पाकिस्तान में कोई प्रधानमंत्री पूरा नहीं कर पाए 5 साल का कार्यकाल, पहले 10 साल में ही बने 7 पीएम
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पाकिस्तान में नई सरकार के चयन के लिए आज गुरूवार को मतदान हो रहा है। पाकिस्तान इन दिनों आर्थिक परेशानियों के दौर से गुजर रहा है। वहीं, राजनीतिक हालात की बात करें तो देश में अस्थिरता का आलम शुरुआत से ही रहा है। पाकिस्तान को देश बने उतना ही समय हुआ है, जितना भारत को आजाद हुए। इतने वर्षों में भारत कितना आगे निकल चुका है, लेकिन पाकिस्तान काफी पीछे रह गया है। इसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता एक बड़ा कारण रही है। बात करें पाकिस्तान में प्रधानमंत्रियों की तो भारत से अलग होकर देश बनने के बाद यानी साल 1947 से पाकिस्तान का एक भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है। अधिकतर प्रधानमंत्री या तो डिसमिस कर दिए गए थे या फिर अयोग्य करार दे दिए गए थे।
पाकिस्तान के 76 साल के इतिहास में वहां एक भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। 21 प्रधानमंत्री ने 24 बार शपथ ली है। लेकिन, सबका कार्यकाल अधूरा रह गया। कोई 13 दिन के लिए पीएम बना तो कोई 54 दिन तो कोई 55 दिन। सबसे लंबे समय तो जो पीएम की कुर्सी पर बैठा उसका भी कार्यकाल सिर्फ 4 साल 86 दिन का रहा। ताज्जुब की बात है कि छह पीएम तो एक साल का भी कार्यकाल नहीं पूरा कर पाए। एक-दो नहीं 18 मौके ऐसे आए, जब बेहद ही विपरीत परिस्थितियों में प्रधानमंत्री को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी। ऐसे ही साल 1993 की बात करें तो इस साल वहां पांच प्रधानमंत्री बदले गए। एक पीएम बेनजीर भुट्टो की हत्या हुई तो जुल्फीकार अली भुट्टो को फांसी की सजा सुनाई गई। इतना ही नहीं चार बार वहां तख्तापलट तक हुआ है।
पहले पीएम का कार्यकाल था 4 साल 63 दिन
लियाकत अली खान 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे। 4 साल 63 दिन बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। 16 अक्टूबर 1951 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद 17 अक्टूबर 1951 को ख्वाजा नजीमुद्दीन प्रधानमंत्री बने, लेकिन 17 अप्रैल 1953 को उन्हें भी अपना पद छोड़ना पड़ा। फिर पीएम की कुर्सी पर बैठे, मोहम्मद अली बोगरा। उनका भी कार्यकाल लंबा नहीं चला और वर्ष 1955 में गवर्नर जनरल ने उन्हें पद से हटा दिया। 1956 से लेकर 1958 के बीच भी चार लोग इस पद पर रहे। यानी कि 1958 तक कुल सात प्रधानमंत्री बदले जा चुके थे। यानी औसतन देखा जाए तो एक प्रधानमंत्री का कार्यकाल एक साल पांच महीने के करीब ही होगा।
पाकिस्तान में एक ताकतवर पीएम फांसी पर चढ़ा दिया गया
जुल्फीकार अली भुट्टो पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्रियों में से एक रहे। 3 साल 325 दिन बाद उन्हें सेना की बगावत के आरोप में फांसी पर चढ़ा दिया गया। 20 दिसंबर 1971 से 13 अगस्त 1973 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहने के बाद जुल्फिकार 14 अगस्त 1973 से पांच जुलाई 1977 तक देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला। साल 1977 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर दिया और जुल्फिकार को 3 सितंबर 1977 को गिरफ्तार कर लिया गया। उनपर विपक्षी नेता की हत्या का आरोप लगा था। 18 मार्च 1978 को जुल्फिकार अली भुट्टो की लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। 3 अप्रैल 1979 को आधी रात उन्हें फांसी दे दी गई। इस तरह पाकिस्तान के एक ताकतवर नेता का दु:खद अंत हुआ।
जब पाकिस्तान को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री
पाकिस्तान की कमान संभालने वाली पहली महिला नेता बेनजीर भुट्टो थीं। प्रधानमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल 1988 से 1990 और 1993 सले 1996 तक था। उन्होंने निर्दलीय सांसदों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाया था लेकिन उन्हें सेना के गुस्से का सामना करना पड़ा था। अगस्त 1990 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने भ्रष्टाचार के आरोपों में उन्हें सस्पेंड कर दिया था। अक्टूबर 1990 के चुनाव में नवाज शरीफ ने उनकी पार्टी (पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) को हराया था।
फिर सत्ता में आए नवाज शरीफ
नवाज शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे हैं लेकिन एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा तीन बार नवाज शरीफ पीएम की कुर्सी पर बैठे। तीन बार मिलाकर उनका कार्यकाल 9 साल 179 दिन का रहा। 6 नवंबर 1990 को PML-N के नेता नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनें। अप्रैल 1993 में राष्ट्रपति गुलाम इशक खान ने संविधान के आर्टिकल 58-2बी के तहत उनकी सरकार को डिजॉल्व कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से नवाज सरकार को बहाल किया। 26 मई 1993 को नवाज एक बार फिर वे देश के पीएम बने। हालांकि नवाज का दूसरा कार्यकाल 2 महीने भी नहीं चल सका और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। फिर पाकिस्तान में फरवरी 1997 के चुनावों में उन्हें जबरदस्त जीत मिली और 17 फरवरी 1997 को उन्होंने एक बार फिर पीएम पद संभाला। हालांकि 3 फरवरी 1997 को जनरल परवेज मुशर्रफ ने उन्हें पद से हटाकर देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया। इस तरह उन्होंने देश की सत्ता हथिया ली।
यूसुफ रजा गिलानी का सबसे लंबा कार्यकाल
युसूफ रजा गिलानी पाकिस्तान में सबसे लंबी अवधि तक शासन करने वाले प्रधानमंत्री हैं। 25 मार्च 2008 को गिलानी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने। वह 4 साल 86 दिन तक प्रधानमंत्री रहे। उम्मीद थी कि वे 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। लेकिन उनपर कोर्ट की अवमानना के आरोप लगे और आरोप साबित भी हुआ और अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पीएम पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। इस तरह वे अपना कार्यकाल पूरा करने से चूक गए।
परवेज अशरफ से इमरान खान तक
राजा परवेज अशरफ ने 22 जून 2012 को प्रधानमंत्री बने, लेकिन वह एक साल से भी कम वक्त तक पद पर रहे। 25 मार्च 2013 को उन्होंने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, शाहिद खाकन अब्बासी एक अगस्त 2017 से जुलाई 2018 तक पीएम पद पर रहे। 2018 में हुए आम चुनावों में इमरान खान को जीत मिली और वे प्रधानमंत्री बनाए गए। क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और इस समय जेल में बंद हैं।

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Feb 08 2024, 19:17
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