कौन हैं सतनाम सिंह संधू ? जिन्हें राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए किया मनोनीत

#who_is_satnam_singh_sandhu_the_nominated_mp_of_rajya_sabha

राष्ट्रपति ने चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के कुलपति सतनाम सिंह संधू को राज्यसभा का मनोनीत सांसद नियुक्त किया है। संधू जल्द ही इस पद को ग्रहण करेंगे।गृह मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को जारी एक अधिसूचना में ये जानकारी दी गई। बता दें कि राष्ट्रपति राज्यसभा के लिए अलग-अलग क्षेत्रों की कुल 12 हस्तियों को सांसद के तौर पर मनोनीत करती हैं। 

गृह मंत्रालय की तरफ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि किसान के बेटे संधू भारत के प्रमुख शिक्षाविदों में से एक हैं। इसमें कहा गया है, ‘संधू एक किसान भी हैं और शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्होंने संघर्ष किया। उन्हें 2001 में मोहाली में ‘चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज’ (सीजीसी) की स्थापना और 2012 में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की स्थापना का श्रेय जाता है।’ बयान के अनुसार, वह अपने दो गैर सरकारी संगठनों ‘इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन’ और ‘न्यू इंडिया डिवेलपमेंट फाउंडेशन’ के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में सुधार और सांप्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर सामुदायिक प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हैं।

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदस्यता हासिल करने पर सतनाम सिंह संधू को बधाई दी है। पीएम मोदी ने बधाई देते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति जी ने सतनाम सिंह संधू जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। सतनाम जी ने खुद को एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में प्रतिष्ठित किया है, जो विभिन्न तरीकों से जमीनी स्तर पर लोगों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय एकता को आगे बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया है और भारतीय प्रवासियों के साथ भी काम किया है। मैं उन्हें उनकी संसदीय यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं और मुझे विश्वास है कि राज्यसभा की कार्यवाही उनके विचारों से समृद्ध होगी।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संधू के राज्यसभा के लिए नामांकन का स्वागत किया। उन्होंने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘सामुदायिक सेवा में उनका समृद्ध कार्य और शिक्षा, नवाचार और सीखने के प्रति उनका जुनून राज्यसभा के लिए ताकत का बड़ा स्रोत होगा। मैं उनके कार्यकाल के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।’

अब राजस्थान के स्कूलों में भी बैन होगा हिजाब? जानें सरकार का प्लान

#hijabwillbebannedinrajasthanschools 

कर्नाटक के बाद अब राजस्थान की सियासत में भी हिजाब की एंट्री हो गई है।शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर राजस्थान में भी विवाद शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि राज्य की भजनलाल सरकार भी हिजाब बैन को लेकर तैयारी शुरू कर सकती है।राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने शिक्षा विभाग को दूसरे राज्यों में हिजाब बैन की स्टेटस रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया है। साथ ही इस बात की भी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है कि राजस्थान में हिजाब बैन का क्या प्रभाव पड़ेगा।

बालमुकुंदाचार्य ने उठाया मुद्दा

हिजाब को लेकर सबसे पहले राजस्‍थान में जयपुर की हवामहल सीट से भाजपा विधायक बालमुकुंदाचार्य ने सवाल उठाया था। गणतंत्र दिवस पर एक स्कूल में पहुंचे बालमुकुंदाचार्य ने सवाल उठाया था कि विद्यालय में दो तरह के ड्रेस कोड हैं क्या? उन्होंने स्कूल में ड्रेस कोड की वकालत की थी। इसके बाद बालमुकुंदाचार्य के खिलाफ छात्राओं ने प्रदर्शन किया था।इस दौरान बड़ी संख्या में उनके परिजन और मुस्लिम समुदाय के अन्य लोग भी मौजूद थे।स्कूली छात्राओं की मांग है कि हवामहल विधायक बालमुकुंद आचार्य इस मामले में माफी मांगें। उन्होंने हिजाब को लेकर बातें कहने और धार्मिक नारे लगवाने का आरोप लगाया था। 

