महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पास, पक्ष में पड़े 454 वोट और विपक्ष में 2 वोट*

#women_reservation_bill_passed_by_lok_sabha

Image 2Image 3Image 4Image 5

लोकसभा में लंबी बहस के बाद महिला आरक्षण बिल बुधवार शाम को पास हो गया. महिला आरक्षण विधेयक के पक्ष में 454 वोट पड़े। लोकसभा में ये बिल दो तिहाई बहुमत से पास हो गया है। बता दें कि इसके विरोध में सिर्फ 2 वोट ही पड़े हैं। संविधान संशोधन के लिए सदन की संख्या के दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। जबकि किसी नॉर्मल बिल को पास कराने के लिए सदन में 50 फीसदी से ज्यादा सदस्य मौजूद होने चाहिए। उसका दो तिहाई बहुमत से उसे पारित किया जाना चाहिए। लेकिन ये संविधान संशोधन विधेयक था, लिहाजा कांग्रेस के साथ अन्य विपक्षी दलों ने भी सरकार का साथ दिया।

इससे पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से सांसदों ने महिला आरक्षण को लेकर अपनी-अपनी बात रखी। महिला आरक्षण बिल पर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि परिसीमन को लेकर सवाल खड़ा किया जा रहा है। परिसीमन के सेक्शन 8 और 9 में ये कहा गया है कि संख्या देकर ही निर्धारण होता है। इन तकनीकी चीजों में हम जाएंगे तो आप चाहते हैं कि ये बिल फंस जाए। लेकिन हम इस बिल को फंसने नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि महिला आरक्षण का विषय हॉरिजोन्टल भी है और वर्टिकल भी है। अब तुरंत तो परिसीमन, जनगणना नहीं हो सकती। आप कह रहे हैं कि तुरंत दे दीजिए।

बिल पर चर्चा करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कुछ पार्टियों के लिए ये चुनाव जीतने का मुद्दा हो सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ये राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि मान्यता का सवाल है। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल पास हो जाने के बाद एक तिहाई सीटें मातृशक्ति के लिए आरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस बिल के आने से देश की बेटियां न केवल नीतियों के अंदर अपना हिस्सा पाएंगी बल्कि नीति निर्धारण में भी अपने पद को सुरक्षित कर सकेंगी।

इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, मैं इस बिल के समर्थन में खड़ा हूं लेकिन ये बिल अभी भी अधूरा नजर आता है। इस बिल में ओबीसी के आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए जो बिल से नदारत नजर आता है. उन्होंने कहा, परिसीमन और जनगणना पूरी होने के प्रावधान के बजाय इसे तुरंत लागू किया जाना चाहिए। ये अच्छी बिल्डिंग है लेकिन इसके कार्यक्रम में देश की महिला राष्ट्रपति को भी होना चाहिए था। जब भी विपक्ष जातीय जनगणना की बात करता है, भटकाने वाले मुद्दे लाए जाते हैं।

महिला आरक्षण विधेयक पर राहुल गांधी का सरकार पर हमला, ओबीसी आरक्षण के बिना बिल को बताया अधूरा

#rahul_gandhi_on_the_womens_reservation_bill

Image 2Image 3Image 4Image 5

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बुधवार को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पर जारी चर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने सदन को संबोधित करते हुए बिल का समर्थन किया।, हालांकि उसे तुरंत लागू करने की मांग की। कांग्रेस सांसद ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक बहुत महत्वपूर्ण है। इस बिल को तुरंत ही लागू किया जाना चाहिए। राहुल ने कहा कि वे इस विधेयक के समर्थन में हैं, लेकिन ओबीसी आरक्षण के बिना महिला आरक्षण अधूरा रहेगा।

राहुल गांधी ने कहा, मैं बिल के समर्थन में खड़ा हूं। इस बिल में ओबीसी के आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए वो मिसिंग है। परिसीमन और जनगणना पूरी होने के प्रावधान के बजाय इसे फौरन लागू किया जाना चाहिए।परिसीमन और जणगणना का इंतजार नहीं करना चाहिए।कांग्रेस सांसद ने कहा कि भारत की महिलाओं को सत्ता हस्तांतरित करने की दिशा में सबसे बड़ा कदम था पंचायती राज, जहां उन्हें आरक्षण दिया गया। बड़े पैमाने पर राजनीतिक व्यवस्था में प्रवेश करने की अनुमति दी गई। हर कोई इस बात का समर्थन करेगा कि यह हमारे देश की महिलाओं के लिए बहुत बड़ा कदम है। महिलाओं ने आजादी के आंदोलन में भी भाग लिया। लेकिन, उनके हिसाब से यह बिल अधूरा है क्योंकि इसमें ओबीसी आरक्षण की बात नहीं है।

