दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद लवली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दूसरे दल में शामिल होने पर दिया जवाब

डेस्क: कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने रविवार को दिल्ली के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रमुख पद से इस्तीफा दिया है और किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो रहे हैं। लवली ने यह स्पष्टीकरण तब दिया, जब कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान ने दावा किया कि भाजपा पूर्वी दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से हर्ष मल्होत्रा की जगह लवली को मैदान में उतारेगी। 

आप से गठबंधन का किया जिक्र

लवली ने अपने आवास पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘‘मैंने केवल दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया है और मैं किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं हो रहा हूं।’’ उन्होंने कहा कि उनका इस्तीफा इस बात से दुखी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के दर्द को जाहिर करता है कि ‘‘पिछले सात से आठ वर्ष के दौरान वे जिन आदर्शों के लिए लड़ रहे थे’’ उनसे समझौता किया जा रहा है। 

लवली ने लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि ‘‘हम साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कभी नहीं कहा कि हम उन्हें ‘क्लीन चिट’ दे रहे हैं या स्कूल और अस्पताल बनाने का श्रेय दे रहे हैं, जो वास्तविकता से कोसों दूर है।’’ 

गठबंधन के खिलाफ थी दिल्ली इकाई

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को झटका देते हुए लवली ने ‘आप’ के साथ गठबंधन को एक कारण बताते हुए पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की दिल्ली इकाई गठबंधन के खिलाफ थी, लेकिन पार्टी आलाकमान इसके साथ आगे बढ़ा। लवली ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजे अपने इस्तीफे में कहा है कि ‘‘दिल्ली कांग्रेस इकाई ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन के खिलाफ थी जो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर बनी (उस पार्टी के) आधे कैबिनेट मंत्री अभी भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में हैं।’’ 

उन्होंने कहा कि ‘‘इसके बावजूद, पार्टी (कांग्रेस) ने दिल्ली में ‘आप’ से गठबंधन करने का फैसला लिया। हमने पार्टी के निर्णय का सम्मान किया, मैं सुभाष चोपड़ा और संदीप दीक्षित के साथ केजरीवाल की गिरफ्तारी वाली रात को उनके आवास पर भी गया, जबकि यह इस मामले में मेरे पद के खिलाफ था।’’

कर्नाटक की राजनीति में भूचाल,पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते और हसन लोकसभा सीट से जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना कथित सेक्स स्कैंडल में

लोकसभा चुनाव के बीच कर्नाटक की राजनीति में भूचाल आ गया है। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पोते और हसन लोकसभा सीट से जेडीएस सांसद प्रज्वल रेवन्ना कथित सेक्स स्कैंडल में फंस गए हैं। कर्नाटक सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। इस बीच, प्रज्वल ने देश छोड़ दिया है और वह जर्मनी के फ्रैंकफर्ट चले गए हैं। 26 अप्रैल को हुए कर्नाटक के पहले फेज के मतदान से दो दिन पहले ही सोशल मीडिया पर कई वीडियोज वायरल हुए। वहीं, हसन सांसद ने भी एफआईआर दर्ज करवाते हुए कहा है कि वीडियोज में छेड़छाड़ की गई है और उनकी छवि खराब करने और वोटर्स के दिमाग में जहर भरने के लिए उसे प्रसारित किया जा रहा है। 

इंटरनेट पर वीडियोज वायरल होने के बाद राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने सिद्धारमैया से एसआईटी जांच करवाने का अनुरोध किया था। जांच का आदेश देते हुए मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "प्रज्वल रेवन्ना के अश्लील वीडियो मामले में सरकार ने एक एसआईटी बनाने का फैसला किया है। हसन जिले में अश्लील वीडियो क्लिप प्रसारित हो रहे हैं, जहां ऐसा प्रतीत होता है कि महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया है।" कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि महिला आयोग ने इस संबंध में मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृह मंत्री को भी पत्र लिखा है।

