“जेल से सरकार चलाएं केजरीवाल, ना दें इस्तीफा”, केजरीवाल की पत्नी से मिलकर बोले आप के विधायक

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दिल्ली के मुक्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश के इतिहास में पहले ऐसे सीएम हैं, जिन्हें पद पर रहते हुए गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तारी के बावजूद भी केजरीवाल ने पद से इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया था और वह दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। हालांकि विपक्षी दल बीजेपी की ओर से लगातार इस्तीफे के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस बीच आम आदमी पार्टी के विधायकों ने आज अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की। आप विधायकों ने एक सुर में सुनीता केजरीवाल से कहा कि किसी भी तरह सीएम अपने पद से इस्तीफा न दें।सुनीता केजरीवाल के साथ बैठक में मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय और कैलाश गहलोत सहित 55 विधायक और 6 मंत्री मौजूद थे।

आप नेताओं संग सुनीता केजरीवाल की बैठक के बाद सौरभ भरद्वाज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने भी आज हुई बैठक के बारे में बात की। बीजेपी के सुनीता केजरीवाल को अगला सीएम बनाने वाले सवाल पर सौरभ ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली की पूरी जनता है और सरकार जेल से ही चलेगी। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा सोचती है कि हमें उन्हें मुख्यमंत्री पद देना चाहिए। हम उन्हें नहीं देंगे,वे चिंतित हो सकते हैं, लेकिन चीजें इस तरह से चलती रहेंगी।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुलाकात के दौरान करीब दो दर्जन विधायकों ने सुनिता जी से कहा कि भाजपा बहुत दवाब बनाएगी कि मुख्यमंत्री इस्तीफा दे दे, जैसे लोकपाल के समय पर किया गया था। उन्होंने इस्तीफा दिया तो बोले भाग गए। विधायकों ने कहा कि अब हमलोगों का संदेश सुनिता जी ही उन तक पहुंचाएंगी इसलिए हम सभी ये चाहते हैं कि वो इस्तीफा न दें, जेल से ही सरकार चलाएं। उन तक (अरविंद केजरीवाल) ये संदेश पहुंचाए की वो मुख्यमंत्री थे, हैं और आगे भी रहेंगे।

बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने लगभग दो घंटे की पूछताछ के बाद 21 मार्च को उनके आधिकारिक आवास से गिरफ्तार किया था। शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सोमवार को कोर्ट ने 15 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

'सभी VVPAT पर्चियों का EVM से मिलान हो..', याचिका पर चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

आज सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर संज्ञान लिया जिसमें चुनावों में सभी वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की गिनती करने की मांग की गई है। वर्तमान में, संसदीय क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में सत्यापन के लिए केवल 5 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) को यादृच्छिक रूप से चुना जाता है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अदालत ने इस याचिका पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर एक अन्य याचिका के साथ विचार किया, जो इसी तरह की कार्रवाई की मांग करती है।

याचिका में चुनाव आयोग के उस दिशानिर्देश को चुनौती दी गई है, जिसमें VVPAT सत्यापन को एक के बाद एक क्रमिक रूप से करने की आवश्यकता होती है, जिससे देरी होती है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यदि एक साथ अधिक अधिकारियों को शामिल करके सत्यापन किया जाए तो पूरा VVPAT सत्यापन 5-6 घंटे में पूरा किया जा सकता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार द्वारा लगभग 24 लाख वीवीपैट पर लगभग 5000 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद, वर्तमान में केवल लगभग 20,000 वीवीपैट पर्चियों का सत्यापन किया जाता है।

विशेषज्ञों ने वीवीपैट और ईवीएम के बारे में चिंता जताई है, खासकर उनकी गिनती के बीच पिछली विसंगतियों को देखते हुए। इसलिए, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देने के लिए कि उनके वोट ठीक से दर्ज किए गए हैं, सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती करना महत्वपूर्ण है।

याचिकाकर्ता की चार मांग 

1- चुनाव आयोग को EVM में गिनती को वीवीपैट पेपर पर्चियों के साथ क्रॉस-सत्यापित करने का आदेश दिया जाए।

2- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और VVPAT पर मैनुअल के दिशानिर्देश संख्या 14.7 (एच) को रद्द करना जो केवल वीवीपीएटी पर्चियों के क्रमिक सत्यापन की अनुमति देता है, जिससे देरी होती है।

