इजराइल-हमास युद्ध को लेकर भारत ने साफ किया अपना रूख, विदेश मंत्रालय ने कहा-ये आतंकी हमला

#mea_on_israel_palestine_conflict

इजरायल-हमास के बीच जंग जारी है। इसी बीच, भारत ने इजरायल से भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए ऑपरेशन लॉन्च कर दिया है।विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि एक फ्लाइट देर रात इजरायल के तेल अवीव से उड़ेगी और कल सुबह 230 यात्री वापस आएगी। बागची ने बताया कि हमारे सारे विकल्प है, भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल हमने पहले भी किया है, लेकिन अभी चार्टेड फ्लाइट ही इस्तेमाल कर रहे है। भारतीय नागरिकों के एडवायजरी फॉलो करनी चाहिए, जो भारतीय दूतावास ने जारी की है।अगर कोई जरूरत हो तो वो दूतावास से संपर्क कर सकते है. हम हर हालात पर नजर रखे हुए हैं।

Image 2Image 3Image 4Image 5

वहीं, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'फिलिस्तीन को लेकर भारत की पॉलिसी लंबे समय से एक ही रही है। भारत हमेशा से बातचीत के माध्यम से आजाद और संप्रभु फिलिस्तीन बनाने की वकालत कर रहा है। भारत का स्टैंड अब भी यही है। अरिंदम बागची ने आगे कहा कि हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले को भारत एक आतंकी हमले की तरह देख रहा है।'

भारत की ओर से हमास को आतंकी संगठन कहे जाने को लेकर विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कानूनी मामला है। इसे कानूनी तौर पर देखना होगा, लेकिन मौजूदा स्थिति में हम बहुत स्पष्ट हैं कि यह एक आतंकवादी हमला है। हम युद्ध के कानूनों के अनुसार लड़ने को एक वैश्विक दायित्व के रूप में भी मानते हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना एक सार्वभौमिक दायित्व है। आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के खतरे से लड़ना भी एक वैश्विक जिम्मेदारी है।

उत्तराखंड में पीएम मोदी ने क‍िया 4200 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शि‍लान्‍यास, बोले- भारत की ताकत को देख रही दुनिया

Image 2Image 3Image 4Image 5

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तराखंड दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिथौरागढ़ के पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पीएम मोदी ने गुंजी में रं समाज के स्टाल में पारंपरिक वस्तुएं और उत्पाद देखे।

साथ ही पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल भी बजाया। लोगों का हाथ हिलाकर स्वीकार अभिवादन किया। पीएम पिथौरागढ़ में लगभग 4,200 करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

हमास के साथ जंग के बीच इजरायल ने सीरिया पर बोला हमला, दमिश्क में हवाई अड्डे पर बरसाए बम

#israel_airstrike_syria_airports_after_hamas_war

शनिवार को हमास के हमले के बाद इजरायली सेना गाजा में जबरदस्त जवाबी कार्रवाई कर रही है। इजरायल ने पिछले छह दिनों में गाजा में कम से कम 1000 जगहों पर हवाई हमले किए हैं। इन हमलों में गाजा में 1200 नागरिकों की मौत हुई है। इस बीच आज इजरायली सेना ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में एयरपोर्ट को निशाना बनाया है। ऐसी रिपोर्ट्स थी कि ईरानी विदेश मंत्री सीरिया पहुंचने वाले हैं। इससे पहले ही इजरायल ने सीरिया की राजधानी में एयरपोर्ट को ही उड़ा दिया।

Image 2Image 3Image 4Image 5

सीरिया के सरकारी टीवी चैनल ने बताया कि इजरायल-हमास जंग के बीच यह सीरिया पर पहला हमला है। जानकारी के मुताबिक, इजरायल ने दमिश्क और अलेप्पो एयरपोर्ट पर एयरस्ट्राइक की है। इजरायली हमलों के कारण बार-बार अलेप्पो और राजधानी दमिश्क के हवाई अड्डों पर उड़ानें रोकनी पड़ी हैं। दोनों युद्धग्रस्त सीरिया की सरकार द्वारा नियंत्रित हैं।

