वरिष्ठ पत्रकार पं.सुरेन्द्र नारायण शर्मा का निधन,आकस्मिक निधन से दौड़ी शोक लहर
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ललितपुर। तीन-चार दशकों तक जिले की पत्रकारिता के मार्फत जिले में विकास की धारा को धरातल पर लाने के लिए अविरल कार्य करने वाले वरिष्ठ पत्रकार पं.सुरेन्द्र नारायण शर्मा जी का शुक्रवार को सुबह आकस्मिक निधन हो गया। प्रेस क्लब (रजि.) के संरक्षक पद पर रहते हुये कई गंभीर मुद्दों पर निर्णय लेकर जिले में पत्रकारिता की दिशा और दशा को तय करने और अपने हंसमुख स्वभाव से सभी के हृदयतल में राज करने वाले महान समाजसेवी पं. सुरेन्द्र नारायण शर्मा के आकस्मिक निधन की खबर सुनकर शोक लहर मानों करंट की तरह पूरे जिले में दौड़ गयी।
उनके चाहने वालों, शुभचिन्तकों, समाजसेवियों, राजनेताओं, व्यापारियों, अधिवक्ताओं, पत्रकारों, अधिकारियों का जमाबड़ा उनके आजादपुरा स्थित आवास पर लग गया। हर कोई पं.सुरेन्द्र नारायण शर्मा जी के आकस्मात निधन की खबर को सुनकर इस पर यकीन नहीं कर पा रहा था। लम्बे समय तक उत्तर प्रदेश शासन से मान्यता प्राप्त पत्रकार रहते हुये उन्होंने सदैव जिले के विकास और उन्नति को लेकर ही कार्य किया। पत्रकारों व प्रशासन के बीच जब भी कोई मतभेद हुये तो ऐसी विषम परिस्थितियों को भी आसानी से संभालते हुये दोनों ओर से पहल करते हुये जिले में सामाजिक समरसता कायम रखने का काम किया। पं.सुरेन्द्र नारायण शर्मा के आकस्मिक निधन पर यही माना जा रहा है कि अब जिले की पत्रकारिता में एक युग का अंत हो गया है। जहां उनके आदर्श सदैव पत्रकारों के मध्य प्रासांगिक रहेंगे तो वहीं उनके जाने से यह कमी अपूर्णीय रहेगी। जिले के प्रेस क्लब (रजि.) के पदाधिकारियों व सदस्यों की ओर से संरक्षक रहे पं. सुरेन्द्र नारायण शर्मा जी को शत-शत नमन करते हुये श्रद्धांजलि अर्पित।
मीठी कलम के अनथके योद्धा : सिद्धार्थ शर्मा
हमारे मार्गदर्शक एवं संरक्षक पूजनीय चाचाजी पं सुरेन्द्र नारायण शर्मा लगातार आधी शती तक प्रदेशीय और राष्ट्रीय स्तर के सर्वप्रिय पत्रकार रहे। प्रारम्भिक समय में जब वे चुस्त-दुरुस्त रहे, उन्होंने पत्रकार जगत के महान पुरोधा के. विक्रम राव से गहरी निकटता और मार्गदर्शन प्राप्त किया। अपनी जीवन में कभी भी अपनी कलम से न तो किसी का दल दुखाया और न ही किसी के स्वाभिमान पर चोट की। वे मनुष्य की परिस्थितिजन्य कमजोरियों से सदैव रूबरू रहते थे और उसके सुख-दुख को अपना ही सुख-दुख समझकर उत्पीड़ितों को गले लगा लेते थे। यद्यपि वे पत्रकारिता धर्म के सच्चे पुजारी थे परन्तु साथ ही नवोदित पत्रकारों की हौसला अफजाई भी बदस्तूर करते रहते थे। ऐसे शब्दसाधक पूज्यनीय चाचाजी जो चाचा से अधिक संरक्षक और मार्गदर्शक रहे। यह उदगार व्यक्त करते हुये उनके भतीजे सिद्धार्थ शर्मा ने उनकी पावन स्मृति में शत-शत नमन अर्पित किया है।
Mar 29 2024, 19:14