अपने संबोधन में राहुल ने कहा कि सरकार में 90 सचिव हैं, उनमें से सिर्फ 3 ओबीसी हैं। यानी ओबीसी सेक्रेटरी सिर्फ 5 फीसदी बजट कंट्रोल करते हैं। राहुल ने कहा कि इसलिए सवाल उठता है ओबीसी बड़ी संख्या में हैं। कितने ओबीसी, दलित, आदिवासी हैं इसके लिए जातीय जनगणना जरूरी है। इसे जल्दी कीजिए। 2011 का डेटा जारी कीजिए, आप नहीं करेंगे तो हम करेंगे। राहुल सदन में सचिवों की लिस्ट लेकर पहुंचे थे। उन्होंने सूची को दिखाते हुए सरकार से इसे बदलने की मांग की।

राहुल गांधी बोले, 'सरकार कई मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करती है। इसमें से एक मुद्दा है जातिगत जनगणना। मुझे बिल्कुल समझ नहीं आता कि क्या कारण है कि जैसे ही विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाता है, भाजपा अन्य मुद्दों को लाकर अचानक ध्यान भटकाने की कोशिश करती है ताकि ओबीसी समुदाय और भारत के लोग दूसरी तरफ देखने लगें।

विश्व कप के लिए भारतीय टीम की नई जर्सी लॉन्च, दिखे कई बड़े बदलाव

#worldcup2023indianewjerseylaunch

Image 2Image 3Image 4Image 5

वर्ल्ड कप 2023 का आगाज होने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। 5 अक्टूबर से शुरू होने वाले वनडे विश्व कप 2023 के लिए भारतीय क्रिकेट टीम की नई जर्सी लॉन्च हो गई है।नई जर्सी मौजूदा जर्सी से काफी अलग हैय़ रंग तो इसका ब्लू ही है लेकिन इसमें एक बड़ा बदलाव किया गया है।टीम इंडिया आधिकारिक किट स्पॉन्सर एडिडास ने बुधवार को एक वीडियो शेयर कर जर्सी की पहली झलक पूरी दुनिया को दिखाई।

स्पॉन्सर एडिडास द्वारा शेयर इस वीडियो में कप्तान रोहित शर्मा के साथ दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली, उपकप्तान हार्दिक पांड्या, मोहम्मद सिराज और कई अन्य खिलाड़ी नजर आ रहे हैं।वीडियो में भारत के प्रसिद्ध सिंगर और रैपर रफ्तार ने ‘3 का ड्रीम’ गाना गाया है। इस गाने पर ही भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली, शुभमन गिल, हार्दिक पांड्या और मोहम्मद सिराज जैसे स्टार खिलाड़ी नई जर्सी में नजर आ रहे हैं।

जर्सी पर दो सितारे और तिरंगे के तीन रंग

खास बात तो यह है कि इस बार जर्सी में जो बदलाव हुए है। वनडे विश्व कप 2023 के लिए लॉन्च की गई भारतीय टीम की नई जर्सी में दो स्टार लगे है, ऐसा इसलिए क्योंकि वनडे जर्सी 1983 और 2011 विश्व कप में भारत की जीत का प्रतीक है। भारतीय टीम ने 50 ओवर में दो बार खिताब जीता है, इसलिए जर्सी पर दो स्टार लगे हुए नजर आ रहे हैं। 

ऑस्ट्रेलिया से होगा भारत का पहला मैच

विश्व कप में भारतीय टीम अपने अभियान की शुरुआत आठ अक्तूबर को चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करेगी। टीम इंडिया 14 अक्तूबर को पाकिस्तान के खिलाफ अहमदाबाद में खेलेगी। विश्व कप से पहले भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन वनडे मैचों की सीरीज खेलेगी।

