विद्या रामराज ने की पीटी उषा की बराबरी, 400 मीटर हर्डल रेस में जगाई गोल्ड की आस

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भारत ने एशियन गेम्स के नौवें दिन यानी 2 अक्टूबर को अच्छी शुरुआत की। भारत ने इस दिन पहले स्पीड स्केटिंग 3000 मीटर रिले रेस के महिला और पुरुष दोनों कैटेगरी के ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए।वहीं, एथलेटिक्स में विद्या रामराज ने 400 मीटर हर्डल रेस में पीटी उषा के नेशनल रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है। इसके साथ ही महिलाओं की 400 मीटर हर्डल रेस में भी भारत की विद्या रामराज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में जगह बना ली।

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विद्या ने 55.43 सेकेंड में 400 मीटर रेस पूरी की। इसके साथ ही उन्होंने महिलाओं की 400 मीटर बाधा दौड़ में पीटी उषा के 39 साल पुराने राष्ट्रीय रिकॉर्ड की बराबरी कर ली। 1984 में पीटी उषा ने 55.42 सेकेंड में यह दौड़ पूरी की थी। अब विद्या ने भी यह कर दिखाया है। इससे पहले विद्या का बेस्ट रिकॉर्ड 55.43 सेकेंड था। वह हीट 1 से बहरीन की अमीनत ओए जमाल के साथ सीधे फाइनल के लिए क्वालीफाई कर चुकी हैं।

1984 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक में पीटी उषा ने 55.42 सेकंड में 400 मीटर हर्डल रेस पूरी की थी। वह फाइनल में चौथे नंबर पर रही थीं। पीटी उषा इस इवेंट में बेहद करीब से पदक चूंक गई थी। हालांकि उन्होंने इस जबरदस्त प्रदर्शन से 400 मीटर हर्डल रेस में ऐसा भारतीय रिकॉर्ड कायम किया जो पिछले 39 सालों से अन्य भारतीय धावकों से नहीं टूट सका। अब जाकर कोई एथलीट पीटी उषा के इस आंकड़े को छू सका है।

गांधी जयंती विशेष: जानिए किसने दिया था बापू नाम, कैसे बने महात्मा और किसने दी 'राष्ट्रपिता' की उपाधि

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आज पूरा भारत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मना रहा है। इस मौके पर प्रत्येक देशवासी उन्हें नमन कर रहा है। इस मौके पर राजधानी दिल्ली स्थित राजघाट पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी यानी बापू यानी राष्ट्रपिता। सालों से ये सब नाम उनके पर्यायवाची रहे हैं। उनका पूरा नाम तो शायद ही कोई लेता है।

ऐसे कहलाए बापू?

2 अक्टूबर 1869 के दिन ही मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म पर गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।आजादी के लड़ाई में अपना सबकुछ त्याग देने वाले गांधी का जीवन बहुत ही सादा और सादगी से भरा हुआ था। गांधी जी का जीवन एक साधक से कम नहीं था। सादा जीवन और उच्च विचार के नियम का पालन करे वाले गांधी न सत्य और अहिंसा का मार्ग चुना और लोगों को प्रेरणा भी दी। एक धोती और लाठी के साथ कई पदयात्राओं, कारागारों तक का गांधी ने सफर तय किया। गांधी जी को बापू नाम बिहार के चंपारण जिले के रहने वाले गुमनाम किसान से मिला था। दरअसल बिहार के चंपारण जिले में गांधी जी ने निलहा अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। सही मायनों में अंग्रेजों के अत्याचारों के खिलाफ बापू के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी। दरअसल, राजकुमार शुक्ला ने गांधी जी को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी ने ही उन्हें को चंपारण आने पर विवश कर दिया था। इन्हीं के बुलाने पर बापू यहां आए थे और वो राजकुमार शुक्ला ही थे जिन्होंने सबसे पहले महात्मा गांधी को बापू कहकर पुकारा था।

कैसे मिली महात्मा की उपाधि?

