*बच्चों की पीठ पर बढ़ रहा बस्ते का बोझ,हर साल बढ़ जाता किताबों का बोझ*
रायबरेली- सरकार के तमाम दावे और सुधार के बावजूद नौनिहालों के कंधे बस्ते के बोझ से झुके जा रहे हैं। हर साल बच्चों के बस्ते का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग कई बार एडवायजरी भी जारी कर चुका है दूसरी तरफ एचआरडी ने भी विभिन्न कक्षाओं के लिए बस्ते का वजन कितना होना चाहिए इसको लेकर भी गाइडलाइन दे चुका है।
इसके तहत कक्षा एक के बच्चे का बस्ता डेढ़ किलो, तीन से पांचवीं तक दो से तीन किलो और आठवीं से नौवी तक चार से साढ़े चार किलो होना चाहिए। बावजूद इसके नौनिहालों का बचपन बस्ते के बोझ से दबा जा रहा है।
इसके लिए जब पड़ताल की गई तो पता चला की सबसे अधिक बैग का भार प्राइवेट विद्यालय के बच्चो पर है। वर्तमान में सभी स्कूलों में पुस्तकों और नोटबुक की संख्या में वृद्धि हुई है। खासकर निजी स्कूलों में डायरी से शुरू होने वाली किताबों की संख्या ज्यादा है। नतीजतन, स्कूल बैग का वजन स्वाभाविक रूप से बहुत बढ़ जाता है। भारी स्कूल बैग के दबाव के कारण बच्चा अपने बचपन के आराम को खो रहा है। स्कूली बच्चे बैग के वजन से थक रहे हैं, जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है।
कितना हो स्कूल बैग का अधिकतम वजन
विशेषज्ञों के अनुसार स्कूल बैग का वजन बच्चे के शरीर के वजन का अधिकतम 10-15 प्रतिशत होना चाहिए। यानी अगर किसी बच्चे का वजन 25 किलो है तो उसकी किताबों के साथ स्कूल बैग का वजन ढाई से तीन किलो होना चाहिए। प्रथम और द्वितीय श्रेणी के बच्चों के स्कूल बैग का वजन डेढ़ से दो किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों के स्कूल बैग का वजन अधिकतम तीन से साढ़े तीन किलोग्राम तक हो सकता है। कक्षा आठ से दस तक के छात्रों के स्कूल बैग का वजन अधिकतम पांच से छह किलो तक हो सकता है।
स्कूल बैग कैसे ले जाना चाहिए हड्डी रोग विशेषज्ञों के अनुसार, स्कूल बैग का वजन बच्चे के दोनों कंधों पर समान रूप से वितरित होना चाहिए। स्कूल बैग का सारा वजन किसी भी तरह से शरीर के एक तरफ नहीं होना चाहिए। इससे बच्चे के शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है। स्कूल बैग का बैग किसी भी तरह से बच्चे की कमर के नीचे नहीं जाना चाहिए।
माता पिता भी दें ध्यान
माता-पिता को अपने बच्चों पर अतिरिक्त ध्यान देने की जरूरत है। सुनिश्चित करें कि बच्चे के स्कूल बैग का वजन ज्यादा न हो। स्कूल की किताबें, कोचिंग की किताबें सब एक बैग में न दें। माता-पिता और स्कूल अधिकारियों दोनों को बच्चे की भलाई और उज्जवल भविष्य के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारियां निभाने की जरूरत है। दोनों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बचपन में भारी स्कूल बैग से बच्चों को नुकसान न हो।
जिले के अधिकांश स्कूलों में किताबो के बोझ से थक रहे बच्चे
गुरुवार को की पड़ताल में में शहर से लेकर गांव तक खुले स्कूल के बच्चे बैग के बोझ तले दबे नजर आए। गौरा कस्बे के एक अभिभावक सुरेश ने बताया की कक्षा एक के बच्चे के बैग का वजन करीब दो से ढाई किलो है। इसी तरह दो के बच्चे के बैग का वजन करीब चार किलो व तीन से पांच तक के बच्चो के बैग का वजन पांच से दस किलो तक बढ़ गया है। यदि विद्यालयों में वाहन न चलाए जाएं तो बच्चे उस बैग को ले ही न जा पाए। वहीं पैदल चलने वाले बच्चो की हालत तो बहुत ही खराब हो रही है। जगतपुर कस्बे के एक विद्यालय के प्रिंसिपल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की कमीशन के चक्कर में प्रबंधक बस्ते का वजन बढ़ा देते हैं। हम लोग क्या कर सकते हैं।
भारी बैग से क्या हो सकता है नुकसान
● विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ थकान ही नहीं, भारी स्कूल बैग कई और शारीरिक समस्याओं का मार्ग प्रशस्त करते हैं। भारी स्कूल बैग के दबाव से बच्चे के शरीर की संरचना क्षतिग्रस्त हो सकती है।
● ज्यादा देर तक भारी बैग लेने से कंधे की मांसपेशियां सख्त या सख्त हो जाती हैं। नतीजतन, रक्त परिसंचरण बाधित होता है और गर्दन में दर्द, कंधे का दर्द, पीठ दर्द और घुटने का दर्द होता है।
● शरीर के एक तरफ भारी बैग ले जाने से दोनों कंधों पर संतुलन बिगड़ जाता है। इससे बच्चे की रीढ़ की हड्डी थोड़ा दाएं या बाएं या सामने की ओर झुक सकती है।
● अतिरिक्त वजन के बैग ले जाने से बच्चे का सिर और गर्दन आगे की ओर झुक सकता है। नतीजतन, बच्चे का शारीरिक विकास बाधित हो सकता है।
● भारी बैग ले जाने से बच्चे का पोस्चर बिगड़ सकता है। इससे बच्चे का शरीर अपना संतुलन खो सकता है।
● अधिक वजन का बैग ले जाने से बच्चे की गर्दन और कंधे की मांसपेशियों में पुरानी चोट लग सकती है।
थेरेपिस्ट बोले, शरीर की मुद्रा को बदल सकता है भारी बैग
फिजियोथेरेपी चिकित्सक अखिलेश त्रिवेदी का मानना है कि भारी स्कूल बैग शरीर की मुद्रा को बदल सकते हैं और इस तनाव की भरपाई के लिए मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम को अत्याधिक प्रतिक्रिया देनी होती है। कुछ बच्चे हमेशा अपना बैग एक कंधे पर रखते हैं। लेकिन ऐसा करने या बैग को गलत तरीके से उठाने से जटिलताएं हो सकती हैं। हर दिन इन गतिविधियों को दोहराने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान हो सकता है और स्थायी संरचनात्मक विकृति हो सकती है। भारी स्कूलों के बैग की वज़ह से पोस्चरल असंतुलन सबसे चिंताजनक पहलू है।
क्या बोले बेसिक शिक्षाधिकारी
बीएसए शिवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया यदि शासन की मंशा के अनुरूप बैग का बोझ अधिक है तो इसकी जांच कर कार्रवाई की जायेगी।
Apr 14 2024, 20:31