बीजेपी ने जारी किया “दो कैदी” वाला पोस्टर, संजय सिंह के साथ नजर आए सिसोदिया

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आम आदमी पार्टी(आप) के नेता व राज्यसभा सांसद संजय सिंह को ईडी ने बुधवार को 10 घंटे की लंबी पूछताठ के बाद गिरफ्तार कर लिया। संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर आप पर हमलावर हो गई है। इस बीच, बीजेपी ने आप के खिलाफ पोस्टर जारी किया है। बीजेपी ने इस पोस्टर में संजय सिंह और मनीष सिसोदिया को 'दो कैदी' बताया है।

बीजेपी की दिल्ली इकाई ने आज गुरुवार को अपने आधिकारिक एक्स हैंडल (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्टर शेयर किया है। इसमें दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आप सांसद संजय सिंह की तस्वीर है और कैप्शन में लिखा, "Sharab Ghotala Presents - दो कैदी।"पोस्टर के नीचे लिखा है तिहाड़ के थियेटर में। बता दें कि ईडी ने कल आप सांसद संजय सिंह के घर छापा मारा था। देर शाम तक छापेमारी के बाद ईडी ने आप नेता को गिरफ्तार कर लिया था। इस गिरफ्तारी के बाद आप ने बीजेपी के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार आप नेताओं को निशाना बना रही है। आज आप कार्यकर्ता बीजेपी कार्यालय का घेराव करेंगे।

दिनेश अरोड़ा ने सरकारी गवाह बनकर कोले राज-पात्रा

आप सांसद संजय सिंह की गिरफ्तार पर गुरुवार की सुबह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हमला बोला। दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि आप सांसद संजय सिंह को कल शराब घोटाला मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। खुलेआम भ्रष्टाचार करना आप का चरित्र है और जब पकड़े जाते हैं. वे इस पर राजनीति शुरू कर देते हैं। पात्रा का कहना है कि 2022 में दिल्ली शराब घोटाले में सीबीआई ने केस दर्ज किया था। इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की गई थी, इसलिए ईडी ने भी केस दर्ज किया था। मनीष सिसोदिया, मामले से जुड़े कुछ अधिकारी, कुछ कारोबारी जेल में हैं। गिरफ्तार किए गए कारोबारियों में से एक का नाम दिनेश अरोड़ा है। उसने कहा था कि वह सरकारी गवाह बनेगा। सरकारी गवाह बनकर उसने खुलासा किया कि 2020 में संजय सिंह की उनसे मुलाकात हुई थी। 

दिनेश अरोड़ा ने लाखों रुपये दिए थे- पात्रा

पात्रा ने कहा कि दिनेश अरोड़ा दिल्ली में रेस्टोरेंट चलाते हैं, संजय सिंह ने उनसे कहा था कि चुनाव नजदीक आ रहे हैं और उन्हें पैसे जुटाने हैं। संजय सिंह ने दिनेश अरोड़ा को मनीष सिसोदिया से भी मिलवाया था। दिनेश अरोड़ा ने लाखों रुपये दिए थे। उन्होंने मांग की कि उत्पाद शुल्क विभाग में फंसे उनके कुछ मुद्दों को मंजूरी दे दी जाए। ईडी ने आरोप पत्र में संजय सिंह का नाम दर्ज किया। आप नेताओं ने कहा कि उनका नाम गलती से आरोप पत्र में था। ईडी ने संजय सिंह का नाम चार जगहों पर डाला था, जिसमें से एक टाइपो एरर की वजह से हटा दिया गया।

बीजेपी, उनके प्रवक्ता और उनकी एजेंसियों को चुनौती-आतिशी

वहीं, दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा कि मैं बीजेपी, उनके प्रवक्ता और उनकी एजेंसियों को चुनौती देती हूं कि कोई भी प्रमाण रखें और बताएं एक रुपया भी जो संजय सिंह के घर से मिला हो, जिसके आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया। वे बताएं कि उन्हें संजय सिंह के घर से कितने सोने के बिस्किट, कितनी नकदी मिली? उन्हें संजय सिंह के घर से कुछ नहीं मिला। आतिशी का कहना है, "इस जांच में ईडी और सीबीआई ने पिछले 15 महीनों से 500 से ज्यादा अधिकारियों को तैनात किया है। इन अधिकारियों ने हजारों जगहों पर छापेमारी की है, लेकिन उन्हें किसी भी भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं मिला। वे अदालत में कोई सबूत पेश नहीं कर पाए। उन्होंने मनीष सिसोदिया के कार्यालय और आवास पर छापा मारा, वहां कुछ भी नहीं मिला, लेकिन भाजपा को किसी सबूत की ज़रूरत नहीं है। बिना किसी सबूत के भ्रष्टाचार का सबूत, मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया। अब वही कहानी संजय सिंह के साथ दोहराई जा रही है।

