1992 को विवादित ढांचे के गिरने से MP के इस कारसेवक ने गवाए थे पैर', अब रामलला को लेकर PM मोदी से की ये भावुक अपील

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 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। इसको लेकर देशभर में भारी उत्साह है। यह हर सनातनी के लिए गर्व का क्षण हैं। सालों बाद राम लला अपने मंदिर में विराजित होने जा रहे हैं। ऐसे में कारसेवकों का भी उत्साह चरम पर है। ऐसे में कारसेवा के चलते दिव्यांग हुए मध्य प्रदेश के एक व्यक्ति ने प्रधानमंत्री मोदी के राम लला के दर्शन लाभ कराने की भावुक अपील की है।  

 

6 दिसंबर 1992 का वो दिन, जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए हजारों रामभक्त अयोध्या उमड़े थे। तब उन हजारों के आंकड़े में राम मंदिर निर्माण का सपना लिए भोपाल के अचल सिंह मीना भी वहां पहुंचे थे। उस समय उनकी आयु लगभग 30 साल थी। अचल सिंह मीना विवादित ढांचे को गिराने के लिए ऊपर चढ़ गए थे। थोड़ी देर पश्चात् जब ढांचा गिरा, तो उसका एक हिस्सा अचल सिंह की पीठ पर गिरा तथा वो दिव्यांग हो गए। तत्पश्चात, अचल सिंह मीणा भोपाल के पास स्थित एक गांव में गुमनामी की जिंदगी गुजारने पर विवश हैं। राम जन्मभूमि आंदोलन का सबसे बड़ा फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ। जो कभी 2 सीटों वाली राजनीतिक पार्टी थी, वो आज केंद्र में और देश के अधिकतर प्रदेशों में सरकार चला रही है। लेकिन, इस आंदोलन में कई चेहरे ऐसे थे जो गुमनाम होकर रह गए।  

मीडिया से चर्चा करते हुए अचल सिंह मीणा ने इच्छा जताई है कि रामलला के दर्शन और अयोध्या में जाने का उनका सपना पूरा हो। इसके लिए अचल सिंह मीणा ने पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव से गुहार लगाई है कि 22 जनवरी के बाद ही सही, किन्तु एक बार उसे रामलला के दर्शनों का लाभ करा दें। 3 दिसंबर 1992 को अचल तब 30 साल के थे। तब बजरंग दल के जिला संयोजक तथा वर्तमान में भोपाल की कोलार सीट से MLA रामेश्वर शर्मा के साथ भोपाल से पुष्पक एक्सप्रेस में बैठकर लखनऊ और फिर वहां से फैजाबाद पहुंचे थे। 6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस के चलते गुंबद के एक हिस्से का मलबा अचल की पीठ पर गिरा तथा कमर के नीचे के पूरे हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। अचल को पहले फैजाबाद में भर्ती करवाया तथा उसके बाद गांधी मेडिकल कॉलेज लखनऊ ले गए, जहां उसे होश आया। तब से वो चल नहीं सकते।

नीतीश कुमार ने “इंडिया” का संयोजक बनने से किया इनकार, बोले-कांग्रेस के किसी नेता को दी जाए जिम्मेदारी

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विपक्षी दलों के गठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कभी कांग्रेस-टीएमसी, तो कभी कांग्रेस-आप और कभी समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस के तनातनी की खबरें आती रही हैं। हालांकि विपक्षी गठबंधन बीजेपी की मोदी सरकार को हराने के लिए एकजुट होने की भी पैरवी करता आया है। इस बीच इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की नजदीक आती तारीखों के बीच आज इंडिया गठबंधन की बैठक हुई।लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दलों के गठबंधन की शनिवार को वुर्चअल मोड में बड़ी बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव आया, तो नीतीश कुमार ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया। नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस के किसी नेता को ‘इंडिया’ गठबंधन का संयोजक बनाया जाए।

