ब्लैक-टी से हो जाये सावधान! ज्यादा सेवन करने से किडनी के लिए हो सकता है खतरनाक


नई दिल्ली: ब्लैक टी हमारी सेहत के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होती है. ये कहना है कई हेल्थ एक्सपर्ट्स का. 

दरअसल ब्लैक टी में मौजूद तमाम तरहों के एंटीऑक्सीडेंट हमारे दिल से लेकर डायबिटीज की समस्या तक लाभदायी होते हैं. न सिर्फ इतना, बल्कि इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी कई गुना तक इजाफा होता है, जो कोरोना जैसी संक्रामक बीमारियां हमसे दूर रखता है. हालांकि कई लोगों का ये भी मानना है कि ब्लैक-टी का ज्यादा सेवन हमें किडनी की बीमारियों से ग्रसित कर सकता है... तो आइये इसे विस्तार से जानें...

कैफीन से खतरा...

यूं तो कैफीन हमारी किडनी के लिए लाभकारी है, क्योंकि इसमें मौजूद मूत्रवर्धक प्रभाव किडनी के लिए लाभादायी है, मगर कैफीन की अधिक मात्रा खतरनाक भी हो सकती है. दरअसल चाय और कॉफी में कैफीन प्राथमिक घटक है जो किडनी पर अच्छा और बुरा दोनों असर डालता है. शोध के मुताबिक कैफीन से ब्लड प्रेशर प्रभावित होता है. अगर हम कैफीन का ज्यादा सेवन करेंगे, तो इससे हमें ब्लड प्रेशर में वृद्धि का खतरा रहता है, जिससे किडनी की बीमारी होने का जोखिम बना रहता है. 

वहीं इसमें पाय जाने वाल ऑक्सलेट, इसे हमारी किडनी के लिए और भी ज्यादा खतरनाक बनाता है. वहीं इसमें मौजूद ऑक्सालेट कैल्शियम किडनी के भीतर क्रिस्टल बनाते हैं, जिससे हमें पथरी होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में ब्लैक टी का अधिक सेवन हमारी किडनी के लिए हर मायने में खराब माना जाता है.

हेल्थ एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यूं तो ब्लैक-टी कई तरहों से सेहत के लिए लाभयादी है, इसमें हृदय रोग से जुड़ी पेरशानी, खासतौर पर कोलेस्ट्रॉल को कम करने और ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखने जैसे कई फायदे हैं. हालांकि इसका सेवन भी कम मात्रा में होना चाहिए. इसका अधिक सेवन हमें कई प्रकार की परेशानियों में डाल सकता है. मुख्यतौर पर ब्लैक-टी की अधिकता किडनी के लिए समस्याकारक साबित हो सकती है.

आफ़त की बरसात : दिल्ली में बारिश ने तोड़ा 41 वर्षों का रिकॉर्ड, 1982 के बाद 24 घंटे में हुई सबसे ज्यादा बरसात


नई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में पिछले दो दिनों से झमाझम बारिश का दौर जारी है। इससे जुलाई के महीने में 24 घंटे में सर्वाधिक बारिश का 41 वर्ष का रिकॉर्ड टूट गया।

इससे पहले 1982 में हुई थी इतनी बारिश

मौसम विभाग के अनुसार, शनिवार सुबह से जारी बरसात ने दिल्ली में 41 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सुबह साढ़े आठ बजे तक 153 मिमी वर्षा दर्ज की गई।

वर्ष 1982 के बाद यह 24 घंटे की सबसे ज्यादा बरसात है। इससे पहले 1982 में 169.9 मिमी बारिश हुई थी?

न्यूनतम तापमान में भी आई गिरावट

दिल्ली में दो दिन से लगातार हो रही इस बारिश से न्यूनतम तापमान में भी गिरावट आई है। जानकारी के मुताबिक, सामान्य से तीन डिग्री कम 25.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है।

वहीं, आज अधिकतम तापमान 30 डिग्री रहने के आसार हैं। मौसम विभाग ने आज बारिश को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग का कहना है कि मानसूनी हवा व पश्चिमी विक्षोभ के संयुक्त प्रभाव क कारण दिल्ली में मूसलधार वर्षा हो रही है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, शनिवार से हो रही वर्षा के बाद रविवार को दिल्ली में एयर इंडेक्स घटकर 50 या उससे कम हो सकता है। इसलिए हवा की गुणवत्ता अच्छे श्रेणी में रह सकती है, लेकिन एक दिन के बाद दोबारा हवा की गुणवत्ता संतोषजनक श्रेणी में पहुंच जाएगी।

