नवरात्रि के तीसरे दिन ,आज मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है, जानिए मां के इस स्वरूप की महामात्य और इस पूजा के फल

 नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन भक्त देवी के इस स्वरूप की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं। शास्त्रों में मां चंद्रघंटा को कल्याण और शांति प्रदान करने वाला माना गया है। देवी दुर्गा के इस स्वरूप में माता के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्रमा है। इसी वजह से मां को चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से ना केवल रोगों से मुक्ति मिल सकती है, बल्कि मां प्रसन्न होकर सभी कष्टों को हर लेती हैं। शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन 17 अक्टूबर, मंगलवार को है। ऐसे में इसी मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना होगी। आइए जानते हैं चंद्रघंटा की कथा।

मां चंद्रघंटा की कथा


पौराणिक कथा के मुताबिक, माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था। उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था। दरअसल महिषासुर देवराज इंद्र के सिंहासन को प्राप्त करना चाहता था। वह स्वर्गलोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था। जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे। ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली। उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं। उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की। शास्त्रों में मां चंद्रघंटा को लेकर यह कथा प्रचिलत है।

 नवरात्रि के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें मंत्र और आरती


मां चंद्रघंटा स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

नवरात्र के दूसरा दिन आज होती है माँ दूर्गा के दुसरे स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा,जानिए पूजा विधि

नवरात्र के दूसरे दिन माँ दूर्गा के दुसरे स्वरुप माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं।

 ब्रह्म का अर्थ है,, तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएँ हाथ में कमण्डल रहता है।

पूजन विधि.....


नवरात्र के दूसरे दिन सुबह शुद्ध जल से स्नान कर भक्त , मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनका चित्र या मूर्ति पूजा के स्थान पर चौकी पर स्थापित करें। उस पर फूल चढ़ाएं दीपक जलाएं और नैवेद्य अर्पण करें। इसके बाद मां दुर्गा की कहानी पढ़ें और नीचे लिखे इस मंत्र का 108 बार जप करें।

ब्रह्मचारिणी की मंत्र....


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

मां ब्रह्मचारिणी को पसंद है ये भोग...

देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें।

देवी ब्रह्मचारिणी कथा...


माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर ,भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया। जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोले नाथ की वामिनी अर्थात पत्नी बनी। जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं । उन्हें इस देवी की पूजा से सहज यह सब प्राप्त होता है।

देवी का दूसरा स्वरूप योग साधक को साधना के केन्द्र के उस सूक्ष्मतम अंश से साक्षात्कार करा देता है । जिसके पश्चात व्यक्ति की ऐन्द्रियां अपने नियंत्रण में रहती और साधक मोक्ष का भागी बनता है। इस देवी की प्रतिमा की पंचोपचार सहित पूजा करके जो साधक स्वाधिष्ठान चक्र में मन को स्थापित करता है । उसकी साधना सफल हो जाती है और व्यक्ति की कुण्डलनी शक्ति जागृत हो जाती है। जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धा से , नवरात्र के दूसरे दिन मॉ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं। उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है और प्रसन्न रहता है। उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है।

जय माँ ब्रह्मचारिणी...जय माता दी

आज का पंचांग- 16 अक्टूबर 2023,जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और तिथि

विक्रम संवत- 2080, अनला

शक सम्वत- 1945, शोभकृत

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- भाद्रपद

तिथि

कृष्ण पक्ष द्वितीया - 01:13 ए एम, अक्टूबर 17 तक

नक्षत्र

स्वाती - 07:35 पी एम तक

योग

विष्कम्भ - 10:04 ए एम तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:21 ए एम

सूर्यास्त- 5:51 पी एम

चन्द्रास्त- 7:39 ए एम

चन्द्रोदय- 6:45 पी एम

अशुभ काल

राहू- 07:48 ए एम से 09:14 ए एम

यम गण्ड- 10:40 ए एम से 12:07 पी एम

गुलिक- 10:40 ए एम से 12:07 पी एम

दुर्मुहूर्त- 12:29 पी एम से 01:15 पी एम, 02:47 पी एम से 03:33 पी एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:30 पी एम

ब्रह्म मुहूर्त- 04:41 ए एम से 05:31 ए एम

गोधूलि मुहूर्त- 5:51 पी एम से 06:16 पी एम

आज का राशिफल,16 अक्टूबर2023, जानिए राशि के अनुसार कैसा रहेगा आप का दिन...?

