*पानी में डूबे चरवाहे की मौत पर भड़के लोग, शव सड़क पर रखकर किया चक्का जाम*
खजनी। गोरखपुर। तहसील क्षेत्र के बांसगांव थाने की हरनहीं चौकी अंतर्गत बदरां गांव में भैंस चराने गए चरवाहे शिव बिहारी पाल की बड़े गड्ढे में भरे गहरे पानी में डूबने से मौत हो गई। आज शव फूल कर पानी की ऊपरी सतह पर आने के बाद बरामद किया गया। स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से शव को बाहर निकाला गया।
घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने अवैध खनन से हुए गहरे गड्ढे में डूबने का आरोप लगाते हुए तहसील प्रशासन और लिंक एक्सप्रेस वे का निर्माण कर रही कंपनी यूपीडा को घटना का जिम्मेदार बताया। लोगों ने बताया कि सभी के विरोध के बावजूद 5 फुट गहरी खुदाई की बात करते हुए 20 फुट गहरा गड्ढा खोद दिया गया है। जिससे गांव के श्याम बिहारी पाल की मौत हो गई।
घटना के बाद देर तक तहसील प्रशासन और परिजनों के बीच समझौते के लिए बातचीत चली। किंतु उग्र ग्रामीणों को यूपीडा के ठेकेदार पर विश्वास नहीं हुआ। लोगों ने शव को खजनी सिकरीगंज मार्ग पर रख कर जाम लगा दिया प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे। बता दें कि देवघटा निवासी श्याम बिहारी पाल 50 वर्ष बीते शनिवार को भैंस चराने गए थे। भैंस यूपीडा के द्वारा लिंक एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए निकाली गई मिट्टी के गहरे गड्ढे में जाकर गिर गई। अपनी भैंस को बचाने में श्याम बिहारी पाल भी शनिवार को अपरान्ह लगभग 3 बजे गहरे पानी में डूब गए।
बताया गया कि यूपीडा के ठेकेदार द्वारा विरोध के बावजूद 13 फुट मिट्टी निकाल ली गई। विरोध करने पर तहसील के प्रशासनिक अधिकारियों ने हनक दिखाते हुए विधिक कार्रवाई की धमकी दी। जिससे मजबूर ग्रामीण शांत हो गए थे। ग्रामप्रधानों ने बताया कि तहसील प्रशासन और ठेकेदार द्वारा मात्र 2 मीटर मिट्टी निकालने की बात कही गई थी। लेकिन 2 मीटर की जगह लगभग 4 मीटर (13 फुट) से ज्यादा मिट्टी निकाल ली गई है।
जबकि तय मुआवजा ?30 हजार प्रति एकड़ मिट्टी का देने की बात कही जा रही थी। लेकिन किसी भी ग्रामसभा के खाते में अब तक एक भी पैसा नहीं भेजा गया है।इस संदर्भ में तहसील के अधिकारी कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं हुए। बताया गया कि सभी गांवों में मिट्टी निकालने में यही खेल हुआ है। ठेकेदार और तहसील प्रशासन ने मिटटी का पैसा या तो स्वयं ले लिया है या सिर्फ कुछ गांवों में भेजने की बात कही जा रही है। किन्तु ग्रामप्रधानों के अनुसार अभी तक ग्रामसभाओं के ग्रामप्रधानों के खाते में कहीं भी एक भी पैसा नहीं भेजा गया है।
इस संबंध में तहसील के अधिकारी कोई बात करने के लिए तैयार नहीं। लोगों ने बताया कि श्याम बिहारी पाल की मौत पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। ग्रामीण तहसील प्रशासन को दोषी मानते हुए पीड़ित परिवार को मुआवजा या फोर्थ क्लास की नौकरी की बात की लेकिन यूपीडा ठेकेदार के सहयोग से आंशिक आर्थिक मदद लेने के लिए तैयार नहीं हुए। शव को रोड़ पर रखकर जाम कर दिया और नारेबाजी करने लगे।
एसडीएम खजनी राजू कुमार ने बताया परिजनों को आर्थिक मदद देने की बात चल रही थी।लेकिन परिजन नहीं माने सड़क पर जाम लगा कर बैठ गए।आखिरकार यूपीडा ठेकेदार द्वारा 5 लाख रुपए नकद मुआवजा देने और मृतक आश्रित परिवार को नौकरी देने के लिखित आश्वासन मिलने के बाद जाम समाप्त हुआ।
Aug 20 2023, 19:14