सीरिया के सरकारी टीवी चैनल ने सैन्य सूत्रों के हवाले से बताया कि गुरुवार दोपहर लगभग 1.50 बजे इजरायली सेना ने अलेप्पो और दमिश्क अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डों पर रॉकेट दागे। इससे हवआईअड्डों की हवाईपट्टी को नुकसान पहुंचा है।यह हमला गाजा में इजरायल के अपराध से दुनिया का ध्यान भटकाने का प्रयास है।

इजरायल की सेना ने मंगलवार को बताया कि सीरियाई क्षेत्र से इजरायल की ओर कई गोले दागे गए हैं। हालांकि, इन हमलों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इस बीच इजरायल ने गुरुवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क में हवाई अड्डे पर हमला किया और रनवे को तबाह कर दिया। दावा किया जा रहा है कि ईरानी विदेश मंत्री सीरिया का दौरा करने वाले थे। इसके विरोध में इजरायल ने हमला कर हवाई अड्डे को बर्बाद किया है। हमास ने कहा है कि इजरायल पर उसके हमले में ईरान ने मदद की थी, हालांकि तेहरान ने इससे इनकार किया है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई गई, आईबी अलर्ट के बाद मिली Z कैटेगरी सिक्‍योरिटी

#foreignministersjaishankargivenzcategory_security

विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा बढ़ा दी है और अब इस तरह विदेश मंत्री एस जयशंकर को वाई की जगह अब जेड कैटेगरी की सुरक्षा मिलेगी। बताया जा रहा है कि आईबी की थ्रेट रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय गृहमंत्रालय ने विदेश मंत्री जयशंकर की सुरक्षा बढ़ाई है।

Image 2Image 3Image 4Image 5

सवाल ये है कि आखिर विदेश मंत्री की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला क्‍यों लिया गया? दरअसल, गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, विदेश मंत्री एस जयशंकर की जान को खतरा बढ़ा है। इंटेलिजेंस ब्‍यूरो की थ्रेट रिपोर्ट के बाद जयशंकर की सिक्‍योरिटी बढ़ाने का फैसला किया गया है। जयशंकर मोदी कैबिनेट के सबसे मुखर मंत्रियों में शुमार हैं। उन्‍हें अपनी बात को बेहद खरे तरीके से रखने के लिए जाना जाता है। उनके कार्यकाल में भारतीय विदेश नीति में आक्रामकता आई है।

Y से Z कैटेगरी में क्या अंतर है?

अब तक जयशंकर को Y श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई थी। इस तरह की सिक्‍योरिटी में 11 सुरक्षाकर्मियों का कवर मिलता है। इसमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ शामिल होते हैं। जयशंकर की सिक्‍योरिटी Y से Z में अपग्रेड होने का मतलब यह है कि अब उन्‍हें 22 सुरक्षाकर्मियों का कवर मिलेगा। ये सुरक्षाकर्मी 24 घंटे उनकी सिक्‍योरिटी में तैनात होंगे। इनमें 4 से 6 एनएसजी कमांडो के साथ दिल्‍ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी होंगे।

क‍ितनी तरह की होती है स‍िक्‍योर‍िटी?

बता दें कि केंद्र सरकार ने सुरक्षा के लिए पांच कैटेगरी बना रखी है. इसमें X, Y, Y+, Z और Z+ शामिल है।खतरे के हिसाब से व्यक्ति को सुरक्षा दी जाती है। कैटेगरी बढ़ने के साथ-साथ खर्चा भी बढ़ता जाता है।हर कैटेगरी के बढ़ने के साथ खर्च भी बढ़ जाता है। X कैटेगरी में दो सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें कोई कमांडो नहीं होता है। एक पर्सनल सिक्‍योरिटी ऑफिसर (पीएसओ) भी होता है। Y में 11 सुरक्षाकर्मियों का कवर होता है। इनमें एक या दो कमांडो और दो पीएसओ शामिल होते हैं। Y+ में 11 सिक्‍योरिटी पर्सन के अलावा एस्‍कॉर्ट वाहन होता है। एक गार्ड कमांडर और चार गार्ड आवास पर रहते हैं। Z श्रेणी में 22 सुरक्षाकर्मी रहते हैं। इनमें 4-6 कमांडो शामिल होते हैं। इसके अलावा दिल्‍ली पुलिस और सीआरपीएफ के जवान भी होते हैं। Z+ श्रेणी में 58 सुरक्षाकर्मी होते हैं। इनमें 10 से अधिक एनएसजी कमांडो होते हैं। सिक्‍योरिटी में एक बुलेटप्रूफ कार और 2 एस्‍कॉर्ट वाहन भी मिलते हैं। प्रधानमंत्री को इन सबसे अलग एसपीजी सुरक्षा मिलती है।