चंपारण से शुरू हुआ बापू का आंदोलन जन-जन तक पहुंचने लगा। लोग अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ा में बापू के आहिंसा के रास्ते जुड़ते चले गए। इसी दौरान उन्हें एक और नया नाम मिला महात्मा। गांधी जी को पहली बार कवि रविन्द्र नाथ टैगोर ने महात्मा शब्द से संबोधित किया था। हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि गांधी जी को सबसे पहली बार 1915 में राजवैद्य जीवन राम कालिदास ने उन्हें महात्मा कहकर संबोधित किया था। लेकिन इतिहास की ज्यादातर किताबों में यही पढ़ने को मिलता है कि सबसे पहले रविंद्रनाथ टैगोर ने ही उन्हें महात्मा शब्द से संबोधित किया था। मार्च 1915 गांधी जी और टैगोर की पहली मुलाकात शांति निकेतन में हुई थी। इसके बाद से इन दोनों महापुरूषों ने देश की आजादी में अहम योगदान दिया। 

सबसे पहले महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कियने कहा?

यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी? महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था।इसके बाद 6 जुलाई 1944 को सुभाष चन्द्र बोस ने एक बार फिर रेडियो सिंगापुर से एक संदेश प्रसारित कर गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया। बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दे दी। गांधी जी के देहांत के बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी रेडियो के माध्यम से देश को संबोधित किया था और कहा था कि 'राष्ट्रपिता अब नहीं रहे'।

लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर विशेषः गुदड़ी का वो लाल जिसमें था सादगी से जीने का “साहस”

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देश आज पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को याद कर रहा है। 2 अक्टूबर को लाल बहादुर शास्त्री की जयंती होती है। लाल बहादुर देश के एक ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जो अपनी सादगी, सौहार्दता, देशभक्ति और ईमानदारी के कारण जन-जन में लोकप्रिय हुए। लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने और इससे पहले भी वे रेल मंत्री और गृह मंत्री जैसे पद पर भी रहें, लेकिन उनका जीवन एक साधारण व्यक्ति जैसा ही रहा। वे प्रधानमंत्री आवास में खेती करते थे। कार्यालय से मिले भत्ते और वेतन से ही अपने परिवार का गुराजा करते थे।प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी उनके पास न तो खुद का घर था और ना ही कोई संपत्ति। यूं ही नहीं देश उन्हें “गुदड़ी के लाल” के नाम से जानता है।

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लाल बहादुर शास्त्री स्वतंत्रता सेनानी के साथ ही भारतीय राजनेता भी थे। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 में हुआ। महज डेढ़ साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ और ननिहाल में रहकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। 16 साल की उम्र में उन्होंने देश की आजादी की जंग में शामिल होने के लिए अपनी पढ़ाई भी छोड़ दी और जब वे 17 साल के थे, तब स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। शास्त्री जी ने 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और 11 जनवरी 1966 में विवादास्पद तरीके से उनकी मृत्यु हो गई। मात्र 1 साल 7 महीना 2 दिन के प्रधानमंत्रित्व कार्यकाल के बावजूद देश का सर्वोत्तम एवं सशक्त प्रधानमंत्री का तमगा उनके नाम है।

जब अखबारों में लिखकर चलाया घर का खर्च

लाल बहादुर शास्त्री का बचपन काफी गरीबी और अभावों के बीच गुजरा। तमाम मुश्किलें उठाकर वह हाई स्कूल की पढाई पूरी कर सके थे। बचपन में अकसर उन्हें नदी तैर कर स्कूल जाना पड़ता था, क्योंकि नाव वाले को रोज-रोज किराया देना उनके लिए संभव नहीं था।प्रधानमंत्री बनने के बाद भी लाल बहादु शास्त्री ने अपने गरीबी के दिनों को नहीं भूले। साल 1963 में कामराज योजना के तहत शास्त्री को नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा देना पड़ा। उस समय वो भारत के गृहमंत्री थे। कुलदीप नैयर याद करते हैं, "उस शाम मैं शास्त्री के घर पर गया। पूरे घर में ड्राइंग रूम को छोड़ कर हर जगह अँधेरा छाया हुआ था। शास्त्री वहाँ अकेले बैठे अख़बार पढ़ रहे थे। मैंने उनसे पूछा कि बाहर बत्ती क्यों नहीं जल रही है? तब शास्त्री जी नेका, अब से मुझे इस घर का बिजली का बिल अपनी जेब से देना पड़ेगा। इसलिए मैं हर जगह बत्ती जलाना बर्दाश्त नहीं कर सकता। शास्त्री को सांसद की तनख्वाह के 500 रूपये के मासिक वेतन में अपने परिवार का ख़र्च चलाना मुश्किल पड़ रहा था। नैयर अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, मैंने उन्हें अख़बारों में लिखने के लिए मना लिया था। मैंने उनके लिए एक सिंडिकेट सेवा शुरू की जिसकी वजह से उनके लेख द हिंदू, अमृतबाज़ार पत्रिका, हिंदुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपने लगे। हर अख़बार उन्हें एक लेख के 500 रूपये देता था। इस तरह उनकी 2000 रूपये की अतिरिक्त कमाई होने लगी।