इस दौरान, कांग्रेस जेडीएस पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस की महिला यूनिट की सदस्यों ने सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ रविवार को विरोध प्रदर्शन किया और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की। 33 वर्षीय जेडीएस सांसद के खिलाफ नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने उनके पोस्टर जलाए और मामले की गहन जांच की मांग की। रेवन्ना हसन लोकसभा क्षेत्र से एनडीए के उम्मीदवार थे, जहां 26 अप्रैल को मतदान हुआ था। हाल के दिनों में कई महिलाओं के साथ कथित तौर पर उनके कई सेक्स वीडियो वायरल हो रहे हैं। उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक कांग्रेस नेता ने कहा, "उन्हें (प्रज्वल रेवन्ना) कड़ी सजा दी जानी चाहिए और उन्होंने इन महिलाओं के साथ जो किया है उसके लिए उन्हें फांसी दी जानी चाहिए। इससे पूरे कर्नाटक राज्य का सम्मान कम हुआ है।"

'अन्य नेताओं को भी देना चाहिए जवाब'

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा है कि यौन उत्पीड़न के आरोप सिर्फ कुछ हसन के नेताओं पर ही नहीं हैं। प्रधानमंत्री, विजयेंद्र, शोबक्का, अशोक, कुमारन्ना और अश्वथ नारायण को भी लोगों को जवाब देना चाहिए। आयोग ने सीएम और गृह मंत्री को एक पत्र लिखा है। मीडिया को इस पर प्रकाश डालना होगा और लोगों को इस पर चुप्पी साधे बिना बताना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार अगले कदम पर विचार करेगी। वहीं, जनता दल (सेक्युलर) नेता और पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी द्वारा मामले में शामिल होने के लगाए गए अप्रत्यक्ष आरोप पर शिवकुमार ने कहा, "उन्हें मेरा नाम सामने लाने दीजिए। मैं उन्हें बेनकाब कर दूंगा। क्या वह इस तरह की बात करके महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न को उचित ठहरा रहे हैं?" उन्होंने आगे कहा, "मुझे तब नहीं पता था कि कुमारस्वामी द्वारा प्रदर्शित पेन ड्राइव में क्या था। अब मुझे पता है कि उसमें क्या है। अब यह स्पष्ट है। मीडिया को कुमारस्वामी से पूछना चाहिए कि अब जब हसन नेताओं पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं तो पेन ड्राइव में क्या है।" 

अश्लील वीडियो मामले से बीजेपी ने बनाई दूरी

बीजेपी ने प्रज्वल रेवन्ना मामले से दूरी बना ली है। राज्य में बीजेपी और जेडीएस का लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन है। कांग्रेस सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए एसआईटी के गठन की घोषणा के एक दिन बाद, बीजेपी की राज्य यूनिट के मुख्य प्रवक्ता एस प्रकाश ने कहा, "एक पार्टी के रूप में हमें वीडियो से कोई लेना-देना नहीं है और न ही हमें प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े कथित सेक्स स्कैंडल की राज्य सरकार द्वारा घोषित एसआईटी जांच पर कोई टिप्पणी करनी है।" बीजेपी के एक अन्य प्रवक्ता डॉ. नरेंद्र रंगप्पा से जब अश्लील वीडियो पर उनकी राय मांगी गई तो उन्होंने बस इतना कहा, "कोई टिप्पणी नहीं करनी।'' बीजेपी के सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने कथित सेक्स टेप मामले पर आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं देने का फैसला किया है क्योंकि राज्य में उसके कई वरिष्ठ नेता इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। बीजेपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी का कथित सेक्स टेप से कोई लेना-देना नहीं है और वह इस समय कोई प्रतिक्रिया नहीं देगी, क्योंकि उसने ऐसे मामले से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है जो 'शर्मिंदगी' के रूप में सामने आया है।

क्या आरक्षण का विरोध करता है RSS? मोहन भागवत ने हैदराबाद में कही ये बात

डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर आरक्षण को लेकर लगातार आरोप लगते रहे हैं। इस बीच एक बार फिर विपक्ष आरक्षण के मुद्दे को लेकर आरएसएस पर निशाना साधा है। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने आरक्षण को लेकर कहा है कि आरएसएस-भाजपा आरक्षण का विरोध करते हैं। वहीं उनके इस बयान का आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हैदराबाद में ही आकर दिया है। विपक्ष के हमले के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि संगठन ने हमेशा संविधान के अनुसार आरक्षण का समर्थन किया है। 

