*सावित्रीबाई फुले की लड़ाई आगे बढ़ाओ, शिक्षा है सबका अधिकार, बन्द करो इसका व्यापर: दिशा छात्र संगठन*
गोरखपुर। प्रथम क्रान्तिकारी महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती (3 जनवरी) के अवसर पर दिशा छात्र संगठन और स्त्री मुक्ति लीग की ओर से पन्त पार्क में ‘जाति तोड़क भोज’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘अभी लड़ाई जारी है’ ‘ज़िन्दगी ने एक दिन कहा कि तुम लड़ो’ से हुई।
दिशा छात्र संगठन की अंजली ने बताया कि सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को सतारा ज़िले के नायगांव में हुआ था। आज से 174 साल पहले पुणे के भिडे वाडा में सावित्री बाई और ज्योतिराव फुले ने लड़कियों के लिए स्कूल खोला था और रुढ़िवादी ताकतों से कड़ी टक्कर ली थी।
इस संघर्ष के दौरान उन पर पत्थर, गोबर, मिट्टी तक फेंके गये पर सावित्रीबाई ने फातिमा शेख के साथ मिलकर शिक्षा का महत्वपूर्ण कार्य बिना रूके किया। अपने संघर्ष में इन लोगों ने जातिवाद और आज के समय सामाजिक लड़ाई को कमजोर करने वाली सोच “अस्मितावाद” के खिलाफ भी संघर्ष किया।
ज्योतिबाराव फुले ने लिखा कि जो हमारे संघर्षों में शामिल होता है उसकी जाति नहीं पूछी जानी चाहिए।
अंजली ने आगे कहा कि अंग्रेजों ने भारत में जिस औपचारिक शिक्षा की शुरूआत की थी, उसका उद्देश्य “शरीर से भारतीय पर मन से अंग्रेज” क्लर्क पैदा करना था। इसलिए उन्होंने ना तो शिक्षा के व्यापक प्रसार पर बल दिया और ना ही तार्किक और वैज्ञानिक शिक्षा पर।
ज्योतिबा राव और सावित्रीबाई फूले ने सिर्फ शिक्षा के प्रसार पर ही नहीं बल्कि प्राथमिक शिक्षा में ही तार्किक और वैज्ञानिक शिक्षा पर बल दिया। अंधविश्वासों के विरूद्ध जनता को शिक्षित किया। आजादी के बाद सत्ता में आयी तमाम चुनावी पार्टियों का रवैया शिक्षा के प्रसार के मामले में उपेक्षित ही रहा है। देश में पहली व्यवस्थ्ति शिक्षा नीति आज़ादी के 21 साल बाद 1968 में बनी।
इस दस्तावेज में स्कूली शिक्षा पर जोर केवल कुशल मज़दूर पैदा करने के लिए था। इन दस्तावेजों में एकसमान स्कूल व्यवस्था लागू करने की बात तो कही गयी लेकिन इसके लिए ज़रूरी निजी स्कूलों के तंत्र को ख़त्म करने की जगह निजी स्कूलों के दबदबे को बरकार रखा गया।
आज के समय में शिक्षा के सामने पैसों का एक ताला लगा हुआ है। नई शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में गैर बराबरी को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के पूरे सरकारी तंत्र को चौपट किया जा रहा है। ऐसे दौर में सावित्रीबाई फुले की विरासत को याद करते हुए सबके लिए समान और निशुल्क शिक्षा की लड़ाई को आगे बढ़ाना सभी इंसाफ पसंद छात्रों -युवाओं का कार्यभार है।
कार्यक्रम में दीपक शर्मा, मनीष, धनंजय, विद्यानंद, माया, रेखा, मुकेश, दीपक, अदिति, शेषनाथ आदि शामिल रहे।
Jan 03 2024, 18:17