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Jul 08 2024, 15:44

असम में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात के बाद मणिपुर पहुंचे राहुल गांधी, रिलीफ कैंप में पहुंचा बांटा लोगों का दर्द
#congress_leader_rahul_gandhi_visit_assam_manipur

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को असम और मणिपुर के दौरे पर हैं। राहुल गांधी ने पहले असम के कछार जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उसके बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर पहुंचे। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद कांग्रेस नेता का यह दोनों पूर्वोत्तर राज्यों का पहला है।

बता दें कि असम इन दिनों बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रविवार को जारी रिपोर्ट के राज्य में 28 जिलों के 27.74 लाख से अधिक लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अब तक बाढ़, भूस्खलन और तूफान के कारण राज्य में कुल 78 मौतें हो चुकी हैं।राज्य में मौजूद काजीरंगा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज असम के सिलचर पहुंचे। यहां उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। यूथ केयर सेंटर थलाई में राहत शिविरों का दौरा किया। असम दौरे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा ने राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे संसद में असम में आने वाली बारहमासी बाढ़ का मुद्दा उठाने का आग्रह किया।

राहुल ने असम में कछार जिले के फुलेर्तल में एक बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'मैं असम के लोगों के साथ हूं, मैं संसद में उनका सिपाही हूं और मैं केंद्र सरकार से राज्य को तुरंत हरसंभव मदद मुहैया कराने का अनुरोध करता हूं।' उन्होंने कहा कि असम को 'अल्पावधि में व्यापक और दयालु दृष्टि वाली राहत, पुनर्वास और मुआवजे की आवश्यकता है तथा दीर्घावधि में बाढ़ पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे पूर्वोत्तर का एक जल प्रबंधन प्राधिकरण चाहिए।'

असम बाढ़ प्रभावितों से मिलने के बाद राहुल गांधी मणिपुर पहुंचे। यहां उन्होंने जिरीबाम हायर सेकेंडरी स्कूल में सेटअप राहत शिविर का दौरा किया। इसके बाद वह इंफाल पहुंचे। राहुल गांधी का ये मणिपुर का तीसरा और पूर्वोत्तर में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला दौरा है। मणिपुर पहुंचने से पहले सुबह साढ़े तीन बजे जिरीबाम में जबरदस्त गोलीबारी हुई है। यह गोलीबारी करीब 3.30 घंटे तक चलती रही। जिरीबाम के गुलारथल इलाके में कुछ अज्ञात हमलावरों ने 3.30 बजे फायरिंग करनी शुरू की वो करीब 7 बजे तक चली। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। इस घटना के बाद आसपास के इलाकों में भारी संख्या सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया।

मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की चपेट में है। छह जून को हिंसा की हालिया घटना हुई थी। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जो अभी भी जारी है।

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Jul 04 2024, 16:15

अंतरिक्ष से पहले मणिपुर जाएं गैर-जैविक प्रधानमंत्री’, इसरो प्रमुख के बयान पर जयराम रमेश का पीएम मोदी पर तंज

#pm_should_go_to_manipur_before_going_to_space_jairam_ramesh_taunts 

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने एक साक्षात्कार में कहा कि यदि एजेंसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अंतरिक्ष में ले जाती है तो उन्हें और पूरे देश को बहुत गर्व होगा।एस सोमनाथ का ये बयान कांग्रेस को नागवार गुजरी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसा है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक पोस्ट साझा की है। जयराम रमेश ने इसको लेकर पीएम पर निशाना साथा है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में जाने से पहले गैर-जैविक प्रधानमंत्री को मणिपुर जाना चाहिए। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए ये बातें लिखी।

दरअसल, हाल ही में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी अगर भारत के पहले मानव मिशन गगनयान के तहत अंतरिक्ष जाना चाहते हैं तो उन्हें बेहद खुशी होगी।

गगनयान को साल 2025 में लॉन्च किया जाना है। इसरो चीफ से पूछा गया कि क्या अगर प्रधानमंत्री मोदी इसरो के मानव मिशन के तहत अंतरिक्ष में जाना चाहें तो क्या उन्हें खुशी होगी? इसके जवाब में एस सोमनाथ ने कहा कि 'बेशक उन्हें इससे खुशी होगी, लेकिन उनके पास (पीएम मोदी) कई अन्य अहम जिम्मेदारियां हैं। जिन्हें पूरा करना उनकी पहली प्राथमिकता है। लेकिन यह ऐसी क्षमता है, जिसें हम हासिल करना चाहते हैं कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की क्षमता को इतना विकसित किया जाए यह बेहद सुरक्षित हो जाए और हम इसे हासिल करने की प्रक्रिया में हैं।'

बता दें कि केंद्र सरकार को पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा को लेकर भारतीय ब्लॉक के विपक्षी सांसदों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पिछले सत्र में विप7 ने पीएम मोदी से इस मामले में सदन में चर्चा की मांग की थी। जिसके बाद पूरा सदन हंगामे की भेंट चढ़ गया था। हालांकि, 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "सरकार मणिपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। 11,000 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं और 500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मणिपुर में हिंसा की घटनाएं लगातार कम हो रही हैं।" 

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें शांति बहाल करने के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रही हैं। उन्होंने कहा, "आज राज्य में स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और अन्य संस्थान खुले हैं। केंद्र और राज्य सरकारें शांति बहाल करने के लिए सभी हितधारकों से बात कर रही हैं।" इससे पहले मंगलवार को जब प्रधानमंत्री लोकसभा को संबोधित कर रहे थे तो उन्हें मणिपुर पर विपक्ष की लगातार नारेबाजी का सामना करना पड़ा।

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Jul 03 2024, 14:56

मणिपुर में हिंसा पर राज्यसभा में खुलकर बोले पीएम मोदी, पेपरलीक पर भी विपक्ष को घेरा

#pm_modi_in_rajya_sabha_first_time_on_manipur_violence 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने पिछले 10 साल के विकास कार्यों का जिक्र किया। साथ ही मणिपुर जम्मू कश्मीर की स्थिति से लेकर पेपरलीक के मुद्दे तक अपना पक्ष रखा और विपक्ष पर जमकर प्रहार किया।

पीएम मोदी ने राज्यसभा में धन्यवाद चर्चा का जवाब देते हुए मणिपुर मसले पर खुलकर अपनी बात रखी। संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में बुधवार को पीएम मोदी ने कहा कि मणिपुर में हिंसा कम हो रही और शांति बहाल हो रही है। पीएम मोदी ने मणिपुर मसले पर कांग्रेस को राजनीति न करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जो लोग मणिपुर की आग में घी डाल रहे हैं, उन्हें मणिपुर एक दिन नकार देगा। उन्होंने कांग्रेस का नाम लेते हुए मणिपुर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की भी याद दिलाई। 

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के लोग ये ना भूलें कि इन्हीं हालातों की वजह से इस छोटे से राज्य में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा है। ये हमारे कार्यकाल में नहीं हुआ है। कुछ तो वजह होगी, लेकिन फिर भी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए वहां हरकतें हो रही हैं। हमें समझदारी के साथ स्थितियों को ठीक करने के लिए प्रयास करना है। जो भी इसमें सहयोग देना चाहें, हम सबका साथ लेने को तैयार हैं, लेकिन हम सामान्य स्थिति को बरकरार रखने और शांति लाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि मणिपुर में संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि 1993 में मणिपुर के हालात अधिक खराब थे। मणिपुर के लिए सरकार निरंतर कोशिश कर रही है।वहां जो घटनाएं घटीं, 11 हजार से ज्यादा FIR की गईं हैं, 500 से ज्यादा लोग अरेस्ट हुए हैं। इस बात को भी हमें स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में लगातार हिंसा की घटनाएं कम होती जा रही हैं।

वहीं, पेपरलीक पर भी विपक्ष को राजनीति ना करने की नसीहत दी। पीएम मोदी ने कहा कि हम चाहते थे कि पेपर लीक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति न हो, लेकिन विपक्ष को इसकी आदत है। मैं भारत के युवाओं को आश्वस्त करता हूं कि नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिले, इसके लिए एक्शन लिए जा रहे हैं।

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Jun 11 2024, 16:08

मणिपुर, मर्यादा, दूसरों के मत का सम्मान...बहुत कुछ बोल गए भागवत, इशारों-इशारों में किसे दिया संदेश?
#mohan_bhagwat_on_manipur_election_and_modi_govt

देश में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद नई सरकार का गठन भी हो गया है। चुनावी नतीजों और सरकार के शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का बड़ा बयान आया है।सोमवार नागपुर के एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने चुनाव में संघ को घसीटे जाने, चुनाव में मर्यादा, मणिपुर में अशांति, दूसरों के मत का सम्मान जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में बोलते हुए श्री भागवत ने नई सरकार और विपक्ष को भी सलाह दी।

मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के ठीक एक दिन बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर, चुनाव,राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने सभी धर्मों को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान है।संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव परिणाम आ चुके हैं। सरकार भी बन चुकी है। जो हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ? ये लोकतंत्र के नियम हैं, समाज ने अपना मत दे दिया है, संघ के लोग इसमें नहीं पड़ते हैं। हम चुनाव में परिश्रम करते हैं। जो सेवा करता है वो मर्यादा से चलता है। काम करते सब लोग हैं लेकिन कुशलता का ध्यान रखना चाहिए। ऐसी मर्यादा रखकर काम करते हैं। मर्यादा ही अपना धर्म और संस्कृति है।

