*महंगी होंगी डीजल की गाड़ियां, लगाया जाएगा 10 प्रतिशत अतिरिक्‍त टैक्‍स ? जानें गडकरी के बयान के मायने*

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भारत में डीजल इंजन वाले वाहनों को खरीदना जल्द ही महंगा हो सकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।

63वें सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) कन्वेंशन में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, वो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से डीजल इंजन/वाहनों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत GST लगाने का अनुरोध करने की योजना बना रहे हैं।डीजल वाहन सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं, और सरकार चाहती है कि सड़क पर इनकी संख्या कम से कम हो।उन्होनें कहा कि, "मैंने पिछले 10-15 दिन से एक पत्र तैयार रखा है, जिसे मैं आज शाम को वित्त मंत्री को सौंपूंगा, जिसमें डीजल वाहनों और डीजल से चलने वाले सभी इंजनों पर अतिरिक्त 10% जीएसटी लगाने का प्रस्ताव है।

सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में डीजल गाड़ियां बननी ही नहीं चाहिए। दरअसल, देश में वैकल्पिक ईंधनों के इस्तेमाल पर जोर देने के लिए उन्होंने डीजल इंजन वाली गाड़ियों पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाने की बात कही है।

हालांकि बाद में उन्होंने इसे लेकर ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए साफ किया कि सरकार हाल-फिलहाल में इस तरह के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।नितिन गडकरी का कहना है कि ऑटो इंडस्ट्री को इस बारे में खुद से एक्शन लेना चाहिए। डीजल गाड़ियों को ‘बाय-बाय’ कह देना चाहिए। नहीं तो सरकार उन पर इतना टैक्स बढ़ा देगी कि कंपनियों के लिए उन्हें बेचना मुश्किल हो जाएगा।

उन्‍होंने एक्‍स पर कहा कि डीजल जैसे खतरनाक ईंधन की वजह से बढ़ते प्रदूषण को कम करने और 2070 तक कार्बन नेट जीरो की प्रतिबद्धता हासिल करने और ऑटोमोबाइल की तेज ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि हम स्‍वच्‍छ और ग्रीन वैकल्पिक ईंधन की दिशा में सक्रियता से कदम उठाएं और उन्‍हें अपनाएं। ये ईंधन आयातित ईंधन के विकल्‍प होंगे, लागत प्रभावी होंगे, देसी होंगे और प्रदूषण रहित होंगे।

बता दें कि नई गाड़ियों पर कुल कीमत का 28 फीसदी जीएसटी लगता है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर ये सिर्फ 5 फीसदी है। बाकी गाड़ियों पर फिर चाहे वो पेट्रोल हो, डीजल हो, सीएनजी हो, उनपर 28 फीसदी का टैक्स लगता है। नितिन गडकरी अब इसके अलावा डीजल गाड़ियों पर अतिरिक्त 10 फीसदी प्रदूषण टैक्स लगाने की सिफारिश कर रहे हैं।

*सुप्रीम कोर्ट से केद्र को झटका, राजद्रोह कानून मामले में 5 जजों की पीठ करेगी सुनवाई*

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राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता 124A के तहत राजद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कम से कम पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है।वहीं, कोर्ट ने राजद्रोह कानून की वैधता की जांच को स्थगित करने के केंद्र के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है।

152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई।शीर्ष अदालत ने कहा कि नया कानून एक स्थायी समिति के समक्ष विचार के लिए लंबित है। इसलिए अभी इस अनुरोध को नहीं स्वीकार सकते हैं। वहीं, उन्होंने राजद्रोह को अपराध बनाने वाली IPC की धारा 124A पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राजद्रोह को अपराध मानने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कम से कम पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजने पर सहमत है।

सीजेआई ने कहा कि हम एक से अधिक कारणों के चलते 124ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती की सुनवाई टालने के एजी और एसजी के अनुरोध को अस्वीकार करते हैं।124ए कानून की किताब में बना हुआ है और दंडात्मक कानून में नए कानून का केवल संभावित प्रभाव होगा और वह अभियोजन की वैधता 124ए रहने तक बनी रहती है और इस प्रकार चुनौती का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्टर्ड सुनवाई करने वाली पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। उन्होंने शीर्ष कोर्ट की रजिस्ट्री को सीजेआई के सामने कागजात पेश करने का निर्देश दिया ताकि "कम से कम पांच जजों की बेंच" वाली पीठ के गठन के लिए प्रशासनिक पक्ष पर सही निर्णय लिया जा सके।

