राजस्थान चुनाव: झालरपाटन से हुंकार भरेंगी वसुंधरा राजे, भाजपा ने जारी की 83 प्रत्याशियों की दूसरी सूची, देखें प्रमुख सीटें

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी राजस्थान विधानसभा चुनावों के लिए अपने 83 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी कर दी है, जिससे राज्य में राजनीतिक हलचल और तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के झालरपाटन से रणनीतिक नामांकन और अन्य प्रमुख चयनों के साथ, भाजपा का लक्ष्य राज्य के राजनीतिक क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान हासिल करना है।

ये हैं मुख्य नाम

वसुंधरा राजे

भाजपा ने झालरपाटन निर्वाचन क्षेत्र से वसुंधरा राजे को मैदान में उतारने का फैसला किया है। राजे राजस्थान की राजनीति में एक प्रमुख नेता हैं और उन्होंने राज्य की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। इस महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र से उनकी उम्मीदवारी उनके नेतृत्व और लोकप्रियता का लाभ उठाने की पार्टी की मंशा को दर्शाती है।

सतीश पूनिया

 सतीश पूनिया को आमेर सीट से चुनाव लड़ने के लिए नामांकित किया गया है. उनका चयन एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि पार्टी इस क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति सुनिश्चित करना चाहती है।

राजेंद्र राठौड़

 तारानगर सीट से भाजपा की पसंद राजेंद्र राठौड़ हैं। राठौड़ की उम्मीदवारी इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की पार्टी की रणनीति को दर्शाती है।

ज्योति मिर्धा

 नागौर से मैदान में उतरी ज्योति मिर्धा भाजपा की सूची में एक और महत्वपूर्ण उम्मीदवार हैं। यह निर्णय प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों पर पार्टी के फोकस को इंगित करता है, क्योंकि वह आगामी चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की इच्छा रखती है।

चयन प्रक्रिया में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कई अन्य भाजपा नेताओं के साथ व्यापक विचार-विमर्श शामिल था। पार्टी का लक्ष्य आगामी राजस्थान विधानसभा चुनावों में चुनौतियों का सामना करने के लिए एक मजबूत और प्रतिस्पर्धी लाइनअप बनाना है। राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाले लोकतांत्रिक मुकाबले पर कड़ी नजर रहने की उम्मीद है, क्योंकि राजनीतिक गतिशीलता लगातार विकसित हो रही है। भाजपा की ओर से नामांकन राज्य में उल्लेखनीय उपस्थिति हासिल करने की प्रतिबद्धता का संकेत देते हैं, साथ ही आगामी चुनावों के लिए पार्टी की चुनावी रणनीति को भी दर्शाते हैं।

भारत का गगनयान: ISRO ने किया पहली टेस्ट फ्लाइट TV-D1 Mission का सफल परिक्षण, बंगाल की खाड़ी में किया लैंड

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भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO ने गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। इसकी लॉन्चिंग सुबह 10 बजे की गई। पहली फ्लाइट टेस्ट के जरिए आसमान में भेजा गया क्रू मॉड्यूल, पैराशूट खुलने के बाद अलग हुआ और फिर धीरे-धीरे समुद्र की ओर बढ़ा। टेस्ट फ्लाइट के जरिए आसमान में भेजा गया क्रू मॉड्यूल सफलतापूर्वक बंगाल की खाड़ी में लैंड कर गया है।

बंगाल की खाड़ी में इसे रिकवर करने लिए भारतीय नौसेना का जहाज और गोताखोरों की टीम तैनात हैं और इसकी रिकवरी की प्रोसेस जारी है। ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि मुझे इस बात का ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट TV-D1 Mission सफल रही है। इस मिशन का मकसद क्रू एस्केप सिस्टम की जांच करना था।  

बता दें कि, पीएम नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को पहले गगनयान मिशन की घोषणा की थी। गगनयान मिशन के लिए डेडलाइन 2022 निर्धारित की गई थी। हालांकि, कोरोना और फिर उसकी वजह से पैदा हुए हालातों के कारण डेडलाइन को आगे बढ़ाना पड़ा। अब ISRO ने एस्ट्रोनोट्स की सुरक्षा का हवाला देते हुए मिशन की तारीख को 2025 तक कर दिया है।

