नी से मुलाक़ात के लिए हफ्ते में एक दिन की कस्टडी परोल दी थी लेकिन सिसोदिया की ज़मानत अर्जी खारिज होने के बाद वो पत्नी से नहीं मिल पा रहे है। जब तक उनकी ज़मानत अर्जी दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग है, तब तक उन्हें एक दिन की कस्टडी परोल जारी रहने की इजाज़त होनी चाहिए।

बता दें कि दिल्ली शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सीबीआई ने पिछले साल 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था।दिल्ली शराब घोटाला मामले में तिहाड़ में बंद सिसोदिया ने कुछ दिन पहले जेल से चिट्ठी लिखी थी। उसमें उन्होंने ये उम्मीद जताई दी थी कि वो जल्द जेल से बाहर आएंगे। सिसोदिया ने अपनी चिट्ठी में लिखा कि अंग्रेजों को भी अपनी सत्ता का बहुत घमंड था। अंग्रेज भी झूठे आरोप लगाकर लोगों को जेल में बंद करते थे। अंग्रेजों ने गांधी-मंडेला को भी जेल में डाला। अंग्रेज शासकों की तानाशाही के बावजूद आजादी का सपना साकार हुआ।

क्या कांग्रेस ने स्वीकार ली अपनी हार? राहुल गांधी ने अमेठी से क्यों नहीं लड़ा चुनाव, स्मृति ईरान ने कह दी बड़ी बात

कांग्रेस ने लंबी चर्चा के बाद अपनी पारंपरिक अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट को लेकर पत्ते खोल दिए हैं. कांग्रेस ने अमेठी से किशोरी लाल शर्मा और रायबरेली से राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, राहुल गांधी के अमेठी से न लड़ने पर बीजेपी ने पूरी कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधा शुरू कर दिया है. अब अमेठी से सांसद और बीजेपी प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने गांधी पर परिवार पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि अमेठी से गांधी परिवार का न लड़ना, संकेत है कि चुनाव से पहले बिना वोट पड़े ही कांग्रेस पार्टी ने अमेठी में अपनी हार मान ली है.

दरअसल, कांग्रेस ने शुक्रवार सुबह लिस्ट जारी कर अमेठी और रायबरेली से अपने प्रत्याशियों का ऐलान किया था. कांग्रेस ने राहुल गांधी को रायबरेली से अपना प्रत्याशी घोषित किया तो अमेठी के केएल शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. राहुल गांधी अब तक अमेठी से चुनाव लड़ते थे, लेकिन इस बार पार्टी ने उनकी सीट बदल दी है. इसी को लेकर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल को शिकस्त देने वाली स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार पर हमला बोला है.

स्मृति ईरानी ने गांधी परिवार पर तंज कसते हुए कहा, मेहमानों का स्वागत है. हम मेहमानों के स्वागत में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे. अमेठी से गांधी परिवार का न लड़ना, संकेत है कि चुनाव से पहले बिना वोट पड़े ही कांग्रेस पार्टी ने अपनी हार मान ली है. यहां जीत की कोई भी गुंजाइश होती तो वह (राहुल) यहां (अमेठी) से अपने प्रॉक्सी को न लड़ाते.

उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए यह भी कहा कि 2019 में अमेठी की जनता ने गांधी परिवार को राजनीतिक रणभूमि में त्यागा था. आज गांधी परिवार का अमेठी लोकसभा क्षेत्र से न लड़ने इस बात का संकेत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देश में जो विकास हुआ है. उस विकास के जरिए अमेठी की जनता ये पूछ रही है, अगर 5 साल के अंदर बीजेपी के सांसद द्वारा अभूतपूर्व विकास अमेठी में संभव हुआ तो 50 साल से विशेष कर 15 साल से लापता रहने के बाद इतनी पीढ़ियों की हानि गांधी परिवार ने अमेठी लोकसभा क्षेत्र में क्यों की.

