महाराष्ट्रः नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में नहीं रूक रहा मौत का सिलसिला, 36 घंटे में 31 मरीजों ने तोड़ा दम

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महाराष्ट्र में नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में मरीजों की मौत ने हड़कंप मचा दिया है। अस्पताल में पिछले 48 घंटों में मृतकों की संख्या 24 से बढ़कर 31 पहुंच गई है। पिछले 24 घंटों में जिन 7 मरीजों की मौत हुई है उसमें 4 नवजात शिशु भी शामिल हैं।यह मामला नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण शासकीय वैद्यकीय अस्पताल का है।

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कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने मंगलवार को सोशल मीडिया एक्स (ट्विटर) पर दावा करते हुए लिखा, ‘मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। क्योंकि कल से अस्पताल में सात और मरीजों की मौत हो गई है। कल से सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दुर्भाग्यवश 7 और मरीजों की मौत हो गई। मृतकों में 4 बच्चे भी शामिल हैं। राज्य सरकार को जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।’

वहीं, मौतों के बाद मरीजों के परिजनों का गुस्सा अस्पताल प्रशासन पर फूट पड़ा। परिजनों ने जमकर नारेबाजी की और आरोप लगाया कि दवाइयों और डॉक्टरों की किल्लत से मरीजों का इलाज समय पर नहीं हुआ।

वहीं, इस मामले में मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने कहा है कि इस क्षेत्र का यह सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। 70 से 80 किलोमीटर दूर से लोग यहां इलाज के लिए आते हैं। कई बार दूसरे अस्पतालों से रेफर होकर भी मरीज यहां आते है। जो लोग भर्ती हुए थे उनमें 12 बच्चे शामिल हैं, इनमें 6 लड़के और 6 लड़कियां हैं। वहींअन्य वयस्क लोगों की अलग-अलग वजहों से मौतें हुई हैं।मेडिकल सुपरिटेंडेंट ने कहा कि अस्पताल आए हर मरीजों की उचित देखभाल की जाती है। अस्पताल की जितनी क्षमता है, उस हिसाब से यहां काफी संख्या में मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं। ऐसा कहना कि मरीजों के इलाज में कोई लापरवाही हुई है, वह उचित नहीं है।

अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि जिन 31 लोगों की मौत हुई है, उनमें कुछ पहले से गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। जिन 12 वयस्क मरीजों की मौत हुई है, उनमें चार को हार्ट से जुड़ी बीमारियां थीं। एक शख्स ने जहर खाया था। वहीं दो गैस्ट्रो और दो गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। एक महिला मरीज प्रेग्नेंसी संबंधी जटिलओां से जूझ रही थी। वहीं, तीन अन्य लोग अलग-अलग दुर्घटनाओं में जख्मी हुए थे।

कनाडा के खिलाफ भारत की बड़ा एक्शन, ट्रूडो सरकार से 40 राजनयिकों को वापस बुलाने को कहा

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खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या पर कनाडा के बेबुनियाद आरोपों के बाद भारत सरकार सख्त बनी हुई है।इसी बीच के खिलाफ अब भारत ने बड़ा पलटवार किया है। भारत ने कनाडा से कहा है कि वह अपने 40 राजनयिकों को 10 अक्‍टूबर तक वापस बुला ले।भारत ने यह भी कहा है कि अगर कनाडा ऐसा नहीं करता है तो इन राजनयिकों को भारत में राजनयिक छूट भी नहीं मिलेगी।

 ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने अभी तक इस ताजा घटना के बारे में एक बयान जारी नहीं किया है। अखबार के मुताबिक कनाडा के भारत में 62 राजनयिक हैं और भारत ने कहा था कि इसमें से कुल 41 लोगों को कम किया जाना चाहिए।बता दें कि भारत सरकार ने कनाडा पर इस एक्शन को लेकर पहले ही संकेत दिए थे। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत में कनाडा के ज्यादा राजनयिक तैनात हैं और उनकी संख्या कम किए जाने की जरूरत है।

