यूसीसी की ओर मोदी सरकार ने बढ़ाया एक और कदम, समान नागरिक संहिता पर चर्चा के लिए 'ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स' का गठन, किरेन रिजिजू करेंगे अगुवाई

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समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद यूसीसी का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है। देशभर में इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है। तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर अपने-अपने तर्क देकर सवाल उठा रहे हैं।इस बीच मोदी सरकार ने यूसीसी की ओर एक और कदम बढ़ाया है। समान नागरिक संहिता पर सरकार ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया है। 

समान नागरिक संहिता पर वरिष्ठ मंत्रियों का एक अनौपचारिक जीओएम यानी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स बनाया गया है। इसमें किरेन रिजिजू, स्मृति ईरानी, जी किशन रेड्डी और अर्जुन राम मेघवाल को शामिल किया गया है। इस अनौपचारिक जीओएम की कमान रिजिजू को दी गई है। बुधवार को इन मंत्रियों की बैठक हुई। 

मंत्रियों को मिली अलग-अलग जिम्मेदारी

ये मंत्री समान नागरिक संहिता से जुड़े अलग-अलग मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। जैसे आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर किरेन रिजिजू, महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर स्मृति ईरानी, पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े मुद्दों पर जी किशन रेड्डी और कानूनी पहलुओं पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विचार करेंगे।इन मंत्रियों की पूर्वोत्तर के कुछ मुख्यमंत्रियों से भी इस बारे में चर्चा हुई है।

पीएम मोदी ने की ती यूसीसी की वकालत

समान नागरिक संहिता की दिशा में यह केंद्र सरकार की ओर से पहला गंभीर कदम है। पीएम मोदी ने भोपाल में बीजेपी के बूथ कार्यकर्ताओं से अपने संवाद में समान नागरिक संहिता की वकालत की थी। पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष यूसीसी के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उन्हें भड़काकर उनका फायदा लेने के लिए उनको बर्बाद कर रहे हैं।

क्‍या है समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता यानी एक देश और एक कानून। जिस देश में भी समान नागरिक संहिता लागू होती है, उस देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्‍य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए गए हैं, वो सभी धर्म के नागरिकों को समान रूप से मानने होते हैं। फिलहाल भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय हैं। ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को भविष्‍य में लागू किया जाता है तो देश में सभी धर्मों के लिए वही कानून लागू होगा जिसे भारतीय संसद द्वारा तय किया जाएगा।

पेशाब कांड पर डैमेज कंट्रोल,जिस आदिवासी पर प्रवेश शुक्ला ने किया था पेशाब, हाथ पकड़कर लाए गए सीएम आवास, शिवराज ने धोए पैर, मांगी माफी

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मध्य प्रदेश के सीधी में हुए पेशाब कांड पर शिवराज सरकार घिर गई है। कथित तौर पर बीजेपी नेता प्रवेश शुक्ला की करतूत के कारण मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है।जिसके बाद शिवराज सरकार डैमेज कंट्रोल करने में जुटी हुई है। बुधवार को जहां आरोपी के घर बुलडोजर की कार्रवाई की गई। वहीं, गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पेशाब कांड के पीड़ित से मुलाकात की।शिवराज ने पीड़ित से माफी मांगी है, इतना ही नहीं उन्होंने उसके पैर धोकर दुख भी व्यक्त किया है।

पैर धोए, माफी मांगी

पेशाब कांड सामने आने के बाद शिवराज सरकार की किरकिरी हो रही थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पैचअप की कमान खुद ही संभाल ली है। प्रवेश शुक्ला पर सख्त कार्रवाई के बाद सीएम ने पीड़ित दशमत रावत को भोपाल बुलाया। पीड़ित दशमत रावत भोपाल स्थित सीएम शिवराज सिंह चौहान के घर पहुंचे। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खुद उन्हें सम्मानित किया है। सीएम ने दशमत रावत के पैर धोए हैं।पैर धोने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दशमत रावत को तिलक लगाया है। तिलक लगाने के बाद उन्हें माला पहनाया गया है। इसके साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित दशमत रावत को शॉल देकर सम्मानित किया है। सीएम हाउस में दशमत रावत कुर्सी पर बैठे थे। शॉल से सम्मानित करने के बाद सीएम ने उन्हें भगवान गणेश की प्रतिमा भेंट की है। साथ ही कपड़े और नारियल भी दिए हैं। शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें भरोसा दिया है कि आपको न्याय मिलेगा।