कैलाश विजयवर्गीय ने दिए बड़े संकेत, बोले-सिर्फ विधायक तो नहीं रहूंगा…

#vijayvargiyasaysihavenotcomejustbecomemla

मध्य प्रदेश में आने वाले महीनों मे विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि, अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन चुनावी सरगर्मी जोरों पर है।बीजेपी के दिग्गज नेता और इंदौर 1 से प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय ने इशारों इशारों में बड़ा संकेत दिया है। दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय ने बुधवार को खुद के मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की रेस में शामिल होने के संकेत दिए। विजयवर्गीय ने साफ कहा है कि वह मध्यप्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव केवल विधायक बनने के लिए नहीं लड़ रहे हैं और पार्टी उन्हें कुछ और बड़ी जवाबदारी देगी।

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बड़ी जवाबदारी मिलेगी तो बड़ा काम भी करूंगा-विजयवर्गीय

बुधवार को बाणगंगा इलाके के कुम्हार खाड़ी में आयोजित लाड़ली बहना योजना के कार्यक्रम के दौरान विजयवर्गीय ने मंच से कहा, मैं आपको फिर से विश्वास दिलाता हूं। भारतीय जनता पार्टी की सरकार फिर से बन रही है। मैं खाली विधायक बनने नही आया हूं। मुझे और भी कुछ बड़ी जवाबदारी मिलेगी पार्टी की तरफ से, और जब बड़ी जवाबदारी मिलेगी तो बड़ा काम भी करूंगा।

मेरे प्रत्याशी घो,त होने के बाद से अफसरों की नींद उड़ गई-विजयवर्गीय

इंदौर की एक नंबर विधानसभा सीट के बीजेपी उम्मीदवार कैलाश विजयवर्गीय के बयान लगातार चर्चाओं में हैं।विजयवर्गीय ने अपने चुनाव अभियान के तहत एक अन्य कार्यक्रम के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि राज्य भर में अब तक ऐसा कोई अधिकारी पैदा नहीं हुआ है, जो फोन पर उनके द्वारा बताया गया काम न करे। उन्होंने कहा, मैं पिछले 10-12 साल से इंदौर के मामलों में कम ही बोलता था क्योंकि मैं बाहर घूमता रहता था, पर जैसे ही भाजपा उम्मीदवार के रूप में मेरा नाम घोषित हुआ, तो आधे अधिकारियों की नींद उड़ गई है।

कैलाश विजयवर्गीय ने दिए बड़े संकेत, बोले-सिर्फ विधायक तो नहीं रहूंगा…

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मध्य प्रदेश में आने वाले महीनों मे विधानसभा चुनाव होने हैं। हालांकि, अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन चुनावी सरगर्मी जोरों पर है।बीजेपी के दिग्गज नेता और इंदौर 1 से प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय ने इशारों इशारों में बड़ा संकेत दिया है। दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय ने बुधवार को खुद के मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की रेस में शामिल होने के संकेत दिए। विजयवर्गीय ने साफ कहा है कि वह मध्यप्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव केवल विधायक बनने के लिए नहीं लड़ रहे हैं और पार्टी उन्हें कुछ और बड़ी जवाबदारी देगी।

बड़ी जवाबदारी मिलेगी तो बड़ा काम भी करूंगा-विजयवर्गीय

बुधवार को बाणगंगा इलाके के कुम्हार खाड़ी में आयोजित लाड़ली बहना योजना के कार्यक्रम के दौरान विजयवर्गीय ने मंच से कहा, मैं आपको फिर से विश्वास दिलाता हूं। भारतीय जनता पार्टी की सरकार फिर से बन रही है। मैं खाली विधायक बनने नही आया हूं। मुझे और भी कुछ बड़ी जवाबदारी मिलेगी पार्टी की तरफ से, और जब बड़ी जवाबदारी मिलेगी तो बड़ा काम भी करूंगा।

