राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की विधायकों को सीख "मैं "और "मेरा" से ऊपर उठकर मेरा देश, मेरी जनता, मेरे लोग "हमारे" की रखें सोच
राजस्थान विधानसभा में आज का दिन एक ऐसे इतिहास का साक्षी बना जो आने वाले समय में हमेशा याद रखा जाएगा. आजादी के बाद राजस्थान विधानसभा के विधायकों को देश की राष्ट्रपति ने पहली बार संबोधित किया. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राजस्थान के स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप महाराणा सांगा को तो याद किया ही इसके साथ ही उन्होंने राणा पूंजा और गोविंद गुरु को भी याद किया.अपने भाषण के दौरान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने प्रदेश के विधायकों को सीख भी दी.
उन्होंने कहा कि 7 करोड़ जनता जिन 200 विधायकों पर भरोसा करती है, उन्हें अपनी जनता के विकास के लिए नियम बनाने और "मैं" की जगह "हमारा" की भावना रखनी चाहिए. यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि "उसने क्या किया" बल्कि यह सोचना चाहिए कि जनता ने हमें चुनाव जीता कर विधानसभा में भेजा है. तो मैंने और हम सब ने संगठित होकर जनता के लिए क्या किया ?
राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि राजस्थान की जनसंख्या 7 करोड़ से ज्यादा है और केवल 200 विधायक हैं. उन्होंने कहा कि जनता कभी एक बार, कभी दो बार, तो कभी जिंदगी भर जनप्रतिनिधि बनाकर आपको इस विधान सभा में भेजती है. आप भी इस विधानसभा को गौरवान्वित करते हैं मतलब साफ है कि जनता आपसे कितना प्यार करती है. राष्ट्रपति ने कहा कि जनता जनप्रतिनिधियों से इतनी प्रभावित होती है कि कभी-कभी उनकी हर बात को फॉलो करती है. उनकी हेयर स्टाइल, चाल चलन, चेहरा, उनके ड्रेस तो कभी-कभी जनता को हमने देखा है कि जनप्रतिनिधियों के हाथ में बंधे हुए धागे को भी वह फॉलो करते हैं.
ऐसे में उम्मीद करते हैं कि संविधान के प्रस्तावना के अनुसार जो आर्थिक, सामाजिक, शिक्षा लेने की आजादी का दायित्व जनसाधारण ने अपने जनप्रतिनिधि को दिया उसे आप पूरा करेंगे. उन्होंने कहा कि यह युग कंप्यूटर युग है, मॉडर्न टेक्नोलॉजी से चलता है जबकि एक युग था जब जनप्रतिनिधि क्या बोलते हैं? वो पेपर भी कभी-कभी नहीं पहुंचता था लेकिन आज घर-घर तक विधानसभा में क्या चल रहा है, जनप्रतिनिधि जनता के लिए, मेरे परिवार के लिए, समाज के लिए, देश के लिए राज्य की महिलाओं, युवाओं के लिए क्या कर रहे हैं. वह देखते हैं ओर समझते हैं, इसीलिए मैं सभी जनप्रतिनिधियों को गुजारिश करना चाहती हूं कि चाल चलन के साथ ही आचार विचार से हमें जनता के लिए सोचना चाहिए.
केवल मैं नहीं, मैं और मेरा को छोड़कर "हमारा" की सोच होनी चाहिए. मैं और मेरा सोचने से देश, समाज, राज्य की उन्नति नहीं हो सकती. इसलिए जनप्रतिनिधि को हमेशा जनता ओर राज्य के लिए सोचना चाहिए. मैं और मेरा से उठकर मेरा देश, मेरी जनता, मेरे लोग होने चाहिए. उन्होंने कहा कि आपका दायित्व है कि जनता की जरूरतों के आधार पर नियम बनाएं, क्योंकि नियम बनाने का काम आपके हाथ में है. राष्ट्रपति ने विधायकों से कहा कि मैं चाहूंगी कि आगे चलकर यह "एक्स वाई जेड" ने तो यह काम नहीं किया कहने की जगह खुद को पूछना चाहिए कि मैंने क्या किया ? और जो मुझे दायित्व जनता ने दिया उसका मैन किया क्या? हम सब ने मिलकर संगठित रूप में क्या किया?
उन्होंने कहा कि आज राजतंत्र नहीं है और लोकतंत्र में 7 करोड़ जनता के हिसाब से 200 विधायकों का प्रतिशत निकाला जाए तो पता नहीं क्या होगा. इससे यह साफ है कि जनता आप पर कितना भरोसा करती है. जिस पर आपको खरा उतरना चाहिए. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राजस्थान के समग्र विकास और राज्य के सभी निवासियों के स्वर्णिम भविष्य की मंगल कामना करते हुए उम्मीद जताई कि राजस्थान की विधानसभा जन कल्याण और राज्य के विकास के लिए निरंतर कार्य करेगी. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने अपने भाषण का समापन संसद हिंद, जय भारत ओर जय राजस्थान के उद्घोष के साथ किया.
Jul 15 2023, 17:24