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Apr 30 2024, 12:39

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना से "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्दों को हटाने की मांग की जनहित याचिका (PIL) को किया स्थगित, जाने

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना से "समाजवादी" (Socialist) और "धर्मनिरपेक्ष" (Secular) शब्दों को हटाने की मांग करने वाली जनहित याचिका (PIL) को स्थगित कर दिया। संक्षिप्त बहस के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने "बहुत अधिक मामले और दिन भर के भारी बोझ" का हवाला देते हुए मामले को जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया। दरअसल, भारत के संविधान में ये स्पष्ट है कि, इसकी प्रस्तावना में कभी भी कोई बदलाव नहीं किया जा सकता, लेकिन इंदिरा सरकार में इमरजेंसी के दौरान ये दो शब्द चुपचाप संविधान की प्रस्तावना में जोड़ दिए गए थे, जिस समय कई विपक्षी नेता, समेत पत्रकार भी जेल में थे। ये खबर ही काफी दिनों के बाद बाहर आई। 

विशेष रूप से, याचिकाएं भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर की गई हैं। जबकि राज्यसभा सांसद और CPI नेता बिनॉय विश्वम ने याचिका का विरोध करने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की दो जजों की बेंच कर रही है। आज की सुनवाई शुरू होते ही एक वकील ने कहा कि यह एक 'संवैधानिक प्रश्न' है। सुब्रमण्यम स्वामी को जवाब देते हुए जस्टिस खन्ना ने मामले को कोर्ट की गर्मियों की छुट्टियों के बाद यानी जुलाई तक के लिए टाल दिया। 

वकील ने सुप्रीम कोर्ट को सुझाव दिया कि पीठ सवाल पूछ सकती है ताकि याचिकाकर्ता रिकॉर्ड पर जवाब दे सकें। हालाँकि, न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि अदालत में "आज बहुत भारी बोर्ड" था और परिणामस्वरूप मामले को स्थगित कर दिया गया। अदालत की सुनवाई के बाद, मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक, विष्णु जैन ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “आज सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की, जिसमें मैंने भारत के संविधान की प्रस्तावना में आने वाले धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द को चुनौती दी है। अदालत ने मामले को जुलाई में सूचीबद्ध किया है।”

जनहित याचिकाओं ने सोशल मीडिया पर जोरदार चर्चा पैदा कर दी है और कई नेटिज़न्स इन याचिकाओं के पक्ष में वकालत कर रहे हैं, जिसमें बताया गया है कि 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द देश के 'काले अध्याय' आपातकाल के दौरान 42वें संवैधानिक संशोधन के माध्यम से जोड़े गए थे। इस बीच, फरवरी 2024 में आखिरी सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने सवाल उठाया था कि क्या संविधान को अपनाने (संविधान सभा द्वारा) की तारीख 26 नवंबर 1949 को बरकरार रखते हुए संविधान की प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, “शैक्षणिक उद्देश्य के लिए, क्या एक प्रस्तावना जिसमें तारीख का उल्लेख किया गया है, को अपनाने की तारीख में बदलाव किए बिना बदला जा सकता है। अन्यथा, हाँ प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है। इसमें कोई समस्या नहीं है।” शीर्ष अदालत की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वामी ने कहा, "इस मामले में बिल्कुल यही सवाल है।" न्यायमूर्ति दत्ता ने आगे कहा, “यह शायद एकमात्र प्रस्तावना है, जिसे मैंने देखा है जो एक तारीख के साथ आती है। हम यह संविधान हमें फलां तारीख को देते हैं, मूल रूप से ये दो शब्द (समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष) थे ही नहीं।'

विष्णु जैन ने दलील दी कि भारत के संविधान की प्रस्तावना एक निश्चित तारीख के साथ आती है, इसलिए इसमें बिना चर्चा के संशोधन नहीं किया जा सकता। स्वामी ने अपनी याचिका में कहा था कि आपातकाल के दौरान 1976 के 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से प्रस्तावना में डाले गए दो शब्द, 1973 में 13-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा प्रसिद्ध केशवानंद भारती फैसले में प्रतिपादित बुनियादी संरचना सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं, जिसके द्वारा संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति को संविधान की मूल विशेषताओं के साथ छेड़छाड़ करने से रोक दिया गया था।

सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि, “संविधान निर्माताओं ने विशेष रूप से इन दो शब्दों को संविधान में शामिल करने को खारिज कर दिया था और आरोप लगाया था कि ये दो शब्द नागरिकों पर तब भी थोपे गए थे, जब संविधान के निर्माताओं ने कभी भी लोकतांत्रिक शासन में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' अवधारणाओं को पेश करने का इरादा नहीं किया था।” यह तर्क दिया गया है कि इस तरह का सम्मिलन अनुच्छेद 368 के तहत संसद की संशोधन शक्ति से परे था।

राज्यसभा सांसद और सीपीआई नेता बिनॉय विश्वम ने भी उन याचिकाओं का विरोध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें दावा किया गया था कि 'धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद' संविधान की अंतर्निहित और बुनियादी विशेषताएं हैं। फरवरी में, अदालत ने सुनवाई 29 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी थी, लेकिन जैसे ही पीठ आज याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जुटी, उसने एक बार फिर मामले को जुलाई में अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया।

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Apr 30 2024, 12:04

पन्नू की हत्या की साजिश वाली वॉशिंगटन पोस्ट रिपोर्ट पर भड़का भारत, कहा-आरोप अनुचित और निराधार

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भारत ने अमेरिका में सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की कथित हत्या की साजिश पर ‘वाशिंगटन पोस्ट’ की एक रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।विदेश मंत्रालय ने इस दावे को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि इस पर अटकलें लगाना और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करना मददगार नहीं है। मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि ये एक गंभीर मामला है और आरोप निराधार हैं। दरअसल, अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट में दावा किया गया कि गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में भारत के रॉ ऑफिसर शामिल थे।

द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट क्या कहती है?

‘वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट में दावा किया गया कि अमेरिका में विक्रम यादव नामक रॉ अधिकारी पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल थे। इस कदम को भारतीय जासूसी एजेंसी के तत्कालीन प्रमुख सामंत गोयल ने मंजूरी दी थी। वाशिंगटन पोस्ट अखबार की एक खबर में कहा कि अमेरिका में विक्रम यादव नामक रॉ अधिकारी सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में शामिल थे और इस कदम को भारतीय जासूसी एजेंसी के तत्कालीन प्रमुख सामंत गोयल ने मंजूरी दी थी। विक्रम यादव की पहचान और संबद्धता पहले सामने नहीं आ पाई थी। यह खोजी रिपोर्ट आज तक का सबसे ठोस सबूत प्रदान करती है कि हत्या की साजिश भारतीय जासूसी एजेंसी ने रची थी जिसे अमेरिकी अधिकारियों ने नाकाम कर दिया। अखबार की खबर में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार ने यादव के खिलाफ कोई आरोप लगाने से परहेज किया है। अमेरिका में पन्नू को मारने की कथित साजिश पिछले साल जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून को हुई घातक गोलीबारी के साथ मेल खाती है। पश्चिमी देशों के अधिकारियों के अनुसार वह अभियान भी यादव से जुड़ा था।

भारत ने सुनाई खरी-खरी

वाशिंगटन पोस्ट द्वारा कथित तौर पर पन्नू को खत्म करने की साजिश रचने के लिए एक भारतीय अधिकारी का नाम बताए जाने के भारत ने भी अमेरिका को खरी-खरी सुनाया है। आरोप के एक दिन बाद भारत ने कहा कि रिपोर्ट में एक गंभीर मामले पर अनुचित और निराधार आरोप लगाए गए हैं। मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन रिपोर्ट्स को बेबुनियाद बताकर खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि 'रिपोर्ट में एक गंभीर मामले पर बेबुनियाद और अनुचित आरोप लगाए गए हैं। अमेरिकी सरकार ने संगठित अपराध, आतंकवाद और अन्य को लेकर जो सुरक्षा चिंताएं साझा की हैं, उनकी भारत सरकार द्वारा उच्च स्तरीय जांच की जा रही है।' जायसवाल ने कहा कि गैरजिम्मेदाराना और सिर्फ अनुमानों के आधार पर टिप्पणी करने से कोई मदद नहीं मिलेगी।