सीएम ने दशमत को बताया दोस्त सुदामा

दशमत को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुदामा कहा। बोले- दशमत तुम अब मेरे दोस्त हो। सीएम ने दशमत से कई विषय पर चर्चा की। पूछा- क्या करते हो? घर चलाने के क्या साधन हैं? कौन सी योजनाओं का लाभ मिल रहा है? यह भी पूछा कि बेटी को लक्ष्मी और पत्नी को लाड़ली बहना योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं। सीएम ने कहा- बेटी को पढ़ाना, बेटियां आगे बढ़ रही हैं।

किसी में भी भेदभाव ना करने की अपील

यही नहीं, शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित और उनके परिवार को सरकार की ओर से मिल रही योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी ली। साथ ही कहा कि जब भी तुम्हें किसी चीज़ की जरूरत हो तो तुम मुझे सूचित करो। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अपराधी का ना कोई धर्म होता है और ना ही कोई पार्टी, जाति होती है। यही वजह है कि अपराधी पर कड़ा एक्शन लिया गया है, मैं सभी से अपील करता हूं कि किसी में भी भेदभाव ना करे।

क्या है सीधी का पेशाब कांड?

गौरतलब है कि सीधी जिले में एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का मामला सामने आया था। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि एक शख्स शराब के नशे आदिवासी शख्स पर पेशाब कर रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि आरोपी का नाम प्रवेश शुक्ला है। कांग्रेस का आरोप है कि प्रवेश शुक्ला बीजेपी का नेता है।वीडियो वायरल होने के बाद प्रवेश शुक्ला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई भी हुई है। प्रवेश शुक्ला के अवैध कब्जे पर प्रशासन द्वारा बुलडोजर भी चलाया गया है।

एनसीपी विवाद पर दिल्ली में “पोस्टर वॉर”, अजित को बताया गद्दार, बैनर में कटप्पा जैसा दिखाया

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राजनीति में जुबानी जंग एक तरफ तो पोस्टर वॉर एक तरफ होता है। महाराष्ट्र में एनसीपी बनाम एनसीपी की लड़ाई जारी है। महाराष्ट्र में शुरू हुई शरद पवार और अजित पवार की लड़ाई अब राजधानी दिल्ली पहुंच चुकी है।एनसीपी चीफ शरद पवार थोड़ी देर में महाराष्ट्र से दिल्ली पहुंच रहे हैं। शरद पवार दिल्ली में होने वाली एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होंगे।इस बीच दिल्ली में एनसीपी की बैठक से पहले अजित पवार के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं।

पोस्टर में अजित पवार को कटप्पा बताया गया

एनसीपी की छात्र इकाई राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस ने दिल्ली में पार्टी दफ्तर के बाहर इसके बैनर लगाए हैं। बैनर में दिखाया गया है कि कटप्पा किस तरह बाहुबली की पीठ में तलवार मार रहा है। पोस्टर बाहुबली फिल्म से लिया गया है, जिसमें कटप्पा बाहुबली पर पीछे से वार करता है। पोस्टर में अजित पवार को कटप्पा, जबकि चाचा शरद पवार को बाहुबली बताया गया है। साथ ही इस बैनर में बड़े अक्षरों में गद्दार भी लिखा गया है।

“पूरा देश शरद पवार साहेब के साथ”

दिल्ली में एनसीपी कार्यकर्ताओं ने और भी कई पोस्टर लगाए हैं। दिल्ली में स्थित शरद पवार के आवास के बाहर लगे पोस्टर में लिखा गया है, 'सच और झूठ की लड़ाई में पूरा देश शरद पवार साहेब के साथ है। भारत देश का इतिहास है कि इसने कभी धोखा देने वाले को माफ नहीं किया।