नोएडा में बारिश से जलभराव की स्थिति

औद्योगिक नगरी में रविवार से तेज वर्षा हो रही है। लगातार दूसरे दिन सुबह के समय तेज वर्षा जलभराव की स्थिति बनी हुई है। इससे घरों से बाहर जरूरी काम से निकलने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि रविवार होने के कारण राहत की बात यह है कि सड़क पर ट्रैफिक का दबाव कम है। लेकिन शहर के निचले हिस्से में पानी रुकने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, GST चोरी करने वालों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग-रोधी कानून तहत होगी कार्रवाई,अधिसूचना जारी


नई दिल्ली : फर्जी बिलिंग के जरिए कर चोरी रोकने के उद्देश्य से केंद्र ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के दायरे में ला दिया है. इससे जीएसटीएन के भीतर कर चोरी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग-रोधी एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अधिक शक्ति मिलेगी.

सरकार ने एक राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से इस तरह की जांच में मदद करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के तहत ईडी और जीएसटीएन के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान को अधिसूचित किया.

 अधिसूचना पीएमएलए की धारा 66(1)(iii) के तहत ईडी और जीएसटीएन के बीच जानकारी साझा करने के संबंध में है. केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) कर चोरी रोकने को लेकर उत्साहित है.

सीबीआईसी के अध्यक्ष विवेक जौहरी ने पिछले महीने कहा था कि सरकार फर्जी बिलिंग और फर्जी चालान की प्रथा पर अंकुश लगाने और फर्जी व्यवसायों की पहचान करने के प्रति गंभीर है. पीएमएलए को आतंकी फंडिंग और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए अधिनियमित किया गया था. 

अधिसूचना अब जीएसटी प्रावधानों के किसी भी उल्लंघन की जांच करने के लिए ईडी और जीएसटीएन के बीच जानकारी या सामग्री साझा करने की सुविधा प्रदान करेगी. बता दें कि जीएसटी चोरी करने वालों के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से लगातार कठोर कानूनी प्रावधान किया जा रहा है.

वंदे भारत ट्रैन : बदल गई वंदे भारत ट्रेन, ब्लू से हुआ केसरिया रंग में तब्दील, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी इसकी जानकारी


नई दिल्ली : भारत की स्वदेशी सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत ट्रेन अब केसरिया रंग में नजर आएगी. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी है. अभी तक इस ट्रेन को ब्लू रंग में देखा जाता था. इसकी कुछ तस्वीरें सामने आई हैं. इसे चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किया जा रहा है. वंदे भारत ट्रेन का निर्माण यहीं पर किया जाता है.रेलवे अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक केसरिया रंग वंदे भारत ट्रेन के 28वें रैक की होगी. 

इससे पहले 27 रैक तैयार किए जा चुके हैं और उनका मेन कलर ब्लू है. एक दिन पहले शनिवार को रेल मंत्री चेन्नई इंटीग्रल फैक्ट्री में इस कोच को देखने गए थे. उनके साथ फैक्ट्री के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.

रेल मंत्री ने इसकी तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि मैंने वंदे भारत ट्रेन के उत्पादन का निरीक्षण किया. उन्होंने लिखा कि हमारी स्वदेशी ट्रेन की 28वीं रैक का रंग बदल चुका है और यह भारतीय तिरंगे से प्रेरित है. 

यह केसरिया है. देश में अब तक कुल 25 वंदे भारत ट्रेनों को चलाया जा चुका है. दो रैक को रिजर्व रखा गया है.रेल मंत्री ने बताया कि वंदे भारत ट्रेन पूरी तरह से स्वदेशी है. इसे भारतीय इंजीनियरों और डिजाइनरों द्वारा तैयार किया गया है. इसे मेक इन इंडिया कॉन्सेप्ट के तहत विकसित किया गया है. आपको बता दें कि पहली वंदे भारत ट्रेन 2018-19 में तैयार हुई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे प्रत्येक राज्य में चलाने का संकल्प लिया है.

रेल मंत्री ने कहा कि वंदे भारत ट्रेन को लेकर जो भी सुझाव आए हैं, उसको इसमें शामिल किया जा रहा है. इन सुझावों के आधार पर ही इसमें एक सिस्टम एड किया गया है. यह एंटी क्लांइबिंग डिवाइस है. इसे वंदे भारत ट्रेन की सभी ट्रेनों में फिट किया जाएगा.कुछ शिकायतें मोबाइल चार्जिंग को लेकर की गई थी, उसे अब दूर किया गया है. रीडिंग लाइट को बेहतर किया गया. सीट को पहले से आरामदायक बनाया गया है. वॉश बेसिन को थोड़ा और अधिक डीप किया गया है, ताकि उसके छीटें कपड़े पर न पड़ें.

