दुमका : झारखण्ड ने अपनाया FDR तकनीक, काठीकुंड से हुई शुरुआत, पर्यावरण के संरक्षण का दावा..पढ़िए StreetBuzz पर खास रिपोर्ट...
दुमका : प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अब झारखण्ड में एफडीआर यानी फुल डेप्थ रेक्लेमेशन तकनीक से सड़के बनेंगी। झारखण्ड में पहली बार इस तकनीक का ट्रायल दुमका के नक्सल प्रभावित इलाका काठीकुण्ड में किया गया। काठीकुंड के शिवतल्ला से तिलाईटांढ़ भाया नारगंज तक करीब 12 किलोमीटर ग्रामीण सड़क का निर्माण एफडीआर तकनीक से किया जा रहा है। झारखण्ड में करीब 148 ग्रामीण सड़कों के निर्माण में एफडीआर तकनीक को अपनाएं जाने की योजना है।
ग्रामीण विकास विभाग का दावा है कि यह तकनीक पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। एफडीआर तकनीक से बननेवाली सड़कों में पत्थरों का दोहन नहीं होगा और पर्यावरण का संरक्षण होगा।
विभाग के एसई एवं नोडल ऑफिसर सुबोध पासवान ने कहा कि एफडीआर तकनीक से बननेवाली सड़कों में 15 से 20 प्रतिशत तक रूपये की बचत है जिससे सड़क निर्माणमे लागत कम पड़ती है और इसकी मियाद भी करीब 20 वर्षो की है। कहा कि इस तकनीक में भी नवनिर्मित सड़क की पांच वर्ष तक मरम्मत की जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी या फर्म की होती है।
कहा कि प्रथम चरण में एफडीआर तकनीक से दुमका सहित रांची, साहेबगंज, गोड्डा, गिरिडीह, खूंटी, पलामू और गढ़वा में ग्रामीण सड़कों का निर्माण होगा। इन जिलों में निर्माण से संबंधित मैटेरियल दूर से लाना पड़ता है जिससे लीड बढ़ती है और इसकी वजह से डीपीआर बढ़ जाता था। इसलिए इन जिलों में एफडीआर तकनीक से 148 सड़कों की निर्माण की योजना स्वीकृति किया गया है।
कार्यपालक अभियंता सुशील कुमार सिन्हा ने कहा कि दुमका के काठीकुंड के शिवतल्ला से तिलाईटांढ़ भाया नारगंज तक करीब 10 करोड़ रूपये की लागत से 12 किलोमीटर ग्रामीण सड़क के निर्माण में एफडीआर टेक्नोलोजी को अपनाया जा रहा है। इस तकनीक में अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
खास बात यह है कि अत्याधुनिक मशीनों से पुरानी सड़क में इस्तेमाल की गयी पत्थर और अन्य मटेरियल को निकालकर उसे सीमेंट और खास केमिकल के साथ मिलाकर नयी सड़क का निर्माण किया जाएगा। कहा कि फिलहाल 200 मीटर तक एफडीआर टेक्नोलोजी से सड़क का निर्माण कर ट्रायल किया जा रहा है। उसके बाद तकनीकी जाँच में सफलता मिलने के बाद इसी तकनीक से पूरी सड़क का निर्माण किया जाएगा।
दुमका में एफडीआर टेक्नोलोजी से बन रही सड़क निर्माण से जुड़ी एजेंसी हरिनंदन चौधरी ने इसे चुनौती के तौर पर लिया।
हरिनंदन चौधरी ने कहा कि उन्हें जब इस टेक्नोलोजी की जानकारी हुई तो उन्होंने इस नयी तकनीक पर सड़क निर्माण का मन बनाया जो काफी चुनौतीपूर्ण है लेकिन उम्मीद है कि उनकी एजेंसी बेहतर नतीजे देगी।
गौरतलब है कि काठीकुण्ड में एफडीआर तकनीकी से सड़क निर्माण का कार्य ट्रांसलिंक इंफ्रास्ट्रक्चर कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड के टीम लीडर सौरभ पांडेय और उनकी टीम के नेतृत्व में कराया जा रहा है। सौरभ पांडेय के मुताबिक गुजरात की ट्रांसलिंक इंफ्रास्ट्रक्चर कंसलटेंट कंपनी ने देश में यह तकनीक लेकर आयी और इस तकनीक से उत्तर प्रदेश में सड़क निर्माण में मिली सफलता के बाद झारखण्ड में अब इस तकनीक का प्रयोग कर निर्माण कार्य किया जा रहा है। इससे यहाँ की प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण होगा।
इससे पूर्व सड़क निर्माण कार्य का शुभारंभ किया गया। मौके पर ग्रामीण विकास विभाग के विभिन्न जिलों के अभियंता, बिटकेम के सीनियर एसोसिएट मनोज गुप्ता सहित अन्य कर्मी एवं संबंधित एजेंसी के कर्मी मौजूद थे।
(दुमका से राहुल कुमार गुप्ता की रिपोर्ट)
Mar 05 2024, 17:44