बेगूसराय के मटिहानी में वोट बहिष्कार का ऐलान : 1992 में गंगा के कटाव से हुए विस्थापितों का अभीतक पुनर्वास नहीं होने से लोग है नाराज
बेगूसराय : लोकसभा चुनाव की सरगर्मी काफी तेज हो गई है। बेगूसराय में NDA के प्रत्याशी गिरिराज सिंह और महागठबंधन के प्रत्याशी अवधेश राय ने जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है। मतदाताओं को अपने-अपने तरीके से लुभाया जा रहा है, लेकिन इन सबके बीच बेगूसराय में वोट बहिष्कार का नारा भी बुलंद होने लगा है।
नेताओं के वादे और दावे से परेशान लोग वोट बहिष्कार का बैनर लगाकर दावे की हकीकत बता रहे हैं। ताजा मामला मटिहानी प्रखंड में स्थित गुप्ता-लखमीनिया बांध का है, जहां सोनापुर से लेकर दरियापुर तक बलहपुर पंचायत में बांध के किनारे बसे गंगा के कटाव से पीड़ितों ने वोट बहिष्कार का निर्णय लेते हुए इसका बैनर जगह-जगह टांग दिया है।
बैनर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पुनर्वास नहीं तो वोट नहीं। पीड़ितों ने कहा कि हम 32 साल से बांध के किनारे रह रहे हैं। सरकार बड़ी-बड़ी बातें करती है, नेताजी यहां वोट लेने आते हैं तो बड़े-बड़े वादे करते हैं। लेकिन इस 32 साल में हमें ना तो बसने के लिए जमीन दी गई, ना घर मिला, ना शौचालय और ना ही पानी की सुविधा मिली।
सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत सभी को पक्का मकान देने की बात कर रही है। लेकिन हम लोगों को तो आज तक स्थाई रूप से बसने की भी व्यवस्था नहीं किया गया है। आवास और शौचालय की बात तो बहुत दूर है। इन लोगों ने कहा कि हम सब बलहपुर पंचायत-1 के वासी हैं।
1992 में गंगा में भयंकर कटाव हुआ था, हम सबका घर सहित सब कुछ गंगा नदी में समा गया। कटाव इतना तेज था कि घर से कुछ भी समान नहीं निकल सके। घर और जमीन कट जाने के बाद हम लोगों ने मुखिया से गुहार लगाई, सीओ-वीडीओ से गुहार लगाई। लेकिन किसी ने रहने की कोई व्यवस्था नहीं किया। मजबूर होकर हम 360 परिवार गुप्ता-लखमीनिया बांध के दोनों किनारे सोनापुर से दरियापुर तक करीब 3 किलोमीटर बस गए।
उस समय से फूस की अस्थाई झोपड़ी बना कर रह रहे हैं। बांध किनारे रहने के कारण बराबर हादसा होते रहता है, लोगों की मौत हो जाती है। 1992 से अब तक जितने भी चुनाव हुए सब में हम लोगों ने अपने पुनर्वास के मुद्दे को उठाया। चुनाव के समय सभी ने वादा किया, लेकिन उसके बाद फिर कुछ नहीं हुआ। पिछले चुनाव में भी हम लोगों ने जब वोट बहिष्कार की बात की थी, नेता और अधिकारी आए आश्वासन दिया गया था।
लेकिन 5 साल बीतने के बाद भी हमारी कोई व्यवस्था नहीं किया गया। मजबूर होकर एक बार फिर हम लोगों ने सामूहिक रूप से वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है। 360 परिवार में करीब 1100 वोटर हैं और हम लोग किसी भी प्रत्याशी को वोट नहीं देंगे। जब ना रहने और ना खाने ठिकाना है, तो वोट क्यों दें।
इनका कहना है कि बेटे-बेटी की शादी में भारी मुसीबत आता है, बरतुहार पक्ष के लोग घर नहीं रहने के कारण आते नहीं हैं। जिसके कारण दर्जनों कुंवारे अब वृद्ध होने के कगार पर हैं। किसी का ध्यान नहीं है, धरना दिया तो अधिकारियों ने जल्द ही इस पर पहल करने का आश्वासन दिया था। हम लोगों को सब बेवकूफ बना रहे हैं, जब हम लोकतंत्र का हिस्सा ही नहीं हैं तो लोकतंत्र के पर्व में मतदान क्यों करेंगे।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Apr 03 2024, 16:56