आज का पञ्चाङ्ग,16 अप्रैल 2024:जानिए पञ्चाङ्ग के अनुसार आज का शुभ मुहूर्त, राहु काल, आज की तिथि और ग्रह


पंचांग- 16 अप्रैल 2024

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- चैत्र

अमांत- चैत्र

तिथि

शुक्ल पक्ष अष्टमी- अप्रैल 15 09:38 PM- अप्रैल 16 1:23 PM

शुक्ल पक्ष नवमी- अप्रैल 16 1:23 PM- अप्रैल 17 3:14 PM

नक्षत्र

पुष्य

योग

धृति, 11:17 PM तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 5:54 AM

सूर्यास्त- 6:47 PM

चन्द्रोदय- मार्च 16 12:06 PM

चन्द्रास्त- मार्च 17 2:25 AM

अशुभ काल

राहू- 03:34 PM- 5:11 PM

यम गण्ड- 09:08 ए एम से 10:44 ए एम

गुलिक- 12:21 पी एम से 01:58 पी एम

दुर्मुहूर्त- 08:29 ए एम से 09:21 ए एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:55 ए एम से 12:47 पी एम

अमृत काल-10:17 पी एम से 12:02 ए एम, अप्रैल 17ब्रह्म मुहूर्त- 04:25 ए एम से 05:10 ए एम

शुभ योग

सर्वार्थसिद्धि योग- 05:16 ए एम, अप्रैल 17 से 05:53 ए एम, अप्रैल 17

रवि योग- 05:16 ए एम, अप्रैल 17 से 05:53 ए एम, अप्रैल 17

आज का राशिफल,16 अप्रैल 2024: जानिए आज के राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा..?

मेष राशि- स्वास्थ्य पहले से बेहतर। प्रेम, संतान का स्थिति बहुत अच्छी। भौतिक सुख-संपदा में वृद्धि। थोड़ा कलह से बचें। बाकी सारी स्थिति आपकी फेवरेबल हो रही है। सूर्य को जल देते रहें।

वृषभ राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। व्यावसायिक कुछ नयापन होने जा रहा है, जो शुभ होगा। अपनों का साथ होगा। स्वास्थ्य ठीक-ठाक। प्रेम, संतान अभी मध्यम है। व्यापार आपका ठीक चल रहा है। हरी वस्तु पास रखें।

मिथुन राशि- स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रेम,संतान पहले से बेहतर। व्यापार भी अच्छा है। अभी निवेश करने से बचें। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कर्क राशि- आकर्षण के केंद्र बने रहेंगे। ऊर्जावान बने रहेंगे। जरुरत के हिसाब से वस्तुएं जीवन में उपलब्ध होंगी। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार पहले से बेहतर। एंजॉय करिए। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- मन चितिंत रहेगा। खर्च की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्य सुधर चुका है। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। शिवजी का जलाभिषेक करना शुभ होगा।

कन्या राशि- आय में आशातीत बढ़ोतरी। शुभ समाचार की प्राप्ति। यात्रा में लाभ। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

तुला राशि- व्यावसायिक सुधार होगा। पिता का साथ होगा। सरकारी तंत्र का लाभ मिलेगा। स्वास्थ्य अच्छा। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार अच्छा। शिवजी को प्रणाम करते रहें।

वृश्चिक राशि- भाग्यवश कुछ काम बनेंगे। रुका हुआ कार्य चलने लगेगा। यात्रा का योग बनेगा। स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम, संतान की स्थिति अच्छी। व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

धनु राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम, संतान पहले से बेहतर। व्यापार भी अच्छा। सफेद वस्तु शिवजी को अर्पित करें या जलाभिषेक करें। शुभ होगा।

मकर राशि- जीवनसाथी का सानिध्य मिलेगा। रोजी-रोजगार में तरक्की करेंगे। व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। प्रेमी-प्रेमिका की मुलाकात होगी। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार बहुत अच्छा। काली जी को प्रणाम करें।

कुंभ राशि- शत्रु परास्त होंगे। रुका हुआ कार्य विघ्न-बाधा के साथ आगे बढ़ेगा। स्वास्थ्य नरम-गरम। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार अच्छा। हरी वस्तु पास रखें।