सरकारी गाड़ी का निजी इस्तेमाल कभी नहीं किया

देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन जितनी शान-ओ-शौकत से गुजरा, शास्त्री जी उतने ही जमीनी शख्सियत माने जाते थे। प्रधानमंत्री बनने के पश्चात लाल बहादुर शास्त्री को सरकारी गाड़ी मिली थी, लेकिन शास्त्री जी ने कभी भी उस गाड़ी का इस्तेमाल निजी कार्य के लिए नहीं किया। लेकिन एक बार उनके बेटे ने गाड़ी का उपयोग किया। यह बात जब शास्त्री जी को पता चली तो उन्होंने बेटे को अगाह करते हुए उस दिन गाड़ी पर होने वाला खर्चा सरकारी खजाने में जमा करवा दिया। इसके बाद निजी कार्यों के लिए पत्नी की सलाह पर शास्त्री जी ने फिएट कार खरीदने का फैसला किया। उन दिनों फिएट कार की कीमत 12 हजार रूपये थी। लेकिन शास्त्री जी के खाते में मात्र 7 हजार रुपये थे। अंततः पंजाब नेशनल बैंक से 5 हजार रूपये का कर्ज लेने के बाद ही वह फिएट कार खरीद सके थे।

रफू करवाया कोट पहनकर विदेश दौरे पर गए

एक बार जब शास्त्री जी को लोकसभा में जाना था, लेकिन घर से निकलते हुए उन्होंने देखा कि उनका कुर्ता फटा हुआ था। कुर्ता सिलवाने का वक्त नहीं था। शास्त्री जी ने पत्नी ललिता जी से कहा कि वे कुर्ता के ऊपर कोट पहन लेंगे तो फटा हुआ हिस्सा ढक जाएगा। इसी तरह 1965 का युद्ध जीतने के बाद शास्त्री जी को पाकिस्तान से समझौते के लिए ताशकंद जाना था। कोट का छोटा सा हिस्सा फटा हुआ था। लेकिन दुर्भाग्यवश उनके पास नया कोट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने फटे कोट का रफू करवाया और वही पहनकर ताशकंद गए। जहां से उनकी मृत देह वापस आई।

जूनियर अफ़सरों को चाय सर्व करने वाले शास्त्री

शास्त्री के साथ काम करने वाले सभी अफ़सरों का कहना है कि उनका व्यवहार बहुत विनम्र रहता था। उनके निजी सचिव रहे सीपी श्रीवास्तव उनकी जीवनी 'लाल बहादुर शास्त्री अ लाइफ़ ऑफ़ ट्रूथ इन पॉलिटिक्स' में लिखते हैं, शास्त्रीजी की आदत थी कि वो अपने हाथ से पॉट से प्याली में हमारे लिए चाय सर्व करते थे। उनका कहना था कि चूँकि ये उनका कमरा है, इसलिए प्याली में चाय डालने का हक़ उनका बनता है। कभी-कभी वो बातें करते हुए अपनी कुर्सी से उठ खड़े होते थे और कमरे में चहलक़दमी करते हुए हमसे बातें करते थे। कभी-कभी कमरे में अधिक रोशनी की ज़रूरत नहीं होती थी, शास्त्री अक्सर ख़ुद जाकर बत्ती का स्विच ऑफ़ करते थे। उनको ये मंज़ूर नहीं था कि सार्वजनिक धन की किसी भी तरह बर्बादी हो।

हिंदू धर्म पर राहुल गांधी का लेख,”सत्यम् शिवम् सुंदरम्” शिर्षक के साथ दो पन्ने में कही “मन की बात”