राजनयिकों के भारत छोड़ने पर अमेरिका ने जताई चिंता,का-उम्मीद है कि भारत अपने दायित्वों का पालन करेगा

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खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच शुरू हुए विवाद के बाद कनाडा के 41 राजनयिकों के भारत छोड़ दिया है। कनाडाई राजनयिकों के भारत छोड़ने पर अमेरिका ने चिंता जताई है। अमेरिकी विदेश विभाग ने शुक्रवार को एक बायन में कहा कि अमेरिका को उम्मीद है कि भारत राजनयिक संबंधों पर वियना संधि के तहत अपने दायित्वों का पालन करेगा। 

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विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हम कनाडा के राजनयिकों के भारत छोड़ने से चिंतित हैं। हमने भारत सरकार से कनाडा की राजनयिक उपस्थिति में कमी पर जोर नहीं देने और कनाडाई जांच में सहयोग करने का आग्रह किया है। मिलर ने कहा कि मतभेदों को सुलझाने के लिए संबंधित देश में राजनयिकों की उपस्थिति जरूरी होती है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत राजनयिक संबंधों पर वियना संधि के तहत अपने दायित्वों का पालन करेगा, जिसमें कनाडा के राजनयिक मिशन के मान्यता प्राप्त अधिकारियों को मिले विशेषाधिकार भी शामिल हैं।

बता दें कि खालिस्तान हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर जारी विवाद में भारत ने कड़ा रुख अख्तियार कर रखा है।इसी क्रम में भारत ने कनाडा को अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने का निर्देश दिया था।जिसके बाद कनाडा को अपने 62 में से 41 राजनयिकों व उनके परिजनों को वापस बुलाना पड़ा है। अब नई दिल्ली स्थित कनाडा उच्चायोग में सिर्फ 21 राजनयिक रहेंगे।

रोका गया गगनयान का पहला ट्रायल, लॉन्चिंग से महज पांच सेकेंड पहले रोका गया टेस्ट मिशन, जानें क्या है वजह

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गगनयान का आज होने वाला परीक्षण टाल दिया गया है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि यान का ट्रायल आज नहीं हो सका। यान को लॉन्च करने की पूरी तैयारी कर ली गई थी लेकिन लॉन्चिंग से महज पांच सेकेंड पहले टेस्ट मिशन को रोकना पड़ा।पहले खराब मौसम के चलते इसकी लॉन्चिंग में देरी हो रही थी लेकिन बाद में लॉन्चिंग को टाल दिया गया। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने तकनीकी खराबी को लॉन्चिंग टलने की वजह बताई है।

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खामियों को दुरुस्त करेंगे-सोमनाथ

इस मिशन की टेस्ट लॉन्चिंग को रोके जाने की वजह बताते हुए इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा-'लिफ्ट-ऑफ का प्रयास आज नहीं हो सका। व्हीकल पूरी तहर सुरक्षित है। हम जल्द ही वापस इसे लॉन्च करेंगे। कुछ तकनीकी खामियां हैं। जो कंप्यूटर काम कर रहा है उसने लॉन्च रोक दिया है। हम इन खामियों को दुरूस्त करेंगे और जल्द ही लॉन्च शेड्यूल करेंगे।'

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा, पहले इस मिशन को सुबह 8 बजे लॉन्च होना था लेकिन बाद में कुछ कारणों की वजह से हमें इसके लॉन्चिंग समय को आगे बढ़ाना पड़ा, और हमने इसके समय को आगे बढ़ाकर 8 बजकर 45 मिनट कर दिया। बावजूद इसके लॉन्चिंग कमांड के समय इसमें लगे कंप्युटर ने हमें रॉकेट एग्नीशन करने की इजाजत नहीं दी। रॉकेट सुरक्षित हैं, इग्नीशन नहीं होने के बाद हम उन कारणों की जांच कर रहे हैं जिनमें हम ये पता लगा सकें कि आखिर किन कारणों की वजह से ऐसा नहीं हो सका।