मीन राशि- भावुकता पर नियंत्रण रखें। प्रेम में तू-तू, मैं-मैं से बचें। बच्चों की सेहत पर ध्यान दें। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम,संतान मध्यम। व्यापार ठीक है। शिवजी को प्रणाम करते रहें।

जीवन को मंगलमय बनाने के लिए करें मां कालरात्रि की पूजा

नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है. शास्‍त्रों के अनुसार बुरी शक्तियों से पृथ्‍वी को बचाने और पाप को फैलने से रोकने के लिए मां ने अपने तेज से इस रूप को उत्‍पन्‍न किया था.

आचार्य पं. सुधांशु तिवारी

प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य 

दुर्गा जी का सातवां स्वरूप मां कालरात्रि है. इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि कहा गया और असुरों के राजा रक्तबीज का वध करने के लिए देवी दुर्गा ने अपने तेज से इन्हें उत्पन्न किया था. इनकी पूजा शुभ फलदायी होने के कारण इन्हें 'शुभंकारी' भी कहते हैं.

मान्यता है कि माता कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है. माता कालरात्रि पराशक्तियों (काला जादू) की साधना करने वाले जातकों के बीच बेहद प्रसिद्ध हैं. मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं.

असुरों का वध करने के लिए दुर्गा मां बनी कालरात्रि

देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है इनके बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में विधुत की माला है. इनके चार हाथ हैं जिसमें इन्होंने एक हाथ में कटार और एक हाथ में लोहे का कांटा धारण किया हुआ है. इसके अलावा इनके दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में है. इनके तीन नेत्र है तथा इनके श्वास से अग्नि निकलती है. कालरात्रि का वाहन गर्दभ(गधा) है.

मां कालरात्रि की उत्पत्ति की कथा

कथा के अनुसार दैत्य शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था. इससे चिंतित होकर सभी देवतागण शिव जी के पास गए. शिव जी ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा. शिव जी की बात मानकर पार्वती जी ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया. परंतु जैसे ही दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज उत्पन्न हो गए. इसे देख दुर्गा जी ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया. इसके बाद जब दुर्गा जी ने रक्तबीज को मारा तो उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया.

मां को गुड़ का भोग प्रिय है

सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए. ऐसा करने से पुरुष शोकमुक्त हो सकता है.

शुभकामना को पूरा करेगा मां कालरात्रि का ये मंत्र

नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से करनी चाहिए

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥

मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि को महायोगिनी महायोगिश्वरी भी कहा जाता है. देवी बुरे कर्मों वाले लोगों का नाश करने और तंत्र-मंत्र से परेशान भक्तों का कल्याण करने वाली हैं. देवी की पूजा से रोग का नाश होता है और शत्रुओं पर विजय मिलती है. ग्रह बाधा और भय दूर करने वाली माता की पूजा इस दिन जरूर करनी चाहिए.

मां कालरात्रि का स्वरूप

 देवी कालरात्रि के चार हाथ हैं। उनके एक हाथ में माता ने खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे हाथ वरमुद्रा और चौथे हाथ अभय मुद्रा में है। मां कालरात्रि का वाहन गर्दभ अर्थात् गधा है।

मां कालरात्रि की पूजा विधि

 मां कालरात्रि की पूजा करने के लिए श्वेत या लाल वस्त्र धारण करें। देवी कालरात्रि पूजा ब्रह्ममुहूर्त में ही की जाती है। वहीं तंत्र साधना के लिए तांत्रिक मां की पूजा आधी रात में करते हैं, इसलिए सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। पूजा करने के लिए सबसे पहले आप एक चौकी पर मां कालरात्रि का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद मां को कुमकुम, लाल पुष्प, रोली आदि चढ़ाएं। माला के रूप में मां को नींबुओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनका पूजन करें। मां कालरात्रि को लाल फूल अर्पित करें। मां के मंत्रों का जाप करें या सप्तशती का पाठ करें। मां की कथा सुनें और धूप व दीप से आरती उतारने के बाद उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं। अब मां से जाने अनजाने में हुई भूल के लिए माफी मांगें।