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हमारा देश धर्म में मामले में काफी संवेदनशील रहा है।यहां विभिन्न धर्मों को मामले वाले लोग रहते हैं। ऐसे में धर्म के मामले में छोटी से छोटी टिप्पणी भी बड़ा विवाद पैदा कर देती है। यही वजह है कि इस मुद्दे पर लोग काफी सोच-समझ कर ही बोलना पसंद करते हैं। भारत में इन दिनों सनातन धर्म और हिंदू धर्म को लेकर एक बहस चल रही है। आए दिन कोई ना कोई इन संवेदनशील मुद्दों पर अपनी बात रखता और बहस भी आगे बढ़ती है। इसी क्रम में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने हिंदू धर्म पर एक लेख लिखा है। राहुल गांधी ने हिंदू धर्म को लेकर डेढ़ पन्ने का एक लेख लिखा है।इस लेख में राहुल ने हिंदू होने का मतलब बताया है।राहुल गांधी ने ये लेख एक्स पर शेयर किया है।

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राहुल ने ”सत्यम शिवम सुंदरम” टाइटल वाले इस आर्टिकल में लिखा कि, हिंदू वही है, जिस शख्स में अपने डर की तह में जाकर महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है।राहुल गांधी ने लेख में कहा है कि निर्बल की रक्षा का कर्तव्य ही धर्म है।हिंदू अपने अस्तित्व में समस्त चराचर को करुणा और गरिमा के साथ उदारतापूर्वक आत्मसात करता है, क्योंकि वह जानता है कि जीवनरूपी इस महासागर में हम सब डूब-उतर रहे हैं। 

राहुल ने बताया कौन हिंदू है?

राहुल गांधी ने लिखा है, कल्पना कीजिए, जिंदगी प्रेम और उल्लास का, भूख और भय का एक महासागर है; और हम सब उसमें तैर रहे हैं। इसकी खूबसूरत और भयावह, शक्तिशाली और सतत परिवर्तनशील लहरों के बीचोंबीच हम जीने का प्रयत्न करते हैं। इस महासागर में जहां प्रेम, उल्लास और अथाह आनंद है, वहीं भय भी है। मृत्यु का भय, भूख का भय, दुखों का भय, लाभ-हानि का भय, भीड़ में खो जाने और असफल रह जाने का भय। इस महासागर में सामूहिक और निरंतर यात्रा का नाम जीवन है जिसकी भयावह गहराइयों में हम सब तैरते हैं। भयावह इसलिए, क्योंकि इस महासागर से आज तक न तो कोई बच पाया है, न ही बच पाएगा। जिस व्यक्ति में अपने भय की तह में जाकर इस महासागर को सत्यनिष्ठा से देखने का साहस है- हिंदू वही है। 

कांग्रेस सामसद कहते हैं, यह कहना कि हिंदू धर्म केवल कुछ सांस्कृतिक मान्यताओं तक सीमित है उसका अल्प पाठ होगा। किसी राष्ट्र या भूभाग-विशेष से बांधना भी उसकी अवमानना है। भय के साथ अपने आत्म के सम्बंध को समझने के लिए मनुष्यता द्वारा खोजी गई एक पद्धति है हिन्दू धर्म। यह सत्य को अंगीकार करने का एक मार्ग है। यह मार्ग किसी एक का नहीं है, मगर यह हर उस व्यक्ति के लिए सुलभ है जो इस पर चलना चाहता है।

दिल्ली से आईएसआईएस आतंकी शाहनवाज गिरफ्तार, एनआईए की हिट लिस्ट में था शामिल

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दिल्ली में आईएसआईएस का संदिग्ध आतंकी गिरफ्तार हुआ है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मोस्ट वांटेड आतंकी शाहनवाज उर्फ शैफी उज्जमा को पकड़ा है।एनआईए ने इस आतंकी के ऊपर 3 लाख रुपये का ईनाम रखा हुआ था। ये आतंकी एनआईए का मोस्ट वांटेड आतंकी है, जिसे शाहनवाज उर्फ शैफी उज्जमा के तौर पर भी जाना जाता है। 

पुणे के मामले में फरार चल रहा शाहनवाज दिल्ली का रहने वाला है और पेशे से इंजीनियर है। वह पुणे पुलिस की कस्टडी से फरार होकर दिल्ली में ठिकाना बनाकर रह रहा था। पुणे में इसी साल आईएस के मॉड्यूल का खुलासा हुआ था। पुणे पुलिस के खुलासे पर एनआईए ने जांच की थी। बाद में शाहनवाज की गिरफ्तारी हुई लेकिन वह कस्टडी से फरार हो गया। तब से उसकी लोकेशन लगातार दिल्ली में मिल रही थी।

