सीएम नीतीश कुमार के यूपी के फूलपुर से चुनाव लड़ने की चर्चा पर नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कसा तंज, कहा- ख्याली पुलाव पका रही जदयू

डेस्क ; बीते कुछ दिनों से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के यूपी के फूलपुर सीट से लोकसभा चुनाव की चर्चा जोरो पर है। इधर इस चर्चा को लेकर बिहार की सियासत गरम हो गई है। बीजेपी इसे लेकर जदयू पर हमलावर है। 

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तर प्रदेश के फूलपुर से चुनाव लड़ने की अटकलों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा है कि 26 दलों के विपक्षी गठबंधन को भ्रमित करने की योजना का यह हिस्सा है। श्री सिन्हा ने कहा कि देश के लोगों ने देखा है कि किस प्रकार विपक्षी गठबंधन के सूत्रधार बने नीतीश कुमार को बंगलौर की दूसरी बैठक में ही कांग्रेस पार्टी ने किनारा कर दिया और इन्हें कोई महत्व नहीं दिया। पटना से बंगलौर तक की दूसरी बैठक में इन्हें संयोजक बनाने की चर्चा हो रही थी परंतु वह नहीं हुआ। अब जदयू द्वारा इनकी हैसियत और महत्व बढ़ाने के लिये यह प्रचार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बिहार में अकेले दम पर चुनाव नहीं जीतने वाली पार्टी जदयू ख्याली पुलाव पका रही है। चुनाव जीतने के लिये इनको कभी भाजपा तो कभी राजद का ही सहारा चाहिये। सिद्धांत की तिलांजलि देकर जदयू एवं इनके नेता आज अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के संकट में है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वर्ष 2022 के यूपी चुनाव में एक-आध जगह को छोडकर बाकी जगह जनता दल युनाईटेड की सभी सीटों पर जमानत जब्त हुई थी। यदि यूपी की जनता इनको इतना चाहती थी तो धनंजय सिंह के जैसे बाहुबली नेता क्यों चुनाव हार गये। जाति के आधार पर जदयू यूपी में प्रवेश करना चाहती है। पर इन्हें पता होना चाहिये कि इनकी जाति भी बढचढ कर यूपी में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मे भाजपा को ही वोट देती है।

विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री पद प्राप्त करने के लिये बैचेन राजद के लिये यह झुठा प्रचार मरहम एवं आशा के रुप में प्राप्त किया जा रहा है। अंदर से परेशान जदयू इसी प्रचार में लग गयी है कि नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव के बाद तेजस्वी यादव को गद्दी सौप देंगे। लेकिन भाजपा के सभी कार्यकर्त्ता जानते हैं कि ये बिहार से भी लोक सभा का चुनाव नहीं लड़ने वाले है। 18 वर्षो से विधान परिषद का सदस्य रहकर पिछले दरवाजे से शासन करना इनकी आदत हो गयी है। लोकसभा चुनाव में बिहार में जदयू की भारी हार होगी। फिर महागठबंधन के नाम पर महाठगबन्धन की सरकार को भी गद्दी छोड़ना पड़ेगा।

बिहार में जातिगत जनगणना का मुद्दा एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, याचिका दायर कर पटना हाईकोर्ट के एक अगस्त के फैसले को दी गई चुनौती

 बिहार में हो रही जातिगत जनगणना का मुद्दा एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में इसे लेकर एक याचिका दायर की गई है। इसमें पटना हाईकोर्ट के 1 अगस्त के फैसले को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने मंगलवार को जातिगत जनगणना को सही ठहराते हुए उसके खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था। अब इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई गई है। हालांकि, नीतीश सरकार ने पहले ही कैविएट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसका पक्ष जाने बिना कोई आदेश न दिया जाए।

जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को जातीय जनगणना पर पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी दायर की गई। वकील तान्याश्री ने आवेदक अखिलेश कुमार की ओर से यह अर्जी शीर्ष अदालत में लगाई। एक दिन पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में नीतीश सरकार की ओर से कैविएट दायर किया गया था। इसमें सरकार की ओर से कहा गया कि अगर जातिगत गणना पर रोक लगाने की मांग वाली कोई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर हो तो, बिना सरकार का पक्ष जाने बिना आदेश न दिया जाए।

जातिगत गणना कराने के लिए शिक्षकों की ट्रेनिंग रद्द, नीतीश सरकार का आदेश

हाईकोर्ट ने 1 अगस्त को जातिगत जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया था। अदालत ने बिहार सरकार के जाति गणना कराने के फैसले को सही ठहराया और उसके खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इससे पहले मई महीने में हाईकोर्ट ने जातिगत गणना पर अस्थायी रोक लगा दी थी, जिससे इसका काम बीच में ही अटक गया था। अब हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के बाद राज्य में जातीय गणना का काम फिर से शुरू हो गया है।

