भारत-जापान के सहयोग से बनेगा 'हाई स्पीड रेलवे', न्यूयॉर्क में अपने जापानी समकक्ष से मिले विदेश मंत्री जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके जापानी समकक्ष योको कामिकावा 22 सितंबर को भारत, जापान के बीच एक प्रमुख परियोजना, हाई-स्पीड रेलवे परियोजना पर लगातार प्रगति हासिल करने सहित आर्थिक मोर्चे पर सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान न्यूयॉर्क में दोनों मंत्रियों की मुलाकात हुई। जापान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, 30 मिनट की लंबी बैठक में, दोनों मंत्रियों ने पुष्टि की है कि कानून के शासन के आधार पर एक स्वतंत्र और खुली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना और मजबूत करना महत्वपूर्ण है और जापान तथा भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया को मजबूत करेंगे। 

दोनों मंत्रियों ने इंडो-पैसिफिक और यूक्रेन की स्थिति और सुरक्षा परिषद सुधार सहित क्षेत्रीय स्थितियों पर भी विचार साझा किए। विदेश मंत्री जयशंकर ने विदेश मंत्री कामिकावा को उनकी नियुक्ति पर बधाई दी। जवाब में, मंत्री कामिकावा ने "जापान-भारत विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी" को और विकसित करने का इरादा व्यक्त किया और G20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में भारत के प्रयासों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया। मंत्री कामिकावा ने यह भी कहा कि दोनों राष्ट्र, क्रमशः G7 और G20 अध्यक्षों के रूप में, निकट सहयोग करने और G7 परिणामों को G20 परिणामों से जोड़ने में सक्षम थे।

 

अपने सोशल मीडिया 'एक्स', (पूर्व ट्विटर) पर जयशंकर ने कहा कि, ''#UNGA78 में जापान के विदेश मंत्री योको कामिकावा से मिलकर खुशी हुई। हमारी विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी पर दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान किया, हमारे क्षेत्रीय, बहुपक्षीय और वैश्विक सहयोग और उन्हें आगे बढ़ाने पर चर्चा की।' विदेश मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान के अनुसार, जयशंकर न्यूयॉर्क की एक सप्ताह की यात्रा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जहां उनका 26 सितंबर को 78वें यूएनजीए के उच्च स्तरीय सत्र को संबोधित करने का कार्यक्रम है।

22-30 सितंबर की अपनी यात्रा के दौरान, जयशंकर ग्लोबल साउथ के लिए भारत के समर्थन को ध्यान में रखते हुए, एक विशेष कार्यक्रम 'इंडिया-यूएन फॉर ग्लोबल साउथ: डिलीवरिंग फॉर डेवलपमेंट' की मेजबानी करेंगे। 78वें UNGA-संबंधित कार्यक्रमों के पूरा होने पर, विदेश मंत्री अमेरिकी वार्ताकारों के साथ द्विपक्षीय बैठकों के लिए 27-30 सितंबर तक वाशिं गटन डीसी का दौरा करेंगे। उनके कार्यक्रम में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ सदस्यों, अमेरिकी व्यापारिक नेताओं और थिंक टैंक के साथ चर्चा शामिल है।

मध्यप्रदेश को मिला 7वां टाइगर रिजर्व, सागर का नौरादेही अभयारण्य अब टाइगर रिजर्व घोषित, इसका नाम वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व होगा

 मध्य प्रदेश को 7वां टाइगर रिजर्व मिल गया है. सागर के नौरादेही अभयारण्य को अब टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया है. इसका नाम वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व होगा. इस सिलसिले में प्रदेश सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया गया है. ये रिजर्व 1414 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के कोर क्षेत्र में है, जिसमें 925.120 वर्ग किलोमीटर बफर क्षेत्र है.

