ODOp के तहत चिकनकारी के समग्र विकास को लेकर बैठक
लखनऊ- लखनऊ में ODOp चिकनकारी के माध्यम से इस कार्य में संलग्न कारीगरों, हस्तशिल्पियो, महिलाओं, उद्यमियों की आय में वृद्धि तथा अधिक से अधिक रोजगार सृजन के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे अनवरत प्रयासों के तहत चिकनकारी के समग्र विकास के लिए जिला प्रशासन लखनऊ तथा आईआईएम इंदौर के मध्य माह जुलाई 2023 में हस्ताक्षरित एमओयू के अनुसरण में आईआईएम इंदौर की टीम द्वारा माह सितंबर अक्टूबर 2023 में संपादित रिसर्च स्टडी की रिपोर्ट आज शनिवार को डा अपीजे अब्दुल कलाम सभागार कलेक्ट्रेट लखनऊ में जिला प्रशासन के समक्ष आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय द्वारा प्रस्तुत की गई।
जिलाधिकारी द्वारा आईआईएम इंदौर की पूरी टीम निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय, प्रोफेसर भवानी शंकर और नवीन कृष्ण राय का स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया गया।
इस बैठक में चिकनकारी से संबंधित समस्त हितधारक (stakeholders) तथा जनपद के उन सभी विभागों के अधिकारीगण जिनके माध्यम मे चिकनकारी के प्रोत्साहन के लिए सरकार के विभिन्न कार्यक्रम संचालित कराए जाते हैं उपस्थित रहे।
आईआईएम इंदौर निदेशक प्रोफेसर हिमांशु राय के द्वारा प्रस्तुतीकरण के दौरान अवगत कराया गया कि संदर्भित अध्ययन का कार्य उनकी टीम द्वारा चिकनकारी से संबंधित कारीगरों, हस्तशिल्पियों, उद्यमियों, निर्यातकों, एनजीओ संचालकों, सेवा संस्थानों तथा अन्य हितधारक (stakeholders) से समन्वय तथा उनके फीड बैक के आधार पर प्राप्त जानकारियों एवं संगीण मुद्दों के आधार पर संपादित किया गया है। रिसर्च रिपोर्ट में चिकनकारी से संबंधित सम्पूर्ण उत्पादन प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए हर स्तर पर हितधारकों द्वारा अनुभव कि जा रहीं विभिन्न समस्याओं और चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।
हिमांशु राय ने बताया कि उक्त रिसर्च के आधार पर आईआईएम इंदौर कि टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि चिकनकारी से संबंधित कारीगरों एवं हस्तहशिल्पियों को सीएफ़सी मॉडल के तहत एक फेडरेशन के तहत जोड़ कर सरकार द्वारा उनकी समस्याओं के निदान कि तरफ एक ठोस कदम उठाया जा सकता है। उन्होंने देश में फेडरैशन मॉडल पर आधारित सफल संस्थानों का उदाहरण देते हुए बताया कि इस प्रकार की संघीय संरचनाएँ उत्पादकों को बेहतर समन्वय और श्रम विभाजन विकसित करने में मदद करती हैं और समर्थन के लिए सरकार के सामने सामोहिक रूप से अपने हितों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
निदेशक ने बताया कि क्या अपेक्षाएं हैं और कौन सी बाधाएं आती है जो उनके कार्य को करने में रुकावट उत्पन्न होती है। इस रिपोर्ट में हमने उन बाधाओं के बारे में लिखा है। उन्होंने बताया की जैसे कि स्वच्छ भारत मिशन योजना में इनफॉरमेशन एजुकेशन एंड कम्युनिकेशन जिसे हम आई.ई.सी. स्ट्रैसजी बोलते है। उसके अनुसार कार्य किया जाता है। मुझे लगता है कि ओ.डी.ओ.पी. स्कीम में भी हमे इसी तरह से कार्य करना है की इसकी इनफार्मेशन लोगों तक भी कैसे पहुँचाये कि चिकनकारी क्या है। लोगो को कैसे जानकारी दे की हाथ से जो बना हुआ काम होता है और जो मशीन से बना हुआ काम होता है उनके बीच में बहुत भिन्नता है पर हाथ से बने हुए कार्य के पीछे वो सिर्फ काम नहीं होता है बल्कि उसके पीछे एक आर्टिस्ट है। आर्टिस्ट की कहानी को हम आगे कैसे लेकर के जाएं ये काम हमे आगे करना है।
जिलाधिकारी ने आईआईएम इंदौर के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार कि रिसर्च स्टडीस ऐसी बारीकियों और जटिलताओं कि ओर हमारा ध्यान आकर्षण करने में मदद करती हैं जिन्हें अक्सर हम अनदेखा कर देते हैं। प्रस्तुत रिपोर्ट में वर्णित परामर्शों तथा सुझावों का धरातल पर शीघ्र उतारने हेतु एक स्ट्रटीजिक प्लान तैयार करने के लिए संबंधित विभागों को जिलाधिकारी द्वारा निर्देशित किया गया। उन्होंने इतने कम समय में इतनी वृहद तथा उपयोगी रिसर्च स्टडी संपादित करने पर आईआईएम इंदौर को हार्दिक बधाई देते हुए आशा जताई कि भविष्य में भी आईआईएम इंदौर द्वारा जिला प्रशासन को एड्वाइसरी सपोर्ट प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया की आईआईएम इंदौर द्वारा तैयार की गई रिसर्च रिपोर्ट का हिंदी में अनुवाद कराकर पब्लिक डोमेन पर भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि जन सामान्य तक इस रिपोर्ट को पहुंचाया जा सके।
Dec 09 2023, 18:34