किरोड़ीलाल मीणा ने भी किया बैन का समर्थन

कैबिनेट मंत्री डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा ने हिजाब पर प्रतिबंध की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि वे इस बारे में सीएम भजनलाल से बात करेंगे. उन्होंने कहा कि सभी स्कूलों में समान ड्रेस कोड होना चाहिए। हिजाब का समर्थन करने वाली ताकतें नहीं चाहती कि मुस्लिम समुदाय के बच्चे शिक्षित बनें। उन्होंने कहा कि मुसलमानों का डीएनए हिंदुस्तानी है। मुगल आक्रांताओं के साथ हिजाब और बुर्का भारत में आया था। आज मुस्लिम देशों में भी कई जगह हिजाब प्रतिबंधित है।

विधानसभा में भी उठा मामला

स्कूलों में हिजाब को लेकर बयानबाजी का मामला सदन में विपक्षी सदस्य रफीक खान ने उठाया। उन्होंने कहा कि बच्चे हिजाब किसी से पूछकर नहीं पहनकर जाएंगे। संविधान में सभी को बराबरी का अधिकार है। इस पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने विरोध किया। हंगामा हुआ तो अध्यक्ष ने इसे सदन की कार्यवाही से निकालने की व्यवस्था दी

पाकिस्तान में आम चुनाव से पहले इमरान खान को बड़ा झटका, गोपनीय सूचना लीक करने के मामले में 10 साल की सजा

#pakistan_imran_khan_shah_mehmood_qureshi_got_ten_year_jail 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के लीडर शाह महमूद कुरैशी को सायफर केस में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है। मंगलवार को रावलपिंडी में स्पेशल कोर्ट ने सजा का ऐलान किया।पाकिस्तान की अदालत ने विवादास्पद सिफर मामले में 10 साल की जेल की सजा दी है। पाकिस्तान की सरकारी मीडिया और पीटीआई के एक प्रवक्ता ने राज्य के दस्तावेज़ लीक करने के मामले में दोनों को सज़ा सुनाए जाने की पुष्टि की है।

पार्टी के एक प्रवक्ता ने एएफपी को बताया, 'पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान और पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) के उपाध्यक्ष कुरेशी को सिफर मामले में 10-10 साल जेल की सजा सुनाई गई है।' खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रवक्ता जुल्फिकार बुखारी के अनुसार, अदालत ने रावलपिंडी के गैरीसन शहर की एक जेल में फैसले की घोषणा की।

इमरान और कुरैशी की मौजूदगी में ही जज अबुल हसनत जुल्करनैन ने यह फैसला सुनाया। सुनवाई के दौरान जज जुल्करनैन ने पीटीआ नेताओं से कहा कि उनके वकील अदालत में पेश नहीं हुए हैं और उन्हें सरकारी वकील दिए गए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि कुरैशी और इमरान से धारा 342 के तहत सवाल पूछे गए थे। हालांकि, कुरैशी ने कहा कि उनके वकील मौजूद नहीं हैं तो वे अपना बयान नहीं दर्ज करा सकते हैं। पिछले साल से ही केस की सुनवाई अदियाला जेल में चल रही है।

इमरान के राजनीतिक करियर के लिए खतरा

इमरान खान फिलहाल रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं। इस फैसले को पहले से ही जेल में बंद इमरान खान के लिए बड़ा झटका समझा जा रहा है। पाकिस्तान में 8 फरवरी को आम चुनाव हैं, इससे पहले यह सजा इमरान की पार्टी के लिए चुनावी तैयारियों के लिए भी गहरे आघात से कम नहीं है। क्योंकि इस 10 साल की सजा के साथ ही इमरान खान और उनकी सरकार में विदेश मंत्री रहे शाह महमूद कुरैशी के लिए चुनाव लड़ने का रास्ता बंद हो गया है। चुनाव के करीब 1 हफ्ते पहले आया यह फैसला इमरान के राजनीतिक करियर के लिए खतरनाक हो सकता है।

पीटीआई फैसले को देगी चुनौती

इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। पीटीआई ने बयान जारी कर कहा है कि उनकी कानूनी टीम इस फैसले को उच्च अदालत में चुनौती देगी। पार्टी ने आरोप लगाया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान मीडिया या आम जनता को शामिल नहीं होने दिया गया और जल्दबाजी में फैसला सुनाया गया है। पीटीआई ने कहा कि मार्च-अप्रैल 2022 को जो हुआ, उसे कोई भी अदालती सुनवाई नहीं बदल सकती। इस मामले में कानून का मजाक उड़ाया गया है। पार्टी ने लोगों से 8 फरवरी को होने वाले आम चुनाव में 'हकीकी आजादी' के लिए वोट करने की अपील की।

