*साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के तीन अभियुक्त गिरफ्तार ,बैंक का सर्वर को हैक कर 146 करोड़ के फ्राड आरटीजीएस करके ठगी को दिया था अंजाम*
लखनऊ । यूपी एसटीएफ ने यूपी कोआॅपरेटिव बैंक लि. मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर 146 करोड़ के फ्राड आरटीजीएस करने वाले साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के 25-25 हजार के दो पुरस्कार घोषित अभियुक्तों सहित तीन को किया गिरफ्तार।
एसटीएफ को 18 महीने में लगभग एक करोड़ रुपए खर्च कर तीन हैकरों, छह डिवाइस, तीन कीलागर साफ्टवेयर, तीन बैंक अधिकारियों की मदद से उत्तर प्रदेश कोआॅपरेटिव बैंक लि. मुख्यालय लखनऊ के सर्वर को हैक कर, प्रबन्धक व कैशियर के लागिन आइडी पासवर्ड प्राप्त कर, सिस्टम को रिमोट एक्सिस पर लेकर एनएडी अनुभाग में खुले सात खातों से आठ लेन-देन के माध्यम से 146 करोड़ के आरटीजीएस करके ठगी करने वाले साइबर अपराधियों के संगठित गिरोह के 25-25 हजार के दो पुरस्कार घोषित अपराधियों सहित तीन अपराधियों को कानपुर, लखनऊ व गोंडा से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त हुई।
गिरफ्तार अभियुक्तों का नाम वकार आलम खान पुत्र सिराजुद्वीन खान निवासी न्यू कालोनी मेवातियान , थाना कोतवाली नगर जनपद गोंडा, अरमाना अतहर पुत्री अतहर अलीम निवासी न्यू कालोनी मेवातियान , थाना कोतवाली नगर जनपद गोंडा, वहीदुर्रहमान उर्फ वाहिद पुत्र स्व. मोहम्मद असलम निवासी मोहल्ला तोपखाना षास्त्री नगर फैजाबाद रोड थाना कोतवाली नगर जनपद गोंडा है।
पूछताछ में गिरफ्तार अभियुक्ता अरमाना अतहर ने बताया कि मैं वर्ष 2010 में अलीगढ मुस्लिम युनिवर्सिटी से उर्दू में पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद लखनऊ में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी। इसी बीच मेरी मुलाकत गोंडा के वकार व वाहिद से हुई जो लखनऊ में रह कर एनजीओ में रुपए डलवाने व जमीन की ब्रोकरी के काम कर रहे थे। इन्ही लोगों के माध्यम से मेरी मुलाकात रवी वर्मा, ज्ञानदेव पाल, धु्रव कुमार सुनील कुमार, अमरेन्द्र सिंह, आदि से हुई। यह लोग बैंक के डेड एकाउंट को हैक कर रुपए ट्रांसफर करने का प्लान बना रहे थे, जिसमें इन लोगों को बडे ट्रांजेक्शन वाले बैंक खातों की आवश्यकता थी। जिसके लिए अमरेन्द्र सिंह, रवी वर्मा, ज्ञानदेव पाल, व धु्रव से वाहिद ने एक मीटिंग करायी।
तब मैंने बताया कि मेरे पास सतीष के माध्यम से गंगासागर सिंह कि कम्पनी के बड़े बैंक खाते है। यदि हम लोग उन खातों में रुपए ट्रांसफर कर लेंगें तो मेरी गारंटी होगी कि 60-40 की दर से रूपया कैश में प्राप्त कर आपस में बांट लेंगें। इसके बाद अमरेंन्द्र सिंह द्वारा एक हैकर को मुम्बई व एक अन्य हैकर को कुशीनगर से बुलाया गया। उन हैकरों द्वारा कई अलग अलग डिवाइसें तैयार की गयीं, डिवाइसों को ज्ञानदेव पाल बैंक के सिस्टम में लगाते रहे। आठ बार प्रयास किया गया पर सफलता नहीं मिली। इसी बीच मेरी मुलाकात मेरे जानने वाले श्रीकान्त शुक्ला उर्फ रानू शुक्ला के माध्यम से रामराज जो कि लोक भवन में अनुभाग अधिकारी थे से हुई। उन्होंने एक हैकर उपलब्ध कराया जिसने डिवाइस तैयार किया। डिवाइस तैयार करने में जो खर्च आया था वह धु्रव व वकार ने दिया।
रामराज की टीम में ही उमेश गिरी था जिसने आरएस दुबे पूर्व बैंक प्रबन्धक से सम्पर्क किया। 14 अक्टूबर 2022 को आरएस दूबे, रवि वर्मा व ज्ञानदेव पाल शाम छह बजे के बाद बैंक गये, की-लागर इन्सटाल किया व डिवाइस लगायी। 15 अक्टूबर 2022 को सुबह हम लोग पांच टीमों के लगभग 15-20 लोग के साथ केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास पहुंचे। बैंक लंच के समय पर आरएस दूबे बैंक के अन्दर गये तब ज्ञानदेव पाल, उमेश गिरी, रवि वर्मा, सुनील आदि ने मिलकर 146.00 करोड़ रुपए गंगा सागर सिंह की कम्पनियों के अलग अलग खातों में आरटीजीएस के माध्यम से अलग अलग लोकेषन से ट्रान्सफर कर दिये।
इसी बीच गंगा सागर के एकाउंट फ्रीज हो गये। जिससे रुपए नहीं निकल पाये। जिसके बाद मै, वकार व वाहिद लखनऊ से फरार होकर नेपाल भाग गये थे। वकार व वाहिद ने अरमाना अतहर द्वारा बतायी गयी बातों का समर्थन किया। उपरोक्त गिरफ्तार अभियुक्तों को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, लखनऊ में मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
Oct 19 2023, 19:10