मेरे प्रत्याशी घो,त होने के बाद से अफसरों की नींद उड़ गई-विजयवर्गीय

इंदौर की एक नंबर विधानसभा सीट के बीजेपी उम्मीदवार कैलाश विजयवर्गीय के बयान लगातार चर्चाओं में हैं।विजयवर्गीय ने अपने चुनाव अभियान के तहत एक अन्य कार्यक्रम के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दावा किया कि राज्य भर में अब तक ऐसा कोई अधिकारी पैदा नहीं हुआ है, जो फोन पर उनके द्वारा बताया गया काम न करे। उन्होंने कहा, मैं पिछले 10-12 साल से इंदौर के मामलों में कम ही बोलता था क्योंकि मैं बाहर घूमता रहता था, पर जैसे ही भाजपा उम्मीदवार के रूप में मेरा नाम घोषित हुआ, तो आधे अधिकारियों की नींद उड़ गई है।

आज से विश्व कप का आगाज, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच होगा पहला महामुकाबला

#odiworldcup_2023

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आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2023 का आगाज आज होने जा रहा है।वर्ल्ड कप का पहला ही मैच मौजूदा चैंपियन इंग्लैंड और पिछले बार की उप-विजेता न्यूजीलैंड के बीच खेला जाएगा। ये मुकाबला आज अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में होगा।वर्ल्ड कप 2023 का पहला मैच आज दोपहर 2 बजे से शुरू होगा।इंग्लैंड क्रिकेटर की टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ आज वर्ल्ड कप में अपने अभियान का आगाज करेंगे तो उनका इरादा 2019 फाइनल को दोहराने का होगा।इंग्लैंडजो स बटलर की कप्तानी में वह तीसरा वर्ल्ड कप जीतने की प्रबल दावेदार है। 

पहली बार भारत अकेले कर रहा मेजबानी

बता दें कि इस बार वर्ल्ड कप 5 अक्टूबर से लेकर 19 नवंबर तक भारतीय जमीन पर खेला जाना है।पहली बार ऐसा हो रहा जब भारत पूरे वर्ल्ड कप की अकेले ही मेजबानी करने जा रहा है। इससे पहले उसने 1987, 1996 और 2011 के वर्ल्ड कप की संयुक्त मेजबानी की थी।

कहां-कहां खेले जाएंगे मुकाबले?

भारत के 10 शहरों में टूर्नामेंट के 48 मैच खेले जाएंगे। हैदराबाद में तीन मैच, बाकी नौ शहरों यानी अहमदाबाद, धर्मशाला, दिल्ली, चेन्नई, लखनऊ, पुणे, बेंगलुरु, मुंबई और कोलकाता में पांच-पांच मुकाबले खेले जाएंगे। हैदराबाद, तिरुअनंतपुरम और गुवाहाटी को वॉर्म अप मैचों का वेन्यू चुना गया था।वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच 15 और 16 नवंबर को खेले जाएंगे। पहला सेमीफाइनल 15 नवंबर को मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में होगा, जबकि दूसरा सेमीफाइनल 16 नवंबर को कोलकाता के ईडन गार्डन्स में होगा। हालांकि, इसमें भी एक शर्त है। अगर भारतीय टीम सेमीफाइनल में पहुंचती है तो उसका मैच मुंबई में ही होगा। अगर सेमीफाइनल में भारत और पाकिस्तान की टक्कर होती है तो ये मैच कोलकाता में ही होगा। वहीं फाइनल मैच 19 नवंबर कोअहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेला जाएगा।

कितनी टीमें हिस्सा ले रहीं और कुल कितने मैच होंगे?

