आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 से पहले भारतीय टीम के चयन को लेकर भी तैयारियां शुरू, भारत में 5 अक्टूबर से वनडे वर्ल्ड कप की होगी शुरुआत

अब विश्व कप को लेकर कई तरह की चर्चा बीसीसीआी में हो रही है। बता दें कि बीसीसीआई ने आईसीसी विश्व कप से पहले एशियन गेम्स के लिए टीम का चयन कर उसका ऐलान कर दिया है।

आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 को शुरू होने में काफी कम समय शेष बचा है। वर्ल्ड कप से पहले अब भारतीय टीम के चयन को लेकर भी तैयारियां शुरू हो गई है। भारत में 5 अक्टूबर से वनडे वर्ल्ड कप की शुरुआत होगी। भारत का पहला मैच आठ अक्टबूर को ऑस्ट्रेलिया के साथ होना है।

इस विश्व कप को लेकर अब भारतीय टीम का चयन होने की तैयारियां होने लगी है। बीसीसीआई का मैनेजमेंट अब विश्व कप के लिए कौन से खिलाड़ियों का चयन कर टीम बनाएगा। इस सिलसिले में अब बीसीसीआई के चीफ सिलेक्टर अजित अगरकर वेस्ट इंडीज के लिए रवाना होने वाले है। कप्तान रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर अजित अगरकर इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे।

माना जा रहा है कि विश्व कप के लिए 20 सदस्यों की टीम फाइनल की जाएगी। इस सिलसिले में चर्चा करने के लिए भारत और वेस्टइंडीज के बीच वनडे सीरीज से पहले ही चर्चा की जाएगी। इसके लिए अजित अगरकर खुद वेस्टइंडीज जा रहे हैं जहां वो सदस्यों के चयन को लेकर चर्चा करेंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक व्हाइट बॉल सीरीज की शुरुआत से पहले ही अजीत अगरकर टीम से जुड़ेंगे और फिर विश्व कप को लेकर भी चर्चा होगी। गौरतलब है कि आने वाले दिनों में विश्व कप को लेकर कई तरह की चर्चाएं बीसीसीआी में होने वाली है। बता दें कि बीसीसीआई ने आईसीसी विश्व कप से पहले एशियन गेम्स के लिए टीम का चयन कर उसका ऐलान कर दिया है।

माना जा रहा है कि जसप्रीत बुमराह लंबे अर्से से टीम से बाहर चल रहे है। वर्तमान में वो एनसीए में रिहैब में है और टीम में अपनी वापसी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे है। जसप्रीत बुमराह चोटिल होने के कारण लंबे अर्से से टीम में जगह नहीं बना सके थे। वहीं अब रिहैब के साथ ही जसप्रीत ने गेंदबाजी प्रैक्टिस की शुरुआत कर ली है, जिससे उनके फैंस उनकी वापसी को लेकर काफी उत्साहिस हो गए है। वहीं केएल राहुल जो आईपीएल में चोटिल हुए थे, उन्होंने भी बल्लेबाजी शुरू कर दी है। ऐसे में विश्व कप के लिए दो अहम खिलाड़ी उपलब्ध हो सकते है, जो राहत की बात होगी।

मोबाइल देखने से माता पिता ने मना किया तो छत्तीसगढ़ के चित्रकोट वाटरफॉल में कूदी युवती, किसी तरह बची जान

छत्तीसगढ़ में मिनी नियाग्रा कहे जाने वाले चित्रकोट वाटरफॉल के पास एक चौंका देने वाली घटना हुई। यहां एक युवती ने कूदकर जान देने की कोशिश की। हालांकि समय रहते उसे बचा लिया गया। इस घटना के पीछे की वजह ने सभी को दंग कर दिया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नवोदिता पाल ने बताया कि 21 साल की युवती का नाम सरस्वती मौर्य है। वह अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर बिताया करती थी। उसकी इस आदत से परिजन परेशान हो गए थे। वह सरस्वती को इसके लिए डाटते थे। इससे नाराज होकर सरस्वती चित्रकोट वाटरफॉल पहुंच गया।

