ब्रिटिश फोर्स ने यमन की थी बमबारी तो इस तथ्य के वहां के पीएम ऋषि सुनक के साथ खड़ा हुआ विपक्ष, लेकिन...

कुछ वर्ष पूर्व जब भारत ने सीमापार सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों के ठिकाने तबाह किए तब देश में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल सबूत की मांग करने में लगे हुए थे. हालांकि ब्रिटेन में ऐसा ही एक वाकया सामने आया तो विपक्ष सरकार के साथ खड़ा हुआ दिखाई दिया. जी हां, पीएम ऋषि सुनक ने UK की संसद को सोमवार को बताया कि ब्रिटेन ने यमन में हूती ठिकानों पर अमेरिका के साथ मिलकर एयरस्ट्राइक भी कर दी थी. उन्होंने बताया कि ब्रिटिश जहाजों के लिए खतरा पैदा होने पर यह सीमित कार्रवाई की आवश्यकता थी.  रॉयल एयरफोर्स के चार टाइफून जेट ने पिछले सप्ताह अमेरिका के नेतृत्व में ईरान समर्थित विद्रोहियों के ठिकानों को टारगेट तक कर दिया था. वहीं से लाल सागर में जहाजों पर अटैक कर दिए गए थे. 

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 सुनक ने ब्रिटिश सांसदों को कहा है कि हमारे लड़ाकू विमानों ने ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों की लॉन्च साइटों को टारगेट भी कर दिया है. UK का आकलन है कि सभी 13 टारगेट तबाह कर दिए गए और किसी भी आम नागरिक को नुकसान नहीं पहुंचा. उन्होंने बोला है कि इस कार्रवाई का मकसद हमला करने की हूतियों की क्षमता पर चोट करना था. यह एक सीमित और सिंगल ऐक्शन था और अब उम्मीद है कि हूती दोबारा हमला नहीं करेंगे. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अपने लोगों और देश के हित में जहां भी आवश्यकता पड़ेगी, हम हिचकिचाएंगे नहीं. 

समय नहीं मिला बताने का

 प्रधानमंत्री सुनक को सुनकर ब्रिटेन के मुख्य विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर ने बोला है कि वह बीते सप्ताह किए गए हमले का सपोर्ट करते हैं. खास बात यह है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने संसद से परामर्श किए बगैर यह कार्रवाई की थी लेकिन उन्होंने विरोध नहीं किया. हालांकि कुछ छोटे विपक्षी दलों ने यह जरूर बोला है कि गवर्नमेंट को सैन्य कार्रवाई से पहले संसद में वोट करा लेना चाहिए था. इस पर सुनक ने जवाब दिया कि सुरक्षा के लिए जल्द ऐक्शन लेना जरूरी हो गया था इसलिए संसद के पास आने का मौका नहीं मिल पाया.

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगाने की मांग, इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर

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अयोध्या के राम मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह मंगलवार से शुरू हो गया। इसे लेकर रामक्तों में उत्साह की लहर है। हालांकि , राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने से पहले ही ये मामला अब कोर्ट पहुंच गया है। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका(पीआईएल) दायर की गई है। 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गयी है। याचिकाकर्ता ने पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों प्राण प्रतिष्ठा पर रोक लगाने की भी मांग की है। साथ ही शंकराचार्य की आपत्तियों का हवाला देते हुए इसे सनातन परंपरा के खिलाफ बताया है।

गजियाबाद के भोला दास की ओर से दाखिल याचिका में आरोप है कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर शंकराचार्य की आपत्ति है। इतना ही नहीं पूस के महीने में कोई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाते हैं। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि मंदिर अभी भी निर्माणाधीन है, पूरी तरह से मंदिर नहीं बना है, ऐसे में वहां भगवान की प्रतिष्ठा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा का होना सनातन परंपरा के साथ असंगत होगा।

याचिका में यह भी कहा गया है कि बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव लाभ उठाने के लिए यह आयोजन कर रही है। पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी का इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होना संविधान के ख़िलाफ़ हैं। याचिका में कार्यक्रम को केवल चुनावी स्टंट कहा गया है।भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में लाभ उठाने के लिए आयोजन कर रही है।