इंडिया गठबंधन की वर्चुअल बैठक समाप्त होने के बाद नीतीश कुमार के करीबी कहे जाने वाले बिहार सरकार के मंत्री संजय झा बयान सामने आया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का कांग्रेस ने प्रस्ताव दिया था, लेकिन नीतीश कुमार ने कहा कांग्रेस का ही चेयरमैन बने. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने सीट शेयरिंक पर कांग्रेस और अन्य दलों से जल्द से जल्द फैसला लेने का आग्रह किया।

ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे नहीं हुए शामिल

विपक्षी गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व की अहम बैठक में गठबंधन को मजबूत करने, सीट बंटवारे के लिए रणनीति बनाने और गठबंधन का संयोजक बनाने पर चर्चा हुई। यह बैठक वर्चुअली हुई।जिसमें 10 पार्टियों के नेता शामिल हुए। बैठक में नीतीश कुमार, एमके स्टालिन, शरद पवाार, डी राजा, मल्लिकार्जुन खरगे, उमर अब्दुल्ला, राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, लालू यादव-तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल, डी राजा, शरद पवार शामिल हैं। हालांकि बैठक से पहले ही विपक्ष को झटका लगा और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी इस बैठक में शामिल नहीं हो रही हैं। साथ ही शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे भी विपक्षी गठबंधन की इस बैठक में शामिल नहीं हुए।

कांग्रेस-चीएमसी के बीच नहीं बन पाई बात

ममता बनर्जी के बैठक में शामिल ना होने पर टीएमसी ने कहा कि उन्हें बैठक के लिए शॉर्ट नोटिस पर सूचना दी गई और साथ ही कांग्रेस ने बैठक के एजेंडे के बारे में भी कोई जानकारी नहीं दी। हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब टीएमसी ने कांग्रेस के साथ बैठक से इनकार किया है। गुरुवार को ही टीएमसी ने बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ बैठक से इनकार कर दिया था। दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को दो सीटें देने की पेशकश कर रही हैं और ज्यादा से ज्यादा तीन पर वह मान सकती हैं, लेकिन कांग्रेस इस पर सहमत नहीं है।

अयोध्या में भगवान राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही टूटेगा 43 वर्षों का मौनी बाबा का मौन व्रत, पढ़िए, उनकी प्रतिज्ञा

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1980 से मौन रहने वाले एक संत आखिरकार 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में राम लला के अभिषेक समारोह के बाद भगवान राम का नाम लेते हुए अपना पहला शब्द बोलेंगे। मध्य प्रदेश के 'मौनी बाबा' ने आखिरकार 44 साल में पहली बार 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ने का फैसला किया है। वह 10 साल की उम्र से मौन हैं, जिससे उन्हें 'मौनी बाबा' नाम मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के वक़्त उनका नाम मोहन गोपाल दास रखा गया था, माना जाता है कि 'मौनी बाबा' उन कार सेवकों में से थे, जिन्होंने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने 10 वर्ष की छोटी सी आयु में ही मौन व्रत ले लिया था। कई लोग सोच रहे होंगे कि, फिर वे अपनी भावनाओं को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? दरअसल, वह ऐसा चाक और स्लेट का उपयोग करते हैं। वह कभी-कभी कलम और कागज का भी उपयोग करते हैं। सन्यासी 1984 से नंगे पैर घूम रहे हैं, जब उन्होंने भगवान राम को "अयोध्या के सिंहासन" पर स्थापित करने के बाद ही चप्पल पहनने का संकल्प लिया था।

मौनी बाबा कागज पर लिखकर बताते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है और उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण जरूर मिलेगा। निमंत्रण की आस में मौनी बाबा हर दिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन दिया है । मौनी बाबा का मूल स्थान सूर्य नगर पुलाव बालाजी है। हालाँकि, वह वर्तमान में मध्य प्रदेश के दतिया के मंदिरों में रहते हैं।

