वैलेंटाइन डे पर बच्चों ने माता-पिता की आरती उतार समाज को दिया बड़ा संदेश कहा, मनाए मातृ पितृ दिवस
गोरखपुर। 14 फरवरी को पूरी दुनिया में वेलेंटाइन डे नाम पर प्यार, मोहब्बत के इजहार का खूब शोर होता है। इसे आपसी प्रेम के सबसे बड़े दिन के रूप में देखा जाने लगा है। लेकिन इस दिन फूहड़ता और असभ्यता के भी कई मामले सामने आते हैं। यही वजह है कि गोरखपुर के एक अंतरराष्ट्रीय पहलवान राकेश सिंह ने, अपने स्कूल परिसर से आपसी प्रेम के इस दिवस को "मातृ पितृ पूजन दिवस" के रूप में पूरी भव्यता के साथ मानकर दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया है। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि वह वेलेंटाइन डे का विरोध नहीं करते।
इस दिवस पर मातृ-पितृ पूजन का आयोजन आपसी प्रेम का, एक मजबूत विकल्प हो सकता है यह संदेश देने का उन्होंने प्रयास किया है। किसी भी बच्चे को उसके माता-पिता से ज्यादा और कोई प्रेम नहीं कर सकता। तो कोई भी बच्चा अपने माता-पिता को जितना प्रेम करता है।
दुनिया में इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं मिलता। इस दिवस पर फूहड़ता न परोसी जाए उनकी यह कोशिश है। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी भाईयों को अपनी बहन- बेटियों की इज्जत प्यारी है। कोई नहीं चाहता कि उनकी इज्जत के साथ कोई लफंगा खिलवाड़ करे।इस लिए 14फरवरी को पुरी दुनिया में मातृ पितृ पूजन का आयोजन हो यह उनका लगातर प्रयास होगा।
मातृ -पितृ पूजन के इस आयोजन की शुरुआत भारतीय संस्कृति, परंपरा के अनुकूल हुई। बच्चों ने दीपक, फूल, अक्षत से भरी हुई थाली लेकर अपने माता पिता को तिलक लगाकर उनका अभिनंदन किया। उनके गले में फूलों की माला डालकर उनका स्वागत किया। भाव विभोर कर देने वाले इस क्षण को देखकर माता-पिता ने भी अपने बच्चों को गले लगा लिया।
एक दूसरे के बीच इस दौरान प्रेम का जो भाव बह रहा था वह हर किसी के लिए भाव विह्वल कर देने वाला क्षण था। लोग आनंदित भी हो रहे थे। उनके आंखों से खुशी के आंसू भी निकल रहे थे। पूरी रीति- परंपरा में बच्चों ने माता-पिता का चरण स्पर्श कर उनको नमन-वंदन किया और फिर उनकी परिक्रमा लगाकर, उनके प्रति अपने आस्था और प्रेम की गंगा बहाई।
इस बीच आयोजक अंतरराष्ट्रीय पहलवान राकेश सिंह परिसर में मौजूद माता-पिता और बच्चों के ऊपर पुष्प वर्षा करते हुए, इस दिवस को अनूठा बना रहे थे। बच्चों और उनके अभिभावकों ने ऐसे आयोजन को जमकर सराहा और कहा कि ऐसा आयोजन पूरी दुनिया में होना चाहिए। जिससे आपसी प्रेम भाव न सिर्फ स्थापित होगा बल्कि स्नेह की एक डोर और मजबूत होगी।
कार्यक्रम को एक मंच दिया गया था जिस पर भी बच्चों ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी। वेलेंटाइन डे सिर्फ एक दिन में एक समय में सीमित था। लेकिन धीरे-धीरे इसका बाजारीकरण होता चला गया। यह एक सप्ताह के रूप में मनाया जाने लगा। जिसमें तरह-तरह के आयोजन रोज डे, चॉकलेट डे, जो बाजारीकरण का एक बड़ा प्लेटफॉर्म बन गया। दुनिया बाजार के रूप में इसे देखने लगी।
और इस दिवस से आपसी प्रेम भाव की जगह समाज में तमाम बुराइयां कुछ जन्म लेने लगी। इसलिए उन बुराइयों को समाप्त करने के लिए भारत देश के अंदर, अपनी संस्कृति और सभ्यता के अनुरूप प्रेम और प्यार के भाव को पैदा करने की आवश्यकता है।
जिससे वृद्ध आश्रम, विधवा आश्रम, ओल्ड एज होम जैसे तमाम संस्थाओं की, आने वाले समय में जरूरत ही ना पड़े। लोग अपने माता-पिता को प्यार करें। उन्हें सम्मान दें ऐसा प्रयास होना चाहिए।
Feb 14 2024, 19:01