खालिस्तानी निज्जर हत्याकांड में कनाडा ने “5 आइज” से मांगा साथ, अमेरिका समेत कई देशों से की थी भारत की निंदा करने की मांग

#canada_pm_trudeau_allegations_over_india_nijjar_five_eyes

Image 2Image 3Image 4Image 5

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह जी-20 सम्मेलन में द्विपक्षीय बातचीत के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो के सामने इस बात पर नाराजगी जाहिर की थी कि उनके देश में खालिस्तानी समर्थक तत्वों की गतिविधियों पर नकेल नहीं कसी जा रही है। इसके बाद कनाडा लौटते ही जस्टिन ट्रूडो ने संसद में सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता की आशंका ज़ाहिर की।इसके बाद विदेश मंत्री मेलेनी जोली ने शीर्ष भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को निकालने का एलान कर दिया। जवाब में भारत ने भी कनाडा के एक शीर्ष राजयनिक को निकाल दिया।इस बीच, एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। बताया गया है कि पीएम जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए आरोपों से कुछ सप्ताह पहले कनाडा के अधिकारियों ने अमेरिका सहित कई सहयोगियों से निज्जर की हत्या की सार्वजनिक निंदा करने की मांग की थी। हालांकि, सभी देशों ने इससे इनकार कर दिया था।

1980 के दशक से लेकर जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल के आखिरी आठ वर्षों तक, खालिस्तान मुद्दे ने हमेशा भारत-कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित किया है। लेकिन इस बार, ओटावा ने कार्रवाई तेज कर दी है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के बारे में सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने से कुछ हफ्ते पहले, ओटावा ने अपने निकटतम सहयोगियों से समर्थन मांगा था। कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक से भारत की शिकायत की। साथ ही, कनाडा ने पांच देशों की इंटेलिजेंस एजेंसियों के संघ फाइव आइज के सामने भी भारत पर आरोप लगाया। कनाडा का आरोप है कि निज्जर की हत्या में भारत का हाथ है। हरदीप निज्जर कनाडाई नागरिक था। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा की ग्रुपिंग, फाइव आइज इंटेलिजेंस एलायंस ने इस आरोप को गंभीर बताया है। हालांकि, एलायंस ने कनाडा के इस अनुरोध को खारिज कर दिया है कि वह हत्या की संयुक्त रूप से निंदा करे।

वॉशिंगटन पोस्ट ने एक पश्चिमी सूत्र के हवाले से कहा है कि अमेरिका के नेतृत्व में फाइव आइज ने संयुक्त बयान में निज्जर की हत्या की सार्वजनिक रूप से निंदा करने से इनकार कर दिया है। इससे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को अपने आरोपों की घोषणा अकेले ही करनी पड़ी। 

भारत के अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के साथ घनिष्ठ सुरक्षा और खुफिया सहयोग हैं। भारतीय अधिकारियों ने इन देशों के अपने समकक्षों के साथ बैठकों में भारत के खिलाफ अलगाववादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने में निज्जर और अन्य खालिस्तानी आतंकियों की भूमिका को बार-बार उजागर किया है।यही नहीं, इन देशों ने भी अपनी धरती से खालिस्तान समर्थक समूहों को भी सक्रिय होते देखा है और इन देशों में भी भारतीय दूतावासों के साथ साथ हिन्दू समुदाय और हिन्दू मंदिरों के खिलाफ बर्बर हिंसक गतिविधियां की गई हैं। इन देशों में भी खालिस्तान एक्टिव है, जो भारतीय राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़काते हैं। लिहाजा, अभी तक इन देशों की तरफ से सधी हुई प्रतिक्रियाएं सामने आईं हैं। ब्रिटेन ने भारत के साथ व्यापार वार्ता पर होने वाली बातचीत को रोकने से इनकार कर दिया है।

महिला आरक्षण पर बसपा प्रमुख मायावती की बड़ी डिमांड, सरकार की मंशा पर उठाया सवाल

#mayawatisaidthatwomenreservationwillnottakesplacetill15to16_years

बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन किया है। हालांकि, मायावती ने इसे तत्काल न लागू करने के प्रावधान पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। मायावती ने कहा कि आने वाले 15-16 वर्षों तक महिला आरक्षण बिल लागू नहीं हो सकेगा।