पिछले कुछ महीनों से यह खबरें आ रहीं थीं कि किराया अधिक होने की वजह से लोग इस पर सवारी करना पसंद नहीं करते हैं. सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए किराया कम करने का फैसला किया है. एग्जीक्यूटिव क्लास के लिए 25 फीसदी किराया कम करने का ऐलान किया गया है. हालांकि, यह बता दिया गया है कि यह उन मार्गों पर ही होगा, जहां पर पिछले एक महीने में आधी सीटें खाली रह गई थीं.वंदे भारत ट्रेन को लेकर विपक्षी पार्टी हमलावर रही है. उनका मुख्य आरोप रहा है कि पहले से जो ट्रेनें चल रहीं हैं, उनका मैंटनेंस ठीक से नहीं होता है, तो इस हाईस्पीड ट्रेन से क्या फायदा. साथ ही इसकी सुरक्षा को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं.

7 मटकी चाट का लीजिए आनंद, इस दुकान के कांजी वडे हैं पुरानी दिल्ली में मशहूर, स्वाद को बढ़ा देती है स्वादिष्ट हरी चटनी


नयी दिल्ली : यूं तो दिल्ली का स्ट्रीट फूड बहुत ही फेमस है. मगर यदि दिल्ली की चटपटी चाट की बात की जाए तो भारत में दिल्ली की चाट बहुत ही प्रसिद्ध है. इस समय दिल्ली के चांदनी चौक में 7 मटके वाली चाट और कांजी-वड़े खूब धमाल मचा रहे हैं. इनके कांजी-वड़ों के लोग इतने दीवाने हो चुके हैं कि दूर-दूर से इसे खाने आ रहे हैं.

दुकान के मालिक सुनील कुमार ने बताया कि उनकी इस दुकान को यहां पर 60-62 साल हो चुके हैं. यह काम शुरू उनके पिताजी ने किया था. तब से उनकी तीन पीढ़ियां इस काम को करती आ रही हैं. सात मटकीयों के इस्तेमाल के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि इनमें से कुछ में चटनी, पकौड़ी और कुछ में कांजी-वड़े होता है और इन मटकीयों में यह सब साफ-सुथरा और ठंडा रहता है.

कांजी-वड़ों की खासियत

सुनील कुमार ने बताया कि हमारी दुकान पर कांजी-वड़े मूंग की दाल से बनाए जाते हैं. इनकी एक प्लेट कांजी-वड़ों में 4 पीस होते हैं. जो कि आमतौर पर मिलने वाले कांजी वड़ों से काफी बड़े होते हैं. कांजी-वड़ों का पानी राई से बनता है. जिसमें खट्टी चटनी भी डाली जाती है. धनिया-आम की चटनी का भी इन कांजी-वड़ों में इस्तेमाल होता है. जिसके कारण इनका स्वाद और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इनका यह भी दावा था कि इनके कांजी-वड़ों से पाचन भी अच्छा रहता है. यहां पर आपको कांजी-वड़े 60 रुपए और भल्ला पापड़ी 70 रुपए में मिल जाएगी.

जानिए दुकान की जगह और टाइमिंग

आपको यहां पर आने के लिए मेट्रो से चांदनी चौक मेट्रो स्टेशन पर उतरना होगा. गेट नंबर 5 से बाहर आते हुए भागीरथ पैलेस की तरफ बीच चौक पर आपको यह दुकान लगी हुई मिल जाएगी. यह दुकान रविवार के दिन बंद रहती है बाकी दिन आप सुबह 9:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक यहां पर आ सकते हैं.

हिमांचल का बारिश और भूधसान से स्थिति गंभीर,पिछले 24 घंटे में 3 मौत,भूधसान के कारण कई रोड ब्लॉक

हिमाचल प्रदेश में मानसून चरम पर है.लगातार हो रही बारिश ने पुर रदेश में कहर मचा रखा है।राज्य में लगातार भूस्खलनसे भारी तबाही मचा हुआ है।

 ताज़ा मामला हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला का है जहां मलवे की चपेट में आने से एक दंपति समेत बच्चे की मौत हो गई है।

 जानकारी जे अनुसार शिमला के ठियोग कुमारसेन विधानसभा क्षेत्र की है जहां पानेवाली गांव में बीती रात एक मकान भूधसान की चपेट में आ गई। जिसमें पांच लोबान का परिवार रह रहा था। जिसमें गई लोग मालवा में दब गए जिनकी मौत हो गयी।परिवार के दो सदस्य को हलकी चोट आयी।

 2023 में आई इस मानसून कि शुरुआत 24 जून को हो गयी।इस मॉनसून में कई लोगों की जान ली और कई लोग घायल हो गए।