मौनी बाबा के अलावा झारखंड की 'मौनी माता' भी 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ देंगी। झारखंड के धनबाद में जन्मी महिला सरस्वती देवी ने 30 साल पहले मौन व्रत लिया था। जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई, तो सरस्वती देवी ने यह प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक सरयू के तट पर पवित्र शहर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक वह कुछ नहीं बोलेंगी। उनकी लंबी चुप्पी ने उन्हें 'मौनी माता' (मूक मां) का नाम दिया है। सरस्वती देवी के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि वह राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्य गोपाल दास से प्रेरित थीं। उनके शिष्यों ने उन्हें 22 जनवरी को मंदिर आने का निमंत्रण दिया हैा

1980 से मौन रहने वाले एक संत आखिरकार 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में राम लला के अभिषेक समारोह के बाद भगवान राम का नाम लेते हुए अपना पहला शब्द बोलेंगे। मध्य प्रदेश के 'मौनी बाबा' ने आखिरकार 44 साल में पहली बार 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ने का फैसला किया है। वह 10 साल की उम्र से मौन हैं, जिससे उन्हें 'मौनी बाबा' नाम मिला है।

रिपोर्ट के अनुसार, जन्म के वक़्त उनका नाम मोहन गोपाल दास रखा गया था, माना जाता है कि 'मौनी बाबा' उन कार सेवकों में से थे, जिन्होंने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। उन्होंने 10 वर्ष की छोटी सी आयु में ही मौन व्रत ले लिया था। कई लोग सोच रहे होंगे कि, फिर वे अपनी भावनाओं को कैसे अभिव्यक्त करते हैं? दरअसल, वह ऐसा चाक और स्लेट का उपयोग करते हैं। वह कभी-कभी कलम और कागज का भी उपयोग करते हैं। सन्यासी 1984 से नंगे पैर घूम रहे हैं, जब उन्होंने भगवान राम को "अयोध्या के सिंहासन" पर स्थापित करने के बाद ही चप्पल पहनने का संकल्प लिया था।

मौनी बाबा कागज पर लिखकर बताते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पूरा भरोसा है और उन्हें उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण जरूर मिलेगा। निमंत्रण की आस में मौनी बाबा हर दिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने इस मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को भी आवेदन दिया है । मौनी बाबा का मूल स्थान सूर्य नगर पुलाव बालाजी है। हालाँकि, वह वर्तमान में मध्य प्रदेश के दतिया के मंदिरों में रहते हैं।

मौनी बाबा के अलावा झारखंड की 'मौनी माता' भी 22 जनवरी को अपना मौन व्रत तोड़ देंगी। झारखंड के धनबाद में जन्मी महिला सरस्वती देवी ने 30 साल पहले मौन व्रत लिया था। जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई, तो सरस्वती देवी ने यह प्रतिज्ञा ली थी। उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक सरयू के तट पर पवित्र शहर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं हो जाता, तब तक वह कुछ नहीं बोलेंगी। उनकी लंबी चुप्पी ने उन्हें 'मौनी माता' (मूक मां) का नाम दिया है। सरस्वती देवी के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि वह राम जन्मभूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख नृत्य गोपाल दास से प्रेरित थीं। उनके शिष्यों ने उन्हें 22 जनवरी को मंदिर आने का निमंत्रण दिया है।

बंगाल में साधुओं से हैवानियत, बच्चा चोर समझकर भीड़ ने निर्वस्त्र कर पीटा, बीजेपी ने ममता सरकार को घेरा

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पश्चिम बंगाल में पालघर जैसी घटना सामने आई है। यहां भीड़ द्वारा साधुओं की पिटाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो के वायरल होने के बाद भाजपा लगातार राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार पर हमला बोल रही है।

पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया

गुरुवार शाम को यहां भारी भीड़ ने यूपी के 3 साधुओं को बच्चा चोर समझकर बेरहमी से पीटा। इस मामले में पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लिया है।यह मामला पुरुलिया जिले का बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इसका 30 सेकंड का वीडियो भी वायरल हो रहा है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि बंगाल में अब पालघर जैसी घटना सामने आई है।मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने निर्वस्त्र कर पीटा है।