Image 2Image 3Image 4Image 5

15-16 वर्षों तक आरक्षण नहीं

महिला आरक्षण बिल पर सवाल उठाते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि बिल में इस प्रकार के प्रावधान बनाए गए हैं जिसके तहत लगभग 15-16 वर्षों तक यानी कई चुनाव तक देश की महिलाओं को ये आरक्षण प्राप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में ऐसे प्रावधान हैं जिसके तहत पहले पूरे देश में जनगणना कराई जाएगी। यानी बिल पास हो जाएगा लेकिन तुरंत लागू नहीं होगा। तब उसके पश्चात पूरे देश में लोकसभा और राज्यसभा का परिसीमन होगा। इसके बाद महिला आरक्षण विधेयक लागू होगाा। 

जनगणना में होने वाली देरी पर उठाया सवाल

मायावती ने कहा कि ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि देशभर में नए सिरे से जनगणना कराने में अनेक वर्ष लग जाते हैं। पिछड़ी जनगणना साल 2011 में प्रकाशित हुई थी। उसके बाद से आज तक जनगणना नहीं हो सकी है। ऐसी स्थिति में संविधान संशोधन के तहत इस नई जनगणना में जिसमें अनेक साल लग जाएंगे, उसके बाद ही पूरे देश में परिसीमन का काम शुरू होगा, जिसमें भी अनेक साल लगेंगे।

आंखों में धूल झोंककर उनका वोट हासिल करने की नियत

उन्होंने आगे कहा कि इस परिसीमन के पश्चात ही ये महिला आरक्षण बिल लागू होगा जबकि 128वें संशोधन विधेयक की सीमा ही 15 साल रखी गई है। इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि यह संशोधन विधेयक वास्तव में महिलाओं को आरक्षण देने की साफ नीयत से नहीं लाया गया है बल्कि आने वाली लोकसभा तथा विधानसभा के चुनावों में देश की भोली-भाली महिलाओं को यह प्रलोभन देकर और उनकी आंखों में धूल झोंककर उनका वोट हासिल करने की नीयत से ही लाया गया है।

कम नहीं हो रहा तुर्की का “पाक” प्रेम, एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिर उठाया कश्मीर मुद्दा

#turkeypresidentreceptayyiperdoganraiseskashmirissuein_unga

A

Image 2Image 3Image 4Image 5

अपने दोस्त पाकिस्तान को खुश करने के लिए तुर्की ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया है।तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान को इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाना चाहिए। इससे क्षेत्र में स्थिरता आएगी। 

राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उच्च स्तरीय 78वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया। एर्दोगन ने मंगलवार को महासभा की आम बहस में विश्व नेताओं को दिए संबोधन में कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद और सहयोग के जरिये कश्मीर में न्यायपूर्ण एवं स्थायी शांति की स्थापना कर दक्षिण एशिया में शांति, स्थिरता तथा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘तुर्किये इस दिशा में उठाए गए कदमों का समर्थन करना जारी रखेगा।’‘

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलाव की उठाई मांग

हालांकि, एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में बड़े बदलावों की वकालत करने लिए भारत की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि यह गर्व का विषय है कि भारत यूएनएससी में एक अहम भूमिका निभा रहा है। इस बीच अर्दोआन ने सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों पर निशाना साधा और कहा कि वह चाहते हैं कि यूएनएससी के 15 अस्थायी सदस्यों को भी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनाया जाए। एर्दोगन ने कहा, "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इन 20 देशों (पांच स्थायी सदस्यों+15 अस्थायी सदस्यों) को यूएनएससी में बदल-बदलकर स्थायी सदस्यता दी जानी चाहिए। क्योंकि दुनिया इन पांच स्थायी सदस्यों से बड़ी है। हमारा कहना सिर्फ इतना है कि दुनिया महज अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस तक सीमित नहीं है।"

एर्दोगन कश्मीर को बता चुके हैं एक ज्वलंत मुद्दा

बता दें कि कश्मीर को लेकर एर्दोगन का यह बयान उनके पुराने बयानों की अपेक्षा काफी हल्का है। साल 2020 में एर्दोगन ने कश्मीर को एक ज्वलंत मुद्दा बताया था। इसके साथ उन्होंने अनुच्छेद 370 को खत्म करने को लेकर भारत की आलोचना भी की थी। वहीं पिछले साल उन्होंने जोर देकर कहा था कि संयुक्त राष्ट्र रिजोल्यूशन अपनाए जाने के बावजूद, कश्मीर अभी भी घिरा हुआ है और 80 लाख लोग फंसे हुए हैं।हालांकि, भारत ने अर्दोआन के बयानों की निंदा की थी और देश की स्वायत्ता का सम्मान करने की मांग की थी।