आपको बता दें कि पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने भी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए थे। चारों शंकराचार्यों ने कार्यक्रम में शामिल न होने का फैसला किया है। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने कहा था कि रामलला शास्त्रीय विधि से प्रतिष्ठित नहीं हो रहे हैं। उनका कहना था कि प्राण प्रतिष्ठा मुहूर्त के हिसाब से किया जाना चाहिए, भगवान की मूर्ती को कौन छुएगा कौन नहीं छुएगा, कौन प्रतिष्ठा करेगा कौन नहीं, इन बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी है। इसके साथ ही शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने भी प्राण प्रतिष्ठा किए जाने पर सवाल उठाए थे।

कैसे हुई ऐतिहासिक नगरी अयोध्या की स्थापना, जानें इससे जुड़ी कुछ खास बातें

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भारतवर्ष में युगों य़ुगों से श्रीराम का नाम गूंज रहा है। श्रीराम हिन्दूओं के अराध्य हैं,भारतीय सभ्यता और संस्कृति के आधार हैं। ना जाने कितने ही पर्व त्योहार श्रीराम से जुड़े हैं। वैसे इन दिनों अयोध्या में भी त्योहार का वातारण है, तो क्यों ना हम भी अयोध्या के इतिहास से लेकर वर्तमान तक की एक झलक लें। आज हम बात करेंगे ऐतिहासिक नगरी अयोध्या के स्थापना की।

इस समय सबकी नजरें अयोध्या पर टिकी हैं। वर्षों के इंतजार के बाद श्रीराम लला अयोध्या में विराजमान होने जा रहे हैं। 22 जनवरी को श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है।जिसको लेकर पूरे देश का माहौल राममय हो गया है। हो भी क्यों ना, अयोध्या जिसका धार्मिक महत्व है। कई शताब्दी से ये स्थली हिंदूओं का प्रमुख तीर्थ स्थल रही है। अयोध्या भारत के प्राचीन नगरों में से एक है। वेदों में अयोध्या को ईश्वर की नगरी बताया गया है, वहीं इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। अयोध्या के स्थापना की कहानी पौराणिक है। हिंदू पौराणिक मान्याताओं के अनुसार अयोध्या सप्त पुरियों में से एक है। ये सप्तपुरी हैं अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, अंवतिका और द्वारका ये सभी सातों मोक्षदायिनी और पवित्र नगरियां यानी पुरियां हैं। 

चार वेदों में पहले अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर माना है। उसी अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था। अयोध्या नगरी सरयू नदी के किनारे पर बसा हुआ है। बाल्मिकी रामायण में अयोध्या का विस्तार से वर्ण है। रामायण के अनुसार सरयू नदी के किनारे बसे अयोध्या की स्थापना सूर्य पुत्र मनु ने थी। अयोध्या की लंबाई 12 योजन और चौड़ाई 3 योजन थी। एक योजन में 12 किमी होते हैं, इसका अर्थ हुआ अयोध्या की सीमा 144 किमी लंबी और 36 किमी चौड़ी थी। 

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अयोध्या कई शताब्दियों तक सूर्यवंश की राजधानी रही। सूर्यवंश की स्थापना मनु के पुत्र इक्ष्वाकु ने की थी। मनु का जन्म लगभग 6673 ईसा पूर्व में हुआ था। मनु ब्रह्रााजी के पौत्र कश्यप की संतान थे। मनु के 10 पुत्र हुए जिनमें- इक्ष्वाकु प्रतापी राजा हुए। इक्ष्वाकु कुल में कई प्रतापी राजा, मुनि और भगवान हुए है। इक्ष्वाकु कुल में भगवान राम का जन्म हुआ था। महाभारत काल तक अयोध्या पर सूर्यवंसी राजाओं का शासन रहा।

स्कंद पुराण के अनुसार जिस तरह से काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी है उसी प्रकार अयोध्या भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र पर विराजमान है। पौराणिक कथा के अनुसार मनु ब्रह्रााजी से अपने लिए एक नगर के निर्माण की बात को लेकर उनके पास पहुंचे, तब ब्रह्रााजी जी उन्हें भगवान विष्णु के पास भेजा। तब भगवान विष्णु ने मनु के लिए साकेतधाम का चयन किया। साकेतधाम के चयन के बाद ब्रह्रााजी और मनु के साथ विष्णुजी ने देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा को भेज दिया। विष्णु जी ने महर्षि वशिष्ठ को भी भेजा। वशिष्ठ मुनि ने सरयू नदी के किनारे लीला भूमि का चयन किया। भूमि चयन के बाद देवशिल्पी नगर के निर्माण की प्रकिया आरंभ की। 