कनाडा के खिलाफ भारत का तीसरा एक्शन

कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दावे के बाद कनाडा के खिलाफ भारत सरकार का यह तीसरा एक्शन है। भारत सरकार ने सबसे पहले कनाडा के एक खुफिया अधिकारी को देश छोड़ने का आदेश दिया था। इसके बाद भारत सरकार ने कनाडा के नागरिकों की भारत में एंट्री पर रोक लगाते हुए वीजा सेवाओं को बंद कर दिया था। इसके साथ ही भारत सरकार ने कनाडा में रहने वाले और वहां यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए एक एडवाइजरी भी जारी की थी।

क्या कहा था ट्रूडो ने

बता दें कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल ही में आरोप लगाए थे कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ हो सकता है। इसके बाद से नई दिल्ली और ओटावा के बीच राजनयिक संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए। भारत में नामित आतंकवादी निज्जर की 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर पार्किंग की जगह पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बहरहाल भारत ने कनाडा के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे बेतुका और प्रेरित बताया है। भारत सरकार ने कहा है कि कनाडा ने निज्जर की हत्या के दावे के समर्थन में अभी तक कोई सार्वजनिक सबूत उपलब्ध नहीं कराया है।

पीएम मोदी का आज छत्तीसगढ़ और तेलंगाना दौरा, दोनों राज्यों पर होगी करोड़ों के सौगात की बौछार

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इस साल के आखिरी में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक ही है। बीजेपी की ओर से खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कमान संभाल रखीहै। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आजछत्तीसगढ़ और तेलंगाना का दौरा करेंगे और इस दौरान वह करोड़ों रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ)से मिली जानकारी के मुताबिक ‘‘प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ में 26,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनेक विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे।इसके अलावा तेलंगाना के निजामाबाद में 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।

पीएमओ के मुताबिक पीएम मोदी लगभग 11 बजे जगदलपुर पहुंचेंगे और छत्तीसगढ़ में 26,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनेक विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे। इसमें बस्तर जिले के नगरनार स्थित एनएमडीसी स्टील लिमिटेड के इस्पात संयंत्र का लोकार्पण भी शामिल है। यह संयंत्र 23,800 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनकर तैयार हुआ है। यह ग्रीनफील्ड परियोजना का संयंत्र है, जहां उच्च गुणवत्ता वाला इस्पात निर्मित होगा।

पीएमओ के मुताबिक नगरनार स्थित एनएमडीसी स्टील लिमिटेड का इस्पात प्लांट हजारों लोगों को रोजगार के अवसर देगा तथा इलाके के सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी लाकर यह प्लांट बस्तर को दुनिया के इस्पात मानचित्र में दर्ज करेगा। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री कुछ रेल परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी करेंगे। प्रधानमंत्री अंतागढ़ व तारोकी के बीच नई रेल लाइन और जगदलपुर और दंतेवाड़ा के बीच डबल रेल लाइन परियोजना का लोकार्पण करेंगे। वे बोरीडांड - सूरजपुर रेल लाइन को दो-तरफा बनाने की परियोजना तथा अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत जगदलपुर स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखेंगे और तारोकी-रायपुर डेमू रेल सेवा को भी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।

बिलासपुर के कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री तेलंगाना के निजामाबाद पहुंचेंगे, जहां वे बिजली, रेल व स्वास्थ्य जैसे महत्त्वपूर्ण सेक्टरों की लगभग 8000 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। प्रधानमंत्री एनटीपीसी की तेलंगाना सुपर थर्मल पॉवर परियोजना के पहले 800 मेगावॉट संयंत्र के चरण-एक का लोकार्पण करेंगे। पीएमओ ने कहा, इसके जरिये तेलंगाना को सस्ती बिजली मिलेगी और राज्य के आर्थिक विकास में तेजी आयेगी। यह देश में पर्यावरण हित के सभी मानदंडों को पूरा करने वाले बिजली स्टेशनों में शामिल हो जायेगा।

चीनी सेना की हर हरकत पर होगी भारत की पैनी नजर, लद्दाख से अरुणाचल तक एलएसी पर बनेंगी नई चौकियां

