चुनाव के बाद जीत की कामना लेकर महाकाल और मातारानी की शरण में पहुंच रहे प्रत्याशी
रायपुर- मतदाताओं के दरबार में उपस्थिति के बाद विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी अब अपने ईष्ट देवी-देवताओं की शरण में जा रहे हैं। बस्तर से मंत्री कवासी लखमा, पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज परिवार सहित महाकाल के दरबार में गए हैं। बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल महाकालेश्वर के साथ ओंकारेश्वर का दर्शन करने उज्जैन गए हैं।
भिलाई वैशाली नगर के भाजपा प्रत्याशी रिकेश सेन कामाख्या देवी दर्शन के लिए गए हुए हैं। यही से कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी मुकेश चंद्राकर बुधवार को महाकाल दर्शन के लिए प्रस्थान किए। तखतपुर से भाजपा प्रत्याशी व विधायक धर्मजीत सिंह मैहर शारदा मैया के दर्शन के लिए गए हैं। भाजपा प्रत्याशी रामविचार नेताम ने रामानुजगंज के गांव में बूढ़ादेव के दर्शन किए। इन सभी प्रत्याशियों की इस धार्मिक यात्रा में जीत की मनोकामना प्रमुख है।
विधानसभा चुनाव खत्म होते ही कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशी देवी-देवीताओं की शरण में पहुंच रहे हैं। जहां जिनकी आस्था हैं, वे वहां पर अर्जी लगा रहे हैँ। कोई महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचा है तो कोई मातारानी के शक्तिपीठों की यात्रा पर है। कई ऐसे प्रत्याशी भी हैं, जिन्होंने अपने पैतृक गांव में देवी-देवताओं की विशेष पूजा की है।
इन सबके पीछे चुनाव में जीत की कामना है। प्रत्याशियों ने अपनी धार्मिक यात्रा के विषय में कहा कि चुनाव की तैयारियों में लगे रहने के कारण लंबे समय से दर्शन का मौका नहीं मिल रहा था। इसलिए अब उनका आर्शीर्वाद लेने के लिए जा रहे हैं।
मतगणना के बाद भी जाएंगे
बातचीत में कई प्रत्याशियों ने बताया कि चुनाव के बाद अभी वे कार्यकर्ताओं के बीच है। चुनाव परिणाम के बाद वे दर्शन के लिए जाएंगे। नारायणपुर प्रत्याशी चंदन कश्यप ने कहा कि वे परिणाम के बाद धार्मिक यात्रा के लिए जाऊंगा। जगदलपुर से कांग्रेस प्रत्याशी जतिन जायसवाल ने कहा कि वे 25 नवंबर के बाद शिरडी जाएंगे।
मतांतरण पर आस्था का वार
बस्तर क्षेत्र के आदिवासी नेताओं का दल इन दिनों महाकाल से लेकर ओंकारेश्वर व अन्य धार्मिक स्थलों की यात्रा पर हैं। बस्तर क्षेत्र में कई स्थानों पर मतांतरण के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन धर्म और आस्था की बात करें तो हिंदू मंदिरों के प्रति आदिवासी नेताओं की गहरी आस्था दिख रही है। मंत्री कवासी लखमा का एक वीडियो बीते दिनों इंटरनेट मीडिया पर काफी प्रसारित हुआ था, जिसमें वे एक चर्च में दिखाई दे रहे थे, लेकिन आदिवासी समुदायों में वे ग्राम के देवी-देवता के पारंपरिक पूजा के समय अक्सर नजर आते हैं। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, वे शरीर पर सोटा (कोड़ा) मारते हुए भी दिखाई देते हैं। महाकाल के दर्शन के समय में भी वे पूरी भक्ति में नजर आए।
Nov 23 2023, 15:49