क्या है सिफर केस

अप्रैल 2022 में सरकार गिरने के बाद इमरान की तरफ से लगातार दावा किया गया कि उनकी सरकार गिराने के लिए अमेरिका और उस वक्त के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने साजिश रची। खान का आरोप है कि उन्हें इस साजिश की जानकारी अमेरिका में उस वक्त के पाकिस्तानी ऐंबैस्डर असद मजीद खान ने एक सीक्रेट लेटर के जरिए दी थी। डिप्लोमैटिक टर्म में इसी लेटर को सिफर कहा जाता है। यह सिफर अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट यानी फॉरेन मिनिस्ट्री की तरफ से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय को भेजा गया था। इमरान इस लेटर को साल 2022 में कई चुनावी रैलियों में लहराते हुए नजर आए थे। उन्होंने दावा किया था कि उनकी सरकार को अमेरिका के इशारे पर फौज ने गिराया। कानूनी तौर पर ये लेटर एक नेशनल सीक्रेट होता है, जिसे सार्वजनिक जगह पर दिखाया नहीं जा सकता। इसके अलावा खान का एक ऑडियो टेप भी वायरल हुआ था। इसमें इमरान, उस वक्त के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और चीफ सेक्रेटरी आजम खान की आवाजें थीं। फोरेंसिक जांच में यह साबित हुआ कि ऑडियो सही है, इससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी। टेप में खान कुरैशी और आजम से कहते हैं- अब हम इस सिफर को रैलियों में दिखाकर इससे खेलेंगे।

ममता बनर्जी को थप्पड़ मारो..', बंगाल भाजपा अध्यक्ष के बयान पर आगबबूला हुई TMC, पढ़िए, आग बबूला हुए नेता कार्यकर्ता

पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने उस समय विवाद खड़ा कर दिया, जब उन्होंने राज्य की शिक्षा नीति को लेकर मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी की आलोचना करते हुए उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। एक वायरल वीडियो में, मजूमदार को दक्षिण 24 परगना जिले के मथुरापुर में एक रैली में लोगों से सीएम बनर्जी को "थप्पड़" मारने के लिए कहते हुए सुना गया है। बनर्जी पर हमला करते हुए मजूमदार ने कहा कि 'यह बच्चों की गलती नहीं है कि वे अपनी पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं और लोगों को अपने बच्चों को मारने के बजाय बनर्जी को थप्पड़ मारना चाहिए।'

मजूमदार ने कहा कि, "जब आपके बच्चे स्कूल से वापस आ रहे हैं, तो वे कुछ भी जवाब नहीं दे सकते हैं। आप उन्हें थप्पड़ मार रहे हैं और उनसे सवाल कर रहे हैं कि आपने स्कूल में क्या पढ़ा है। अपने बच्चों को थप्पड़ मारने के बजाय, ममता बनर्जी को थप्पड़ मारें क्योंकि उन्होंने शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया है।" TMC ने मजूमदार की टिप्पणी पर उन पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि वह बनर्जी के खिलाफ शारीरिक हिंसा भड़का रहे हैं। पार्टी ने इसे स्त्रीद्वेषपूर्ण बयान मानते हुए माफी की मांग की। टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख की टिप्पणियां "शर्मनाक" थीं।

मोइत्रा ने कहा कि, "पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख, जो एक सांसद भी हैं, ने सार्वजनिक रूप से एक भाषण दिया है जिसमें उन्होंने हमारे मुख्यमंत्री के खिलाफ शारीरिक हिंसा का आह्वान किया है। यह शर्मनाक है और दिखाता है कि भाजपा भ्रष्टाचार की कितनी गहराई तक गिर सकती है।" उन्होंने कहा, "हम पश्चिम बंगाल भाजपा के स्त्री-द्वेषी, पितृसत्तात्मक प्रमुख से माफी की उम्मीद करते हैं और पार्टी सदस्यों को उनकी टिप्पणियों की निंदा करनी चाहिए।" उनकी पार्टी के सहयोगी और राज्य मंत्री शशि पांजा ने आरोप लगाया कि भाजपा महिलाओं के प्रति "घृणा" और "अनादर" दिखा रही है।