मेष राशि- पठन-पाठन में रुचि रहेगी। शैक्षिक एवं शोधादि कार्यों में सफलता मिलेगी, परन्तु भागदौड़ भी अधिक रहेगी। शासन-सत्ता का सहयोग मिलेगा। सेहत का ध्यान रखें। मानसिक शान्ति के लिए प्रयास करें। खर्चों की अधिकता रहेगी। परिवार का साथ मिलेगा। नौकरी में स्थान परिवर्तन की सम्भावना बन रही है। माता को स्वास्थ्‍य विकार हो सकते हैं। रहन-सहन कष्टमय रहेगा। कार्यक्षेत्र में परिश्रम की अधिकता रहेगी।

वृष राशि- मानसिक शान्ति रहेगी। कारोबार में सुधार होगा, परन्तु भागदौड़ भी अधिक रहेगी। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। परिवार का साथ मिलेगा। खर्च अधिक रहेंगे। वाणी में मधुरता रहेगी। आलस्य अधिक हो सकता है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। घर में धार्मिक कार्य होंगे। निराशा एवं असन्तोष के भाव रहेंगे। क्रोध एवं आवेश की अधिकता भी हो सकती है। किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जा सकते हैं। सम्मान की प्राप्ति‍ होगी।

मिथुन राशि- मानसिक शान्ति रहेगी, परन्तु संयत रहें। क्रोध से बचें। शैक्षिक कार्यों पर ध्यान दें। व्यवधान आ सकते है। विदेश यात्रा पर भी जा सकते हैं। नौकरी में परिवर्तन के योग बन रहे हैं। तरक्की के अवसर मिलेंगे। परिवार की समस्याएं परेशान कर सकती हैं। कार्यक्षेत्र में कठिनाइयां आ सकती हैं। अफसरों का सहयोग मिलेगा। लंबे समय से रुके हुए काम बनेंगे। सुस्वादु खानपान में रुचि बढ़ेगी। भाइयों का सहयोग मिलेगा।

कर्क राशि- आत्मविश्वास में कमी आएगी। धर्म के प्रति श्रद्धाभाव बढ़ेगा। सन्तान के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। चिकित्सीय खर्च बढ़ सकता है। परिवार का साथ मिलेगा। मन प्रसन्न रहेगा। नौकरी में तरक्की के योग बन रहे हैं। किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में सुख-शान्ति रहेगी। सन्तान को स्वास्थ्‍य विकार हो सकते हैं। नौकरी में कार्यक्षेत्र में परिवर्तन के योग बन रहे हैं। माता का सानिध्य मिलेगा। लाभ के नए अवसर मिलेंगे।

सिंह राशि- संयत रहें। क्रोध एवं आवेश के अतिरेक से बचें। नौकरी में कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। परिश्रम अधिक रहेगा। परिवार का साथ रहेगा। मन अशान्त हो सकता है। शैक्षिक कार्यों के प्रति सचेत रहें। आय में वृद्धि होगी। किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जा सकते हैं। पैतृक सम्पत्ति को लेकर विवाद की स्थिति बन सकती है। व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी। रहन-सहन कष्टमय रहेगा। धैर्यशीलता में कमी रहेगी।

कन्या राशि- परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। रहन-सहन अव्यवस्थित रहेगा। लेखनादि-बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता रहेगी। आय में वृद्धि हो सकती है। मन में शान्ति एवं प्रसन्नता रहेगी। परिवार के साथ यात्रा पर जाना हो सकता है। यात्रा सुखदायक रहेगी। खर्च अधिक रहेंगे। स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहेगा। जीवनसाथी से आपसी मतभेद हो सकते हैं। पिता का सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्‍य के प्रति सतर्क रहें। माता से धन की प्राप्ति होगी।

तुला राशि- आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। वाणी में मधुरता रहेगी। नौकरी में कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है। परिश्रम अधिक रहेगा। रहन-सहन अव्यवस्थित रहेगा। कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। किसी मित्र के सहयोग से रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। बातचीत में संयत रहें। संचित धन में कमी आ सकती है। किसी राजनेता से भेंट हो सकती है। लंबी यात्रा पर जाने के योग बन रहे हैं।