36 से 48 घंटे नही करें हिल स्टेशन की यात्रा अधिकतर रोड ब्लॉक

हिमाचल में इस मानसून में लगातार बारिश के कारण कई स्थलों पर भूस्खलन हो रही है जिसके कारण अधिकतर रोड ब्लॉक है।इस लिए एतिहायत के तौर पर आगामी 48 घंटे तक रोड को क्लियर होने की संभावना नही है।इस लिए इस दौरान हिल स्टेशनों के लिए पर्यटकों को साबधानी बरतने की जरूरत हैं।

हिमांचल में भूस्खलन की समस्या हमेशा गंभीर बनी रहती है।इसके पूर्व भी गत वर्ष किन्नौर में भूस्खलन के कारण आठ लोगों को अपनी जान गवांनी पड़ी थी.

हिमाचल प्रदेश: लगातार बारिश के कारण व्यास नदी का बढ़ा जल स्तर,मनाली के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 3 के एक हिस्सा बहा नदी में, आवागमन अवरुद्ध

मनाली: हिमाचल प्रदेश प्रदेश में लगातार भारी बारिश हो रही है। जिसके कारण ब्यास नदी में पानी उफान पर है। इस भयंकर जल के वेग के कारण रविवार को मनाली के तारा मिल के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 3 का एक हिस्सा ब्यास नदी में बह गया। जिससे लेह -मनाली राजमार्ग पर आवागमन वाधित हो गया।

लेह-मनाली  के बीच का यह राजमार्ग आम तौर पर बिना रोड विभाजन के दो लेन चौड़ा है, लेकिन कुछ हिस्सों में केवल एक या डेढ़ लेन है। वहीं ब्यास नदी के बढ़ते जल स्तर के कारण आज तारा मिल के पास लेह -मनाली राजमार्ग यानी राष्ट्रीय राजमार्ग 3 का एक हिस्सा ब्यास नदी में बह गया। 

लेह -मनाली का यह राजमार्ग उत्तरी भारत का 428 किमी (266 मील) लंबा राजमार्ग है जो केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की राजधानी लेह को हिमाचल प्रदेश राज्य में मनाली से जोड़ता है। यह ऊपरी ब्यास नदी की कुल्लू घाटी को हिमाचल प्रदेश में अटल सुरंग के माध्यम से लाहौल की चंद्रा और भागा नदी घाटियों से जोड़ती है, फिर उच्च हिमालयी दर्रों की एक श्रृंखला को पार करके लद्दाख में सिंधु नदी घाटी में जाती है

दिल्ली:दिल्ली एनसीआर कल से बारिश जारी,आम जीवन अस्तव्यस्त जलजमाव ने बढ़ाई परेशानी, दिल्ली से गुरुग्राम और फरीदाबाद तक पानी-पानी

दिल्ली-राजधानी दिल्ली में कल से बारिश जारी जगह जगह जलजमाव से पूरी दिल्ली लगभग थम सी गई।लगातार बारिश के चलते दिल्ली-एनसीआर के कई हिस्सों में जलजमाव की समस्या देखने को मिल रही है। जिस वजह से लोगों की आवाजाही पर असर दिख रहा है।

लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रह है। वहीं, दिल्ली में 41 साल बाद रिकॉर्ड बारिश हुई है। मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली में रविवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 24 घंटे में 253 मिमी बारिश दर्ज की गई है। 1982 के बाद जुलाई में एक दिन में रिकॉर्ड बारिश हुई है। 

गुरुग्राम में भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त

भारी बारिश के कारण गुरुग्राम के सदर पुलिस स्टेशन के पास के इलाके में गंभीर जलजमाव हो गया है। रविवार सुबह बारिश के बाद गुरुग्राम में हालात खराब हुए। रेलवे स्टेशन जाने वाले रोड पर पालम विहार साइड में पानी भरा हुआ है। बारिश के चलते सोहना रोड पर सुभाष चौक, दिल्ली-जयपुर हाईवे पर दिल्ली बॉर्डर, गुरुग्राम फरीदाबाद एमजी रोड पर जाम दिखा। 

अगर आपका बच्चा भी देखता है 3 घंटे से ज्यादा टीवी या मोबाइल तो हो सकती हैं ये गंभीर समस्याएं, रिसर्च में हुए खुलासे


नयी दिल्ली : टेक्नोलॉजी के इस दौर में बच्चे भी गैजेट फ्रेंडली हो गए हैं। बच्चे मोबाइल, टीवी और लैपटॉप जैसे गैजेट्स के आदि हो गए हैं। लेकिन कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि मोबाइल, लैपटॉप जैसे गैजेट्स ज्यादा देर तक इस्तेमाल करने से मानसिक और शारीरिक सेहत को बहुत नुकसान होता है।