वीडियो में किया गया झूठा दावा

बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हैदराबाद में एक शैक्षणिक संस्थान में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वीडियो में झूठा दावा किया गया है कि आरएसएस आरक्षण का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि जब से आरक्षण अस्तित्व में आया है, संघ ने संविधान के अनुसार आरक्षण का पूरी तरह समर्थन किया है। आरक्षण को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच छिड़े बयानबाजी के बाद मोहन भागवत ने यह टिप्पणी की है। 

कांग्रेस और भाजपा में चल रही बयानबाजी

बता दें कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शनिवार को आरोप लगाया था कि आरएसएस-भाजपा आरक्षण का विरोध करते हैं। दरअसल, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले साल नागपुर में कहा था कि जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि भेदभाव समाज में व्याप्त है, भले ही यह दिखायी नहीं देता हो। 

इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी आरक्षण को लेकर जमकर बयानबाजी हो रही है। एक तरफ जहां विपक्ष का कहना है कि सरकार बनने के बाद एनडीए आरक्षण को समाप्त कर देगी और संविधान को बदल देगी। वहीं बीजेपी के नेता और खुद पीएम मोदी जनसभाओं में कहते नजर आ रहे हैं कि खुद बाबा साहब भी संविधान को नहीं बदल सकते।

*दिल्ली के CM केजरीवाल से मिलेंगे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, तिहाड़ जेल में इस दिन होगी मुलाकात*

डेस्क: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान तिहाड़ जेल में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात करेंगे। ये मुलाकात 30 अप्रैल को होगी। मुलाकात का समय दोपहर में बताया जा रहा है। ये दूसरी बार है, जब सीएम केजरीवाल से भगवंत मान मुलाकात करेंगे। पहले हुई मुलाकात में क्या बोले थे मान? दिल्ली शराब घोटाला मामले में अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। इससे पहले जब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, सीएम केजरीवाल से मुलाकात करने के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल पहुंचे थे तो अरविंद केजरीवाल को अपराधियों की वेशभूषा में भगवंत मान से मिलने दिया गया था। दोनों की मुलाकात के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। केजरीवाल से मिलकर जेल से बाहर आते वक्त भगवंत मान ने मीडिया से बात की थी और कहा था कि अरविंद केजरीवाल के साथ ऐसा सलूक किया जा रहा है, जैसे मानों वो कोई जघन्य अपराधी हों। हम दोनों की मुलाकात के दौरान बीच में शीशे की दीवार लगाई गई थी। भगवंत मान ने क्या बयान दिया था? अरविंद केजरीवाल से मिलकर बाहर आने के बाद भगवंत मान ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि मैंने 12 से 12.30 बजे तक उनसे मुलाकात की। जैसे ही वहां कुर्सी पर मुलाकात करने के लिए मैं बैठा, मुझे देखकर दुख हुआ कि उनके साथ खतरनाक अपराधियों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल का कसूर आखिर क्या है। क्या उन्होंने दिल्ली में अस्पताल बना दिए, उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक बना दिए, स्कूल बना दिए या बिजली फ्री कर दिए, क्या यही कसूर है उनका। आप उनके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, जैसे कि कोई बहुत बड़ा आतंकवादी पकड़ लिया है।
सीएम केजरीवाल के जेल में रहने तक टल सकता है दिल्ली मेयर का चुनाव, जानिए क्या है वजह?

डेस्क: दिल्ली शराब घोटाला केस में फंसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल में बंद हैं और उनके जेल में रहने तक दिलली में मेयर का चुनाव टल सकता है। इसकी वजह ये सामने आ रही है कि पीठासीन अधिकारी नामित करने का अधिकार भले ही उपराज्यपाल के पास है, लेकिन मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी किसे नामित करना है, इसके लिए सीएम का सुझाव जरूरी है।

उप-राज्यपाल सक्सेना ने कहा कि सीएमओ से मिली जानकारी के मुताबिक कार्यालय पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति वाली फाइल मुख्यमंत्री तक भेजने और उनसे संवाद करने में असमर्थ है। इधर, निगम सचिव कार्यालय ने जानकारी दी है कि मेयर डॉ शैली ओबरॉय जब भी चाहें मेयर चुनाव की अगली तारीख दे सकती हैं।