बता दें कि पिछले साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनते हुए आईपीसी की धारा 124A को अंतरिम तौर पर निष्प्रभावी बना दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस कानून के तहत नए मुकदमे दर्ज न हों और जो मुकदमे पहले से लंबित हैं, उनमें भी अदालती कार्रवाई रोक दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून की समीक्षा करने की अनुमति दी थी। साथ ही कहा था कि जब तक सरकार कानून की समीक्षा नहीं कर लेती, तब तक यह अंतरिम व्यवस्था लागू रहेगी।

पुतिन से मिलने ट्रेन से रूस पहुंचे किम जोंग, हथियार सप्लाई पर बातचीत के आसार, दुनियाभर की लगी निगाहें

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अभी हाल ही में भारत में जी20 शिखर सम्मेलन खत्म हुआ है। इस शिखबर सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और यूके के पीएम ऋषि सुनक समेत तमाम बड़े देशों के नेता और प्रतिनिधि देश की राजधानी दिल्ली में मौजूद थे। हालांकि, इस समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हिस्सा नहीं लिया था। भारत में आयोजित इस समिट में दुनियाभर की निगाहें थी। इसके सफल आयोजन के बाद अब दुनिया की नजरें रूस पर लगी हैं, जहां उत्‍तर कोरिया के तानशाह किम जोंग उन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने पहुंचे हैं।

क्रेमलिन ने किम जोंग उन के रूस दौरे का ऐलान करते हुए कहा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन की मुलाकात आने वाले दिनों में होगी। माना जा रहा है कि पुतिन और किम जोंग उन के बीच दूसरी बार होने वाली यह मुलाकात आज या कल हो सकती है। दोनों नेता 10 से 13 सितंबर तक चलने वाले ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में भाग लेने के लिए व्लादिवोस्तोक की फार ईस्टर्न फेडरल यूनिवर्सिटी के कैंपस जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक किम जोंग उन रूस के प्रशांत महासागर फ्लीट के नेवल बेस पीएर 33 भी जा सकते है।

कोरोना के बाद किम जोंग की यह पहली विदेश यात्रा होगी। इससे पहले पुतिन और किम की मुलाकात 2019 में व्लादिवोस्तोक में ही हुई थी। किम चार साल से ज्‍यादा समय के बाद उत्‍तर कोरिया के बाहर पहली ज्ञात यात्रा पर गए हैं। वह इस बार रूस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता करने वाले। खास बात ये है कि र कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन अपने पिता की तरह ही हवाई जहाज से यात्रा करना पसंद नहीं करते। वह ट्रेन से यात्रा करते हैं। रूस के दौरे पर भी

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक इस दौरान वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से यूक्रेन जंग में हथियारों की सप्लाई और सैन्य सहयोग पर बात करेंगे। 6 सितंबर को व्हाइट हाउस ने पुतिन और किम के बीच होने वाली हथियारों की डील को लेकर चेतावनी दी थी। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किरबी ने कहा था कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को लेकर उच्चस्तरीय बातचीत लगातार बढ़ रही है। हालांकि, इसके बारे में अधिक जानकारी देने से अधिकारियों ने मना कर दिया था। नॉर्थ कोरिया और रूस, अमेरिका के धुर विरोधी देश माने जाते हैं

अब तक भारत में ही फंसे हैं कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, वापस ले जाने के लिए आ रहा दूसरा खास विमान

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जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने आए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अभी भी भारत में ही मौजूद हैं। उन्हें रविवार को ही भारत से रवाना होना था, मगर विमान में आई तकनीकि खराबी के कारण उन्हें दिल्ली में ही रुकना पड़ा है। प्रधानमंत्री ट्रूडो को भारत से ले जाने के लिए कनाडा से विमान मंगाया गया है। विमान के भारत पहुंचते ही ट्रूडो अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ कनाडा के लिए रवाना हो जाएंगे।

पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि कनाडा से प्लेन के भारत पहुंचने के बाद ट्रूडो मंगलवार सुबह स्वदेश के लिए रवाना हो सकते हैं। पीएम ट्रूडो को भारत से ले जाने के लिए कनाडाई आर्म्ड फोर्स ने एक विमान भेजा है। कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि कनाडाई प्रतिनिधिमंडल मंगलवार दोपहर दिल्ली से रवाना हो सकता है। प्रेस सेक्रेटरी मोहम्मद हुसैन ने कहा कि जाने के समय में बदलाव की भी गुंजाइश है। ओंटारियो से रविवार दोपहर एक सीसी-150 पोलारिस विमान सीएफबी ट्रेंटन बेस से रवाना हुआ। इसके साथ सीसी-144 चैलेंजर विमान भी है। दोनों विमान फिलहाल लंदन में है।

इंजीनियरों की टीम कल से ही विमान ठीक करने में जुटी

ट्रूडो शुक्रवार को राजधानी दिल्ली पहुंचे थे। शनिवार और रविवार को जी20 बैठकों में हिस्सा लिए और पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। इसके बाद शाम को वो कनाडा लौटने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उनके विमान में कोई तकनीकी खराबी आई गई। इंजीनियरों की टीम कल से ही विमान को ठीक करने में जुटी हुई है। विमान में क्या दिक्कत है और किस तरह की खराबी आई है इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

अपने होटल के कमरे में ही बीताया पूरा दिन

सोमवार को भारत में फंसे कनाडाई प्रधानमंत्री ने राजधानी के ललित होटल में अपने कमरे में ही रहने का फैसला किया। सोमवार को ट्रूडो की भारत सरकार के किसी अधिकारी से कोई आधिकारिक मुलाकात नहीं हुई। विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि उन्हें किसी अन्य आधिकारिक कार्यक्रम के लिए कोई अनुरोध नहीं मिला था और ट्रूडो की अगवानी के लिए नियुक्त राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के कार्यालय ने भी पुष्टि की कि उनका कर्तव्य केवल कनाडाई प्रधान मंत्री के आगमन पर हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करना था। स्थानीय उच्चायोग में भी किसी कार्यक्रम का कोई संकेत नहीं मिला है।

पीएम मोदी ने कनाडा में भारत के ख‍िलाफ उठ रही आवाजों पर च‍िंता जताई

कनाडाई पीएम ऐसे समय में भारत में फंसे हुए हैं जब रविवार को जारी किए गए एक बयान में भारत की ओर से 'कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखने के बारे में गंभीर चिंता' व्यक्त की गई है। इसके थोड़ी देर बाद, अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने रविवार को जल्दबाजी में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे में खालिस्तान जनमत संग्रह की व्यवस्था की, यह एक ऐसा कदम जिस पर भारत सरकार के स्तर पर नजर बनी हुई थी।

'अपने आप ही भारत में मिल जाएगा PoK, बस थोड़ा इंतजार करिए', पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह का बड़ा बयान

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केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर बड़ा बयान दिया है। वीके सिंह ने दावा किया है कि कुछ समय बाद पीओके का अपने आप ही भारत में विलय हो जाएगा, इसके लिए बस थोड़ा तजार करना होगा।दअरसल, राजस्थान के दौसा में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह से जब पूछा गया कि PoK के लोग भारत आने के लिए सड़कें खोलने की मांग कर रहे हैं। इस पर वीके सिंह ने ये बड़ा दावा किया है।

जनरल वीके सिंह बीजेपी की परिवर्तन संकल्प यात्रा के सिलसिले में राजस्थान पहुंच हुए हैं। राजस्थान के दौसा में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी सांसद और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह से पूछा गया कि पीओके के शिया मुस्लिम भारत के साथ सीमा खोलने की बात कर रहे हैं। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे? इस सवाल में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, पीओके का खुद-ब-खुद भारत में विलय हो जाएगा। आप बस थोड़ा सा इंतजार करिए।

वीके सिंह ने दौसा में कहा कि इतने सफल आयोजन के लिए अन्य देशों ने भी भारत की सराहना की है। सम्मेलन में जारी सामूहिक घोषणापत्र में भारत को बड़ी जीत हासिल हुई है।दुनिया यूक्रेन समेत कई मुद्दों पर बंटी हुई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुद्धिमत्ता से हम सबने मिलकर एक ऐसा रास्ता निकाला है, जिस पर किसी भी देश को कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा कि बायोफ्यूल एलायंस और भारत से यूरोप तक कॉरिडोर बनने से भारत की आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। जी-20 के आयोजन से भारत के बढ़ते हुए स्वरूप को दुनिया ने देखा है और पांचवें से तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे भारत ने अपना स्वरूप दिखाया है। उन्होंने कहा कि ‘कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी जी-20 की संयुक्त घोषणा का स्वागत किया है।