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भारत-चीन सीमा पूरी तरह से निर्धारित नहीं है। ऐसे में अक्सर सीमा पर चीन की बढ़ती गतिविधियों और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के अतिक्रमण की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में भारत सरकार लगातार अपनी सीमाओं को मजबूत करने में जुटी हुई है। एक तरफ सीमाओं पर वायुसेना और थल सेना को मजबूत करने के लिए 150 से ज्यादा और हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर 'प्रचंड' खरीदने की तैयारी चल रही है। इसी कड़ी में अब मोदी सरकार लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) की चौकियों पर निगरानी और जानकारी जुटाने के लिए खुफिया अधिकारियों की एक अडिशनल टीम तैनात करने की तैयारी में है।

एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि केंद्र सरकार ने चौकियों की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसे बॉर्डर इंटेलिजेंस पोस्ट (बीआईपी) के नाम से जाना जाएगा। सीमा पर बढ़ती चीनी गतिविधियों और चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सीमा उल्लंघन को देखते हुए यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि प्रत्येक बीआईपी की सुरक्षा खुफिया ब्यूरो के चार-पांच अधिकारी करेंगे और उनकी सुरक्षा आईटीबीपी के जवान करेंगे। बीआईपी में तैनात किए जाने वाले कर्मी सीमा पार की गतिविधियों पर नजर रखेंगे और उच्च अधिकारियों और सरकार के साथ अपडेट साझा करेंगे। 

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत मागो से होगी। यह अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले के चुना सेक्टर में चीन की सीमा के करीब पहला गांव है। इस गांव में 2020 में ही एक ऑल-टेरेन मोटर रोड बनाई गई थी। यानी यह सड़क हर मौसम में खुली रहती है।

भारत-चीन सीमा पर फिलहाल 180 चौकियां हैं

भारत और चीन करीब 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा शेयर करते हैं। इसे एलएसी कहते हैं। ये सीमा 3 सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी लद्दाख जो 1,597 किलोमीटर लंबी है। मध्य सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जो 545 किलोमीटर लंबी है। पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जो 1,346 किलोमीटर लंबी है। भारत-चीन सीमा पर आईटीबीपी की लगभग 180 सीमा चौकियां हैं। 45 और नई चौकियां बनाए जाने की मंजूरी कुछ समय पहले ही दी गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी में 7 नई बटालियन और बॉर्डर बेस बनाने की मंजूरी दी थी, जिससे आईटीबीपी फोर्स में 9400 कर्मियों की बढ़ोतरी हुई है। इन 7 में से 4 तैनाती के लिए तैयार हैं। बाकी 3 बटालियन को 2025 तक तैयार कर लिया जाएगा।

दोनों देशों के बीच लगातार विवाद जारी

भारत-चीन सीमा पूरी तरह से निर्धारित नहीं है, इसलिए दोनों पक्षों की वास्तविक नियंत्रण रेखा के बारे में अलग-अलग धारणाएं हैं। चीनी सैनिक अक्सर विवादित क्षेत्रों में घुसपैठ करते रहते हैं। भारतीय सेना और पीएलए के बीच जून 2020 से लद्दाख में गतिरोध जारी है। जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में पीएलए के साथ झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। पिछले साल नौ दिसंबर को पीएलए सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के यांगस्टे में सीमा का उल्लंघन किया था, जिसके कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई और दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए।

दिल्ली से गिरफ्तार शाहनवाज समेत तीनों आतंकियों की कुंडली, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कहा- पैन इंडिया मॉड्यूल का हुआ भंडाफोड़

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने आज आतंकियों के एक मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है। स्पेशल सेल ने शहनवाज नाम के तीन लाख के इनामी समेत तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया है।इन तीनों का आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के साथ कथित संबंध हैं।ये तीनों का देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए ब्लास्ट के मामले में शामिल रहे हैं।दिल्ली पुलिस का कहना है कि इन तीनों की गिफ्तारी से आईएसआईएस के पैन इंडिया मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है।

तीन आतंकियों की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सीपी एचजीएस धालीवाल ने कहा, स्पेशल सेल लंबे समय से इंडियन मुजाहिदीन और ईएसआईएस सरगना पर नजर रख रही है। इसके परिणाम स्वरूप ऐसे कई मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है। वहीं एजेंसी को यह भी पता चला कि गिरोह ने कोल्हापुर, सांगली और सतारा में स्थानों का दौरा किया था।