पिछले वनडे विश्व कप की तरह इस बार भी 10 टीमें हिस्सा ले रही हैं। मेजबान भारत के अलावा डिफेंडिंग चैंपियन इंग्लैंड, उपविजेता न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, अफगानिस्तान, बांग्लादेश और नीदरलैंड भी टूर्नामेंट खेलती दिखेंगी। श्रीलंका और नीदरलैंड ने क्वालिफिकेशन राउंड पार कर अंतिम-10 में जगह बनाई है। दो बार की विश्व चैंपियन टीम वेस्टइंडीज पहली बार क्वालिफाई नहीं कर सकी। 2019 विश्व कप की तरह सभी 10 टीमें राउंड-रॉबिन फॉर्मेट में एक-दूसरे से भिड़ेंगी। एक टीम राउंड रॉबिन फॉर्मेट में कुल नौ मैच खेलेगी। यानी लीग स्टेज में कुल 45 मुकाबले होंगे। इसके बाद दो सेमीफाइनल मैच और एक फाइनल मुकाबला खेला जाएगा। लीग राउंड के 45 में से 39 मुकाबले डे-नाइट होंगे, जबकि छह मैच दिन के रहेंगे।

रणबीर कपूर को ईडी का समन, महादेव गेमिंग ऐप मामले में होगी पूछताछ

#ed_summons_ranbir_kapoor

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को बॉलीवुड एक्‍टर रणबीर कपूर को समन जारी किया है। उन्‍हें छह अक्‍टूबर को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। यह पूरा मामला 'महादेव बुक ऑनलाइन लॉटरी' से जुड़े मनी लॉन्‍ड्र‍िंग मामले से जुड़ा हुआ है। इस ऑनलाइन बेटिंग ऐप के फेर में बॉलीवुड के 17 सितारे ईडी की रडार पर हैं।

ऑनलाइन एप महादेव से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क के खिलाफ ईडी ने ये कार्रवाई कोलकाता, भोपाल, मुंबई समेत 39 शहरों में की थी। ईडी की जांच में यह बात भी सामने आई थी कि सट्टेबाजी का पैसा शेयर मार्केट में इस्तेमाल किया जाता था। इतना ही नहीं 14 फिल्मी सितारों के नाम भी इस केस से जुड़े मिले हैं। सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल की शादी की पार्टी में इन फिल्मी सितारों ने परफॉर्मेंस दी थी। अभिनेता पर आरोप है कि रणबीर को एक प्रमोटर की शादी में प्रदर्शन करने के लिए ऐप के प्रमोटरों से पैसे मिले थे।

कुछ हफ्ते पहले इस केस में टाइगर श्रॉफ से लेकर सनी लियोनी, नेहा कक्‍कड़ और राहत फतेह अली खान जैसे दिग्‍गजों के नाम सामने आए थे। अब मामले में जांच आगे बढ़ते ही आलिया भट्ट के पति रणबीर कपूर से पूछताछ होनी है।

अवैध सट्टेबाजी के इस मामले में अब ईडी ने बड़ा कदम उठाते हुए सेलेब्स को समन भेजना शुरू कर दिया है। जहां सबसे पहला नाम रणबीर कपूर का सामने आया है। एक्टर को जांच एजेंसी ने इस मामले में पूछताछ के लिए 6 अक्टूबर 2023 यानी शुक्रवार को बुलाया है। जहां उनसे शादी में शामिल होने, परफॉर्म करने, पेमेंट से लेकर अन्य सवाल ईडी दाग सकती है।

जैवलिन थ्रो में भारत का जलवा, नीरज चोपड़ा को स्वर्ण, किशोर जेना ने रजत पर किया कब्जा

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19वें एशियन गेम्स में भारत की झोली में 17वां गोल्ड मेडल आ गया है। ये गोल्ड मेडल दिलाया है वर्ल्ड चैंपियन नीरज चोपड़ा ने। भारतीय स्टार ने पुरुषों के जैवलिन थ्रो फाइनल में 87.88 मीटर थ्रो के साथ गोल्ड अपने नाम किया। इसके साथ ही नीरज ने अपने खिताब का भी सफलतापूर्वक बचाव किया। नीरज ने ही 2018 के गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीता था। भारत के लिए ये फाइनल इसलिए भी अच्छा रहा क्योंकि सिल्वर मेडल भी भारत के ही किशोर जेना ने जीता।

