कृष्ण जन्माष्टमी पर दिया विश्व शांति मानवता पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक सद्भावना का सन्देश
।
आज दिनांक 6 सितंबर 2023को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार में श्री कृष्णा जन्माष्टमी पर पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड डॉ शाहनवाज अली डॉ अमित कुमार लोहिया वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल
ट्रस्ट डॉ अमानुल हक डॉ महबूब उर रहमान ने संयुक्त रूप से पौधारोपण करते हुए कहा कि हिंदू परंपराओं के अनुसार,श्री कृष्ण का जन्म देवकी और वासुदेव के घर एक जेल की कोठरी में हुआ था, क्यूंकी उनके मामा मथुरा के राजा कंस को आकाशवाणी द्वारा मालूम चला की देवकी के आठवे संतान से उसकी मृत्यु इसलिए उसने दोनों को कालकोटरी मे बंद कर दिया था। परंपरा के अनुसार,श्री कृष्ण को समर्पित एक मंदिर का निर्माण उनके परपोते वज्रनाभ ने किया था।
वर्तमान स्थल जिसे कृष्ण जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है को कटरा (शाब्दिक अर्थ 'बाजार स्थान') केशवदेव के नाम से जाना जाता था । पुरातात्विक उत्खनन से छठी शताब्दी ईसा पूर्व से मिट्टी के बर्तनों और टेराकोटा का पता चला था। इसने कुछ जैन मूर्तियों के साथ-साथ एक बड़े बौद्ध परिसर का निर्माण किया, जिसमें यश विहार, एक मठ, गुप्त काल शामिल है। वैष्णव मंदिर इस स्थान पर पहली शताब्दी के आरंभ में स्थापित किया गया हो सकता है। 8वीं शताब्दी के अंत के कुछ शिलालेखों में राष्ट्रकूटों द्वारा इस स्थल को दिए गए दान का उल्लेख है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि श्री कृष्ण के भक्त अनेक धर्मों में हैं ।
भगवान कृष्ण को हिंदू धर्म के लोग भगवान
मानते हैं लेकिन दूसरे धर्मों में भी इन्हें ईश्वर के अवतार के रूप में मानते हैं। खासतौर से मुस्लिम समाज में तो श्रीकृष्ण के कई ऐसे भक्त हुए हैं, जो आज पूरे देश में प्रसिद्ध हैं. भगवान कृष्ण के लिए लिखे उनके पद और भक्ति गीत तमाम स्थानों पर गाए जाते हैं. तो इस जन्माष्टमी के अवसर पर आइए कुछ ऐसे ही प्रसिद्ध मुस्लिम कृष्ण भक्तों के बारे में आपको बताते हैं।रसखान का नाम हिंदी साहित्य पढ़ने वाले हर व्यक्ति ने सुना होगा. इनका पूरा नाम सैयद इब्राहिम था. इन्होंने भगवान कृष्ण की भक्ति में सराबोर होकर इतनी रसपूर्ण पंक्तियां लिखीं कि इनका नाम रसखान पड़ गया. दावा किया जाता है कि रसखान ने भागवत का अनुवाद फारसी में किया था. इनका जन्म 1548 ईस्वी माना जाता है, हालांकि कुछ विद्वानों में इस पर मतभेद है. इनके गीतों में भक्ति औऱ श्रृंगार की प्रधानता है. यह विट्ठलनाथ के शिष्य और वल्लभ संप्रदाय के सदस्य थे. इसके अलावा कृष्ण भक्तों में एक बड़ा नाम 11वीं सदी के प्रसिद्ध कवि और सूफी संत अमीर खुसरों का है। ऐसा कहा जाता है कि सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के सपने में एक बार भगवान कृष्ण आए। इसके बाद उन्होंने खुसरो से कृष्ण स्तुति लिखने को कहा. तब खुसरो ने कृष्ण भक्ति के पद लिखने शुरू किए।
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सूफी संत सालबेग के नाम तो तमाम कृष्णभक्त भलीभांति जानते हैं. जो लोग जगन्नाथपुरी की रथयात्रा में शामिल हुए हैं, वह इससे अछूते नहीं रह सकते. सालबेग इतने बड़े कृष्ण भक्त थे कि भगवान ने सपने में आकर उन्हें भभूत दी थी, जिससे उनका घाव सही हो गया था. उनके मरने के बाद उनकी मजार बन गई और हर वर्ष वहां भगवान जगन्नाथ का रथ रुकता है.
कहते हैं कि एक बार रथयात्रा बिना मजार पर रुके बढ़ने लगी तो भगवान जगन्नाथ के रथ आगे ही नहीं बढ़ा। इसके अलावा 18वीं सदी के लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह को बड़ा कृष्ण भक्त माना जाता है. कहते हैं कि 1843 में वाजिद अली ने राधा-कृष्ण पर एक नाटक करवाया था, जिसका निर्देशन भी खुद किया था. इसके अलावा रीतिकाल के कवियों में आलम शेख का भी नाम आता है, जिन्होंने श्रीकृष्ण की भक्ति से परिपूर्ण माधवानल काम कंदला और आलमकेलि, स्याम स्नेही जैसे ग्रंथ रचे. इसके अलावा बंगाल में उमर अली नाम के कवि हुए हैं, जिन्होंने भगवान कृष्ण की भक्ति में पूर्ण रचनाएं लिखी हैं।
Sep 07 2023, 10:00