बुधवार को किया था शक्ति प्रदर्शन

दिल्ली में आज होने वाली एनसीपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले बुधवार को शरद पवार और अजीत पवार ने अपनी ताकत दिखाई थी। मुंबई में शरद पवार और अजित पवार ने समर्थकों की अलग-अलग बैठक की थी। अजित पवार के साथ 31 विधायक और कुछ एमएलसी दिखे थे। वहीं, शरद पवार के साथ 16 एनसीपी विधायक और 4 सांसद थे। अभी एनसीपी के 9 विधायकों ने किसी का पक्ष नहीं लिया है। इन 9 एनसीपी विधायकों पर सबकी नजर है कि अजित पवार का साथ देते हैं, या शरद पवार के साथ बने रहते हैं।

*समान नागरिक संहिता पर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का बयान, कहा-यूसीसी का हिंदू राष्ट्र की अवधारणा से संबंध*

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इन दिनों देश में समान नागरिक संहिता पर लगातार बहस जारी है। हाल ही प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी ने इसको लेकर बयान दिया ता. जिसके बाद से लगातार इस पर प्रतिक्रियाएं आ रही है। इस बीच नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भी अपनी राय रखी है और समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लेकर बड़ा दावा किया है।अमर्त्य सेन का दावा है कि समान नागरिक संहिता एक मुश्किल मुद्दा है और इसे आसान बनाने की कोशिश जारी है।सेन ने यह भी कहा कि यूसीसी का निश्चित रूप से हिंदू राष्ट्र की अवधारणा से संबंध है। 

सेन ने यूसीसी को बताया मूर्खतापूर्ण

विश्व भारती स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए प्रोफ़ेसर सेन ने सवाल पूछा कि इससे किसे फ़ायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से हिंदू राष्ट्र के विचार से जुड़ा है। प्रोफ़ेसर सेन ने कहा, मैंने अख़बारों में लिखा देखा कि समान नागरिक संहिता लागू करने में अब और देरी नहीं होनी चाहिए।ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें आती कहां से हैं? हम हज़ारों सालों से यूसीसी के बग़ैर हैं और भविष्य में भी इसके बिना रह सकते हैं।

हिंदू धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा-सेन

सेन ने यह भी कहा कि यूसीसी का निश्चित रूप से हिंदू राष्ट्र की अवधारणा से संबंध है। हिंदू राष्ट्र ही प्रगति का एकमात्र रास्ता नहीं है। हिंदू धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता एक मुश्किल मुद्दा है। अब इसे आसान बनाने की कोशिश की जा रही है। हममें भिन्नताएं हैं। धर्मों में भिन्नता है, नियमों और रीति-रिवाजों में भिन्नता है। हमें उन भिन्नताओं को दूर करके एकजुट होने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यूसीसी लागू करने की कोशिश उस मुद्दे को खुल्लम खुल्ला सामान्य बताने का प्रयास है जो जटिल है और जिसे लेकर लोगों के बीच कई सारे मतभेद हैं।

भारतीय सीमा पर नजर रखने के लिए जासूसी का सहारा ले रहा चीन, पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास तैनात किए जासूसी ड्रोन्स

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चीन के साथ भारत का लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। दरअसल, चीन अपनी चालो से बाज नहीं आता। पूर्वी लद्दाख और सिक्किम के क्षेत्र में चीनी घुसपैठ किसी से छुपी नहीं हैं। भारतीय सेना के बार-बार पीछे धकेलने के बावजूद चीन अपनी आदत से बाज नहीं आता है। जिसके कारण लगातार दोनों देशों के बीच तनाव के हालात बने हुए हैं। इस बीच चीन अब भारतीय सीमा पर नजर रखने के लिए जासूसी का सहारा ले रहा है।चीन ने भारत से सटी सीमा के करीब अपने अत्याधुनिक ड्रोन की तैनाती कर दी है।

चीन ने भारतीय सीमा की जासूसी करने के लिए अपने अत्याधुनिक WZ-7, Wing Loong 2 ड्रोन बॉर्डर के नजदीक तैनात कर दिया है।टीवी 9 की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अपने जासूसी ड्रोन की तैनाती ऐसी जगह पर की है जहां से पूर्वी लद्दाख की सीमा की जासूसी कर सकता है और दूर रहकर सेना की 14वीं कोर और 33वीं कोर की मूवमेंट पर नजर रख सकता है।