रामायण में अयोध्या का जिक्र कौशल जनपद के रूप में भी किया गया। भगवान राम के जन्म के समय इस नगर को अवध के रूप जाना जाता था। अयोध्या का एक नाम साकेत भी है। शताब्दीयों से खुद में गौरवशाली इतिहास को लपेटे इस नगर का अर्थ अजेय भी है। यानी जिसे जीता नहीं जा सकता।

कहते हैं कि भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण कराया था। इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक इसका अस्तित्व बरकरार रहा। महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़-सी गई लेकिन उस दौर में भी श्रीराम जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था और लगभग 14वीं सदी तक बरकरार रहा। तथ्यों के मुताबिक, बाबर के आदेश पर सन् 1527-28 में अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर को तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण किया गया। जिसके बाद शुरू हुआ अयोध्या का विवाद। जो करीब पांच सौ सालों तक चला।

दुनिया में किस देश के पास है सबसे ताकतवर सेना, जानें रैकिंग में भारत का स्थान

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जिस देश के पास जितना तगड़ा सैन्य संगठन है, वो उतना ही ताकतवर है। तो आखिर दुनियाभर के देशों में कौन सबसे ताकतवर है? इस सावल का जवाब मिलेगा ग्लोबल फायरपावर मिलिट्री स्ट्रेंथ रैंकिंग्स 2024 की लिस्ट से। ग्लोबल फायर पावर ओर से साल 2024 की सबसे ताकतवर सेनाओं की लिस्ट जारी की गई है। इस लिस्ट में बीते कई सालों से लगातार नंबर एक पर चल रहे अमेरिकी सेना को ही पहली रैंक दी गई है। अमेरिका के बाद दूसरा नंबर रूस को दिया गया है और तीसरे नंबर पर चीन को रखा गया है। इनके बाद चौथे नंबर पर भारत की सेना है।

जानें पाकिस्तान का पायदान

ग्लोबल फायरपावर की 2024 की सैन्य शक्ति रैंकिंग लिस्‍ट में पाकिस्‍तान को नौवें नंबर पर रखा गया है। इस रैंकिंग में भारत के बाद पांचवें नंबर पर दक्षिण कोरिया, छठे नंबर पर ब्रिटेन, सातवें पर जापान, आठवें नंबर पर तुर्किए, नौवें नंबर पर पाकिस्तान और दसवां नंबर इटली की सेना को दिया गया है।

10 सबसे कम शक्तिशाली सेना

अगर दुनिया की 10 सबसे कम शक्तिशाली सेना की बात करें तो इस मामले में पहला नंबर भूटान का है. लिस्‍ट में भूटान को दुनिया की सबसे कम ताकतवर सेना बताया गया है. भूटान के बाद दूसरे नंबर पर मोल्दोवा, तीसरे नंबर पर सुरीनामे, चौथे नंबर पर सोमालिया, पांचवें नंबर पर बेनिन, छठे नंबर पर लाइबेरिया, सातवें नंबर पर बेलीज, आठवें नंबर पर सियेरा लियोन, नौवें नंबर पर सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक और दसवें नंबर पर आइसलैंड की सेना है

बता दें कि ग्लोबल फायरपावर 145 विभिन्न देशों की रक्षा संबंधी जानकारी पर नजर रखता है। इन देशों की सैन्य शक्तियों की रैंकिंग करते समय, यह लगभग 60 कारकों को ध्यान में रखता है, जिसमें सैनिकों की संख्या, सैन्य उपकरण, वित्तीय स्थिरता, भौगोलिक स्थिति और उपलब्ध संसाधन शामिल हैं। ये कारक मिलकर पॉवरइंडेक्स स्कोर निर्धारित करते हैं, जहां कम स्कोर मजबूत सैन्य क्षमताओं का संकेत देते हैं।

ईरान का पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक, आतंकी ठिकानों को किया ध्वस्त, इस्लामाबाद ने की कड़ी निंदा