जानें मध्य प्रदेश के 7वें अभयारण्य के बारे में

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की अनुमति प्राप्त होने के पश्चात् नौरादेही अभयारण्य को टाइगर रिजर्व में तब्दील करने की कवायदें जारी हैं. केंद्र सरकार द्वारा केन-बेतवा लिंक परियोजना की स्वीकृति में सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले के लगभग 1,41,400 हेक्टेयर वन क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है. टाइगर रिजर्व में अन्य कोई नया राजस्व क्षेत्र सम्मिलित नहीं किया गया है. टाइगर रिजर्व के आस-पास के स्थानीय व्यक्तियों पर कोई अतिरिक्त प्रतिबंध लागू नहीं किए जाएंगे. इसके अतिरिक्त यहां पहले से ही अधिसूचित ईको सेंसेटिव क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है. नौरादेही अभयारण्य में बड़ी संख्या में जनजीव हैं. इनमें मुख्य रूप से तेंदुआ सम्मिलित हैं. यहां एक वक़्त पर बाघ भी थे, किन्तु संरक्षण नहीं प्राप्त होने की वजह से वे लुप्त हो गए. वर्तमान में यहां 12 बाघ हैं. बाघों के अतिरिक्त यहां चिंकारा, हिरण, नीलगाय, सियार, भेड़िया, लकड़बग्घा, जंगली कुत्ता, रीछ, मगर, सांभर, मोर, चीतल सहित कई वन्य जीव यहां पाए जाते हैं. 

जानिए MP के 6 टाइगर रिजर्व कौन-कौन से हैं

- कान्हा टाईगर रिजर्व - मंडला/ बालाघाट

- बांधवगढ टाईगर रिजर्व - उमरिया

- पन्ना टाईगर रिजर्व - पन्ना

- पेंच टाईगर रिजर्व - सिवनी

- सतपुड़ा टाईगर रिजर्व - नर्मदापुरम

- संजय टाईगर रिजर्व - सीधी

टाइगर स्टेट है मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश को भारत का टाइगर स्टेट भी बोला जाता है. वर्तमान में मध्य प्रदेश में 785 बाघ हैं. 7 टाइगर रिजर्व के अतिरिक्त यहां 5 नेशनल पार्क तथा 10 सेंचुरी भी हैं. कहा जा रहा है कि भविष्य में चीतों के लिए नौरादेही यानी वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व उपयुक्त क्षेत्र रहेगा.

चीन सीमा से सटे पिथौरागढ़ जिले के दौरे पर 11 अक्टूबर को आएंगे पीएम नरेन्द्र मोदी, आदि कैलाश दर्शन कर सनातन और देश की सुरक्षा का भी संदेश देंगे

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन सीमा से सटे पिथौरागढ़ जिले के दौरे पर 11 अक्टूबर को आएंगे। दो दिवसीय दौरे में प्रधानमंत्री आदि कैलाश दर्शन के साथ ही ओल्ड लिपुलेख में साइट सीन स्थल का उद्घाटन कर सनातन और देश की सुरक्षा का भी संदेश देंगे। इस साइट सीन स्थल पर पहुंचकर यात्री सीधे कैलास मानसरोवर के दर्शन कर सकेंगे।

भारत-चीन के मध्य सामरिक रूप से बेहद खास है अक्टूबर का माह

दरअसल भारत-चीन के मध्य अक्टूबर का महीना सामरिक रूप से बेहद खास है। 1962 में अक्टूबर में ही चीन ने युद्ध की शुरुआत की थी, लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी वह उत्तराखंड से लगती इस सीमा पर चढ़ाई की हिम्मत नहीं जुटा पाया।

धारचूला में सुरक्षा को पुख्ता करने वाला अजेय पताका भी फहराएंगे प्रधानमंत्री

वहीं, कोविड के बाद से ही चीन अधिकृत तिब्बत तक होने वाली कैलास मानसरोवर यात्रा भी स्थगित है। ऐसे में प्रधानमंत्री एक साथ धारचूला में धर्म ध्वजा के साथ ही सुरक्षा को पुख्ता करने वाला अजेय पताका भी फहराएंगे।

देशवासियों के विश्वास को भी मजबूत करेंगे कि हम चीन से किसी मायने में कम नहीं हैं। इससे पूर्व प्रधानमंत्री 2017 में एक चुनावी सभा में पिथौरागढ़ पहुंचे थे।

कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती कर दी, पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने कहा, भारत पर लगाए आरोपों को खुद नहीं कर सकेंगे साबित

 कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानी चरमपंथी हरजीत सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाने को लेकर देश ही नहीं, विदेशी नेताओं के भी निशाने पर आ गए हैं। अब अमेरिका के एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती कर दी है।

‘अपने आरोपों को खुद साबित नहीं पाएंगे ट्रूडो’

पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रुबिन ने कहा कि कनाडा के पीएम ट्रूडो ने यह आरोप लगाकर बहुत बड़ी गलती की है कि खालिस्तान आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के साथ भारत का संबंध हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अपने आरोपों को साबित नहीं कर पाने में खुद असमर्थ हैं।

पीएम ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती की 

माइकल रूबिन ने कहा कि मुझे लगता है कि पीएम ट्रूडो ने बहुत बड़ी गलती की है। उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, उसका सबूत वो खुद नहीं दे पाएंगे। उनके पास भारत सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है।

पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने ट्रूडो पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें यह बताना होगा कि उनकी सरकार एक आतंकी को पनाह क्यों दे रही है। उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ कनाडाई पीएम के आरोपों पर उनके विचार पूछे जाने पर उपरोक्त बातें कही।

गौरतलब है कि ट्रूडो ने सोमवार (18 सितंबर) को कनाडा की संसद के अंदर निज्जर की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ होने का आरोप लगाया था।

प्रज्ञान और विक्रम से नहीं मिल रहा कोई सिग्नल, क्या खत्म हो गया मिशन चंद्रयान-3?

#isro_kept_sending_signals_vikram_pragyan_did_not_wake_up

पिछले कुछ घंटे से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के साइंटिस्ट लगातार अपने रोवर प्रज्ञान और विक्रम लैंडर को नींद से जगाने की कोशिश कर रहे हैं।21 सितंबर को चांद पर सुबह हो गई और सूर्य की रोशनी चांद पर वापस पहुंच गई है। इसके साथ ही इसरो ने प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को जगाने के लिए सिग्नल भेजना शुरू किया। हालांकि, अभी तक इन सिग्नल्स को रिसीव नहीं किया गया है।हालांकि, इसरो ने हार न मानने की बात कही है और इस बात का ऐलान किया है कि वह लगातार कोशिश में जुटा रहेगा।

23 अगस्त को चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम ने चांद के साउथ पोल पर सफल लैंडिंग कर ली थी। उसके बाद से तकरीबन 11 दिन तक रोवर ने चांद की सतह से खनिजों, भूकंपीय गतिविधियों और प्लाज्मा के बारे में कई अहम जानकारियां इसरो को उपलब्ध कराईं। इस मिशन को 7 सितंबर तक के लिए डिजाइन किया गया था। हालांकि 3 दिन पहले ही इसरो ने विक्रम और लैंडर को स्विच ऑफ कर दिया था, ताकि इसमें बैटरी बाकी रहे और 14 दिन की रात के बाद जब चांद पर फिर सवेरा हो तो इन्हें फिर एक्टिव कर दिया जाए। शुक्रवार को इसरो ने यही कोशिश की जो नाकाम रही।

22 सितंबर को होने वाले सूर्योदय का भारत को बेसब्री से इंतजार था।पहले इसरो प्रज्ञान और विक्रम को 22 सितंबर को ही जगाने की कोशिश करने वाला था पर बाद में इसरो ने कहा है कि अब ये प्रयास शनिवार यानी 23 सितंबर को किया जाएगा। इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के निदेशक निलेश देसाई ने कहा, "पहले हम प्रज्ञान और विक्रम को आज यानी 22 सितंबर को एक्टिवेट करने वाले थे लेकिन किन्हीं वजहों से अब हम ये कोशिश कल यानी शनिवार को करेंगे।"