पुलिस ने बताया कि वाटरफॉल देखने आए लोगों को जब यह एहसास हुआ कि वह आत्महत्या करने जा रही है। उन्होंने उसे रोकने की काफी कोशिश लेकिन सरस्वती ने किसी की नहीं सुनी और फॉल में छलांग लगा दी। हालांकि उसे तुरंत ही अपनी गलती का अहसास हो गया। इसके बाद वह खुद को डूबने से बचाने के लिए तैरकर बाहर आने की कोशिश करने लगी।

चित्रकोट चौकी प्रभारी तामेस्वर चौहान ने आजतक को बताया कि वाटरफॉल के पास सुरक्षा के लिए तैनात गांववाले नाव लेकर सरस्वती के पास पहुंच गए और उसे बचा लिया। पुलिस के अनुसार सरस्वती मौर्य चित्रकोट गांव की ही रहने वाली है।

जानकारी के मुताबिक बारिश के कारण इंद्रावती नदी का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ है, जिस चित्रकोट वाटरफॉल में भी खूब पानी है। इस वाटरफॉल की ऊंचाई 90 फीट है।

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिछने लगी बिसात, एनडीए के 38 में से 25 दलों के पास एक सांसद भी नहीं, डिटेल में पढ़िए, 38 बनाम 26 की दिलचस्प लड़ाई

2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़ दिया जाए तो अन्य 37 दलों का वोट शेयर सिर्फ 7 फीसदी था। इन 37 पार्टियों ने मिलकर लोकसभा की सिर्फ 29 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी। जबकि एनडीए की बैठक में 38 दल शामिल हुए थे। 

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस और बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस सभी छोटे-बड़े दलों को एक साथ लाकर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देना चाहती है। 18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई विपक्षी दलों की बैठक में कुल 26 पार्टियों ने शिरकत की। वहीं बीजेपी ने भी दिल्ली में एनडीए की बैठक बुलाई। इस बैठक में 38 पार्टियों के नेता शामिल हुए। बीजेपी 38 दलों की बैठक बुलाकर अपने गठबंधन को विपक्षी गठबंधन से अधिक मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहे है। कांग्रेस ने एनडीए की बैठक में बुलाए गए दलों पर तंज कस्ते हुए पूछा कि इनमें से सभी पार्टियों का रजिस्ट्रेशन हुआ भी है या नहीं? दरअसल एनडीए के अधिकांश दलों के पास लोकसभा की एक सीट भी नहीं है।

38 बनाम 26 की लड़ाई

राजनीति हमेशा से ही नजरिए का खेल रहा है और बीजेपी भी इस खेल में पीछे नहीं रहना चाहती है। मंगलवार को विपक्षी दल ने बेंगलुरु में बैठक बुलाई थी। इस बैठक में 26 छोटी-बड़ी पार्टियों ने भाग लिया था। विपक्षी दल ने अपने गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखा है। विपक्षी गठबंधन एक सीट- एक उम्मीदवार के समीकरण पर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। वहीं बीजेपी भी अपने कुनबे को विपक्ष से बड़ा दिखाने के लिए एनडीए गठबंधन के सभी सहयोगियों को साथ लाकर विपक्ष को कड़ी टक्कर देना चाहती है।