दरअसल, एनआईए ने आईएसआईएस पुणे मॉड्यूल मामले में 7 लोगों को पकड़ा था। इस दौरान तीन आतंकी फरार हो गए और वह दिल्ली में आकर छिप गए। इन्हीं तीन आतंकियों में से एक शाहनवाज उर्फ शैफी उज्जमा है। माना जा रहा है कि शाहनवाज दिल्ली में किसी बड़े हमले की साजिश बुन रहा था।

एनआईए ने शाहनवाज समेत चार आतंकियों पर 3 लाख रुपये का इनाम घोषित कर रखा था। स्पेशल सेल को इनपुट मिला जिसके बाद साउथ ईस्ट दिल्ली इलाके से आतंकी को पकड़ा गया। शाहनवाज से पूछताछ के बाद 3-4 और लोगों को पकड़ा गया है।

JNU की दीवारों पर फिर लिखे गए आपत्तिजनक नारे, ABVP ने की जांच की मांग

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डेस्क: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में एक बार फिर से आपत्तिजनक नारे लिखे जाने का मामला सामने आया है। जेएनयू की दीवारों पर 'भगवा जलेगा, फ्री कश्मीर और IOK (भारत अधिकृत कश्मीर)' जैसे स्लोगन लिखे गए हैं। वहीं एक जगह 'मोदी तेरी कब्र खुदेगी' भी लिखा हुआ था। हालांकि मोदी पर लाल रंग से स्प्रे कर दिया गया। ये आपत्तिजनक नारे जेएनयू के स्कूल ऑफ लैंग्वेज कैंपस की हैं। ये किसने लिखे हैं, अभी इसकी कोई जानकारी सामने नहीं आई है।

ABVP ने JNU प्रशासन से की जांच की मांग

वहीं इस मामले में अब ABVP ने JNU प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और कहा कि जिन असामाजिक तत्वों ने जेएनयू कैंपस के अंदर विवादित नारे लिखे हैं, उनकी जांच कराई जाए। हालांकि JNU की दीवारों पर लिखे गए आपत्तिजनक नारों पर वाइट वॉश कर दिया गया है, लेकिन इस मामले की जांच की मांग लगातार की जा रही है। ABVP की तरफ से मांग की गई है कि ऐसे लोगों को चिन्हित कर कार्रवाई की जाए क्योंकि ये एक गंभीर मामला है और जेएनयू की छवि को खराब करने की फिर से कोशिश की जा रही है।

पिछले साल भी लिखे थे दीवारों पर नारे

इस घटना को लेकर जेएनयू के छात्रों में आक्रोश है। गौरतलब है कि यह कोई पहला वाकया नहीं है कि जब जेएनयू की दीवारों पर इस तरह के नारे लिखे गए हों। पिछले साल दिसंबर में भी JNU के कैंपस की दीवारों पर ब्राह्मणों और बनियों के खिलाफ नारे लिखे मिले थे। उस वक्त स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की दीवारों पर लाल रंग से 'ब्राह्मणों कैंपस छोड़ो', ब्राह्मणों-बनियों हम तुम्हारे लिए आ रहे हैं, तुम्हें बख्शा नहीं जाएगा' शाखा लौट जाओ' जैसे नारे लिखे थे।

अजय माकन को कांग्रेस पार्टी में मिली बड़ी जिम्मेदारी, पवन बंसल की जगह किया गया नियुक्त

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डेस्क: कांग्रेस पार्टी में इस समय बदलाव का दौर चल रहा है। पार्टी की कमान मल्लिकार्जुन खरगे के पास है। उनकी नई टीम का भी ऐलान हो चुका है। वहीं अब एक और बड़ा बदलाव किया गया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को पार्टी का नया कोषाध्यक्ष नियुक्त किया है। उन्हें पवन कुमार बंसल की जगह नियुक्त किया गया है। बता दें कि पिछले कई दिनों से इस पद पर किसी नए नेता की नियुक्ति की बात चल रही थी और आख़िरकार आज अजय माकन को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई। 