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पाकिस्तान आतंकियों का पनाहगाह बना हुआ है। हालांकि, पाकिस्तान इन आरोपों का हमेशा बचाव करता है। ईरान ने जैश अल-अदल आतंकवादी समूह से जुड़े दो आतंकी ठिकानों पर बमबारी कर पाकिस्तान की पोल खोल दी है। ईरान ने पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी संगठनों के कैंपों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया है। ईरानी मीडिया के अनुसार ईरान के आईआरजीसी ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जैश-अल-अदल के दो आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोन से हमला कर नष्ट कर दिया। इसमें 2 बच्चों की मौत हुई है और 3 बच्चियों के घायल होने की भी खबर है।

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रिपोर्ट के मुताबिक, यह हमले तुरबत और पंचकूर में स्थित आतंकवादी कैंपों पर किए गए। ये आतंकवादी कैंप बलूचिस्तान से 122 किलोमीटर पाकिस्तान की सीमा में हैं। ईरान ने मंगलवार देर रात इन आतंकी कैंपों पर कई रॉकेट हमले किए।रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकी समूह ने पहले पाकिस्तान के साथ सीमा क्षेत्र में ईरानी सुरक्षा बलों पर हमले किए हैं। ईरान के सरकारी मीडिया कहा कि आतंकी ठिकानों पर मिसाइलों और ड्रोनों से हमला कर उन्हें नष्ट कर दिया गया।

इस्लामाबाद में कड़ी निंदा की

पाकिस्तान ने दावा किया है कि ईरान के अकारण हमले में दो मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हुई हैं।पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने हमलों की कड़ी निंदा करते हुए एक बयान में कहा कि पाकिस्तान ईरान द्वारा उसके हवाई क्षेत्र के उल्लंघन की कड़ी निंदा करता है, जिसमें दो मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हो गईं। बयान में कहा गया है कि यह पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। 

ईरान के दूतावास को किया तलब

अपने हवाई क्षेत्र के अकारण उल्लंघन को पाकिस्तान ने अवैध कृत्य बताते हुए कहा कि उसने तेहरान में ईरानी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के समक्ष इसका कड़ा विरोध किया है और इस्लामाबाद ने इस घटना पर ईरान के दूतावास को भी तलब किया है

एक दिन पहले इराक-सीरिया पर भी हमला

इससे एक दिन पहले ईरान के विशिष्ट रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की ओर से इराक और सीरिया में लक्ष्यों पर मिसाइल गिराई गई थीं। ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने इराक के उत्तरी शहर एरिबल के पास स्थित इस्राइल की मोसाद एजेंसी पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। साथ ही गार्ड्स ने सीरिया में भी इस्लामिक स्टेट आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। आंतकी समूहों आईएस की सभाओं को तबाह करने के लिए भी ईरान ने बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल किया था। हमले के कारण चार लोगों की मौत हो गई, जबकि कई लोग घायल हो गए, जिन्हें पास के ही अस्पताल में ले जाया गया है।

कम नहीं हो रही महुआ मोइत्रा की मुश्किलें, पहले सांसदी गई, अब जबरन खाली कराया जाएगा सरकारी बंगला

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तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले तो घूस लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में उनको लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया। अब उनको नोटिस जारी कर सरकारी बंगला तुरंत खाली करने का निर्देश दिया गया है। टीएमसी नेता को पहले ही बंगला खाली करने को कहा गया था। संसद से निलंबन के बाद महुआ मोइत्रा को सरकारी बंगला खाली करने के लिए कई नोटिस दिए गए लेकिन उन्होंने बंगला खाली नहीं किया। वहीं, सरकार ने अब उन्हें अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर अब उन्होंने सरकारी बंगला खाली नहीं किया तो उन्हें जबरन वहां से निकाल बाहर किया जाएगा।

नोटिस के मुताबिक, संसद सदस्यता छिनने के बाद अब वे इस बंगले की पात्र नहीं रहीं इसलिए उन्हें 9B टेलीग्राफ लेन का टाइप 5 बंगला खाली करना होगा। नियम के मुताबिक, बंगला खाली करने के लिए उन्हें एक महीने का समय दिया गया था। हालांकि, इस बीच उन्होंने कोर्ट का भी सहारा लिया था लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली।