उन्होंने कहा कि, "पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार जहर उगल रहे हैं। अपमानजनक शब्द, भड़काऊ भाषण और वह जनता को ममता बनर्जी को थप्पड़ मारने के लिए उकसा रहे हैं। यह एक ऐसी पार्टी है जो महिलाओं के प्रति नफरत रखती है और हर दिन महिलाओं के प्रति असम्मान दिखाती है।" इस बीच, टीएमसी की महिला शाखा बनर्जी के खिलाफ मजूमदार की टिप्पणी के विरोध में मंगलवार को एक रैली आयोजित करेगी।

तृणमूल सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने बनर्जी के खिलाफ मजूमदार की अपमानजनक टिप्पणी पर आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने ऐसी टिप्पणियों के पीछे के मकसद पर सवाल उठाया और जब नेता ऐसी भाषा का सहारा लेते हैं तो राजनीतिक विमर्श के पतन पर चिंता जताई। जबकि भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया, राज्य के एक नेता ने गुमनाम रूप से टिप्पणियों पर अस्वीकृति व्यक्त की और बनर्जी की राजनीति की आलोचना जारी रखते हुए खुद को उनसे दूर कर लिया।

'नीतीश कुमार संयोजक बनना चाहते थे तो बना देते लेकिन...', बिहार के CM पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कसा तंज

बिहार के सीएम नीतीश कुमार एवं गृह मंत्री अमित शाह को मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने आड़े हाथों लिया। वे रविवार को इंदौर आए थे। उन्होंने कहा कि कुछ नेताओं की कथनी एवं करनी में अंतर होता है। उन्होंने कहा- हमें कभी उम्मीद नहीं थी कि नीतीश कुमार ऐसा कदम उठाएंगे। वे पहले ही बोल चुके थे कि किसी हालत में मरते दम तक बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे। वे संयोजक बनना चाहते थे तो बना देते, इसमें किसी को कोई परेशानी नहीं थी। उन्हीं के द्वारा विपक्षी गठबंधन का प्रयास किया गया था। 

उन्होंने कहा- सभी ने मिलकर उन्हें संयोजक बनने का आफर भी दिया था जिसे उन्होंने ही मना कर दिया। फिर इस प्रकार का कदम उठाने का क्या मतलब है। वे स्वयं डेढ़ साल से भारतीय जनता पार्टी का सामूहिक विरोध करने की पहल कर रहे थे। यह कैसा नेता जो कहे कुछ और करे कुछ। दिग्विजय सिंह ने कहा कि अमित शाह ने कहा था कि नीतीश आना भी चाहेंगे तो नहीं लेंगे, लेकिन वे उनके साथ हो लिए। दिग्विजय ने कहा कि इन नेताओं की कथनी और करनी में अंतर है। 

वहीं दिग्विजय ने राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में कार्यकर्ताओं से कहा कि मेरे लोकसभा चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि मैं राज्यसभा सदस्य हूं तथा अभी मेरा सवा दो साल का कार्यकाल बचा है। दिग्विजय सिंह इन दिनों राजगढ़ जिले की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में जाकर पार्टीजन से बातचीत कर रहे हैं।

एमपी के ग्वालियर में प्रेमी पर पैसे लुटाने के लिए शादीशुदा कामवाली ने साफ़ कर दी मालिक की अलमारी, चौंकाने वाला है मामला

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में प्रॉपर्टी एवं शराब कारोबारी के घर से हुई लाखों की चोरी का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। पुलिस ने चोरी का खुलासा करते हुए बताया कि कारोबारी के घर काम करने वाली बाई ने कैश एवं आभूषणों पर हाथ साफ किया है। पुलिस ने बताया, कामवाली बाई ने अपने प्रेमी पर लुटाने के लिए लाखों की चोरी की थी। पुलिस ने कारोबारी की तिजोरी से निरंतर हो रही चोरियों का खुलासा करते हुए कामवाली बाई व उसके प्रेमी से 4 लाख रुपए नकद समेत 12 लाख रुपए के आभूषण बरामद किए हैं।