फ्लिपकार्ट-अमेज़न सेल में कुछ भी आर्डर करने से पहले पढ़ ले ये खबर, हो रही है बेईमानी

Image 2Image 3Image 4Image 5

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स Amazon एवं Flipkart पर सेल चल रही है। दोनों ही प्लेटफॉर्म्स पर विभिन्न ऑफर्स प्राप्त हो रहे हैं, मगर इसके साथ ही लोग शिकायत भी कर रहे हैं। शिकायत इन प्लेटफॉर्म्स पर किए गए वादों को लेकर। दरअसल, दोनों ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ने सेल से पहले कई ऑफर्स को टीज किया, मगर लोगों को ये ऑफर्स प्राप्त हुए ही नहीं। कुछ यूजर्स के तो ऑर्डर भी कैंसिल हो रहे हैं, तो कुछ को गलत तरीके से प्रमोट किया जा रहा है। इतना ही नहीं, कुछ प्रोडक्ट्स के ऑर्डर पर तो भाव से पहले EMI को बोल्ड में दिखाया जा रहा है। मतलब जब आप किसी प्रोडक्ट्स के पेज पर पहुंचते हैं, तो वहां पर आपको उसका ऐक्चुअल प्राइस तो छोटा सा नजर आएगा, मगर EMI को बहुत हाईलाइट करके दिखाया जा रहा है। 

वही अब आप सोचेंगे कि इसमें क्या गलत है। दरअसल, इस प्रकार से EMI प्राइस को दिखाने से कई लोगों को ये वास्तविक प्राइस लग सकती है। उन्हें लगता है कि 70 हजार का भाव वाले लैपटॉप को वो 11 हजार रुपये में खरीद रहे हैं। जबकि ये तो उस प्रोडक्ट की मंथली EMI है। इसके कारण कुछ एक लोग तो प्रोडक्ट पर्चेज तक पहुंच जा रहे हैं। शायद किसी ने इन प्रोडक्ट्स की EMI को डिस्काउंट प्राइस समझकर खरीदा भी हो। 

MRP पर छूट

दूसरा मामला है गलत तरीके से डिस्काउंट दिखाने का है। वैसे तो ये कंपनियां सेल में MRP पर छूट दिखाकर कई प्रोडक्ट्स को बेचती हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि किसी ब्रांड ने एक प्रोडक्ट को पेश किया 20 हजार रुपये में, मगर उसके बॉक्स पर MRP 25 हजार रुपये प्रिंट होता है। ऐसे में यदि ये प्रोडक्ट सेल में 18 हजार का प्राप्त हो रहा है, तो ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म इस पर 7 हजार रुपये का डिस्काउंट दिखाते हैं। कुछ मामलों में ये भी देखा गया है कि इन प्लेटफॉर्म्स ने बॉक्स पर लिखे MRP से भी अधिक दाम पर इन डिवाइसेस को लिस्ट दिखाया है, जिससे लोगों को लगे कि ये प्रोडक्ट आधी से भी कम कीमत पर मिल रहा है। इसके अतिरिक्त कई लोग प्रोडक्ट कैंसिल होने की भी शिकायत कर रहे हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि उन्होंने प्रोडक्ट्स को कई हजार के डिस्काउंट पर ऑर्डर किया था, मगर बाद में ऐमेजॉन ने ऐसे ऑर्डर्स को कैंसिल दिया है। दरअसल, कई लोगों ने Samsung Galaxy Buds Pro 2 को 3 हजार रुपये से कम कीमत पर खरीदा था, जिसका ऐक्चुअल प्राइस 10 हजार रुपये से अधिक है। 

