*पश्चिम बंगाल में ईडी के बाद अब एनआईए की टीम पर हमला, ग्रामीणों ने कार पर किया पथराव*
#nia_team_attacked_with_stones_in_west_bengal पश्चिम बंगाल के पूर्वी मेदिनीपुर जिले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम पर लोगों ने हमला कर दिया। इस हमले में एजेंसी के एक अधिकारी के घायल होने की खबर है। एनआईए पूर्व मेदिनीपुर जिले के भूपतिनगर इलाके में 2022 के बम विस्फोट मामले की जांच के लिए पहुंची थी। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने ईंट और पत्थर फेंके। अधिकारियों के गाड़ी में तोड़फोड़ की गई। इस घटना में एक अधिकारी घायल हो गया। एनआईए अधिकारियों टीम ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया और यह दल कोलकाता वापस जा रहा था, तभी उसके वाहन पर हमला हुआ। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्थानीय लोगों ने वाहन को घेर लिया और उस पर पथराव किया। एनआईए ने कहा है कि उसका एक अधिकारी घायल भी हुआ है। उन्होंने बताया कि एनआईए ने भी इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। बता दें कि 2 दिसंबर 2022 को भूपतिनगर थाने के भगवानपुर 2 ब्लॉक के अर्जुन नगर ग्राम पंचायत के नैराबिला गांव में रात करीब 11 बजे भयानक बम विस्फोट हुआ था। घटना में तृणमूल बूथ अध्यक्ष राजकुमार मन्ना, उनके भाई देवकुमार मन्ना और विश्वजीत गायेन की मौत हो गई थी। सूचना मिलने पर पुलिस इलाके में गई और मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी। बाद में कोर्ट के आदेश पर एनआईए ने घटना की जांच अपने हाथ में ली। कोर्ट के आदेश पर विस्फोट की घटना की जांच करने जाने पर एनआईए पर यह हमला हुआ। वैसे पश्चिम बंगाल में जांच एजेंसी पर हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है। इस साल की शुरुआत में संदेशखाली में ईडी की टीम पर हमला किया गया था। दरअसल, राशन घोटाले में जब ईडी की टीम शाहजहां शेख को गिरफ्तार करने पहुंची थी, तो टीम पर हमला कर दिया गया। करीब 55 दिन बाद शाहजहां की गिरफ्तारी हुई थी।
इजराइल पर बड़े हमले की तैयारी में ईरान! मोसाद की चेतावनी के बाद लड़ाकू दस्ते और वायुसेना अलर्ट, पूरे देश में जीपीएस ब्लॉक

#iran_ready_to_launch_missile_and_drone_attack_on_israel

दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमले के बाद ईरान “गुस्से में लाल” है। ईरान अपने कमांडर की मौत का बदला लेने के लिए उतावला है। ईरानी राष्ट्रपति के तेवर देख कर भी यही लग रहा है कि ईरान किसी भी वक्त इजराइल पर हमला कर सकता है। इधर, मोसाद ने चेतावनी दी है कि ईरान जल्द ही इजरायल पर लंबी दूरी की मिसाइलों और ड्रोन से हमला कर सकता है। ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच इजराइल में जीपीएस ब्लॉक कर दिया गया है ताकि मिसाइल या ड्रोन हमले को निष्क्रिय किया जा सके।

ईरान ने सोमवार को सीरिया में अपने वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले का जवाब देने की चेतावनी दी है। ईरानी दूतावास पर हुए हमले के पीछे व्यापक रूप से इजराइल का हाथ माना रहा है। ईरानी अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इजरायल के मिसाइल हमले के जवाब में तेहरान को कार्रवाई करने का अधिकार है। जिसमें रिवॉल्यूशनरी गार्ड के एक वरिष्ठ जनरल सहित 13 लोग मारे गए थे। हालांकि इसराइल ने इस हमले को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

एक्सियोस की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायली अधिकारियों का दावा है कि उनके पास खुफिया जानकारी है जो संकेत देती है कि ईरान "लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों या ड्रोन" का उपयोग करके अपने क्षेत्र से देश पर हमला कर सकता है। माना जाता है कि बुधवार को इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट और अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन के बीच फोन पर बातचीत के दौरान कथित खतरे पर विस्तार से चर्चा हुई। कथित तौर पर दोनों पक्षों ने इस बात पर विचार-विमर्श किया कि संभावित ईरानी प्रतिशोध के लिए सबसे अच्छी तैयारी कैसे की जाए।