नागपुर में आरएसएस प्रशिक्षुओं की सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने संसद इसलिए होती है क्योंकि सहमति हो. स्पर्धा की वजह से इसमें दिक्कत आती है. इसलिए बहुमत की बात होती है। चुनाव में संघ जैसे संगठन को भी घसीटा गया। कैसी-कैसी बातें की गईं। तकनीक का सहारा लेकर ऐसा किया गया। विद्या का उपयोग प्रबोधन करने के लिए होता है लेकिन आधुनिक तकनीक का गलत इस्तेमाल किया गया।

भागवत ने आगे कहा कि सरकार बन गई है। वही सरकार (एनडीए) फिर से आ गई है। पिछले 10 साल में बहुत कुछ अच्छा हुआ है। वैश्विक स्तर पर पहचान अच्छी हुई है। प्रतिष्ठा बढ़ी है। विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं। हमें अभी अन्य समस्याओं से राहत लेनी है।

इसी दौरान मोहन बागवत ने हिंसाग्रस्त मणिपुर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है। आरएसएस प्रमुख ने कहा,मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने चुनावी बयानबाजी से बाहर आकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा,मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है।

संघ प्रमुख के बयान को बीजेपी चीफ जेपी नड्डा के बयान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि नड्डा ने कुछ दिन पहले कहा था कि अब बीजेपी अब अपने पैरो पर खड़ी है। यही नहीं, इस बार के चुनाव में बीजेपी ने संघ से कोई मदद भी नहीं मांगी थी। पिछले दो चुनावों में संघ यूपी से लेकर बिहार तक काफी एक्टिव था। लेकिन इस बार आरएसएस यूपी से भी दूर रहा। सूत्रों के मुताबिक नड्डा के बयान के बाद तो स्वयंसेवक भी एक्टिव नहीं रहे। अब भागवत के बयान को चुनाव परिणाम के बाद नड्डा के बयान से ही जोड़ा जा रहा है।

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Jun 10 2024, 14:33

मणिपुर में सीएम एन बीरेन सिंह की एडवांस सुरक्षा टीम पर कुकी उग्रवादियों का हमला, दो जवान घायल

#manipur_cm_security_team_ambushed_by_kuki_militants

मणिपुर से बड़ी खबर सामने आई है। यहां मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के सुरक्षा काफिले पर उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया है। इस हमले में 2 जवान घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि एन बीरेन सिंह की एडवांस सुरक्षा टीम पर कुकी उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला किया है।अग्रिम सुरक्षा टीम पर उग्रवादियों ने तब हमला किया जब यह टीम सीएम के मंगलवार के दौरे से पहले जिरीबाम जा रही थी। मंगलवार को सीएम को जिरीबाम का दौरा करना था।

बता दें कि मंगलवार को सीएम एन.बीरेन सिंह हिंसाग्रस्त जिरीबाम का दौरे पर जाने का कार्यक्रम था। इसी सिलसिले में सीएम की अग्रिम सुरक्षा टीम हालात का जायजा लेने के लिए जिरीबाम जा रही थी। इसी दौरान सिनम के पास मणिपुर कमांडो ने घात लगाकर हमला किया।सुरक्षा बलों के वाहनों पर कई गोलियां चलाई गईं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। पुलिस ने बताया कि हमले के दौरान एक जवान घायल हो गया। 

उग्रवादियों ने शनिवार को जिरीबाम में दो पुलिस चौकियों, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के ऑफिस और करीब 70 मकानों में आग लगा दी थी।मुख्यमंत्री सिंह में हालिया स्थिति का जायजा लेने के लिए जिरीबाम जाने वाले थे।

WestBengalBangla

May 08 2024, 07:19

এক বছর পরেও মণিপুরে জাতিগত হিংসা অব্যাহত, কিন্ত কেন এখনও প্রধানমন্ত্রী মোদি এরাজ্যে যাননি?
#one_year_of_manipur_violence



এসবি নিউজ ব্যুরো: মণিপুর জাতিগত হিংসা সন্ত্রাসের এক বছর পূর্ণ হল। গত বছরের ৩ মে থেকে শুরু হওয়া এই জাতিগত সন্ত্রাসে এখন পর্যন্ত ২০০ জনের বেশি মানুষ নিহত হয়েছে। একইসঙ্গে ৫৮ হাজারের বেশি গৃহহীন মানুষ ত্রাণ শিবিরে দুর্দশার মধ্যে দিন কাটাচ্ছেন। সহিংসতার এক বছর পরেও, রাজ্যে মেইতি এবং কুকি-জোমি উপজাতিদের মধ্যে উত্তেজনা অব্যাহত রয়েছে। কুকি আধিপত্যজেলা হোক বা মেইতেই অধ্যুষিত জেলা, রাস্তায় দেখা যাবে সশস্ত্র মানুষ। পুরো রাজ্য দুটি ভাগে বিভক্ত বলে মনে হচ্ছে। গত বছর, মণিপুর সরকার সুপ্রিম কোর্টকে বলেছিল যে এই সহিংসতার সাথে সম্পর্কিত 5,995টি মামলা নথিভুক্ত করা হয়েছে এবং 6,745 জনকে আটক করা হয়েছে। মণিপুর সহিংসতা সম্পর্কিত 11টি গুরুতর মামলার তদন্ত করছে সিবিআই। এই সবের মধ্যেই মণিপুর পরিস্থিতি নিয়ে প্রধানমন্ত্রী মোদীকে বারবার প্রশ্ন তুলছে বিরোধীরা। বিরোধী দলতিনি প্রধানমন্ত্রী মোদিকে প্রশ্নও করেছেন কেন তিনি মণিপুর যাচ্ছেন না? গত এক বছর ধরে মণিপুরে বিক্ষিপ্ত সহিংসতার ঘটনা ঘটছে। রাজ্যের ইতিহাসে এটি বিরল যে একটি রাজ্যে এক বছর ধরে গৃহযুদ্ধ চলতে থাকে এবং কেন্দ্রের দ্বারা আগুন নেভানোর জন্য কোনও দৃঢ় পদক্ষেপ নেওয়া হয় না, তবে স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ কয়েক দফা বৈঠক করেছেন। সম্প্রতি আসাম ট্রিবিউনকে জানিয়েছেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদিসাক্ষাৎকারে বলেন, রাজ্যে পরিস্থিতির উল্লেখযোগ্য উন্নতি হয়েছে। তিনি হাইলাইট করেছেন যে কীভাবে স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ সংঘর্ষের সময় রাজ্যে ছিলেন এবং এটি সমাধানের জন্য একাধিক পক্ষের সাথে 15 টিরও বেশি বৈঠক করেছেন। তবে এত বৈঠকের পরও এই উত্তেজনা অবসানের কোনো ফর্মুলা বের করতে পারেনি সরকার। শুধু তাই নয়, সহিংসতা শুরু হওয়ার পরও রাজ্যে সফরে যান স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহপ্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি একবারও রাজ্যে যাননি। কিংবা এ বিষয়ে খোলাখুলি মত প্রকাশ করেননি। যাইহোক, সহিংসতার মধ্যে, 19 জুলাই, 2023-এ, মণিপুরের দুই মহিলাকে নগ্ন করে প্যারেড করার একটি ভয়ঙ্কর ভিডিও প্রকাশিত হয়েছিল। এই ঘটনার অনেক পরে, প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি সংসদের বর্ষা অধিবেশনের আগে মিডিয়ার সাথে কথা বলার সময়, মণিপুরের ঘটনার কথা উল্লেখ করে বলেছিলেন যে তাঁর "হৃদয় বেদনায় ভরা।"প্রধানমন্ত্রী মোদি বলেছিলেন যে দেশকে অপমান করা হচ্ছে এবং দোষীদের রেহাই দেওয়া হবে না এই প্রথম প্রধানমন্ত্রী মোদী মণিপুরে চলমান সহিংসতার বিষয়ে কিছু বললেন। *অনাস্থা প্রস্তাবের পর তিন মাসের নীরবতা ভাঙলেন প্রধানমন্ত্রী* গত বছরের আগস্টে সংসদীয় বিতর্কের সময় প্রধানমন্ত্রী মোদি রাজ্যে শান্তির আবেদন করেছিলেন। বিরোধী নেতারা যখন তার বিরুদ্ধে নীরবতা পালনের অভিযোগ করছেন তখন এই আবেদন এল। আগস্টবিরোধীদের দ্বারা অনাস্থা প্রস্তাবের মাধ্যমে বাধ্য হওয়ার পরে, প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি রাজ্যের সমস্যার জন্য শুধুমাত্র পূর্ববর্তী কংগ্রেস সরকারকে দায়ী করে এই বিষয়ে তিন মাসের নীরবতা ভেঙেছেন। এবং বলেছেন যে তার সরকার শীঘ্রই শান্তি ফিরিয়ে আনবে। *দেশ জুড়ে আটকে থাকা প্রধানমন্ত্রী মণিপুরের দিকে মনোযোগ দেননি* আমরা আপনাকে বলি যে সহিংসতা শুরু হওয়ার পরে প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী একবারও রাজ্যে যাননি।করেছিল. একই সময়ে, সরকারী রেকর্ড দেখায় যে প্রধানমন্ত্রী মোদি মণিপুরে প্রাথমিক অশান্তির সপ্তাহে দুটি ঘরোয়া সফর করেছিলেন। প্রথম সফর ছিল কর্ণাটক, দ্বিতীয়টি রাজস্থানে। 6 মে তিনি বেঙ্গালুরুতে একটি রোড শো করেন। মে 2023 থেকে এপ্রিল 2024 এর মধ্যে, তিনি বিভিন্ন রাজ্যে প্রায় 160টি সফর করেছিলেন, যার মধ্যে তিনি সর্বাধিক 24 বার রাজস্থান সফর করেছিলেন। সরকারি ও বেসরকারি সফরসামগ্রিকভাবে, প্রধানমন্ত্রী 22 বার মধ্যপ্রদেশ এবং 17 বার উত্তরপ্রদেশ সফর করেছেন। চলতি বছরের ফেব্রুয়ারি-মার্চে প্রধানমন্ত্রী মোদি উত্তর-পূর্বের আসাম, ত্রিপুরা এবং অরুণাচল প্রদেশে গেলেও মণিপুর যাননি। তিনি আসামে তিনটি এবং ত্রিপুরা ও অরুণাচল প্রদেশে একটি করে সফর করেছেন। গত বছরের নভেম্বরে পাঁচ রাজ্যে বিধানসভা নির্বাচন হয়েছিল। সেই রাজ্যগুলি হল মিজোরাম, ছত্তিশগড়, মধ্যপ্রদেশ, রাজস্থান এবংতেলেঙ্গানা। প্রধানমন্ত্রী মোদি অন্য সব রাজ্যে গিয়েছিলেন কিন্তু মিজোরামে যাননি যা মণিপুর সংলগ্ন একটি রাজ্য এবং মণিপুরে সহিংসতার কারণে বিপুল সংখ্যক মানুষ বাস্তুচ্যুত হয়েছে। ডেভেলপ ইন্ডিয়া, ডেভেলপ নর্থ-ইস্ট কর্মসূচির জন্য প্রধানমন্ত্রী মোদি গত ৯ মার্চ উত্তর-পূর্বাঞ্চলীয় রাজ্য অরুণাচল প্রদেশে গিয়েছিলেন। *মণিপুর সহ উত্তর-পূর্ব রাজ্যগুলিকে উপেক্ষা করার অভিযোগ* এমন পরিস্থিতিতে মণিপুরের বিরোধীরা কেন্দ্রের মোদী সরকারকে আক্রমণ করবে।উত্তর-পূর্ব রাজ্যগুলি সহ তাদের উপেক্ষা করার অভিযোগ উঠেছে। এখন 3 মে, মণিপুর সহিংসতার এক বছর পূর্ণ হলে, কংগ্রেস সভাপতি মল্লিকার্জুন খাড়গে অভিযোগ করেছেন যে প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদির ঔদ্ধত্য মণিপুরের মতো একটি সুন্দর রাজ্যের সামাজিক কাঠামোকে ক্ষতিগ্রস্ত করেছে। "মণিপুর ঠিক এক বছর আগে 3 মে, 2023-এ জ্বলতে শুরু করেছিল," খার্গ সোশ্যাল মিডিয়া প্ল্যাটফর্ম X-এ একটি পোস্টে বলেছিলেন। মুডিমোদি সরকার এবং অযোগ্য বিজেপি রাজ্য সরকারের নিষ্ঠুর সমন্বয় রাজ্যটিকে আক্ষরিক অর্থে দুটি ভাগে বিভক্ত করেছে। কংগ্রেস সভাপতি অভিযোগ করেছেন যে "অনুতপ্ত" প্রধানমন্ত্রী মণিপুরে পা রাখেননি কারণ এটি "তাঁর পদের অযোগ্যতা এবং সম্পূর্ণ উদাসীনতা" প্রকাশ করবে। “মণিপুরের সমস্ত সম্প্রদায়ের লোকেরা এখন জানে বিজেপি কীভাবে তাদের জীবন দুর্বিষহ করে তুলেছে। খড়গে টুইট করেছেন, উত্তর-পূর্বমানুষ এখন জানে যে তথাকথিত উন্নয়ন নিয়ে মোদি সরকারের নির্লজ্জ ঢোলের বাজনা এই অঞ্চলের মানবতার কণ্ঠকে নিমজ্জিত করেছে। ভারতের জনগণ এখন জানে যে মণিপুরে ধ্বংস হওয়া অগণিত মানুষের জন্য প্রধানমন্ত্রী মোদি এবং তার সরকারের এক বিন্দু সহানুভূতিও নেই।