आजकल टीवी भी हर घर में मौजूद हैं। बच्चे दिनभर टीवी या मोबाइल से चिपके रहते हैं। अगर आपका बच्चा काफी ज्यादा मोबाइल, टेलीविजन या फिर क्ंप्यूटर की स्क्रीन से चिपका रहता है तो सतर्क हो जाएं क्योंकि इससे उसकी सेहत को गंभीर नुकसान हो सकते हैं। एक रिसर्च में इस बारे में कई अहम खुलासे हुए हैं।

तीन घंटे से ज्यादा टीवी देखने से होते है ये नुकसानदाक

अमरीका के कैलिफोर्निया स्थित मेमोरियल केयर ऑरेंज कोस्ट मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर कोई बच्चा दिनभर में तीन घंटे से ज्यादा स्क्रीन से चिपका रहता है तो उसकी आंखों पर तो असर होता ही है। इसके साथ ही बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य, सीखने-समझने, चीजें याद रखने व रिश्ते निभाने के लिहाज से ये उसके लिए सही नहीं है। वहीं जो लोग पांच से सात घंटे स्क्रीन के ये सामने काम करते रहते हैं। उनमें भी बेचैनी, उदासी जैसी चीजें काफी बढ़ जाती हैं। इसलिए इसका इस्तेमाल कम से कम करने की सलाह दी गई है।

मोटापे का खतरा

स्टडी के मुख्य शोधकर्ता डॉक्टर जीना पोजनर के अनुसार, अगर बच्चे स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताते हैं तो उनमें मोटापा बढ़ने का खतरा बना रहता है। उन्होंने मेयो क्लीनिक के उस अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें स्क्रीन का इस्तेमाल हर दो घंटे बढ़ने पर मोटापे की आशंका में 23 फीसदी इजाफा होने की बात सामने आई थी।

नींद पर बुरा असर

डॉक्टर पोजनर का कहना है कि स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन का उत्पादन बाधित करती है। इसकी वजह से बच्चों को नींद आने में काफी दिक्कतें होती हैं। साथ ही जब बच्चे सुबह उठते हैं तो वो उठने पर खुद को तरोताजा महसूस नहीं करते हैं, क्योंकि वो अधूरी नींद ले पाते हैं और इसका सीधा बुरा असर उनकी तार्किक क्षमता और याददाश्त पर पड़ता है। पोजनर के मुताबिक, सोने से दो घंटे पहले तक बच्चों को स्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह है।

हो सकती हैं ये शारीरिक परेशानियां

2018 में प्रकाशित एक ब्रिटिश अध्ययन का जिक्र करते हुए डॉक्टर पोजनर ने बताया कि जो बच्चे घंटों तक स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं, उनमें पीठ दर्द, कमर दर्द, सिर दर्द जैसी कई दिक्कतें हो सकती है। जब बच्चे स्क्रीन देखते हैं तो वो अपना सिर झुका लेते हैं और इसकी वजह से उनकी रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिसके कारण बच्चों को ये सब दिक्कतें होती हैं। इसलिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि बच्चों को स्क्रीन का इस्तेमाल कम से कम करने दें।

न मंत्री...न सीएम...सीधे प्रधानमंत्री बने थे चंद्रशेखर:कांग्रेस में शामिल हुए तो इंदिरा से कहा- पार्टी को तोड़ने के लिए पार्टी में शामिल हुआ हूं

नयी दिल्ली : साल 1991...दिल्ली के दस जनपथ पर राजीव गांधी के घर के बाहर दो लोग चाय पीते नजर आए। ये दोनों हरियाणा सीआईडी के सिपाही थे। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री चंद्रशेखर राजीव गांधी की जासूसी करवा रहे हैं। 6 मार्च को कांग्रेस ने सदन में हंगामा कर दिया। चंद्रशेखर अपनी सीट पर खड़े हुए और पीएम पद से इस्तीफे का ऐलान करके घर चले गए।

चंद्रशेखर ऐसे ही साफ मिजाज के थे। जो मन में आया वह किया। कभी होटल खोलने का विचार किया तो 3 रुपए की किताब खरीदकर आइडिया ढूंढने लगे तो कभी कांग्रेस में शामिल होने पर इंदिरा गांधी से कह दिया कि कांग्रेस तोड़ने के लिए ही पार्टी में शामिल हुआ हूं।

कल 8 जुलाई को पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की पुण्यतिथि तिथि थी। वह न कभी किसी सरकार में मंत्री रहे, न किसी राज्य के मुख्यमंत्री, सीधे प्रधानमंत्री बने थे। उनके जीवन की कुछ ऐसी कहानियां हैं जिसे लोग सुनते हैं तो यकीन नहीं कर पाते। आइए आज उन्हीं कहानियों को जानते हैं...