इन तीनों आरोपियों में से एक था मोहम्मद शहनवाज, जिसे सोमवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसके दो साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया। शहनवाज के दोनों साथियों के नाम मोहम्मद रिजवान अशरफ और मोहम्मद अरशद वारसी है। मोहम्मद रिजवान अशरफ पेशे से मौलाना है। पुलिस के मुताबिक मोहम्मद रिजवान अशरफ को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। मोहम्मद अरशद वारसी को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया गया है। आज सुबह इन तीनों को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उनकी 7 दिन की पुलिस रिमांड ले ली गई है। पुलिस के मुताबिक, जब इन लोगों के ठिकाने पर रेड हुई तो शहनवाज के ठिकाने से काफी तादाद में बम बनाने का सामान बरामद हुआ, जिसमें अलग–अलग तरह के कैमिकल , आयरन पाइप, टाइमिंग डिवाइस और पिस्टल शामिल है।

तीनों आतंकी अच्छे पढ़े लिखे 

शाहनवाज पेशे से इंजीनियर है। वह पुणे के आईएसआईएस से जुड़े एक केस में शामिल हैं। पुणे पुलिस की कस्टडी से फरार होने के बाद से दिल्ली में छिपकर रह रहा था। पुलिस ने बताया कि शाहनवाज झारखंड के हजारीबाग का रहने वाला है। उसने माइनिंग इंजीनियरिंग की है। उसे ब्लास्ट करने की जानकारी है। उसकी पत्नी जन्म से हिंदू है लेकिन शादी से पहले उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया था। वह अभी फरार है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मोहम्मद अरशद वारसी को यूपी के मुरादाबाद से गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि मोहम्मद अरशद वारसी भी झारखंड का ही रहने वाला है। उसने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की है। अरशद फिलहाल जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा है। अरशद लगातार आईएसआईएस के हैंडलर के संपर्क में था। वह उनके साथ रेगुलर रिपोर्ट शेयर कर रहा था।

मोहम्मद रिजवान अशरफ ने कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है। रिजवान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ का रहने वाला है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे लखनऊ से गिरफ्तार किया। रिजवान ने मौलवी के रूप में भी ट्रेनिंग ली है।

बम बनाने में हैं माहिर

पुलिस के मुताबिक इनके पास से बम बनाने के लिटरेचर भी बरामद हुए हैं जो पाकिस्तान में बैठे इनके आकाओं ने इन्हें भेजे हुए थे।इन लोगों को कैसे बम बनाते हैं उसके तरीकों के बारे में बखूबी पता था। इनके पास से लिटरेचर भी बरामद किया गया है, जिसमें बम बनाने से लेकर कैसे उसे एसेम्बल करना है, कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों की मौत हो उस बारे में पूरी जानकारी है। किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए इन लोगों ने जंगलों के अंदर कई तरह के बम एक्सपेरिमेंट भी किए थेय़। हर एक्सपेरिमेंट के बाद ये लोग आगे अपने आकाओं को जानकारी देते थे और फिर इनको बताया जाता था कि बम की पोटेंसी बढ़ने के लिए इनको आगे क्या करना होगा। ये लोग इंटरनेट के माध्यम से अलग-अलग तरीके से पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में थे।

इंडिया कार्पेट एक्सपो 8 से: यूपी के भदोही में लगातार दूसरे साल आयोजन, इस बार आएंगे 60 देशों से खरीदार

रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव 

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अपने अनोखे कालीन से दुनिया भर मे मशहूर भदोही में 8 अक्तूबर से इंडिया कार्पेट एक्सपो का आगाज होगा। जिले में ऐसा आयोजन लगातार दूसरे साल हो रहा है। भदोही स्थित एक्स्पो मार्ट में आयोजित चार दिवसीय कार्पेट एक्सपो में 60 से अधिक देशों के लगभग 500 आयातक व आयातक प्रतिनिधियों को शामिल होना है। इसके अलावा लगभग 250 कालीन निर्यातक अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे। इंडिया कार्पेट एक्स्पो का उद्घाटन किसके हाथों से होगा। यह अभी भले ही तय न हो, लेकिन एक्स्पो में दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खास मेहमान के रूप में शामिल हो सकते हैं। सीएम के आने की सूचना से ही सीईपीसी सहित सभी कालीन निर्यातक उत्साहित हैं। जिले के कालीन निर्यातकों का मानना है कि दो चार आयातकों को उनके सेंपल पसंद आ गए तो व्यवसाय को गति मिलने में देर नहीं लगेगी। आयातकों को प्रभावित करने के लिए कुछ अलग हटकर सैंपलिंग कराई गई है। उम्मीद है कि विदेशी मेहमानों को पसंद आएगी।कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के प्रशासनिक समिति के सदस्य फिरोज वजीरी ने बताया कि कार्पेट एक्स्पो के लिए पहले ही आमंत्रण पत्र भेजा जा चुका है। भदोही डीएम गौरांग राठी ने बताया कि एक्स्पो में सीएम के शामिल होने की सूचना मिल रही है, लेकिन अभी आधिकारिक रूप से इसकी जानकारी नहीं है।

अधिक खर्च के कारण दिल्ली और दूसरे बड़े शहरों में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कालीन मेलों में भागीदारी से वंचित निर्यातकों ने भदोही में 8 अक्तूबर से होने वाले कालीन मेले में स्टॉल बुक कराया है।

आयोजक कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने गत वर्ष अक्तूबर में हुए पहले कार्पेट एक्सपो में 400-500 करोड़ व्यवसाय होने का दावा किया था, लेकिन भदोही के बाजार पर कोई सकारात्मक प्रभाव देखने को नहीं मिला था। एक वर्ष बीतते-बीतते आज स्थिति यह है कि बड़ी संख्या में लोगों के पास काम नहीं है। कुछ बड़े और चुनिंदा 10 प्रतिशत निर्यातकों के पास ही काम है जो चिंता का सबब बना हुआ है।

भदोही स्थित कार्पेट सिटी में 200 करोड़ की लागत से 7.5 एकड़ भूमि पर मार्ट का निर्माण कराया गया है। यह कालीन क्षेत्र के लिए भारत की अत्याधुनिक परियोजनाओं में से एक है। कार्पेट एक्सपो मार्ट सौर ऊर्जा के साथ-साथ ग्रीन मार्ट भी है, जिसमें 7 हजार वर्ग मीटर के दो हॉल के अलावा 94 स्थायी दुकानें हैं। यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर की अन्य सभी सुविधाएं हैं।

इसे कहते हैं पक्की दोस्ती! अंतरिक्ष में भी पाकिस्तान का साथ निभाएगा चीन, जानें क्‍या है ड्रैगन का प्‍लान

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चीन और पाकिस्तान दोस्ती की नई इबारत लिखने वाले हैं।धरती पर एक-दूसरे के सदाबहार दोस्त अब अंतरिक्ष में भी अपनी दोस्ती को निभाएंगे।भारत के चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब चीन भी मिशन मून पर निकलने वाला है।चीन का चंद्रमा पर नया 'चांग'ई 6 मिशन' 2024 की पहली छमाही में लॉन्च किया जाएगा। इस दौरान चीन अपने प्यारे दोस्त पाकिस्तान का एक सैटेलाइट भी चंद्रमा पर ले जाएगा।

इन देशों के पेलोड और सैटेलाइट ले जाएगा

चीन की स्पेस एजेंसी ने कहा है कि देश का अगले साल प्रस्तावित मून मिशन पाकिस्तान का भी एक पेलोड लेकर जाएगा। सीएनएसए ने कहा कि मिशन अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए चार देशों के पेलोड और उपग्रह ले जाएगा।चांग’ई 6 मिशन फ्रांसीसी उपकरणों को ले जाएगा जो रेडियोधर्मी गैस का परीक्षण करेंगे। इसी तरह ईएसए के नेगेटिव आयन डिटेक्टर और इटली के वैले ब्रेट रडार सिस्टम को भी इस मिशन द्वारा चंद्रमा पर ले जाया जाएगा। द न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि क्यूबसैट नाम का पाकिस्तान का उपग्रह भी चंद्रमा की कक्षा में भेजा जाएगा। चीन अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन परियोजना में तेजी ला रहा है और इसके अधिक अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां होने की उम्मीद है।

क्या है चीन का चांग'ई-6 मिशन ?

सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने चीन नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) के हवाले से बताया कि चांग'ई-6 चंद्र मिशन मौजूदा समय में योजना के मुताबिक अनुसंधान और विकास कार्य से गुजर रहा है। चांग'ई-6 मिशन को 2024 में चंद्रमा के सुदूर हिस्से से नमूने वापस लाने का काम सौंपा गया है। दूर का हिस्सा आमतौर पर पुराना है और इसमें ऐटकेन बेसिन शामिल है, जो तीन प्रमुख चंद्र भू-आकृतियों में से एक है। चांग'ई-6 मिशन का उद्देश्य भिन्न क्षेत्रों से चंद्र नमूनों का पता लगाने और एकत्र करने के लिए दक्षिणी ध्रुव-एटकेन बेसिन पर उतरना है। द ग्लोबल टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, आज तक, इंसानों द्वारा किए गए सभी 10 चंद्र नमूना मिशन चंद्रमा के नजदीकी हिस्से पर हुए हैं।

सीएनएसए ने कहा, चांग'ई 7 रोबोटिक मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भेजा जाएगा। यह क्षेत्र के वातावरण और मौसम की जांच करते हुए वहां बर्फ के संकेतों की तलाश करेगा। चांग'ई-6 मिशन चंद्रमा के अंधेरे हिस्से की यात्रा करेगा और सतह से नमूने एकत्र करेगा और पृथ्वी पर वापस आएगा। चीनी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, यह पहली बार होगा जब चंद्रमा के अंधेरे हिस्से से नमूने पृथ्वी पर वापस लाए जाएंगे। इससे पहले, ऐसे मिशनों ने चंद्रमा की निकट सतह से नमूने एकत्र किए थे।

Google मैप का रास्ता के लिए सहारा लिया, गलत मोड़ पर मूड गए और कार सहित पेरियार नदी में डूब गए केरल के दो डॉक्टर !

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 केरल में दो युवा डॉक्टरों की GPS नेविगेशन प्रणाली द्वारा सीधे पेरियार नदी में ले जाने के कारण मृत्यु हो गई। यह घटना कोच्चि के गोथुरुथ इलाके में हुई, जहां रविवार सुबह करीब 12.30 बजे पांच लोगों के साथ होंडा सिविक नदी में गिर गई। मृतक की पहचान डॉ. अद्वैत (29) और उनके सहयोगी डॉ. अजमल (29) के रूप में की गई है, दोनों जिले के एक निजी अस्पताल में कार्यरत थे। उनके साथ यात्रा कर रहे तीन अन्य लोग घायल हो गए और उनका पास के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है।

चूंकि अंधेरा था और बारिश हो रही थी, और सड़क उनके लिए अपरिचित थी, डॉ. अद्वैत, जो गाड़ी चला रहे थे, ने नेविगेशन में मदद पाने के लिए जीपीएस का सहारा लिया। ड्राइवर स्पष्ट रूप से Google मानचित्र द्वारा बताए गए मोड़ से चूक गया और सीधे पानी से भरे क्षेत्र में चला गया। सिवाय इसके कि वहां कोई सड़क नहीं थी और कार नदी के पानी में डूबने लगी। केरल पुलिस ने बताया कि, 'उस समय भारी बारिश के कारण दृश्यता बहुत कम थी। वे Google मानचित्र द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण कर रहे थे। लेकिन ऐसा लगता है कि नक्शे के अनुसार बाईं ओर मुड़ने के बजाय, वे गलती से आगे बढ़ गए और नदी में गिर गए।''