सीएम की राय जरूरी है

पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के बारे में 22 अप्रैल को मुख्य सचिव ने फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजी थी। यह फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह कहकर वापस कर दी कि मुख्यमंत्री अभी न्यायिक हिरासत में हैं और ऐसे में मुख्यमंत्री कार्यालय इस स्थिति में नहीं है कि मुख्यमंत्री के सामने इस फाइल को भेज पाए या इस संबंध में संवाद स्थापित कर सके। डीएमसी एक्ट के सेक्शन 77A के तहत विषय से संबंधित फाइल को मुख्यमंत्री उपराज्यपाल के मुख्य सचिव को भेजते हैं। साथ ही GNCTD एक्ट भी कहता है कि किसी विषय पर सिर्फ मुख्यमंत्री की राय ही मायने रखती है।

एलजी ने दिया है ये निर्देश

बता दें कि अरविंद केजरीवाल के जेल में होने से दिल्ली के मुख्य सचिव को संबंधित फाइल एलजी कार्यालय को भेजनी पड़ी थी और पीठासीन अधिकारी नामित नहीं होने के कारण 26 अप्रैल को होने वाला मेयर का चुनाव नहीं हो पाया था। 

अब मौजूदा मेयर ही जिम्मेदारियों का निर्वहन करती रहेंगी क्योंकि उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने मौजूदा मेयर और डिप्टी मेयर को अगले चुनाव तक पद पर बने रहने के लिए कहा है।एलजी ने कहा कि मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति बेहद जरूरी होती है और पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति बिना मुख्यमंत्री की राय/सुझाव के नहीं हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता बनर्जी सरकार, संदेशखाली में सीबीआई जांच के खिलाफ दायर की याचिका

डेस्क: कलकत्ता उच्च न्यायालय के संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन हड़पने के आरोपों की सीबीआई जांच का निर्देश देने के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय सोमवार को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति बी.आर.गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के इस मामले की सुनवाई करने की संभावना है। शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी याचिका में, राज्य सरकार ने कहा है कि उच्च न्यायालय के 10 अप्रैल, 2024 के आदेश ने पुलिस बल सहित पूरे राज्य तंत्र को हतोत्साहित किया है। 

याचिका में क्या कहा गया है?

याचिका में कहा गया है, “उच्च न्यायालय ने एक बहुत ही सामान्य आदेश में राज्य को बिना किसी दिशानिर्देश के केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को आवश्यक सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है, भले ही वह जनहित याचिका में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित न हो। यह संदेशखालि क्षेत्र में किसी भी संज्ञेय अपराध की जांच करने के लिए राज्य पुलिस की शक्तियों को हड़पने के समान है।” संदेशखालि में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमले के मामले की जांच पहले से ही सीबीआई कर रही है और एजेंसी ने पांच जनवरी की घटनाओं से संबंधित तीन प्राथमिकी दर्ज की हैं। 

जांच की निगरानी अदालत द्वारा किए जाने का उल्लेख करते हुए, उच्च न्यायालय ने राजस्व दस्तावेज और कथित भूमि के भौतिक निरीक्षण का गहन निरीक्षण करने के बाद मछली पालन के लिए कृषि भूमि के जल निकायों में कथित अवैध रूपांतरण पर एक व्यापक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

 उच्च न्यायालय ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और भूमि पर कब्जा करने के आरोपों की जांच करने और सुनवाई की अगली तारीख पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है। उच्च न्यायालय की पीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए दो मई को सूचीबद्ध किये जाने का निर्देश दिया तथा उस दिन तक सीबीआई को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था।

राहुल गांधी ने कटक की रैली में पीएम मोदी और नवीन पटनायक पर साधा निशाना, जानिए क्या कहा

डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कटक की चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक पर निशाना साधा। उन्होंने रविवार को आरोप लगाया कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली के अरबपतियों के लिए सरकार चलाते हैं तो दूसरी ओर ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक एक ऐसी सरकार का नेतृत्व करते हैं जो केवल राज्य के ‘‘चुनिंदा लोगों’’ के लिए काम करती है। 