हालांकि, बारतीय सेना के जाबांजों के सामने चीन की चालबाजियां चलने वाली नहीं हैं।भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र तक एलएसी के पार चीनी सैन्य गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही है और 2020 में गलवां क्षेत्र से शुरू होने वाले पूर्वी लद्दाख में चीनियों द्वारा एकतरफा घुसपैठ के बाद अपनी क्षमताओं को कई गुना बढ़ा लिया है।

बता दें कि भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा को लेकर विवाद है। चीन के साथ सीमा विवाद को समझने से पहले थोड़ा भूगोल समझना जरूरी है।चीन के साथ भारत की 3,488 किमी लंबी सीमा लगती है। ये सीमा तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है।ईस्टर्न सेक्टर में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन से लगती है, जो 1346 किमी लंबी है।मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा है, जिसकी लंबाई 545 किमी है।वहीं, वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख आता है, जिसके साथ चीन की 1,597 किमी लंबी सीमा लगती है।चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी के हिस्से पर अपना दावा करता है। जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है।दोनों देशों के बीच अब तक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है क्योंकि कई इलाक़ों के बारे में दोनों के बीच मतभेद हैं।

सीधी पेशाब कांड: एक्शन में आई शिवराज सरकार, आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पर चला बुलडोजर, एनएसए के तहत कार्रवाई

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मध्य प्रदेश के सीधी जिले में एक आदिवासी युवक पर खुले आम पेशाब करने के मामले में शिवराज सरकार एक्शन में आ गई है। आदिवासी युवक पर पेशाब करने के आरोपी प्रवेश शुक्ला पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) लगा दिया गया है। सीधी के जिला दंडाधिकारी साकेत मालवीय द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। इसके साथ ही प्रवेश शुक्ला के घर बुलडोजर की कार्रवाई की गई।

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आरोपी के घर चला बुलडोजर

आदिवासी युवक पर खुले आम पेशाब करने के आरोपी कथित बीजेपी नेता प्रवेश शुक्ला के घर पर बुधवार को दोपहर करीब 2 बजे प्रशासन बुलडोजर के साथ पहुंची। इसके बाद उसके घर का कुछ हिस्सा गिरा दिया गया।उसके एक कच्चा मकान सहित बाउंड्री वॉल को ध्वस्त कर दिया गया है।आरोपी प्रवेश शुक्ला के मकान में है तीन लोगों का हिस्सा है। जिस तरह इसका हिस्सा था उसके अतिक्रमण को तोड़ दिया गया है। इस अपराध के अलावा भी प्रवेश शुक्ला के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।कार्रवाई के दौरान आरोपी के घर के आसपास भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद रहे। कार्रवाई के दौरान एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि घर गिरता देख प्रवेश शुल्का की मां फूट-फूट रो रही हैं। कुछ महिला सिपाही उनको संभालने की कोशिश कर रही हैं।

कार्रवाई के बाद शिवराज ऑफिस के हैंडल से ट्वीट

कार्रवाई के बाद शिवराज ऑफिस के हैंडल से एक ट्वीट किया गया। इस ट्वीट में लिखा है-'एनएसए लगा दिया है, बुलडोजर भी चला दिया गया है और अगर जरूरत पड़ी तो मामा जी अपराधियों को 10 फुट जमीन के नीचे भी गाड़ देंगे। मामाजी का संदेश साफ है, इसलिए गलत मंशा वालों मध्यप्रदेश में अपराध करने से पहले 10 बार सोच लेना।

सीएम शिवराज ने दिया था कड़ी कार्रवाई का आदेश

इससे पहले पुलिस ने प्रवेश शुक्ला को बीती रात को ही गिरफ्तार कर लिया था। आरोपी को उसके गांव के करीब से ही दबोच लिया गया। पुलिस ने वीडियो वायरल होने के बाद आरोपी के खिलाफ एससी, एससी एक्ट और एनएसए समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है। इस वीडियो के संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था 'मेरे संज्ञान में सीधी जिले का एक वायरल वीडियो आया है, मैंने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि अपराधी को गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर एनएसए भी लगाया जाए।।