अगले साल भेजा जा सकता है गगनयान

गगनयान भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन है, इसे अगले साल के आखिर या 2025 की शुरुआत तक भेजा जा सकता है। 2024 में मानव रहित परीक्षण उड़ान होगी, जिसमें एक व्योममित्र रोबोट भेजा जाएगा।

छह परीक्षणों की शृंखला में पहला परीक्षण

2025 में जब भारत के महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष अभियान गगनयान के तहत अंतरिक्ष यात्री धरती से 400 किमी ऊपर अंतरिक्ष में तीन दिन बिताने जाएंगे, तब किसी भी वजह से अंतरिक्ष यात्रियों को नहीं खोना पड़े, इसके लिए कुल छह परीक्षण की शृंखला में यह पहला परीक्षण है। इसरो के इस परीक्षण से क्रू इस्केप सिस्टम (सीईएस) की क्षमता और दक्षता के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी। इसके अलावा किसी आपात परिस्थिति में अभियान को बीच में ही रद्द किए जाने पर अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित बचाने की रणनीति को फेल-सेफ बनाने में मदद मिलेगी।

आप सांसद संजय सिंह को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका, गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

#delhi_high_court_dismisses_aap_mp_sanjay_singh_plea_against_ed_in_liquor_scam_case

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दिल्ली शराब घोटाले मामले में तिहाड़ जेल में बंद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को दिल्ली हाइकोर्ट से झटका लगा है। हाईकोर्ट ने संजय सिंह की ओर से गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया। इतना ही नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट ने संजय सिंह की गिरफ्तारी को कानून के नियमों के मुताबिक माना है।दिल्ली हाईकोर्ट ने संजय सिंह की उस दलील को भी खारिज किया, जिसमें उनकी तरफ से कहा गया था कि ईडी ने राजनीतिक दुर्भावना के कारण गिरफ्तार किया है। बता दें कि दिल्ली शराब घोटाले मामले में ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार किया था। 

दिल्ली शराब कांड में जेल में बंद आप नेता संजय सिंह ने ईडी द्वारा गिरफ्तारी का आधार न बताने पर गिरफ्तारी को अवैध घोषित किए जाने की मांग की थी, जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट की जज जस्टिस स्वर्णकांता ने संजय सिंह की याचिका खारिज करते हुए कहा कि उनकी गिरफ्तारी कानून के नियमों के मुताबिक है।

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कानून सबके लिए बराबर है। चाहे वह नेता हो या आम नागरिक हो। इसके अलावा जांच प्रारंभिक स्थिति पर है। इस तर्क पर कि यह एक राजनीति से प्रेरित मामला है, न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि ईडी देश की एक प्रमुख जांच एजेंसी है और अदालत रिकॉर्ड पर ऐसी सामग्री के अभाव में चर्चा का हिस्सा नहीं बन सकती है जो इसे साबित करती हो।न्यायमूर्ति शर्मा ने कहा अदालतों को ऐसे प्रभावों से अछूता रहना और केवल शपथ से बंधा रहना ही बेहतर है। अदालत ने कहा कि हालांकि सिंह एक राजनीतिक व्यक्ति हैं, लेकिन उन्हें आपराधिक मामले में किसी अन्य आरोपी के बराबर ही रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यद्यपि प्रत्येक व्यक्ति को सार्वजनिक छवि की रक्षा करने का अधिकार है, तथापि उस अधिकार को बरकरार रखना किसी अपराध की जांच करने के राज्य के अधिकार के रास्ते में नहीं आ सकता है।

बता दें कि संजय सिंह की भी गिरफ्तारी उसी मामले में हुई है, जिसमें मनीष सिसोदिया भी गिरफ्तार हैं और अभी जेल में हैं। ईडी ने आरोप लगाया है कि सरकारी गवाह दिनेश अरोड़ा ने अपने बयान में कहा है कि संजय सिंह ने मनीष सिसोदिया से उसकी मुलाकात कराई थी।