एनडीए के 25 दलों के पास एक सांसद भी नहीं

एनडीए गठबंधन में कुल 38 पार्टियां है लेकिन अधिकांश दलों की राष्ट्रीय राजनीति में न तो कोई पकड़ है न ही उनकी कोई पहचान है। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को छोड़ दिया जाए तो अन्य 37 दलों का वोट शेयर सिर्फ 7 फीसदी था। इन 37 पार्टियों ने मिलकर लोकसभा की सिर्फ 29 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी। वहीं बीजेपी की बात करें तो उसने अकेले 303 सीट पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी का वोट शेयर 37% से अधिक था। आपको बता दें कि 2019 लोकसभा चुनाव में 37 में से 9 दलों ने अपने उम्मीदवार भी नहीं उतारे थे। वहीं 16 दलों के पास एक भी सांसद नहीं है। यानी 37 में से 25 दलों के पास ना तो कोई सांसद है और ना ही राष्ट्रीय राजनीति में कोई प्रतिनिधित्व है। वहीं एनडीए गठबंधन के 7 दलों के पास सिर्फ एक ही सांसद है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) 13 सांसद के साथ एनडीए का सबसे बड़ा सहयोगी दल है। वहीं लोजपा 6 सांसदों के साथ दूसरा सबसे बड़ा सहयोगी दल है। उत्तर प्रदेश में अपना दल के पास 2 सांसद हैं।

7 दलों के पास सिर्फ एक सीट

2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के 7 दलों ने सिर्फ एक-एक सीट पर ही जीत दर्ज की थी। इन दलों में मेघालय में एनपीपी, तमिलनाडु में एआईडीएमके, सिक्किम में एसकेएम, नागालैंड में एनपीएफ, झारखंड में एजेएसयू, मिजोरम में एमएनएफ शामिल है। बीजेपी दक्षिण भारत में खाता खोलने में नाकाम रही है। 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उम्मीद है कि एआईडीएमके एनडीए गठबंधन को अधिक सीटों पर जीत दिला पाएगी। सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि बीजेपी आंध्रप्रदेश में टीआरएस के साथ गठबंधन कर दक्षिण भारत में अपना पकड़ मजबूत करेगी।

बीजेपी ने छोटे दलों पर खेला बड़ा दांव 

बीजेपी छोटे दलों पर बड़ा दाव खेल रही है इसका पहला कारण है कि बीजेपी नंबर गेम में पीछे नहीं रहना चाहती है। वह विपक्ष के 26 दलों के एक साथ आने के दावे को अपने 38 गठबंधन के सहयोगियों के साथ बौना दिखाना चाहती है। बाकि छोटे दल उन सभी सीटों पर अहम भूमिका निभा सकते है जहां जीत और हार का मार्जिन बहुत कम था। वहीं ये छोटे दल जिला स्तर पर बीजेपी को जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

सपा विधायक को 'वंदे मातरम्' का नारा लगाना स्वीकार नहीं, कहा-मेरा धर्म इजाजत नहीं देता

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महाराष्ट्र विधानसभा सदन में आज उस वक्त हंगामा शुरू हो गया, जब समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने वंदे मातरम कहने से इनकार कर दिया।समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी की 'वंदे मातरम' के बारे में इस तरह की टिप्पणी को लेकर भाजपा विधायकों के हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

समाजवादी पार्टी के विधायक आजमी ने यह बयान दिया है कि उनका महजब उन्हें इस बात की इजाजत नहीं देता कि वह किसी के सामने सिर झुकाएं। लिहाजा हम वंदे मातरम नहीं कह सकते हैं। हम अपनी मां के सामने भी सिर नहीं झुकाते हैं। हम सिर्फ अल्लाह के सामने सिर झुकाते हैं। आजमी ने कहा कि आफताब पूनावाला के नाम पर मुसलमानों को बदनाम किया गया।

मेरे दिल में मेरे मुल्क के लिए इज्जत कम नहीं होगी-आजमी

इसके अलावा अबू आजमी ने कहा, ‘हम वो है जिनके पूर्वजों ने इस देश के लिए अपनी जान दी, हम वो है, जिन्होंने पाकिस्तान को नहीं भारत को अपना मुल्क माना। हमें इस्लाम सिखाता है की सर उसी के आगे झुकाओ जिसने ये सारा जहान बनाया। मेरे मजहब के मुताबिक अगर मैं वंदे मातरम नहीं बोल सकता हूं तो इससे मेरे दिल में मेरे मुल्क के लिए इज्जत और मेरी वतनपरस्ती में कोई कमी नहीं होती और इससे किसी को अप्पत्ति होनी भी नहीं चाहिए, जितने आप इस मुल्क के उतने हम भी!’