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नीरज ने पहले प्रयास में 82.38 मीटर की दूसरी तक थ्रो किया। दूसरे में 84.49 मीटर की दूरी तक थ्रो किया। उन्होंने चौथे प्रयास में 88.88 मीटर की दूरी तक थ्रो किया। पांचवें में 80.80 मीटर की दूरी तक थ्रो किया। वहीं किशोर जेना का बेस्ट थ्रो चौथे प्रयास में आया। उन्होंने 87.54 मीटर की दूरी तक थ्रो किया। इस तरह नीरज ने गोल्ड और किशोर ने सिल्वर मेडल जीता।

 नीरज ने 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में भी स्वर्ण जीता था। वहीं, किशोर का यह पहला एशियाई खेल है और उन्होंने रजत पर कब्जा जमाया। यह किसी भी प्रतियोगिता में जेना का पहला पदक है।

1951 से एशियाई खेल हो रहे हैं। यह 72 वर्षों में पहली बार है जब भारत के ही दो एथलीट ने स्वर्ण और रजत पर कब्जा जमाया हो। भारत के अब एशियाई खेलों के भाला फेंक स्पर्धा में पांच पदक हो गए हैं। इन दो पदक से पहले 1951 दिल्ली एशियाई खेलों में परसा सिंह ने रजत, 1982 दिल्ली एशियाई खेलों में गुरतेज सिंह ने कांस्य और 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में नीरज ने स्वर्ण जीता था। वहीं, ऐसा भी पहली बार है जब एशियाड के पुरुषों के भाला फेंक में भारत ने दो पदक जीते हैं।

आप सांसद संजय सिंह गिरफ्तार, शराब घोटाला मामले में 10 घंटे की पूछताछ के बाद ईडी की कार्रवाई

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शराब घोटाले में पूछताछ के बाद ईडी ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार सुबह से ही संजय सिंह के आवास पर ईडी की छापेमारी चल रही थी। दोपहर के बाद ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार लिया। करीब 10 घंटे पूछताछ के बाद ईडी ने यह कार्रवाई की है। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया शराब घोटाले मामले में पहले से ही तिहाड़ जेल में बंद हैं। 

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ईडी का क्या है आरोप?

दिल्ली शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने आज तड़के छापेमारी शुरू की थी। ईडी ने इस मामले में पहले उनके स्टाफ सदस्यों और उनसे जुड़े अन्य लोगों से पूछताछ की थी। ईडी ने अपने आरोप पत्र में दिल्ली स्थित व्यवसायी दिनेश अरोड़ा का उल्लेख किया है, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी के रूप में नामित किया गया था। दिनेश अरोड़ा ने सरकारी गवाह बनने की सहमति जताई है। आरोप है कि अरोड़ा ने संजय सिंह की मौजूदगी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनके आवास पर बैठक की। अरोड़ा ने कहा कि एक कार्यक्रम के दौरान उनकी संजय सिंह से मुलाकात हुई थी। संजय सिंह से मुलाकात के बाद वह दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के भी संपर्क में आए। यह कार्यक्रम दिल्ली चुनाव से पहले धन जुटाने के लिए आयोजित किया गया था।

सीएम केजरीवाल ने भाजपा पर कसा तंज

शराब नीति मामले में ईडी की कार्रवाई पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके घर पर कुछ भी नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि साल 2024 के चुनाव आ रहे हैं। वे जानते हैं कि वे हार जाएंगे। ये उनके हताश प्रयास हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे। ईडी, सीबीआई जैसी सभी एजेंसियां एक्टिंग हो जाएंगी। 

आप के कई नेता जांच एजेंसियों के रडार पर

इससे पहले भी आम आदमी पार्टी के कई नेता जांच एजेंसियों के रडार पर आए हैं। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले साल मई में आप सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन को अरेस्ट किया था। हालांकि अब कोर्ट से उन्हें बीमारी के चलते अंतरिम जमानत मिल गई। इसी साल फरवरी में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति में घोटाले के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। शराब घोटाले में ही बाद में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी ने अरेस्ट किया था। फिलहाल मनीष सिसोदिया जेल में बंद हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल साल नवंबर 2021 में दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति 2021-2022 लागू की की थी। इस नीति के आने के बाद राज्य के कारोबारियों ने ग्राहकों को डिस्काउंटेड रेट पर शराब बेचना शुरू किया था।बाद में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई आबकारी नीति पर सरकार से रिपोर्ट मांगी। जब एलजी को मुख्य सचिव ने रिपोर्ट सौंपी गई तो उसमें नियमों के उल्लंघन और टेंडर प्रक्रिया में खामियों का जिक्र किया गया। दिल्ली सरकार पर निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाकर रिश्वत लेने के भी आरोप लगे।