व्हाइट हाउस ने क्या कहा?*

इससे पहले ‘वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट पर व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव ज्यां-पियरे ने कहा, जांच की जा रही है और न्याय विभाग आपराधिक जांच कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत, अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और हम कई क्षेत्रों में अपने सहयोग को बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।

बता दें कि बीते साल नवंबर में अमेरिका के संघीय अभियोजक ने आरोप लगाए थे कि भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता ने भारत सरकार के एक कर्मचारी के साथ मिलकर सिख कट्टरपंथी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को अमेरिका में ही मारने की योजना बनाई थी। इस मामले में निखिल गुप्ता को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था। आरोपों को बाद भारत सरकार भी मामले की उच्च स्तरीय जांच कर रही है। बीते साल 7 दिसंबर को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा था कि अमेरिका से मिले इनपुट के आधार पर भारत ने इस मामले की जांच के लिए एक जांच समिति बनाई है क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अहम है।

गुरपतवंत सिंह पन्नून खालिस्तान आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक है। गुरपतवंत सिंह पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है। वह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) का कानूनी सलाहकार और प्रवक्ता है। एसएफजे का उद्देश्य एक अलग सिख राष्ट्र के विचार को बढ़ावा देना है। भारत सरकार ने पन्नू को आतंकवादी घोषित किया है।

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Apr 30 2024, 11:25

एस्ट्राजेनेका ने कोरोना वैक्सीन के दुष्प्रभाव की बात मानी, इस बीमारी का बढ़ सकता है खतरा

#astrazenecaadmitsthatitscoronavaccinecancauseside_effects

कोरोना महामारी से बचाव के लिए दुनियाभर के वैज्ञनिकों ने कई वैक्सीन की खोज की। जिसके बाद बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन भी हुआ। हालांकि, कई बार कोरोना वैक्सीन को लेकर सवाल भी उठते रहे हैं। इस बीच ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने माना है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ब्रिटेन की अदालत में पहली बार माना है कि कोविड-19 की उसकी वैक्सीन से टीटीएस जैसे दुर्लभ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। टीटीएस यानी थ्रोम्बोसइटोपेनिया सिंड्रोम शरीर में खून के थक्के जमने की वजह बनती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक, हृदयगति थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।  

कंपनी कोर्ट में एक मुकदमे का सामना कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उनके टीके के गंभीर दुष्प्रभाव हैं और इससे मौत का खतरा है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दो बच्चों के पिता एमी स्कॉट ने पिछले साल कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लेने के बाद उनके शरीर में खून का थक्का जम गया था, जिससे वह काम करने में असमर्थ हो गए थे। अप्रैल 2021 में टीका लगने के बाद उन्हें मस्तिष्क में स्थायी चोट लग गई थी। दिमाग में यह चोट खून का थक्का यानी ब्लड क्लॉट की वजह से हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय में इस तरह के 51 मामले दर्ज किए गए हैं। जिनमें पीड़ितों ने मुआवजे के रूप में एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।

भारत में इसी फॉर्मूले से कोवीशील्ड बनी

यह खबर भारत के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां कोविड-19 के प्रसार के दौरान बड़े पैमाने पर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की इसी वैक्सीन को कोविशील्ड के नाम से इस्तेमाल किया गया था। भारतीय कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एस्ट्राजेनेका से हासिल लाइसेंस के तहत देश में इस वैक्सीन का उत्पादन किया था और इसे सिर्फ भारत के कोविड टीकाकरण अभियान में ही नहीं इस्तेमाल किया गया था, बल्कि दुनिया के कई देशों को निर्यात किया गया। कोविशील्ड के अलावा इस वैक्सीन को कई देशों में वैक्सजेवरिया ब्रांड नाम से भी बेचा गया था।

टीटीएस कौन सी बीमारी है

फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में वैक्सीन विकसित की है। ब्रिटेन के हाईकोर्ट में पेश दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका ने साइड इफेक्ट्स की बात कबूल की है। हालांकि, वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को स्वीकार करने के बाद भी कंपनी इससे होने वाली बीमारियों या बुरे प्रभावों के दावों का विरोध कर रही है। अब सवाल उठता है कि टीटीएस यानी थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम क्या है। टीटीएस शरीर में खून में थक्के जमने यानी ब्लड क्लॉट की वजह बन रही है, जिसकी वजह से ब्रेन स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट जैसे जानलेवा खतरे बढ़ते हैं। इसके अलावा इस सिंड्रोम की वजह से प्लेटलेट्स काउंट भी गिर सकता है।