दो बार बंगला खाली करने का नोटिस भेजा गया

डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स ने मंगलवार को उन्हें ये नोटिस भेजा। कैश फॉर क्वेरी केस में 8 दिसंबर 2023 को महुआ की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई थी। इसके बाद उन्हें दो बार बंगला खाली करने के लिए कहा जा चुका है। महुआ को सबसे पहले इस साल 7 जनवरी तक बंगला खाली करने को कहा गया था। 8 जनवरी को डायरेक्टोरेट ऑफ एस्टेट्स ने एक नोटिस जारी करके उनसे पूछा कि उन्होंने अब तक बंगला खाली क्यों नहीं किया है। इसके बाद उन्हें 12 जनवरी को दूसरा नोटिस भेजा गया।

कैश फॉर क्वेरी केस में गई थी महुआ की सांसदी

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मुहआ पर आरोप लगाया था कि उन्होंने लोकसभा में पैसे लेकर सवाल पूछे हैं। निशिकांत ने इसकी शिकायत लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से की थी। मामले की जांच के लिए एथिक्स कमेटी बनाई गई थी। एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में महुआ को दोषी माना गया था, जिसके बाद महुआ के निष्कासन का प्रस्ताव 8 दिसंबर 2023 को लोकसभा में पेश हुआ था।महुआ के निष्कासन पर लोकसभा में पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई थी। आखिर में प्रस्ताव पर वोटिंग हुई। वोटिंग में महुआ को लोकसभा से निष्कासित करने प्रस्ताव पास हो गया।

प्राण प्रतिष्ठा से पहले “धार्मिक” हुआ विपक्ष, केजरीवाल के “सुंदरकांड” के बाद ममता का मंदिर वाला प्लान, राहुल जा रहे शिवधाम

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अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का बहिष्कार करने के बाद विपक्षी दल ऊहापोह की स्थिति में हैं। देश भक्तिमय हो चुका है, राम के नारों की गूंज हर तरफ फैल रही है। ऐसे में विपक्षी दलों की बेचैना बढ़ना लाजमी है। अक्सर लोग इस बेचैनी से छुटकारा पाने के लिए भक्ति के मार्ग पर चलने लगते हैं। विपक्षी दलों के साथ भी यही हो रहा है। किसी ने सुंदरकांड का सहारा लिया है, कोई सर्वधर्म की बात कर रहा है तो कोई शिवधाम पहुंचने वाला है। भई, मामला आस्था का है। आप इस मंदिर में शीश झुकाएं या उस मंदिर में, आखिर आशीर्वाद तो देना जनता जनार्दन को है।

अयोध्‍या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह की तारीख करीब आ गई है। इसे लेकर पूरे देश में जबर्दस्‍त उत्‍साह है। 22 जनवरी को वह इंतजार खत्‍म हो जाएगा। साधु-संतों के साथ देश की तमाम नामचीन हस्तियां समारोह में शामिल होंगी। बड़े पैमाने पर उन्‍हें न्‍योता भेजा गया है। हालांकि, कांग्रेस सहित विपक्ष के कई दल बीजेपी और आरएसएस का इवेंट बताकर इस कार्यक्रम में शामिल होने का न्‍योता ठुकरा चुके हैं। विपक्षी नेता 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के बजाय अन्य कार्यक्रमों में भाग लेने की योजना बना रहे हैं। लेकिन कार्यक्रम का विषय आस्था और धर्म ही है। 22 जनवरी को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी गुवाहाटी के शिव मंदिर और कामाख्या मंदिर जा सकते हैं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कोलकाता में काली पूजा करेंगी, जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सुंदर कांड का पाठ करवा रहे हैं।

अब सवाल ये उठ रहा है कि प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह में शामिल ना होकर कांग्रेस सहित विपक्षी गठबंधन इंडिया में शामिल नेता इस तरह के कार्यक्रम में शामिल होकर क्या संदेश देना चाहते हैं?क्या हिंदू धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ में शामिल होकर वे ये मैसेज देना चाहते हैं कि वे किसी भी तरह से हिंदू विरोधी नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में अब जब कुछ ही महीने बचे हैं तो विपक्ष कतई ह‍िंदू व‍िरोधी द‍िखने का जोखिम नहीं उठा सकता है। तमाम पार्टियों को कहीं ना कहीं ये डर तो है कि बीजेपी को राम मंदिर से चुनावी फायदा पहुंचेगा। बीजेपी के लिए तो राम मंदिर उसके कोर मुद्दों में से एक रहा है। ऐसे में बाकी पार्टियां भी हिंदू वोटर्स को लुभाने में कोई कोर कसर छोड़ना नहीं चाहतीं।