बीजेपी और बीजेडी मिली हुई है-राहुल

राहुल गांधी ने कटक के सालेपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दावा किया कि भले ही बीजू जनता दल (बीजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी लड़ाई लड़ रहे हैं लेकिन वास्तव में वे एक साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसे साझेदारी कहें या विवाह, बीजद और भाजपा दोनों एक साथ हैं।’’ गांधी ने पटनायक पर निशाना साधते हुए कहा कि भले ही पटनायक मुख्यमंत्री हैं, लेकिन राज्य में बीजद सरकार उनके सहयोगी वी के पांडियन चला रहे हैं। 

राहुल गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, "जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22-25 अरबपतियों की सरकार वहां(केंद्र)चलाई वैसे ही यहां नवीन पटनायक चुने हुए लोगों की सरकार चलाते हैं। इसका पूरा का पूरा फायदा मुट्ठी भर लोगों का होता है। बाकी जनता देखती रह जाती है। तेलंगाना में भाजपा और बीआरएस की शादी थी। वहां पर हर रोज उनकी बारात निकलती थी। कांग्रेस पार्टी ने तेलंगाना में दिखाया कि भाजपा और बीआरएस एक हैं और अगर विपक्ष का कोई काम कर रहा है तो वो कांग्रेस पार्टी कर रही है।"

*AAP के कैंपेन सॉन्ग को EC ने किया बैन तो भड़कीं आतिशी, बोलीं- तानाशाही सही, उसका प्रचार गलत*

डेस्क: चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी (AAP) के कैंपेन सॉन्ग को बैन कर दिया है। दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने चुनाव आयोग के इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि यह तानाशाही सरकार के लक्षण हैं। उन्होंने कहा कि जब भारतीय जनता पार्टी ED और CBI का प्रयोग कर आचार संहिता के दौरान विपक्ष के नेताओं को जेल में डालती है, तो उससे इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन जब आम आदमी पार्टी उनको गाने में लिख देती है तो उस पर चुनाव आयोग को बहुत आपत्ति है। आतिशी ने कहा, "वे कहते हैं 'जेल का जवाब वोट से देंगे' ये सत्तारूढ़ पार्टी और एजेंसिज को बहुत पुअर लाइट में दिखाता है। CBI के डायरेक्टर को नहीं बदलेंगे। ED के डायरेक्टर को चुनाव के दौरान नहीं बदलेंगे। आप इनकम टैक्ट के डायरेक्टर को चुनाव के दौरान नहीं बदलेंगे। उनके विपक्ष पर हमले को नहीं रोकेंगे, लेकिन अगर कोई प्रचार में कह दे कि 'झूठी गिरफ्तारियां हो रही हैं' तो चुनाव आयोग को आपत्ति है।" "पूरे गाने में कहीं बीजेपी का नाम नहीं" उन्होंने कहा, "जब बीजेपी की वाशिंग मशीन चलती है, जब बीजेपी में एक-एक कर विपक्ष के नेता जाते हैं और उनके ईडी केस, सीबीआई केस, इकोनॉमिक ऑफेंसेस केस, एंटी करप्शन ब्यूरो के केस बंद हो जाते हैं, तो इसमें आयोग को कोई आपत्ति नहीं है। भारतीय जनता पार्टी तानाशाही करे वो सही है, लेकिन उस तानाशाही के बारे में कोई प्रचार करे तो गलत है। सबसे मजेदार बता 'आप' का कैंपेन सॉन्ग- 'जेल का जवाब वोट से देंगे' उस पूरे गाने में कहीं पर भी बीजेपी का नाम नहीं है, लेकिन आयोग कहता है कि अगर आप तानाशाही की बात करते हैं, तो यह सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना है।" "बीजेपी इस देश में तानाशाही चला रही" 'आप' नेता ने आगे कहा, "आयोग खुद मानता है कि भारतीय जनता पार्टी इस देश में तानाशाही चला रही है। तानाशाही के किसी भी विरोध को वो बीजेपी का विरोध मान रहे हैं। तानाशाही के किसी भी विरोध को पीएम नरेंद्र मोदी का विरोध मान रहे हैं। बीजेपी पूरी तरह तानाशाही के लक्षण दिखा रही है। जिस तरह से सीबीआई, ईडी का प्रयोग कर विपक्ष के नेता को जेल में डाला जा रहा है, जिस तरह से कांग्रेस पार्टी का बैंक अकाउंट सीज किया, जिस तरह से अब आम आदमी पार्टी के प्रचार को रोका जा रहा है, ये साफ-साफ दिखा रहा है कि आज इस देश का लोकतंत्र खतरे में है। आज भारतीय जनता पार्टी ने इस देश को तानाशाह बना दिया है।"
उधमपुर में आतंकियों के साथ पुलिस की मुठभेड़, गोलीबारी में ग्राम रक्षा गार्ड घायल*