3- मतदाताओं को अपने वोट की गिनती सुनिश्चित करने के लिए VVPAT पर्ची को मतपेटी में डालने की अनुमति देना।

4- VVPAT मशीन के शीशे को पारदर्शी बनाना और प्रकाश की अवधि को मतदाताओं के लिए इतना लंबा बनाना कि वे अपना वोट दर्ज देख सकें।

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन और नेहा राठी ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व किया। इससे पहले, एडीआर की एक ऐसी ही याचिका के जवाब में, चुनाव आयोग ने सभी वीवीपैट को सत्यापित करने में व्यावहारिक कठिनाइयों का हवाला दिया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली पीठ ने 100% वीवीपैट सत्यापन की मांग के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे महत्वपूर्ण लाभ के बिना ईसीआई पर बोझ पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को लगाई फटकार, भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा ने मांगी माफी

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भ्रामक विज्ञापनों के मामले पर योग गुरु रामदेव, पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों को उचित हलफनामा दाखिल नहीं करने और नियमों को अनदेखी करने के लिए फटकार लगाई और कहा कि आपको इस मामले में हलफनामा दायर करना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी में कहा कि आप देश की सेवा करने का बहाना मत बनाइए। सुप्रीम कोर्ट हो या देश की कोई भी अदालत। आदेश का पालन होना ही चाहिए।

बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की दो सदस्यीय बेंच ने मंगलवार को सुनवाई की। इन दोनों की तरफ से पेश वकील बलबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हलफनामा दाखिल कर दिया गया है। इस पर बेंच ने पूछा कि रामदेव का हलफनामा कहां है?

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण को एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया। साथ ही आदेश दिया कि अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी। कोर्ट ने पतंजलि के एमडी के हलफनामे में दिए बयान को भी खारिज कर दिया कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स (मैजिक रेमेडीज) एक्ट पुराना है

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को अदालत के नोटिस का जवाब नहीं देने पर कहा कि यह पूर्ण अवहेलना है। सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, देशभर की अदालतों से पारित हर आदेश का सम्मान होना चाहिए। आपको इस मामले में हलफनामा दायर करना चाहिए था। अदालत ने कहा कि आपको अदालत में दिए गए आश्वासनों का पालन करना होगा, आपने हर सीमा लांघकर रख दी।

रामदेव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने अदालत से योग गुरु की मौजूदगी और उनके बिना शर्त माफी मांगने पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था। साथ ही पक्षकारों के वकीलों को पूरे मुद्दे का समाधान खोजने में मदद करने की पेशकश की।

न्यायमूर्ति कोहली ने बालकृष्ण के वकील से कहा, 'आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि हलफनामा समय पर दाखिल हो।' वहीं, पतंजलि ने अपनी याचिका में मांग की कि विज्ञापन मामले में ताजा हलफनामा दायर करने के लिए और समय दिया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि कभी-कभी चीजों को सही फैसले तक पहुंचना जरूरी है। इस पर योग गुरु रामदेव ने पतंजलि के औषधीय उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने पर अदालत से बिना शर्त माफी मांगी।

उत्तरकाशी: लंबे इंतजार के बाद देश के पहले हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का निर्माण शुरू, गंगोत्री धाम के पास लंका में होगा तैयार

लंबे इंतजार के बाद देश के पहले हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का निर्माण शुरू हो गया है। कार्यदायी संस्था ग्रामीण निर्माण विभाग ने गंगोत्री धाम के निकट लंका में निर्माण के लिए प्रस्तावित साइट का डेवलपमेंट शुरू कर दिया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि करीब तीन साल में यह केंद्र बनकर तैयार हो जाएगा।

देश के पहले हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र (एसएलसीसी) के निर्माण की घोषणा वर्ष 2020 में हुई थी। वन विभाग की ओर से बनाए जाने वाले केंद्र के निर्माण का जिम्मा ग्रामीण निर्माण विभाग को दिया गया। विभाग ने वर्ष 2020 में ही केंद्र निर्माण के लिए डिजाइन और ड्राइंग का काम पूरा कर लिया था। प्रस्तावित केंद्र में बनने वाले हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र व कैफेटेरिया के लिए 4.87 करोड़ व वन विभाग सुविधा भवन के लिए 1.23 करोड़ की डीपीआर तैयार की गई।