सेल प्रमुख अमित मालवीय ने शेयर किया वीडियो

अमित मालवीय ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा “ममता बनर्जी की चुप्पी पर शर्म आनी चाहिए! क्या ये हिंदू साधु आपकी मान्यता के योग्य नहीं हैं? यह अत्याचार जवाबदेही की मांग करता है।” इस घटना की तुलना 2020 के पालघर मॉब लिंचिंग से करते हुए अमित मालवीय ने लिखा, ”पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से बिल्कुल चौंकाने वाली घटना सामने आई… मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र कर पीटा।” यह दावा करते हुए कि पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अपराध है, भाजपा नेता ने कहा, “ममता बनर्जी के शासन में, शाहजहां शेख जैसे आतंकवादी को राज्य संरक्षण मिलता है और साधुओं की हत्या की जा रही है।

ये है पालघर का मामला

बता दें कि 16 अप्रैल, 2020 को 72 साल के संत महाराज कल्पवृक्ष गिरी और 35 साल के सुशील गिरी महाराज के साथ एक कार ड्राइवर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। दोनों साधू अपने गुरु के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए मुंबई से सूरत जा रहे थे। दोनों ही साधुओं पर कार ड्राइवर पर बच्चा चोरी करने का आरोप लगाकर भीड़ ने हत्या की थी।

उत्तर भारत में शीतलहर और कोहरे का डबल अटैक, दिल्ली में आज सीजन की सबसे ठंडी रही सुबह, थमी ट्रेन-गाड़ियों की रफ्तार

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उत्तर भारत कड़ाके की ठंड के चपेट में है। दिल्ली-एनसीआर में कोहरे के साथ-साथ शीतलहर चल रही है। इसके चलते तापमान में खासी गिरावट आई है। शनिवार को दिल्ली में न्यूनतम तापमान 3 तक डिग्री दर्ज किया गया। अधिकतम तापमान 19 के आसपास रहने का अनुमान हैं।दिल्ली में आज इस सर्दी के मौसम की सबसे ठंडी सुबह हुई है।वहीं मौसम विभाग ने दिल्ली-NCR के लिए आज और कल सर्दी का यलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने कहा है कि अभी कुछ दिनों तक सुबह और शाम कोहरे की मार जारी रहेगा। वहीं उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू में कड़ाके की ठंड ने कहर बरपाया हुआ है। कोहरे के चलते सड़कों पर वाहन रेंगते हुए नजर आए।सर्दी और कोहरे के चलते सड़क यातायात के साथ ही रेलवे और हवाई सेवाएं प्रभावित हुईं हैं।

दिल्ली में सर्दी का येलो अलर्ट

शनिवार सुबह दिल्ली के कई इलाकों में कोहरा छाया रहा। कई जगहों पर दृश्यता शून्य रही। मौसम विभाग ने आज और कल सर्दी का यलो अलर्ट जारी किया है। अभी कोहरा कुछ दिन सवेरे और शाम को परेशान करने वाला है। मौसम ठंडा बना रहेगा और सर्द हवाएं लोगों की दुश्वारियां बढ़ाएंगी। दिन में बादल छाये रहने से रात का तापमान कुछ बढ़ सकता है। अनुमान है कि 10 जनवरी तक न्यूनतम तापमान बढ़कर आठ डिग्री तक पहुंच सकता है। जबकि अधिकतम तापमान स्थिर रहने का अनुमान है। शीतलहर के कारण कई ट्रेनें देरी से चलने के कारण हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