इसके बाद उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई शराब नीति में अनियमितओं को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की।जांच के बाद सीबीआई ने नई आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के मामले में केस दर्ज किया और सिसोदिया को मुख्य आरोपी बनाया। बाद में सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में बाद में ईडी ने भी सिसोदिया को अरेस्ट कर लिया। जांच के बीच ही दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस ले लिया।

केमेस्ट्री के नोबेल पुरस्कार का ऐलान, जानें किन्हें और क्यों चुना गया

#nobel_prize_in_chemistry 

केमिस्ट्री (रसायन विज्ञान) में इस साल (2023) के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने रसायन विज्ञान में 2023 का नोबेल पुरस्कार मौंगी जी. बावेंडी, लुईस ई. ब्रूस और एलेक्सी आई. एकिमोव को देने का फैसला किया है। इन लोगों को यह पुरस्कार क्वांटम डॉट्स की खोज और संश्लेषण के लिए के लिए दिया गया है।

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रसायन विज्ञान में 2023 का नोबेल पुरस्कार विजेता सभी नैनोवर्ल्ड की खोज में अग्रणी रहे हैं। नैनोटेक्नोलॉजी के ये सबसे छोटे घटक अब टेलीविजन और एलईडी लैंप से अपनी रोशनी फैलाते हैं, और कई अन्य चीजों के अलावा ट्यूमर सेल्स को हटाते समय सर्जनों का मार्गदर्शन भी कर सकते हैं।रसायन विज्ञान 2023 में नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने इतने छोटे कण बनाने में सफलता हासिल की है कि उनके गुण क्वांटम घटना से निर्धारित होते हैं। कण, जिन्हें क्वांटम डॉट्स कहा जाता है, अब नैनोटेक्नोलॉजी में बहुत महत्व रखते हैं।

पिछले साल इन्हें मिला था रसायन का नोबेल

2022 में रसायन के नोबेल स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका के कैरोलिन बेरटोजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन (डेनमार्क) के मॉर्टेन मिएलडॉल और अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च सेंटर के के. बैरी शार्पलेस को दिया गया था। पुरस्कार क्लिक केमिस्ट्री और बायोऑर्थोगोनल केमिस्ट्री के विकास के लिए दिया गया था।

नोबेल पुरस्कार विजेताओं को क्या मिलता है?

नोबेल पुरस्कार जीतने वाले विजेताओं को एक डिप्लोमा, एक मेडल और 10 मिलियन स्वीडिश क्रोना ( आज के करीब 75764727 रुपये) की नकद राशि प्रदान की जाती है। एक श्रेणी में विजेता अगर एक से ज्यादा हों तो पुरस्कार की राशि उनमें बंट जाती है। ये पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि यानी 10 दिसंबर को विजेताओं को सौंपे जाते हैं।

चुनाव से पहले देश की करीब 10 करोड़ महिलाओं को मोदी सरकार का तोहफा, उज्ज्वला योजना वाले सिलेंडर पर बढ़ी सब्सिडी

#pm_ujjwala_yojana_central_government_increased_subsidy 

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इस साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने देश के करीब 10 करोड़ महिलाओं को बड़ा तोहफा दिया है। केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी को डेढ़ गुणा बढा़ दी है। अब उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 200 रुपये प्रति सिलेंडर के बदले 300 रुप की सब्सिडी मिलेगी।केंद्र सरकार के कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों के लिए सब्सिडी राशि बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मीटिंग के बाद प्रेस कॉनफ्रेंस कर कहा, पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई। हमने रक्षा बंधन और ओणम के अवसर पर रसोई गैस के सिलेंडर में 200 रुपये की कटौती करके की थी। ये कीमत घटकर 1100 से कम होकर 900 रुपये हो गई। उज्जवला योजना के लाभार्थी के 700 रुपये में गैस मिलने लगा था। उज्जवला योजना के लाभार्थी की बहनों की अब 300 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। यानि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को अब गैस सिलेंडर 600 रुपये में मिलेंगे।