स्थानीय लोग बचाव के लिए मौके पर पहुंचे और अग्निशमन सेवा कर्मियों और पुलिस को सूचित किया। एक स्थानीय निवासी ने मीडिया को बताया कि एक महिला समेत तीन यात्रियों को उन्होंने बचा लिया। दो मृत डॉक्टरों के शवों को बरामद करने के लिए अधिकारियों द्वारा एक स्कूबा डाइविंग टीम को सेवा में लगाया गया था। इलाज करा रहे लोगों की हालत स्थिर बताई जा रही है। इस साल की शुरुआत में मई में इसी तरह की एक घटना में, अमेरिका के हवाई में दो पर्यटकों को एक डरावना अनुभव हुआ जब उनका जीपीएस नेविगेशन सिस्टम उन्हें सीधे समुद्र में ले गया।

भदोही अग्निकांड: आज ही के दिन एक झटके में उजड़ गए थे कई परिवार, 20 की गई थी जान, एक साल बाद क्या बोले पीड़ित?

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रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव 

दो अक्तूबर 2022....इस तारीख को यूपी के भदोही जिले के लोग कभी नहीं भूलेंगे। रात नौ बजे भदोही जिले के नरथुआं स्थित दुर्गा पूजा पंडाल में उठी चिंगारी ने एक झटके में कई परिवारों को उजाड़ कर रख दिया था। उस अग्निकांड में बच्चों और महिलाएं समेत 20 लोग काल के गाल में समा गए, जबकि 50 से अधिक झुलस गए थे। अग्निकांड की तस्वीरें हादसे की भयावहता बयां कर रही थे। एक साल बाद भी लोग उस पल याद कर सिहर उठते हैं। अग्निकांड में पूर्वप्रधान रमापति के परिवार के छह लोगों की मौत हुई थी। उनकी आंखों से आंसू निकल आए। उन्होंने जवाब में सिर्फ इतना ही कहा सब बर्बाद हो गया। सब खत्म हो गया कहने को कुछ नहीं है। शारदीय नवरात्र में औराई से चंद कदम दूर नरथुआं तालाब के पूर्वी छोर पर कई वर्षों से गुफानुमा मां के दुर्गा पंडाल में चमक-दमक देखने के लिए कई गांव के लोग पहुंचते हैं। दो अक्तूबर की रात को भी बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे। उस रात मनहूस काली छाया मां के दुर्गा पंडाल पर ऐसी पड़ी की पल भर में ही पूरा पंडाल जलकर खाक हो गया।

जिस समय पंडाल में आग लगी उस समय पंडाल में लेजर शो चल रहा था और सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे। जिस पंडाल में लोग मां की महिमा का प्रसंग देख रहे थे, वहीं थोड़ी देर बाद बिखरे सामान, जले अवशेष और राख हो चुकीं पंडाल की अस्थाई दीवारें दिख रह थीं। आग की लपटों के बीच बीती रात की भगदड़ के बाद कहीं बच्चे का चश्मा तो कहीं किसी महिला का पर्स गिरा पड़ा था।

रात नौ और 10 बजे के बीच अचानक पंडाल के एक सिरे से आग की लपटें उठीं जो पल भर में ही प्लास्टिक पन्नी और फाइबर से युक्त गुफानुमा पंडाल में फैल गई। फिर क्या था जान बचाने के लिए लोग भागन लगे। चीखपुकार के बीच पूरे पंडाल में अफरातफरी मच गई।

पंडाल में जो जहां गिरा वहीं गिरा ही रह गया। कितने लोग पंडाल के ठीक पीछे तालाब में भी खुद कर अपनी जान बचाई कितने लोग आग की लपटों के बीच अपनों को खोजने में बुरी तरह झुलस गए। हादसे में 70 से ज्यादा लोग झुलसे। इनमें से महीने भर के अंदर 20 लोगों की मौत हो गई।घटना में सबसे बड़ी आफत बारीगांव के पूर्व प्रधान रमापति के परिवार पर कहर बनकर टूटी। जहां एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हो गई जबकि चार लोग बुरी तरह झुलस गए। इस त्रासदी से पूर्व प्रधान रमाकांत का परिवार अब तक नहीं उबर सका है। परिजन आज भी घटना से काफी आहत हैं। हादसे में रमाकांत की पत्नी जयदेवी, बहू सीमा देवी, नातिन प्रियल, शिवांगी, पौत्र नवीन, सिद्धार्थ की मौत हो गई थी। उनकी दूसरी बहू रेखा देवी, पौत्र राधे, पौत्री प्रतिमा झुलस गईं थीं।