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के लक्षण

• हार्ट अटैक के लक्षण

• नाक, मसूड़ों या महिलाओं में पीरियड के दौरान ज्यादा खून आना

• यूरीन में ब्लड आना

• स्किन पर बैंगनी-लाल रंग के दाने होना, जिसे पेटीचिया भी कहते हैं

 

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया का इलाज

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कई दिनों या सालों तक रह सकता है। इस बीमारी की गंभीरता के आधार पर इसका इलाज होता है। अगर यह समस्या किसी दवा या वैक्सीन से हुआ है तो डॉक्टर जांच के आधार पर इलाज करते हैं। जब प्लेटलेट का लेवल काफी कम हो जाता है, तब डॉक्टर खोए ब्लड को पैक्ड लाल रक्त कोशिकाओं या प्लेटलेट्स के बदल सकते हैं। अगर मरीज की कंडीशन इम्यून सिस्टम की समस्या से जु़ड़ी है तो डॉक्टर प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए दवाईयां लिख सकते हैं।

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Apr 30 2024, 10:34

भारत सुपरपावर बन रहा और हम भीख मांग रहे... पाकिस्तानी संसद में फूटा विपक्षी नेता का गुस्सा, शहबाज सरकार को सुनाई खरी-खरी

#pakistan_lawmaker_maulana_fazal_ur_rehman_praises_india

आज भारत दुनिया के शक्तिशाली देशों में गिना जाने लगा है। हाल के सालों में भारत ने हर क्षेत्र में तरक्की की है। जिसका लोहा अमेरिकी-रूस जैसे देश भी मानने लगे हैं।यहां तक की पाकिस्तान भी जितना भारत का विरोध कर ले, लेकिन एक बात वो भी मानने लगे हैं कि हिंदुस्तान बहुत आगे निकल गया है। इस बीच पाकिस्तान के शीर्ष नेता और जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने अपने ही देश के सरकार को आईना दिखाने की कोशिश की है।

पाकिस्तान के प्रमुख दक्षिणपंथी इस्लामी नेता मौलाना फजलुर रहमान सोमवार को अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थन में सामने आए और कहा कि विपक्षी दल को रैलियां आयोजित करने और यहां तक कि सरकार बनाने का भी अधिकार है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के अपने गुट के प्रमुख रहमान ने पाकिस्तानी नेशनल असेंबली में सोमवार को जोरदार भाषण दिया और कथित तौर पर राजनीतिक व्यवस्था में हेराफेरी यानी चुनाव में धांधली करने के लिए शक्तिशाली प्रतिष्ठान की आलोचना की।

उन्होंने कहा, रैली करना पीटीआई का अधिकार है। हमने 2018 के चुनाव पर भी आपत्ति जताई थी और हमें इस (8 फरवरी के चुनाव) पर भी आपत्ति है। अगर 2018 के चुनाव में धांधली हुई थी, तो मौजूदा चुनाव में धांधली क्यों नहीं हुई? बता दें कि पीटीआई नेता असद कैसर ने रैली आयोजित करने के लिए पार्टी के अधिकार की मांग की थी। रहमान ने अपने भाषण में कहा कि असद कैसर की मांग सही है और रैली आयोजित करना पीटीआई का अधिकार है।

अपने भाषण के दौरान उन्होंने भारत के साथ समानताएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा, जरा भारत और हमारी तुलना करें… दोनों देशों को एक ही दिन आजादी मिली थी, लेकिन आज वे (भारत) महाशक्ति बनने का सपना देख रहे हैं और हम दिवालिया होने से बचने के लिए भीख मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि फैसले कोई और लेता है लेकिन समस्याओं के लिए राजनेताओं को जिम्मेदार ठहराया जाता है।