सुविधा भवन के निर्माण के लिए 49 लाख की पहली किस्त भी जारी हो गई थी। जिस पर निविदा प्रक्रिया शुरू हुई थी, लेकिन फिर प्रोजेक्ट निर्माण लटक गया। अब करीब चार साल बाद फिर केंद्र निर्माण की कवायद शुरू हो गई है। गत मार्च माह में कार्यदायी संस्था ने लंका में साइट डेवलपमेंट का काम शुरू कर दिया है।

इको फ्रेंडली ढंग से होना है निर्माण

प्रस्तावित केंद्र का निर्माण इको फ्रेंडली ढंग से पत्थर, लकड़ी व मिट्टी से होना है, जिसमें न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट का ध्यान रखा जाएगा। गंगोत्री नेशनल पार्क से लगे लंका में बनने वाले इस केंद्र के निर्माण से क्षेत्र में हिम तेंदुआ संरक्षण की पहल की जाएगी। लंका के आसपास के क्षेत्र में स्नो लैपर्ड ट्रेल विकसित की जाएंगी। जिसमें पर्यटकों को हिम तेंदुओं को करीब से देखने के साथ उनके वासस्थल को करीब से जानने का भी मौका मिलेगा।

हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र के निर्माण के लिए साइट डेवलपमेंट का काम शुरू कर दिया गया है। प्रस्तावित जगह पर निर्माण सामग्री भी जुटाई जा रही है। लगभग 36 माह में काम पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

चारधाम यात्रा : केदारनाथ हेली सेवा से जाने के लिए टिकट की बुकिंग के लिए पंजीकरण करवाना होगा अनिवार्य, 5 प्रतिशत किराया भी बढ़ेगा

चारधाम यात्रा में इस बार केदारनाथ हेली सेवा के किराये में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी। 10 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुल रहे हैं। इसी दिन से सिरसी, फाटा और गुप्तकाशी से हेली सेवा का संचालन शुरू हो जाएगा।

पिछली यात्रा में 1.50 लाख से अधिक तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर से केदारनाथ धाम पहुंचे थे। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण ने केदारनाथ हेली सेवा के संचालन के लिए एविएशन कंपनियों के साथ तीन साल का अनुबंध किया है। अनुबंध की शर्तों के अनुसार, इस बार हेली कंपनियां किराये में पांच प्रतिशत तक बढ़ोतरी करेगी।

पिछले यात्रा सीजन में पवन हंस, कैट्रल एविएशन, हिमालयन हेली, एयरो एविएशन समेत अन्य कंपनियों से हेली सेवा का संचालन किया था। यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर से केदारनाथ जाने के लिए टिकटों की मारामारी रहती है। पिछले साल की तरह इस बार भी टिकटों की बुकिंग आईआरसीटीसी के माध्यम से टिकटों की बुकिंग की जाएगी।

चारधाम यात्रा में केदारनाथ हेली सेवा से जाने के लिए यात्रियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा। बिना पंजीकरण के यात्री हेली सेवा की ऑनलाइन टिकट बुकिंग नहीं कर पाएंगे। साथ ही एक बार में एक व्यक्ति अपनी आईडी से अधिकतम छह सीटों की बुकिंग कर सकेगा, जबकि समूह में यात्रा करने वाले यात्री एक बार में 12 सीट बुक कर सकते हैं। इस बार भी आईआरसीटीसी के माध्यम हेली टिकटों की बुकिंग की जाएगी।

पिछले साल चारधाम यात्रा में हेली सेवा का एकतरफ का किराया

सेवा              किराया प्रति यात्री (रुपये में)

सिरसी से केदारनाथ       2,749

फाटा से केदारनाथ       2,750

गुप्तकाशी से केदारनाथ    3,870

पत्नी कांग्रेस विधायक, पति बसपा उम्मीदवार ! बालाघाट में घर तक आई चुनावी लड़ाई, अलग-अलग रहने की नौबत

मध्य प्रदेश की बालाघाट लोकसभा सीट पर मुंजारे परिवार के भीतर राजनीतिक मुकाबला एक अनोखे परिदृश्य में बदल गया है। इधर, कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे को उनके पति बसपा प्रत्याशी कंकर मुंजारे ने 19 अप्रैल को मतदान वाले दिन तक दूरी बनाए रखने की हिदायत दी है।

अनुभा मुंजारे ने खुलासा किया कि उनके पति ने अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के कारण एक साथ रहने पर मिलीभगत की संभावित धारणाओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनावों में अपनी साझा भागीदारी को याद किया, जहां उन्होंने बालाघाट सीट से कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ा था, जबकि उन्होंने जिले की परसवाड़ा सीट से गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रतिनिधित्व किया था। अनुभा ने अचानक अलग होने की आवश्यकता पर भी सवाल उठाए, उन्होंने कहा कि जब हम पिछली बार अलग नहीं रहे थे, तो अब क्या जरुरत पड़ गई ?