बता दें कि अब तक सरकार उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को गैस सिलेंडर पर 200 रुपये की सब्सिडी दे रही थी। अब इसे 100 रुपये और बढ़ा दिया गया है। इसके साथ नई सब्सिडी कुल 300 रुपये की हो गई है।इस तरह से अब सिलेंडर की कीमत 603 रुपये हो गई है। 

बता दें कि उज्ज्वला योजना की शुरुआत मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। येाजना के लाभार्थियों को पहली बार में गैस सिलेंडर और गैस चूल्हा फ्री में दिया जाता है।

राजस्थान में वसुंधरा को “साइडलाइन” करना बीजेपी के लिए कितना जोखिम भरा?

#vasundhara_raje_exclusion_is_bjp 

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भारतीय जनता पार्टी को 2003 में ऐतिहासिक जीत दिलाने के बाद से वसुंधरा राजे ने राजस्थान की राजनीति में हमेशा केंद्रीय भूमिका निभाई है। लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव से चार महीने पहले बीजेपी के दो महत्वपूर्ण चुनाव पैनलों से राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री की एकदम से गैरहाजिरी ने चौतरफा चर्चाओं को जन्म दे दिया है।चर्चाएं तो पहले से तेज़ थीं लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार दो जनसभाओं में मानो उन पर मुहर लगा दी। वह जिस खुली जीप पर सवार होकर आए, उनके साथ सिर्फ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद सीपी जोशी थे, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश की प्रभावशाली नेता वसुंधरा राजे नहीं थीं।मंच पर प्रदेश भाजपा की कई महिला नेताएं भी मौजूद थी, लेकिन राजे नहीं।

राजस्थान में विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अभी तक जो संकेत दिए हैं उससे यही लगता है कि राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे किनारे लगाई जा चुकी हैं।इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारे कयासों को दरकिनार करते हुए सोमवार को चित्तौड़गढ़ के सांवरियासेठ में हुई सभा में साफ़ कहा, इस विधानसभा चुनाव में सिर्फ़ एक ही चेहरा है और वह कमल, हमारा उम्मीदवार सिर्फ़ कमल है, इसलिए एकजुटता के साथ कमल को जिताने के लिए भाजपा कार्यकर्ता काम करें।

तकरीबन दो दशकों तक प्रदेश बीजेपी को एक अकेली महिला के पावर हाउस की तरह चलाया, लेकिन 2018 की चुनावी हार के बाद उनके सितारे गर्दिश में आए तो बीजेपी आलाकमान ने भी उन्हें दरकिनार कर दिया। न तो उनको अब संगठन में तवज्जो मिल रही है, न ही पीएम मोदी की रैली में मंच पर। प्रदेश के इस मौजूदा राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अब कई प्रश्न उठ खड़े हुए हैं, भाजपा ने राज्य में किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों नहीं बनाया है? इसके पीछे क्या वजह है? वसुंधरा राजे की उपेक्षा क्यों हो रही है? क्या ये स्थिति भाजपा के पक्ष में जाएगी? क्या इस स्थिति का भाजपा को नुक़सान हो सकता है?

वसुंधरा को ही राजस्थान बीजेपी में सबसे लोकप्रिय नेता माना जाता है। पार्टी के लिए उनको साइडलाइन करना इतना आसान नहीं है। वंसुधरा राजे को किनारे करना बीजेपी के लिए कितना जोखिम भरा हो सकता है, ये इन पांच कारणों से आसानी से समझा जा सकता हैः-

गहरा सकता है हार जीत का मामूली अंतर

राजस्थान में जीत और हार का अंतर कम रहता है। कांग्रेस भी लगातार पहले अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पिस रही थी। लेकिन अब ये खबरें नहीं सुनने को मिल रही हैं। बीजेपी ने कोई सीएम फेस नहीं किया है। कांग्रेस अपनी नीतियों के सहारे पार पाने की कोशिश कर रही है। लेकिन पिछले चुनाव पर नजर डालें, तो 30 ऐसी सीटें थी, जो सिर्फ 5 फीसदी के कम अंतर से बीजेपी हार गई थी। वहीं, 2003 और 08 में लगभग 42 फीसदी सीटें ऐसी थीं, जिन पर हार जीत का अंतर मामूली रहा था। अगर बीजेपी वसुंधरा को साइडलाइन करती है, तो यहां पार्टी को उनकी कमी खल सकती है। वोट छिटक सकता है।

