अनोखी पहल: यहां बदल रहा सेलिब्रेशन का ट्रेंड, केक नहीं रोटी के साथ मनता है जन्मदिन और सालगिरह; अनाथों की संस्था को तलाशते हैं लोग
जमशेदपुर: अपने औद्योगिक रसूख के कारण दुनिया भर में अलग पहचान बनाने वाले जमशेदपुर में पिछले साल भर से सेलिब्रेशन का ट्रेंड बदल गया है। लोग जश्न को घर या होटल के एयरकंडीशन रूम के बजाय खुले में सावर्जनिक तौर पर मनाना पंसद करने लगे हैं।
यहां उनके इष्ट मित्र की संख्या गिनी चुनी होती है, संख्या उन लोगों की ज्यादा होती है जिनके लिए यह आयोजन सुनहरे सपने के सामान होता है। दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करने वाले इन लोगों के लिए यह दिन यादगार होता है। इन्हें एक जगह जमा करने में रोटी बैंक की अहम भूमिका रहती है। यही कारण है कि इस अनोखे सेलिब्रेशन के लिए लोग रोटी बैंक के सदस्यों की तलाश करते हैं।
दरअसल, रोटी बैंक का स्टॉल शहर के कई जगहों पर लगता है यहां हर रोज दो हजार लोग मुफ्त में अपनी पेट की ज्वाला को शांत करते हैं।
पिछले एक साल में रोटी बैंक के जरिए 149 लोगों ने अपने परिजनों की पुण्यतिथि मनाई तो 98 ने अपना जन्मदिन। 88 दंपतियों ने शादी की सालगिरह में अब तक के बिताये हसीन पल को याद किया। इनमें युवाओं की संख्या सर्वाधिक है यानी वे इस बदलाव के अहम सूत्रधार बन रहे हैं। रोटी बैंक का संचालन समाजसेवी मनोज मिश्रा अपनी टीम के साथ करते हैं। चार सदस्यों से शुरू हुई इस संस्था के सदस्यों की संख्या तीन सौ तक पहुंच चुकी है। संचालन भी शहरवासियों के सहयोग से ही होता है।
एमजीएम रोजाना लगता है रोटी बैंक का स्टॉल
रोटी बैंक का स्टॉल हर दिन सुबह-शाम महात्मा गांधी मेमोरियल(एमजीएम) कॉलेज एवं अस्पताल में लगता है। इसके अलावा एमटीएमएच, शहर के फुटपाथों में घूम-घूम कर जरूरतमंदों को नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है। संस्था के सदस्य बताते हैं कि अब तो कुछ अंतराल पर जन्मदिन, शादी की सालगिरह और पुण्यतिथि पर भोजन के साथ खुशियां बांटने के लिए लोग संपर्क करने लगे हैं। मनोज मिश्रा बताते हैं कि जमशेदपुर में रोटी बैंक की शुरुआत 15 जनवरी 2015 को साकची गोलचक्कर में मात्र 10 लोगो को भोजन कराकर की गई थी। उस समय यह सोचा भी नहीं था कि कभी इस संस्था को शहरवासी आंखों में बैठाकर रहेंगे। एक छोटी ही शुरुआत आज बड़ा आंदोलन बन चुका है। लोग हमारे साथ जुड़ते गये और कारवां बनता गया। आठ वर्ष पहले का अभियान आज भी जारी है और आगे भी जारी रहेगा।
कुपोषण के खिलाफ रोटी बैंक का अभियान
रोटी बैंक की ओर से पूरे पूर्वी सिंहभूम में कुपोषण के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत बच्चों को उनके शारीरिक विकास के लिए पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों को संस्था की ओर से दूध न्यूट्रिशन समेत अन्य सामग्री निशुल्क दी जाती है। इस अभियान में शहर के कई बुद्धिजीवियों का सहयोग है। साथ ही विदेशों से भी कई लोग अभियान में जुड़े हुए हैं। रोटी बैंक के सदस्य बताते हैं कि संस्था का सपना झारखंड को कुपोषण से मुक्त करना है। इसी कड़ी में यह एक प्रयास है। जब तक गरीबों को भरपेट भोजन नहीं मिलेगी तब तक कुपोषण खत्म नहीं हो सकता।
Jul 13 2023, 09:56