फ्लाइट में देरी से एक्शन में सरकार, अब यात्रियों की सुविधा के लिए एयरपोर्ट पर होंगे 'War Room', नया एसओपी जारी

#therewillbewarroomsatairports

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इन दिनों कोहरे की वजह से सैकड़ों उड़ानें देरी से चल रही हैं या रद्द हो गईं हैं। ऐसे में यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।ऐसे में केन्द्र सरकार एक्शन में नजर रही है। विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को 'निकट भविष्य में स्थिति को कम करने के लिए' एयरलाइनों को मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा है कि कोहरे की वजह से हुई परेशानियों को देखते हुए और यात्रियों की असुविधा को कम करने के लिए सभी एयरलाइन को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की गई है।

क्या है एसओपी में?

-सभी 6 मेट्रो हवाई अड्डों के लिए प्रतिदिन तीन बार घटना की रिपोर्टिंग मांगी है।

-एसओपी और सीएआर की निगरानी और नियमित रूप से रिपोर्ट की जाएगी।

-हवाईअड्डों पर 'वॉर रूम' स्थापित किए जाएंगे।

-6 मेट्रो हवाई अड्डों पर एयरलाइन ऑपरेटरों को यात्री असुविधा के संबंध में किसी भी मुद्दे का तुरंत समाधान करने के लिए कहा गया है।

-24 घंटे CISF की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

-री-कार्पेटिंग के बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर CAT III के रूप में RWY 10/28 का परिचालन भी किया जाएगा।

बता दें कि कोहरे की वजह से देरी को लेकर यात्रियों में भारी गुस्सा और तनाव है। यात्रियों को घंटों तक रनवे पर कतार में खड़े होकर विमान के अंदर बैठना पड़ा। रविवार रात को ये तब और भड़क गया, जब एक इंडिगो यात्री ने दिल्ली-गोवा उड़ान के कैप्टन पर हमला कर दिया, ये विमान 10 घंटे से अधिक की देरी से चल रही थी। देश के उत्तर और पूर्वोत्तर क्षेत्र में बीते 15 दिनों में सुबह के दौरान कोहरे ने सड़क और रेल के साथ हवाई यातायात को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। दिल्ली हवाई अड्डे पर सोमवार को पांच उड़ानों का मार्ग बदला गया, जबकि 100 से अधिक उड़ानों में देरी हुई।

प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन क्या कर रही हैं ममता बनर्जी? जानें 22 जनवरी का प्लान

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अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर है। पूरा देश राममय हो गया है। अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। इसी बीच प्राण प्रतिष्ठा समारोह से खुद को अलग कर चुकीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 22 जनवरी के लिए खुछ खास प्लान किया है।उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 22 जनवरी को 'सद्भाव रैली' करेगी। ये सभी धर्म को मानने वालों लोगों के लिए आयोजित की जा रही है।

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ममता का मंदिर वाला प्लान

ममता बनर्जी ने कहा, मैं 22 जनवरी को एक रैली करूंगी।इसकी शुरुआत कालीघाट के काली मंदिर से होगी, जहां मैं मां काली की पूजा करूंगी। इसके बाद हम हाजरा से पार्क सर्कस मैदान तक एक अंतरधार्मिक रैली करेंगे। यहां एक बैठक करेंगे। रैली में शामिल होने के लिए सभी का स्वागत है। रैली में सभी धर्मों के लोग मौजूद रहेंगे।

सभी धार्मिक स्थलों से निकलेगा जुलूस

मुख्यमंत्री ने कहा कि टीएमसी द्वारा आयोजित जुलूस सभी मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चर्चों से होकर गुजरेगा। उन्होंने कहा कि इसका समापन सर्कस मैदान में होगा और इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होंगे। रैली में आम लोगों को शामिल होने का आह्वान किया गया है।ममता बनर्जी ने पार्टी नेताओं को शाम तीन बजे हर जिले और वार्ड में सद्भावना रैली करने का आदेश दिया है।