घने कोहरे के कारण कम हो रही विजिबिलिटी

उत्तर भारत के कई हिस्सों में 30-31 दिसंबर से कड़ाके की पड़ रही है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब के कई जिलों में तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि हुई थी। बारिश के चलते मैदानी इलाको में ठंड और बढ़ गई है। दिल्ली में शनिवार को विजिबिलिटी 50 से 200 मीटर तक रिकॉर्ड की गईष विजिबिलिटी कम होने की वजह से 104 फ्लाइटें प्रभावित हुईं है। पंजाब के अमृतसर, यूपी के लखनऊ और वाराणसी में कोहरे के चलते विजिबिलिटी का स्तर 25 मीटर रहा। इसी तरह, चंडीगढ़, यूपी के बरेली, बिहार के पूर्णिया और असम के तेजपुर में 50 मीटर और हरियाणा के अंबाला और राजस्थान के गंगानगर में यह 200 मीटर विजिबिलिटी रही।

सीएम केजरीवाल को ईडी का चौथा समन, शराब घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया

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दिल्ली शराब कांड में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने एक बार फिर समन भेजा है। अरविंद केजरीवाल को मिला यह चौथा समन है। ईडी ने दिल्ली के सीएम को 18 जनवरी को दफ्तर में शराब घोटाला मामले में पूछताछ के लिए पेश होने को कहा है। अब देखना यह है कि आप के राष्ट्रीय संयोजक चौथी बार पूछताछ में शामिल होते हैं या नहीं। 

इससे पहले ईडी ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में दिल्ली के सीएम को दो नवंबर 2023, 21 दिसंबर 2023 और 3 जनवरी 2024 को पूछताछ के लिए बुलाया था। तीनों बार ईडी के सामने पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पेश नहीं हुए। हर बार उन्होंने एक चिट्ठी जारी कर ईडी के समन का गैर कानूनी बताया और इस बात का जवाब मांगा कि आखिर उन्हें प्रवर्तन निदेशालय किस हैसियत से बुलाना चाहता है, पहले वो इस बात को स्पष्ट करें।

वहीं, पार्टी दावा करती आई है कि दिल्ली के सीएम को गिरफ्तार किया जा सकता है। हालांकि इस तरह के दावे को ईडी ने अफवाह बताया था। बीते साल अप्रैल में इस मामले के संबंध में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सीएम केजरीवाल से पूछताछ की थी, लेकिन एजेंसी ने उन्हें आरोपी नहीं बनाया था।

इंडिया गठबंधन की महत्वपूर्ण बैठक आज

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इंडिया गठबंधन की आज महत्वपूर्ण बैठक होगी. 11:30 बजे दिन में यह बैठक वर्चुअल होगी इस बैठक में इंडिया गठबंधन के सभी बड़े नेता मौजूद रहेंगे. 

राहुल गांधी की नई यात्रा शुरू होने से 1 दिन पहले यह बैठक बुलाई गई है इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे राहुल गांधी ममता बनर्जी अरविंद केजरीवाल नीतीश कुमार के साथ-साथ उद्धव ठाकरे भी मौजूद रहेंगे.

 इस बैठक में इस बात की पूरी संभावना है कि कांग्रेस के तरफ से इंडिया गठबंधन के संयोजक के लिए नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव आएगा और सभी दल उसका समर्थन करेंगे. सीट बंटवारे को लेकर भी आज की बैठक में महत्वपूर्ण चर्चा होगी.

यूपी के इस जिले में बने चांदी के बर्तन में लगेगा रामलला को प्रसाद का भोग, फेमस संत ने कराया है तैयार

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डेस्क: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में बने चांदी के बर्तन में भगवान श्रीराम को प्रसाद का भोग लगेगा। भगवान राम को प्रसाद का भोग लगाने के लिए विशेष तौर पर चांदी के पांच बर्तन तैयार किए गए हैं। अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के दिन मिर्जापुर से देवरहा हंस बाबा आश्रम की तरफ से चांदी के बने पांच बड़े बर्तनो कों भेजा जा रहा है। इन चांदी के बर्तनों को प्रसिद्ध संत देवराहा हंस बाबा की तरफ से खास तौर से बनवाया गया है। 