जातिगत जनगणना : बिहार सरकार ने दाखिल किया सुप्रीम कोर्ट में कैविएट, आग्रह किया कि पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील होने पर उसका (राज्य) पक्ष भी सुना जाए


डेस्क : जातिगत जनगणना मामले पर बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना कैविएट दाखिल किया है। सरकार ने शीर्ष कोर्ट से आग्रह किया कि यदि इस मामले में पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल की जाती है तो उसका (राज्य) पक्ष सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं किया जाए। 

बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को बिहार सरकार को राहत देते हुए राज्य में जातीय गणना को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी थी।

इससे पहले, हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर विचार करते हुए राज्य में जाति आधारित गणना पर लगी रोक हटा दी। राज्य सरकार द्वारा कराए जा रहे जातीय गणना को चुनौती देने वाली सभी रिट याचिकाएं खारिज कर दी। 

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार योजनाएं तैयार करने के लिए सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति को ध्यान में रखकर गणना करा सकती है।

बिहार में 89 दिन बाद फिर जाति आधारित गणना शुरू

पटना हाईकोर्ट की हरी झंडी मिलने के अगले ही दिन बुधवार को बिहार में 89 दिनों बाद जाति आधारित गणना के अधूरे कार्यों को पूरा करने का काम पुन: शुरू हो गया। 

सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देश पर राज्य के सभी जिलों में जाति आधारित गणना कार्य को लेकर प्रगणकों को क्षेत्र में रवाना किया गया। पूर्व से चिन्हित घरों में जाकर प्रगणकों ने जाति आधारित गणना के तहत निर्धारित 26 बिंदुओं पर अलग-अलग जानकारी प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इस कार्य में राज्य में करीब 5 लाख 19 हज़ार कर्मचारी लगाए गए। 

पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार ने जाति आधारित गणना का कार्य 4 मई से बंद कर दिया था। इस गणना कार्य के प्रथम चरण में प्रगणक 2 करोड़ 58 लाख 90 हजार 497 परिवारों तक पहुंचे थे।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद जातीय गणना के काम में आई तेजी, पटना में बुधवार को पहले दिन इतने हजार परिवारों की हुई गणना

डेस्क : पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने बुधवार से जाति आधारित गणना का काम शुरू किया है। पहले दिन पटना में 61 हजार से अधिक परिवारों की गणना की गई है।

अधिकारियों का कहना है कि दूसरे चरण में भी ज्यादातर परिवारों की गणना हो गई है। जो परिवार बचे हुए हैं, उनकी गणना की जा रही है। प्रशासन ने एक सप्ताह के अंदर जाति आधारित गणना का काम पूरा करने का लक्ष्य रखा है। 

दूसरे चरण की गणना मोबाइल एप से हो रही है। पटना में दूसरे चरण में शेष बचे कार्य की शुरुआत फुलवारीशरीफ के वार्ड नंबर 10 के खोजा इमली मजार के दक्षिण स्थित कॉलोनी से की गई। गणना कार्य का निरीक्षण डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने किया। उन्होंने अधिकारियों और गणना कार्य में लगे कर्मचारियों को निर्देश दिया कि बहुत सावधानी से गणना कार्य करें।

पटना जिले में 12 वर्षों में 14 लाख 94 हजार 759 जनसंख्या बढ़ी है। 2011 में हुई जनगणना में पटना जिले की आबादी 58 लाख 38 हजार 465 थी, जो 2023 में बढ़कर 73 लाख 33 हजार 224 हो गई है। गणना की रिपोर्ट में ग्रामीण इलाके में सबसे अधिक जनसंख्या मनेर प्रखंड की है। यहां की जनसंख्या तीन लाख तीन हजार 627 है। 

शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक जनसंख्या पाटलिपुत्र अंचल की है। यहां की जनसंख्या तीन लाख 84 हजार 595 है। नगर परिषद क्षेत्र में सबसे अधिक जनसंख्या दानापुर नगर परिषद निजामत की है। यहां जनसंख्या दो लाख, 86 हजार 580 है।

बीती देर रात राजधानी पटना में झमाझम बारिश से मौसम हुआ सुहाना, प्रदेश के इन 4 जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट

डेस्क : उमस भरी भीषण गर्मी की मार झेल रहे राजधानी पटनावासियों को बीते मंगलवार की देर रात झमाझम बारिश से बड़ी राहत मिली। रात 10 बजे के बाद से हुई बारिश से मौसम सुहाना हो गया साथ ही लोगों को भीषण गर्मी व उमस से छुटकारा मिला। वहीं किसानों को भी राहत मिली है।

इस बीच मौसम विभाग ने आज बुधवार को 4 जिलों में अति भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट और 7 जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं पटना में हल्के से मध्यम स्तर की बारिश हो सकती है। राज्य में सतही हवा की गति 30 से 40 किलोमीटर और झोंके के साथ इसके 50 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना जतायी गयी है।

मौसम विभाग ने कहा है कि राज्य के अधिकतर जिलों में 5 अगस्त तक भारी और बहुत भारी बारिश होने का पूर्वानुमान है। अधिकांश जिलों के एक या दो स्थानों पर मेघ गर्जन एवं वज्रपात की भी आशंका जताई गई है। मौसम विभाग ने इसका अलर्ट जारी किया है। वहीं दक्षिण बिहार के कई जिलों में 3 अगस्त तक भारी बारिश हो सकती है। इसके साथ ही पटना सहित पूरे प्रदेश में अगस्त माह में सामान्य बारिश होने का पूर्वानुमान है।

जातीय गणना पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी पर हमलावर हुआ जदयू-राजद, ललन सिंह और तेजस्वी यादव ने भाजपा पर किया यह कटाक्ष


डेस्क : बिहार में जातीय गणना पूरी होगी। जातीय गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रदेश की नीतीश सरकार को बड़ी राहत दी है।

चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने लगभग चार महीन के इंतजार के बाद आखिरकार नीतीश कुमार-लालू प्रसाद का ड्रीम प्रोजेक्ट माने जानेवाले जातीय सर्वे को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पटना हाई कोर्ट अपना फैसला सुनाया।

हाईकोर्ट ने जातीय सर्वेक्षण मामलें पर आज अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले में दायर विरोधियों की याचिका को ख़ारिज कर बिहार सरकार को जातीय गणना कराने की अनुमति दे दी है।

इधर कोर्ट के इस फैसले के बाद जदयू और राजद ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी जातीय गणना के बहाने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जातीय गणना के विरुद्ध माननीय उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज किया है उसका स्वागत है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा जातीय गणना रोकने का षडयंत्र विफल हुआ और जातीय गणना का रास्ता प्रशस्त हुआ। जातीय गणना राज्य हित में है और यह पूरे देश में होना चाहिए।

वहीं बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने मंगलवार को हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हमारी सरकार के जाति आधारित सर्वे से प्रामाणिक, विश्वसनीय और वैज्ञानिक आँकड़े प्राप्त होंगे। इससे अतिपिछड़े, पिछड़े तथा सभी वर्गों के गरीबों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त होगा। जातीय गणना आर्थिक न्याय की दिशा में बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा। उन्होंने कहा कि हमारी माँग है कि केंद्र सरकार जातीय गणना करवाए।

उन्होंने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि OBC प्रधानमंत्री होने का झूठा दंभ भरने वाले देश की बहुसंख्यक पिछड़ी और गरीब आबादी की जातीय गणना क्यों नहीं कराना चाहते?

सीएम नीतीश कुमार ने जल संसाधन एवं लघु जल संसाधन विभाग के पदाधिकारियों के साथ की समीक्षा बैठक, दिए कई जरुरी निर्देश

डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मंगलवार को जल संसाधन एवं लघु जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने 'खरीफ सिंचाई - 2023' की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि अधिक-से-अधिक क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था कराएं ताकि किसानों को कृषि कार्य में सहूलियत हो। अल्प वर्षापात के कारण उत्पन्न स्थिति को ध्यान में रखते हुए सिंचाई के लिए जो भी जरूरी और उपयोगी कार्य हैं उस पर त्वरित कार्रवाई करें। पहाड़ी क्षेत्रों के निचले भागों में जल संचयन क्षेत्र विकसित करें।

उन्होंने कहा कि पूर्व से चलाई जा रही सिंचाई योजनाएं पूर्ण क्षमता से कार्य करे, यह सुनिश्चित कराएं। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से शुद्ध किए गए पानी का उपयोग भी कृषि कार्य के लिए कराएं। नहरों की सफाई के कार्य पर ध्यान दें। हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के लिए लक्ष्य के अनुरूप तेजी से कार्य करें। हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंच जाएगा तो इससे किसानों को काफी लाभ होगा।