रहमान ने इस्लामिक सिद्धांतों को बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी (सीआईआई) की सिफारिशों को लागू करने में विफलता पर भी अफसोस जताया। मौलाना फजल उर रहमान ने कहा कि हमें देश इस्लाम के नाम पर मिला था, लेकिन आज हम एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बन गए हैं. 1973 के बाद से सीआईआई की एक भी सिफ़ारिश लागू नहीं की गई है। हम एक इस्लामिक देश कैसे हो सकते हैं। सीसीआई एक संवैधानिक निकाय है जिसे कानूनों के इस्लामीकरण में मदद करने के लिए स्थापित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान दिवालिया होने से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भीख मांग रहा है।

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Apr 30 2024, 10:07

भाजपा, कांग्रेस ने चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देने के लिए माँगा और समय



भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन के बारे में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को दिए गए नोटिस का जवाब देने के लिए एक और सप्ताह का समय मांगा। इसी तरह, कांग्रेस ने शुरू में सोमवार शाम 5 बजे तक का समय मांगा था,लेकिन अब मल्लिकार्जुन खड़गे ने नोटिस का जवाब देने के लिए 14 दिन का और समय मांगा है। नोटिस का जवाब देने की समय सीमा 29 अप्रैल सुबह 11 बजे थी। 25 अप्रैल को, ईसीआई ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) के उल्लंघन की शिकायतों पर जवाब मांगने के लिए नोटिस जारी किया। यह रेखांकित करते हुए कि स्टार प्रचारकों के अभियान भाषणों को "अनुपालन की उच्च सीमा पर" आंकने की आवश्यकता है। 

ये नोटिस रविवार को राजस्थान में एक चुनावी रैली में मोदी की टिप्पणियों के बाद आए हैं, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस का इरादा सार्वजनिक धन को मुसलमानों में फिर से वितरित करने का है। विपक्षी नेताओं ने टिप्पणियों को लेकर मोदी पर निशाना साधा। खड़गे ने टिप्पणियों को "घृणास्पद भाषण" कहा, और कहा कि मोदी ने "राजनीतिक प्रवचन की गरिमा को कम किया है"।

भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा को दिए गए नोटिस में, ईसीआई ने कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन या सीपीआई (एमएल) के प्रतिनिधित्व का हवाला दिया। नोटिस में कहा गया है, "राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के रूप में नड्डा को यह निर्देश दिया जाता है कि वे अपने सभी स्टार प्रचारकों को राजनीतिक चर्चा के उच्च मानक स्थापित करने और एमसीसी के प्रावधानों का अक्षरश: पालन करने के लिए प्रेरित करें।" खड़गे ने भाजपा की शिकायत का हवाला दिया और केरल में राहुल गांधी के 18 अप्रैल के भाषण के खिलाफ शिकायत पर प्रतिक्रिया मांगी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मोदी "एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म" के विचार की वकालत करते हुए भाषण दे रहे थे।

 भाजपा ने गांधी पर मोदी के खिलाफ "अपमानजनक और अप्रिय बयान" देने का आरोप लगाया। नोटिस में, चुनाव निकाय ने यह भी रेखांकित किया कि स्टार प्रचारकों से अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करके उच्च गुणवत्ता वाले प्रवचन में योगदान करने की उम्मीद की गई थी, जो कभी-कभी विकृत हो जाता है। "इस प्रकार, जब स्थानीय अभियान की तीव्रता बाधित होती है या अनजाने में ऐसी सीमाओं को पार कर जाती है, तो स्टार प्रचारकों से सुधारात्मक कार्रवाई या एक प्रकार का उपचारात्मक स्पर्श प्रदान करने की अपेक्षा की जाती है।"

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Apr 29 2024, 21:46

गुजरात तट से जब्त हुए पाकिस्तान से तस्करी कर लाई गई 173 किलोग्राम हशीश, 5 गिरफ्तार

 सोमवार को भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) ने गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के साथ मिलकर पोरबंदर तट के पास अरब सागर में एक भारतीय नाव में पाकिस्तान से तस्करी कर लाई गई ₹60 करोड़ कीमत की 173 किलोग्राम हशीश जब्त की और पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया।