वहीं इससे पहले अजय माकन राजस्थान प्रदेश के पार्टी प्रभारी थे लेकिन सचिन पायलट और अशोक गहलोत वाले मुद्दे पर खड़े हुए विवाद के बाद उन्होंने नवंबर में पद छोड़ दिया था। उस दौरान उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह राजस्थान के प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी पूरी करने में असमर्थ हैं और पार्टी यहां के लिए दूसरा प्रभारी ढूंढे। इसके बाद से माकन पार्टी की मुख्यधारा से बाहर चल रहे थे। अब उन्हें पार्टी के कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलना बता रहा है कि उनका कद बढ़ाया गया है।

वहीं इससे पहले सितंबर महीने में कांग्रेस पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए इलेक्शन कमिटी का ऐलान किया था। इस कमिटी में 16 नेताओं को जगह दी गई थी। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक सूची जारी करते हुए बताया कि आगामी चुनावों के लिए एक कमिटी का ऐलान किया गया है, जिसमें 16 नेताओं को जगह दी गई है।

 इसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अंबिका सोनी, लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी, सलमान खुर्शीद, मदुसुदन मिस्त्री, एन. उत्तम कुमार रेड्डी को शामिल किया गया था। इसके अलावा इस कमिटी में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव, केजी जॉर्ज, प्रीतम सिंह, मोहम्मद जावेद, अमी याग्निक, पीएल पुनिया, ओमकार मरकाम और केसी वेणुगोपाल शामिल किया गया था।

हरियाणा के सोनीपत में बड़ी गैंगवार, बंबीहा गैंग के शूटर दीपक मान की हत्या, गोल्डी बराड़ ने ली जिम्मेदारी

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डेस्क: हरियाणा के सोनीपत में बड़ी गैंगवार का मामला सामना आया है। बंबीहा गैंग के शूटर दीपक मान की हत्या कर दी गई है और उसका गोलियों से छलनी शव सोनीपत के हरसाना गांव से बरामद किया गया है। दीपक मान फरीदकोट का रहने वाला था और पंजाब का कुख्यात गैंगेस्टर था। 

दीपक मान पर हत्या, हत्या की कोशिश समेत दर्जनभर संगीन मामले दर्ज थे। शव मिलने की सूचना के बाद सोनीपत सदर थाना पुलिस व क्राइम ब्रांच की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं और जांच शुरू कर दी गई है। 

कुख्यात गैंगेस्टर गोल्डी बराड़ ने ली हत्या की जिम्मेदारी

सोनीपत पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल में भेज दिया है। शूटर दीपक मान की हत्या की जिम्मेदारी कुख्यात गैंगेस्टर गोल्डी बराड़ ने फेसबुक पोस्ट के जरिए ली है।

भारत पर चढ़ा 159 लाख करोड़ का कर्ज, यहां डिटेल में पढ़िए, देश का हरेक शख्स डूबा हुआ है इतने रुपये में, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

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केंद्र सरकार के ऊपर कर्ज बढ़ता जा रहा है। इससे देश का हर नागरिक कर्जदार होता जा रहा है। कर्ज का आलम यह है कि सरकार के टोटल ग्रॉस लोन में 2.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे कर्ज का आंकड़ा 159 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है। अगर कर्ज बढ़ने का सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो यह आंकड़ा बहुत ही जल्द 160 लाख करोड़ रुपये के भी पार कर सकता है।

जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार का कुल सकल कर्ज में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे सरकार के ऊपर कर्ज अब बढ़कर 159.53 लाख करोड़ रुपये हो गया। वहीं, अगर हम देश की वर्तमान जनसंख्या 1 अरब 40 करोड़ मानते हैं, तो आंकड़े के मुताबिक देश के प्रत्येक नागरिक के ऊपर अभी 1,13,571 रुपये से ज्यादा का कर्ज है।

तिमाही पहले की तुलना में 2.2 प्रतिशत बढ़ गई

खास बात यह है कि कर्ज में बढ़ोतरी का यह आंकड़ा वित्त मंत्रालय ने एक रिपोर्ट के जरिए पेश किया है। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च के आखिरी हफ्ते में केंद्र सरकार के ऊपर कुल सकल कर्ज 156.08 लाख करोड़ रुपये का था. लेकिन अप्रैल- जून 2023 की तिमाही आते- आते इसमें 2.2 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई। पब्लिक जीईबीट मनेजमेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इस तिमाही में सरकार की कुल सकल देनदारियां एक तिमाही पहले की तुलना में 2.2 प्रतिशत बढ़ गई।