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May 07 2024, 12:05

एक साल बाद भी “सुलग” रहा मणिपुर, देशभर की यात्रा कर रहे पीएम मोदी ने क्यों इस हिंसाग्रस्त राज्य से बनाई दूरी?

#oneyearofmanipurviolence 

मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे हो गए। पिछले साल 3 मई को शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके है। वहीं, 58 हजार से अधिक बेघर लोग राहत शिविरों में तकलीफों में रह रहें है। हिंसा के एक साल बाद भी राज्य में मैतेई और कुकी-ज़ोमी जनजाति के बीच तनाव जारी है। कुकी बहुल जिलों हों या मैतेई बहुल, सड़कों पर हथियारबंद लोग नजर आ जाएंगे। पूरा राज्य दो हिस्सों में बंटा नजर आ रहा है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर सरकार ने कहा था कि इस हिंसा से जुड़े 5,995 मामले दर्ज हुए और 6,745 लोगों को हिरासत में लिया है। मणिपुर हिंसा से जुड़े 11 गंभीर मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। इन सबके बीच विपक्ष बार-बार मणिपुर के हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाता रहा है। विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से ये भी पूछता रहा है कि आख़िर वो मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं?

मणिपुर में पिछले एक साल से छिटपुट हिंसा की घटनाए जारी है। के इतिहास में यह दुर्लभ है कि किसी राज्य में एक साल तक नागरिक संघर्ष जारी रहे और आग बुझाने के लिए केंद्र द्वारा कोई ठोस कदम ना उठाया जाए।हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कई दौरे की बैठकें की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी हाल ही में असम ट्रिब्यून को दिए गए इंटरव्यू में कहा, राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह, संघर्ष के दौरान राज्य में रहे और इसे सुलझाने के लिए कई पक्षों के साथ 15 से अधिक बैठकें की। 

हालांकि, इतने बैठकों के बाद भी सरकार इस तनाव को ख़त्म करने का फॉर्मूला नहीं निकाल सकी हैं। यही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह तो राज्य के दौरे पर पहुंते रहे, लेकिन हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। ना ही इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। हालांकि, हिंसा के बीच 19 जुलाई, 2023 को जब मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया था। इस घटना के लंबे समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उनका "हृदय पीड़ा से भरा हुआ है।" पीएम मोदी ने कहा था कि देश की बेइज़्ज़ती हो रही है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।यह पहली बार था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा।

अविश्वास प्रस्ताव के बाद पीएम ने तीन महीने की चुप्पी तोड़ी

पिछले साल अगस्त में एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में शांति की अपील की थी। ये अपील तब आई जब विपक्षी नेता उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे थे। अगस्त में विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से मजबूर किए जाने के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर तीन महीने की चुप्पी तोड़ी, और केवल राज्य की समस्याओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया। और कहा कि उनकी सरकार जल्द ही शांति बहाल करेगी।

देशभर में भूमे पीएम पर नहीं ली मणिपुर की सुध

बता दें कि हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। वहीं, सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि मणिपुर में शुरुआती उथल-पुथल के सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घरेलू यात्राएं की थीं। पहली यात्रा कर्नाटक की, और दूसरी राजस्थान की। छह मई को उन्होंने बेंगलुरु में रोड शो किया। मई, 2023 से अप्रैल, 2024 के बीच उन्होंने अलग-अलग राज्यों की लगभग 160 यात्राएँ की, जिनमें सबसे ज़्यादा 24 बार वो राजस्थान के दौरे पर रहे। औपचारिक और गैर-आधिकारिक दौरों को मिलाकर पीएम ने 22 बार मध्य प्रदेश का और 17 बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया। इस साल फरवरी-मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया लेकिन मणिपुर नहीं गए। उन्होंने असम के तीन दौरे, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का एक-एक दौरा किया है। पिछले साल नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे। वो राज्य थे मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना। प्रधानमंत्री मोदी बाकी सभी राज्यों में गए लेकिन मिज़ोरम नहीं गए जो कि मणिपुर से सटा हुआ राज्य है और वहाँ मणिपुर की हिंसा से विस्थापित लोग बड़ी तादाद में हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत, विकसित उत्तर-पूर्व कार्यक्रम के लिए नौ मार्च को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था।

मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों की अनदेखी का आरोप

ऐसे में विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार पर मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों को अनदेखा करने का आरोप लगाती आ रही है। अभी 3 मई को मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार ने मणिपुर जैसे खूबसूरत राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मणिपुर ठीक एक साल पहले 3 मई, 2023 को जलना शुरू हुआ था। उदासीन मोदी सरकार और अयोग्य भाजपा राज्य सरकार के क्रूर संयोजन ने राज्य को वस्तुतः दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि "पश्चातापहीन" प्रधानमंत्री ने मणिपुर में कदम नहीं रखा है क्योंकि यह "उनकी रैंक की अक्षमता और पूर्ण उदासीनता" को उजागर करेगा। “मणिपुर के सभी समुदायों के लोग अब जानते हैं कि भाजपा ने उनके जीवन को कैसे दयनीय बना दिया है। खड़गे ने ट्वीट किया, पूर्वोत्तर के लोग अब जानते हैं कि तथाकथित विकास के बारे में मोदी सरकार के बेशर्म ढोल ने क्षेत्र में मानवता की आवाज को दबा दिया। भारत के लोग अब जानते हैं कि पीएम मोदी और उनकी सरकार को मणिपुर में नष्ट हुई अनगिनत जिंदगियों के प्रति रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं है।