वृश्चिक राशि- मन प्रसन्न तो रहेगा, परन्तु आत्मविश्वास में कमी रहेगी। बातचीत में संयत रहें। नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा, परन्तु कार्यक्षेत्र में वृद्धि हो सकती है। धैर्यशीलता बनाए रखने के प्रयास करें। नौकरी में कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। परिश्रम की अधिकता रहेगी। वाणी में सौम्यता आएगी। नौकरी में परिवर्तन की सम्भावना बन रही है। सेहत का ध्यान रखें। आय में कठिनाइयां आ सकती हैं।

धनु राशि- किसी पैतृक सम्पत्ति की प्राप्ति हो सकती है। नौकरी में विदेश यात्रा के अवसर मिल सकते हैं। बातचीत में सन्तुलित रहें। किसी पुराने मित्र से पुनःसम्पर्क हो सकते हैं। दाम्पत्य सुख में वृद्धि हो सकती है। आशा-निराशा के मिश्रित भाव मन में रहेंगे। कार्यक्षेत्र का विस्तार हो सकता है। आय में वृद्धि भी हो सकती है। पारिवारिक समस्याएं बढ़ सकती हैं। भाई-बहनों का साथ मिलेगा। कारोबार में कठिनाइयां आ सकती हैं। सचेत रहें।

मकर राशि- धैर्यशीलता बनाये रखने के प्रयास करें। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। कुटुम्ब-परिवार में धार्मिक कार्य हो सकते हैं। धन आगमन के नए स्रोत बनेंगे। मानसिक शान्ति के लिए किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जा सकते हैं। कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। सेहत का ध्यान रखें। कुछ पुराने मित्रों से भेंट हो सकती है। किसी मित्र के सहयोग से नौकरी के अवसर मिल सकते हैं। सुस्वादु खानपान में रुचि रहेगी।

कुंभ राशि- आत्मविश्वास में कमी रहेगी। आत्मसंयत रहें। क्रोध से बचें। नौकरी में कार्यक्षेत्र में परिवर्तन की सम्भावना बन रही है। परिश्रम अधिक रहेगा। पिता का सानिध्य मिलेगा। मन प्रसन्न रहेगा। बातचीत में सन्तुलित रहें। शैक्षिक कार्यों के लिए विदेश प्रवास हो सकता है। क्रोध के अतिरेक से बचें। परिवार में आपसी मतभेद बढ़ सकते हैं। रहन-सहन में असहज रहेंगे। मित्रों का सहयोग मिलेगा। सन्तान को स्वास्थ्‍य विकार हो सकते हैं।

मीन राशि- नौकरी में अफसरों से सद्भाव बनाकर रखें। कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। परिश्रम अधिक हो सकता है। वाणी का प्रभाव बढ़ेगा। अपनी भावनाओं को वश में रखें। शैक्षिक एवं शोधादि कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। सेहत का ध्यान रखें। कार्यों के प्रति जोश एवं उत्साह से रहेगा। स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी हो सकता है। कुटुम्ब-परिवार में धार्मिक संगीत के कार्यक्रम हो सकते हैं। धैर्यशीलता बनाये रखने के प्रयास करें।

शारदीय नवरात्रःपहले दिन हो रही शैलपुत्री स्वरूप की पूजा, जानें क्या है कथा

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नवरात्रि, देवी दुर्गा को समर्पित नौ दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इन दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती आ रही है। इसमें महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, योगमाया, रक्तदंतिका, शाकुंभरी देवी, दुर्गा, भ्रामरी देवी व चंडिका प्रमुख हैं। इन नौ रूपों को शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री नामों से जाना जाता है। 

शारदीय नवरात्रि पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है और नवमी तिथि तक चलता है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना का विधान है। इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। 

ऐसा है मां शैलपुत्री का स्वरूप

शैलपुत्री का संस्कृत में अर्थ होता है ‘पर्वत की बेटी’। मां शैलपुत्री के स्वरूप की बात करें तो मां के माथे पर अर्ध चंद्र स्थापित है। मां के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल का फूल है। वे नंदी बैल की सवारी करती हैं।

मां शैलपुत्री से जुड़ी पौराणिक कथा

मां दुर्गा अपने पहले स्वरुप में 'शैलपुत्री' के नाम से पूजी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। अपने पूर्व जन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं तब इनका नाम सती था। इनका विवाह भगवान शंकर जी से हुआ था। एक बार प्रजापति दक्ष ने बहुत बड़ा यज्ञ किया जिसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया किन्तु शंकर जी को उन्होंने इस यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। 