महिला प्रवासी वोटों पर हो सकती है असर

पिछली बार कांग्रेस जीती जरूर, लेकिन जीत का अंतर बीजेपी की तुलना में 0.5 फीसदी वोट ज्यादा था। इस बार बीजेपी का फोकस महिला प्रवासी वोटों पर है। यानी इनकी आबादी 5 फीसदी है। बीजेपी की सोच है कि जो नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई इससे हो जाएगी। इन महिलाओं में वसुंधरा की अच्छी पकड़ मानी जाती है। अगर वसुंधरा राजे को तवज्जो नहीं मिलती, तो कहीं न कहीं नुकसान बीजेपी को हो सकता है।

वसुंधरा की अनदेखी से छिटक सकती है महिला वोटर

बीजेपी को महिलाओं का वोट खूब मिलता है। इसका कारण मानी जाती हैं वसुंधरा राजे, जिन्होंने महिलाओं के लिए सीएम रहते काम किए थे। उनका रक्षा सूत्र कार्यक्रम काफी लोकप्रिय हुआ था। फिलहाल बीजेपी की कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में जो हार हुई है, उसका कारण महिला वोटरों का छिटकना माना जा रहा है। राजस्थान में महिलाओं के वोट पुरुषों के मुकाबले बीजेपी के खाते में जाते रहे हैं। 2013 और 18 के आंकड़े कुछ ऐसा ही दिखाते हैं। कांग्रेस पर बीजेपी महिला विरोधी होने के आरोप लगाती रही हैं। अगर वसुंधरा की अनदेखी होती है, तो माइलेज कांग्रेस को मिल सकती है।

एक साथ तीनों जातियों को साधतीं हैं वसुंधरा

वसुंधरा खुद को राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गुर्जरों की समधन कह तीनों जातियों को साधती रही हैं। उनके बेटे ने गुर्जर जाति में विवाह किया है। जिनकी समधन होने की बात कहती हैं। गुर्जरों के वोट अधिकतर बीजेपी और प्रतिस्पर्धा में मीणा के वोट कांग्रेस को जाते रहे हैं। वसुंधरा गुर्जरों से रोटी-बेटी का रिश्ता बता पार्टी के लिए वोट जुटाती रही हैं। अगर वसुंधरा नाराज होती हैं, तो ये वोट कांग्रेस को जा सकते हैं। वहीं, कांग्रेस में गुर्जर नेता सचिन पायलट भी लगातार कांग्रेस के लिए जोर लगा रहे हैं। ऐसे में उनको फायदा मिल सकता है। वहीं, मीणा की अगर बात करें, तो ये लगभग 50 सीटों पर निर्णायक हैं। वसुंधरा खुद जाट जाति में विवाहित हैं। जाट जागीरदारी प्रथा खत्म करने और भू अधिकार मिलने के बाद से कांग्रेस के वोटर माने जाते हैं। जाट लगभग 15 फीसदी विधायक तय करते हैं। 60 सीटों पर निर्णायक की भूमिका में हैं। लेकिन वाजपेयी सरकार में इनको ओबीसी में शामिल किया गया था। 1998 में कांग्रेस ने भी जाट नेता को सीएम नहीं चुना। माना जा रहा है कि इसके बाद से ये लोग वसुंधरा के पीछे वोट देने लगे हैं। वसुंधरा की नाराजगी का कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।

वसुंधरा का 20 से 25 सीटों पर सीधा असर

वसुंधरा राजे का संगठन पर तगड़ा प्रभाव है। हर सीट पर उनके वोटर हैं। वे बीजेपी की लाइन से हटकर भी प्रदेश का दौरा समय-समय पर करती रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि वसुंधरा लगभग 20 से 25 सीटों पर सीधे तौर पर पार्टी को फायदा या नुकसान पहुंचा सकती हैं। उनके इशारे पर पार्टी के खिलाफ समर्थक चुनाव लड़ सकते हैं। जिससे बीजेपी का वोट बंट सकता है और फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। ऐसे में वसुंधरा को पार्टी पूरी तरह से अलग-थलग करना भाजपा के लिए घातक साबित हो सकता है।