लेबनानी न्यूज आउटलेट अल-मायदीन के मुताबिक अमेरिका ने हमले के जवाब में ईरान से अपनी प्रॉपर्टी को निशाना न बनाने की अपील की है। बता दें क्षेत्र में अमेरिका के कई बेस और दूसरे एसिट मौजूद हैं। गाजा जंग में इजराइल का बिना शर्त साथ देने की वजह से अमेरिका को डर है कि कहीं हमलों के जवाब में ईरान उसके बेस को निशाना न बनाए। ईरानी प्रेसीडेंसी ऑफिस से जुड़े मोहम्मद जमशीदी ने खुलासा किया कि तेहरान ने अमेरिका को इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के जाल में न फंसने की चेतावनी दी है, अगर अमेरिका ऐसा करता रहा तो इसका खामयाजा वाशिंगटन को भुगताना पड़ सकता है।

44 साल की हुई भाजपा ! पीएम मोदी बोले- एक और कार्यकाल का आशीर्वाद देने जा रहा देश

 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आज शनिवार, (6 अप्रैल) को अपना 44वां स्थापना दिवस मना रही है. मौजूदा समय में भाजपा संसद में प्रतिनिधित्व के मामले में और पार्टी की सदस्यता के मामले में देश का सबसे बड़ा सियासी दल है. इस मौके पर पार्टी के बड़े नेताओं ने लंबे सफर को याद करते हुए इसके कार्यकर्ताओं की प्रशंसा की है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट करते हुए इसकी बधाई दी है। 

पीएम मोदी ने अपनी पोस्ट में लिखा कि, भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर देशभर के मेरे कर्मठ और परिश्रमी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं। आज भाजपा की उन सभी महान विभूतियों को नमन करने का दिन है, जिन्होंने वर्षों की अपनी कड़ी मेहनत, संघर्ष और त्याग से पार्टी को सींचकर इस ऊंचाई तक पहुंचाया है। मैं आज पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भाजपा देश की सबसे पसंदीदा पार्टी है, जो ‘राष्ट्र प्रथम’ के मंत्र के साथ जन-जन की सेवा में जुटी है।

उन्होंने लिखा कि, यह हम सभी के लिए गौरव की बात है कि भाजपा अपने विकासवादी विजन, सुशासन और राष्ट्रवादी मूल्यों के प्रति हमेशा समर्पित रही है। भाजपा की सबसे बड़ी शक्ति इसके कार्यकर्ता हैं, जो 140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं को पूरा करने में दिन-रात जुटे रहते हैं। देश की युवाशक्ति भाजपा को एक ऐसी पार्टी के रूप में देखती है, जो उनके सपनों को साकार करने के साथ ही 21वीं सदी में भारत को मजबूत नेतृत्व देने में सक्षम है। उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे कहा कि, केंद्र हो या राज्य, हमारी पार्टी ने सुशासन को नए सिरे से परिभाषित किया है। हमारी योजनाओं और नीतियों ने देश के गरीब और वंचित भाई-बहनों को एक नई ताकत दी है। जो लोग दशकों तक हाशिए पर रहे थे, उन्हें अपने लिए भाजपा में उम्मीद की बड़ी किरण दिखी। भाजपा उनकी सशक्त आवाज बनकर सामने आई। हमने हमेशा समग्र विकास के लिए काम किया है, जिससे हर देशवासी का जीवन आसान बना है।