राहुल गांधी को राहतः सुप्रीम कोर्ट ने संसद सदस्यता बहाली को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर लगाया जुर्माना

#supreme_court_parliament_membership_impose_petitioner_rahul_gandhi_modi_surname_case

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता की बहाली को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता पर सुप्रीम कोर्ट सख्ती दिखाई है। सदस्यता बहाली के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इनकार कर दिया।कोर्ट ने जनहित याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।बता दें कि पिछले कर्नाटक चुनावों में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी की वजह से उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी। उन्हें इस मामले में निचली अदालत ने सजा सुनाई थी। राहुल गांधी इस सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए, जहां उन्हें राहत मिली और सदस्यता बहाल हो गई। 

राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाली के बाद सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने जनहित याचिका दाखिल की। इस याचिका में मांग की गई कि राहुल गांधी को सदस्यता रद्द की जाए। आज शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई तो कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले वकील पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। 

याचिकाकर्ता ने कहा था कि जब तक ऊपरी अदालत निर्दोष न ठहराए, सदस्यता बहाल होना गलत है। जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिका कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है क्योंकि याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता वकील अशोक पांडे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

बीजेपी पूर्णेश मोदी ने 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ उनके सभी चोरों का सामान्य उपनाम मोदी कैसे है? पर आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था। यह टिप्पणी 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान की गई थी।इसको लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अन्य पिछड़ा वर्ग का अपमान किया है। राहुल गांधी को 24 मार्च को लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। गुजरात के सूरत में मेट्रोपॉलिटन अदालत ने उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। दरअसल 7 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने सजा पर रोक लगाने की उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद उन्होंने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 4 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगा दी थी।

बांग्लादेश के विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल ने की प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने की योजना की घोषणा

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 कहा, पार्टी चुनाव में भाग लेने के बजाय जबरन सत्ता पर कब्जा कर सकती है, इस पार्टी ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को भी सबक सिखाने की धमकी दी 

बांग्लादेश के विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने की योजना की घोषणा करते हुए कहा है कि पार्टी चुनाव में भाग लेने के बजाय जबरन सत्ता पर कब्जा कर सकती है।

इस पार्टी ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को भी सबक सिखाने की धमकी दी है। आलमगीर ने यह टिप्पणी बुधवार शाम को ढाका के नया पल्टन इलाके में पार्टी के केंद्रीय कार्यालय के सामने की।

हिंदुओं को सबक सिखाने की धमकी पर गरजा विपक्ष... PM शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ फेंकने का लिया संकल्प

आलमगीर ने यह भी कहा कि पार्टी के कार्यवाहक नेता तारिक रहमान के नेतृत्व में बीएनपी सत्ता हासिल करने का इंतजार कर रही है। जियाउर रहमान फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में आलमगीर ने सैकड़ों लोगों को संबोधित करते हुए हसीना के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया।

बांग्लादेश वापस लो... के लगेंगे नारे

उन्होंने कहा कि सड़कों पर लड़ो, हम इसका सामना करने के लिए तैयार हैं। आलमगीर ने कहा कि हिंदू समुदाय के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा के बाद 28 अक्टूबर (लक्ष्मी पूजा के दिन) को हम राजधानी में इकट्ठा होंगे और आंदोलन चलाएंगे। हमें कोई नहीं रोक सकता। यह रैली 'बांग्लादेश वापस लो' के नारे के साथ समाप्त हुई। यह नारा बिना चुनाव के सत्ता हथियाने के इरादे को दर्शाता है। इस अभियान को लंदन से तारिक रहमान चला रहे हैं।

रहमान, पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया के बेटे हैं। उन्हें मनी लांड्रिंग, उल्फा और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों के साथ मिलीभगत, हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी और आतंकियों के साथ मिलकर हसीना की हत्या करने के लिए ग्रेनेड हमले सहित कई मामलों में दोषी ठहराया गया है। अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं और राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा, यह एक खुली धमकी है, जो अतीत में बीएनपी-जमात के लोगों द्वारा किए गए अत्याचार की यादें ताजा करती है।