क्या है मामला

बता दें कि सीधी जिले का एक वीडियो मंगलवार को तेजी से वायरल हुआ था। इसमें प्रवेश शुक्ला सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठे एक आदिवासी युवक मुंह पर पेशाब करता दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि आदिवासी युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है। इस वीडियो के वायरल होते ही बवाल कट गया।वीडियो वायरल होने का बाद प्रवेश शुक्ला फरार हो गया था। मंगलवार देर रात करीब दो बजे पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सख्त नाराजगी जताते हुए आरोपी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया था।

शरद पवार के रिटायरमेंट को लेकर अजीत के तंज पर सुप्रिया सुले का पलटवार, 82 साल में भी अमिताभ बच्चन कर रहे काम

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने अपने पिता और दिग्गज नेता शरद पवार पर उनकी उम्र को लेकर अजीत पवार के तंज पर पलटवार किया है।एनसीपी में टूट के बाद चाचा और भतीजा दोनों गुट आमने-सामने हैं। अजित पवार ने शरद पवार के लिए कई बातें कहीं, जिस पर सुप्रिया सुले ने पलटवार किया है। सुप्रिया सुले ने अजित पवार के उम्र वाले कटाक्ष पर निशाना साधते हुए पिता शरद पवार की तुलना रतन टाटा और अमिताभ बच्चन से की। 

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सुप्रिया सुले का चचेरे भाई को जोरदार जवाब

चचेरे भाई अजित पवार की बगावत पर एनसीपी नेता और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कड़ा प्रहार किया है। अजित पवार को चेतावनी देते हुए सुप्रिया सुले ने साफ कहा कि उनका जितना अपमान करना है करे लेकिन बाप के बारे में कुछ नहीं सुनूंगी। सुप्रिया सुले ने कहा बूढ़ा होने से बॉस नहीं बदलेगा। उम्र सिर्फ एक नंबर है, तुम घर में बैठकर आशीर्वाद लो, हम सब संभाल लेंगे। 

रतन टाटा, अमिताभ और साइरस पूनावाला से तुलना

भाई अजित पवार से कहा कि अपने पिता को कहना कि घर बैठो, बेटे क्या हैं, इससे तो बेटियां ही भली। मैं अपने पिता के साथ खड़ी रहुंगी। वो कह रहें है कि कुछ लोगों कि उम्र हो हई है घर बैठो। आशीर्वाद दो.. क्यों.. रतन टाटा साहेब से 3 साल बड़े है। लेकिन आज भी वो काम करतें है। सायरस पूनावला की उम्र 84 है। अमिताभ बच्चन की उम्र 82.. हर पॉप्युलर एड उनकी होती है। वॉरेन बफे.. फारुख अब्दुल पिता से तीन साल बड़े है।

एनसीपी का असली चेहरा सिर्फ शरद पवार-सुले

सुले ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस का असली चेहरा सिर्फ शरद पवार हैं और रहेंगे। सत्ता आती-जाती है। एनसीपी का झंडा और चुनाव चिह्न ओरिजिनल के पास ही रहेगा। एनसीपी का एक ही सिक्का है और वो हैं शरद पवार।सुले ने घोषणा की कि चाहे कुछ भी हो, एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न 'घड़ी' शरद पवार की स्थापित और विकसित की गई मूल पार्टी के साथ ही रहेगा और इसका लालच करने वाले सभी लोगों को उनकी जगह दिखाई जाएगी। उन्होंने कहा कि पार्टी ने अतीत में कई युद्ध लड़े हैं और मौजूदा आंतरिक तूफान का भी सामना करेगी ताकि वह और अधिक मजबूत, एकजुट होकर उभरे और नए जोश के साथ आगे बढ़े।

पीएम मोदी पर भी प्रहार

वहीं इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रिया सुले ने कहा कि यह वही मोदी हैं जिन्होंने आरोप लगाया था कि एनसीपी का मतलब 'नैचरली करप्ट पार्टी' है। अब, वही बीजेपी नेता - जिन्होंने बड़े पैमाने पर 'ना खाऊंगा, न खाऊंगा' का दावा किया था, ने अजित पवार की नैचरली करप्ट पार्टी (गुट) से हाथ मिला लिया है - और उसके सारे भ्रष्टाचार को निगल लिया है।

शरद पवार एनसीपी अध्यक्ष पर से हुए “बेदखल”, बागी गुट ने अजीत पवार को सौंपी “पावर”