 गुजरात एटीएस दस्ते को सूचना मिली कि मुंबई और महाराष्ट्र के भीड के तीन व्यक्ति, कैलाश वाजीनाथ सनप, दत्ता सखाराम और मंगेश तुक्काराम उर्फ साहू, एक भारतीय मछली पकड़ने वाली नाव का उपयोग करके समुद्री मार्ग से नशीले पदार्थों की तस्करी करने का प्रयास कर रहे थे। भारतीय तट रक्षक और गुजरात एटीएस की संयुक्त टीम ने पोरबंदर से एक ऑपरेशन शुरू किया और 28 अप्रैल को नाव को रोक लिया, जिसमें हशीश के 173 पैकेट (173 किलोग्राम वजन) बरामद हुए। 

आगे की जांच में पाकिस्तानी ड्रग सिंडिकेट के साथ उनके संबंधों का पता चला। अधिकारियों ने आगे कहा कि आरोपियों ने एक स्थानीय नाव किराए पर ली थी और पसनी, पाकिस्तान के पूर्व निर्धारित स्थान पर गए थे, जहां उन्हें प्रतिबंधित सामग्री मिली थी। भारतीय जल क्षेत्र में लौटने पर उन्हें पकड़ लिया गया और जब्त की गई दवाएं अधिकारियों को सौंप दी गईं। “नाव की तलाशी में मंगेश तुक्काराम उर्फ साहू और हरिदास रामनाथ कुलल उर्फ पुरी के कब्जे से हशीश के 173 पैकेट बरामद हुए। इस बीच, तकनीकी निगरानी के आधार पर, गुजरात एटीएस टीम ने पुणे, महाराष्ट्र से कैलाश वजीनाथ सनप, द्वारका से दत्ता सखाराम और कच्छ के मंधवी से अली असगर हेलपोत्रा ​​उर्फ आरिफ बिदाना को हिरासत में लिया। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि ये व्यक्ति पाकिस्तान स्थित ड्रग सिंडिकेट के संपर्क में थे, ”अधिकारी ने कहा।

नवीनतम जब्ती भारतीय सुरक्षा द्वारा गुजरात तट से 14 पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार करने और उनके कब्जे से लगभग ₹600 करोड़ मूल्य की 86 किलोग्राम प्रतिबंधित दवाएं जब्त करने के एक दिन बाद हुई है। कुछ दिन पहले, 26 अप्रैल को, गुजरात एटीएस और नारकोटिक्स कंट्रोल ने ब्यूरो (एनसीबी) ने एक संयुक्त अभियान चलाया, जिसमें कथित तौर पर ₹230 करोड़ मूल्य का मेफेड्रोन रखने के आरोप में गुजरात और राजस्थान से 13 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था।

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Apr 29 2024, 19:56

मुस्लिम सबसे ज्यादा कंडोम इस्तेमाल करते हैं', पीएम मोदी के 'ज्यादा बच्चे' वाले बयान पर ओवैसी का पलटवार

#muslimsusecondomsthemostowaisicountertopm_modi

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दो चरणों का मतदान समाप्त हो चुका है और 5 चरणों का चुनाव बाकी है। सभी राजनीतिक दलों के दिग्गज नेता लगातार चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी बयानबाजियां चरम पर हैं। इस चुनाव में अगर किसी के बयान की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, तो वो है पीएम मोदी की।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'संपत्ति बांटने' वाले बयान पर राजनीतिक संग्राम छिड़ा हुआ है। पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस 'देश की संपत्ति उन लोगों को बांटना चाहती है जिनके ज्यादा बच्चे हैं। कांग्रेस समेत तमाम दलों ने इसे सीधे मुस्लिमों पर हमला बताया है। इस बीच ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी के बयान पर पलटवार किया है।उन्होंने कहा, पीएम कहते हैं कि मुसलमान अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं। सच तो ये है कि मुसलमानों में प्रजनन दर गिरी है। भारत में मुस्लिम पुरुष सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं।

पीएम मोदी देश में मुसलमानों को लेकर नफरत फैला रहे-ओवैसी

हैदराबाद में एक चुनावी सभा में असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि बीते दिनों पीएम मोदी ने देश के मुसलमानों को घुसपैठिया कहा था। घुसपैठिया वो होता है जो बाहर के देश से बिना इजाजत घुस आए। यकीनन हमारा मजहब अलग है, मगर हम हैं तो इसी देश के निवासी। ये देश हमारा भी है।पीएम मोदी देश में मुसलमानों को लेकर नफरत फैला रहे हैं। पीएम कहते हैं कि मुसलमान अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं. सच तो ये है कि मुसलमानों में प्रजनन दर गिरी है। इतना ही नहीं भारत में मुस्लिम पुरुष सबसे ज्यादा कंडोम का इस्तेमाल करते हैं। ये मैं नहीं, सरकार की रिपोर्ट कहती है।