नवरात्रि के सातवें दिन माँ दुर्गा के सातवें स्वरुप "माँ कालरात्रि" की पूजा की जाती है,यह सवरूप अंधकार को समाप्त करने वाली है

जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनि।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

काली काली महाकाली,कालिके परमेश्वरी।

सर्वानंद करें देवि नारायणी नमोस्तुते।।

 माँ दुर्गा के सातवें स्वरूप को "माँ कालरात्रि" नाम से पूजा जाता है। माँ कालरात्रि का वर्ण रात्रि के समान काला है,परन्तु वे अंधकार का नाश करने वाली हैं।माँ के केश बिखरे हुए हैं तथा माँ के कंठ में विद्युत् प्रभा सदृश मुंडमाला है। दुष्टों व राक्षसों का अंत करने वाला माँ दुर्गा का यह रूप देखने में अत्यंत भयंकर है । किंतु शुभ फल प्रदाता है, इसीलिए माँ को ""शुभंकरी"" भी कहा जाता है।

कालरात्रि के ब्रह्माण्ड के समान5 गोल नेत्र हैं। अपनी हर श्वास के साथ माँ की नासिका से अग्नि की ज्वालाएँ निकलती रहती हैं। अपने चार हाथों में खड्ग, लोहे का अस्त्र, अभयमुद्रा और वरमुद्रा किये हुए माँ अपने वाहन गर्दभ पर सवार हैं।

 नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना इस मंत्र से की जा सकती है....

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,

लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी

सप्तमी तिथि के दिन भगवती की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करके ,ब्राह्मण को दे देना चाहिए। ऐसा करने से साधक शोकमुक्त होता है।माता कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है। माता कालरात्रि पराशक्तियों की साधना करने वाले जातकों के मध्य अति प्रसिद्ध हैं।

माँ की भक्ति से दुखों-दुष्टों व दुर्बुध्दि का नाश होता है। माँ कालरात्रि की कृपा से शत्रु बाधा तथा ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं। कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यन्त भयावह है ,किंतु ये सदैव शुभ फल देने वाली मानी जाती हैं। कालरात्रि की साधना-आराधना से जीवन के पूर्ण कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।

भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती माँ काली की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। माँ काली गृहजनित बाधायें सहजता से दूर करती हैं। सांसारिक भय भगवती की कृपा से भक्त के समीप भी नहीं आते हैं। व्यापार संबंधी समस्या तथा ऋण मुक्ति के लिए माँ कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है।

 इस दिन साधक को भगवती की अनुकंपा से ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं। कालरात्रि की पूजा-अर्चना व साधना द्वारा अकाल मृत्यु,भूत-प्रेत बाधा, अग्निभय, शत्रुभय आदि से मुक्ति की प्राप्ति होती है।

       

या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माता आप सभी को मनोकामनाएं पुरी करे । आपके घर में सुख , शान्ति और समृद्धि प्रदान करे ।

आज का पंचांग- 15 मार्च 2024 : जानिए पञ्चाङ्ग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2080, अनला

शक सम्वत- 1945, शोभकृत

पूर्णिमांत- फाल्गुन

अमांत- फाल्गुन

तिथि

शुक्ल पक्ष षष्ठी- मार्च 14 11:26 PM- मार्च 15 10:09 PM

शुक्ल पक्ष सप्तमी- मार्च 15 10:09 PM- मार्च 16 09:38 PM

नक्षत्र

कृत्तिका- मार्च 14 04:55 PM- मार्च 15 04:08 PM

रोहिणी- मार्च 15 04:08 PM- मार्च 16 04:05 PM

योग

विष्कुम्भ- मार्च 14 09:59 PM- मार्च 15 07:45 PM

प्रीति- मार्च 15 07:45 PM- मार्च 16 06:07 PM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:39 AM

सूर्यास्त- 6:32 PM

चन्द्रोदय- मार्च 15 10:01 AM

चन्द्रास्त- मार्च 16 12:03 AM

अशुभ काल

राहू- 11:06 AM- 12:35 PM

यम गण्ड- 3:33 PM- 5:03 PM

गुलिक- 8:08 AM- 9:37 AM

दुर्मुहूर्त- 09:01 AM- 09:49 AM, 12:59 PM- 01:46 PM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 12:11 PM- 12:59 PM