पीएम मोदी ने लिखा कि, हमारी पार्टी देश को भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, जातिवाद, सांप्रदायिकता और वोट बैंक की राजनीति से मुक्त करने के लिए संकल्पबद्ध है। दशकों तक शासन करने वाली पार्टियों ने इसी राजनीतिक संस्कृति को देश की पहचान बना दी थी। नए भारत में स्वच्छ और पारदर्शी शासन होने से विकास का लाभ आज बिना किसी भेदभाव के अंतिम पायदान पर खड़े गरीबों तक पहुंच रहा है। उन्होंने लिखा कि, हमें NDA का अभिन्न अंग होने पर भी गर्व है, क्योंकि यह गठबंधन देश की प्रगति और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को साथ लेकर भारत को आगे ले जाने में विश्वास रखता है। NDA एक ऐसा गठबंधन है, जो देश की विविधता के खूबसूरत रंगों से सजा है। हमारी यह साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण है और मुझे पक्का विश्वास है कि आने वाले समय में हमारा यह गठबंधन और भी मजबूत होगा।

प्रधानमंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा कि, देश की जनता-जनार्दन एक नई लोकसभा चुनने को पूरी तरह से तैयार है। मैं आश्वस्त हूं कि देशभर के मेरे परिवारजन हमें एक और कार्यकाल का आशीर्वाद देने जा रहे हैं, ताकि बीते एक दशक में विकसित भारत के लिए जो नींव तैयार की गई है, उसे नई मजबूती दी जा सके। मैं एक बार फिर भाजपा और एनडीए के अपने सभी कार्यकर्ताओं को शुभकामनाएं देता हूं, जो सरकार और जनता के बीच विकास की सबसे मजबूत कड़ी हैं।

भारत में लोकसभा चुनावों में AI के जरिए प्रभावित कर सकता है चीन, माइक्रोसॉफ्ट ने किया सतर्क

#microsoftwarnedindiachinamisuseailoksabha_elections

भारत में लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। इससे पहले सुरक्षा व्यवस्था को दुरूस्त किया जा रहा है। चुनाव में किसी तरह की अशांति और धांधली ना हो इसकी तैयारी की जा रही है। इस बीच अमेरिका की दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने दावा किया है कि चीन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से भारत के लोकसभा चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है।

माइक्रोसॉफ्ट ने कहा कि भारत में आम चुनाव के दौरान चीन एआई टेक्नोलॉजी का मिसयूज कर के चुनाव पर असर डाल सकती है। कंपनी ने इस दौरान हैकिंग की कोशिश को लेकर भी चेतावनी दी है। टेक कंपनी की थ्रेट इंटेलीजेंस टीम का अनुमान है कि, चीन सरकार के साइबर ग्रुप इस साल होने वाले अहम चुनावों को निशाना बनाएंगे और इसमें उत्तर कोरिया की भी भूमिका हो सकती है। इस साल दुनिया भर में विशेष रूप से भारत, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में होने वाले प्रमुख चुनावों के साथ हमारा आकलन है कि चीन एआई पर कंटेंट जनरेटे कर रहा है।

हैकर्स के लिए एआई प्रमुख हथियार बना

कंपनी का कहना है कि हैकर्स के लिए एआई एक प्रमुख हथियार बन गया है, जो आसानी से वीडियो मॉर्फ (छेड़छाड़ करना) कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ने खुलासा किया है कि चीन चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एआई की मदद से सामग्री बनाने और उसे वायरल करने की योजना बना रहा है। एआई की मदद से प्रसिद्ध हस्तियों की आवाज बदली जा सकती है और उन्हें बड़े पैमाने पर सार्वजनिक रूप से शेयर किया जा सकता है, जो इसे वायरल होने और लाखों लोगों तक पहुंचने में मदद करता है।

ताइवान के चुनाव में चीन ने किया था दुष्प्रचार

रिपोर्ट में जनवरी में ताइवान के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एआई-की मदद से दुष्प्रचार अभियान में चीन के पिछले प्रयास की भी जानकारी दी गई है। माइक्रोसॉफ्ट ने बताया कि जनवरी 2024 में ताइवान के राष्ट्रपति चुनावों को अस्थिर करने के लिए एआई सामग्री का भी उपयोग किया गया था। यह विदेशी चुनाव को प्रभावित करने के लिए एआई की मदद से बनाए गए कंटेट का उपयोग करने वाली चीनी सरकार समर्थित साइबर एजेंसी का पहला कारनामा है। बीजिंग समर्थित एक समूह, जिसे स्टॉर्म 1376 या स्पामौफ्लैज के नाम से जाना जाता है, इस अवधि के दौरान विशेष रूप से सक्रिय था। वह यूट्यूब पर नकली सामग्री पोस्ट कर रहा था और विजेता उम्मीदवार के बारे में एआई-जनरेटेड मीम्स बना रहा था।