एक ही मजहब को टारगेट करने का आरोप

आजमी ने कहा कि आफताब पूनावाला के नाम पर मुसलमानों को बदनाम किया गया। इसके बाद आजमी ने औरंगाबाद में राममंदिर के बाहर की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि वहां यह नारा लगाया गया कि भारत में रहना है तो वंदे मातरम क्या होगा। इससे माहौल ख़राब हो गया, पुलिस ने दोनों गुटों को वहां से हटाया। रात में फिर वहां पंद्रह- बीस लोग आए। इसके बाद वहां पर दोनों तरफ के लोग आये फिर नारेबाजी और झगड़ा शुरू हुआ। आजमी ने कहा कि पुलिस के मुताबिक दोनों तरफ से ढाई- ढाई सौ लोग मौजूद थे। इसलिए मेरा सवाल है कि आखिर एक ही मजहब के लोग क्यों गिरफ्तार किये गए।

बेंगलुरु में आईएसआईएस के पांच आतंकी गिरफ्तार, धमाके की थी योजना, हथियार और विस्फोटक बरामद

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कर्नाटक की राजधानी में आतंकवादी हमले की योजना बनाने के आरोप में केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी) ने आज बेंगलुरु में पांच संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने पकड़े गए इन पांचो आतंकियों के पास से हैंड ग्रेनेड और सात पिस्टल के साथ ही कई कारतूस बरामद किए हैं। बताया जा रहा है कि ये आतंकी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे। मिली जानकारी के मुताबिक ये पांचो आतंकी कर्नाटक के ही रहने वाले बताए जा रहे हैं, जिनका संपर्क आईएसआईएस मॉड्यूल से था।

जेल में आए आतंकियों के संपर्क में

बेंगलुरु पुलिस की क्राइम ब्रांच के मुताबिक पकड़े गए पांचो आतंकी सोहेल, उमर, जुनैद, मुदासिर और जाहिद जेल में आतंकियों के संपर्क में आए थे। सीसीबी ने बताया कि ये पांचों 2017 के एक हत्या मामले में आरोपी थे और परप्पाना अग्रहारा सेंट्रल जेल में थे जहां वे आतंकवादियों के संपर्क में आए।उन्हें 2017 में गिरफ्तार किया गया था और 2019 में रिहा किया गया।ये 18 महीने तक जेल में थे।

हमले जैसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक

बेंगलुरु पुलिस की क्राइम ब्रांच से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकियों के पास से हैंड ग्रेनेड के अलावा कई ऐसे अन्य मशीनी उपकरण बरामद किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल हमले जैसी बड़ी साजिश को अंजाम देने के लिए किया जाता है। गिरफ्तार किए गए पांच संदिग्ध आतंकवादियों के पास से चार वॉकी-टॉकी, सात देसी पिस्तौल, 42 जिंदा गोलियां, दो खंजर, दो सैटेलाइट फोन, चार ग्रेनेड और विस्फोटकों में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की एक बड़ी खेप बरामद की गई है। आतंकियों के पास से बरामद हैंडग्रेनेड को लेकर भी बड़ी जानकारी सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि इनके पास यह पंजाब गुजरात-बॉर्डर से पहुंचाया गया है।

सीमा हैदर का एक और सच आया सामने, मेकओवर में पेशेवर की ली मदद, जांच एजेंसियों को तीसरे शख्स की तलाश

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पाकिस्तान की रहने वाली सीमा हैदर और भारत के सचिन मीणा की प्रेम कहानी सुर्खियों में बनी हुई है। सीमा हैदर पर लगातार पाकिस्तानी जासूस होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। एटीएस पिछले दो दिनों से सीमा से पूछताछ कर रही है। वहीं अब एटीएस और जांच एजेंसियों ने अपनी जांच का दायरा बढ़ा दिया है। जिसके बाद लगातार नए खुलासे हो रहे हैं।