अमृत काल- 01:48 PM- 03:21 PM

ब्रह्म मुहूर्त- 05:02 AM- 05:50 AM

शुभ योग

अमृतसिद्धि योग- मार्च 16 06:38 AM- मार्च 16 04:05 PM

सर्वार्थसिद्धि योग- मार्च 16 06:38 AM- मार्च 16 04:05 PM

आज का राशिफल,15 अप्रैल 2024: जानिए राशि के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा..?

मेष राशि- शुभता के प्रतीक बने हुए हैं। प्रेम, संतान का साथ है। व्यावसायिक सफलता दिख रही है। व्यापार बहुत अच्छा। प्रेम, संतान बहुत अच्छा। स्वास्थ्य में भी सुधार दिख रहा है। थोड़ी खर्च की अधिकता रहेगी। हरी वस्तु का दान करना शुभ होगा।

वृषभ राशि- सरकारी तंत्र से न उलझें और खर्च पर थोड़ा ध्यान दें। इन्वेस्टमेंट करने से बचें। जुबान पर नियंत्रण रखें। बाकी प्रेम, संतान,व्यापार सही चल रहा है। हरी वस्तु पास रखें।

मिथुन राशि- स्वास्थ्य पहले से थोड़ा बेहतर है लेकिन ओवरऑल स्वास्थ्य अच्छा नहीं चल रहा है। प्रेम, संतान भी मध्यम है। व्यापार ठीक-ठाक चलेगा। थोड़ी ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा। हरी वस्तु पास रखें।

कर्क राशि- ऊर्जा में कमी। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार भी मध्यम। थोड़ा बचकर पार करने की आवश्यकता है। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- यात्रा का योग बन रहा है। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। स्वास्थ्य पहले से बेहतर। प्रेम,संतान भी अच्छा। व्यापार भी अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- स्वास्थ्य ढीला-ढाला चलेगा। प्रेम,संतान अच्छा। व्यापारिक स्थिति आपकी सुदृढ़ होगी। कोर्ट-कचहरी में विजय मिलेगी। हरी वस्तु पास रखें।

तुला राशि- समय सामान्य हो गया है। जोखिम से उबर चुके हैं। यात्रा का योग बनेगा। धर्म-कर्म में हिस्सा लेंगे। व्यावसायिक सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार अच्छा है। गणेश जी को प्रणाम करते रहें।

वृश्चिक राशि- एक और दिन अभी जोखिम रह गया है। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम, संतान अच्छा रहेगा। व्यापारिक दृष्टिकोण से भी शुभ समय है। बस वाहन धीरे चलाएं। हरी वस्तु का दान करें।

धनु राशि- जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिलेगा। नौकरी-चाकरी की स्थिति सुदृढ़ होगी। प्रेमी-प्रेमिका की मुलाकात हो सकती है। स्वास्थ्य, प्रेम, व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- शत्रुओं पर भारी पड़ेंगे। रुका हुआ कार्य चल पड़ेगा। स्वास्थ्य थोड़ा मध्यम रहेगा। प्रेम,संतान अच्छा। व्यापार भी अच्छा। लाल वस्तु का दान करें।

कुंभ राशि- भावुकता पर काबू रखें। स्वास्थ्य ठीक-ठाक। प्रेम,संतान की स्थिति थोड़ी मध्यम। व्यापार अच्छा। गणेश जी को प्रणाम करते रहें।

मीन राशि- भौतिक सुख-संपदा में वृद्धि होगी लेकिन गृह-कलह बनी रहेगी। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार भी अच्छा। काली वस्तु का दान करें।

आज का रशिफल,14 अप्रैल 2024: जानिए रशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा..?