इसने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में चिंता पैदा कर दी है।

एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कट्टरपंथी संगठन के सदस्य पहले ही राजधानी में घुस चुके हैं। ये गुंडे पहचान छुपाकर उत्तरा इलाके के होटलों और मेस में रह रहे हैं।

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार रहमान खेमे ने रुहुल कुद्दुस ताल्कडर डुलु, खैरुल कबीर खोकोन, अबुल खैयर भुइया, सहाबुद्दीन साबू, शाहिद उद्दीन एनी जैसे आतंकियों को इस अभियान की देखरेख के लिए नियुक्त किया है। हाल के दिनों में, तारिक रहमान की धमकियों ने अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में चिंता पैदा कर दी है।

कैश फॉर क्वेश्चन केसःमहुआ मोइत्रा के वकील ने छोड़ा साथ, जानें क्या है वजह

#mahua_moitra_lawyer_withdraws

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तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा के वकील ने हाईकोर्ट में दायर उस याचिका से जुड़े मामले में शुक्रवार को अपना नाम वापस ले लिया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं सांसद निशिकांत दुबे, एक वकील, कई सोशल मीडिया मंचों और मीडिया संस्थानों को मोइत्रा के खिलाफ कोई भी अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने, प्रसारित करने या प्रकाशित करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। 

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ के खिलाफ पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। महुआ ने इन आरोपों के जवाब में दुबे के खिलाफ मानहानि का केस कर दिया था। पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद महुआ मोइत्रा ने 17 अक्टूबर को दायर याचिका में दुबे, वकील देहाद्रई, सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’, सर्च इंजन गूगल, यूट्यूब और 15 मीडिया संस्थानों को उनके खिलाफ अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण बयानों के प्रकाशन, प्रसारण से स्थायी रूप से रोके जाने का अनुरोध किया था।

शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान महुआ की पैरवी कर रहे वकील ने खुद को इस केस से अलग कर लिया।महुआ के वकील ने इम मामले में हितों के टकराव की बात कहते हुए इस केस की आगे कोई भी पैरवी करने से इंकार कर दिया।वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने इस मामले से खुद को उस समय अलग कर लिया, जब वकील जय अनंत देहाद्रई ने हाईकोर्ट को बताया कि मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई में उनकी शिकायत वापस लेने के लिए शंकरनारायणन ने गुरुवार रात को फोन पर उनसे संपर्क किया था।

दरअसल महुआ मोइत्रा के मित्र और सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहद्राई महुआ के निजी मित्र रह चुके हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि महुआ के वकील गोपाल शंकरनारायण ने देहद्राई को कॉल करके मामला वापस लेने को कहा, जिसकी कॉल रिकॉर्डिंग उनके पास मौजूद है। ऐसे में जज ने कहा, अगर ऐसा है तो शंकरनारायण इस मामले की पैरवी कैसे कर सकते हैं। इसके बाद गोपाल शंकरनारायण ने अपने आप को इस मामले से अलग कर लिया।

गाज़ा में घुसकर आतंकी हमास का सफाया करेंगे..', इजराइल के रक्षा मंत्री बोले- जल्द जारी करेंगे जमीनी हमले का आर्डर

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सात अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास के घातक हमले के जवाब में दो सप्ताह के हवाई हमलों के बाद, गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजरायल का जमीनी आक्रमण जल्द शुरू होगा। गाजा सीमा के पास इंतजार कर रहे सैनिकों से बात करते हुए, इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा कि हमास द्वारा संचालित फिलिस्तीनी क्षेत्र में प्रवेश करने के आदेश "जल्द ही" आएंगे।