कंपनी ने कई उपयोगकर्ताओं के ऑर्डर को कैंसिल कर दिया, तो कुछ लोगों को फेक प्रोडक्ट्स डिलीवर हुए हैं। प्रोडक्ट्स कैंसिल करने को लेकर Amazon ने कहा है कि यूजर्स को ये भाव किसी टेक्निकल ग्लिच के कारण दिख रही थी। इस कारण उन्हें ऑर्डर कैंसिल करना पड़ रहा है। वही ऐसा ही कुछ Flipkart ने भी किया है। 

दरअसल, फ्लिपकार्ट ने सेल से पहले प्राइस लॉक का फीचर लॉन्च किया था। इसकी सहायता से लोग एक निश्चित राशि देकर किसी प्रोडक्ट्स को लोएस्ट प्राइस पर लॉक कर सकते है तथा बाद में उसे खरीद सकते हैं। कई लोगों की शिकायत है कि उन्होंने इस फीचर का इस्तेमाल करते हुए पास खरीदा तथा प्राइस लॉक किया। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं प्राप्त हुआ। कंपनी उन्हें अब बढ़े हुए भाव दिखा रही है। इसके अतिरिक्त 2000 रुपये के कूपन पास पर डिस्काउंट भी अप्लाई नहीं हो रहा है। इस मामले में कंपनी का कहना है कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सेलर निरंतर प्राइस को बदल रहा है।

जीएसटी मामले में CBIC ने गंगाजल पर साफ की स्थिति, कहा- पूजा सामग्री जीएसटी के दायरे से बाहर

Image 2Image 3Image 4Image 5

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि ‘गंगाजल’ को जीएसटी से छूट दी गई है। सीबीआईसी ने कहा है कि देश भर के घरों में पूजा में गंगाजल का उपयोग किया जाता है और इस पूजा सामग्री को जीएसटी के तहत छूट दी गई है। 18-19 मई 2017 और 3 जून 2017 को हुई जीएसटी परिषद की क्रमशः 14वीं और 15वीं बैठक में पूजा सामग्री पर जीएसटी पर विस्तार से चर्चा की गई और उन्हें छूट सूची में रखने का निर्णय लिया गया। इसलिए, जीएसटी लागू होने के बाद से ही इन सभी वस्तुओं को जीएसटी से बाहर रखा गया है।

इसस पहले कांग्रेस ने गंगाजल पर कथित तौर पर 18 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के लिए गुरुवार को मोदी सरकार की आलोचना की थी और इसे लूट व पाखंड की पराकाष्ठा करार दिया था।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्विटर (अब एक्स) पर एक पोस्ट में कहा, ”मोदी जी, मोक्ष प्रदाता मां गंगा का महत्व एक आम भारतीय के लिए जन्म से लेकर जीवन के अंत तक बहुत अधिक है। यह अच्छा है कि आप आज उत्तराखंड में हैं, लेकिन आपकी सरकार ने पवित्र गंगा जल पर ही 18% जीएसटी लगा दिया है।” उन्होंने कहा, “आपने एक बार भी नहीं सोचा कि उन लोगों पर क्या असर पड़ेगा जो अपने घरों में गंगाजल रखने इसे ऑर्डर देकर मंगाते हैं। यह आपकी सरकार की लूट और पाखंड की पराकाष्ठा है।”

इसके बाद सीबीआईसी की ओर से इस मसले पर स्थिति साफ की और बताया कि गंगाजल को जीएसटी लागू होने के बाद से ही कर के दायरे से बाहर रखा गया है।