जी20 शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिका ने की भारत की तारीफ, दिल्ली घोषणापत्र पर कही ये बात

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भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 नेताओं का शिखर सम्मलेन रविवार को पूरे उत्साह के साथ खत्म हो गया। जी-20 शिखर सम्मेलन की शानदार मेजबानी और नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) को सर्वसम्मति के साथ स्वीकारे जाने के लिए भारत और पीएम मोदी के नेतृत्व की दुनियाभर में तारीफ हो रही है। अमेरिका ने भी जी20 के आयोजन को सफल करार दिया है।अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग में जी20 को लेकर बात की।उन्होंने कहा, हम पूरी तरह से मानते हैं कि ये सफल रहा।

सोमवार को एक नियमित प्रेस वार्ता में अमेरिकी विदेश विभाग के आधिकारिक प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मीडिया से कहा कि ‘हम पूरी तरह से मानते हैं कि यह एक सफलता थी। जी-20 एक बड़ा संगठन है। रूस जी-20 का सदस्य है। चीन जी20 का सदस्य है। अमेरिकी प्रवक्ता से मीडिया के सवाल किया था कि क्या जी-20 शिखर सम्मेलन सफल रहा? इसके जवाब में मिलर ने जी-20 समिट को पूरी तरह सफल बताया।

नई दिल्ली घोषणा से रूस की अनुपस्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ऐसे सदस्य हैं जिनके पास विविध विचार हैं। हम इस तथ्य पर विश्वास करते हैं कि संगठन एक बयान जारी करने में सक्षम था जो क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने का आह्वान करता है और यह कहना कि उन सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए, महत्वपूर्ण बात है क्योंकि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मूल में यही है। मिलर ने कहा, यह वही प्रश्न हैं इसलिए हमने सोचा कि उनके लिए यह अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण बयान था।

बता दें कि देशों ने शनिवार को नई दिल्ली की लीडर्स घोषणा में यूक्रेन में जंग का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘परमाणु हथियारों का उपयोग या उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है।’ रूस का उल्लेख किए बिना जी-20 सदस्य देशों ने बाली घोषणा को याद किया और रेखांकित किया कि सभी राज्यों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के हिसाब से काम करना चाहिए। इसके साथ ही ‘यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ शांति’ का आवाह्न किया गया और सदस्य देशों को ‘इलाकों पर कब्जे की धमकी, या बल प्रयोग से बचने’ की याद दिलाई गई।

'ये बहुत बड़ी उपलब्धि, कोई देश ऐसा नहीं कर पाया..', यहां पढ़िए, सरकार के किस काम को कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी सराहा

कांग्रेस के दिग्गज नेता और लोकसभा सांसद शशि थरूर ने रविवार को नई दिल्ली लीडर्स समिट घोषणा को 100 प्रतिशत सर्वसम्मति से अपनाने और रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कूटनीति की प्रशंसा की। थरूर ने इसे भारत की कूटनीतिक जीत बताते हुए कहा कि दिल्ली घोषणा को अपनाना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। थरूर ने कहा कि, 'G20 शिखर सम्मेलन तक, व्यापक उम्मीद थी कि घोषणा पर कोई समझौता नहीं होगा और इसलिए संयुक्त विज्ञप्ति संभव नहीं हो सकती है। जबकि पश्चिमी देश रूस-यूक्रेन युद्ध पर निंदा चाहते थे, चीन और रूस जैसे देशों को निंदा पसंद नहीं आई होगी।'

भारत का राष्ट्रपति पद पिछले राष्ट्रपतियों से भिन्न 

G20 शिखर सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता को गत वर्षों की पिछली अध्यक्षताओं से अलग बताते हुए लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा कि इसमें अच्छे और बुरे दोनों तत्व थे। उन्होंने कहा कि, "G20 शिखर सम्मेलन में दो निराशाजनक घटनाक्रम सार्वजनिक हित का बहिष्कार था और विपक्ष को आमंत्रित नहीं किया गया था।" कांग्रेस नेता थरूर ने यह भी कहा कि, 'G20 की अध्यक्षता में मोदी सरकार का आचरण उल्लेखनीय था और उन्होंने ऐसा कुछ नहीं दोहराया जो पहले किया गया था। 58 शहरों में 200 बैठकों के साथ, उन्होंने इसे एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम बना दिया।' थरूर ने कहा, किसी भी दूसरे देश ने ऐसा कुछ नहीं किया है।