33 साल से शादीशुदा होने और अपने बेटे के साथ खुशी से रहने के बावजूद, अनुभा ने अपने वैवाहिक सद्भाव और वर्तमान स्थिति के बीच विरोधाभास पर प्रकाश डाला। उन्होंने ग्वालियर के सिंधिया जैसे परिवारों के उदाहरण बताए, जो अलग-अलग राजनीतिक संबद्धताओं के बावजूद सह-अस्तित्व में हैं। जबकि अनुभा ने बालाघाट लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस उम्मीदवार सम्राट सरस्वर को अपना पूरा समर्थन देने का वादा किया, और कहा कि प्रचार अभियान के दौरान वे अपने पति के बारे में गलत नहीं बोलेंगी। उन्होंने कहा कि हम बालाघाट में भाजपा को हराने पर जोर देंगे। 

वहीं, कंकर मुंजारे ने अपना रुख दोहराते हुए जोर देकर कहा कि परस्पर विरोधी विचारधारा वाले व्यक्तियों का सहवास 'मैच फिक्सिंग' के संदेह को आमंत्रित करेगा। उन्होंने अपनी पत्नी को अल्टीमेटम जारी करते हुए 19 अप्रैल तक अनुपस्थित रहने या घर से अलग रहने की हिदायत दी।

सिंधिया परिवार का गढ़ गुना, राजघराने के आगे जातिवाद की राजनीति का भी असर नहीं

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गुना सीट का गणित है काफी दिलचस्प

गुना में नहीं होता जातिवाद की राजनीति का असर

यहां पार्टी नहीं, सिंधिया उम्मीदवार रखता है मायने

नेहरू के कहने पर चुनावी मैदान में उतरा सिंधिया परिवार

1957 में राजमाता ने पहली बार जीता लोकसभा चुनाव

कभी ग्वालियर रियासत का हिस्सा रही गुना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है। भले ही सिंधिया परिवार राजशाही से लोकशाही में आ गया हो पर यहां के लोग इस खानदान को काफी सम्मान देते हैं। गुना सीट का गणित काफी दिलचस्प है। यहां पार्टी कोई मायने नहीं रखती, दिखता है बस सिंधिया उम्मीदवार का नाम। शायद यही वजह है कि 1977 में माधवराव सिंधिया निर्दलीय चुनाव में उतरे तो भी बड़े अंतर से जीते।

नेहरु ने सिंधिया परिवार को मनाया

सिंधिया राजपरिवार का चुनावी संबंध भारत के आजाद होने के बाद से शुरु हुआ है। राजतंत्र समाप्त होने के बाद जीवाजी राव सिंधिया का कद गुना क्षेत्र में बढ़ रहा था। उनकी उभरती हुई छवि को देखते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरु उन्हें गुना सीट से चुनाव लड़ाना चाहते थे। लेकिन जब वे तैयार नहीं हुए तो ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया को चुनाव लड़ने के लिए मनाया गया। साल 1957 में राजमाता ने कांग्रेस के टिकट से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता।

सिंधिया परिवार में दिखा तनाव

राजमाता सिंधिया के बाद उनके बेटे माधवराव सिंधिया भी बहुत जल्द राजनीति में उतर गए थे। मात्र 26 साल की युवा उम्र में माधवराव सिंधिया ने जनसंघ के टिकट पर चुनाव जीता। साल 1977 में माधवराव ने जनसंघ से किनारा कर लिया और निर्दलीय ही चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। उन्होंने निर्दलीय खड़े होकर भी गुना सीट पर जीत हासिल की। आगे चलकर साल 1980 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। राजनीति के चलते माधवराव और उनकी मां राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बीच राजनीतिक मतभेद शुरु हो गया और विचारधारा अलग-अलग हो जाने के कारण दोनों विरोधी पार्टियों में चले गए। साल 1989 में गुना लोकसभा सीट से विजयाराजे सिंधिया ने भाजपा के टिकट से चुनाव लड़कर कांग्रेस के महेंद्र सिंह को करारी मात दी। विजयाराजे सिंधिया ने इसके बाद लगातार चार बार भाजपा के टिकट से चुनाव जीता।