देवी सती ने जब सुना कि हमारे पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं,तब वहां जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने भगवान शिव को बताई। भगवान शिव ने कहा-''प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं,अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहां जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।'' शंकर जी के इस उपदेश से देवी सती का मन बहुत दुखी हुआ। पिता का यज्ञ देखने वहां जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर शिवजी ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी। 

सती ने खुद को योगाग्नि में खुद को भस्म कर दिया

सती ने पिता के घर पहुंचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम से बातचीत नहीं कर रहा है। केवल उनकी माता ने ही स्नेह से उन्हें गले लगाया। परिजनों के इस व्यवहार से देवी सती को बहुत क्लेश पहुंचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहां भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है,दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का ह्रदय ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा कि भगवान शंकर जी की बात न मानकर यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।वह अपने पति भगवान शिव के इस अपमान को सहन न कर सकीं, उन्होंने अपने उस रूप को तत्काल वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया।

शैलपुत्री के रूप में फिर शिवजी की अर्द्धांगिनी बनीं

इस दारुणं-दुखद घटना को सुनकर शंकर जी ने क्रुद्ध हो अपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वह शैलपुत्री नाम से विख्यात हुईं। पार्वती,हेमवती भी उन्हीं के नाम हैं। इस जन्म में भी शैलपुत्री देवी का विवाह भी शंकर जी से ही हुआ।

शारदीय नवरात्र का पहला दिन आज, इस बार हाथी पर सवार होकर आएंगी मां

#shardiya_navratri_maa_durga_is_coming_riding_on_an_elephant 

हिन्दुओं का सबसे बड़ा पर्व शारदीय नवरात्रि आज यानि 15 अक्टूबर से शुरू हो गया है। नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाएगी। आज शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना कर दुर्गा मां का आवाहन किया जाएगा और फिर बेहद श्रद्धा भाव से पूरे 9 दिनों तक उनके 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाएगी।

देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं। जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं। माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर अपने भक्तों के बीच आएंगी। मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बहुत शुभ माना जा रहा है। हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल खूब अच्छी वर्षा होगी और खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा। मान्यताओं के अनुसार जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है तो गरीबी को दूर कर देती हैं।

मां का वाहन हाथी ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। इससे देश में आर्थिक समृद्धि आयेगी। साथ ही ज्ञान की वृद्धि होगी। ऐसे में आने वाला यह साल बहुत ही शुभ कार्य होगा।

आज से नवरात्रि प्रारम्भ,आज है कलश और घट स्थापना,बहुत कम समय के लिए है मुहूर्त,जानिए पूजा विधि

 आज से नवरात्रि शुरु हो गया है। मां दुर्गा आज हर घर हाथी पर सवार होकर पधारेंगी। इस बार माता की सवारी अपने साथ सुख-समृद्धि साथ ला रही है। 

इन नौ दिनों के त्योहार में मैया के 9 स्वरूपों की पूजा करने का विशेष महत्व है। नवरात्रि में कलश और घट स्थापना करना महत्वपूर्ण और पुण्यदायक माना जाता है। इसलिए आइए जानते हैं नवरात्रि कलश स्थापना का 

 कलश स्थापना की मुहूर्त और पूजा की विधि-

नवरात्रि शुभ मुहूर्त

कलश स्थापना का मुहूर्त- 15 अक्टूबर, 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 तक 

घटस्थापना तिथि - रविवार 15 अक्टूबर 2023

घटस्थापना मुहूर्त- प्रातः 06:30 मिनट से प्रातः 08: 47 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:48 मिनट से दोपहर 12:36 मिनट तक रहेगा

घटस्थापना का महत्व

नवरात्रि में घट स्थापना का बड़ा महत्व है। कलश में हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा, पांच प्रकार के पत्तों से कलश को सजाया जाता है। कलश के नीचे बालू की वेदी बनाकर जौ बोए जाते हैं। इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती व दुर्गा चालीसा का पाठ किया जाता है।

कलश स्थापना की सही विधि

सबसे पहले पूजा स्थान की गंगाजल से शुद्धि करें। अब हल्दी से अष्टदल बना लें। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं। अब एक मिट्टी या तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें। अब इस लोटे में साफ पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। अब इस कलश के पानी में सिक्का, हल्दी, सुपारी, अक्षत, पान, फूल और इलायची डालें। फिर पांच प्रकार के पत्ते रखें और कलश को ढक दें। इसके बाद लाल चुनरी में नारियल लपेट कलश के ऊपर रख दें।

पूजा-विधि

1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें 

2- दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।

3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।

4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं। 

5- घट और कलश स्थापित करें। 

6- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।

7- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं 

8- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें 

9- पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।

10- अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

आज से नवरात्रि शुरु ! किन राशियों का भाग्य आज कैसा रहेगा, किसके सितारे प्रबल है, पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का आज का हाल...?

 वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुल 12 राशियों का वर्णन किया गया है। हर राशि का स्वामी ग्रह होता है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल से राशिफल का आकंलन किया जाता है। 15 अक्टूबर 2023 को रविवार है। इसी दिन से शारदीय नवरात्रि भी प्रारंभ हो रही हैं। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन कुछ राशि वालों को जबरदस्त लाभ होगा तो कुछ राशि वालों को सावधान रहने की आवश्यकता है।

 आइए जानते हैं, 15 अक्टूबर 2023 को किन राशि वालों को होगा लाभ और किन राशि वालों को रहना होगा सावधान। पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल...

मेष: यह संभव है कि आपके पास कुछ नई संभावनाओं तक पहुंच हो, जिन्होंने आपको उस पेशेवर में ढालने में मदद की हो जो आप अभी हैं। हालांकि यह सोचना फायदेमंद है कि आपने कहां से शुरुआत की और इसकी तुलना आप अभी जहां हैं, उससे करें, आपको अत्यधिक विश्लेषणात्मक बनने से बचना चाहिए। इसके बजाय, जब आप अपने नए पेशेवर चरित्र को अपनाते हैं और अपने साथ व्यवहार करते हैं तो अपने आप पर दया दिखाएं।

वृषभ: आपने हाल के दिनों में अपने पेशेवर नेटवर्क में बदलाव देखे होंगे। यह संभव है कि आपके द्वारा किए जा रहे प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए सहकर्मियों ने आपका समर्थन किया है। अपने पेशेवर लक्ष्यों में आगे बढ़ते रहना चाहिए, ताकि आप सबसे योग्य व्यक्तियों के साथ काम कर सकें।

मिथुन : कार्यक्षेत्र में आने वाली हर चीज का सामना करने के लिए आप खुद को उत्साहित और तैयार महसूस कर सकते हैं, इसलिए आपको उतावलेपन से बचने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। इस समय हर विवाद बिगड़ने की क्षमता है। आगे बढ़ने से पहले आपको एक पल के लिए रुकना होगा। अपने पेशेवर लक्ष्यों के महत्व पर विचार करें कि उन्हें कैसे प्राप्त करें।

कर्क: अपने नौकरी संबंधों और पेशेवर कर्तव्यों के संबंध में आप एक्शन लेने के लिए तैयार हो सकते हैं। अपने क्षितिज का विस्तार करें और पेशेवर विकास के अपरंपरागत तरीकों पर विचार करें। आप अपने स्वयं के लाभों के प्रति अधिक प्रतिक्रियाशील होंगे।

सिंह: व्यक्तिगत चिंताओं में आपकी व्यस्तता आपके लिए नेविगेट करना मुश्किल बना सकती है। अगर इस समय आपके जीवन में कुछ जरूरी चल रहा है, तो आज काम से छुट्टी लेने का दिन अच्छा हो सकता है। हालांकि अगर आप ऐसा करने में असमर्थ हैं, तो आपको अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई हो सकती है क्योंकि आपका मन आपके निजी जीवन से संबंधित मामलों पर वापस जाता रहेगा।

कन्या: जब आप काम कर रहे होते हैं, तो आपको ऐसे चुनौतीपूर्ण कार्य सौंपे जा सकते हैं जो आपकी तकनीकी प्रतिभा को निखारें। अटके कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए आपको प्रोत्साहित करने की आवश्यकता हो सकती है। टीम के सदस्यों के बीच सहयोग आवश्यक है। हालांकि, आपको उन लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो प्रेरणा की क्षमता प्रदर्शित करते हैं।

तुला राशि: यदि आप किसी कार्यालय में सुपरवाइजर हैं, तो आपको पता चल सकता है कि आज आपकी टीम के साथ समस्याएं हो सकती हैं। कुछ भ्रम है जिन्होंने तनावपूर्ण वातावरण बनाया है और सभी के लिए ध्यान केंद्रित करना मुश्किल बना देता है। आश्वस्त रहते हुए दृढ़ रुख अपनाएं और गैर-पेशेवर दिखने से बचने की पूरी कोशिश करें।