चांद पर 20-21 सितंबर को सुबह हो चुकी है, यहां रात के वक्त -238 डिग्री सेल्सियस तक तापमान हो जाता है, इसीलिए इसरो चांद पर सुबह होने के बावजूद दो दिन तक इसलिए इंतजार कर रहा था, ताकि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर पर लगे सोलर पैनल से बैट्रियां चार्ज हो जाएं। शुक्रवार को इसरो के वैज्ञानिकों ने विक्रम और प्रज्ञान रोवर से संपर्क करने का काफी प्रयास किया, जो असफल रहा। हालांकि इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि वैज्ञानिक कोशिश में जुटे हैं, जल्द ही चमत्कार हो सकता है।

इसके बाद शुक्रवार शाम को इसरो ने एक्स पर एक बयान जारी किया। इसरो ने अपने बयान में कहा, "विक्रम और प्रज्ञान से संपर्क स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। अब तक हमें इन दोनों से कोई सिग्नल प्राप्त नहीं हुआ है। इनसे संपर्क करने का प्रयास जारी रहेगा।"

इसरो की योजना के मुताबिक लैंडर और रोवर सक्रिय हो गए तो वे पहले की तरह ही चंद्रमा से और जानकारियां जुटाएंगे। इन जानकारियों को वे पृथ्वी पर भेजेंगे। इसरो का कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे भारत के राजदूत के रूप में वहां सदा के लिए पड़े रहेंगे।

चांद पर एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है।चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर ने चांद पर पूरा एक दिन बिताया। इस दौरान विक्रम और प्रज्ञान के साथ गए पेलोड ने इसरो तक चांद की सतह के बारे में कई जानकारियां भेजीं।

निज्जर हत्याकांड मामले में ट्रूडो ने अब कही नई बात, बोले-कनाडा ने भारत को खुफिया इनपुट दिए

#hardeep_singh_nijjar_case_justin_trudeau_says_share_evident_to_india_weeks_ago

भारत-कनाडा के बीच बिगड़ते संबंधों के बीच प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर हत्याकांड को लेकर अब नया दांव चला है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि उन्होंने भारत के साथ पहले ही जानकारी साझा की थी।जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि कनाडा ने कुछ हफ्ते पहले हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से जुड़े सबूत भारत से साझा किए हैं। इसमें वह सबूत हैं, जो दिखाता है कि हत्या में भारतीय एजेंट्स शामिल हैं।

ट्रूडो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'कनाडा ने उन विश्वसनीय आरोपों के सबूत को साझा किया है, जिनके बारे में मैंने सोमवार को बात की थी। हमने कई सप्ताह पहले ही ऐसा किया था। हमें उम्मीद है कि भारत हमारे साथ काम करेगा, ताकि इस गंभीर मामले की तह तक पहुंचा जा सके।'ये तीसरी बार है जब ट्रूडो ने सार्वजनिक तौर पर इस मुद्दे पर बात की है। हालांकि अब तक भारत कहता रहा है कि कनाडा ने अपने आरोपों के समर्थन में अब तक कोई सबूत पेश नहीं किए। 

इससे पहले जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को बिना किसी सबूत पेश किए कहा था कि जून महीने में हुई खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत सरकार के एजेंटों के शामिल होने के विश्वसनीय सबूत हैं।उन्होंने कहा था, कनाडा की एजेंसियों ने पुख्ता तौर पर पता किया है कि कनाडा की ज़मीन पर कनाडाई नागरिक की हत्या के पीछे भारत सरकार का हाथ हो सकता है। हमारी ज़मीन पर हुई हत्या के पीछे विदेशी सरकार का होना अस्वीकार्य है और ये हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है। 

इस बयान के बाद कनाडा ने भारत के शीर्ष राजनयिक को निष्कासित कर दिया। जवाबी कार्रवाई में भारत ने भी कनाडा के शीर्ष राजनयिक को पांच दिनों के अंदर भारत छोड़ने का आदेश दे दिया था। साथ ही कनाडा में भारतीय दूतावास ने वीज़ा सेवाओं पर ये कहते हुए रोक लगा दी कि ऑपरेशनल वजहों से फिलहाल ये सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं।इसके बाद भारत ने भी कनाडा में रहने वाले अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की। इसमें कहा गया कि भारत विरोधी गतिविधियों के चलते वहां रहने वाले भारतीय काफी सतर्क रहें।बता दें कि वहां भारतीय लोगों को धमकी जा रही है।