पढ़ने यूनिवर्सिटी आए फिर नेता बनने बलिया लौट गए

21 साल की उम्र में चंद्रशेखर बलिया के इब्राहिम पट्टी गांव से 1948 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ने आए। अब इलाहाबाद प्रयागराज हो गया है। चंद्रशेखर जब बलिया से यहां आ रहे थे तभी बलिया में सतीश चंद्र कॉलेज खुल गया। इनके दोस्त गौरीशंकर राय ने वहीं बीए में एडमिशन ले लिया। गौरीशंकर ने चंद्रशेखर से कहा, "राजनीति में पूरा हिस्सा लेना है तो बलिया वापस आ जाओ।" चंद्रशेखर को बात अच्छी लगी इसलिए वह वापस चले गए।

चंद्रशेखर साफ बोलने वाले नेताओं में थे। यही कारण है कि युवा उन्हें उस वक्त सबसे ज्यादा पसंद करते थे।

रामबहादुर राय की किताब 'रहबरी के सवाल' में चंद्रशेखर बताते हैं, 1951 में राजनीति शास्त्र से एमए करने के लिए हम फिर से इलाहाबाद यूनिवर्सिटी पहुंचे। हिन्दू हॉस्टल को ठिकाना बनाया। शुरू में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन जल्द ही वहां के माहौल में रम गए। इसी साल सोशलिस्ट पार्टी में जुड़ गए और समाजवाद के लिए काम करने लगे।

अच्छी कमाई चाहिए थी इसलिए होटल खोलना चाहते थे

चंद्रशेखर का मन पढ़ाई में नहीं लगा। उन्होंने तय किया कि अब फुल टाइम पॉलिटिक्स करनी है। पॉलिटिक्स के लिए पैसे भी चाहिए थे, इसलिए उन्होंने होटल खोलने का मन बनाया। होटल खोलने का मन उन्हें बलिया के ही विश्वनाथ तिवारी को देखकर आया था। विश्वनाथ जिला बोर्ड में क्लर्क थे। सिविल लाइंस इलाके में होटल खोल रखा था। आंदोलनकारी नेताओं की वजह से बढ़िया चलता था।

चंद्रशेखर हिन्दू हॉस्टल से निकले और कटरा मार्केट में टहल रहे थे तभी उन्हें सड़क किनारे केन पार्कर की लिखी "हाउ टु रन ए स्माल होटल" किताब दिखी। 

कीमत तीन रुपए की थी, इसलिए चंद्रशेखर ने उसे खरीद लिया। हॉस्टल पहुंचे और पढ़ना शुरू किया। चंद्रशेखर बताते हैं, "किताब बहुत दिलचस्प थी। हालांकि, पढ़ने के बाद पता चला कि छोटा होटल खोलने के लिए 1 मिलियन डॉलर चाहिए। 

उस वक्त यह 10 लाख रुपए के बराबर थी। इतने पैसे नहीं थे, इसलिए होटल खोलने का इरादा छोड़ दिया।"

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्हें सबसे बड़ी चुनौती खाने को लेकर ही थी। इसलिए वह होटल खोलने का मन बना रहे थे। 

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए उन्हें सबसे बड़ी चुनौती खाने को लेकर ही थी। इसलिए वह होटल खोलने का मन बना रहे थे।

1964 तक प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में रहने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ी और कांग्रेस से जुड़ गए। कांग्रेस में जुड़ने का किस्सा बहुत रोचक था।

इंदिरा से कहा, कांग्रेस तोड़ने के लिए पार्टी में आया हूं


1964 में चंद्रशेखर ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी छोड़ दी। तब वह राज्यसभा सांसद थे। कांग्रेस में शामिल होने के लिए गुजरात पहुंचे। वहां महुला क्षेत्र में सभा हुई। उस मंच पर पहली बार इंदिरा गांधी से मुलाकात हुई। मंच पर एक व्यक्ति ने इंदिरा जी से कहा, "ये चंद्रशेखर हैं।" इंदिरा ने जवाब दिया- "नाम तो बहुत सुना है।" चंद्रशेखर ने कहा- "मैंने भी आपका बहुत नाम सुना था, लेकिन कभी मुलाकात का अवसर नहीं मिला।" मंच पर दोनों ने अपने-अपने भाषण दिए और कार्यक्रम समाप्त करके घर चले गए। उन दिनों कांग्रेस के नेता हर शाम महुआ में इकट्ठा होते थे। एक दिन चंद्रशेखर भी पहुंचे।

अपनी आत्मकथा 'जीवन जैसा जिया' में चंद्रशेखर लिखते हैं- इंदिरा गांधी के अलावा वहां इंद्र कुमार गुजराल, अशोक मेहता, गुरुपदस्वामी मौजूद थे। लॉन में सभी बैठे थे, तभी इंदिरा गांधी ने मुझसे पूछा, "क्या आप कांग्रेस को समाजवादी मानते हैं?" मैने जवाब दिया, "मैं नहीं मानता कि कांग्रेस समाजवादी संस्था है, पर लोग ऐसा मानते हैं।"

इंदिरा ने पूछा, "फिर आप कांग्रेस में क्यों आए?"