पाकिस्तान में टारगेट किलिंग करा रहा भारत! ब्रिटिश अखबार का दावा, जानें भारत का जवाब

#india_carrying_out_target_killing_in_pakistan_revelation_by_the_british_newspaper

ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने भारत को लेकर बड़ा दावा किया है। अखबार का दावा है कि भारत ने पाकिस्तान में बैठे अपने दुश्मनों को घुसकर मारा है। एक-एक कर दुश्मनों के खिलाफ ऑपरेशन चला और ऑपरेशन में उन लोगों का अंत हो गया है जो भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधि में शामिल थे।गार्जियन के मुताबिक भारत ने 2020 से लेकर अब तक पाकिस्तान में बैठे 20 आतंकवादियों का खात्मा किया है।भारत ने पाकिस्तान में हत्याओं की साजिश रचने के दावों का सख्ती से खंडन किया है। उन दावों को 'भारत विरोधी झूठा और दुर्भावनापूर्ण प्रचार' बताया है।

द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में मारे गए सात आतंकियों के मामले की जांच की गई है. इनमें मिले सबूत इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि भारतीय जासूसों ने पाकिस्तानी जमीन पर टारगेट किलिंग की है. उनका दावा है कि 2023 में हत्याओं की संख्या सबसे ज्यादा रही है. ज्यादातर लोगों की हत्या अज्ञात शख्स के जरिए करीब से गोली मारने से हुई है. 

द गार्जियन ने अपनी इस रिपोर्ट में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों से बात कर दावा किया है कि ज्यादातर हत्याएं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से ऑपरेट होने वाले भारतीय खुफिया स्लीपर-सेल के जरिए अंजाम दी गईं. 2023 में बढ़ी हत्याओं की संख्या की वजह स्लीपर-सेल का एक्टिव होना रहा. इन स्लीपर-सेल्स ने अपने दुश्मनों के खात्मे के लिए पाकिस्तान के अपराधियों को लाखों रुपये दिए. दावा किया गया है कि एजेंट्स ने जिहादियों को भी भर्ती किया, जिन्हें ये यकीन दिलाया गया कि वे काफिरों की हत्या कर रहे हैं.

रिपोर्ट में भारतीय सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों से बात करने के बाद दावा किया गया है। ब्रिटिश अखबार द गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दो भारतीय खुफिया अधिकारियों के अनुसार, विदेशों में रहकर भारत के खिलाफ साजिश करने वालों को निशाना बनाने की यह प्रक्रिया खुफिया मिशनों से प्रभावित थी, जिसमें मोसाद और केजीबी के साथ समानताएं थीं। ये कार्रवाइयां विदेशी धरती पर आतंकवादियों को खत्म करने के एक मिशन का हिस्सा थीं, जिसमें खालिस्तान आंदोलन को हवा देने वाले सिख अलगाववादियों को निशाना बनाना भी शामिल था। आरोप 2019 में पुलवामा हमले के बाद शुरू की गई एक रणनीति की ओर इशारा करते हैं, जिसका उद्देश्य आतंकी हमले के खतरे को पनपने से पहले ही बेअसर कर देना है।

गार्जियन की रिपोर्ट में जाहिद अखुंड की हत्या का जिक्र है, जिसे जहूर मिस्त्री के नाम से जाना जाता है। जहूर घोषित आतंकवादी है, जिसने एयर इंडिया का एक विमान हाईजैक किया था। गार्जियन के अनुसार, पाकिस्तान के दस्तावेजों से संकेत मिलता है कि रॉ के एक एजेंट पर कई महीनों तक अखुंड के ठिकाने और गतिविधियों पर खुफिया जानकारी जुटाने के लिए फंडिंग देने का आरोप है। यह दावा किया जाता है कि मार्च 2022 के दौरान कराची में गोलीबारी को अंजाम देने के लिए अफगानिस्तान से लोगों को को बड़ी रकम दी गई थी। इस हमले के बाद वो वहां से गायब हो गए और बॉर्डर पार गए थे। हालांकि बाद में उन्हें पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने पकड़ लिया था।