*महिला आरक्षण पर बोलते हुए सोनिया को याद आए राजीव, बोलीं-बिल पास होते ही उनका सपना हो जाएगा पूरा*

#soniagandhispeechinlok_sabha

Image 2Image 3Image 4Image 5

संसद के विशेष सत्र का आज तीसरा दिन है। आज लोकसभा में 'नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पर बहस जारी है। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल लोकसभा में महिला आरक्षण बिल के बारे में जानकारी दी। जिसके बाद सदन में बिल पर बोलते हुए कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी ने ऐलान किया कि कांग्रेस महिला आरक्षण बिल का समर्थन करती है। हालांकि, उन्होंने जातिगत जनगणना कराकर एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का प्रावधान इस बिल में किया जाए।

सोनिया बोलीं-कांग्रेस महिला आऱक्षण बिल का समर्थन करती हूं

सोनिया गांधी ने लोकसभा में कहा कि कांग्रेस महिला आऱक्षण बिल का समर्थन करती है, मैं इस बिल के समर्थन में खड़ी हुई हूं। यह मेरी जिंदगी का मार्मिक समय है। पहली बार निकाय चुनाव में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने वाला बिल मेरे जीवनसाथी राजीव गांधी ही लाए थे। बाद में पीएम पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने ही उसे पारित कराया था। आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है। इस बिल के पारित होने के बाद यह सपना पूरा होगा। 

सोनिया बोली- बिल फौरन अमल में लाया जाए

सोनिया गांधी ने अपने भाषण में कहा कि भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है। महिलाओं ने सबकी भलाई के लिए काम किया।भारत की महिला में हिमालय जैसा धीरज है।नए भारत के निर्माण में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर महिलाएं लड़ीं। महिला कभी तकलीफों के बोझ के तल नहीं दबी। स्त्री ने कठिन समय में महात्मा गांधी, नेहरू, पटेल के सपनों को जमीन पर उतारा। इंडिरा गांदी का व्यक्तिव इसकी मिसाल है। कांग्रेस सरकार पहले भी बिल लाई जो गिर गया। इसके पास होने से खुशी है, लेकिन एक चिंता है। सवाल है कि 13 सालों से स्त्री अपनी राजनैतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही। अब उन्हें कितने साल इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है, 2 साल, 4 वर्ष, 8 वर्ष, कितने वर्ष। हमारी मांग है कि ये बिल फौरन अमल में लाया जाए। इसके साथ ही कास्ट सेंसस करवाकर एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण दिया जाए।

यूएन में बोले, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, विश्व के नेता रूसी आक्रमणकारियों के खिलाफ यूक्रेन के साथ खड़े हों, अब यही एकमात्र रास्ता बचा

Image 2Image 3Image 4Image 5

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए विश्व नेताओं से रूसी आक्रमणकारियों के खिलाफ यूक्रेन के साथ खड़े होने की अपील की। उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस में रिपब्लिकन भी इस पर ध्यान देंगे। बाइडन ने UNGA में अपने भाषण में कहा, 'रूस को लगता ​​है कि दुनिया थक जाएगी और उसे बिना किसी नतीजे के यूक्रेन पर क्रूरता करने देगी। अगर हम यूक्रेन को विभाजित होने देते हैं, तो क्या किसी भी राष्ट्र की स्वतंत्रता सुरक्षित होगी?' वार्षिक सभा में बाइडन का संबोधन उनकी न्यूयॉर्क की तीन दिवसीय यात्रा का फोकस रहा। इनमें 5 मध्य एशियाई देशों के प्रमुखों और इजराइल व ब्राजील के नेताओं के साथ बैठकें भी शामिल हैं।