देवरहा हंस बाबा भेज रहे हैं ये बर्तन

मिली जानकारी के अनुसार, देवरहा हंस बाबा आश्रम के प्रसिद्ध संत देवरहा हंस बाबा भगवान राम को लड्डुओं का भोग लगाने के लिए चांदी के बने पात्र को भेज रहे हैं। चांदी के बने इन्ही बर्तनो में रख कर भगवान को प्रसाद का भोग लगाया जायेगा। आश्रम का कहना है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत समेत मौजूद विशिष्ट अतिथियों द्वारा इन चांदी के बर्तनों में भगवान राम को भोग लगाया जायेगा। आश्रम से जुड़े ट्रस्टी का कहना है कि अयोध्या भेजने के लिए पांच चांदी के बर्तन खास तौर से बनवाया गया है जिसे आश्रम से अयोध्या भेजा जा रहा है।

22 जनवरी को होगी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा

 बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या में हो रहे श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर मिर्जापुर से भी बड़ी तैयारी की गयी है। बताया जा रहा है कि देवरहा हंस बाबा आश्रम से कुछ संत ये बर्तन लेकर अयोध्या जाएंगे। वहीं, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारी तेज कर दी गई है। नगर को सुंदर तरीके से सजाया जा रहा है। पीएम मोदी समेत कई जाने-माने लोग और साधु-संत प्रतिष्ठा समारोह में शिरकत करेंगे।

कांग्रेस की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' की जगह बदली, अब इंफाल से नहीं बल्कि थौबुल से शुरू होगी, ये है वजह

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डेस्क: कांग्रेस 'भारत जोड़ो यात्रा' के बाद अब 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' शुरू कर रही है। यात्रा 14 जनवरी को मणिपुर के इंफाल से शुरू होनी थी, लेकिन अब इसका स्थान बदल दिया गया है। अब राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जाने वाली यह यात्रा इंफाल से 34 किलोमीटर दूर थौबुल से शुरू होगी। कांग्रेस पार्टी ने बताया कि यह बदलाव सरकार की शटरों की वजह से किया गया है। पार्टी ने बताया कि सरकार ने जो शर्तें रखी थीं, उसके साथ इंफाल में यात्रा शुरू नहीं हो सकती थी। जिसके बाद इसके स्थान में बदलाव किया गया।

2 जनवरी को मांगी गई थी यात्रा की अनुमति

मणिपुर कांग्रेस के प्रमुख कीशम मेघचन्द्र ने बताया कि साल की शुरुआत में 2 जनवरी को जिला प्रशासन से इम्फाल के हप्ता कांगजेइबुंग मैदान से यात्रा शुरू करने की अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए यात्रा की इजाजत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद वह 10 जनवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से मिले। उन्होंने कुछ शर्तों के साथ यात्रा की अनुमति दे दी। इसमें एक प्रमुख शर्त यह थी कि यात्रा में केवल एक हजार लोग ही शामिल होंगे। इससे ज्यादा लोगों को कार्यक्रम स्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

'सरकार की शर्तें हमारे लिए चिंताजनक थीं'

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि शर्तें हमारे लिए चिंताजनक थीं। 10 जनवरी को देर रात थौबल जिले के डिप्टी कमिश्नर ने खोंगजोम के प्राइवेट ग्राउंड से यात्रा की अनुमति दी। इसके बाद हमने जगह बदलने का फैसला किया। 14 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे यहीं से यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। रूट में कोई बदलाव नहीं होगा। वहीं इससे पहले कीशम मेघचंद्रा ने कहा था कि हम वास्तव में सरकार को दुनिया को यह दिखाने में मदद करने की कोशिश कर रहे हैं कि मणिपुर सामान्य स्थिति में लौट रहा है।

14 जनवरी से शुरू हो रही है यात्रा 

बता दें कि इस बार भी यात्रा कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जाएगी। इस यात्रा से जुड़ने के लिए इंडिया गठबंधन के नेताओं, कांग्रेस के मित्र दलों और सिविल सोसाइटी को भी आमंत्रित किया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 14 जनवरी से मणिपुर से मुंबई तक 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' शुरू की जा रही है। 