संयुक्त राष्ट्र में भारत ने फिर पाकिस्तान को लताड़ा, कहा- आतंक की फैक्ट्री बंद करे, पीओके को तुरंत खाली करे

#india_slams_pakistan_for_raking_up_kashmir_at_unga

पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवर उल हक काकड़ ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के खिलाफ जहर उगला। अपने संबोधन में उन्होंने जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच शांति के लिए कश्मीर अहम है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाने के लिए भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई है।पाकिस्तान को घेरते हुए सबसे पहले उससे भारत के अवैध तरीके से कब्जाए गए क्षेत्रों को खाली करने के लिए कहा। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने की नसीहत दी।

“पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों का गढ़ है”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने राइट टू रिप्लाई के तहत ने जवाब देते हुए पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई।संयुक्त राष्ट्र में भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी पेटल गहलोत ने पाकिस्तान को खरी-खरी सुनते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, पाकिस्तान को हमारे आंतरिक मामलों में बोलने का कोई अधिकार नहीं। पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए पेटल गहलोत ने कहा कि आपको मुंबई हमले के आतंकवादियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए जिसके पीड़ित 15 सालों बाद भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों का गढ़ है। उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवादियों के लिए सेफ हेवन बनाया है।

पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन का रिकॉर्ड सबसे खराब

पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन की बात करते हुए पेटल ने कहा, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर उंगली उठाने का अधिकार किसी को नहीं है। संयुक्त राष्ट्र फोरम का दुरुपयोग करने का आदि पाकिस्तान हो चुका है। वह बार-बार इस वैश्विक मंच का गलत इस्तेमाल भारत के खिलाफ करता है। बार-बार भारत के खिलाफ बेबुनियाद आरोप सिर्फ इसलिए लगता है ताकि पाकिस्तान में धड़ल्ले से हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंघन पर दुनिया की नजर न जाए। इस मामले में पाकिस्तान का रिकॉर्ड बहुत खराब है।उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान का मानवाधिकार का रिकॉर्ड पूरी दुनिया में सबसे खराब है। विशेष तौर पर अल्पसंख्यकों और महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले में। पाकिस्तान को सबसे पहले अपने आंतरिक हालात को सुधारना चाहिए।

पीओके खाली करे पाकिस्तान

पाकिस्तान के खिलाफ सख्त बयान देते हुए उन्होंने आगे कहा, 'पाकिस्तान उन लोगों को संरक्षण देता है, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दक्षिण एशिया में शांति बनाने के लिए तीन कदम उठाए। पहला सीमा पर आतंकवाद रोके, दूसरा जबरन कब्जाए गए भारतीय इलाके पीओके को खाली करे और तीसरा पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को रोके।

पीएम मोदी का वाराणसी दौरा आज, अपने संसदीय क्षेत्र समेत पूरे यूपी को देंगे 1000 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं की सौगात

#pm_modi_going_to_give_more_than_1000_crore_schemes_to_his_constituency_varanasi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 सितंबर को उत्तर प्रदेश के वाराणसी पहुंचेंगे। पीएम मोदी आज वाराणसी के साथ पूरे उत्तर प्रदेश को 1565 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की सौगात देंगे। इन सौगात में सबसे अहम वाराणसी के गंजारी में 450 करोड़ रुपये से बनने वाले पूर्वांचल के पहले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का लोकापर्ण है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी काशी सहित प्रदेश में 16 अटल आवासीय विद्यालयों का भी लोकार्पण करेंगे।