टाइम्स ऑफ इज़राइल की एक रिपोर्ट के अनुसार, गैलेंट ने गिवाती ब्रिगेड के सैनिकों से कहा कि, "अभी आप गाजा को दूर से देखते हैं, जल्द ही आप इसे अंदर से देखेंगे।" कहा कि, ''आदेश आ जाएगा।'' हम सटीक और घातक होंगे और मिशन पूरा होने तक इसे जारी रखेंगे। गैलेंट ने दो सप्ताह पहले दक्षिणी इज़राइल पर हमास के आतंकवादी हमले को रोकने में विफलता की भी ज़िम्मेदारी ली। गैलेंट ने कहा कि, 'मैं रक्षा प्रतिष्ठान के लिए जिम्मेदार हूं। पिछले दो हफ्तों में, यहां तक कि कठिन घटनाओं में भी, मैं इसके लिए जिम्मेदार था, और मैं इसे लड़ाई में जीत दिलाने के लिए जिम्मेदार हूं।'

वहीं, प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी सेना के अग्रिम मोर्चों का दौरा किया, गाजा सीमा के पास गोलानी सैनिकों के एक समूह को रैली की और उन्हें बताया कि इज़राइल एक बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि, 'हम अपनी पूरी ताकत से जीतने जा रहे हैं। पूरा इज़राइल आपके पीछे है, और हम अपने दुश्मनों पर हमला करने जा रहे हैं ताकि हम जीत हासिल कर सकें।'प्रत्याशित जमीनी आक्रमण के बारे में बात करते हुए, इजरायली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि यह एक बड़े पैमाने पर ऑपरेशन होगा, जिसका उद्देश्य गाजा से आतंकी संगठन हमास का सफाया करना है।

सीमा क्षेत्र का दौरा करते हुए जहां हजारों टैंक और बख्तरबंद वाहनों सहित एक बड़ा इजरायली सैन्य जमावड़ा है, अधिकारियों ने सैनिकों से कहा कि लड़ाई "कठिन, लंबी और तीव्र" होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि इज़राइल अंततः युद्ध जीतेगा। इजराइली रक्षा बलों (IDF) दक्षिणी कमान के प्रमुख मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने कहा कि अपेक्षित जमीनी आक्रमण "लंबा और तीव्र" होगा। सीमा पर सैनिकों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ''यह युद्ध हम पर थोपा गया है, एक क्रूर दुश्मन के साथ जिसने हमें बहुत नुकसान पहुंचाया। लेकिन हमने उन्हें रोक दिया, हम उन पर जोरदार प्रहार कर रहे हैं।''

मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने कहा कि, 'अब, युद्धाभ्यास लड़ाई को उनके क्षेत्र में स्थानांतरित करने जा रहा है। हम उन्हें उनके क्षेत्र में हराने जा रहे हैं। " उन्होंने कहा कि "यह कठिन, लंबा और तीव्र होने वाला है।' बता दें कि, इज़राइल एक सप्ताह से गाजा, विशेषकर गाजा शहर पर जमीनी हमले की तैयारी कर रहा है, और पट्टी के उत्तरी हिस्से में नागरिकों को दक्षिण की ओर जाने की चेतावनी दे रहा है। 13 अक्टूबर को इज़राइल रक्षा बल ने गाजा शहर में रहने वाले 1।1 मिलियन लोगों को वाडी गाजा के दक्षिण में जाने के लिए कहा था। कई नागरिकों को निकाला गया है, लेकिन आतंकी संगठन हमास लगातार फिलिस्तीनियों को निकलने से रोक रहा है। इजराइल का आरोप है कि हमास नागरिकों को निकलने नहीं दे रहा है, क्योंकि वह उन्हें ढाल के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है।

'गाज़ा में घुसकर आतंकी हमास का सफाया करेंगे..', इजराइल के रक्षा मंत्री बोले- जल्द जारी करेंगे जमीनी हमले का आर्डर

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सात अक्टूबर को आतंकी संगठन हमास के घातक हमले के जवाब में दो सप्ताह के हवाई हमलों के बाद, गाजा पट्टी में हमास के खिलाफ इजरायल का जमीनी आक्रमण जल्द शुरू होगा। गाजा सीमा के पास इंतजार कर रहे सैनिकों से बात करते हुए, इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा कि हमास द्वारा संचालित फिलिस्तीनी क्षेत्र में प्रवेश करने के आदेश "जल्द ही" आएंगे।

