*जिओ टैगिंग होती तो पता चलता गड्ढा मुक्ति की हकीकत*
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले की सड़कों के हाल बदतर हैं। गढ्ढा मुक्ति के लिए दो बार अभियान चलाए गए। इसके बाद तमाम सड़कों पर गड्ढे हैं। गड्ढा मुक्ति अभियान के दौरान कितनी सड़कें दुरुस्त हुईं, इसका कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता है।
जिस तरह आवास की जिओ टैगिंग कराई जाती है, उसी तरह सड़कों की भी हो तो शायद हालात सुधरेें। वाराणसी-प्रयागराज हाईवे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास है। शेष सड़कों का जिम्मा लोक निर्माण विभाग,ग्राम पंचायत और आरईएस का है। गड्ढा मुक्ति अभियान में भी गांव की सड़कों का कोई पुरसाहाल नहीं था।
मगर ज्यादातर संपर्क मार्गों की भी हालत खस्ता है।अक्तूबर से नवंबर माह के बीच चले गढ्ढा मुक्ति अभियान में 245.5 किमी सड़कों की मरम्मत की जानी थी। इसके लिए 291.05 लाख रुपये जारी किए गए थे। लोक निर्माण विभाग का दावा है कि सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त किया जा चुका है। मगर हकीकत कुछ और ही है।
तमाम सड़कों पर गड्ढों के चलते आवागमन दूभर है। एक आंकड़े के मुताबिक जिले की 80 किमी सड़कों की हालत बदतर है।
सात किमी मार्ग में पर 34 गढ्ढे
सुरियावां-अभिया मार्ग पर कई सालों से गड्ढे हैं। यह सात किमी मार्ग प्रतापगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, मीरगंज आदि इलाकों को जोड़ता है। हर दिन इस मार्ग से रोजना हजारों लोगों का आना-जाना होता है। एक साल पहले गड्ढा मुक्ति अभियान के दौरान गिट्टी डालकर छोड़ दी गई।
अब गिट्टियां बिखर गई है। इस मार्ग पर 34 से अधिक गड्ढे हैं।
भदोही को वाराणसी को जोड़ने वाला लक्षापूर-अमवा मार्ग भी गड्ढों में तब्दील हो गया है। दो किमी की इस सड़क पर दर्जन भर गड्ढे हैं। बनारस जाने का मुख्य मार्ग होने के कारण इस रोड पर हर दिन हजारों लोगों का आना-जाना होता है। चौरी क्षेत्र माधोराम-कंतापुर मार्ग, रोटहा-अनेगपुर, चौरी बाजार स्टेशन रोड, गोधना से दरवासी, नवधन से कुरमैचा, सदलूबीर-सरायहोला, गोपपुर-गोपीगंज, ऊंज से कुरमैचा, कैड़ा-सुरियावां मार्ग की हालत भी खस्ता है।
गड्ढा मुक्ति अभियान के तहत लगभग 90 फीसदी सड़कें दुरुस्त कर दी गई हैं। कुछ सड़कें जो शेष बची हैं। उनकी भी जल्द मरम्मत करा दी
जाएगी। - जैनू राम, अधीशासी अभियंता, पीडब्ल्यूडी।
Dec 16 2023, 11:56