स्मृति ईरानी से पहले बीजेपी के कई नेताओं ने भी राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव न लड़ने पर गांधी परिवार पर निशाना साधा. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने कहा कि कुछ समय पहले राहुल गांधी कहते थे 'डरो मत, डरो मत', अब अमेठी से वायनाड और वायनाड से लेकर रायबरेली तक, हार के प्रति उनका डर उन्हें हर जगह ले जा रहा है. रॉबर्ट वाड्रा भी टिकट मांगते थे, कांग्रेस की मांग प्रियंका गांधी के लिए भी थी लेकिन उनकी लिस्ट में कहीं भी बहन का नाम नहीं आया है.ये अपने आप में दिखाता है कि कुछ ना कुछ कांग्रेस पार्टी में चल रहा है और यह बात देश के सामने खुलकर आ गई है.

अचानक शेयर बाजार में आया भूचाल, एक ही झटके में स्‍वाहा हो गए निवेशकों के 3 लाख करोड़ रुपये

 शुरुआती कारोबार में शानदार तेजी के बाद शेयर बाजार (Stock Market U-Turn) ने अचानक यू-टर्न ले लिया है. सेंसेक्‍स (Sensex) आज अपने हाई लेवल से 2 फीसदी या 1434 अंक लुढ़कर कारोबार कर रहा है. वहीं Nifty ने आज अपना ऑल टाइम हाई लेवल 22,794 टच किया था, जहां से यह करीब 1.60 फीसदी या 400 अंक नीचे कारोबार कर रहा है. 

दोपहर 1 बजे निफ्टी 250 अंक लुढ़ककर 22,400 पर कारोबार कर रहा था, ज‍बकि सेंसेक्‍स 916 अंक गिरकर 73,695 पर कारोबार कर रहा है. वहीं बैंक निफ्टी 475 अंक से ज्‍यादा टूटकर 48,765 लेवल पर कारोबार कर रहा था. बीएसई के टॉप 30 में से 25 शेयरों में तगड़ी गिरावट आई है. बजाज फाइनेंस के स्‍टॉक में 2 फीसदी की तेजी आई है. वहीं सबसे ज्‍यादा गिरावट भारती एयरटेल में 2.42 फीसदी की आई है. 

NSE पर 2,553 शेयरों में से 763 स्‍टॉक में तेजी जारी है, जबकि 1,689 स्‍टॉक में बड़ी गिरावट देखी जा रही है और 101 स्‍टॉक अनचेंज हैं. 133 शेयरों ने 52 वीक का सबसे उच्‍चा स्‍तर टच किया है और 7 ने निचला स्‍तर छुआ है. 87 स्‍टॉक में अपर सर्किट लगा है और 37 में लोअर सर्किट है. गौरतलब है कि आज सेंसेक्‍स 460 अंक चढ़कर 75,095.18 के स्‍तर पर पहुंच गया था, जबकि निफ्टी करीब 150 अंक चढ़कर अपने ऑल टाइम हाई लेवल 22,794 पर पहुंच गया था. शेयर बाजार में भारी गिरावट के कारण CEAT टायर स्‍टॉक में 4.2 फीसदी, ज्‍योति लैब्‍स में 3.6 फीसदी, ब्‍लू स्‍टार के शेयर में 3 फीसदी, MRF के शेयर में 3 प्रतिशत, टाटा का ट्रेंट शेयर में 3 प्रतिशत और आईसीआईसीआई लॉम्‍बोर्ड के स्‍टॉक में 2.7 प्रतिशत की गिरावट आई है. 

शुक्रवार को तेजी के बाद हैवीवेट शेयरों में मुनाफावसूली हावी हुई, जिससे शेयर बाजार नीचे की ओर भागने लगा. रिलायंस इंडस्‍ट्रीज, एचडीएफसी बैंक और आईटी स्‍टॉक्‍स में आज मुनाफावसूली देखी गई है. दूसरा कारण, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने गुरुवार को 964 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. तीसरा बड़ा कारण, सेंसेक्‍स की आज एक्‍सपाइरी भी है. बीएसई पर सभी लिस्‍टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन करीब 3 लाख करोड़ रुपये घटकर 405.83 लाख करोड़ रुपये हो गया. इसका मतलब है कि बीएसई शेयरों में निवेश करने वालों की वेल्‍थ में आज 2.67 लाख करोड़ की कमी आई है.