सीमा हैदर मामले की जांच कर रही केन्द्रीय जांच एजेंसियों को अहम जानकारी मिली है कि सीमा सचिन के साथ किसी तीसरे शख्स की मदद से भारतीय सीमा में दाखिल हुई। खुफिया एजेंसी सूत्रों के मुताबिक भारतीय सीमा में दाखिल होने के दौरान सीमा ने बकायदा अपना ड्रेसअप इस तरीके से किया था कि वह ग्रामीण भारतीय महिला लगे, ना की बाहर के देश की महिला और इस मेकअप में पेशेवर लोगों की मदद ली गई थी। सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचने के लिए उसने अपने बच्चों को भी इसी तरह से तैयार किया था।

जांच एजेंसियों के मुताबिक ऐसा ही तरीका ह्यूमन ट्रैफिकिंग यानि घरेलू सहायिका या जिस्मफरोशी रैकेट में शामिल महिलाएं भारत-नेपाल सीमा पार करने में इस्तेमाल करती हैं। ये भी दावा किया जा रहा कि जिस धाराप्रवाह भाषा में सीमा लगातार बात कर रही है, ऐसी ट्रेनिंग नेपाल में मौजूद पाकिस्तानी हैंडलर उन महिलाओं को देते हैं, जिनको नेपाल बार्डर पार कराकर भारत में गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए भेजा जाता है।

बता दें कि सीमा हैदर जांच एजेंसियों के निशाने पर है। यूपी एटीएस ने सीमा हैदर से लगातार दो दिनों तक पूछताछ की है। करीब 15 घंटे तक सीमा हैदर से पूछताछ की गई है। हालांकि जांच एजेंसी उसके जवाबों से संतुष्ट नजर नहीं आ रही है। पूछताछ के दौरान सीमा द्वारा बताए गए एंट्री वाले सीमाओं के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए। लेकिन जांच एजेंसी को कुछ भी नहीं मिला।

एशियन गेम्स के लिए विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया को नहीं देना होगा ट्रायल, डायरेक्ट एंट्री पर मचा बवाल

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भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की एडहॉक कमिटी ने ओलिंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और विश्व चैम्पियनशिप पदक विजेता विनेश फोगाट को एशियाई खेलों में सीधे एंट्री दे दी। इसका मतलब है कि अब उन्हें एशियन गेम्स में एंट्री के लिए ट्रायल नहीं देना पड़ेगा। वहीं, दूसरे पहलवान कमेटी के इस फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहलवान इतने समय से प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि वह लगातार प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने पहलवानों के ट्रायल की मांग की है। अब ये मामला काफी ज्यादा गर्माता जा रहा है। दूसरे पहलवान और उनके कोच अदालत में चुनौती दे सकते हैं।

एशियन गेम्स इस साल चीन में खेला जाना है। इसके लिए सभी खिलाड़ी अभी से तैयारी कर रहे हैं। लेकिन इसी बीच भारतीय पहलवान विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को भारतीय ओलंपिक संघ की एक समिति ने मंगलवार को एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश देने का फैसला किया था। बताया जा रहा है कि IOA ने ये फैसला नेशनल चीफ कोचों की सहमति के बिना ही ले लिया है। संस्था के एड-हॉक पैनल द्वारा जारी किए गए सर्कुलर में बताया गया है कि पुरुषों के फ्रीस्टाइल 65 किलोग्राम वर्ग में और महिलाओं के 53 किलोग्राम वर्ग में पहले से ही सिलेक्शन किया जा चुका है। 3 रेसलिंग स्टाइल्स के बाकी के अन्य 6 कैटेगरी में ट्रायल लिया जाएगा।