ज्योतिरादित्य संभाल रहे राजनीतिक विरासत

माधवराव सिंधिया ने गुना सीट से कुल चार चुनाव जीते। साल 1999 में उन्होंने आखिरी बार चुनाव जीता था। इसके बाद साल 2001 में एक विमान हादसे में उनकी असमय मौत हो गई थी। जिसके बाद उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया का सियासी सफर शुरु हुआ। साल 2002 के उप-चुनाव में उन्हें मैदान में उतारा गया और उन्होंने अपने पिता की सीट से कांग्रेस को जीत दिलाई।

गुना में जातिवाद की राजनीति का असर नहीं

गुना सीट के चुनावी इतिहास देखने पर पता चलता है कि यहां पर सिंधिया राजघराने का वर्चस्व रहा है। राजमाता विजयाराजे यहां से 6 बार सांसद रहीं, उनके बेटे माधवराव चार बार लोकसभा का चुनाव जीतकर यहां से सांसद बने। फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी तीन बार गुना सीट से सांसद रहे। फिर भी जातिवाद की राजनीति यहां बेअसर रही। जातिवाद का कार्ड यहां नहीं चल पाने का सबसे बड़ा कारण ही सिंधिया परिवार है। सिंधिया परिवार के प्रति लोगों का प्रेम अब भी बरकरार है और स्थानीय लोग अब भी रियासत के हिसाब से सिंधिया परिवार को देखते हैं।

केजरीवाल की मंत्री आतिशी का बड़ा दावा, बोलीं- मुझे बीजेपी ज्वाइन करने के लिए संपर्क किया, चार और गिरफ्तारियों की भी कही बात

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दिल्ली मंत्री आतिशी ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि ईडी मेरे घर पर छापेमारी कर सकती है और आने वाले दिनों में मुझे भी जेल में डाला जा सकता है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि सौरभ भारद्वाज, राघव चड्ढा और दुर्गेश पाठक को भी गिरफ्तार किया जा सकता है। आतिशी ने दावा करते हुए कहा, मुझे बताया गया कि अगर एक महीने में बीजेपी ज्वाइन नहीं की तो ईडी गिरफ्तार कर लेगी।

2 महीने में पार्टी के 4 नेताओं की गिरफ्तारी का प्लान

प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतिशी ने कहा कि पहले हमारे बड़े नेताओं को गिरफ्तार किया गया। अब इनका प्लान है कि आने वाले 2 महीने में आम आदमी पार्टी के 4 नेताओं को और गिरफ्तार करें। आतिशी ने कहा कि मुझे बताया गया कि आने वाले कुछ ही दिनों में मेरे और मेरे रिश्तेदारों के घर में ईडी की रेड होगी। उसके बाद हम सब लोगों को समन भेजे जाएंगे और उसके कुछ ही समय बाद हमें गिरफ्तार किया जाएगा। मेरे अलावा आप सांसद राघव चड्‌ढा, सौरभ भारद्वाज, दुर्गेश पाठक को भी गिरफ्तार करने की तैयारी है। आतिशी ने कहा ईडी ने कल कोर्ट में मेरा और सौरभ भारद्वाज का नाम लिया। उस बयान के आधार पर जो ईडी और सीबीआई के पास पिछले डेढ़ साल से है। ये स्टेटमेंट ईडी की चार्जशीट में भी है।

बीजेपी ज्वाइन नहीं की तो कसेगा ईडी का शिकंजा

आप नेता ने कहा, मुझे बताया गया कि अगर एक महीने में बीजेपी ज्वाइन नहीं की तो ईडी गिरफ्तार कर लेगी। मुझसे कहा गया है कि आप अपना पॉलिटकल करियर बचा लीजिए या फिर जेल जाने के लिए तैयार रहिए। आतिशी ने कहा कि, कल शाम को मैंने ट्वीट करके बताया था कि आज बहुत ही सनसनीखेज खबर आपके सामने रखूंगी। मैं बताना चाहती हूं कि बीजेपी ने मेरे बहुत ही करीबी व्यक्ति के जरिए बीजेपी ज्वाइन करने के लिए कहा गया।