डेस्क: जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के एक सुदूर गांव में रविवार तड़के गोलीबारी की घटना में ग्राम रक्षा गार्ड (वीडीजी) का एक सदस्य घायल हो गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया गोलीबारी की खबर बसंतगढ़ के पनारा गांव से मिली। वीडीजी के एक गश्ती दल के साथ जंगल के इलाके में कुछ संदिग्ध व्यक्तियों की मुठभेड़ हुई। इसके बाद उस इलाके में भारी सुरक्षाबल पहुंचे हैं, जहां बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। वहीं, जम्मू श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है वाहनों की जांच की जा रही है। पुलिस और स्पेशल फोर्सेज को हेलीकॉप्टर के उतारा जा रहा है, आतंकियों की तलाशी अभी भी जारी है। सुरक्षाबलो ने पूरे इलाके को घेर रखा है। आधिकारिक जानकारी आने से पहले यह तय नहीं था कि पुलिस पर गोलीबारी करने वाले लोग कौन थे। हालांकि, माना जा रहा है कि वे आतंकवादी थे। ऊधमपुर पुलिस ने अपने बयान में आतंकियों के साथ मुठभेड़ की पुष्टि की। ऊधमपुर पुलिस का बयान ऊधमपुर पुलिस को शनिवार शाम कुछ संदिग्ध लोगों के बारे में खबर मिली थी। इसके बाद बसंतगढ़ पुलिस स्टेशन में सुरक्षा ग्रिड को सतर्क किया गया। रविवार सुबह पुलिस और वीजीडी के जवान चोचरू गाला हाइट्स की तरफ बढ़े। यहां पुलि और जंगल में छिपे हुए आंतकियों के बीच मुठभेड़ हुई। शुरुआती गोलीबारी में जम्मू कश्मीर पुलिस का एक वीजीडी घायल हुआ है। सेना और केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल के साथ एनओजी ने मोर्चा संभाल लिया है। पूरे इलाके का घेराव किया जा रहा है। ऊधमपुर में 19 अप्रैल को हुआ था मतदान ऊधमपुर में 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में मतदान हुआ था। यहां एक बूथ में पहला वोट एक दूल्हे ने डाला। यह व्यक्ति अपने दोस्तों के साथ मतदान करने पहुंचा था। यहां कुल 12 उम्मीदवार मैदान थे। केंद्रीय मंत्री लगातार तीसरी बार सांसद बनने के लिए चुनाव लड़े। वह 2014 और 2019 में भी सांसद बन चुके हैं।
कांग्रेस छोड़ने के बाद आप मे शामिल हुए पूर्व दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली

कांग्रेस पार्टी अधिकारियों ने रविवार को कहा कि दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे अपने इस्तीफे में, अरविंदर सिंह लवली ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को अपने इस्तीफे के कारणों में से एक बताया। एक ऐसी पार्टी के साथ गठबंधन जो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ झूठे, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के आधार पर बनाई गई थी, इसके बावजूद, पार्टी ने दिल्ली में AAP के साथ गठबंधन करने का फैसला किया,'' अरविंदर लवली ने पिछले साल अगस्त में अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था।

अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफे में क्या लिखा?