राहुल ने चुनी पुश्तैनी सीट : फिरोज गांधी से शुरू हुआ सफर , इंदिरा यहीं से बनीं पीएम , सोनिया 20 साल रहीं सांसद, जानिए, इस हाई प्रोफाइल सीट की

कांग्रेस की पैतृक लोकसभा सीट पर शुक्रवार को नया इतिहास बन रहा है। राहुल गांधी ने रायबरेली लोकसभा सीट से नामांकन कर दिया। इसके साथ ही गांधी परिवार की तीसरी पीढ़ी का रायबरेली से राजनीतिक सफर शुरू होगा। कांग्रेस के युवराज मां सोनिया गांधी की रायबरेली में राजनीतिक विरासत को संभालेंगे। 

रायबरेली लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले 1952 में फिरोज गांधी ने चुनाव लड़ा और जीते। उसके बाद 1958 में भी उन्होंने चुनाव जीता। उनके निधन के बाद1967 के चुनाव में इंदिरा गांधी ने इस सीट से पर्चा भरकर राजनीतिक पारी की शुरुआत की। ऐसे में यह सीट गांधी परिवार की विरासत बन गई। 2004 में इंदिरा गांधी की बहू सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा और पांच बार सांसद चुनी गईं। अब सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी लोकसभा सीट से उतर कर गांधी परिवार की विरासत को संभालने जा रहे हैं।

सांसद सोनिया गांधी ने राज्यसभा में जाने से पहले रायबरेली वासियों के नाम मार्मिक पत्र लिखा था जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। इसी के बाद से कयास लगाए जाते रहे थे कि गांधी परिवार से कोई न कोई चुनाव रायबरेली से जरूर लड़ेगा। यहां से प्रियंका गांधी का नाम चल रहा था लेकिन ऐन मौके पर उनके भाई राहुल गांधी के चुनाव लड़ने का एलान कर दिया गया।

मां के बाद अब बेटे राहुल के सामने होंगे भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप

हाई प्रोफाइल रायबरेली संसदीय सीट पर भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह लगातार दूसरी बार गांधी परिवार के सामने होंगे। 2019 में दिनेश प्रताप सिंह सोनिया गांधी के सामने चुनाव लड़े थे। उन्होंने कांग्रेस को टक्कर दी थी लेकिन चुनाव हार गए थे। 2018 में दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। सोनिया गांधी को 531918 मत मिले थे। भाजपा उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को 367740 मत मिले थे। दिनेश प्रताप 164178 मतों से हार गए थे लेकिन उन्होंने सोनिया गांधी के जीत के अंतर को कम कर दिया था।

रायबरेली से अब तक हुए सांसद

1952- फिरोज गांधी (कांग्रेस)

1958- फिरोज गांधी (कांग्रेस)

1962- ब्रजलाल (कांग्रेस)

1967- इंदिरा गांधी (कांग्रेस)

1971- इंदिरा गांधी (कांग्रेस)

1977- राजनारायण (बीकेडी)

1980- इंदिरा गांधी (कांग्रेस)

1981-अरुण नेहरू( कांग्रेस)

 उपचुनाव 

1984- अरूण नेहरू (कांग्रेस)

1989- शीला कौल (कांग्रेस)

1991- शीला कौल (कांग्रेस)

1996- अशोक सिंह (भाजपा)

1998- अशोक सिंह (भाजपा)

1999- कैप्टन सतीश शर्मा(कांग्रेस)

2004- सोनिया गांधी (कांग्रेस)

2006-सोनिया गांधी (कांग्रेस) उपचुनाव

2009- सोनिया गांधी (कांग्रेस)