मेष- वाणिज्यिक गतिविधियों में तेजी आएगी. भाई बंधुओं से नजदीकियां बढ़ेंगी. सहकारिता गति पाएगी. लक्ष्य पर फोकस रखेंगे. मेलजोल में रुचि दिखाएंगे. श्रेष्ठ जनों से मुलाकात होगी. विभिन्न कार्यों में तेजी दिखाएंगे. चर्चा संवाद में सफलता पाएंगे. सुलह सामंजस्य बनाए रखेंगे. अपनों के बीच हर्ष आनंद से रहेंगे. सुखद क्षण निर्मित होंगे. महत्वपूर्ण कार्यों में संवार बनी रहेगी. सामाजिक गतिविधियों से जुड़ सकते हैं. दान धर्म बढ़ाएंगे. संस्कार सभ्यता को बल मिलेगा. संपर्क क्षेत्र बड़ा होगा.

वृष- महत्वपूर्ण चर्चा संवाद में आत्मविश्वास से बात रखेंगे. रक्त संबंधियों का साथ समर्थन बढ़ेगा. परिवार में सुख सौख्य रहेगा. व्यक्तिगत मामलों में बेहतर प्रदर्शन रहेगा. पारंपरिक प्रयासों को बल मिलेगा. मेलजोल की भावना बढ़ेगी. धन संपत्ति के विषयों आगे बढ़ाएंगे. संबंधों को बल मिलेगा. रिश्ते साधने में सफल रहेंगे. बड़ों का आदर सम्मान बनाए रखेंगे. रुटीन बेहतर बनाए रखेंगे. सबके साथ खुशियां बांटेंगे. आवश्यक कार्यों पर फोकस बढ़ाएंगे. अतिथिआएंगे. मित्रवर्ग सहयोगी रहेगा.

मिथुन- रचनात्मक प्रयासों से सभी प्रभावित होंगे. साझीदारों और सहकर्मियों का सहयोग रहेगा. करीबियों का सहयोग पाएंगे. संवाद में सहजता रखेंगे. आवश्यक कार्य साधेंगे. भेंट चर्चाओं में समय देंगे. वरिष्ठों से मुलाकात होगी. लक्ष्योन्मुख बने रहेंगे. सबके हित का भाव रहेगा. नवीन लक्ष्य बनाएंगे. घर संवारेंगे. मन प्रसन्न रहेगा. नवाचार की सोच रहेगी. विनम्र और मधुर व्यवहार रहेगा. सीख सलाह बनाए रहेंगे. महत्पूर्ण निर्णय लेंगे. श्रेष्ठ प्रयासों से सभी प्रभावित होंगे. यात्रा संभव है.

कर्क- पारिवारिक मामलों में स्वार्थ संकीर्णता से बचें. विनय विवेक और बड़प्पन रखें. निवेश एवं विस्तार संबंधी मामले गति लेंगे. बजट साधने का प्रयास रहेगा. अवसरों को भुनाने की सोच रहेगी. करियर व्यापार में प्रभावी रहेंगे. संपर्क संवाद बेहतर होगा. सजगता से काम लेंगे. विभिन्न मामले लंबित रह सकते हैं. न्यायिक विषयों में धैर्य बढ़ाएंगे. यात्रा की संभावना है. अधिकारीवर्ग सहयोगी होगा. कामकाज सामान्य रहेगा. जोखिम लेने से बचें. रिश्तों में सहज रहेंगे. आर्थिक मामलों में सजग रहेंगे.

सिंह- कार्य व्यापार में उम्मीद से अच्छे लाभ की संभावना बनी रहेगी. चहुंओर अपेक्षित परिणाम बनेंगे. व्यक्तित्व एवं प्रभाव बढ़त पर रहेगा. वाणिज्यिक मामलों में सफलता पाएंगे. आर्थिक विषयों में गति आएगी. मित्र मददगार रहेंगे. प्रतिस्पर्धा से रखेंगे. कार्यक्षेत्र में अनुकूलता रहेगी. वरिष्ठ वर्ग सहयोगी रहेगा. पेशेवर लोगों का भरोसा जीतेंगे. महत्वपूर्ण अवसरों को भुनाएंगे. विस्तार के प्रयास बढ़ाएंगे. लक्ष्य पर फोकस बढ़ाएंगे. अधिकारियों का समर्थन रहेगा. प्रबंधन में प्रभाव बढ़ाएंगे. बहुमुखी प्रतिभा संवरेगी