"क्या आप सही उत्तर जानना चाहती हैं?"

"हां, मैं यही चाहती हूं।"

चंद्रशेखर जब भी इंदिरा गांधी से मिलते, लोग नए समीकरण बनाने में लग जाते थे।

चंद्रशेखर ने कहा, "मैंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी में 13 साल ईमानदारी और पूरी क्षमता के साथ काम किया। काफी समय काम करने के बाद पता चला कि पार्टी कुंठित हो गई है। अब यहां कुछ होने वाला नहीं है। फिर मैंने सोचा कि कांग्रेस बड़ी पार्टी है, चलते हैं इसमें कुछ करते हैं।"

इंदिरा ने फिर पूछा, "आखिर आप करना क्या चाहते हैं?" चंद्रशेखर ने जवाब दिया, "मैं कांग्रेस को सोशलिस्ट बनाने की कोशिश करूंगा।" इंदिरा बोलीं- "अगर न बनी तो?"

चंद्रशेखर ने हैरान करने वाला जवाब दिया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस को तोड़ने का प्रयास करूंगा, क्योंकि यह जब तक टूटेगी नहीं, देश में कोई नई राजनीति नहीं आएगी। 

पहले तो मैं समाजवादी ही बनाने का प्रयास करूंगा, लेकिन अगर नहीं बन पाई तो तोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।" 

चंद्रशेखर के जवाब को सुनकर इंदिरा हैरान थीं। उन्होंने कुछ नहीं बोला सिर्फ देखती रहीं।

चंद्रशेखर को लगता सदन में हमेशा गंभीर चर्चा होती है

चंद्रशेखर पहली बार सांसद बने तो उन्हें सदन के अंदर होने वाली हर गतिविधि को जानने की उत्सुकता थी। 

उन्हें लगता था कि जब सांसद लोग आपस में मिलते होंगे तो हमेशा गंभीर मुद्दों पर चर्चा करते होंगे। लेकिन तीन महीने के अंदर वह बहुत सारे सांसदों के घर गए, लेकिन वहां होने वाली चर्चा से उनका भ्रम टूट गया।

चंद्रशेखर कहते हैं, "सांसदों ने घर की सुंदरता पर अधिक जोर दिया था। दीवार और सोफे का कलर मैच करता रहता था। पर्दे भी इस हिसाब से लगते थे कि वह अलग न लगे।

 पार्टी के दौरान किसी मुद्दे पर बात नहीं होती थी। एक बार तो मैंने कह दिया कि आपके सामने और कोई विषय नहीं है क्या? क्या जीवन में यही उद्देश्य है? कला और सौंदर्य का अपना महत्व है, लेकिन राजनीति यही है क्या? असल में मैं जिस जमीन से आया था वहां इसका कोई महत्व नहीं था।"

बाकी पार्टियों के नेताओं के बीच चंद्रशेखर की ऐसी छवि थी कि हर कोई उनका सम्मान करता था।

अब बात चंद्रशेखर के पीएम बनने और सरकार गिरने की करते हैं...

साल 1989. भारतीय राजनीति के सबसे चर्चित साल में से एक था। लोकसभा के चुनाव हुए, लेकिन किसी दल को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस 207 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी पर सरकार नहीं बना सकी। 143 सीटें जीतने वाली जनता दल को 85 सीट वाली बीजेपी और 52 सीट वाली लेफ्ट पार्टियों ने समर्थन दिया और जनता दल की सरकार बन गई। विश्वनाथ प्रताप सिंह पीएम बने। लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोका तो बीजेपी ने समर्थन वापस लिया और सरकार गिर गई। जनता दल भी टूट गया।

नई सरकार के लिए राजीव ने चंद्रशेखर को रात 11 बजे बुलाया

चंद्रशेखर अपनी आत्मकथा जीवन जैसा जिया में लिखते हैं, "हमारी राजीव से पहले कोई बात नहीं हुई। लेकिन सरकार गिरने के बाद यह तय किया जाने लगा, कहां मुलाकात हो। पहले राजेश पायलट के घर, फिर बूटा सिंह के घर, फिर सीताराम केसरी के घर मिलने की बात हुई पर मुलाकात नहीं हो सकी।"

एक दिन रात 11 बजे रोमेश भंडारी ने फोन करके चंद्रशेखर से कहा, क्या आप इस वक्त मेरे घर कॉफी पीने आ सकते हैं?" 