ब्रिटिश अखबार ने दावा किया कि भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का इसके पीछे हाथ है। साथ ही कहा कि यह पूरा काम प्रधानमंत्री ऑफिस से हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके ऑर्डर दे रहे हैं क्योंकि रॉ का कंट्रोल उन्ही के पास होता है। सरकार उन दुश्मनों का विदेशों में खात्मा कर रही है जो भारत के लिए खतरा है। 2019 के बाद से यह सिलसिला जारी है।

ब्रिटिश अखबार के इस दावे की पोल खुद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ही खोल दी है. उन्होंने कहा है कि द गार्जियन अखबार का दावा भारत विरोधी प्रचार का हिस्सा है. ये दावे पूरी तरह से झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं. विदेश मंत्री ने कहा है कि विदेशी सरज़मी पर टारगेट किलिंग करना भारत का तरीका नहीं है.

अब UPI से बैंक खातों में जमा कर सकेंगे कैश, आरबीआई ने किया बड़ा ऐलान

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जल्द ही कैश डिपॉजिट मशीन में पैसे जमा करने लिए आपको अपने डेबिट या एटीएम कार्ड की जरुरत नहीं पड़ेगी। दरअसल, जल्द ही आप यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI के जरिए कैश डिपॉजिट कर सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक जल्दी ही यूपीआई से कैश डिपॉजिट मशीन में पैसे जमा करने की सुविधा शुरू करने वाला है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को ये जानकारी दी।फ़िलहाल, एटीएम मशीन से यूपीआई के जरिए कैश निकालने की सुविधा उपलब्ध है। अब आप किसी भी एटीएम पर जाकर कार्डलेस सुविधा का इस्तेमाल करके यूपीआई से कैश निकाल सकते हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई जल्दी ही यूपीआई से कैश डिपॉजिट मशीन में पैसे जमा करने की सुविधा को शुरू करने वाला है। गवर्नर ने ये ऐलान मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग के दौरान किया है।हालांकि, ये सुविधा कब तक शुरू होगी। इसके लिए कोई निश्चित तारीख नहीं बताई गई है।

गवर्नर शक्तिकांत दास ने आरबीआई की मोनेट्री पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने ब्याज दरों को स्थिर रखने के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय बैंक ने यूपीआई के जरिए कैश डिपॉजिट की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि फिलहाल एटीएम से कार्डलेस कैश विथड्रॉल किया जा सकता है। फिलहाल कई यूजर्स एटीएम में पैसा जमा करने के लिए कैश के साथ ही डेबिट कार्ड का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। इन कैश डिपॉजिट मशीनों ने बैंक कर्मचारियों का काम घटाने में बड़ी मदद की है। इससे बैंक में लगने वाली लंबी कतारें भी कम हुई हैं। इसलिए हमने इस सेवा में और विस्तार करने का फैसला किया है।

आरबीआई के अनुसार, यूपीआई की लोकप्रियता और स्वीकार्यता को देखते हुए बिना कार्ड के नकद जमा करने की सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा, पीपीआई (प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स) वॉलेट से यूपीआई भुगतान करने के लिए थर्ड पार्टी के यूपीआई ऐप (गूगल पे, फ़ोन पे जैसे ऐप) की अनुमति देने का भी प्रस्ताव किया गया है।

*एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में*
#ncert_political_science_book_change_babri_masjid_gujarat_riots_politics_of_hindutva_topics
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। *गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया* NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।' नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। *बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत* कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है? नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है? *बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा* इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।" अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।" *इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र* चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।
*एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में*
#ncert_political_science_book_change_babri_masjid_gujarat_riots_politics_of_hindutva_topics
नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। *गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया* NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।' नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे। *बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत* कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है? नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है? *बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा* इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।" अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।" *इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र* चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।
एनसीईआरटी ने 12वीं के सिलेबस में किया बदलाव, बच्चे अब नहीं पढ़ेंगे बाबरी विध्वंस और गुजरात दंगों के बारे में