मुरैना शहर के आमपुरा में रहने वाले नीरज शर्मा के घर प्रॉपर्टी एवं शराब व्यवसाय की वजह से हमेशा लाखों रुपए का लेन-देन होता रहता है। ऐसे में कामवाली बाई की नजर इन पैसों पर लंबे वक़्त से थी। पिछले 11 जनवरी को कारोबारी द्वारा तिजोरी के पैसों को चेक करने पर 6 लाख रुपए कम पाए गए। पैसों का पता लगाने के लिए घर में CCTV कैमरे लगवा दिए गए। चोर का पता लगाने के लिए दूसरे दिन भी नकद 7 लाख रुपए का बैग अलमारी में रखा गया। तत्पश्चात, दूसरे दिन भी इसमें से दो लाख रुपए कम हो गए। पैसे के फिर से गायब होने के बाद घरवालों के होश उड़ गए। उन्होंने इसकी खबर पुलिस को दी। पुलिस ने CCTV फुटेज को चेक किया तथा संदेह होने पर में कामवाली बाई से पूछताछ की।

बाई ने स्वीकार किया कि उसने घर से रुपए चुराकर अपने बेरोजगार प्रेमी को दिए हैं। कुछ राशि उसके पास भी है। पुलिस ने 20 लाख रुपए की चोरी में से 4 लाख रुपए नकद एवं 12 लाख रुपए के आभूषण महिला एवं उसके बेरोजगार प्रेमी से बरामद कर लिए हैं। प्रेमी ने अपने बड़े भाई के नाम लग्जरी वाहन भी खरीद लिया था तथा शेष चोरी के पैसे को बरामद करने के लिए पुलिस ने दोषियों को रिमांड पर ले लिया है। कामवाली बाई शादीशुदा है तथा उसके 3 बच्चे भी हैं। जबकि, उसका प्रेमी अविवाहित होकर 20 साल का है।

आपस में भिड़े कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के समर्थक, कांग्रेस कार्यालय में जमकर चले लात-जूते, वीडियो हो रहा वायरल

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कांग्रेस कार्यालय में दो गुटों के बीच विवाद हो गया। एक गुट दिग्विजय सिंह का समर्थन करता है, जबकि दूसरा गुट कमलनाथ का समर्थन करता है। दोनों गुटों के नेता एवं कार्यकर्ता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे। झड़प के चलते दोनों गुटों के नेताओं ने एक-दूसरे को धक्का-मुक्की की तथा गालियाँ दीं। कुछ नेताओं ने एक-दूसरे पर कुर्सियाँ भी फेंक दीं। सोशल मीडिया पर इस झड़प का वीडियो वायरल हो गया है।

घटना के मुताबिक, राज्य कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ के समर्थकों के बीच लड़ाई हुई। लड़ाई इतनी बढ़ गई कि दोनों पक्षों के नेता एक-दूसरे पर गाली-गलौज करने लगे। झगड़े के चलते एक नेता ने दूसरे नेता पर कुर्सियाँ फेंकी। जानकारी के अनुसार, यह घटना सोमवार (29 जनवरी, 2024) को हुई। भोपाल के कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता शहरयार खान एवं अनुसूचित जाति विभाग के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार के बीच झड़प हो गई। दोनों नेताओं ने एक दूसरे के साथ धक्का-मुक्की की तथा जमकर गलियाँ बकी। इस के चलते वहाँ उपस्थित लोगों ने इसका वीडियो भी बना लिया।

वही इसके चलते मौके पर उपस्थित दूसरे नेताओं ने दोनों नेताओं को अलग किया। कहा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लेकर विवाद हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनुसूचित जाति विभाग अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार को कमलनाथ समर्थक बताया जाता है वहीं कांग्रेस प्रवक्ता शहरयार खान को दिग्विजय समर्थक माना जाता है। दोनों के बीच दिग्विजय सिंह को गाली देने को लेकर हुआ। झगड़ा इतना बढ़ा कि मामला मारपीट तक पहुँच गया।

भाजपा नेता नरेंद्र सलूजा ने इस घटना का वीडियो एक्स पर साझा किया है। उन्होंने लिखा, “कमलनाथ जी समर्थक द्वारा दिग्विजय सिंह जी को गाली बकने को लेकर PCC में खूब चले लात-ठूँसे कुर्सियाँ चली, जमकर एक दूसरे को गालियाँ बकी गईं। बीच-बचाव करने आए कमलनाथ समर्थक एक नेता को भी लात-घूसे पड़े।” ये घटना मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। दिग्विजय सिंह एवं कमलनाथ दोनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं तथा उनके समर्थकों का आंकड़ा भी बढ़ा है। ऐसे में इन दोनों नेताओं के बीच मतभेद कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं।