एडजस्टमेंट के बाद 2.71 लाख करोड़ रुपये हुआ

बता दें कि फाइनेंस मिनिस्ट्री के बजट डिविजन का पब्लिक ऋण प्रबंधन प्रकोष्ठ अप्रैल-जून 2010-11 से ही नियमित रूप से लोन मनेजमेंट पर एक तिमाही रिपोर्ट जारी कर रहा है। करंट फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही में केंद्र सरकार ने दिनांकित प्रतिभूतियों के जारी/ निपटान के जरिये 4.08 लाख करोड़ रुपये की ग्रॉस अमाउंट कलेक्ट किया, जो एडजस्टमेंट के बाद 2.71 लाख करोड़ रुपये हुआ।

मैच्योरिटी अवधि वाले इश्यूज पर फोकस्ड रहा

इसी तरह अप्रैल-जून तिमाही में इश्यूज की वैट एवरेज यील्ड 7.13 फीसदी दर्ज की गई। जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह आंकड़ा 7.34 फीसदी थी। वहीं, इश्यू की वैट एवरेज मैच्योरिटी जून तिमाही में 17.58 वर्ष दर्ज की गई जो मार्च तिमाही में 16.58 वर्ष थी। रिपोर्ट की माने तो सैकेंडरी मार्केट मेंट्रांजेक्शन डिल इस तिमाही में 7 से 10 साल की मैच्योरिटी अवधि वाले इश्यूज पर फोकस्ड रहा।

सपा सांसद एसटी हसन ने दिया भड़काऊ बयान, कहा, देश में 2-4 लाख नहीं बल्कि करोडों मुसलमान, राजस्थान जैसा बर्ताव हुआ तो आगे चलकर क्या होगा...

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राजस्थान की राजधानी जयपुर में सड़क हादसे के बाद हुए विवाद और मारपीट के बाद एक मुस्लिम युवक की मौत की घटना के बाद जयपुर में जमकर बवाल हुआ। अब इसपर सियासत भी होने लगी है। मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने धमकी और भड़काऊ बयान देते हुए कहा है कि देश में 2-4 लाख नहीं बल्कि करोडों मुसलमान है। अगर ऐसा बर्ताव हुआ तो आगे चलकर क्या होगा, इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है।

जयपुर घटना के लिए सियासत जिम्मेदार- हसन

एसटी हसन ने बीजेपी पर हिंदू-मुसलमान की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर बाइक टकराने की घटना में भी हिन्दू-मुसलमान शुरू कर देंगे तो देश कहां पर जाएगा। इसलिए जिम्मेदार वह राजनीतिक पार्टियां हैं जो धर्मो का सहारा लेकर, मजहबों का सहारा लेकर, अपनी मंजिले तय कर रही हैं। इस वक्त हमारे देश में बीजेपी हिंदू-मुसलमान के अलावा कुछ नहीं कर रही। इसकी वजह से अब ऐसा हो रहा है कि जरा सी भी खरोंच आई तो जान से मार देंगे। इसके लिए हमारी सियासत जिम्मेदार है।

सियासत रोजगार पर हो, हिंदू-मुसलमान पर नहीं- हसन

एसटी हसन ने आगे कहा कि सियासत रोजगार पर होनी चाहिए, हिंदू-मुसलमान पर नहीं. अब देश के लिए बहुत बड़ा खतरा खड़ा हो जाएगा, क्योंकि मुसलमान इस देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है. 2-4 लाख नहीं हैं, देश में करोडों में मुसलमान हैं। अगर इस तरह से उनके साथ बर्ताव किया जाएगा तो आगे चल कर क्या हश्र होगा। मैं और आप अच्छी तरह समझते हैं।

मॉबलिंचिंग करने वालों का होता है स्वागत- हसन

एसटी हसन ने कहा कि ये जो मॉबलिंचिंग हो रही है, ये इसलिए हो रही है क्योंकि मॉबलिंचिंग करने वालों का बाकायदा स्टेज पर स्वागत किया जाता है। उनको मालाएं पहनाई जाती हैं। उन्हें पता है हम कुछ भी कर लें, कुछ होने वाला तो है नहीं। अपने देखा नहीं कि संसद में मुसलमान को क्या क्या कहा गया और अब क्या हुआ, उनके दर्जे बढ़ा दिए गए।