जब तक सजा ना हो इस्तीफा नहीं देने का कानून नहीं-आतिशी

वहीं, केजरीवाल को सीएम पद छोड़ने को लेकर आतिशी ने कहा, जनप्रतिनिधि कानून कहता है कि जब तक सजा ना हो इस्तीफा नहीं देना होगा। उनके पास पूरा बहुमत है। अगर वो इस्तीफा देते तो बीजेपी के लिए एक एसओपी हो जाएगा। तो वो कहीं भी किसी भी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर कह सकते हैं कि संवैधानिक संकट हो गया इसलिए राष्ट्रपति शासन लगा दो। आतिशी ने आगे कहा कि ईडी को पूछताछ करनी थी तो 11 दिनों तक पूछताछ कर ली। फिर कल न्यायिक हिरासत में क्यों भेजा? क्योंकि अरविंद केजरीवाल को चुनावों से दूर रखना था।

वीवीपैट पर्चियों की पूरी गिनती की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

#sc_seeks_response_from_ec_center_on_plea_to_count_all_vvpat_slips

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में सभी वोटर वेरिफिएबल पेपर आडिट ट्रेल यानी वीवीपैट पर्चियों की गिनती की मांग करने वाली याचिका पर निर्वाचन आयोग और केंद्र से सोमवार को जवाब मांगा है। वर्तमान में परिस्थितियों में वीवीपैट पर्चियों के माध्यम से किसी भी पांच चयनित ईवीएम का सत्यापन किया जाता है। दरअसल, वीवीपैट एक स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देता है कि उसका वोट सही तरीके से डाला गया है या नहीं। 

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग के दिशानिर्देश को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया है कि वीवीपैट सत्यापन क्रमिक रूप से किया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि चुनाव न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि दिखना भी चाहिए, क्योंकि सूचना के अधिकार को भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1) (ए) और 21 के संदर्भ में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा माना गया है।

जस्टिस बीआर. गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने चुनाव में सभी वीवीपैट पर्चियों की गिनती का अनुरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल के वकीलों की दलीलों पर गौर करने के बाद याचिका पर आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। मामले में अगली सुनवाई 17 मई को हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि यदि वीवीपैट पार्चियों का एक साथ सत्यापन किया जाता है तो प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अधिक अधिकारी तैनात करने होंगे और पूरा सत्यापन पांच से छह घंटे में किया जा सकता है। याचिका में बताया कि सरकार ने 24 लाख वीवीपैट खरीदे हैं, जिसमें लगभग पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, बावजूद इसके करीब 20 हजार वीवीपैट की पर्चियां ही सत्यापित हो सकती हैं।

वीवीपीएटी वोट सत्यापन प्रणाली है जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है। वीवीपैट के जरिये मशीन से कागज की पर्ची निकलती है जिसे मतदाता देख सकता है।इस पर्ची को एक सीलबंद डिब्बे में रखा जाता है और विवाद की स्थिति में इसे खोला जा सकता है। बता दें, आठ अप्रैल 2019 को शीर्ष अदालत ने प्रत्येक लोकसभा में वीवीपैट पर्चियों के माध्यम से गुजरने वाली ईवीएम की संख्या को एक से बढ़ाकर पांच करने का आदेश दिया था।

अरूणाचल प्रदेश का नाम बदलने पर एस जयशंकर की चीन को दो टूक, बोले-आपके घर का नाम बदलने से वो मेरा नहीं होगा

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चीन ने एक बार फिर भारत के पूर्वोतर में स्थित राज्य अरूणाचल प्रदेश को लेकर अपनी निगाहैं टेढ़ी की है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों को नया नाम दिया है। इस पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने करारा जवाब दिया है। 

चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश को अपना बताने के दावे पर सोमवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर कहा, अगर आज मैं किसी घर का नाम बदल दूं तो क्या वो मेरा हो जाएगा। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का राज्य था, है और रहेगा। नाम बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। आप सब जानते हैं कि हमारी सेना वहां (एलएसी पर) तैनात है. सेना के लोग जानते हैं कि उन्हें वहां क्या करना है।

दरअसल, चीन की सरकारी मीडिया ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने रविवार को बताया कि चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने जंगनान में भौगोलिक नामों की चौथी लिस्ट जारी की है। मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर इस क्षेत्र के लिए 30 अतिरिक्त नाम पोस्ट किए गए हैं। इनमें 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता शामिल है। नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया गया था।

जब चीन ने अरुणाचल की जगहों का नाम बदला हो। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया था। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।

दरअसल, चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी। वो अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताता है और उसे जांगनान कहता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है। हालांकि, चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने की कवायद को भारत खारिज करता रहा है।