'5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी एक जुमला है..', केंद्र सरकार पर भड़कीं प्रियंका गांधी, कहा, असली मुद्दा महंगाई और बेरोज़गारी का

 इजराइल में नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज मंगलवार को कहा कि पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और मोदी की गारंटी की बात सिर्फ एक "जुमला" है, जबकि देश में असली मुद्दा बेरोजगारी का है। उन्होंने दावा किया कि महंगाई का भाजपा सरकार के पास कोई समाधान नहीं है।

उल्लेखनीय है कि, हमास के साथ जंग के बीच इजराइल ने फिलिस्तीनी कर्मचारियों को काम से हटा दिया है और भारतीय श्रमिकों की मांग की है। जिन्हे प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपए वेतन और रहने की व्यवस्था दी जाएगी। इसके लिए यूपी में कई लोग इजराइल जाने के लिए आगे भी आए हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने एक्स पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें इज़राइल जाने के लिए चल रहे भर्ती अभियान में लोग कतार में खड़े हुए थे।

इसको लेकर प्रियंका ने अपनी पोस्ट में लिखा कि, "अगर कहीं पर युद्ध के हालात हैं तो सबसे पहले हम अपने नागरिकों को वहाँ से बचाकर, वापस अपने वतन लाते हैं। लेकिन बेरोजगारी ने आज वो हाल कर दिया है कि देश की सरकार हजारों असहाय और मजबूर युवाओं को युद्धग्रस्त इजराइल जाकर ये खतरा उठाने से भी बचा नहीं रही है। इसी से पता चलता है कि चुनावों में 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी', 'सालाना दो करोड़ रोजगार' और 'मोदी की गारंटी' जैसी बातें सिर्फ जुमला हैं।'' 

उन्होंने लिखा कि, यहाँ, अपने देश में इन्हें रोजगार क्यों नहीं मिल रहा? ये लंबी-लंबी लाइनों में दो-दो दिनों से खड़े युवा क्या हमारे देश के बच्चे नहीं हैं कि हम इन्हें ख़ुशी से इतने भयानक युद्ध के बीच भेजने को तैयार हैं? गौर कीजिए, कितनी चालाकी से सरकार इसे देश के युवाओं का व्यक्तिगत मसला बना रही है! सरकार की इसमें क्या भूमिका है? भारत सरकार ने युद्धग्रस्त इजराइल को भारतीय युवाओं की बलि लेने की स्वीकृति किस आधार पर दी है? हमारे इन युवकों के जान-माल की रक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? भगवान न करे अगर किसी के साथ कोई दुर्घटना हो गई तो किसकी जिम्मेदारी होगी? आज भारत का असली मुद्दा बेरोजगारी-महंगाई है और भाजपा सरकार के पास इसका कोई हल नहीं है। देश के युवा अब ये बात समझ रहे हैं।

अरब सागर में डाकुओं ने किडनैप कर ली थी कई नाव, फ़ौरन पहुंची इंडियन नेवी, 19 पाकिस्तानी नाविकों को बचाया

भारतीय युद्धपोत INS सुमित्रा ने एक बचाव अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, जिसमें 19 पाकिस्तानी नाविकों को सोमाली समुद्री डाकुओं से बचाया गया, जिन्होंने उनके मछली पकड़ने वाले जहाज का अपहरण कर लिया था। यह 36 घंटे की अवधि के भीतर INS सुमित्रा द्वारा चलाया गया दूसरा समुद्री डकैती विरोधी अभियान है। जहाज ने रविवार रात को एक इमरजेंसी कॉल का जवाब दिया, जिससे मछली पकड़ने वाले एक अन्य जहाज की सहायता की गई जो समुद्री डाकुओं का शिकार हो गया था।

इस घटना में ईरानी ध्वज वाला मछली पकड़ने वाला जहाज अल नईमी शामिल था, जिसे सोमवार को सशस्त्र समुद्री डाकुओं ने जब्त कर लिया था। चालक दल के 19 सदस्यों, सभी पाकिस्तानी राष्ट्रीयता के, को बंधक बना लिया गया। उभरते संकट की त्वरित और निर्णायक प्रतिक्रिया में, INS सुमित्रा ने 29 जनवरी को मुखर रणनीति का उपयोग करके और अपने हेलीकॉप्टर और नौकाओं को प्रभावी ढंग से तैनात करके मछली पकड़ने वाले जहाज को रोक दिया। इस रणनीतिक दृष्टिकोण ने चालक दल और पकड़े गए जहाज दोनों की सुरक्षित रिहाई को मजबूर किया।