2014-सोनिया गांधी (कांग्रेस)

2019-सोनिया गांधी (कांग्रेस)

कैंसर से जूझ रहे 70 वर्षीय सीपीआई नेता अतुल कुमार अनजान ने अस्पताल में ली अंतिम सांस, देश में शोक की लहर

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( सीपीआई) के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान का आज निधन हो गया। वह लंबे समय से कैंसर से जूझ रहे थे। श्री अंजान पिछले एक महीने से एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। भारतीय वामपंथी राजनीति में उनका नाम काफ़ी चर्चित था। वह सामाजिक कार्याें में भी काफी सक्रिय रहे। किसानों और मजदूराें के लिये उनके द्वारा किये गये कार्यों की वजह से राजनेताओं के बीच उनकी अलग पहचान रही है। अतुल कुमार अंजान ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1977 में की जब वे लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। वे सबसे मुखर और सक्रिय कम्युनिस्ट नेताओं में से एक थे। उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।

सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव श्री अंजान उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध पुलिस-पीएसी विद्रोह के प्रमुख नेताओं में से एक थे। वे अपने राजनीतिक सफर के दौरान चार साल नौ महीने जेल में भी बिताए। उनके पिता डॉ. ए.पी. सिंह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की गतिविधियों में भाग लिया था। इसके लिए उन्होंने ब्रिटिश जेल में लंबी सजा काटी थी। किसानों और श्रमिकों के हितों के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता ने लोगों से व्यापक प्रशंसा और सम्मान जीता। वे प्रभावशाली भाषण देने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने राजनीति में एक अलग मुकाम हासिल किया था। उनके निधन से दल के साथ देश मर्माहत है।

चेन्नई में पाकिस्तानी लड़की को हिन्दू व्यक्ति का दिल लगाने पर पाकिस्तान के इमाम ने कहा, यह काफिर का दिल, बुत के सामने झुकता था

चेन्नई के एक अस्पताल में पाकिस्तानी लड़की आयशा राशान को हिन्दू व्यक्ति का दिल लगाए जाने पर पाकिस्तान के एक इमाम ने कहा है कि यह काफिर का दिल है। इमाम ने कहा कि यह दिल पहले बुतों (मूर्तियों) के सामने झुकता था और अब अल्लाह के सामने झुकेगा। इमाम ने कहा कि गैर मुस्लिम (काफिर) आदमी ने भले ही पाकिस्तानी लड़की को अपना दिल दिया हो, मगर उसका यह काम पुण्य नहीं है, क्योंकि वह मुस्लिम नहीं है। अब इस पाकिस्तानी इमाम का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।  

वीडियो में एक यूट्यूबर ने इस संबंध में इमाम से सवाल किया था। जिस पर इमाम ने कहा कि पाकिस्तानी लड़की को दिल देने वाला व्यक्ति हिन्दू होकर मरा, इसलिए उसका कोई भी पुण्य नहीं गिना जाएगा। पुण्य पाने के लिए इंसान का मुसलमान हो कर मरना जरुरी है। इमाम ने आगे कहा कि मुस्लिम बच्ची की हिम्मत ये है कि उसने बुतों के सामने झुकने वाले इंसान का दिल अल्लाह के आगे झुका दिया। इमाम ने एक कहानी सुना कर बताया कि पुण्य पाने के लिए मुस्लिम होकर मरना आवश्यक है।

इमाम ने कहा कि काफिरों (गैर मुस्लिमों) का कोई भी काम आखिरत (दुनिया के अंत) के वक़्त गिना नहीं जाएगा। इमाम ने मुसलमानों के अंगदान को भी हराम करार दिया। इमाम ने कहा कि जरूरी न हो, तो मुसलमान के लिए रक्तदान भी सही नहीं है। इमाम ने कहा कि जब मरीज की जान पर बन आए, तभी मुसलमान को रक्तदान करना चाहिए, ऐसे नहीं। इमाम ने इस बात पर गुस्सा जाहिर किया कि पाकिस्तान पूरी तरीके से इस्लामी देश नहीं है। उसने कहा कि पाकिस्तान सिर्फ नाम के लिए ही इस्लामी मुल्क रह गया है।

