दुर्भाग्य : बोकारो में जिनकी जमीन पर गरगा डैम बना वह आज भी आजादी के अमृत महोत्सव पर हैं प्यासें
बोकारो : बोकारो जिले के बाउरी टोला मिर्धा पाड़ा और बनसिमली के लोग आजादी के अमृत महोत्सव के दौर में आज भी विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं. देश में एक ओर जहां अमृतकाल का दौर चल रहा है. वहीं, दूसरी ओर गरगा डैम के लिए जमीन देनेवाले विस्थापितों की प्यास नहीं बुझ रही है.
दोनों टोला की महिलाएं पानी के लिए रोजाना करीब एक किलोमीटर की दूरी सफर करती है. बाउरी टोला में करीब सवा सौ लोग रहते हैं, लेकिन पानी के लिए सरकारी हैंडपंप तक नहीं है.
एक सरकारी कुआं है, लेकिन पानी का लेबल कम होने से लोगों को परेशानी होती है. इक्का- दुक्का घर में चापाकल अथवा कुआं है, लेकिन पानी पीने योग्य नहीं है.
जानकारी के मुताबिक रेलवे फाटक के निचले हिस्से में बना गरगा डैम से पानी लाने के लिए दर्जनों महिलाएं हर दिन जान जोखिम में डालती हैं. करीब 10-15 फुट नीचे उतरने के लिए पथरीला रास्ता है, जो खतरे से भरा है. इस रास्ते से गुजर कर महिलाएं पानी लाती हैं.
बाउरी टोला के निवासियों ने बताया कि बिहार सरकार के काल में इस मोहल्ले में एक सरकारी हैंडपंप था, जिससे रोजमर्रा की जरूरतें पूरी होती थीं. लेकिन वो भी झारखंड बनने से पहले ही खराब हो गया. उसी बोरिंग में जल मीनार बनाया जा रहा था, जिससे उम्मीद जगी थी, लेकिन बाद में उसे भी अधूरा ही छोड़ दिया गया.
मिर्धा टोला की कपूरा देवी बताती हैं कि गरगा डैम के लिए उनके पूर्वजों ने जमीन दी. कुछ वर्ष पूर्व गरगा डैम से हैसाबातू जलापूर्ति योजना के तहत बालीडीह, सिवनडीह से लेकर बारी को-ऑपरेटिव के कुछ क्षेत्र तक पाइप लाइन से पानी आपूर्ति शुरू की गयी, लेकिन उनके गांव में पाइप लाइन की व्यवस्था नहीं की गयी. लिहाजा आज जबकि हम हमारी माटी , हमारा देश के तहत आजादी का 77 वां साल मना रहे हैं ऐसे समय में भी दो बाल्टी पानी के लिए तरसना काफी नागवार सा लगता है,पर इसकी चिन्ता किसे है.
Aug 12 2023, 16:34