प्राण प्रतिष्ठा पुजारियों का काम, न कि राजनेताओं का-ममता

वहीं, राज्य सचिवालय ने कहा कि इस कार्यक्रम का किसी अन्य कार्यक्रमों से कोई लेना-देना नहीं हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से राज्य के सभी जिलों में रैली आयोजित करने को कहा है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा पर बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि यह पुजारियों का काम है, न कि राजनेताओं का। हमारा काम राज्य को आधारभूत सुविधाओं से सुदृढ़ करना है।

*हाल ही आईं वाईएस शर्मिला को कांग्रेस ने सौंपी पार्टी अध्यक्ष की कमान, क्या पार्टी के लिए साबित होंगी तुरुप का इक्का?*

#congress_appoints_ys_sharmila_party_chief_in_ap

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आंध्र प्रदेश की कमान कांग्रेस ने वाईएस शर्मिला के हाथों में सौंप दी है। वाईएस शर्मिला आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की बहन हैं। पहले से ही ये माना जा रहा था कि कांग्रेस शर्मिला को आंध्र प्रदेश की कमान सौंप सकती है। बता दें, शर्मिला सीएम जगन मोहन रेड्डी की बहन हैं। हाल ही में उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा है।आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी को सत्ता से सिंहासन तक पहुंचाने में वाईएस शर्मिला का अहम रोल रहा है, लेकिन सियासत आज ये भाई-बहन एक दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं।

आंध्र प्रदेश में तीन महीने के बाद लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस दस सालों से राज्य में सत्ता का बाहर है, लेकिन कर्नाटक और तेलंगाना की सत्ता पर काबिज होने के बाद आंध्र प्रदेश में भी उसे अपनी वापसी की उम्मीदें दिखने लगी है।कांग्रेस आंध्र प्रदेश में अपनी वापसी के लिए शर्मिला पर दांव लगाने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि इसी मद्देनजर जी रुद्र राजू का प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा हुआ है ताकि शर्मिला की ताजपोशी चुनाव से पहले कर सियासी संदेश दिया जा सके। आंध्र प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष रूद्र राजू ने 15 जनवरी को अपने पद से इस्तीफा दिया था। ये इस्तीफा आलाकमान के इशारे पर हुआ था, क्योंकि पार्टी ने पहले ही शर्मिला की ताजपोशी की स्क्रिप्ट लिख दी थी।

वाई.एस. शर्मिला ने पिछले साल नवंबर में तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान आखिरी वक्त पर कांग्रेस को अपना सपोर्ट दिया था। उन्होंने अपनी पार्टी के किसी भी प्रत्याशी को चुनाव में उतारने से इंकार कर दिया था। शर्मिला ने तब कहा था कि तमाम सर्वे और जमीनी हकीकत से पता चलता है कि राज्य में कांग्रेस चुनाव जीत रही है। ऐसी स्थिति में अगर उनकी पार्टी मैदान में उतरती है तो कांग्रेस के वोट कटेंगे और इसका फायदा बीआरएस को मिलेगा। इसलिए उन्होंने अपना समर्थन कांग्रेस को दे दिया था। इसके बाद से ही चर्चा थी कि वाई.एस. शर्मिला को कांग्रेस इसके बदले में कुछ बड़ा इनाम दे सकती है। 

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वाईएसआर रेड्डी की बेटी वाईएस शर्मिला हैं, जिन्हें हाल ही में अपनी पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया है। वाईएसआर रेड्डी के 2009 में निधन के बाद जगन रेड्डी के कांग्रेस के साथ मतभेद हो गए थे, जिसके चलते उन्होंने 2011 में वाईएसआर कांग्रेस का गठन किया। जगन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस की कमान संभाली जबकि अपनी बहन शर्मिला को राष्ट्रीय संयोजक नामित किया था।आय से अधिक संपत्ति के मामले में जगन रेड्डी जब जेल में थे तो शर्मिला ही मां के साथ मिलकर पार्टी की कमान संभाल रही थी। चंद्रबाबू नायडू सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का काम शर्मिला ने ही किया। भाई जगन मोहन रेड्डी को सत्ता तक पहुंचाने के लिए बहन शर्मिला ने काफी मेहनत और मशक्कत की थी। 2019 के विधानसभा चुनाव में शर्मिला ने जमकर भाई के लिए प्रचार किया था, लेकिन जगन रेड्डी के सत्ता में आते ही रिश्तों में खटास आ गई। शर्मिला ने 2021 में वाईएसआर कांग्रेस छोड़ दी और अपनी अलग पार्टी बना ली