अग्निकांड के पीड़ित रमापति के पास रविवार को अमर उजाला की टीम जब पहुंची तो उनके आंखों से आंसू निकल आए। उन्होंने जवाब में सिर्फ इतना ही कहा सब बर्बाद हो गया। सब खत्म हो गया कहने को कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे तो यह सब देखने से पहले ही दुनिया से चला जाना चाहिए था। अग्निकांड में झुलसी प्रतिमा भी अपने जख्म दिखाते हुए रो पड़ी। कहा कि मुझे वह दिन याद है जब मैं झुलसने के बाद भी अपनी माता सीमा देवी, भाई सिद्धार्थ और बहन प्रियल को अपनी आंखों से उस लपटों के बीच ढूंढ रही थी। उन्हें मैं ढूंढ नहीं पाई और आज तक वह मुझसे मिले नहीं। उस घटना में रमापति के लड़के अवधेश का पूरा परिवार ही समाप्त हो गया।

कैटालिन कारिको और ड्रयू वीसमैन को मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार, इस खोज के लिए मिला सम्मान

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साल 2023 से नोबेल पुरस्कारों की घोषणा सोमवार से शुरू हो गई है। इसके तहत आज यानी 2 अक्टूबर 2023 को फिजियोलॉजी या मेडिसिन के क्षेत्र में इस साल कैटालिन कारिको और ड्रू वीलमैन को चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया।नोबेल असेंबली के सचिव थॉमस पर्लमैन ने सोमवार को स्टाकहोम में पुरस्कारों का ऐलान किया। 

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कैटालिन कारिको और ड्रू वीसमैन का कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बनाने में उनका अहम रोल है।न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधनों से संबंधित उनकी खोजों के लिए यह सम्मान दिया गया। इस खोज की वजह से कोरोनावायरस यानी सीओवीआईडी-19 के खिलाफ प्रभावी एमआरएनए टीकों के विकास में मदद मिली।

2022 में स्वीडन के स्वांते पैबो को मिला था पुरस्कार

पिछले साल स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते पाबो ने मानव विकास क्रम में खोज के लिए फिजियोलॉजी या चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीता था। उनकी खोज ने निएंडरथाल डीएनए के रहस्यों का खुलासा किया था, जिसने गंभीर कोविड -19 के प्रति हमारी संवेदनशीलता सहित हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली के सिलसिले में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की थी। निएंडरथल वास्तव में प्राचीन मानव समूह के सदस्य थे जो कम से कम 200,000 साल पहले, प्लेइस्टोसिन युग के दौरान उभरा था।

किन क्षेत्रों में और क्यों दिए जाते हैं ये अवॉर्ड

मानवता की भलाई में सबसे अच्छा काम करने वालों ये पुरस्कार दिए जाते हैं। ये पुरस्कार कई क्षेत्रों जैसे कि फिजिक्स, केमेस्ट्री, मेडिसिन, साहित्य और शांति में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए दिए जाते हैं। पुरस्कार स्वीडन के कारोबारी और डाइनामाइट का अविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के याद में दिए जाते हैं। अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी कमाई का ज्यादातर हिस्सा इस अवॉर्ड के फंड के लिए छोड़ गए थे। पहली बार 1901 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था। 1968 में स्वीडन की सेंट्रल बैंक ने इसमें एक और कैटेगरी इकॉनमिक साइंसेस जोड़ी थी।

नोबेल पुरस्कार विजेताओं को क्या मिलता है?

नोबेल पुरस्कार जीतने वाले विजेताओं को एक डिप्लोमा, एक मेडल और 10 मिलियन स्वीडिश क्रोना ( आज के करीब 75764727 रुपये) की नकद राशि प्रदान की जाती है। एक श्रेणी में विजेता अगर एक से ज्यादा हों तो पुरस्कार की राशि उनमें बंट जाती है। ये पुरस्कार अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि यानी 10 दिसंबर को विजेताओं को सौंपे जाते हैं।