#ncertpoliticalsciencebookchangebabrimasjidgujaratriotspoliticsofhindutvatopics

नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने 12वीं क्लास की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ढेरों बदलाव किए हैं। किताब से बाबरी मस्जिद, हिंदुत्व की राजनीति, 2002 के गुजरात दंगों और अल्पसंख्यकों के जुड़े कुछ संदर्भ हटा दिए गए हैं। इस किताब को एकेडमिक सेशन 2024-25 से लागू कर दिया जाएगा। बीते कुछ सालों में एनसीईआरटी ने सिलेबस में कई ऐसे बदलाव किए है। इन बदलावों को एनसीईआरटी ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया।

गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया

NCERT ने इस बदलाव के लिए तर्क दिया है कि चैप्टर में नए बदलावों के साथ समन्वय बिठाने के लिए प्रश्नों को बदला गया है। कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब में डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स-I के चैप्‍टर 5 में से गुजरात दंगों का जिक्र हटा दिया गया है। मौजूदा किताब में पेज 86 पर लिखा है; क्या आपको इस पेज पर समाचार कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का संदर्भ दिखाई देता है? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले, जैसे गुजरात दंगे, पूरे भारत से नोटिस में लाए जा रहे हैं।'

नई किताब में पेज 86 पर लिखा होगा; भारत भर से विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सार्वजनिक नोटिस में लाए जा रहे हैं। 

एक और बड़े बदलाव में, कक्षा 11 की पॉलिटिकल साइंस की किताब 'पॉलिटिकल थ्योरी' के पेज 112 पर धर्मनिरपेक्षता के टॉपिक में गोधरा के बाद के दंगों में मारे गए मुसलमानों का संदर्भ हटा दिया है। मौजूदा संस्करण में लिखा है; 2002 में गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम थे। नई किताब में लिखा होगा; गुजरात में गोधरा के बाद हुए दंगों के दौरान 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे।

बच्चे नहीं पढ़ेंगे अयोध्या विध्वंस की विरासत

कक्षा 12 की पॉलिटिकल साइंस की किताब के चैप्‍टर 8 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के पेज 136 पर बदलाव किए गए हैं।मौजूदा संस्करण में लिखा है; राजनीतिक लामबंदी की प्रकृति के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन और अयोध्या विध्वंस की विरासत क्या है?

नई किताब में लिखा होगा; राम जन्मभूमि आंदोलन की विरासत क्या है?

बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा

इसी चैप्टर से बाबरी मस्जिद और हिंदुत्व की राजनीति का जिक्र भी हटा दिया गया है। पहले पैराग्राफ़ में लिखा था- "कई घटनाओं के नतीजे के रूप में दिसंबर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे (जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था) को गिराया गया। यह घटना देश की राजनीति में कई बदलावों की शुरुआत का प्रतीक बनी और भारतीय राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता की प्रकृति को लेकर बहस तेज हो गई. इसी के साथ देश में बीजेपी का उदय हुआ और 'हिंदुत्व' की राजनीति तेज़ हुई।"

अब ये पैराग्राफ़ बदल दिया गया है। नया पैराग्राफ़ कुछ इस तरह है- "अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर पर सदियों पुराने कानूनी और राजनीतिक विवाद ने भारत की राजनीति को प्रभावित करना शुरू कर दिया जिसने कई राजनीतिक परिवर्तनों को जन्म दिया। राम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन, केंद्रीय मुद्दा बन गया, जिसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र पर चर्चा की दिशा बदल दी। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले (9 नवंबर, 2019 को घोषित) के बाद इन बदलावों का नतीजा ये हुआ कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ।"

इसे भी अब नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र

चैप्टर 5 में ‘अंडरस्टैंडिंग मार्जिनलाइजेशन’ से मुसलमानों को विकास के लाभों से वंचित करने से जुड़ा संदर्भ हटा दिया गया है। अब तक पैराग्राफ में लिखा था- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं और आज भारत में अन्य समुदायों की तुलना में वो हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है। 

अब लिखा गया है- 2011 की जनगणना के अनुसार मुस्लिम भारत की आबादी का 14.2% हैं। वे सामाजिक-आर्थिक विकास में तुलनात्मक रूप से कमजोर हैं और इस लिए उन्हें हाशिए पर रहने वाला समुदाय माना जाता है।

