2025 तक टीवी मुक्त भारत बनाने की दिशा में नये-नये प्रयास जारी : क्षयरोग अधिकारी
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ललितपुर। अपर निदेशक (क्षय)/राज्य क्षय उन्मूलन कार्यक्रम अधिकारी स्वास्थ्य भवन लखनऊ के पत्र द्वारा इस वर्ष विश्व क्षयरोग दिवस के अवसर पर लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत आचार संहिता को देखते स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार होली होने के कारण विश्व क्षयरोग दिवस 28 मार्च 2024 को मनाये जाने के निर्देश प्राप्त थे। जिसके क्रम में ककरूआ स्थित एक विद्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान जिला क्षयरोग अधिकारी डा.रामनरेश सोनी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2025 तक भारत को टी.बी. मुक्त बनाने का संकल्प लिया है और देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लिये हर दिन नये-नये प्रयास किये जा रहे हैं।
कहा कि राज्यपाल की प्रेरणा से क्षयरोगियों को गोद लेने की प्रक्रिया प्रारंभ की गयी है यह एक अच्छी पहल है। इससे समाज में बहुत ही धनात्मक ऊर्जा का संचार होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी का प्रयास है कि क्षयरोगी जल्दी से स्वस्थ हों और स्वस्थ होकर अन्य लोगों की भांति समाज की मुख्य धारा में जीवनयापन कर सकें। तथा इस वर्ष विश्व क्षयरोग दिवस 2024 की थीम पर भी चर्चा की गयी। परामर्शदाता डा.जे.एस. बक्शी ने बताया कि क्षयरोग को तपेदिक या टीबी भी कहा जाता है। यह बीमारी प्राचीन काल से ही चली आ रही है और लाइलाज बीमारियों में शुमार थी किन्तु वर्तमान समय में टी.बी. का पूर्ण इलाज संभव है नियमित दवा खाने से यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। यदि इस बीमारी को प्रारंभिक अवस्था में नहीं रोका गया तो यह जानलेवा साबित हो सकती है। समय से इलाज नहीं लेने पर यह बीमारी धीरे-धीरे व्यक्ति को मारती है इसलिये लक्षण महसूस होते ही समय से इलाज शुरू हो जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि विश्व का हर चैथा रोगी भारतीय है और भारत का हर पांचवा क्षयरोगी उत्तर प्रदेश से है।
विश्व के कुल टी.बी. रोगियों का 30 प्रतिशत टी.बी. रोगी भारत में पाया जाता हैं तथा उनमे से लगभग 4 लाख मरीज प्रतिवर्ष मर जाते हैं। प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2018 में भारत को वर्ष 2025 तक टी.बी. मुक्त करने की घोषणा की गयी है। जिसके अंतर्गत वर्ष 2015 की तुलना में टी.बी. रोग में 90 प्रतिशत मृत्यु दर को कम करना, 80 प्रतिशत नये टी.बी. रोगियों को कम करना तथा टी.बी. रोग से ग्रसित परिवारों में टी.बी. के कारण होने वाले धन की बबार्दी में शून्य प्रतिशत की कमी लाना है। पी.पी.एम. कॉर्डिनेटर आदेश श्रीवास्तव ने बताया कि 24 मार्च को क्षयरोग दिवस इसलिये मनाया जाता है क्योंकि इस दिन जर्मन के फिजीशियन एवं माइक्रो बॉयोलॉजिस्ट सर राबर्ट कोच ने 24 मार्च 1982 को टीबी के जीवाणु की खोज की थी। यह खोज आगे इसके इलाज में बहुत सहायक बनी इसलिये विश्व भर में टीबी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये विश्व क्षयरोग दिवस के रूप में 24 मार्च को चुना गया। गोष्ठी में यह भी बताया कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा संचालित की जा रही निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत क्षयरोगियों को 01 अप्रैल 2018 से इलाज के दौरान पोषण सहायता प्रदान करने हेतु रूपया पांच सौ का इन्सेंटिव प्रतिमाह प्रति रोगी की सहायता, उपचार के दौरान प्रदान की जाती है। इस दौरान जिला क्षयरोग अधिकारी डा.आर.एन.सोनी, परामर्शदाता टीबी डा.जे.एस. बक्शी, डा.लतिका सुडेले, डा.राजेन्द्र प्रकाश, अध्यापकगण, छात्र-छात्रायें, जिला क्षयरोग नियंत्रण केन्द्र से आदेश श्रीवास्तव उपस्थित रहे। संचालन अध्यापक दीपक जैन ने किया।
Mar 28 2024, 19:03