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Apr 27 2024, 10:52

मणिपुर में फिर भड़की हिंसाः नारानसेना में कुकी उग्रवादियों का हमला, सीआरपीएफ के 2 जवान शहीद*
#manipur_two_crpf_personnel_lost_their_lives_in_an_attack_by_kuki_militants
मणिपुर में हिंसा थमती नहीं दिख रही है। लोकसभा चुनाव के एक दिन बाद ही यहां कुकी उग्रवादियों ने नारानसेना इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर हमला किया है। इस हमले में दो जवानों की मौत की भी खबर है। पुलिस ने बताया कि हमला आधी रात को शुरू हुआ और इलाके में 2:15 बजे तक जारी रहा।हमले में मारे गए जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन के हैं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक, इस घटना में दो और लोग घायल भी हुए हैं। बताया गया है कि उग्रवादियों ने मोइरांग पुलिस स्टेशन क्षेत्र के नरनसेना में इंडियन रिजर्व बटालियन के कैंप को निशाना बनाया। इस दौरान उग्रवादियों ने पहाड़ की चोटियों से अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इस दौरान हमलावरों ने कैंप पर कई बम भी फेंके, जिनमें से एक सीआरपीएफ के आउटपोस्ट के बाहर ही फट गया। इंफाल में भड़की थी हिंसा बता दें कि मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की आग में झुलस रहा है। इससे पहले कुकी उग्रवादियों ने तीन जिलों कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की। इस गोलीबारी में कुकी समुदाय के 2 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद थौबल जिले के हेइरोक और तेंगनौपाल के बीच 2 दिनों तक क्रॉस फायरिंग हुई थी। इसके बाद इंफाल के पूर्वी जिले के मोइरंगपुरेल में फिर से हिंसा की आग भड़क उठी थी। मणिपुर में लगातार जारी है हिंसा का दौर पिछले साल तीन मई को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था। अभी तक वहां पर 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। सुरक्षाबलों से जुड़े लोगों को भी वहां की हिंसा का शिकार होना पड़ा है। भारी संख्या में लूटे गए हथियारों की पूर्ण वापसी अभी तक नहीं हो सकी है। ज्यादातर लोगों को मणिपुर पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो वहीं असम राइफल को लेकर भी समुदाय विशेष के लोगों में रोष देखा गया है। उपद्रवियों द्वारा आईईडी का डर दिखाकर सुरक्षा बलों के वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था। स्थानीय पुलिस पर पक्षपात करने जैसे आरोप लग चुके हैं।

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Apr 27 2024, 10:52

मणिपुर में फिर भड़की हिंसाः नारानसेना में कुकी उग्रवादियों का हमला, सीआरपीएफ के 2 जवान शहीद*
#manipur_two_crpf_personnel_lost_their_lives_in_an_attack_by_kuki_militants
मणिपुर में हिंसा थमती नहीं दिख रही है। लोकसभा चुनाव के एक दिन बाद ही यहां कुकी उग्रवादियों ने नारानसेना इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर हमला किया है। इस हमले में दो जवानों की मौत की भी खबर है। पुलिस ने बताया कि हमला आधी रात को शुरू हुआ और इलाके में 2:15 बजे तक जारी रहा।हमले में मारे गए जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन के हैं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक, इस घटना में दो और लोग घायल भी हुए हैं। बताया गया है कि उग्रवादियों ने मोइरांग पुलिस स्टेशन क्षेत्र के नरनसेना में इंडियन रिजर्व बटालियन के कैंप को निशाना बनाया। इस दौरान उग्रवादियों ने पहाड़ की चोटियों से अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इस दौरान हमलावरों ने कैंप पर कई बम भी फेंके, जिनमें से एक सीआरपीएफ के आउटपोस्ट के बाहर ही फट गया। इंफाल में भड़की थी हिंसा बता दें कि मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की आग में झुलस रहा है। इससे पहले कुकी उग्रवादियों ने तीन जिलों कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की। इस गोलीबारी में कुकी समुदाय के 2 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद थौबल जिले के हेइरोक और तेंगनौपाल के बीच 2 दिनों तक क्रॉस फायरिंग हुई थी। इसके बाद इंफाल के पूर्वी जिले के मोइरंगपुरेल में फिर से हिंसा की आग भड़क उठी थी। मणिपुर में लगातार जारी है हिंसा का दौर पिछले साल तीन मई को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था। अभी तक वहां पर 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। सुरक्षाबलों से जुड़े लोगों को भी वहां की हिंसा का शिकार होना पड़ा है। भारी संख्या में लूटे गए हथियारों की पूर्ण वापसी अभी तक नहीं हो सकी है। ज्यादातर लोगों को मणिपुर पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो वहीं असम राइफल को लेकर भी समुदाय विशेष के लोगों में रोष देखा गया है। उपद्रवियों द्वारा आईईडी का डर दिखाकर सुरक्षा बलों के वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था। स्थानीय पुलिस पर पक्षपात करने जैसे आरोप लग चुके हैं।

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Apr 27 2024, 10:37

मणिपुर में फिर भड़की हिंसाः नारानसेना में कुकी उग्रवादियों का हमला, सीआरपीएफ के 2 जवान शहीद*
#manipur_two_crpf_personnel_lost_their_lives_in_an_attack_by_kuki_militants
मणिपुर में हिंसा थमती नहीं दिख रही है। लोकसभा चुनाव के एक दिन बाद ही यहां कुकी उग्रवादियों ने नारानसेना इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर हमला किया है। इस हमले में दो जवानों की मौत की भी खबर है। पुलिस ने बताया कि हमला आधी रात को शुरू हुआ और इलाके में 2:15 बजे तक जारी रहा।हमले में मारे गए जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन के हैं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक, इस घटना में दो और लोग घायल भी हुए हैं। बताया गया है कि उग्रवादियों ने मोइरांग पुलिस स्टेशन क्षेत्र के नरनसेना में इंडियन रिजर्व बटालियन के कैंप को निशाना बनाया। इस दौरान उग्रवादियों ने पहाड़ की चोटियों से अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इस दौरान हमलावरों ने कैंप पर कई बम भी फेंके, जिनमें से एक सीआरपीएफ के आउटपोस्ट के बाहर ही फट गया। इंफाल में भड़की थी हिंसा बता दें कि मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की आग में झुलस रहा है। इससे पहले कुकी उग्रवादियों ने तीन जिलों कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की। इस गोलीबारी में कुकी समुदाय के 2 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद थौबल जिले के हेइरोक और तेंगनौपाल के बीच 2 दिनों तक क्रॉस फायरिंग हुई थी। इसके बाद इंफाल के पूर्वी जिले के मोइरंगपुरेल में फिर से हिंसा की आग भड़क उठी थी। मणिपुर में लगातार जारी है हिंसा का दौर पिछले साल तीन मई को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था। अभी तक वहां पर 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। सुरक्षाबलों से जुड़े लोगों को भी वहां की हिंसा का शिकार होना पड़ा है। भारी संख्या में लूटे गए हथियारों की पूर्ण वापसी अभी तक नहीं हो सकी है। ज्यादातर लोगों को मणिपुर पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो वहीं असम राइफल को लेकर भी समुदाय विशेष के लोगों में रोष देखा गया है। उपद्रवियों द्वारा आईईडी का डर दिखाकर सुरक्षा बलों के वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था। स्थानीय पुलिस पर पक्षपात करने जैसे आरोप लग चुके हैं।

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Jul 08 2024, 15:44

असम में बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात के बाद मणिपुर पहुंचे राहुल गांधी, रिलीफ कैंप में पहुंचा बांटा लोगों का दर्द
#congress_leader_rahul_gandhi_visit_assam_manipur

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को असम और मणिपुर के दौरे पर हैं। राहुल गांधी ने पहले असम के कछार जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों से मुलाकात की। उसके बाद हिंसा प्रभावित मणिपुर पहुंचे। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद कांग्रेस नेता का यह दोनों पूर्वोत्तर राज्यों का पहला है।

बता दें कि असम इन दिनों बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रविवार को जारी रिपोर्ट के राज्य में 28 जिलों के 27.74 लाख से अधिक लोग अभी भी बाढ़ से प्रभावित हैं। अब तक बाढ़, भूस्खलन और तूफान के कारण राज्य में कुल 78 मौतें हो चुकी हैं।राज्य में मौजूद काजीरंगा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा बाढ़ में डूब गया है। इस बीच कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आज असम के सिलचर पहुंचे। यहां उन्होंने बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की। यूथ केयर सेंटर थलाई में राहत शिविरों का दौरा किया। असम दौरे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेन बोरा ने राहुल गांधी को एक ज्ञापन सौंपा और उनसे संसद में असम में आने वाली बारहमासी बाढ़ का मुद्दा उठाने का आग्रह किया।