अपने पत्र में, अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिए गए सभी सर्वसम्मत निर्णयों को एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) द्वारा एक तरफा वीटो कर दिया गया है। "डीपीसीसी अध्यक्ष के रूप में मेरी नियुक्ति के बाद से, एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने मुझे डीपीसीसी में कोई भी वरिष्ठ नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी है। डीपीसीसी के मीडिया प्रमुख के रूप में एक अनुभवी नेता की नियुक्ति के मेरे अनुरोध को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया गया था। आज, एआईसीसी महासचिव (दिल्ली प्रभारी) ने डीपीसीसी को शहर में सभी ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति करने की अनुमति नहीं दी है, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली में 150 से अधिक ब्लॉकों में वर्तमान में कोई ब्लॉक अध्यक्ष नहीं है।

कांग्रेस के AAP से गठबंधन पर

आप के साथ गठबंधन पर लवली ने कहा, "हमने पार्टी के अंतिम फैसले का सम्मान किया। न केवल मैंने सार्वजनिक रूप से फैसले का समर्थन किया, बल्कि मैंने यह भी सुनिश्चित किया कि पूरी राज्य इकाई हाईकमान के अंतिम आदेश के अनुरूप हो। एआईसीसी महासचिव के निर्देश पर (संगठन), यहां तक कि मैं केजरीवाल की गिरफ्तारी की रात सुभाष चोपड़ा और संदीप दीक्षित के साथ उनके आवास पर भी गया था, जबकि यह मामला इस मामले में मेरे रुख के खिलाफ था।''

पूर्व डीपीसीसी अध्यक्ष ने यह भी बताया कि गठबंधन के अनुसार, दिल्ली कांग्रेस को वर्तमान आम चुनाव लड़ने के लिए तीन संसदीय सीटें आवंटित की गई थीं।

उन्होंने उत्तर-पूर्वी दिल्ली के उम्मीदवार (कन्हैया कुमार) द्वारा की गई टिप्पणियों पर भी प्रकाश डाला, जिन्होंने दिल्ली के सीएम की "झूठी" प्रशंसा की और शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और बिजली क्षेत्र में AAP द्वारा किए गए कार्यों का समर्थन किया।

"इस तरह के गलत विचार और तथ्यात्मक रूप से गलत बयान स्थानीय पार्टी इकाई को पसंद नहीं आए, क्योंकि स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं को यह अंतर्निहित समझ थी कि गठबंधन दिल्ली के विकास के आप के झूठे प्रचार की सराहना के लिए नहीं किया गया था और वास्तव में ऐसा था लवली ने कहा, "एक समझौता- राष्ट्रीय गठबंधन के हिस्से के रूप में पार्टी की जीत की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए। "लवली ने कहा कि चूंकि वह पार्टी कार्यकर्ताओं के हितों की रक्षा नहीं कर सके, इसलिए उन्हें उक्त पद पर बने रहने का कोई कारण नजर नहीं आता।

लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली कांग्रेस-आप गठबंधन

दिल्ली में इंडिया ब्लॉक के साझेदारों आप और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीट-बंटवारे के समझौते को फरवरी में अंतिम रूप दिया गया। आप चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि कांग्रेस ने तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। AAP नई दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली में लड़ रही है, जबकि चांदनी चौक, उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिम दिल्ली कांग्रेस के पास गई।

इससे पहले, AAP ने कांग्रेस को सात लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक की पेशकश की थी, जिससे चर्चा में गतिरोध आ गया था। 2014 और 2019 में हुए पिछले दो लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर के साथ दिल्ली की सभी सात सीटें जीतीं। दोनों पार्टियों के बीच तालमेल तब बिगड़ गया जब अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने घोषणा की कि वह पंजाब और चंडीगढ़ की सभी 14 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।

अरविंदर सिंह लवली का इस्तीफा दिल्ली के पूर्व मंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य राजकुमार चौहान के दिल्ली कांग्रेस की अनुशासन समिति की बैठक के बाद पार्टी से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद आया है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि रविवार को एआईसीसी के दिल्ली प्रभारी दीपक बाबरिया के साथ विवाद में शामिल रहे चौहान ने बुधवार सुबह अपना इस्तीफा सौंप दिया। दिल्ली कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने मंगलवार को एक बैठक की और चौहान के खिलाफ शिकायतों पर कोई कार्रवाई की जाए या नहीं, इसका फैसला एआईसीसी पर छोड़ दिया।