डेमोक्रेट लीडर जो बाइडेन ने यूक्रेन के समर्थन को अमेरिकी विदेश नीति का अहम हिस्सा बना दिया है। वह तर्क देते हैं कि दुनिया को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को साफ संकेत भेजना चाहिए कि वह पश्चिम से आगे नहीं निकल पाएंगे। इस रवैये को लेकर बाइडेन को कुछ रिपब्लिकन की आलोचना का सामना करना पड़ा है। ये नेता चाहते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध पर कम पैसा खर्च करे। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन नॉमिनेशन में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सबसे आगे चल रहे हैं। उन्होंने सत्ता में लौटने पर युद्ध को शीघ्र समाप्त करने की कसम खाई है। ट्रंप ने नाटो सहित पारंपरिक सहयोगियों के साथ वाशिंगटन की भागीदारी को लेकर संदेह जताया है और पुतिन की प्रशंसा भी की है।

नग्न आक्रामकता के खिलाफ खड़े हों: बाइडन

रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि रूस पर लगाम लगाना दुनिया के लिए जरूरी है। मॉस्को को सख्त संदेश देते हुए बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में विश्व नेताओं से यूक्रेन के पक्ष में आह्वान किया। उन्होंने कहा, 'हमें इस नग्न आक्रामकता के खिलाफ आज खड़ा होना चाहिए। कल के दूसरे संभावित आक्रामकों को रोकने के लिए यह कदम उठाया जाए।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'यही कारण है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अपने सहयोगियों और दुनिया भर के साझेदारों के साथ यूक्रेन के बहादुर लोगों के साथ खड़ा है। वे अपनी संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा कर रहे हैं।'

पुतिन जैसे तानाशाहों का नहीं लूंगा पक्ष: बाइडन

जो बाइडन ने सोमवार शाम को चुनाव प्रचार के लिए कोष जुटाने के अभियान की समीक्षा की थी। इस दौरान उन्होंने समर्थकों को बताया कि वह रूस के राष्ट्रपति पुतिन के आक्रमण के खिलाफ खड़े रहें। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में शामिल ट्रंप सत्ता में रहने पर यूक्रेन के भूभाग पर कब्जा करने से रूस को रोकने में मदद करते। बाइडन ने चंदा जुटाने के अभियान के दौरान अपने समर्थकों से कहा, 'मैं पुतिन जैसे तानाशाहों का पक्ष नहीं लूंगा। हो सकता है कि ट्रंप और उनके मित्र झुक जाएं, लेकिन मैं नहीं झुकूंगा।'

बाइडन बोले- हमने दुनिया को एकजुट किया

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, 'हमने यूक्रेन का समर्थन करने और नाटो को साथ करने के लिए दुनिया को एकजुट किया, क्योंकि मैं शुरू से आश्वस्त था कि नाटो के सामने पुतिन टिक नहीं पाएंगे। हमारे सहयोगी एक बार फिर जानते हैं कि अमेरिका पर भरोसा किया जा सकता है।' यूक्रेन के लिए अटूट समर्थन का बाइडन का संदेश काम कर सकता है, क्योंकि अमेरिकी कांग्रेस (संसद) कीव के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध कराने को लेकर विभाजित है। बाइडन यूक्रेन के लिए अतिरिक्त सैन्य सहायता के रूप में 13.1 अरब अमेरिकी डॉलर और मानवीय सहायता के लिए 8.5 अरब अमेरिकी डॉलर के पैकेज का प्रावधान करना चाहते हैं। हालांकि, रिपब्लिकन सांसद संघीय खर्च में व्यापक कटौती पर जोर दे रहे हैं। ट्रंप के साथ जुड़े कुछ नेता विशेष रूप से यूक्रेन के लिए मदद रोकने की मांग कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पुलिस ने फिर नहीं माना हाई कोर्ट का आदेश ! अब अदालत ने ठोंका जुर्माना, यहां जानिए पूरा मामला

Image 2Image 3Image 4Image 5

कलकत्ता उच्च न्यायालय के जज अभिजीत गंगोपाध्याय और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच अक्सर टकराव देखने को मिलता रहता है। जस्टिस पहले भी ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद अभिषेक बनर्जी खिलाफ सख्त कदम उठा चुके है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के बीच में आ गया और अभिषेक बनर्जी को राहत मिल गई। उसके बाद भी जस्टिस ने शिक्षक भर्ती घोटाले की सुनवाई करते हुए कई फर्जी नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दे दिया था। हालाँकि, उस मामले में भी हाईकोर्ट की बड़ी बेंच ने ममता बनर्जी सरकार को राहत दे दी और नियुक्तियां रद्द होने से बच गईं। अब जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने ममता बनर्जी की पुलिस की क्लास लगाई है।