*क्या गंगा जल पर भी देना होगा जीएसटी? खरगे ने मोदी सरकार से पूछा सवाल*

#hasgstongangawatercongresspresidentkhargeblamedmodigovt

Image 2Image 3Image 4Image 5

क्या गंगा जल पर गुड्स एंड सर्विस टैक्स या जीएसटी लग गया है? कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की माने तो मोदी सरकार ने गंगाजल पर 18% जीएसटी लगा दिया है।कांग्रेस ने गंगाजल पर कथित तौर पर 18 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के लिए गुरुवार को को मोदी सरकार की आलोचना की और इसे लूट और पाखंड की पराकाष्ठा करार दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुरुवार के उत्तराखंड के एक दिवसीय दौरे के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया। इस ट्वीट में खरगे ने लिखा 'एक आम भारतीय के जन्म से लेकर उसके जीवन के अंत तक मोक्षदायिनी मां गंगा का महत्व बहुत ज्यादा है। अच्छी बात है कि आप आज उत्तराखंड में हैं, पर आपकी सरकार ने तो पवित्र गंगाजल पर ही 18% जीएसटी लगा दिया है। एक बार भी नहीं सोचा कि जो लोग अपने घरों में गंगा जल मंगवाते हैं, उनपर इस का बोझ क्या होगा। यही आपकी सरकार के लूट और पाखंड की पराकाष्ठा है।

भूपेश बघेल भी कर चुके हैं जीएसटी पर सवाल

इससे पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी गंगाजल पर जीएसटी लगाने को लेकर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि भाजपा हर तरफ से केवल कमाना चाहती है। इसी के साथ उन्होंने सवाल किया था कि क्या लोग पूजा पाठ न करे? बीजेपी धर्म की बात करती है लेकिन गंगाजल पर उन्होंने जीएसटी क्यों लगाया? जीएसटी लगाने से घर पर गंगाजल मंगवाने पर पहले से ज्यादा कीमत चुकानी होगी।

रोजगार के मोर्चे पर केंद्र सरकार को मिली बड़ी राहत, छह साल के निचले स्तर पर पहुंची बेरोजगारी दर, NSSO ने जारी किया आंकड़ा

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नीतियों और पहलों पर सक्रिय रूप से ध्यान केंद्रित कर रही है। इन प्रयासों ने रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और हाल के आंकड़ों में यह साबित भी हुआ है। केंद्र सरकार के विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए 'रोजगार मेलों' का आयोजन प्रमुख पहलों में से एक है। इन आयोजनों ने देश भर में बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। इसके अतिरिक्त, मोदी सरकार ने नीतिगत बदलाव किए हैं, जिन्होंने न सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र को प्रभावित किया है, बल्कि निजी क्षेत्र को भी संगठित और असंगठित दोनों तरह से रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया है। 

Image 2Image 3Image 4Image 5

इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, देश में बेरोजगारी दर छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है, जिसकी पुष्टि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों से होती है। NSSO द्वारा जारी आवधिक श्रम बल रिपोर्ट (PLFS) डेटा से पता चलता है कि जुलाई 2022 और जून 2023 के बीच 15 वर्ष से अधिक उम्र के नागरिकों के बीच बेरोजगारी दर 3.2 प्रतिशत थी, जो पिछले छह वर्षों में सबसे कम दर है। यह 2021-22 में दर्ज की गई 4.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर से एक महत्वपूर्ण गिरावट है। इन नीतियों का प्रभाव विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्पष्ट है, जहां बेरोजगारी दर 2017-18 में 5.3 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.4 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह, शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.7 प्रतिशत से गिरकर 5.4 प्रतिशत हो गई, जो रोजगार के अवसरों में समग्र सुधार को दर्शाता है। ये आंकड़े सरकार को राहत देने वाले हैं, क्योंकि, विपक्ष अक्सर केंद्र सरकार पर बेरोज़गारी को लेकर निशाना साधता रहता है, ऐसे में साकार के पास जवाब देने के लिए तथ्य उपलब्ध हो गए हैं।