कन्या- पैतृक मामले पक्ष में बनेंगे. महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को हरसंभव पूरा करने का भाव रखेंगे. भेंटवार्ता में सक्रियता दिखाएंगे. सफलता का परचम बुलंद रहेगा. बड़ों का साथ समर्थन बना रहेगा. धार्मिक कार्य गति लेंगे. रुटीन बेहतर रखेंगे. नपातुला जोखिम उठाएंगे. संपर्क संवाद बढ़ाने का भाव रहेगा. बड़प्पन से काम लेंगे. परिजनों में स्नेह रहेगा. वरिष्ठों का समर्थन मिलेगा. व्यक्तिगत प्रयास बेहतर रहेंगे. व्यवसायिक उपलब्धि बढ़ेगी. नेतृत्व क्षमता बढ़ेगी. खर्च पर अंकुश बनाए रखेंगे.

तुला- स्मार्ट वर्किंग बल पाएगी. शुभकार्यों को बढ़ावा देंगे. आस्था और आत्मविश्वास बढ़ेगा. दीर्घकालिक विषय गति पाएंगे. कार्य व्यापार बढ़त पर रहेगा. पुण्यार्जन का प्रयास रहेगा. 

तथ्यगत स्पष्टता रखेंगे. सामंजस्य बढ़ाएंगे. व्यक्तिगत संबंधों में विश्वास रहेगा. नियम निरंतरता से आगे बढ़ेंगे. जनकल्याण के कार्यों से जुडेंगे. महत्वपूर्ण कार्य सधेंगे. भाग्य पक्ष की मजबूत से सफलता प्रतिशत ऊंचा रहेगा. अपनों का सहयोग पाएंगे. आध्यात्मिकता में वृद्धि होगी. सीख सलाह से आगे बढ़ेंगे.

वृश्चिक- परिवार के लोगों का साथ सहयोग बना रहेगा. परिजन मदद बनाए रखेंगे. कामकाजी चर्चाओं में सक्रियता दिखाएंगे. निजी मामलों में रुचि बनाए रखेंगे. व्यवस्था में विश्वास से लक्ष्य पाएंगे. क्षमा भाव बनाए रखेंगे. कार्य व्यापार सामान्य रहेगा. लेनदेन में धैर्य बनाए रखेंगे. विभिन्न मामले लंबित रह सकते हैं. कार्यगत परिस्थितियां प्रभावित रहेंगी. मितभाषी रहें. पेशेवरों का  साथ बनाए रखेंगे. सेवाक्षेत्र से जुड़े जन बेहतर करेंगे. व्यक्तिगत कार्य प्रभावित होंगे. स्वास्थ्य के प्रतिं सजग रहेंगे.

धनु- साझीदारों का साथ पाएंगे. मित्रों व सहकर्मियों का सहयोग रहेगा. सामंजस्यता को बल मिलेगा. दीर्घकालिक योजनाओं गति देंगे. अनुबंधों को आगे बढ़ाएंगे. औद्योगिक मामलों को बेहतर बनाएंगे. पेशेवर चर्चाओं में हिस्सा लेंगे. परस्पर भरोसा बनाए रखेंगे. प्रबंधकीय कार्य आगे बढ़ाएंगे. लाभ प्रतिशत अच्छा रहेगा. कारोबारी संबंध संवार पर रहेंगे. अनुबंधों में सतर्क रहें. औद्योगिक प्रयासों में प्रभाव बनाए रखेंगे. सबको साथ लेकर चलेंगे. निर्णय क्षमता में वृद्धि होगी. आत्मविश्वास से आगे बढ़ेंगे.

मकर- कामकाजी की स्थिति और कार्यगति संतुलित बनाए रखें. समकक्षों का साथ सहयोग बना रहेगा. कर्मठता और लगन बनाए रखेंगे. क्षमता में वृद्धि होगी. कार्य प्रबंधन संवारेंगे. पेशेवर उपलब्धियों पर फोकस रखेंगे. उत्साह से बचें. समता सामंजस्य से आगे बढें़. जोखिम के कार्य न करें. कामकाजी मामले लंबित रह सकते हैं. परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण रहेंगी. लेनदेन में स्पष्टता बढ़ाएंगे. चर्चा में सहज रहेंगे. सहकर्मियों का साथ समर्थन बना रहेगा. सेवाक्षेत्र में रुचि बढ़ेगी. सेवाक्षेत्र में सफल रहेंगे.