बता दें कि पाकिस्तानी के कराची की निवासी एक 19 वर्षीय मुस्लिम लड़की आयशा की जान बचाने के लिए उसे चेन्नई में जनवरी, 2024 में एक 68 वर्षीय हिन्दू आदमी का दिल लगाया गया था। हिन्दू शख्स को अपस्ताल ने ब्रेन डेड घोषित कर दिया था, जिसके बाद उसके परिजनों ने उनका अंगदान कर दिया था। इस ऑपरेशन के लिए लगे 35 लाख रुपए भी भारतीयों ने इकठ्ठा करके दिए थे, क्योंकि उनके पास ऑपरेशन के पैसे नहीं थे। आयशा को अब अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में आयशा का इलाज चेन्नई के अपस्ताल से 2019 से ही चल रहा था।

सियाचिन के करीब “नापाक” हरकत कर रहा चीन, भारत ने दिखाई सख्ती

#shaksgam_valley_is_part_of_india_says_mea_over_china_activities

चीन की नजर अपने पड़ोसी देशों की जमीन पर लगी रही है।ड्रैगन इन जमीनों को अवैध रूप से कब्जाने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी चालें टलता रहता है। अब चीन सियाचिन ग्लेशियर के करीब अवैध रूप से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के शक्सगाम घाटी में एक सड़क का निर्माण कर रहा है। हाल में सैटेलाइट इमेज में इसका खुलासा हुआ है। शक्सगाम घाटी में चीन द्वारा सड़क निर्माण किए जाने पर भारत सरकार ने सख्ती दिखाई है।

भारत ने सियाचिन के पास चीन की हरकतों को लेकर गुरुवार को दो टूक जवाब दिया।सियाचिन के पास चीनी गतिविधियों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, 'हम लोग शक्सगाम घाटी को अपना क्षेत्र मानते हैं. हमने 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान सीमा समझौते को कभी स्वीकार नहीं किया है, जिसके जरिए पाकिस्तान ने अवैध रूप से इस क्षेत्र को चीन को सौंपने की कोशिश की थी। हमने लगातार अपना विरोध जताया है।

जयसवाल ने आगे कहा, 'हमने जमीनी स्तर पर फैक्ट्स को बदलने की अवैध कोशिशों के खिलाफ चीनी पक्ष के साथ अपना विरोध दर्ज कराया है। हम अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी उपाय करने का अधिकार सुरक्षित रखते हैं।

बता दें कि शक्सगाम घाटी को पाकिस्तान ने 1963 में चीन को सौंप दिया था। यह पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर का हिस्सा है। यह चीन के झिंजियांग में राजमार्ग G219 के विस्तार से निकलती है और एक स्थान पर पहाड़ों में गायब हो जाती है।बीते दिनों कुछ सैटेलाइट इमेज सामने आई थीं, इसमें पता चला था कि चीन पीओके में सियाचीन ग्लेशियर के पास एक सड़क का निर्माण कर रहा है।यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा ली गई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है सड़क का मूल मार्ग का निर्माण पिछले साल जून और अगस्त के बीच किया गया था।चीनी सड़क अघिल दर्रे से होकर गुजरती है, जो 1947 से पहले तिब्बत के साथ भारत की सीमा के रूप में कार्य करती थी।

बता दें कि यह सड़क ट्रांस-काराकोरम ट्रैक्ट में स्थित है और यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से कश्मीर का हिस्सा है। भारत इस पर लगातार दावा करता रहा है। भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त कर दिया है। उसके बाद केंद्र सरकार आधिकारिक मानचित्र जारी किया गया था। उसमें इस क्षेत्र को भारतीय क्षेत्र के रूप में दिखाया गया है।