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस गंगोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल पुलिस के CID (क्रिमिनल इन्वेस्टिगेटिंग डिपार्टमेंट) पर पांच लाख रुपये का जुर्माना ठोंका है। दरअसल, जस्टिस इस बात से खफा थे कि उनके आदेश देने के बावजूद CID ने एक घोटाले की जांच CBI और ED को नहीं सौंपी है। जस्टिस का सवाल था कि CID आखिर क्या छिपाना चाह रही है ? क्या वो घोटाले के दोषियों को बचाना चाह रही है ? बता दें कि, CID राज्य सरकार के अधीन आती है और CBI-ED केंद्र के आधीन। इससे पहले भी कई बार हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद बंगाल पुलिस ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को मामलों के दस्तावेज नहीं सौंपे हैं। इसी साल रामनवमी पर जुलुस निकाल रहे श्रद्धालुओं पर हुए हमले की जांच भी हाई कोर्ट ने NIA को सौंपी थी, लेकिन NIA ने कोर्ट को बताया था कि, कई दिन हो गए किन्तु, बंगाल पुलिस ने उसे दस्तावेज़ ही नहीं सौंपे हैं, जिसके चलते जांच अटकी पड़ी है। उस वक़्त भी यह सवाल उठा था कि, आखिर सीएम ममता की पुलिस क्या छुपाना चाह रही है और किसे बचाना चाह रही है ? वहीं, जब पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस (रिटायर्ड) नरसिम्हा रेड्डी के नेतृत्व में मानवाधिकार संगठन की 6 सदस्यीय टीम हिंसा की सच्चाई का पता लगाने बंगाल पहुंची थी, लेकिन ममता बनर्जी की पुलिस ने उन्हें दंगा प्रभावित इलाके में जाने ही नहीं दिया था।

क्या है ताजा मामला, जिसमे बंगाल पुलिस को पड़ी फटकार

दरअसल, ये मामला अलीपुरद्वार महिला समाबे रिंदन से संबंधित है। सोसायटी के पास 21163 सदस्य पंजीकृत हैं। इन सभी लोगों ने सोसायटी के पास अपने पैसों का निवेश किया था। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये रकम 50 करोड़ से अधिक है। सोसायटी ने ये पैसा लोन के रूप में कुछ लोगों को बांट दिया। इस मामले की जांच CID को सौंपी गई थी। लेकिन तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी CBI जांच करती रही, और ये पता नहीं लगा पाई कि पैसा किन लोगों को दिया गया। वहीं, जिन लोगों ने सोसायटी से पैसा लिया, उसे कभी वापस ही नहीं लौटाया। जिन्होंने सोसाइटी में पैसे लगाए थे, वो दर दर की ठोकर खा रहे हैं।

24 अगस्त को हाईकोर्ट ने CBI और ED को सौंपा था केस

कोलकाता उच्च न्यायालय ने 24 अगस्त को आदेश दिया था कि ये मामला CBI और ED को सौंपा जाए। लेकिन, हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद ममता सरकार के अधीन आने वाली CID ने एक महीने तक ये केस अभी तक केंद्रीय एजेंसियों को नहीं सौंपा। इस पर जस्टिस गंगोपाध्याय ने सवाल किया कि ममता बनर्जी की पुलिस आखिर छिपा क्या रही है ? उसने ये केस अभी तक केंद्रीय एजेंसियों को क्यों नहीं सौंपा ? जस्टिस का कहना था कि CID के एक अधिकारी ने खुद माना है कि केस अभी तक ट्रांसफर नहीं किया जा सका है। जिसके बाद जस्टिस ने CID पर 5 लाख का जुर्माना लगा दिया। 

हालांकि, CID ने जस्टिस गंगोपाध्याय की अदालत में अर्जी दी कि पांच लाख जुर्माने का आदेश वापस ले लिया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि CID ऐसी अर्जी दाखिल करने वाली होती कौन है। 22 सितंबर तक पुलिस को पांच लाख रुपये की रकम हाईकोर्ट की लीगल एड में जमा कराने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही जस्टिस ने ये आदेश भी दिया कि CBI और ED को 18 सितंबर तक CID केस से संबंधित दस्तावेज सौंप दे।