राहुल ने असम में कछार जिले के फुलेर्तल में एक बाढ़ राहत शिविर का दौरा करने के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'मैं असम के लोगों के साथ हूं, मैं संसद में उनका सिपाही हूं और मैं केंद्र सरकार से राज्य को तुरंत हरसंभव मदद मुहैया कराने का अनुरोध करता हूं।' उन्होंने कहा कि असम को 'अल्पावधि में व्यापक और दयालु दृष्टि वाली राहत, पुनर्वास और मुआवजे की आवश्यकता है तथा दीर्घावधि में बाढ़ पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे पूर्वोत्तर का एक जल प्रबंधन प्राधिकरण चाहिए।'

असम बाढ़ प्रभावितों से मिलने के बाद राहुल गांधी मणिपुर पहुंचे। यहां उन्होंने जिरीबाम हायर सेकेंडरी स्कूल में सेटअप राहत शिविर का दौरा किया। इसके बाद वह इंफाल पहुंचे। राहुल गांधी का ये मणिपुर का तीसरा और पूर्वोत्तर में नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहला दौरा है। मणिपुर पहुंचने से पहले सुबह साढ़े तीन बजे जिरीबाम में जबरदस्त गोलीबारी हुई है। यह गोलीबारी करीब 3.30 घंटे तक चलती रही। जिरीबाम के गुलारथल इलाके में कुछ अज्ञात हमलावरों ने 3.30 बजे फायरिंग करनी शुरू की वो करीब 7 बजे तक चली। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी फायरिंग की। इस घटना के बाद आसपास के इलाकों में भारी संख्या सुरक्षाबलों को तैनात कर दिया।

मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की चपेट में है। छह जून को हिंसा की हालिया घटना हुई थी। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। मार्च 2023 में मणिपुर हाईकोर्ट ने मैतेई समुदाय को अनुसूचित जाति (ST) में शामिल करने के लिए केन्द्र सरकार को सिफारिशें भेजने के लिए कहा था। इसके बाद कुकी समुदाय ने राज्य के पहाड़ी जिलों में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था जो अभी भी जारी है।

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Jul 04 2024, 16:15

अंतरिक्ष से पहले मणिपुर जाएं गैर-जैविक प्रधानमंत्री’, इसरो प्रमुख के बयान पर जयराम रमेश का पीएम मोदी पर तंज

#pm_should_go_to_manipur_before_going_to_space_jairam_ramesh_taunts 

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ ने एक साक्षात्कार में कहा कि यदि एजेंसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अंतरिक्ष में ले जाती है तो उन्हें और पूरे देश को बहुत गर्व होगा।एस सोमनाथ का ये बयान कांग्रेस को नागवार गुजरी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसा है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए एक पोस्ट साझा की है। जयराम रमेश ने इसको लेकर पीएम पर निशाना साथा है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष में जाने से पहले गैर-जैविक प्रधानमंत्री को मणिपुर जाना चाहिए। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए ये बातें लिखी।

दरअसल, हाल ही में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी अगर भारत के पहले मानव मिशन गगनयान के तहत अंतरिक्ष जाना चाहते हैं तो उन्हें बेहद खुशी होगी।

गगनयान को साल 2025 में लॉन्च किया जाना है। इसरो चीफ से पूछा गया कि क्या अगर प्रधानमंत्री मोदी इसरो के मानव मिशन के तहत अंतरिक्ष में जाना चाहें तो क्या उन्हें खुशी होगी? इसके जवाब में एस सोमनाथ ने कहा कि 'बेशक उन्हें इससे खुशी होगी, लेकिन उनके पास (पीएम मोदी) कई अन्य अहम जिम्मेदारियां हैं। जिन्हें पूरा करना उनकी पहली प्राथमिकता है। लेकिन यह ऐसी क्षमता है, जिसें हम हासिल करना चाहते हैं कि अंतरिक्ष में इंसानों को भेजने की क्षमता को इतना विकसित किया जाए यह बेहद सुरक्षित हो जाए और हम इसे हासिल करने की प्रक्रिया में हैं।'

बता दें कि केंद्र सरकार को पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में मई 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा को लेकर भारतीय ब्लॉक के विपक्षी सांसदों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पिछले सत्र में विप7 ने पीएम मोदी से इस मामले में सदन में चर्चा की मांग की थी। जिसके बाद पूरा सदन हंगामे की भेंट चढ़ गया था। हालांकि, 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार मणिपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "सरकार मणिपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। 11,000 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं और 500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मणिपुर में हिंसा की घटनाएं लगातार कम हो रही हैं।" 

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें शांति बहाल करने के लिए सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रही हैं। उन्होंने कहा, "आज राज्य में स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और अन्य संस्थान खुले हैं। केंद्र और राज्य सरकारें शांति बहाल करने के लिए सभी हितधारकों से बात कर रही हैं।" इससे पहले मंगलवार को जब प्रधानमंत्री लोकसभा को संबोधित कर रहे थे तो उन्हें मणिपुर पर विपक्ष की लगातार नारेबाजी का सामना करना पड़ा।

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Jul 03 2024, 14:56

मणिपुर में हिंसा पर राज्यसभा में खुलकर बोले पीएम मोदी, पेपरलीक पर भी विपक्ष को घेरा

#pm_modi_in_rajya_sabha_first_time_on_manipur_violence 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा के बाद बुधवार को राज्यसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर भाषण दिया। इस दौरान उन्होंने पिछले 10 साल के विकास कार्यों का जिक्र किया। साथ ही मणिपुर जम्मू कश्मीर की स्थिति से लेकर पेपरलीक के मुद्दे तक अपना पक्ष रखा और विपक्ष पर जमकर प्रहार किया।

पीएम मोदी ने राज्यसभा में धन्यवाद चर्चा का जवाब देते हुए मणिपुर मसले पर खुलकर अपनी बात रखी। संसद सत्र के दौरान राज्यसभा में बुधवार को पीएम मोदी ने कहा कि मणिपुर में हिंसा कम हो रही और शांति बहाल हो रही है। पीएम मोदी ने मणिपुर मसले पर कांग्रेस को राजनीति न करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जो लोग मणिपुर की आग में घी डाल रहे हैं, उन्हें मणिपुर एक दिन नकार देगा। उन्होंने कांग्रेस का नाम लेते हुए मणिपुर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की भी याद दिलाई। 

पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के लोग ये ना भूलें कि इन्हीं हालातों की वजह से इस छोटे से राज्य में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा है। ये हमारे कार्यकाल में नहीं हुआ है। कुछ तो वजह होगी, लेकिन फिर भी राजनीतिक फायदा उठाने के लिए वहां हरकतें हो रही हैं। हमें समझदारी के साथ स्थितियों को ठीक करने के लिए प्रयास करना है। जो भी इसमें सहयोग देना चाहें, हम सबका साथ लेने को तैयार हैं, लेकिन हम सामान्य स्थिति को बरकरार रखने और शांति लाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि मणिपुर में संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि 1993 में मणिपुर के हालात अधिक खराब थे। मणिपुर के लिए सरकार निरंतर कोशिश कर रही है।वहां जो घटनाएं घटीं, 11 हजार से ज्यादा FIR की गईं हैं, 500 से ज्यादा लोग अरेस्ट हुए हैं। इस बात को भी हमें स्वीकार करना होगा कि मणिपुर में लगातार हिंसा की घटनाएं कम होती जा रही हैं।

वहीं, पेपरलीक पर भी विपक्ष को राजनीति ना करने की नसीहत दी। पीएम मोदी ने कहा कि हम चाहते थे कि पेपर लीक जैसे संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति न हो, लेकिन विपक्ष को इसकी आदत है। मैं भारत के युवाओं को आश्वस्त करता हूं कि नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वालों को सख्त सजा मिले, इसके लिए एक्शन लिए जा रहे हैं।

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Jun 11 2024, 16:08

मणिपुर, मर्यादा, दूसरों के मत का सम्मान...बहुत कुछ बोल गए भागवत, इशारों-इशारों में किसे दिया संदेश?
#mohan_bhagwat_on_manipur_election_and_modi_govt

देश में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद नई सरकार का गठन भी हो गया है। चुनावी नतीजों और सरकार के शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का बड़ा बयान आया है।सोमवार नागपुर के एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने चुनाव में संघ को घसीटे जाने, चुनाव में मर्यादा, मणिपुर में अशांति, दूसरों के मत का सम्मान जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम में बोलते हुए श्री भागवत ने नई सरकार और विपक्ष को भी सलाह दी।

मोदी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के ठीक एक दिन बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर, चुनाव,राजनीतिक दलों के रवैये पर बात की। भागवत ने सभी धर्मों को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान है।संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि चुनाव परिणाम आ चुके हैं। सरकार भी बन चुकी है। जो हुआ, क्यों हुआ, कैसे हुआ? ये लोकतंत्र के नियम हैं, समाज ने अपना मत दे दिया है, संघ के लोग इसमें नहीं पड़ते हैं। हम चुनाव में परिश्रम करते हैं। जो सेवा करता है वो मर्यादा से चलता है। काम करते सब लोग हैं लेकिन कुशलता का ध्यान रखना चाहिए। ऐसी मर्यादा रखकर काम करते हैं। मर्यादा ही अपना धर्म और संस्कृति है।