टाइम्स ऑफ इज़राइल की एक रिपोर्ट के अनुसार, गैलेंट ने गिवाती ब्रिगेड के सैनिकों से कहा कि, "अभी आप गाजा को दूर से देखते हैं, जल्द ही आप इसे अंदर से देखेंगे।" कहा कि, ''आदेश आ जाएगा।'' हम सटीक और घातक होंगे और मिशन पूरा होने तक इसे जारी रखेंगे। गैलेंट ने दो सप्ताह पहले दक्षिणी इज़राइल पर हमास के आतंकवादी हमले को रोकने में विफलता की भी ज़िम्मेदारी ली। गैलेंट ने कहा कि, 'मैं रक्षा प्रतिष्ठान के लिए जिम्मेदार हूं। पिछले दो हफ्तों में, यहां तक कि कठिन घटनाओं में भी, मैं इसके लिए जिम्मेदार था, और मैं इसे लड़ाई में जीत दिलाने के लिए जिम्मेदार हूं।'

वहीं, प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी सेना के अग्रिम मोर्चों का दौरा किया, गाजा सीमा के पास गोलानी सैनिकों के एक समूह को रैली की और उन्हें बताया कि इज़राइल एक बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि, 'हम अपनी पूरी ताकत से जीतने जा रहे हैं। पूरा इज़राइल आपके पीछे है, और हम अपने दुश्मनों पर हमला करने जा रहे हैं ताकि हम जीत हासिल कर सकें।'प्रत्याशित जमीनी आक्रमण के बारे में बात करते हुए, इजरायली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि यह एक बड़े पैमाने पर ऑपरेशन होगा, जिसका उद्देश्य गाजा से आतंकी संगठन हमास का सफाया करना है।

सीमा क्षेत्र का दौरा करते हुए जहां हजारों टैंक और बख्तरबंद वाहनों सहित एक बड़ा इजरायली सैन्य जमावड़ा है, अधिकारियों ने सैनिकों से कहा कि लड़ाई "कठिन, लंबी और तीव्र" होगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि इज़राइल अंततः युद्ध जीतेगा। इजराइली रक्षा बलों (IDF) दक्षिणी कमान के प्रमुख मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने कहा कि अपेक्षित जमीनी आक्रमण "लंबा और तीव्र" होगा। सीमा पर सैनिकों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, ''यह युद्ध हम पर थोपा गया है, एक क्रूर दुश्मन के साथ जिसने हमें बहुत नुकसान पहुंचाया। लेकिन हमने उन्हें रोक दिया, हम उन पर जोरदार प्रहार कर रहे हैं।''

मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने कहा कि, 'अब, युद्धाभ्यास लड़ाई को उनके क्षेत्र में स्थानांतरित करने जा रहा है। हम उन्हें उनके क्षेत्र में हराने जा रहे हैं। " उन्होंने कहा कि "यह कठिन, लंबा और तीव्र होने वाला है।' बता दें कि, इज़राइल एक सप्ताह से गाजा, विशेषकर गाजा शहर पर जमीनी हमले की तैयारी कर रहा है, और पट्टी के उत्तरी हिस्से में नागरिकों को दक्षिण की ओर जाने की चेतावनी दे रहा है। 13 अक्टूबर को इज़राइल रक्षा बल ने गाजा शहर में रहने वाले 1।1 मिलियन लोगों को वाडी गाजा के दक्षिण में जाने के लिए कहा था। कई नागरिकों को निकाला गया है, लेकिन आतंकी संगठन हमास लगातार फिलिस्तीनियों को निकलने से रोक रहा है। इजराइल का आरोप है कि हमास नागरिकों को निकलने नहीं दे रहा है, क्योंकि वह उन्हें ढाल के तौर पर इस्तेमाल करना चाहता है।