*इमरान खान के बाद पाक के इस पूर्व पीएम ने की भारत की तारीफ, बोले- पाकिस्तान भीख मांग रहा और भारत चांद पर पहुंच गया*

#indiaonthemoonandpakistanbeggingformerpmnawazsharif_cursed 

Image 2Image 3Image 4Image 5

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के बाद अब नवाज शरीफ ने भारत की तारीफ की है।पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने देश के आर्थिक संकट के लिए पूर्व जनरल और न्यायाधीशों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान दुनिया के सामने भीख मांगता फिर रहा है, जबकि भारत ने चांद पर पहुंचने के अलावा जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की।

नवाज बोले- पाकिस्तानी पीएम भीख मांग रहे

नवाज शरीफ ने सोमवार शाम को वीडियो लिंक के जरिए लंदन से लाहौर में पार्टी की एक बैठक को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए सवाल किया, ''आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पैसे की भीख मांगने के लिए एक देश से दूसरे देश जा रहे हैं, जबकि भारत चांद पर पहुंच गया है और जी-20 की बैठकें भी आयोजित की। भारत ने जो कमाल किया वो पाकिस्तान क्यों नहीं कर पाया। 

शरीफ ने पाक की इस हालत के लिए इन्हें ठहराया जिम्मेदार

पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने कहा, वो कौन लोग हैं, जिन्होंने आज पाकिस्तान का यह हाल कर दिया है।जो मैं और आप देख रहे हैं। वो कौन लोग हैं, जिन्होंने मुल्क को यहां तक पहुंचाया है।आज गरीब रोटी को तरसता है। वाकई आज गरीब रोटी को तरस रहा है। मैं वीडियो देख रहा था।कई बार देखता हूं। दो चार दिन पहले की बात है। आठ-आठ रोटियां एक पैकेट में लेकर एक शख्स बांट रहा है।यकीन मानिए मैंने उस भीड़ की गिनती की। करीब 100 से ज्यादा लोग खड़े होंगे।इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। ये लोग रोटी पाने के लिए लाइन में खड़े थे। आज आम आदमी रोटी भी नहीं जुटा सकता है। यहां तक किसने पहुंचाया? 

भारत की तारीफ में कही ये बात

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के दुनिया की 5वीं बड़ी अर्थशक्ति बनने पर भी तारीफ की है। शरीफ ने कहा कि भारत ने 1990 में सरकार द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों का पालन किया है। उन्होंने कहा कि जब भारत रत्न पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने थे तो हिंदुस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 1 अरब अमेरिकी डॉलर था। मगर अब मोदी राज में यह बढ़कर अप्रत्याशित रूप से 600 अरब डॉलर तक पहुंच गया। नवाज ने कहा कि भारत की अत्याधुनिक नीतियों और मजबूत नेतृत्व का नतीजा है। जबकि पाकिस्तान को पूर्व न्यायाधीशों और पूर्व जनरलों ने कंगाल बना डाला है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो चुकी है। उन्होंने अपने देश के पूर्व प्रमुख न्यायाधीश साकिब निसार और पूर्व सेना प्रमुख आसिफ सईद खोस का जुर्म पाकिस्तान को इस हालत तक पहुंचाने के लिए हत्या से ज्यादा है। इन्हें पाकिस्तान कभी माफ नहीं कर सकता।

पाकिस्तान वापस लौट रहे नवाज शरीफ

शरीफ ने आगामी आम चुनाव में पार्टी के राजनीतिक अभियान का नेतृत्व करने के लिए 21 अक्टूबर को देश लौटने की घोषणा की है, जिससे ब्रिटेन में उनका चार साल से अधिक का स्व-निर्वासन समाप्त हो जाएगा। नवंबर 2019 में, अलअजीजिया मिल्स भ्रष्टाचार मामले में सात साल की जेल की सजा काट रहे शरीफ को तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने चिकित्सा आधार पर देश छोड़ने में मदद की थी। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने कहा है कि वह अगले महीने शरीफ के लाहौर पहुंचने से पहले उनके लिए अग्रिम जमानत हासिल कर लेगी।