अश्लीलता से कराह रहा है बिहार:अश्लीलता को समाप्त करने युवक ने शुरू की पद यात्रा, पार कर चुका है 12 जिला
द्विअर्थी भोजपुरी गाना और भोजपुरी कॉमेडी का बिहार में बढ़ रहा चलन अब लोगों को परेशान करने लगा है। सभ्य समाज इसे सही नहीं मानता है। लेकिन मजबूरी है कि राह चलते देखना और सुनना पड़ता है। इससे आहत होकर बेतिया के एक युवक ने अश्लीलता मुक्त बिहार अभियान शुरू कर दिया है।
बेतिया के नौतन थाना क्षेत्र स्थित श्यामपुर कुटराहा निवासी 27 वर्षीय अजीत गुप्ता अश्लील गाना से इतना परेशान हो गया, आहत हो गया कि उसने पूरे बिहार से अश्लील गाना, आर्केस्ट्रा और अभद्र वीडियो को बंद कराने के लिए अश्लील मुक्त बिहार पैदल यात्रा शुरू कर दिया।
कंधे पर तिरंगा ध्वज, हाथ में अश्लीलता मुक्त बिहार का पोस्टर और पीठ पर बैग के पीछे इसका फ्लेक्स लेकर वह 1 मार्च को बेतिया से निकल गया। जहां से मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, सहरसा खगड़िया होते हुए बेगूसराय पहुंचा तथा रविवार की रात उसने जीरो माइल के समीप गुजारी।
अजीत गुप्ता ने कहा कि हमारी यात्रा को देखकर कुछ लोगों ने मजाक उड़ाया। लेकिन देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए पहले तो किसी ने अकेले ही लड़ाई शुरू की थी और बाद में कांरवा बढ़ता गया। हम 12 जिलों से गुजर गए हैं, 400 से अधिक लोगों का समर्थन मिला है। व्हाट्सएप और सोशल मीडिया के माध्यम से लोग मेरी बात का समर्थन कर रहे हैं।
हम पटना पहुंचकर एक बार फिर लोगों से इसके लिए आगे आने की अपील मीडिया और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से करेंगे। उन्होंने कहा है आजकल भोजपुरी गानों के माध्यम से महिलाओं को गाली दिया जा रहा है। जो गाना बन रहा है, वह गाना कम गाली अधिक दिख रहा है। आजकल जो गाने बज रहे हैं, उसमें महिलाओं को कम कपड़े में दिखाया जा रहा है।
जाति, धर्म, समुदाय और कई गंदे-गंदे शब्दों को मिलाकर मिलाकर गाना के माध्यम से महिलाओं का चरित्र चित्रण किया जा रहा है। आजकल भोजपुरी में कॉमेडी वीडियो आ रहा है। उसमें अधिक से अधिक गाली गलौज के साथ वीडियो बन रहा है, जिसे देखकर बच्चे खराब हो रहे हैं। मैं चाहता हूं कि यह बिहार से पूरी तरह से खत्म हो।
अजीत ने कहा कि इससे हमारी संस्कृति और भाषा सब खत्म हो रहा है। अश्लीलता मुक्त बिहार बनाने के लिए हमने बेतिया से यह यात्रा शुरू किया है। बेतिया से मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, मधेपुरा, अररिया, पूर्णिया, फिर मधेपुरा, सहरसा, खगड़िया होते हुए बेगूसराय पहुंचे हैं। समस्तीपुर, वैशाली होते हुए 6-7 अप्रैल को पटना पहुंचने का लक्ष्य है।
अजीत ने बताया कि रहने और खाने में खर्च नहीं लगता है। जहां रात होता है, वहीं लोगों से मदद ले लेते हैं, खाकर सो जाते हैं, सुबह में भी उन्हीं के घर पर खाकर आगे बढ़ जाते हैं। बहुत जरूरी पड़ जाता है तो ढाबा पर रुक जाते हैं, उन्हीं से मदद लेकर खाना लेते हैं। लोगों से एक दिन पूरे बिहार में एक साथ आगे आने की अपील कर रहे हैं।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Apr 05 2024, 18:57