इसके अलावा, बेरोजगारी में गिरावट सिर्फ वार्षिक आंकड़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि तिमाही आधार पर भी देखी गई है। उदाहरण के लिए, अप्रैल-जून 2023 तिमाही में शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए बेरोजगारी दर एक प्रतिशत घटकर 6.6 प्रतिशत हो गई। यह एक सकारात्मक रुझान है, जो दर्शाता है कि बेरोजगारी घट रही है। ये सकारात्मक परिवर्तन लिंग-विशिष्ट नहीं हैं। पुरुषों और महिलाओं दोनों ने बेरोजगारी दर में कमी का अनुभव किया है। पुरुषों के लिए बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.1 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.3 प्रतिशत हो गई, जबकि महिलाओं के लिए यह 5.6 प्रतिशत से गिरकर 2.9 प्रतिशत हो गई है। यह सकारात्मक प्रवृत्ति दोनों लिंगों के लिए अधिक अवसर पैदा करने के सरकार के प्रयासों का प्रतिबिंब है।

श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) और श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) सहित प्रमुख श्रम बाजार संकेतकों में भी सुधार देखा गया है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। 15 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए LFPR अप्रैल-जून 2022 में 47.5 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल-जून 2023 में 48.8 प्रतिशत हो गया, जो कार्यबल में बढ़ती भागीदारी का संकेत देता है। इसी अवधि के दौरान WPR भी 43.9 प्रतिशत से बढ़कर 45.5 प्रतिशत हो गया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय ने बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे शहरी भारत में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिला है। इससे बेरोजगारी दर में उल्लेखनीय कमी आई है, जो सरकारी नीतियों के सकारात्मक प्रभाव को दर्शाता है।

 केंद्रीय सेवाओं में रोजगार सृजन और पदोन्नति के मामले में प्रशासन का ट्रैक रिकॉर्ड पिछली UPA सरकार से भी आगे निकल गया है। केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में इन उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और रोजगार के अवसरों के संबंध में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब दिया। जितेंद्र सिंह ने सरकार की उपलब्धियों पर जोर देते हुए कहा कि 2014 के बाद के नौ वर्षों में, विभिन्न केंद्रीय सरकारी विभागों में नौ लाख से अधिक व्यक्तियों की भर्ती की गई। यह आंकड़ा UPA (कांग्रेस) सरकार के पहले नौ वर्षों के दौरान छह लाख भर्तियों से काफी अधिक है। इसके अलावा, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार कर्मचारियों को बढ़ावा देने, बैकलॉग कम करने और करियर में उन्नति सुनिश्चित करने में सक्रिय रही है।

26 सितंबर, 2023 को नेशनल मीडिया सेंटर में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आयोजित 'रोजगार मेला' नामक एक कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस और अन्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को संबोधित करने का अवसर लिया। उन्होंने UPA के प्रदर्शन और वर्तमान सरकार की उपलब्धियों के बीच भारी अंतर पर प्रकाश डाला। सिंह ने बताया कि UPA शासन के शुरुआती नौ वर्षों के दौरान, वे केवल लगभग छह लाख सरकारी नौकरियां ही प्रदान कर पाए थे, जबकि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने सफलतापूर्वक नौ लाख से अधिक पद सृजित किए हैं। 

इसके अलावा, सिंह ने पदोन्नति के अवसरों को संबोधित करने के लिए सरकार के समर्पण पर प्रकाश डाला, यह सुनिश्चित किया कि सरकार कर्मचारियों को उनकी कड़ी मेहनत के लिए पहचाने और पुरस्कृत करे। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के नेतृत्व में पदोन्नति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, खासकर केंद्रीय सचिवालय सेवा (CSS) में, जिसमें UPA शासन की तुलना में 160 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। ये उपलब्धियाँ रोजगार सृजन, कैरियर की प्रगति और समग्र आर्थिक विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, जिससे अंततः देश के कार्यबल की आजीविका और संभावनाओं में सुधार होता है।

ये आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि, रोजगार सृजन के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और उसके नीतिगत बदलावों ने न केवल सार्वजनिक क्षेत्र को प्रभावित किया है, बल्कि निजी क्षेत्र को भी रोजगार सृजन में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा जारी आंकड़े रोजगार परिदृश्य में उल्लेखनीय सुधार का संकेत देते हैं, बेरोजगारी दर छह वर्षों में सबसे कम है। ये प्रयास आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और देश भर में नागरिकों की आजीविका बढ़ाने के व्यापक लक्ष्य में योगदान करते हैं।