ऐसा होगा पीएम का कार्यक्रम

प्रधानमंत्री शनिवार को प्रदेशवासियों को 1565 करोड़ की विकास परियोजनाओं की सौगात देंगे। इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है। पीएमओ से मिली जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी करीब छह घंटे तक वाराणसी में गुजारेंगे। दोपहर साढ़े बारह बजे आएंगे। पीएम सबसे पहले गंजारी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का शिलान्यास करेंगे।क्रिकेट स्टेडियम 450 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है। वे यहां जनसभा को भी संबोधित करेंगे। इसके बाद संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में महिलाओं से संवाद करेंगे। यह संवाद महिला आरक्षण विधेयक पर होगा। महिलाएं प्रधानमंत्री को सम्मानित करेंगी। यहां से पीएम रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर जाएंगे। वहां काशी सांसद खेल महोत्सव के विजेता प्रतिभागियों से संवाद करेंगे। साथ ही काशी सहित उत्तर प्रदेश के अटल आवासीय विद्यालयों को लोकार्पण करेंगे। अटल आवासीय विद्यालय 1115 करोड़ से बने हैं। इनमें दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों से वर्चुअल जुडेंगे।

ये होंगे खास मेहमान

अतंरराष्ट्रीय स्टेडियम के शिलान्यास समारोह को भव्य और यागदार बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। इस खास कार्यक्रम में क्रिकेट के दिग्गज समेत कई खिलाड़ियों को निमंत्रण दिया गया है।प्रशासन ने जो सूची तैयार की है, उसके मुताबिक गंजारी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के शिलान्यास समारोह में पीएम मोदी के मंच पर 18 लोग रहेंगे। इसमें क्रिकेट की हस्तियां भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीसीसीआई के अध्यक्ष रोजर बिन्नी, सचिव जय शाह, उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला, सचिन तेंदुलकर, सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री, कपिल देव, करसन घावरी, दिलीप वेंगसरकर, मदनलाल, गुडप्पा विश्वनाथ, यूपी के खेलमंत्री गिरीश चन्द्र यादव, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या और विधायक त्रिभुवन राम मौजूद रहें।

शिवमय होगा स्टेडियम 

पीएम की ओर से आज प्रदेश को दी जाने वाली सौगातों में सबसे अलग और सबसे खास है करीबन सवा तीन सौ करोड़ रुपए की लागत से बननेवाला क्रिकेट स्टेडियम।यह पूर्वांचल का पहला क्रिकेट स्टेडियम होगा। इस स्टेडियम को जिस तरह से बनाया जा रहा है, उसमें काशी की संस्कृति के दर्शन भी होंगे।दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक बनारस को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। इसीलिए, स्टेडियम के निर्माण में शिव की भी झलक देखने को मिलेगी।स्टेडियम के डिजाइन की जो तस्वीरें अभी तक सामने आय़ी हैं, उसके मुताबिक इसमें भगवान शिव से जुड़े हुए वस्तुओं के आधार पर ही डिजाइन बन रहा है। स्टेडियम के सामने बनने वाले मीडिया सेंटर का डिजाइन भगवान शिव के डमरू की तरह होगा। डे-नाइट मैच के दौरान मैदान को रोशन करने वाली फ्लड लाइट्स त्रिशूल के आकार की होंगी।स्टेडियम का प्रवेश द्वार जिस आकार का बनाया जा रहा है, वह बेलपत्र की तरह दिखेगा। इसकी छत अर्द्धचंद्राकार है। इस स्टेडियम में 30 हजार लोग बैठ सकते हैं और इसे बनाने के लिए दो साल का समय अनुमानित है। काशी की सांस्कृतिक झलक को दिखाने की इस स्टेडियम में पूरी कोशिश की गयी है।

भारत के गुस्से को झेल रहे हैं ट्रूडो पर क्यों नहीं कर रहे खालिस्तानियों पर कार्रवाई?