नागपुर में आरएसएस प्रशिक्षुओं की सभा को संबोधित करते हुए भागवत ने संसद इसलिए होती है क्योंकि सहमति हो. स्पर्धा की वजह से इसमें दिक्कत आती है. इसलिए बहुमत की बात होती है। चुनाव में संघ जैसे संगठन को भी घसीटा गया। कैसी-कैसी बातें की गईं। तकनीक का सहारा लेकर ऐसा किया गया। विद्या का उपयोग प्रबोधन करने के लिए होता है लेकिन आधुनिक तकनीक का गलत इस्तेमाल किया गया।

भागवत ने आगे कहा कि सरकार बन गई है। वही सरकार (एनडीए) फिर से आ गई है। पिछले 10 साल में बहुत कुछ अच्छा हुआ है। वैश्विक स्तर पर पहचान अच्छी हुई है। प्रतिष्ठा बढ़ी है। विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र में हम आगे बढ़ रहे हैं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम चुनौतियों से मुक्त हो गए हैं। हमें अभी अन्य समस्याओं से राहत लेनी है।

इसी दौरान मोहन बागवत ने हिंसाग्रस्त मणिपुर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है। आरएसएस प्रमुख ने कहा,मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने चुनावी बयानबाजी से बाहर आकर देश के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा,मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है।

संघ प्रमुख के बयान को बीजेपी चीफ जेपी नड्डा के बयान से भी जोड़कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि नड्डा ने कुछ दिन पहले कहा था कि अब बीजेपी अब अपने पैरो पर खड़ी है। यही नहीं, इस बार के चुनाव में बीजेपी ने संघ से कोई मदद भी नहीं मांगी थी। पिछले दो चुनावों में संघ यूपी से लेकर बिहार तक काफी एक्टिव था। लेकिन इस बार आरएसएस यूपी से भी दूर रहा। सूत्रों के मुताबिक नड्डा के बयान के बाद तो स्वयंसेवक भी एक्टिव नहीं रहे। अब भागवत के बयान को चुनाव परिणाम के बाद नड्डा के बयान से ही जोड़ा जा रहा है।

India

Jun 10 2024, 14:33

मणिपुर में सीएम एन बीरेन सिंह की एडवांस सुरक्षा टीम पर कुकी उग्रवादियों का हमला, दो जवान घायल

#manipur_cm_security_team_ambushed_by_kuki_militants

मणिपुर से बड़ी खबर सामने आई है। यहां मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के सुरक्षा काफिले पर उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया है। इस हमले में 2 जवान घायल हो गए हैं। बताया जा रहा है कि एन बीरेन सिंह की एडवांस सुरक्षा टीम पर कुकी उग्रवादियों ने घात लगाकर हमला किया है।अग्रिम सुरक्षा टीम पर उग्रवादियों ने तब हमला किया जब यह टीम सीएम के मंगलवार के दौरे से पहले जिरीबाम जा रही थी। मंगलवार को सीएम को जिरीबाम का दौरा करना था।

बता दें कि मंगलवार को सीएम एन.बीरेन सिंह हिंसाग्रस्त जिरीबाम का दौरे पर जाने का कार्यक्रम था। इसी सिलसिले में सीएम की अग्रिम सुरक्षा टीम हालात का जायजा लेने के लिए जिरीबाम जा रही थी। इसी दौरान सिनम के पास मणिपुर कमांडो ने घात लगाकर हमला किया।सुरक्षा बलों के वाहनों पर कई गोलियां चलाई गईं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। पुलिस ने बताया कि हमले के दौरान एक जवान घायल हो गया। 

उग्रवादियों ने शनिवार को जिरीबाम में दो पुलिस चौकियों, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के ऑफिस और करीब 70 मकानों में आग लगा दी थी।मुख्यमंत्री सिंह में हालिया स्थिति का जायजा लेने के लिए जिरीबाम जाने वाले थे।

WestBengalBangla

May 08 2024, 07:19

এক বছর পরেও মণিপুরে জাতিগত হিংসা অব্যাহত, কিন্ত কেন এখনও প্রধানমন্ত্রী মোদি এরাজ্যে যাননি?
#one_year_of_manipur_violence



এসবি নিউজ ব্যুরো: মণিপুর জাতিগত হিংসা সন্ত্রাসের এক বছর পূর্ণ হল। গত বছরের ৩ মে থেকে শুরু হওয়া এই জাতিগত সন্ত্রাসে এখন পর্যন্ত ২০০ জনের বেশি মানুষ নিহত হয়েছে। একইসঙ্গে ৫৮ হাজারের বেশি গৃহহীন মানুষ ত্রাণ শিবিরে দুর্দশার মধ্যে দিন কাটাচ্ছেন। সহিংসতার এক বছর পরেও, রাজ্যে মেইতি এবং কুকি-জোমি উপজাতিদের মধ্যে উত্তেজনা অব্যাহত রয়েছে। কুকি আধিপত্যজেলা হোক বা মেইতেই অধ্যুষিত জেলা, রাস্তায় দেখা যাবে সশস্ত্র মানুষ। পুরো রাজ্য দুটি ভাগে বিভক্ত বলে মনে হচ্ছে। গত বছর, মণিপুর সরকার সুপ্রিম কোর্টকে বলেছিল যে এই সহিংসতার সাথে সম্পর্কিত 5,995টি মামলা নথিভুক্ত করা হয়েছে এবং 6,745 জনকে আটক করা হয়েছে। মণিপুর সহিংসতা সম্পর্কিত 11টি গুরুতর মামলার তদন্ত করছে সিবিআই। এই সবের মধ্যেই মণিপুর পরিস্থিতি নিয়ে প্রধানমন্ত্রী মোদীকে বারবার প্রশ্ন তুলছে বিরোধীরা। বিরোধী দলতিনি প্রধানমন্ত্রী মোদিকে প্রশ্নও করেছেন কেন তিনি মণিপুর যাচ্ছেন না? গত এক বছর ধরে মণিপুরে বিক্ষিপ্ত সহিংসতার ঘটনা ঘটছে। রাজ্যের ইতিহাসে এটি বিরল যে একটি রাজ্যে এক বছর ধরে গৃহযুদ্ধ চলতে থাকে এবং কেন্দ্রের দ্বারা আগুন নেভানোর জন্য কোনও দৃঢ় পদক্ষেপ নেওয়া হয় না, তবে স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ কয়েক দফা বৈঠক করেছেন। সম্প্রতি আসাম ট্রিবিউনকে জানিয়েছেন প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদিসাক্ষাৎকারে বলেন, রাজ্যে পরিস্থিতির উল্লেখযোগ্য উন্নতি হয়েছে। তিনি হাইলাইট করেছেন যে কীভাবে স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহ সংঘর্ষের সময় রাজ্যে ছিলেন এবং এটি সমাধানের জন্য একাধিক পক্ষের সাথে 15 টিরও বেশি বৈঠক করেছেন। তবে এত বৈঠকের পরও এই উত্তেজনা অবসানের কোনো ফর্মুলা বের করতে পারেনি সরকার। শুধু তাই নয়, সহিংসতা শুরু হওয়ার পরও রাজ্যে সফরে যান স্বরাষ্ট্রমন্ত্রী অমিত শাহপ্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি একবারও রাজ্যে যাননি। কিংবা এ বিষয়ে খোলাখুলি মত প্রকাশ করেননি। যাইহোক, সহিংসতার মধ্যে, 19 জুলাই, 2023-এ, মণিপুরের দুই মহিলাকে নগ্ন করে প্যারেড করার একটি ভয়ঙ্কর ভিডিও প্রকাশিত হয়েছিল। এই ঘটনার অনেক পরে, প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি সংসদের বর্ষা অধিবেশনের আগে মিডিয়ার সাথে কথা বলার সময়, মণিপুরের ঘটনার কথা উল্লেখ করে বলেছিলেন যে তাঁর "হৃদয় বেদনায় ভরা।"প্রধানমন্ত্রী মোদি বলেছিলেন যে দেশকে অপমান করা হচ্ছে এবং দোষীদের রেহাই দেওয়া হবে না এই প্রথম প্রধানমন্ত্রী মোদী মণিপুরে চলমান সহিংসতার বিষয়ে কিছু বললেন। *অনাস্থা প্রস্তাবের পর তিন মাসের নীরবতা ভাঙলেন প্রধানমন্ত্রী* গত বছরের আগস্টে সংসদীয় বিতর্কের সময় প্রধানমন্ত্রী মোদি রাজ্যে শান্তির আবেদন করেছিলেন। বিরোধী নেতারা যখন তার বিরুদ্ধে নীরবতা পালনের অভিযোগ করছেন তখন এই আবেদন এল। আগস্টবিরোধীদের দ্বারা অনাস্থা প্রস্তাবের মাধ্যমে বাধ্য হওয়ার পরে, প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদি রাজ্যের সমস্যার জন্য শুধুমাত্র পূর্ববর্তী কংগ্রেস সরকারকে দায়ী করে এই বিষয়ে তিন মাসের নীরবতা ভেঙেছেন। এবং বলেছেন যে তার সরকার শীঘ্রই শান্তি ফিরিয়ে আনবে। *দেশ জুড়ে আটকে থাকা প্রধানমন্ত্রী মণিপুরের দিকে মনোযোগ দেননি* আমরা আপনাকে বলি যে সহিংসতা শুরু হওয়ার পরে প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী একবারও রাজ্যে যাননি।করেছিল. একই সময়ে, সরকারী রেকর্ড দেখায় যে প্রধানমন্ত্রী মোদি মণিপুরে প্রাথমিক অশান্তির সপ্তাহে দুটি ঘরোয়া সফর করেছিলেন। প্রথম সফর ছিল কর্ণাটক, দ্বিতীয়টি রাজস্থানে। 6 মে তিনি বেঙ্গালুরুতে একটি রোড শো করেন। মে 2023 থেকে এপ্রিল 2024 এর মধ্যে, তিনি বিভিন্ন রাজ্যে প্রায় 160টি সফর করেছিলেন, যার মধ্যে তিনি সর্বাধিক 24 বার রাজস্থান সফর করেছিলেন। সরকারি ও বেসরকারি সফরসামগ্রিকভাবে, প্রধানমন্ত্রী 22 বার মধ্যপ্রদেশ এবং 17 বার উত্তরপ্রদেশ সফর করেছেন। চলতি বছরের ফেব্রুয়ারি-মার্চে প্রধানমন্ত্রী মোদি উত্তর-পূর্বের আসাম, ত্রিপুরা এবং অরুণাচল প্রদেশে গেলেও মণিপুর যাননি। তিনি আসামে তিনটি এবং ত্রিপুরা ও অরুণাচল প্রদেশে একটি করে সফর করেছেন। গত বছরের নভেম্বরে পাঁচ রাজ্যে বিধানসভা নির্বাচন হয়েছিল। সেই রাজ্যগুলি হল মিজোরাম, ছত্তিশগড়, মধ্যপ্রদেশ, রাজস্থান এবংতেলেঙ্গানা। প্রধানমন্ত্রী মোদি অন্য সব রাজ্যে গিয়েছিলেন কিন্তু মিজোরামে যাননি যা মণিপুর সংলগ্ন একটি রাজ্য এবং মণিপুরে সহিংসতার কারণে বিপুল সংখ্যক মানুষ বাস্তুচ্যুত হয়েছে। ডেভেলপ ইন্ডিয়া, ডেভেলপ নর্থ-ইস্ট কর্মসূচির জন্য প্রধানমন্ত্রী মোদি গত ৯ মার্চ উত্তর-পূর্বাঞ্চলীয় রাজ্য অরুণাচল প্রদেশে গিয়েছিলেন। *মণিপুর সহ উত্তর-পূর্ব রাজ্যগুলিকে উপেক্ষা করার অভিযোগ* এমন পরিস্থিতিতে মণিপুরের বিরোধীরা কেন্দ্রের মোদী সরকারকে আক্রমণ করবে।উত্তর-পূর্ব রাজ্যগুলি সহ তাদের উপেক্ষা করার অভিযোগ উঠেছে। এখন 3 মে, মণিপুর সহিংসতার এক বছর পূর্ণ হলে, কংগ্রেস সভাপতি মল্লিকার্জুন খাড়গে অভিযোগ করেছেন যে প্রধানমন্ত্রী নরেন্দ্র মোদির ঔদ্ধত্য মণিপুরের মতো একটি সুন্দর রাজ্যের সামাজিক কাঠামোকে ক্ষতিগ্রস্ত করেছে। "মণিপুর ঠিক এক বছর আগে 3 মে, 2023-এ জ্বলতে শুরু করেছিল," খার্গ সোশ্যাল মিডিয়া প্ল্যাটফর্ম X-এ একটি পোস্টে বলেছিলেন। মুডিমোদি সরকার এবং অযোগ্য বিজেপি রাজ্য সরকারের নিষ্ঠুর সমন্বয় রাজ্যটিকে আক্ষরিক অর্থে দুটি ভাগে বিভক্ত করেছে। কংগ্রেস সভাপতি অভিযোগ করেছেন যে "অনুতপ্ত" প্রধানমন্ত্রী মণিপুরে পা রাখেননি কারণ এটি "তাঁর পদের অযোগ্যতা এবং সম্পূর্ণ উদাসীনতা" প্রকাশ করবে। “মণিপুরের সমস্ত সম্প্রদায়ের লোকেরা এখন জানে বিজেপি কীভাবে তাদের জীবন দুর্বিষহ করে তুলেছে। খড়গে টুইট করেছেন, উত্তর-পূর্বমানুষ এখন জানে যে তথাকথিত উন্নয়ন নিয়ে মোদি সরকারের নির্লজ্জ ঢোলের বাজনা এই অঞ্চলের মানবতার কণ্ঠকে নিমজ্জিত করেছে। ভারতের জনগণ এখন জানে যে মণিপুরে ধ্বংস হওয়া অগণিত মানুষের জন্য প্রধানমন্ত্রী মোদি এবং তার সরকারের এক বিন্দু সহানুভূতিও নেই।