राहुल गांधी के अमेठी छोड़कर रायबरेली सीट से लड़ने पर पीएम मोदी ने कसा तंज, बोले-'डरो मत, भागो मत'*
#pm_modiattacks_on_rahul_gandhi_and_mamata_banerjee

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 7 मई को तीसरे चरण में मतदान होने जा रहा है। इसके लिए चुनाव प्रचार तेज हो गया है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर पहुंचे। इस रैली में पीएम मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए बताया कि वह जनता की सेवा करने के लिए पैदा हुए हैं। इस रैली में पीएम मोदी ने राहुल गांधी के रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी डर के कारण रायबरेली भाग गए। पीएम मोदी ने कांग्रेस सांसद से कहा, 'डरो मत, भागो मत'। प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान-दुर्गापुर में एक चुनावी रैली में कहा कि पहले सोनिया गांधी डरकर राजस्थान चली गई, अब राहुल गांधी हार के डर से भागकर रायबरेली भाग गए। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैंने पहले ही ये भी बता दिया था कि शहजादे वायनाड में हार के डर से अपने लिए दूसरी सीट खोज रहे हैं। अब इन्हें अमेठी से भागकर रायबरेली सीट चुननी पड़ी है। ये लोग घूम-घूम कर सबको कहते हैं – डरो मत! मैं भी इन्हें यही कहूंगा – डरो मत! भागो मत! बता दें कि इस बार गांधी परिवार अमेठी सीट से चुनाव नहीं लड़ रहा है। रायबरेली सीट से सोनिया गांधी 2004 से लगातार जीतती रही हैं। रायबरेली में राहुल का मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह हैं। राहुल गांधी वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं, जहां दूसरे चरण में वोटिंग हुई थी। वायनाड में इस बार 2019 के मुकाबले वोटिंग का प्रतिशत कम रहा था। पिछले चुनाव में वहां करीब 72 प्रतिशत मतदान हुआ था, 2024 में 63.9 प्रतिशत वोटिंग हुई है। पीएम ने आगे कहा कि मैंने कल टीवी पर देखा कि यहां बंगाल में टीएमसी के एक विधायक ने सरेआम धमकी दी। वो कह रहे थे कि “हिंदुओं को 2 घंटे में भागीरथी में बहा देंगे”। बंगाल में टीएमसी की सरकार ने यहां हिंदुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाकर रख दिया है। ये कैसे लोग हैं कि जय श्रीराम के उदघोष से भी इन्हें आपत्ति है। इनको राम मंदिर के निर्माण से आपत्ति है, रामनवमी की शोभायात्रा से आपत्ति है। मैं टीएमसी सरकार से पूछना चाहता हूं कि यहां संदेशखाली में हमारी दलित बहनों के साथ इतना बड़ा अपराध हुआ। पूरा देश कार्रवाई की मांग करता रहा, लेकिन टीएमसी गुनहगार को बचाती रही। क्या सिर्फ इसलिए, क्योंकि उस गुनाहगार का नाम शाहजहां शेख था। इन वोट के भूखे लोगों की पहले 2 चरणों में लुटिया डूब चुकी है।अब ये खुलेआम एक नया खेल लेकर आए हैं। अब ये कहते हैं कि मोदी के खिलाफ वोट जिहाद करो। जिहाद क्या होता है, ये हमारे देश के लोग भली-भांति जानते हैं।
मेरे पिता को विरासत में संपत्ति नहीं शहादत मिली थी, ये मोदी नहीं समझेंगे..', पीएम पर प्रियंका गांधी का बड़ा हमला

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को अपनी मां से संपत्ति नहीं, बल्कि शहादत विरासत में मिली थी। वंशवादी राजनीति और विरासत टैक्स पर प्रधानमंत्री की टिप्पणियों की आलोचना करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि, "यह एक ऐसी भावना है जिसे नरेंद्र मोदी कभी नहीं समझ पाएंगे।" दरअसल, पीएम मोदी ने पिछले हफ्ते एक जनसभा में बताया था कि राजीव गांधी ने सत्ता में आने के बाद विरासत टैक्स को खत्म कर दिया था, ताकि उन्हें अपनी मां से विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स न लगे और पूरी संपत्ति उनके बच्चों को मिले। 