'पाकिस्तान को कुत्ता कहना, कुत्ते की तौहीन है..', गिलगित-बाल्टिस्तान में लहरा रहा तिरंगा, भारत में मिलना चाहते हैं लोग

Image 2Image 3Image 4Image 5

जम्मू कश्मीर से 370 हटाने के बाद, जम्मू और कश्मीर में पर्यटन फला-फूला है, जिसके परिणामस्वरूप रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों में सराहनीय वृद्धि हुई है। पर्यटन गतिविधि ने न केवल नौकरियां पैदा की हैं, बल्कि निवेश भी आकर्षित किया है और कई विकास परियोजनाओं को बढ़ावा दिया है, जिससे क्षेत्र में समृद्धि अाई है। इसके विपरीत, पाकिस्तान के नियंत्रण वाले पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और गिलगित-बाल्टिस्तान गंभीर आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं। भोजन की कमी और विरोध प्रदर्शन आम हो गए हैं और इन क्षेत्रों के लोग पाकिस्तान की भेदभावपूर्ण नीतियों के प्रति अपना असंतोष व्यक्त कर रहे हैं।

 

भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में समृद्धि और पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए गए कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के निवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बीच स्पष्ट अंतर ने स्थानीय आबादी में काफी निराशा और नाराजगी पैदा कर दी है। गिलगित-बाल्टिस्तान में, अल्पसंख्यक शिया समुदायों द्वारा कट्टरपंथी सुन्नी संगठनों और पाकिस्तानी सेना द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने से उथल-पुथल जारी है। वे पाकिस्तानी शासन से अलग होकर भारत के साथ फिर से जुड़ने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं। स्थिति इस हद तक बढ़ गई है कि अब क्षेत्र में होने वाली रैलियों में भारतीय तिरंगे को फहराया जा रहा है।

गिलगित-बाल्टिस्तान में शिया संगठन क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना की उपस्थिति और प्रथाओं के विरोध में तेजी से मुखर हो रहे हैं। विभिन्न रैलियों में पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों और भेदभाव की निंदा करते हुए नारे लगाए गए हैं। भारत से सिर्फ 90 किलोमीटर दूर स्थित स्कर्दू में स्थानीय शिया आबादी कारगिल राजमार्ग को फिर से खोलने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे उनका भारत के साथ मिलन संभव हो सके। क्षेत्र की लगभग दो मिलियन की आबादी में से आठ लाख शिया निवासियों द्वारा अपनाए गए कड़े रुख के जवाब में, पाकिस्तानी सेना ने व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त 20,000 सैनिकों को तैनात किया है।

गिलगित-बाल्टिस्तान के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं, जिससे निवासियों का असंतोष और गुस्सा सामने आ रहा है। प्रदर्शनकारी कारगिल सड़क को फिर से खोलने की मांग कर रहे हैं और पाकिस्तान के शोषण और कुप्रबंधन के खिलाफ अपनी शिकायतें व्यक्त करते हुए भारत के साथ फिर से जुड़ने का आह्वान कर रहे हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान में अब शिया संगठन, पाकिस्तानी सेना के खिलाफ खुला प्रदर्शन कर रहे हैं। पाकिस्तान के खिलाफ वहां रैलियों अब तो ये नारे सुनाई दे रहे हैं- 'पाकिस्तान को कुत्ता कहना कुत्ते की तौहीन है।' 

 

पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक संकट के कारण उसके नागरिक अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई ने आटा जैसी बुनियादी जरूरतें भी आम लोगों की पहुंच से बाहर कर दी हैं। इस गंभीर स्थिति ने गिलगित-बाल्टिस्तान में हजारों लोगों को भारत में कश्मीर घाटी से जुड़ने वाले पारंपरिक व्यापार मार्गों को फिर से खोलने की मांग करते हुए सड़कों पर उतरने के लिए प्रेरित किया है। गिलगित-बाल्टिस्तान में शिया संगठनों ने पाकिस्तानी सेना पर 1947 से शिया समुदायों को व्यवस्थित रूप से हाशिए पर रखने और बाहर निकालने का आरोप लगाया है, जिससे क्षेत्र की जनसांख्यिकीय संरचना बदल गई है। शिया आबादी, जो कभी बहुसंख्यक थी, अब कट्टरपंथियों के अत्याचार के कारण इस क्षेत्र में अल्पसंख्यक हो गई है। इन शिकायतों के कारण धारा 144 लागू होने और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध के बावजूद स्कर्दू, हुंजा, डायमिर और चिलास में विरोध प्रदर्शन जारी है।