India

May 07 2024, 12:05

एक साल बाद भी “सुलग” रहा मणिपुर, देशभर की यात्रा कर रहे पीएम मोदी ने क्यों इस हिंसाग्रस्त राज्य से बनाई दूरी?

#oneyearofmanipurviolence 

मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे हो गए। पिछले साल 3 मई को शुरू हुई इस जातीय हिंसा में अब तक 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके है। वहीं, 58 हजार से अधिक बेघर लोग राहत शिविरों में तकलीफों में रह रहें है। हिंसा के एक साल बाद भी राज्य में मैतेई और कुकी-ज़ोमी जनजाति के बीच तनाव जारी है। कुकी बहुल जिलों हों या मैतेई बहुल, सड़कों पर हथियारबंद लोग नजर आ जाएंगे। पूरा राज्य दो हिस्सों में बंटा नजर आ रहा है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर सरकार ने कहा था कि इस हिंसा से जुड़े 5,995 मामले दर्ज हुए और 6,745 लोगों को हिरासत में लिया है। मणिपुर हिंसा से जुड़े 11 गंभीर मामलों की जांच सीबीआई कर रही है। इन सबके बीच विपक्ष बार-बार मणिपुर के हालात को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर सवाल उठाता रहा है। विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी से ये भी पूछता रहा है कि आख़िर वो मणिपुर क्यों नहीं जा रहे हैं?

मणिपुर में पिछले एक साल से छिटपुट हिंसा की घटनाए जारी है। के इतिहास में यह दुर्लभ है कि किसी राज्य में एक साल तक नागरिक संघर्ष जारी रहे और आग बुझाने के लिए केंद्र द्वारा कोई ठोस कदम ना उठाया जाए।हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कई दौरे की बैठकें की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी हाल ही में असम ट्रिब्यून को दिए गए इंटरव्यू में कहा, राज्य की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे गृह मंत्री अमित शाह, संघर्ष के दौरान राज्य में रहे और इसे सुलझाने के लिए कई पक्षों के साथ 15 से अधिक बैठकें की। 

हालांकि, इतने बैठकों के बाद भी सरकार इस तनाव को ख़त्म करने का फॉर्मूला नहीं निकाल सकी हैं। यही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह तो राज्य के दौरे पर पहुंते रहे, लेकिन हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। ना ही इस मुद्दे पर खुलकर अपनी बात रखी। हालांकि, हिंसा के बीच 19 जुलाई, 2023 को जब मणिपुर की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक भयावह वीडियो सामने आया था। इस घटना के लंबे समय बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मॉनसून सत्र से पहले मीडिया से बातचीत में मणिपुर की घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि उनका "हृदय पीड़ा से भरा हुआ है।" पीएम मोदी ने कहा था कि देश की बेइज़्ज़ती हो रही है और दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।यह पहली बार था कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर में जारी हिंसा पर कुछ कहा।

अविश्वास प्रस्ताव के बाद पीएम ने तीन महीने की चुप्पी तोड़ी

पिछले साल अगस्त में एक संसदीय बहस के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में शांति की अपील की थी। ये अपील तब आई जब विपक्षी नेता उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगा रहे थे। अगस्त में विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से मजबूर किए जाने के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर तीन महीने की चुप्पी तोड़ी, और केवल राज्य की समस्याओं के लिए पिछली कांग्रेस सरकार को दोषी ठहराया। और कहा कि उनकी सरकार जल्द ही शांति बहाल करेगी।

देशभर में भूमे पीएम पर नहीं ली मणिपुर की सुध

बता दें कि हिंसा भड़कने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी राज्य का दौरा नहीं किया। वहीं, सरकारी रिकॉर्ड से पता चलता है कि मणिपुर में शुरुआती उथल-पुथल के सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी ने दो घरेलू यात्राएं की थीं। पहली यात्रा कर्नाटक की, और दूसरी राजस्थान की। छह मई को उन्होंने बेंगलुरु में रोड शो किया। मई, 2023 से अप्रैल, 2024 के बीच उन्होंने अलग-अलग राज्यों की लगभग 160 यात्राएँ की, जिनमें सबसे ज़्यादा 24 बार वो राजस्थान के दौरे पर रहे। औपचारिक और गैर-आधिकारिक दौरों को मिलाकर पीएम ने 22 बार मध्य प्रदेश का और 17 बार उत्तर प्रदेश का दौरा किया। इस साल फरवरी-मार्च में प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्वोत्तर के असम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया लेकिन मणिपुर नहीं गए। उन्होंने असम के तीन दौरे, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश का एक-एक दौरा किया है। पिछले साल नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे। वो राज्य थे मिज़ोरम, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना। प्रधानमंत्री मोदी बाकी सभी राज्यों में गए लेकिन मिज़ोरम नहीं गए जो कि मणिपुर से सटा हुआ राज्य है और वहाँ मणिपुर की हिंसा से विस्थापित लोग बड़ी तादाद में हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने विकसित भारत, विकसित उत्तर-पूर्व कार्यक्रम के लिए नौ मार्च को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया था।

मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों की अनदेखी का आरोप

ऐसे में विपक्ष केन्द्र की मोदी सरकार पर मणिपुर समेत पूर्वोतर के राज्यों को अनदेखा करने का आरोप लगाती आ रही है। अभी 3 मई को मणिपुर हिंसा के एक साल पूरे होने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार ने मणिपुर जैसे खूबसूरत राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाया है।

खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मणिपुर ठीक एक साल पहले 3 मई, 2023 को जलना शुरू हुआ था। उदासीन मोदी सरकार और अयोग्य भाजपा राज्य सरकार के क्रूर संयोजन ने राज्य को वस्तुतः दो हिस्सों में विभाजित कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि "पश्चातापहीन" प्रधानमंत्री ने मणिपुर में कदम नहीं रखा है क्योंकि यह "उनकी रैंक की अक्षमता और पूर्ण उदासीनता" को उजागर करेगा। “मणिपुर के सभी समुदायों के लोग अब जानते हैं कि भाजपा ने उनके जीवन को कैसे दयनीय बना दिया है। खड़गे ने ट्वीट किया, पूर्वोत्तर के लोग अब जानते हैं कि तथाकथित विकास के बारे में मोदी सरकार के बेशर्म ढोल ने क्षेत्र में मानवता की आवाज को दबा दिया। भारत के लोग अब जानते हैं कि पीएम मोदी और उनकी सरकार को मणिपुर में नष्ट हुई अनगिनत जिंदगियों के प्रति रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं है।

India

Apr 27 2024, 10:52

मणिपुर में फिर भड़की हिंसाः नारानसेना में कुकी उग्रवादियों का हमला, सीआरपीएफ के 2 जवान शहीद*
#manipur_two_crpf_personnel_lost_their_lives_in_an_attack_by_kuki_militants
मणिपुर में हिंसा थमती नहीं दिख रही है। लोकसभा चुनाव के एक दिन बाद ही यहां कुकी उग्रवादियों ने नारानसेना इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर हमला किया है। इस हमले में दो जवानों की मौत की भी खबर है। पुलिस ने बताया कि हमला आधी रात को शुरू हुआ और इलाके में 2:15 बजे तक जारी रहा।हमले में मारे गए जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन के हैं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक, इस घटना में दो और लोग घायल भी हुए हैं। बताया गया है कि उग्रवादियों ने मोइरांग पुलिस स्टेशन क्षेत्र के नरनसेना में इंडियन रिजर्व बटालियन के कैंप को निशाना बनाया। इस दौरान उग्रवादियों ने पहाड़ की चोटियों से अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इस दौरान हमलावरों ने कैंप पर कई बम भी फेंके, जिनमें से एक सीआरपीएफ के आउटपोस्ट के बाहर ही फट गया। इंफाल में भड़की थी हिंसा बता दें कि मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की आग में झुलस रहा है। इससे पहले कुकी उग्रवादियों ने तीन जिलों कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की। इस गोलीबारी में कुकी समुदाय के 2 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद थौबल जिले के हेइरोक और तेंगनौपाल के बीच 2 दिनों तक क्रॉस फायरिंग हुई थी। इसके बाद इंफाल के पूर्वी जिले के मोइरंगपुरेल में फिर से हिंसा की आग भड़क उठी थी। मणिपुर में लगातार जारी है हिंसा का दौर पिछले साल तीन मई को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था। अभी तक वहां पर 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। सुरक्षाबलों से जुड़े लोगों को भी वहां की हिंसा का शिकार होना पड़ा है। भारी संख्या में लूटे गए हथियारों की पूर्ण वापसी अभी तक नहीं हो सकी है। ज्यादातर लोगों को मणिपुर पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो वहीं असम राइफल को लेकर भी समुदाय विशेष के लोगों में रोष देखा गया है। उपद्रवियों द्वारा आईईडी का डर दिखाकर सुरक्षा बलों के वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था। स्थानीय पुलिस पर पक्षपात करने जैसे आरोप लग चुके हैं।

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Apr 27 2024, 10:52

मणिपुर में फिर भड़की हिंसाः नारानसेना में कुकी उग्रवादियों का हमला, सीआरपीएफ के 2 जवान शहीद*
#manipur_two_crpf_personnel_lost_their_lives_in_an_attack_by_kuki_militants
मणिपुर में हिंसा थमती नहीं दिख रही है। लोकसभा चुनाव के एक दिन बाद ही यहां कुकी उग्रवादियों ने नारानसेना इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर हमला किया है। इस हमले में दो जवानों की मौत की भी खबर है। पुलिस ने बताया कि हमला आधी रात को शुरू हुआ और इलाके में 2:15 बजे तक जारी रहा।हमले में मारे गए जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन के हैं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक, इस घटना में दो और लोग घायल भी हुए हैं। बताया गया है कि उग्रवादियों ने मोइरांग पुलिस स्टेशन क्षेत्र के नरनसेना में इंडियन रिजर्व बटालियन के कैंप को निशाना बनाया। इस दौरान उग्रवादियों ने पहाड़ की चोटियों से अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इस दौरान हमलावरों ने कैंप पर कई बम भी फेंके, जिनमें से एक सीआरपीएफ के आउटपोस्ट के बाहर ही फट गया। इंफाल में भड़की थी हिंसा बता दें कि मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की आग में झुलस रहा है। इससे पहले कुकी उग्रवादियों ने तीन जिलों कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की। इस गोलीबारी में कुकी समुदाय के 2 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद थौबल जिले के हेइरोक और तेंगनौपाल के बीच 2 दिनों तक क्रॉस फायरिंग हुई थी। इसके बाद इंफाल के पूर्वी जिले के मोइरंगपुरेल में फिर से हिंसा की आग भड़क उठी थी। मणिपुर में लगातार जारी है हिंसा का दौर पिछले साल तीन मई को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था। अभी तक वहां पर 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। सुरक्षाबलों से जुड़े लोगों को भी वहां की हिंसा का शिकार होना पड़ा है। भारी संख्या में लूटे गए हथियारों की पूर्ण वापसी अभी तक नहीं हो सकी है। ज्यादातर लोगों को मणिपुर पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो वहीं असम राइफल को लेकर भी समुदाय विशेष के लोगों में रोष देखा गया है। उपद्रवियों द्वारा आईईडी का डर दिखाकर सुरक्षा बलों के वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था। स्थानीय पुलिस पर पक्षपात करने जैसे आरोप लग चुके हैं।

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Apr 27 2024, 10:37

मणिपुर में फिर भड़की हिंसाः नारानसेना में कुकी उग्रवादियों का हमला, सीआरपीएफ के 2 जवान शहीद*
#manipur_two_crpf_personnel_lost_their_lives_in_an_attack_by_kuki_militants
मणिपुर में हिंसा थमती नहीं दिख रही है। लोकसभा चुनाव के एक दिन बाद ही यहां कुकी उग्रवादियों ने नारानसेना इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों पर हमला किया है। इस हमले में दो जवानों की मौत की भी खबर है। पुलिस ने बताया कि हमला आधी रात को शुरू हुआ और इलाके में 2:15 बजे तक जारी रहा।हमले में मारे गए जवान राज्य के बिष्णुपुर जिले के नारानसेना इलाके में तैनात सीआरपीएफ की 128वीं बटालियन के हैं। मणिपुर पुलिस के मुताबिक, इस घटना में दो और लोग घायल भी हुए हैं। बताया गया है कि उग्रवादियों ने मोइरांग पुलिस स्टेशन क्षेत्र के नरनसेना में इंडियन रिजर्व बटालियन के कैंप को निशाना बनाया। इस दौरान उग्रवादियों ने पहाड़ की चोटियों से अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इस दौरान हमलावरों ने कैंप पर कई बम भी फेंके, जिनमें से एक सीआरपीएफ के आउटपोस्ट के बाहर ही फट गया। इंफाल में भड़की थी हिंसा बता दें कि मणिपुर करीब एक साल से छिटपुट हिंसा की आग में झुलस रहा है। इससे पहले कुकी उग्रवादियों ने तीन जिलों कांगपोकपी, उखरूल और इंफाल पूर्व के ट्राइजंक्शन जिले में एक दूसरे पर फायरिंग की। इस गोलीबारी में कुकी समुदाय के 2 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद थौबल जिले के हेइरोक और तेंगनौपाल के बीच 2 दिनों तक क्रॉस फायरिंग हुई थी। इसके बाद इंफाल के पूर्वी जिले के मोइरंगपुरेल में फिर से हिंसा की आग भड़क उठी थी। मणिपुर में लगातार जारी है हिंसा का दौर पिछले साल तीन मई को मणिपुर में हिंसा का दौर शुरू हुआ था। अभी तक वहां पर 200 से ज्यादा लोगों की जान गई है। सुरक्षाबलों से जुड़े लोगों को भी वहां की हिंसा का शिकार होना पड़ा है। भारी संख्या में लूटे गए हथियारों की पूर्ण वापसी अभी तक नहीं हो सकी है। ज्यादातर लोगों को मणिपुर पुलिस पर भरोसा नहीं है, तो वहीं असम राइफल को लेकर भी समुदाय विशेष के लोगों में रोष देखा गया है। उपद्रवियों द्वारा आईईडी का डर दिखाकर सुरक्षा बलों के वाहनों को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता था। स्थानीय पुलिस पर पक्षपात करने जैसे आरोप लग चुके हैं।