#why_khalistani_separatists_are_safe_in_canada

भारत और कनाडा के बीच संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। इसी साल जून में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की कथित संलिप्तता के कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हो गया है।कनाडा के साथ भारत के रिश्तों में खालिस्तान की वजह से संबंधों में उतार-चढ़ाव पहले भी आते रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी ये इतना आगे नहीं बढ़े थे।कनाडा में खालिस्‍तानी आतंकवाद को शह मिलने की वजह से दोनों देशों के संबंधों में खटास कई सालों से बरकरार थी। मगर ट्रूडो ने आधिकारिक तौर पर, पूरी दुनिया के सामने भारत पर एक खालिस्तानी आतंकी की हत्या का आरोप लगा दिया। जिसके बाद से तनाव बढ़ता ही जा रहा है।ऐसे में सवाल ये उठता है कि भारत के बार-बार कहने के बावजूद वहां से भारत के खिलाफ चलाई जा रहीं अलगाववादी गतिविधियों के खिलाफ ट्रूडो कोई कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा है? क्या ट्रूडो के साथ मजबूरी है?

दरअसल, सिख कनाडा में सबसे तेजी से बढ़ रहा समुदाय है। यह ईसाई, मुस्लिम और हिंदू के बाद कनाडा का चौथा सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है। भारत के बाद सबसे अधिक सिख कनाडा में ही बसते हैं। ओंटारियो, ब्रिटिश कोलंबिया और अलबर्टा में इस समुदाय की सघन बसाहट है। अंग्रेजी और फ्रेंच के बाद पंजाबी कनाडा में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। कनाडा में रहने वाले सात लाख 70 हजार सिखों में से दो लाख 36 हजार सिख कनाडा के नागरिक हैं। चार लाख 15 हजार सिखों को परमानेंट रेजिडेंट (PR) का दर्जा हासिल है। इनके अलावा एक लाख 19 हजार सिख नॉन परमानेंट रेजिडेंट के तौर पर रह रहे हैं।

यही नहीं, कनाडा में बड़ा वोट बैंक सिख हैं। 2019 में कनाडा के भीतर सिख मूल के 18 सांसद थे, उसी साल भारत से 13 सिख लोकसभा सांसद चुने गए। 2021 में कनाडाई संसद के चुनाव में 15 सिख निर्वाचित हुए।जाहिर है ट्रूडो के लिए सिख आबादी को नजरअंदाज कर आगे बढ़ पाना संभव नहीं। वह सियासी फायदे के लिए आग से खेलने की कोशिश कर रहे हैं। जस्टिन ट्रूडो महज़ 44 साल की उम्र में पहली बार कनाडा के प्रधानमंत्री बने थे। साल 2019 में वो दोबारा इस कुर्सी पर बैठे लेकिन उस वक़्त तक उनकी लोकप्रियता काफ़ी कम हो चुकी थी। 2019 में कोरोना महामारी आई। ट्रूडो की लिबरल पार्टी को भरोसा था कि इस महामारी से निपटने में उनकी काबिलियत को देखते हुए हाउस ऑफ़ कॉमन्स (कनाडा की संसद का निचला सदन) में उन्हें आसानी से बहुमत मिल जाएगा। वर्ष 2019 में समय से पहले चुनाव कराए गए। ट्रूडो की लिबरल पार्टी की 20 सीटें कम हो गईं। लेकिन इसी चुनाव में जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को 24 सीटें मिली थीं। वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक़, जगमीत सिंह पार्टी के नेता बनने से पहले खालिस्तान की रैलियों में शामिल होते थे। ट्रिब्यून इंडिया ने एक ख़बर में इस स्थिति का ज़िक्र करते हुए विश्लेषकों के हवाले से लिखा है, "ट्रूडो के प्रधानमंत्री बने रहने के लिए जगमीत सिंह का समर्थन बहुत ज़रूरी हो गया था। शायद ये भी एक बड़ी वजह है कि ट्रूडो सिखों को नाराज़ करने का ख़तरा मोल नहीं ले सकते थे।"

वहीं, दूसरी तरफ करीब चार दशकों से खालिस्तानी आतंकवादियों की पनाहगाह बना हुआ है। 60 के दशक में वहां लिबरल पार्टी की सरकार आई। उसे मैनपावर की जरूरत थी। जो हिंदुस्तान जैसे देश से उसे कम कीमत पर मिल रहा था। इसी दौरान सिखों में चरमपंथी समुदाय भी बन चुका था। खालिस्तान की मांग को लेकर आंदोलन हो रहे थे। भी ऑपरेशन ब्लू स्टार चला, जिसके बाद खालिस्तानी भागकर कनाडा में शरण लेने लगे। फिलहाल जो हालात हैं, वो कुछ ऐसे हैं कि सरकार और सिख संगठनों दोनों को ही एक-दूसरे की जरूरत है।

लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए का कुनबा बढ़ा, कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस गठबंधन में शामिल

#jdsdecidedtobethepartof_nda

देश में अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।आने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए। एक तरफ विपक्षी दलों ने केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ गठबंधन INDIA खड़ा किया है, तो दूसरी तरफ सत्तारूढ़ बीजेपी भी अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी है। इसी क्रम में एनडीए का कुनबा उस समय पहले से और बड़ा हो गया जब जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए में शामिल हो गई।

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी की पार्टी जेडीएस यानी जनता दल (एस) ने भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में एनडीए में जेडीएस शामिल हो गई है। इतना ही नहीं, एचडी कुमारस्वामी ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी की। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी ने दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान जेडीएस ने औपचारिक तौर पर एनडीए ज्वाइन किया। 

जेपी नड्डा ने किया ट्वीट

अमित शाह से कुमारस्वामी की मुलाकात के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गोवा के सीएम प्रमोद सावंत भी मौजूद थे। नड्डा ने कुमारस्वामी से मीटिंग के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा- "कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जद(एस) नेता एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात की। कुमारस्वामी की पार्टी ने हमारे वरिष्ठ नेता और गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा बनने का फैसला किया है। हम एनडीए में उनका तहे दिल से स्वागत करते हैं। यह एनडीए और प्रधानमंत्री मोदी के "न्यू इंडिया, स्ट्रॉन्ग इंडिया" के दृष्टिकोण को और मजबूत करेगा।

कर्नाटक में बीजेपी और जेडीएस की स्थिति

बता दें कि कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 सीट हैं। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में कर्नाटक में 25 सीट जीती थीं, जबकि मंड्या सीट पर उसके समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार सुमलता अंबरीश ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस और जद(एस) ने एक-एक सीट जीती थी। इस साल मई में हुए 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 135 सीटों पर जीत मिली, जबकि भाजपा को 66 और जद (एस) को 19 सीटों पर जीत हासिल हुई।

दरअसल, कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान लिंगायत मतदाताओं ने बीजेपी से मुंह मोड़ लिया जिससे पार्टी की करारी हार हुई। हार को सुनिश्चित करने में पार्टी की अपनी गलतियां भी कम जिम्मेदार नहीं रहीं। पार्टी ने अपने दिग्गज लिंगायत नेता बीएस येदियुरप्पा को मुख्य भूमिका से पीछे खींच लिया, लक्ष्मण सावदी और जगदीश शेट्टार को उनकी सीटों से टिकट देने से इनकार कर दिया गया। पार्टी की नीतियों से नाराज इन नेताओं ने कांग्रेस की ओर रुख कर लिया। उनके साथ उनके मतदाताओं ने भी पाला बदल लिया। इसका असर हुआ कि भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। 

गठबंधन से क्या हो सकता है फायदा?

विधानसभा चुव में मिली हार के बाद बीजेपी सतर्क हो गी है। ऐसे में जेडीएस के साथ आने से दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में सामाजिक और राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल सकते हैं। कर्नाटक की आबादी में करीब 17 फीसदी भागीदारी वाला लिंगायत समुदाय बीजेपी का कोर वोटर माना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से ही आते हैं। लिंगायत के बाद करीब 15 फीसदी आबादी वाला वोक्कालिगा समुदाय दूसरा सबसे प्रभावशाली समाज है। वोक्कालिगा परंपरागत रूप से जेडीएस का वोटर माना जाता है। जेडीएस चीफ एचडी देवगौड़ा खुद भी वोक्कालिगा समुदाय से ही आते हैं। दो पार्टियों के साथ आने से राज्य में एनडीए का वोट बेस करीब 32 फीसदी हो जाएगा। ऐसे में सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज से कर्नाटक में एनडीए की जमीन को मजबूती मिल सकती है।