देश में हमेशा हिंदू ही बहुसंख्यक रहेंगे- ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि ये बात बिल्कुल झूठ है कि मुस्लिम इस देश में ज्यादा हो जाएंगे। इस बात को जानबूझकर हिंदुओं को डराने के लिए फैलाया जाता है। ओवैसी ने कहा कि इस देश में हमेशा हिंदू समुदाय के लोग ही बहुसंख्यक रहेंगे। ओवैसी ने पीएम मोदी पर दलितों और मुसलमानों के प्रति दुश्मनी भड़काने के लिए झूठ फैलाने का आरोप लगाया।

क्या है पीएम मोदी का बयान?

बता दें कि पीएम मोदी ने राजस्थान की एक चुनावी रैली में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बयान दिया था। बांसवाड़ा में मोदी ने कहा था, ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है कि वो मां-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे और फिर उसे बांट देंगे और उनको बांटेंगे जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। पीएम ने कहा, अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो लोगों की संपत्ति मुसलमानों में बांट देगी। ये शहरी-नक्सली मानसिकता माताओं-बहनों के मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेगी।

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Apr 29 2024, 19:07

ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में बड़ा आदेश

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पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती को रद्द करने के मामले में ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने भर्ती को रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर रोक नहीं लगाई है। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने उस फैसले पर रोक लगाई है, जिसमें उच्च न्यायालय ने शिक्षक भर्ती घोटाले में पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए सीबीआई को निर्देश दिया था। कोर्ट ने पूछा है कि क्या 25 हजार नियुक्तियों में से सही तरीके से किए गए टीचर्स के अपॉइंटमेंट को अलग किया जा सकता है?सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 6 मई को करेगा।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई की। पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी, जिसमें उच्च न्यायालय ने राज्य संचालित और राज्य सहायता प्राप्त स्कूलों में स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) द्वारा की गई 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य कर दिया था। पीठ अब इस मामले की सुनवाई छह मई को करेगी।

हालांकि, सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि हम कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगाते हैं, जिसमें सीबीआई को राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए गए थे। 

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सभी नियुक्तियों को खारिज कर दिया गया है, जबकि सीबीआई को अब तक जांच में सिर्फ 8000 नियुक्तियों में खामियां मिली हैं। स्कूल सर्विस कमीशन ने भी कहा कि जो नियुक्तियां सही तरह से हो सकती थीं, उन्हें अलग किया जा सकता था।

बताते चलें कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य में 2016 में हुई शिक्षक भर्ती रद्द कर दी थी। इतना ही नहीं अवैध नियुक्ति के जरिए टीचिंग कर रहे शिक्षकों से सैलरी लौटाने के लिए भी कहा। ये भर्तियां कर्मचारी चयन आयोग (SSC) द्वारा अलग-अलग ग्रुप के लिए हुई थीं। हाईकोर्ट ने 2016 का पूरा जॉब पैनल रद्द कर दिया था। पैनल पर 5 से 15 लाख रुपये की घूस लेने का आरोप है। इस मामले में टीएमसी के कई विधायक, नेता और शिक्षा विभाग के कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी पर भी गाज गिरी थी. उन्हें भी गिरफ्तार किया जा चुका है। जांच में चटर्जी के सहयोगियों के पास से करोड़ों रुपये बरामद किए गए थे।

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Apr 29 2024, 17:23

गृह मंत्री अमित शाह का फेक वीडियो पोस्ट करना तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी को पड़ा महंगा, दिल्ली पुलिस ने भेजा नोटिस

डेस्क: गृह मंत्री अमित शाह का फेक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली पुलिस ने उन्हें नोटिस भेजा है और एक मई को पूछताछ के लिए बुलाया है। दिल्ली पुलिस ने रेड्डी को फोन भी साथ लाने के लिए कहा है। बता दें कि रेवंत रेड्डी तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं और तेलंगाना कांग्रेस पर शाह का एडिटेड और फेक वीडियो पोस्ट करने का आरोप है।