सीएम ने कहा कि लोगों की सुविधाओं और उनके हित में हम निरंतर कार्य करते रहते हैं। किसानों को कृषि कार्य हेतु डीजल अनुदान उपलब्ध कराने के साथ-साथ सिंचाई कार्य हेतु पर्याप्त विद्युत आपूर्ति भी की जा रही है। हमलोगों का उद्देश्य है कि किसानों को धान रोपनी में सहूलियत हो। वहीं बैठक में मुख्यमंत्री को जल संसाधन एवं लघु जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने विभाग के द्वारा किए जा रहे कार्यों की अद्यतन स्थिति की विस्तृत जानकारी दी।

जल संसाधन विभाग के अभियंता प्रमुख ईश्वर चंद्र ठाकुर ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से जल संसाधन विभाग के अंतर्गत किए जा रहे सिंचाई कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने सोन बराज, गंडक बराज, कोसी बराज एवं अन्य डैम / बियर से सिंचाई कार्य में लाभान्वित होनेवाले जिलों की स्थिति की जानकारी दी। हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किए जा रहे कार्य, जलाशयों में जल संचयन क्षमता का वर्तमान प्रतिशत आदि के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

लघु जल संसाधन विभाग की विशेष सचिव आशिमा जैन ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से लघु जल संसाधन विभाग के अंतर्गत सिंचाई के लिए किए जा रहे कार्यों की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने सभी जिलों के भू-जल स्तर की स्थिति, राजकीय नलकूपों की स्थिति, जल- जीवन - हरियाली अभियान के अंतर्गत आहर, पईन, पोखर आदि में जल संचयन की वर्तमान स्थिति आदि के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।

बैठक में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा, लघु जल संसाधन मंत्री जयंत राज, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्य सचिव आमिर सुबहानी, जल संसाधन एवं लघु जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डॉ० एस० सिद्धार्थ, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, लघु जल संसाधन विभाग की विशेष सचिव आशिमा जैन सहित अन्य वरीय अधिकारीगण एवं अभियंतागण उपस्थित थे।

सीएम नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की हुई बैठक, इन 10 एजेंडों पर लगी मुहर

डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में आज मंगलवार राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक हुई। कैबिनेट की इस बैठक में 10 एजेंडों पर मुहर लगी है। जिसमें पिछड़ा वर्ग एवम अति पिछड़ा वर्ग कल्याण कल्याण विभाग, स्वास्थ विभाग, वित्त विभाग, कृषि विभाग, जल संसाधन विभाग, ऊर्जा विभाग, परिवहन विभाग, शिक्षा विभाग, गृह विभाग के एजेंडे शामिल है।

कैबिनेट बैठक में स्वास्थ विभाग के तरफ से बिहार स्वास्थ्य सेवा नियुक्ति एवं सेवा शर्त नियमावली 2023 को स्वीकृति दी गई है। जबकि गृह विभाग के तरफ से भागलपुर जिला अंतर्गत कहलगांव अनुमंडल में प्रस्तावित उपकारा के निर्माण हेतु भवन निर्माण विभाग बिहार पटना से प्राप्त प्राक्कलन प्रस्ताव के आलोक में 4237.49 की स्वीकृति दी गई है।

गाड़ियों के बकाया टैक्स के एकमुश्त भुगतान पर टैक्स पर लगने वाले जुर्माना में छूट दी जाएगी। अगले छह माह के अंदर राशि भुगतान किए जाने पर जुर्माना नहीं लिया जाएगा। जुर्माना माफी पर कैबिनेट ने मुहर लगाई है। नियोजित शिक्षकों का वेतन संरक्षण की स्वीकृति दी गई है। 20 अगस्त 2020 से यह प्रभावी होगा। त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के नियोजित शिक्षकों को लाभ मिलेगा।

शिवहर जिला में 520 आसन वाले एक अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय +2 उच्च विद्यालय के भवन निर्माण हेतु निजी भूमि रैयती लीज नीति 2014 के तहत 501 एकड भूमि लिये जाने हेतु कुल राशि रू० 2,60,52,000/- (रू० दो करोड़ साठ लाख बावन हजार) मात्र तथा विद्यालय भवन निर्माण हेतु भवन निर्माण विभाग से प्राप्त तकनीकी अनुमोदित स्थूल प्राक्कलन के आलोक में प्राक्कलित राशि रू० 45,35,28,000 लागत राशि पर भवन निर्माण कराये स्वीकृति दी गई है।