इस पर गुरुवार को, मध्य प्रदेश के मुरैना में एक रैली में बोलते हुए, प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि, "जब मोदी जी मंच पर खड़े होते हैं और मेरे पिता को गद्दार कहते हैं, जब वह कहते हैं कि उन्होंने अपनी मां से विरासत लेने के लिए कानून बदल दिया। वह यह नहीं समझेंगे कि मेरे पिता को विरासत में कोई संपत्ति नहीं मिली, उन्हें केवल शहादत के विचार मिले। प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "यह एक ऐसी भावना है जिसे मोदी जी कभी नहीं समझेंगे।" 

प्रियंका गांधी ने कहा कि, "19 साल की उम्र में, जब मैं अपने पिता के क्षत-विक्षत अवशेषों को घर लाइ, तो मैं इस देश से परेशान हो गई थी। मैंने सोचा, 'मैंने अपने पिता को भेजा था। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना आपका काम था। मैंने उन्हें आपकी देखभाल में रखी थी, लेकिन आपने मुझे उनके अवशेष राष्ट्रीय ध्वज में लपेटकर लौटा दिए।' उन्होंने कहा कि जब 2019 में पुलवामा में 40 सैनिक मारे गए, तो वह उत्तर प्रदेश में उनके कुछ परिवारों से मिलने गई थीं। वहां शहीदों के बच्चों ने उनसे कहा कि वे सेना में भर्ती होना चाहते हैं। प्रियंका ने कहा कि, "एक लड़की थी जिसका भाई वायु सेना में था। उसने कहा, 'दीदी मैं वायु सेना में शामिल होना चाहती हूं और पायलट बनना चाहती हूं। यह शहादत की भावना है। मोदी जी इसे कभी नहीं समझेंगे। मोदी जी इंदिरा जी जैसी शहीद के बारे में जो चाहें कहते हैं। उन्हें केवल वंशवाद की राजनीति दिखती है, उन्हें देशभक्ति, देश सेवा कभी नहीं दिखती। वह कभी इसे नहीं समझेंगे।" 

बता दें कि, पिछले हफ्ते मुरैना में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा था कि पहले कानून के अनुसार, मृत व्यक्ति की आधी संपत्ति सरकार के पास चली जाती थी। उन्होंने धन पुनर्वितरण और विरासत टैक्स के कांग्रेस के वादों पर हमला करते हुए कहा था कि, "तब ऐसी चर्चा थी कि इंदिरा जी ने अपनी संपत्ति अपने बेटे राजीव गांधी के नाम पर कर दी थी। इंदिरा जी की मृत्यु के बाद सरकार को मिलने वाले पैसे को बचाने के लिए, तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने विरासत कर को समाप्त कर दिया था।" उन्होंने कहा, संपत्ति शुल्क समाप्त करने से लाभ के बाद, कांग्रेस अब उसे को वापस लाना चाहती है।

दरअसल, ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने एक बयान में कहा था कि भारत में विरासत टैक्स लगना चाहिए, जिसमे इंसान के मरने के बाद उसकी 55 फीसद संपत्ति सरकार के पास चली जाती है और उसके बच्चों को बस 45 फीसद ही मिलता है। इसके बाद कांग्रेस पर सवाल उठने लगे थे, लोग कहने लगे थे कि ऐसे तो लोग अपनी संपत्ति उजागर ही नहीं करेंगे, छिपाने लगेंगे, इंसान अपने बाल-बच्चों के लिए जीवनभर कमाकर जमापूंजी बनाता है, उसे अगर सरकार छीन लेगी, तो वो क्यों ही बचाएगा ? या अगर बचाएगा भी तो उसे छिपा देगा, सरकार की नज़र में नहीं आने देगा, इससे काला बाज़ारी भी बढ़ेगी।

क्या भारत में कभी लगा था विरासत टैक्स ?