विनेश फोगाट को 53 किलो वर्ग और बजरंग पूनिया को 65 किलो वर्ग के लिए क्वालीफाई किया गया है। अब इस मुद्दे को लेकर अंडर 20 वर्ल्ड चैंपियन अंतिम पंघाल ने सावल खड़े कर दिए हैं। अंतिम पंघाल ने बुधवार को विनेश फोगाट को एशियाई खेलों के लिए चयन ट्रायल से छूट दिये जाने पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ वह ही नहीं बल्कि कई अन्य भारतीय पहलवान 53 किलो वर्ग में विनेश को हराने में सक्षम हैं। हिसार की रहने वाली 19 वर्ष की पंघाल भी 53 किलो में उतरती हैं। उन्होंने पूछा कि इतने समय से अभ्यास नहीं करने के बावजूद विनेश का चयन कैसे हुआ। सीनियर एशियाई चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता पंघाल ने एक वीडियो में कहा कि विनेश फोगाट को एशियाई खेलों में सीधे प्रवेश मिलेगा जबकि उसने पिछले एक साल से अभ्यास भी नहीं किया है। पिछले एक साल में उसकी कोई उपलब्धि नहीं है 

पहलवान विशाल कालीरमन ने कहा, मैं भी अंडर 65kg कैटेगरी में खेलता हूं और एशियन गेम के लिए बजरंग पुनिया को ट्रायल के बिना ही डायरेक्ट एंट्री दे दी गई है। ये लोग लगभग एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि हम लागातार प्रैक्टिस कर रहे हैं। हम इनके भी ट्रायल की मांग करते हैं। हम कोई फेवर या लाभ नहीं चाहते हैं, लेकिन कम से कम ट्रायल तो करवाया जाना चाहिए वरना हम भी अदालत जाने के लिए तैयार हैं और हम कोर्ट में अपील करेंगे। हम 15 सालों से इसके लिए तैयारी कर रहे हैं। अगर बजरंग पुनिया एशियन गेम्स में खेलने से इनकार करते हैं तो किसी और को मौका मिल सकेगा और वह एशियन गेम्स में खेल सकेगा।

बता दें कि एशियन गेम्स के लिए खिलाड़ियों के चयन हेतु ट्रायल 4 दिनों बाद ही शुरू होने वाला है। ये टूर्नामेंट 23 सितंबर से चीन के हांगझोउ में खेला जाना है। दिल्ली के IG स्टेडियम में 22 जुलाई से महिलाओं का और 23 जुलाई से पुरुष खिलाड़ियों का ट्रायल लिया जाएगा।

उत्तराखंड के चमोली में बड़ा हादसा, नमामि गंगे प्रोजेक्ट की साइट पर फैला करंट, 15 की मौत

#chamoli_namami_gange_project_many_people_feared_dead 

उत्तराखंड के चमोली में बुधवार सुबह बड़ा हादसा हुआ है। चमोली बाजार के पास नमामि गंगे प्रोजेक्ट की साइट पर अचानक करंट फैल गया। दर्दनाक हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई है। कई लोग बुरी तरह झुलसे हैं। चमोली के एसपी परमेंद्र डोभाल ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बताया जा रहा है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट से जुड़े सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में ट्रांसफार्मर फट गया जिसकी वजह से करंट फैल गया। यहां अभी तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। स्थानीय लोगों की मदद से यहां करंट में झुलसे लोगों को बाहर निकाला गया और अस्पताल ले जाया गया है।हादसे के वक्त साइट पर 24 लोग मौजूद थे।

चमोली के ऊर्जा निगम के अधिशासी अभियंता अमित सक्सेना ने बताया कि बीती रात को बिजली का तीसरा फेस डाउन हो गया था। बुधवार को सुबह तीसरे फेज को जोड़ा गया, जिसके बाद सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में करंट दौड़ गया। ट्रांसफार्मर से लेकर मीटर तक कहीं एलटी और एसटी के तार नहीं टूटे हैं, मीटर के बाद तारों में करंट दौड़ा है।

बता दें कि उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है, गंगा समेत अन्य नदियां उफान पर हैं। इस बीच यह हादसा हुआ है। पहाड़ी इलाके लगातार आसमानी आफत को झेल रहे हैं।

गठबंधन के नए नाम ‘INDIA’ से नीतीश नाखुश ! बीजेपी को चुनौती देने से पहले कहीं आपसी चुनौतियों में ना घिर जाए विपक्ष