बाइडेन ने एक फोन पर नरम पड़े नेतन्याहू, छह महीने बाद गाजा के साथ क्रॉसिंग खोला

#israelopensgazaerezcrossinghamaswaruswarning

हमास और इस्राइल के बीच कई माह से जंग जारी है। इस युद्ध को रुकवाने के लिए कोशिशें जारी है, लेकिन फिर भी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है।इजराइल और हमास के बीच जारी जंग के दौरान अब तक की सबसे बड़ी राहत देने वाली खबर सामने आई है। पहले की तुलना में अब इजराइल के रुख में लचीलापन देखने को मिल रहा है। इजराइल की तरफ से शुक्रवार को कहा गया है कि वह गाजा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए कदम उठा रहा है। जिसमें बुरी तरह प्रभावित उत्तरी गाजा की एक सीमा को फिर से खोलना भी शामिल है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने योजनाओं की घोषणा की।अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को एक-दूसरे से फोन पर बातचीत की। जिसके बाद नेतन्याहू के रूख में नर्मी देखी जा रही है।

इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने 7 अक्टूबर के हमास हमलों के बाद पहली बार इजरायल और उत्तरी गाजा के बीच इरेज़ क्रॉसिंग को फिर से खोलने की मंजूरी दे दी है। सीएनएन के मुताबिक एक इजरायली अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

इज़रायली अधिकारी ने कहा कि गाजा में अधिक मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए क्रॉसिंग को खोला जाएगा। कैबिनेट ने गाजा में अधिक सहायता पहुंचाने में मदद के लिए इजरायली बंदरगाह अशदोद का इस्तेमाल करने की भी मंजूरी दे दी। इरेज क्रॉसिंग, एक पैदल यात्री मार्ग है। यह उन बॉर्डर प्वाइंट्स में से एक है जिसका उल्लंघन 7 अक्टूबर को हमास लड़ाकों ने इजरायल पर हमला करने के लिए किया था।

बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत

इजराइल की तरफ से यह घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और नेतन्याहू के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद की गई है। इससे पहले फोन पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी। बातचीत के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि गाजा में युद्ध के लिए भविष्य का अमेरिकी समर्थन नागरिकों और सहायता कर्मियों की सुरक्षा के लिए इजराइल की ओर से और अधिक कदम उठाए जाने पर निर्भर करेगा। 

बता दें कि मतभेदों के बावजूद, बाइडन प्रशासन ने हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध के लिए इजराइल को महत्वपूर्ण सैन्य सहायता और राजनयिक समर्थन प्रदान करना जारी रखा है।

सात अक्तूबर को हमास ने किया था हमला

बता दें, इजराइल और हमास के बीच युद्ध लगातार जारी है। हर तरफ चीख-पुकार मची हुई है। सात अक्तूबर से लेकर अब तक 30 हजार से अधिक लोगों की इस संघर्ष में मौत हो चुकी है। वहीं, हमास के बाद इजराइली सेना भी कार्रवाई करते हुए बिना रुके हमले कर रही है। इजराइल ने गाजा में जमीन, हवाई, समुद्र समेत सभी यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया था। पहले लोगों की आवाजाही के लिए इरेज और माल के लिए केरेम शालोम बॉर्डर थे।

इस कारण इजराइल की हो रही आलोचना

गौरतलब है कि गाजा में एक इजरायली हवाई हमले में ‘वर्ल्ड सेंट्रल किचन’ के 7 अंतरराष्ट्रीय सहायताकर्मियों की मौत हो जाने के बाद इजरायल की दुनिया भर में आलोचना हो रही हैं। यह सभी लोग गाजा में फूड सप्लाई के काम में लगे थे। हमले में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, पोलैंड, ब्रिटेन और अमेरिका के वर्ल्ड सेंट्रल किचन कार्यकर्ताओं के साथ-साथ उनका एक फिलिस्तीनी सहयोगी मारा गया। इजराइल का कहना है कि हमला एक गंभीर गलती थी और उसने माफी मांगी है। इसमें स्वतंत्र जांच का भी वादा किया गया है।