बता दें कि, 'विरासत कर' भारत के लिए नया नहीं है। यह 40 साल पहले तक प्रभावी था, जब 1985 में राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की संपत्ति को अपने पास ही रखने के लिए इस कानून को ख़त्म कर दिया था। पहले, संपत्ति शुल्क अधिनियम 1953 के तहत, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर विरासत कर 85% तक जा सकता था। दरें तय की गईं थीं, 20 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति पर 85% टैक्स लगाया गया था। हालाँकि, ये कानून मंशा के अनुरूप काम नहीं कर सका। नागरिकों को दो बार संपत्ति कर देना पड़ता था, एक बार अपने जीवनकाल के दौरान (जिसे 2016 में मोदी सरकार ने रोक दिया था) और फिर उनकी मृत्यु के बाद। इसके अतिरिक्त, इस कर के माध्यम से धन जुटाने की कांग्रेस की योजना सफल नहीं रही, क्योंकि बेनामी संपत्ति और संपत्ति छुपाने के मामले बढ़ गए। लोग टैक्स देने से बचने के लिए अपनी संपत्ति छुपाने लगे और काला धन बढ़ने लगा, जिससे गुंडागर्दी भी बढ़ी और रंगदारी भी। जिसने संपत्ति छुपाई है, उससे गुंडे खुलकर हफ्ता मांग सकते थे और वो पुलिस में शिकायत भी नहीं कर सकता था, वरना खुद फंसता।  

दिलचस्प बात यह है कि संपत्ति शुल्क अधिनियम को ठीक उसी समय निरस्त किया गया था, जब पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की संपत्ति उनके पोते-पोतियों को हस्तांतरित की जानी थी। राजीव गांधी सरकार ने इंदिरा गांधी की लगभग 21.5 लाख रुपये की संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों को हस्तांतरित करने से ठीक पहले अप्रैल 1985 में इस अधिनियम को समाप्त कर दिया। यह संपत्ति, जिसकी कीमत अब लगभग 4.2 करोड़ रुपये है, 2 मई 1985 को स्थानांतरित कर दी गई थी।

यूनाइटेड प्रेस इंटरनेशनल (UPI) की 2 मई, 1985 की रिपोर्ट के अनुसार, 1981 में हस्ताक्षरित इंदिरा गांधी की वसीयत में उनके बेटे राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांधी को वसीयत के निष्पादक के रूप में नामित किया गया था। हालाँकि, बाद में उन्होंने उन्हें हटा दिया और अपनी बहू मेनका गांधी के लिए कुछ नहीं छोड़ा। पूरी संपत्ति उनके तीन पोते-पोतियों के लिए छोड़ दी गई थी। वसीयत में महरौली में निर्माणाधीन एक फार्म और एक फार्महाउस शामिल है, जिसकी कीमत 98,000 डॉलर (आज के संदर्भ में 81,72,171 रुपये), इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई पुस्तकों के कॉपीराइट, साथ ही नकदी, स्टॉक और बांड लगभग 75,000 डॉलर के हैं। इंदिरा गांधी की प्राचीन वस्तुएं और निजी आभूषण, जिनकी कीमत लगभग 2500 डॉलर थी, प्रियंका गांधी के लिए छोड़ दिए गए।

ध्यान देने वाली बात यह है कि ऐसे समय में जब 20 लाख रुपये से अधिक की 85% संपत्ति सरकार के पास चली जाती थी, राजीव गांधी की सरकार के दौरान इस नियम को उलट दिया गया, जब उनके बच्चों को उनकी दादी की विरासत मिलनी थी। यानी, इंदिरा गांधी की संपत्ति पर वो कानून लागू नहीं हो सका, जो 40 सालों तक तमाम भारतीयों पर लागू होता रहा और उनकी सम्पत्तियाँ कब्जाई जाती रहीं।