हालांकि, G20 की सफलता से मोदी सरकार को मिलने वाले लाभ पर थरूर ने आपत्ति जताई और कहा कि, यह राजनीतिक रूप से उनके लिए एक संपत्ति बन जाएगा। 

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे में जबरदस्त संभावना

इसके साथ ही शशि थरूर ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे की घोषणा के लिए मोदी सरकार की सराहना की और कहा कि इस परियोजना में भविष्य के लिए जबरदस्त संभावनाएं हैं। उन्होंने आगे कहा कि, 'मैं भारत के G20 शेरपा अमिताभ कांत और विदेश मंत्री एस जयशंकर के संपर्क में हूं। मैं उन्हें बधाई देता हूं क्योंकि उन्होंने भारत के लिए बहुत-बहुत अच्छा काम किया है। जिस तरह से उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में सभी देशों को एक मंच पर लाने के असंभव कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया, वह वास्तव में एक बहुत ही प्रभावशाली और बेहद प्रभावी उपलब्धि थी।' बता दें कि, अक्सर विपक्षी नेताओं की तरफ से खासकर, कांग्रेस नेताओं द्वारा सरकार की तारीफ कम ही देखने को मिलती है, फिर चाहे मुद्दा जो भी हो, ऐसी स्थिति में सांसद शशि थरूर का बयान देश की राजनीति में काफी महत्व रखता है।

ऋषिकेश एम्स में खुला उत्तराखंड का पहला सीडीएससीओ कार्यालय, अब खत्म हुई दवा कंपनियों की अनुमोदन लेने के परेशानी

 उत्तराखंड में दवा बनाने वाली कंपनियों को अब दवा अनुमोदन के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। इसके लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने एम्स ऋषिकेश परिसर में अपना जोनल कार्यालय खोल दिया है। यहां असिस्टेंट ड्रग्स कंट्रोलर स्तर के अधिकारी की भी तैनाती की गई है। एम्स ऋषिकेश ने संगठन को अपने परिसर में स्थान उपलब्ध कराया है।

भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) भारत का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (एनआरए) है। इसका मुख्यालय एफडीए भवन कोटला रोड नई दिल्ली स्थित है। ‘

इसके छह जोनल कार्यालय, चार उप जोनल कार्यालय, 13 बंदरगाह कार्यालय और देश भर में सात प्रयोगशालाएं हैं। अब प्रत्येक राज्य में सीडीएससीओ का एक जोनल कार्यालय खोला जा रहा है। उत्तराखंड राज्य का यह कार्यालय ऋषिकेश में खुल गया है। इसके लिए एम्स ऋषिकेश प्रशासन ने अपने फार्माकॉलोजी विभाग में जगह उपलब्ध कराई है। यहां जोनल कार्यालय का संचालन शुरू हो गया है।

क्या करता है सीडीएससीओ

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत सीडीएससीओ दवाओं के अनुमोदन, क्लीनिकल परीक्षणों के संचालन, दवाओं के लिए मानक निर्धारण, देश में आयातित दवाओं की गुणवत्ता पर नियंत्रण और विशेषज्ञ प्रदान करके राज्य औषधि नियंत्रण संगठनों की गतिविधियों के समन्वय के लिए जिम्मेदार है। सीडीएससीओ, राज्य नियामकों के साथ रक्त और रक्त उत्पादों, आईवी तरल पदार्थ, वैक्सीन और सेरा जैसी महत्वपूर्ण दवाओं की कुछ विशेष श्रेणियों के लाइसेंस देने के लिए संयुक्त रूप से जिम्मेदार है।

इन स्थानों पर हैं सीडीएससीओ की प्रयोगशालाएं

देशभर में सीडीएससीओ सात केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्य कर रही हैं। जो कोलकाता, चेन्नई, गुवाहाटी, चंडीगढ़, कसौली और हैदराबाद में स्थित हैं। इन प्रयोगशालाओं में दवाइयों की जांच होती है।