 

कुंभ- सूझबूझ व चतुराई से आसपास को सुंदर व सुखकर बनाएंगे. वाणिज्यिक मामलों में तेजी से कार्य करेंगे. सामू विषयों में रुचि लेंगे. कला कौशल संवरेंगे. समन्वय सामंजस्य से परिणाम बनेंगे. लाभ प्रतिफल ऊंचा रहेगा. बौद्धिक पक्ष मजबूत होगा. महत्वपूर्ण विषयों को आगे बढ़ाएंगे. लक्ष्य पर फोकस रहेगा. शि़क्षा से जुड़ीं गतिविधियों में आगे रहेंगे. स्पर्धा को बढ़ावा देंगे. परिवार के साथ समय बिताएंगे. व्यक्तिगत प्रदर्शन बेहतर होगा. संपर्क संवाद बढ़ेगा. मित्रों से मेलजोल बढ़ेगा.

मीन- स्वार्थ संकीर्णता त्यागेंगे. घर से करीबी बढ़ाएंगे. परिवारिक मामलों पर फोकस रहेगा. स्वजनों से तालमेल बढ़ाएंगे. योजनाएं साझा करने से बचेंगे. आवश्यक कार्यों पर ध्यान देंगे. मेलजोल की भावना बढ़ेगी. अतिथि आगमन संभव है. व्यक्तिगत मामलों में बेहतर प्रदर्शन रहेगा. प्रबंधकीय प्रयासों को बल मिलेगा. मित्रवर्ग सहयोगी रहेगा. स्वार्थ संकीर्णता से बचें. घर परिवार से नजदीकी बढ़ेगी. बड़ों का आदर सम्मान बनाए रखेंगे. विनम्रता और विवेक रखेंगे. करीबियों की सुनें.

आज का पंचांग- 14 अप्रैल 2024: जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- चैत्र

अमांत- चैत्र

तिथि

शुक्ल पक्ष षष्ठी- अप्रैल 13 12:04 PM- अप्रैल 14 11:44 AM

शुक्ल पक्ष सप्तमी- अप्रैल 14 11:44 AM- अप्रैल 15 12:11 PM

नक्षत्र

आद्रा- अप्रैल 14 12:49 AM- अप्रैल 15 01:34 AM

पुनर्वसु- अप्रैल 15 01:34 AM- अप्रैल 16 03:05 AM

योग

अतिगण्ड- अप्रैल 14 12:33 AM- अप्रैल 14 11:32 PM

सुकर्मा- अप्रैल 14 11:32 PM- अप्रैल 15 11:08 PM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:10 AM

सूर्यास्त- 6:43 PM

चन्द्रोदय- अप्रैल 14 10:29 AM

चन्द्रास्त- अप्रैल 15 12:47 AM

अशुभ काल

राहू- 5:09 PM- 6:43 PM

यम गण्ड- 12:27 PM- 2:01 PM

कुलिक- 3:35 PM- 5:09 PM

दुर्मुहूर्त- 05:03 PM- 05:53 PM

वर्ज्यम्- 09:29 AM- 11:08 AM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 12:01 PM- 12:52 PM

अमृत काल- 03:15 PM- 04:54 PM

ब्रह्म मुहूर्त- 04:33 AM- 05:21 AM

शुभ योग

त्रिपुष्कर योग- अप्रैल 15 01:34 AM- अप्रैल 15 06:09 AM (पुनर्वसु, रविवार और शुक्ल सप्तमी)

नवरात्रि के पाँचवे दिन आज माँ दुर्गा के , माँ स्कंदमाता स्वरुप की पूजा होती है,यह पूजा समस्त जग के लिए कल्याणकारी है


नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ दुर्गा के , माँ स्कंदमाता स्वरुप की पूजा की जाती है। माँ दुर्गा के इस रूप का नाम स्कंदमाता होने का कारण यह है कि, देवासुर संग्राम में देवताओं को एक कुशल सेनापति की आवश्यकता थी । तब देवराज इंद्र ने जगतपति भगवान शिव से किसी कुशल योद्धा का नाम सुझाने का आग्रह किया , तो भोले नाथ ने अपने बड़े पुत्र कार्तिकेय का नाम सुझाया।

भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को, प्रभु स्कन्द के नाम से भी जाना जाता है और उनकी माता होने की वजह से, माँ दुर्गा के इस रूप को स्कंदमाता कहा जाता है। स्कंदमाता की अनुपम छवि इस प्रकार है, उनकी चार भुजाएँ हैं। इनके दाहिनी नीचे वाली भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है तथा उसमें देवी ने कमल पुष्प पकड़ रखा है। ऊपर वाली बाईं भुजा वरमुद्रा में है एवं नीचे वाली बायीं भुजा में भी कमल का पुष्प हैं।

 देवी पूर्णतः शुभ्र वर्ण की है। इनका आसन भी ब्रम्हा जी के समान कमल ही है और देवी स्कंदमाता उसी कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। कमल को पद्म भी कहा जाता है। इसी वजह से इन्हें पद्मासना देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनका वाहन सिंह है। देवी स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कन्द विराजमान हैं।

देवी स्कंदमाता की आराधना करने से भगवान स्कन्द यानि कि, शिवपुत्र कार्तिकेय की आराधना स्वयं ही हो जाती है । अपनी माता की पूजा अर्चना किसे अच्छी नहीं लगती, देवताओं के सेनापति भी अपनी माता की आराधना करने वाले पर विशेष मेहरबान रहते हैं। वही जब जब पृथ्वी पर असुरों का अत्याचार बढ़ने लगता है । तब देवताओं के सेनापति स्कन्द और उनकी माता शेर पर सवारकर आती हैं, तथा उनका विनाश करती हैं । माता को स्कंदमाता कह कर पुकारा जाना बहुत पसंद है, क्योंकि इसमें उनके पुत्र स्कन्द का भी नाम जुड़ा हुआ है । इसी वजह से उन्हें ममता की देवी भी माना जाता है ।

 माँ दुर्गा के पाँचवे रूप की आराधना करने के कई मन्त्र हैं परन्तु उनमे से सबसे प्रमुख मन्त्र है---

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

अगर आप इस मन्त्र को याद नहीं कर पा रहें हैं, तो आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है । आप इस सरल मन्त्र से भी देवी स्कंदमाता की आराधना कर सकते हैं---

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

इनकी आराधना करना बड़ा ही आसान है तथा इन्हें केले का भोग लगाना विशेष हितकर होता है । सच्चे मन से इनकी आराधना कर, केले का भोग चढाने वाले भक्त को तेज बुद्धि का वरदान प्राप्त होता है।

आज का पंचांग- 13 अप्रैल 2024: जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- चैत्र

अमांत- चैत्र

तिथि

शुक्ल पक्ष पञ्चमी - 12:04 पी एम तक

नक्षत्र

मॄगशिरा - 12:49 ए एम, अप्रैल 14 तक

योग

शोभन - 12:34 ए एम, अप्रैल 14 तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:13 AM

सूर्यास्त- 6:42 PM

चन्द्रोदय- 09:11 ए एम

चन्द्रास्त- 12:02 ए एम, अप्रैल 14

अशुभ काल

राहू- 09:10 ए एम से 10:46 ए एम

यम गण्ड- 01:58 पी एम से 03:34 पी एम

कुलिक- 05:58 ए एम से 07:34 ए एम   

दुर्मुहूर्त- 05:58 ए एम से 06:49 ए एम, 06:49 ए एम से 07:40 ए एम

वर्ज्यम्- 06:26 ए एम से 08:02 ए एम   

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:56 ए एम से 12:47 पी एम

अमृत काल- 04:02 पी एम से 05:38 पी एम

ब्रह्म मुहूर्त- 04:28 ए एम से 05:13 ए एम

शुभ योग

रवि योग- 05:58 ए एम से 09:15, पी एम, 12:49 ए एम से 05:56 ए एम, अप्रैल 14