नौसेना ने जहाज की त्वरित कार्रवाई पर प्रकाश डालते हुए एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि, "INS सुमित्रा ने 29 जनवरी की शाम को मछली पकड़ने वाले जहाज को रोक लिया और अपने अभिन्न हेलीकॉप्टर और नौकाओं की जबरदस्त मुद्रा और प्रभावी तैनाती के माध्यम से चालक दल और जहाज की सुरक्षित रिहाई को मजबूर किया।" इसके अतिरिक्त, युद्धपोत ने सोमाली समुद्री डाकुओं द्वारा बंदी बनाए गए चालक दल की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए पुष्टिकरण बोर्डिंग का आयोजन किया।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भाजपा की जीत, कांग्रेस-आप गठबंधन को बड़ा झटका

#chandigarh_mayor_bjp_candidate_wins 

बिहार में नीतीश कुमार के झटका देने के बाद अब चंडीगढ़ में ‘इंडिया गठबंधन’ को झटका लगा है। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कांग्रेस-आप गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। इस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार मनोज कुमार सोनकर ने जीत दर्ज की है। मनोज कुमार को 16 वोट मिले। वहीं आप के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने 12 वोट हासिल किए। वहीं 8 वोट कैंसिल कर दिया गया। कुल चार वोट से भाजपा ने यह चुनाव जीता है। इसके साथ ही इंडिया गठबंधन अपने पहले ही टेस्ट में औंधे मुंह गिरा है। 

जानकारी के अनुसार, सुबह 10 बजे से चंडीगढ़ मेयर के लिए चुनाव शुरू होना था। लेकिन 38 मिनट की देरी पर प्रिजाइडिंग अफसर अनिल मसीह पहुंचे। इसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान सभी काउसिंलर्स को चुनावी प्रक्रिया समझाई गई। इसके बाद, चंडीगढ़ की सांसद किरण खेर ने सबसे पहले वोट डाला। इसके बाद वार्ड नंबर से लेकर अन्य पार्षदों ने वोट डाला। करीब पौने दो घंटे तक वोटिंग प्रक्रिया हुई और साढ़े बारह बजे तक सभी 36 वोट पोल हुए। 

पीठासीन अधिकारी पर वोटों के साथ छेड़छाड़ के आरोप

चुनाव के नतीजों के ऐलान के बाद कांग्रेस और भाजपा पार्षदों ने हंगामा भी किया है। प्रिजाइडिंग अफसर पर गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं।पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर कई वोटों के साथ छेड़छाड़ के आरोप लगे हैं। कांग्रेस और आप पार्षदों की तरफ से आरोप लगाए जा रहे हैं कि अनिल मसीह वीडियो में कई वोटों पर पेन चलाते हुए नजर आए हैं। 

केजरीवाल बोले-बेईमानी हुई

वहीं, अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर प्रतिक्रिया दी। केजरीवाल ने कहा कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में दिन दहाड़े जिस तरह से बेईमानी की गई है, वो बेहद चिंताजनक है। यदि एक मेयर चुनाव में ये लोग इतना गिर सकते हैं तो देश के चुनाव में तो ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। ये बेहद चिंताजनक है।

मेयर चुनाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने गठबंधन किया था। समझौते के तहत आप ने मेयर पद के लिए प्रत्याशी खड़ा किया, जबकि कांग्रेस ने डिप्टी मेयर और सीनियर मेयर पदों के लिए अपने उम्मीवार चुनावी मैदान में उतारे। चंडीगढ़ मेयर चुनाव के लिए 18 जनवरी को वोटिंग होने वाली थी, लेकिन पीठासीन अधिकारी के बीमार पड़ने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे छह फरवरी तक के लिए टाल दिया था। इसके खिलाफ आम आदमी पार्टी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। चुनाव टालने के प्रशासन के आदेश पर कांग्रेस और आप के पार्षदों ने विरोध प्रदर्शन किया था। हाई कोर्ट ने कड़ी सुरक्षा के बीच 30 जनवरी को वोटिंग कराने के निर्देश दिए थे।