चंद्रशेखर इतनी रात कॉफी पीने का मतलब समझ गए थे। रोमेश के घर हौज खास पहुंचे तो वहां राजीव गांधी पहले से बैठे थे। 

राजीव ने कहा, देश की हालत बहुत खराब है। दंगे हो रहे हैं। कुछ हल निकालना होगा। चंद्रशेखर ने हां में सिर हिला दिया।

रोमेश भंडारी के घर हुई मुलाकात के बाद चंद्रशेखर और राजीव की मुलाकात आरके धवन के घर हुई। यहां राजीव ने चंद्रशेखर से कहा, इस वक्त चुनाव करवाना देशहित में नहीं है। 

आप सरकार बनाइए हम आपको समर्थन देंगे। चंद्रशेखर पहले तो पीछे हटे, लेकिन राजीव के दोबारा कहने पर मान गए और 10 नवंबर 1991 को देश के 9वें प्रधानमंत्री बन गए। खास ये कि इस सरकार में कांग्रेस के सांसद मंत्री नहीं बने। ताऊ देवीलाल उस वक्त चंद्रशेखर के सबसे खास थे।

पीएम बनते ही चंद्रशेखर ने अफसरों को छूट दे दी

चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने तो अफसरों को अपनी समझ के आधार पर फैसला लेने की छूट दे दी। उन्होंने विभागों की बैठकों में कहा, "छोटी-छोटी बातों पर फाइल लेकर मेरे पास न आया करें।" जिन अफसरों को छूट दी गई उसमें ED और CBI के अफसर भी थे। वह अपने लेवल पर कार्रवाई करने लगे।

चंद्रशेखर बताते हैं, "सीमा सुरक्षा बल के वार्षिक समारोह में गया था। वहां एक अफसर ने बताया कि पंजाब और राजस्थान सीमा पर ड्यूटी कर रहे जवानों के लिए गर्म कोट की व्यवस्था नहीं है। ठंड में वह कंबल या चद्दर ओढ़कर ड्यूटी करते हैं। मैंने वित्त मंत्रालय को तुरंत आदेश दिया और अगले दिन सैनिकों को जैकेट मिल गई।"

मैं राजीव गांधी नहीं हूं जो एक दिन में तीन बार फैसला बदलूं

6 मार्च 1991 की सुबह चंद्रशेखर को पता चला कि कांग्रेस सरकार पर राजीव गांधी की जासूसी करने का आरोप लगाकर संसद का बहिष्कार करेगी। चंद्रशेखर वहां पहुंचे तो हैरान रह गए। कांग्रेस के सभी सांसद सदन का बहिष्कार कर चुके थे। उस वक्त देवीलाल ने चंद्रशेखर से कहा, "मुझे राजीव जी बुला रहे हैं, मैं जाऊं?" चंद्रशेखर ने कहा, जरूर जाइए और अपनी प्राइम मिनिस्टरशिप की बात करके आइएगा। मेरे दिन इस पद पर पूरे हो गए हैं।

लोकसभा में अपना भाषण खत्म करने के बाद चंद्रशेखर ने अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। कांग्रेस सांसदों को भनक तक नहीं लगी थी कि जासूसी के इस आरोप पर चंद्रशेखर इस्तीफा दे देंगे। इस्तीफा देने के बाद घर पहुंचे तो रात में चंद्रशेखर के पास कांग्रेस की तरफ से इस्तीफा वापस लेने का प्रस्ताव आया। चंद्रशेखर ने जवाब दिया, "मैं राजीव गांधी नहीं हूं जो एक दिन में तीन बार फैसला बदलूं।"

10 नवंबर 1990 को बनी सरकार 116 दिन में ही गिर गई। तुरंत चुनाव नहीं करवा जा सकते थे, इसलिए चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने रहे। देश में चुनाव हुए, नई सरकार बनी और उसके बाद 21 जून को चंद्रशेखर ने इस्तीफा दे दिया।

चंद्रशेखर के इस्तीफे के 75 दिन बाद राजीव गांधी की हत्या हो गई। 21 मई 1991 को राजीव गांधी तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी सभा को संबोधित करने गए थे। 

वहां लिट्टे की एक महिला अपने शरीर में बम बांधकर राजीव के पास पहुंची और ब्लास्ट हो गया। राजीव नहीं रहे। इस हत्या के बाद जासूसी कांड में क्या हुआ? कौन दोषी निकला? क्या सच में जासूसी थी या नहीं! जैसी चीजें भी दफन हो गई।