असम में एक शख्स गिरफ्तार

असम पुलिस ने अमित शाह से जुड़े फर्जी वीडियो के मामले में रीतम सिंह नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लिया है। असम के सीएम ने एक्स हैंडल पर पोस्ट कर ये जानकारी दी है।

रविवार को हुई थी इस मामले में एफआईआर

दरअसल गृह मंत्री अमित शाह का आरक्षण को लेकर एक फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। इस मामले में रविवार को बड़ा एक्शन लिया गया था और एफआईआर दर्ज की गई थी। ये एफआईआर गृह मंत्री अमित शाह का फर्जी वीडियो फैलाने वाले लोगों के खिलाफ की गई थी। इस फर्जी वीडियो को लेकर ये भ्रम फैलाया जा रहा था कि अमित शाह ने एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण हटाने की बात कही। जबकि वास्तविकता में उन्होंने ऐसा नहीं कहा था।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल गृह मंत्री अमित शाह का एक एडिटेड वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा था, जिसमें शाह को ये प्रिजेंट करते हुए दिखाया जा रहा था कि उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी की सरकार बनेगी तो वह अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और पिछड़ा वर्ग के 'असंवैधानिक आरक्षण' को खत्म कर देगी।

जबकि वास्तविकता ये है कि ये एक फर्जी और एडिटेड वीडियो है। शाह ने ऐसा कुछ नहीं कहा। बल्कि अमित शाह कह रहे थे कि अगर बीजेपी सरकार बनी तो हम असंवैधानिक मुस्लिम आरक्षण को खत्म कर देंगे। अमित शाह को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि तेलंगाना के एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय इस अवसर के हकदार हैं और मुस्लिम आरक्षण समाप्त करके उन्हें यह आरक्षण दिया जाएगा। 

कई यूट्यूब चैनल्स पर भी ये वीडियो पड़े हैं, जिसमें साफ तौर पर अमित शाह मुस्लिम आरक्षण को खत्म करने की बात कह रहे हैं। उन्होंने एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को हटाने की कोई बात नहीं की। यानी ये बात साफ है कि अमित शाह की जो वीडियो क्लिप वायरल हो रही है, वो पुरानी है और उसे एडिट करके वायरल किया गया। यह दावा झूठा है कि अमित शाह ने एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण कोटा खत्म करने का आह्वान किया।

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Apr 29 2024, 16:38

मोदी मेरी एक शादी तुड़वाने के लिए जिम्मेदार”, 4 शादियां कर चुके पाकिस्तानी मौलवी का अजीबोगरीब बयान

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पाकिस्तान के इस्लामिक स्कॉलर तारिक मसूद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वह अपनी शादी न हो पाने के लिए भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पाकिस्तानी मौलवी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की वजह से भारत में अपने परिवार के वीज़ा आवेदन को अस्वीकार करने के कारण एक भारतीय महिला के साथ शादी नहीं हो पाई। ये अलग बात है कि तारिक मसूद ने अब तक 4 शादियां की है।

पाकिस्तानी मौलवी ने अपनी एक शादी न होने के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराया है। वायरल हो रहे वीडियो में तारिक ने कहा कि मेरी भी एक शादी होने वाली थी, लेकिन फिर से मोदी साहब की हुकूमत आ गई, जिसकी वजह से उन्हें वीजा नहीं मिला। उन्होंने कहा यह पुरानी बात है, जब मोदी की सरकार नई-नई आई थी। उन्होंने कहा हमने सोचा था साल 2019 में फिर इलेक्शन होगा उसके बाद देखेंगे, लेकिन मोदी फिर जीत गए। मोदी ही मेरी एक शादी तुड़वाने के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा 'अब 10 साल कौन इंतजार करे, पता चले मोदी फिर सत्ता में आ गए तो क्या होगा। हम इतना लंबा इंतजार करते नहीं, हम ऐसी शादी करते हैं कि फौरन विदाई हो।

पाकिस्तानी मौलवी से जुड़े बयान वाले वीडियो को एक्स पर मेघा अपडेट नाम के अकाउंट से पोस्ट किया गया है। इस वीडियो को अब तक 5 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा है।