वृश्चिक: नौकरी के ऐसे अवसर को अपनाकर दिन का लाभ उठाएं। यह आपके लिए अपना आत्मविश्वास और अच्छे उपयोग के लिए आविष्कारशील दृष्टिकोण लाएगा। इससे आपके करियर को लाभ मिलेगा। अपने आप को एक फायदा देने के लिए संवाद करने की अपनी क्षमता में सुधार करने पर काम करें।

धनु: हो सकता है कि आपको कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा हो, ऐसी स्थिति में आप एक विकल्प के रूप में एक व्यावसायिक साझेदारी बनाने पर विचार करना चाहते हैं। एक व्यापार साझेदारी बनाना लंबे समय में आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। हालांकि दूसरों के साथ सहयोग करना हर किसी का पसंदीदा नहीं होता। अपना समय बिताने का तरीका, आप दोनों का साथ अच्छा रहने वाला है।

मकर: आपका पेशेवर जीवन आपके जीवन के एक ऐसे पहलू के परिणामस्वरूप परेशान करने वाले है जो संतुलन से बाहर है और यह आप पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि किसी प्रकार की तरक्की तक पहुंचने से रोक रहा है जहां आपको अपने पेशे के संदर्भ में होना चाहिए। इसे अभी देखें और आगे बढ़ने के तरीके के बारे में कोई समाधान निकालें।

कुंभ : आज कार्य स्थल पर दूसरों के विचारों और विचारों के प्रति खुले दिमाग रखें, इस तथ्य के बावजूद कि वे हमेशा आपके साथ नहीं हो सकते हैं। अपनी योजनाओं के साथ दूसरों को एकीकृत करें और लक्ष्यों के रूप में यह आपके पेशेवर जीवन में आप जो चाहते हैं उसे प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी रणनीति साबित होगी। इस विचार को दिल से लें, चाहे आप किसके साथ बातचीत कर रहे हों, क्योंकि यह सभी पर लागू होता है।

मीन : आपका दिन शानदार रहने वाला है। आपके नियोक्ता और सहकर्मी आपका सम्मान करते हैं। आप जिस दौर से गुजर रहे हैं, उसके प्रति सहानुभूति रखें और समझें कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं। धन- लाभ होगा। नया कार्य शुरू करने के लिए समय अच्छा है।

आज का पंचांग- 15 अक्टूबर 2023:जानिए पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2080, अनला

शक सम्वत- 1945, शोभकृत

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- भाद्रपद

तिथि

कृष्ण पक्ष प्रतिपदा - 12:32 ए एम, अक्टूबर 16 तक

नक्षत्र

चित्रा - 06:13 पी एम तक

योग

वैधृति - 10:25 ए एम तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:21 ए एम

सूर्यास्त- 05:53 पी एम

चन्द्रास्त- 06:13 पी एम

चन्द्रोदय- 06:41 ए एम

अशुभ काल

राहू- 04:26 पी एम से 05:52 पी एम

यम गण्ड- 12:07 पी एम से 01:33 पी एम

गुलिक- 2:59 पी एम से 04:26 पी एम

दुर्मुहूर्त- 04:20 पी एम से 05:06 पी एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:30 पी एम

ब्रह्म मुहूर्त- 04:41 ए एम से 05:31 ए एम

गोधूलि मुहूर्त- 05:52 पी एम से 06:17 पी एम

आज का पंचांग- 14 अक्टूबर 2023:पंचांग के अनुसार जानिए आज का तिथि, मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2080, अनला

शक सम्वत- 1945, शोभकृत

पूर्णिमांत- आश्विनव

अमांत- भाद्रपद

तिथि

कृष्ण पक्ष अमावस्या - 11:24 पी एम तक

नक्षत्र

हस्त - 04:24 पी एम तक

योग

इन्द्र - 10:25 ए एम तक

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:21 ए एम

सूर्यास्त- 05:53 पी एम

चन्द्रास्त- 05:44 पी एम

अशुभ काल

राहू- 09:14 ए एम से 10:40 ए एम

यम गण्ड- 01:33 पी एम से 03:00 पी एम

गुलिक- 6:21 ए एम से 07:47 ए एम

दुर्मुहूर्त- 06:21 ए एम से 07:07 ए एम, 17:07 ए एम से 07:53 ए एम

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:30 पी एम

ब्रह्म मुहूर्त- 04:41 ए एम से 05:31 ए एम

गोधूलि मुहूर्त- 05:53 पी एम से 06:18 पी एम