#nitish_kumar_objected_to_oppositions_alliance_name_india 

2024 लोकसभा चुनाव के लिए एकता कायम करने की जद्दोजहद में 26 विपक्षी दल बेंगलुरु में एक मंच पर दिखे।26 विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए 2024 में 'इंडिया' दांव चला। साफ हो गया है कि भाजपा की अगुआई वाले एनडीए को विपक्षी दलों का INDIA(इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) चुनौती देगा। हालांकि, बीजेपी को चुनौती देने से पहले आपस में ही चुनौती बढ़ती दिख रही है। जी हां, बेंगलुरु में हुई विपक्ष की बैठक के बाद नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें सामने आ रही है।खबर है कि नीतीश कुमार गठबंधन के नए नाम से भी खुश नहीं हैं। बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार को विपक्ष के गंठबंधन के नए नाम 'INDIA' से ऐतराज है।

विपक्ष को साथ लाने की पहली बड़ी पहल करने वाले नीतीश कुमार की नाराज बेंगलुरू बैठक के बाद हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में देखी गए। मंगलवार को बेंगलुरु विपक्ष की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार और लालू यादव मौजूद नहीं थे। नीतीश कुमार, लालू यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव बैठक के कुछ देर बाद पटना के लिए रवाना हो गए। पटना एयरपोर्ट पर भी उन्होंने मीडिया से बात नहीं की। वे सीएम की कार में बैठे और फिर उन्होंने लालू-तेजस्वी को घर छोड़ा और अपने घर को निकल गए।

नाम को लेकर नाराजगी!

बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार ने गठबंधन का नाम ‘INDIA’ रखे जाने पर आपत्ति जताई है। सूत्रों ने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं चाहते थे कि विपक्षी गठबंधन का नाम ‘INDIA’ रखा जाए क्योंकि इसमें ‘NDA’ अक्षर है।कहा जा रहा कि जब गठबंधन का नाम INDIA रखे जाने का फैसला लिया जा रहा था तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि INDIA नाम में NDA यानी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नाम के शब्द भी शामिल हैं, जो सही नहीं है। हालांकि, जब सभी दलों ने इंडिया नाम पर अपनी हामी भर दी तो उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा।

वहीं, ये भी कहा जा रहा है कि बैठक के दौरन जब नीतीश ने नए नाम पर आपत्ति दर्ज की, इसी दौरान किसी ने नीतीश कुमार को मोबाइल पर दिखाया कि एक सांसद ने तो इंडिया नाम ट्वीट भी कर दिया है।नीतीश कुमार बोले अब जब नाम की बात बाहर तक जा चुकी है और आप लोग तय कर चुके हैं तो फिर वही सही।

विपक्ष के केंद्र में कांग्रेस को आता देख नीतीश हुए नाराज!

नीतीश गठबंधन के नाम से तो नाराज थे ह।अब पता चला कि वह गठबंधन के संयोजक बनना चाहते हैं, जिसपर अगली मीटिंग में फैसले होना है।दरअसल, विपक्ष को साथ लाने की पहली बड़ी पहल नीतीश ने की थी। उनके ही प्रयास से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष का पहला जुटान पटना में 23 जून को हुआ। इसे नीतीश की बड़ी सफलता मानी गई। इसी वजह से माना गया कि नीतीश कुमार को विपक्ष बड़ी जिम्मेदारी दे सकता है।जिसमें संयोजक का पद भी शामिल है।लेकिन अब सोनिया गांधी की सक्रियता से नीतीश के बदले विपक्ष के केंद्र में कांग्रेस आ गई।