गृह विभाग से जुडी एक मंजूरी में कारा से जुड़े मामले में भागलपुर जिलान्तर्गत कहलगांव अनुमंडल में प्रस्तावित उपकारा के निर्माण हेतु भवन निर्माण विभाग, बिहार, पटना से प्राप्त प्राक्कलन / प्रस्ताव के आलोक में अनुमानित लागत बयालीस करोड़ सैंतीस लाख उनचास हजार रूपये मात्र की नई स्कीम की स्वीकृति को कैबिनेट ने मंजूरी दी है।

कैबिनेट ने कृषि विभाग से जुड़े चतुर्थ कृषि रोड मैप अंतरापररागत कृषि विकास योजना के कार्यान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2023 24 केन्द्रांश के तहत अठारह करोड़ नौ लाख 99 हजार रुपया और राज्यांश 12 करोड़ 6 लाख 66 हजार रुपए यानी दोनों मद में 30 करोड़ 16 लाख लाख 65 हजार रुपए से योजना कार्यान्वयन तथा निकासी एवं व्यय की स्वीकृति को मंजूरी दी गई है।

बड़ी खबर : नीतीश सरकार के हक मे आया फैसला, पटना हाईकोर्ट ने जाति गणना पर रोक लगाने की याचिका को किया खारिज

डेस्क : बिहार में जातीय गणना पूरी होगी। जातीय गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रदेश की नीतीश सरकार को बड़ी राहत दी है।

चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने लगभग चार महीन के इंतजार के बाद आखिरकार नीतीश कुमार-लालू प्रसाद का ड्रीम प्रोजेक्ट माने जानेवाले जातीय सर्वे को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पटना हाई कोर्ट अपना फैसला सुनाया।

हाईकोर्ट ने जातीय सर्वेक्षण मामलें पर आज अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले में दायर विरोधियों की याचिका को ख़ारिज कर बिहार सरकार को जातीय गणना कराने की अनुमति दे दी है।

बता दें सात जुलाई को हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना पर पांच दिन सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की थी।

मामले पर सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह सहित अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव, दीनू कुमार, रितिका रानी, रितु राज और धनंजय तिवारी ने अपना पक्ष रखा। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही, अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार, मनीष कुमार, आलोक राही ने दायर अर्जी का जमकर विरोध किया। आवेदक जाति आधारित गणना पर सवाल उठाते हुए संविधान विरोधी बताया।

वहीं अर्जी का विरोध करते हुए महाधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर जाति आधारित सर्वे करा रही हैं। इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मगर कुछ लोग इस का विरोध कर रहे हैं, जबकि बहुत से लोग स्वेच्छा से जानकारी दे रहे हैं।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 4 मई को जाति आधारित सर्वे पर अंतरिम आदेश जारी कर रोक लगा दी थी। साथ ही डाटा को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। इसके बाद आगे की सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख तय की थी, जो सात तक चली थी।

बड़ी खबर : नीतीश सरकार के हक मे आया फैसला, पटना हाईकोर्ट ने जाति गणना पर रोक लगाने की याचिका को किया खारिज

बड़ी खबर : बिहार में जातीय गणना पूरी होगी। जातीय गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रदेश की नीतीश सरकार को बड़ी राहत दी है।

चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने लगभग चार महीन के इंतजार के बाद आखिरकार नीतीश कुमार-लालू प्रसाद का ड्रीम प्रोजेक्ट माने जानेवाले जातीय सर्वे को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पटना हाई कोर्ट अपना फैसला सुनाया।

हाईकोर्ट ने जातीय सर्वेक्षण मामलें पर आज अपना फैसला सुनाते हुए इस मामले में दायर विरोधियों की याचिका को ख़ारिज कर बिहार सरकार को जातीय गणना कराने की अनुमति दे दी है।

बता दें सात जुलाई को हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना पर पांच दिन सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई की थी।

मामले पर सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अपराजिता सिंह सहित अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव, दीनू कुमार, रितिका रानी, रितु राज और धनंजय तिवारी ने अपना पक्ष रखा। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही, अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार, मनीष कुमार, आलोक राही ने दायर अर्जी का जमकर विरोध किया। आवेदक जाति आधारित गणना पर सवाल उठाते हुए संविधान विरोधी बताया।

वहीं अर्जी का विरोध करते हुए महाधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर जाति आधारित सर्वे करा रही हैं। इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मगर कुछ लोग इस का विरोध कर रहे हैं, जबकि बहुत से लोग स्वेच्छा से जानकारी दे रहे हैं।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद 4 मई को जाति आधारित सर्वे पर अंतरिम आदेश जारी कर रोक लगा दी थी। साथ ही डाटा को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। इसके बाद आगे की सुनवाई के लिए 3 जुलाई की तारीख तय की थी, जो सात तक चली थी।