इस दौरान 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के माध्यम से हम जनता से जुड़े मुद्दों पर बात करेंगे। उन्होंने कहा कि 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा', देशवासियों को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय दिलाने की ओर हमारा एक मजबूत कदम है। 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और बुनियादी मुद्दों को लेकर निकाली जा रही है।

जापान में भूकंप ने बदल दिया नजारा, तट से 820 फीट पीछे चला गया समुद्र, ऊपर उठ गए सी-बीच

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डेस्क: जापान में नए साल की शुरुआत होते ही खतरनाक भूकंप से हाहाकार मच गया। भूकंप के चलते सुनामी की चेतावनी भी दी गई। हालांकि सुनामी नहीं आई। लेकिन इसी बीच में खतरनाक भूकंप के चलते समुद्र तट का नजारा ही बदल गया। यहां भूकंप के बाद एक दो फीट नहीं बल्कि समुद्र 820 फीट पीछे चला गया। यही नहीं, भूकंप के बाद जापान के तट ऊपर उठ गए, जिससे कि यह समुद्र पीछे चला गया। इस बात का पता सैटेलाइट की तस्वीरों से भी चल रहा है। 

सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार जापान में 1 जनवरी 2024 को आए भयानक भूकंप के बाद उसके तट 800 फीट से ज्यादा खिसक गए हैं। जापान के नोटो प्रायद्वीप में साल के पहले दिन 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप के बाद सुनामी के डर से नोटो प्रायद्वीप के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए कहा गया था। इसके बाद वहां की जमीन में फर्क दिखाई दे रहा है। कई द्वीप समंदर में थोड़ा ऊपर उठ गए हैं। इस वजह से समुद्र थोड़ा दूर खिसक गया है। 

भूकंप के कारण सूखे कई तट, नावों का पहुंचना हुआ मुश्किल

सैटेलाइट तस्वीरों से हम यह जान सकते हैं कि भूकंप के बाद​ स्थिति में कितना परिवर्तन आया है। तस्वीरों में ही आपको साफ-साफ अंतर पता चल जाएगा। इन तस्वीरों नाहेल बेलघेर्ज ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है। भूकंप की वजह से कई तट सूख से गए हैं। अब तटों पर नावों का पहुंचना मुश्किल हो गया है। नोटो प्रायद्वीप में भूकंप और सुनामी के बाद यह भौगोलिक बदलाव देखने को मिलें हैं, जो कि एक खतरनाक स्थिति मानी जा सकती है।

दो फुटबॉल मैदान के बराबर पीछे हट गया समुद्र

अगर आप सैटेलाइट तस्वीरों को ध्यान से देखेंगे तो आपको दिखेगा कि पहले जहां तक पानी था, अब वहां पर सूखा हुआ है। पानी काफी पीछे चला गया है। करीब 820 फीट पीछे, जो कि दो अमेरिकी फुटबाल मैदान की लंबाई के बराबर होता है। टोक्यो यूनिवर्सिटी के भूकंप का शोध करने वाले इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने कहा है कि भूकंप के बाद नोटो प्रायद्वीप में काइसो से आकासाकी तक दस जगहों पर तटीय जमीन ऊपर उठ गई है। यानी समंदर का पानी और नीचे चला गया है। इस प्रक्रिया को 'कोसीस्मिक कोस्टल अपलिफ्ट' कहते हैं।

सैटेलाइट तस्वीरों में हुई पुष्टि

आकासाकी बंदरगाह पर 14 फीट ऊंची सुनामी लहरें आई थीं। यह पता चला है वहां की इमारतों की दीवारों पर पड़े निशान से। जापानी स्पेस एजेंसी JAXA के ALOS-2 सैटेलाइट ने भी कोस्टल अपलिफ्ट को दर्ज किया है।