सीडीएससीओ के जोनल कार्यालय के लिए एम्स से जगह मांगी गई थी। फार्माकॉलोजी विभाग में जगह उपलब्ध कराई है। यहां सीडीएससीओ का जोनल कार्यालय संचालित हो रहा है।

देश भर में आवारा कुत्तों के काटने की बढ़ रही घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने जताई चिंता

भारत के मुख्य न्यायाधीश ने आज सोमवार (10 सितंबर) को लोगों पर आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने आवारा कुत्तों के हमलों पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि, 'दो साल पहले मेरे कार्यालय में एक कानून क्लर्क पर एक आवारा कुत्ते ने हमला किया था, जब वह अपनी कार पार्क कर रहा था और कानून क्लर्क आश्चर्यचकित रह गया था।'

बता दें कि, आवारा कुत्तों के हमलों का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के ध्यान में तब आया जब एक वकील अपने दाहिने हाथ पर पट्टी बांधकर अदालत में पेश हुआ। जब अदालत ने वकील के हाथ पर पट्टी के बारे में पूछा, तो वकील ने जवाब दिया कि सोमवार सुबह जब वह सुबह की सैर पर निकले थे, तो एक आवारा कुत्ते ने उन पर हमला कर दिया था। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भारत के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में उपस्थित थे और उन्होंने भी आवारा कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आवारा कुत्तों के हमले एक गंभीर खतरा बन गए हैं।

मेहता ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो को अदालत के संज्ञान में लाया, जिसमें एक पिता अपने बच्चे को ले जाता हुआ दिखाई दे रहा है, जिसे एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था और बच्चा रेबीज से संक्रमित हो गया था। मेहता ने अदालत को बताया कि वीडियो दिल दहला देने वाला है, जहां डॉक्टरों द्वारा यह बताए जाने के बाद कि कोई इलाज नहीं है, बच्चे को अपने पिता की बाहों में मरते देखा जा सकता है। 

सॉलिसिटर जनरल ने अदालत से यह भी कहा कि कुछ दिन पहले आवारा कुत्तों द्वारा एक बच्चे को मारने की एक और घटना हुई थी। एक वकील ने अदालत से यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले को अपनी प्रेरणा से लेना चाहिए, क्योंकि विभिन्न उच्च न्यायालय इस मामले पर अलग-अलग आदेश पारित कर रहे हैं और इस मुद्दे पर कोई स्पष्टता नहीं है।

बीजेपी सांसद के बिगड़े बोल, कहा-इंडिया नाम बदलकर भारत हो, जिन्हें दिक्कत, वो देश छोड़कर जाएं

#bjp_leader_dilip_ghosh_said_india_will_name_bharat_who_do_not_like_go_away

देश के नाम 'इंडिया' और 'भारत' पर सियासत जारी है। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद दिलीप घोष ने विवादित बयान दिया है।दिलीप घोष ने कहा कि देश का नाम INDIA से बदलकर भारत रखा जाएगा। इसे कोई रोक नहीं सकता। जो इसके खिलाफ हैं, वो देश छोड़कर जा सकते हैं।

खड़गपुर शहर में 'चाय पर चर्चा' कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने विदेशियों की मूर्तियों को लेकर भी बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा, हमारी पार्टी पश्चिम बंगाल में जब भी सत्ता में आएगी तो कोलकाता में विदेशियों की सभी मूर्तियों को हटा दिया जाएगा।

वहीं, इसी कार्यक्रम में भाजपा के सीनियर नेता और पूर्व राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने कहा कि एक देश के दो नाम नहीं हो सकते। देश का नाम बदलने का यही सही समय है, क्योंकि जी20 समिट को लेकर दुनिया भर के नेता दिल्ली में हैं।

तृणमूल कांग्रेस ने दिलीप घोष की टिप्पणी पर पलटवार किया। टीएमसी नेता शांतनु सेन ने कहा- जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों की दलाली की, उनके मुंह से ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं। दिलीप घोष मीडिया में दिखने के लिए ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं। शांतनु ने कहा- राज्य की बात तो छोड़िए, 2024 के बाद भाजपा केंद्र की सत्ता में भी नहीं रहेगी। भाजपा विपक्षी गठबंधन INDIA से डर गई है, इसलिए देश का नाम बदला जा रहा है।