*न INDIA में न NDA, इन 8 दलों ने नहीं दिखाई किसी भी गठबंधन में दिलचस्पी

#neitherinndanorinindiathese8parties 

देश की दो बड़ी पार्टियां- बीजेपी और कांग्रेस किसी चुंबक की तरह सहयोगी खींचने में लग गई हैं।इसमें काफी हद तक कामयाबी भी मिली है। बीजेपी के हाथ में सत्ताधारी राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की कमान है। तो वहीं, कांग्रेस नए-नवेले गठबंधन “NDIA” इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस का हिस्सा है।विपक्षी पार्टियों के गठबंधन “NDIA” में 26 दल शामिल हैं। वहीं, मंगलवार को दिल्ली में हुई एनडीए की बैठक में 38 पार्टियों ने अपना दम दिखाया। इस तरह पक्ष और विपक्ष को मिलाकर देश की कल 64 राजनीतिक दल सत्ता की रस्साकशी में लगे हुए हैं। जबकि इनके बीच देश में कुल आठ दल ऐसे भी हैं जो इन दोनों से दूरी बनाए हुए हैं।

बेंगलुरु और दिल्ली में हुए बैठकों के कुल 64 पार्टी हिस्सा बने, लेकिन कुछ क्षेत्रीय दल इस दोनों बैठकों में नहीं दिखे। इन आठ दलों में बीजद, वाईएसआर कांग्रेस, टीआरएस, जेडीएस, अकाली दल, बसपा, एआईएमआईएम और एआईयूडीएफ शामिल हैं। इनमें कुछ दल तो ऐसे हैं जो कई राज्यों में अपने दम पर सत्ता में हैं जबकि कुछ ऐसे हैं जो पहले या तो कांग्रेस या फिर एनडीए के साथ रह चुके हैं। इसके बाद भी आगामी चुनाव को लेकर ये दल अभी तक किसी भी फैसले पर नहीं पहुंच पाए हैं।

ओडिशा की बीजू जनता दल

इन दलों की सियासी वर्चस्व की बात करें तो ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार है और पार्टी के मुखिया नवीन पटनायक खुद मुख्यमंत्री हैं। ओडिशा में पटनायक का वोट बैंक और उनकी लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। पांच बार अपने दम पर सरकार बना चुके हैं। 2019 में हुए विधानसभा में 147 सीटों में 112 सीटों पर जीत हासिल की है। राज्य में लोकसभा की कुल 21 सीटें हैं। 2019 के लोकसभा में बीजद के खाते में 12 सीटें गई थी जबकि बीजेपी 8 सीट और कांग्रेस एक सीट जीतने में कामयाब रही थी।

जनता दल (सेक्युलर)

देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस पहले कांग्रेस और भाजपा के साथ गठबंधन का हिस्सा रही है, लेकिन मंगलवार को यह तस्वीर में कहीं नहीं थी। वैचारिक रूप से जद (एस) खुद को कांग्रेस और वाम दलों करीब मानी जाती है। पार्टी को मुसलमानों का भी समर्थन प्राप्त है और माना जाता है कि उसका भाजपा के साथ कोई तालमेल नहीं है।

भारत राष्ट्र समिति और वाईएसआरसीपी

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाले बीआरएस की बैठर में अनुपस्थिति रही। वहीं आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी ने राज्य स्तर पर भाजपा से कुछ दूरी बनाए रखी है, हालांकि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी के साथ उसके संबंध सौहार्दपूर्ण बने हुए हैं।

अकाली दल और बसपा

अकाली दल जो कभी एनडीए का हिस्सा था, लेकिन फिलहाल दूर है। हालांकि, अकाली दल को लेकर चर्चा है कि उसकी एनडीए में वापसी होगी, लेकिन कब होगी इसे लेकर अभी तक कयासों का दौर ही चल रहा है।वहीं, मायावाती की बसपा भी अभी तक अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पाई है। 

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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन

बात असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की तो यह मुख्य रूप से तेलंगाना से आती है। असदुद्दीन ओवैसी पार्टी के इकलौते सांसद हैं। ओवैसी भी न तो सत्ता पक्ष की तरफ है और नहीं विपक्ष के साथ। कुल मिलाकर अपने-अपने राज्यों में इन राजनीतिक दलों का अपना वोट बैंक और राज्य की राजनीति में इनकी अहम भूमिका भी रहती है इसके बाद भी अभी अपना स्टैंड क्लियर नहीं कर पाए।