गिलगित-बाल्टिस्तान में लोग उच्च बेरोजगारी और मुद्रास्फीति सहित पाकिस्तान सरकार की दमनकारी और भेदभावपूर्ण नीतियों के परिणामों को सहन कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, निवासी वर्तमान में जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं उनसे राहत पाने के लिए भारत के साथ फिर से जुड़ने की अपनी तीव्र इच्छा व्यक्त कर रहे हैं। 

बता दें कि, गिलगित-बाल्टिस्तान की एक अनूठी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है, जो एक रियासत बनने से पहले दिल्ली सल्तनत, मुगल साम्राज्य और अफगानिस्तान सहित अन्य का हिस्सा रहा है। यह कुछ समय के लिए ब्रिटिश नियंत्रण में था, और इसका पट्टा 1947 में जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को वापस सौंप दिया गया था। 26 अक्टूबर, 1947 को, महाराजा हरि सिंह भारत में शामिल हो गए, और गिलगित-बाल्टिस्तान, जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के साथ भारत का अभिन्न अंग बन गया। हालाँकि, आज़ादी के बाद सरकार के ढीले रवैये के कारण पाकिस्तान ने इसपर कब्ज़ा कर लिया था, तब से इसको वापस लेने के प्रयास भी नहीं किए गए। मोदी सरकार ने चुनाव से पहले इसे वापस लाने का वादा किया था, और अब खुद वहां के लोग भारत में मिलने को आतुर हैं, वो भी बिना युद्ध के, इसे सरकार की कूटनीतिक सफलता कहा जा सकता है।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव, भाजपा की अगली सूची भी होगी 'धमाकेदार', पढ़िए, प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दिया यह संकेत

Image 2Image 3Image 4Image 5

 मध्य प्रदेश में प्रत्याशियों की प्रत्येक लिस्ट पर चौंका रही भाजपा की अगली सूची भी विस्फोटक होने वाली है। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसके संकेत दिए हैं। कहा जा रहा है कि अगली सूची में पार्टी 25 से 30 उपस्थित विधायकों के पत्ते काट सकती है। हालांकि, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। राजधानी भोपाल में नरोत्तम मिश्रा ने कहा, 'हर सूची धमाकेदार ही होगी। आगे धमाके ही धमाके होने वाले हैं। दिवाली का त्योहार आने वाला है।' खास बात है कि अब तक बीजेपी 4 सूचियां जारी कर चुकी है। इनमें 136 नाम सम्मिलित हैं। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि आगामी बैठक में बचे हुए 94 प्रत्याशियों पर भी मुहर लग सकती है।

रविवार को बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति यानी CEC की बैठक होने वाली है। बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के अतिरिक्त पीएम नरेंद्र मोदी भी सम्मिलित हो सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि कार्यकाल में अच्छा प्रदर्शन नहीं करने वाले कई विधायकों का टिकट भाजपा काट सकती है। इस के चलते 25 से 30 विधायकों के टिकट कटने की संभावनाएं हैं। खबर है कि बीजेपी को सर्वे से पता लगा है कि कई विधायकों से जनता खफा है।

पार्टी ने सीएम शिवराज सिंह को उनकी मजबूत सीट बुधनी से ही मैदान में उतारने का फैसला किया है। हालांकि, कहा यह भी जाने लगा है कि बुधनी की जनता खासी नाराज चल रही है, क्योंकि उन्हें लग रहा है कि पार्टी नेतृत्व ने उनके नेता को दरकिनार कर दिया है। स्वयं शिवराज सिंह चौहान भी जनता से भावुक अपीलें करते दिखाई दे रहे हैं।