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महाराष्ट्र में सियासी “महाभारत” और तेज होता जा रहा है। अजित पवार ने खुद को एनसीपी का अध्यक्ष घोषित कर दिया है। वहीं इस गुट ने पार्टी पर भी अपना दावा भी ठोक दिया है। इस संबंध में चुनाव आयोग में एक अर्जी भी दाखिल की गई है।सूत्रों के अनुसार, बीती 30 जून को एनसीपी के 40 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी के साथ ही अजित पवार को एनसीपी के अध्यक्ष बनाने की जानकारी चुनाव आयोग को भेजी गई थी। जो केंद्रीय चुनाव आयोग को 5 जुलाई को मिली।

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अजित पवार ने दावा किया है कि 30 जून को कार्यकारिणी की बैठक हुई थी, एनसीपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शरद पवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से शरद पवार को हटाने के संबंध में प्रस्ताव पारित हुआ था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अध्यक्ष चुन लिया गया था। उन्होंने कहा कि प्रफुल्ल पटेल ने यह बैठक बुलाई थी। 

शरद पवार गुट भी चुनाव आयोग पहुंचा

वहीं शरद पवार के गुट की तरफ से भी शिंदे सरकार में मंत्री बने 9 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग में एक अर्जी दी गई है। जानकारी के मुताबिक यह अर्जी शरद गुट के नेता जयंत पाटिल की तरफ से दी गई है। चुनाव आयोग की तरफ से दोनों गुटों की तरफ से आई अर्जियों की पुष्टि की गई है। अब आयोग कानूनी पहलुओं पर विचार करके अंतिम फैसला लेगा।

पार्टी का चुनाव चिह्न हमारे पास है-शरद पवार

वहीं शरद पवार ने कहा कि पार्टी का चुनाव चिह्न हमारे पास है, वह कहीं नहीं जायेगा। जो लोग और पार्टी कार्यकर्ता हमें सत्ता में लाए, वे हमारे साथ हैं। जिन विधायकों ने अलग होने का फैसला किया, उन्होंने हमें विश्वास में नहीं लिया। अजित पवार गुट ने किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। शरद पवार ने अजित पवार को खोटा सिक्का तक कह दिया

दोनों गुटों का शक्ति प्रदर्शन

इससे पहले महाराष्ट्र में एनसीपी संकट के बीच शरद और अजित पवार गुट ने अपने-अपने समर्थक विधायकों, सांसदों को व्हिप जारी किया है। दोनों गुटों ने अपने समर्थन वाले नेताओं को मुंबई में एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए उपस्थित रहने के लिए कहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 35 विधायक बागी अजीत पवार के साथ मंच पर दिखे हैं।

समान नागरिक संहिता पर भाजपा के एक और सहयोगी की अलग राय, अन्नाद्रमुक ने केंद्र से यूसीसी के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं लाने का किया आग्रह, न


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एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि समान नागरिक संहिता पर हमारा रुख 2019 के चुनाव घोषणापत्र के समान है। हमने वहां सब कुछ संक्षेप में बताया है।

भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक ने केंद्र से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं लाने का आग्रह किया है। अन्नाद्रमुक का मानना है कि यह भारत के अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। नेशनल पीपुल्स पार्टी के बाद, प्रस्तावित यूसीसी पर आपत्ति व्यक्त करने वाला यह भाजपा का दूसरा प्रमुख सहयोगी है। इससे पहले, नागालैंड में भाजपा की एक अन्य सहयोगी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर अपनी आपत्ति जताई थी।

पलानीस्वामी ने क्या कहा

एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि समान नागरिक संहिता पर हमारा रुख 2019 के चुनाव घोषणापत्र के समान है। हमने वहां सब कुछ संक्षेप में बताया है। यूसीसी उन कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है जो भारत के सभी नागरिकों पर लागू होते हैं जो धर्म पर आधारित नहीं हैं और विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों से संबंधित हैं। हालाँकि, गोवा भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता है। यह पुर्तगाली नागरिक संहिता 1867 का पालन कर रहा है, जिसे समान नागरिक संहिता भी कहा जाता है। पुर्तगाली शासन से मुक्ति के बाद, यूसीसी गोवा, दमन और दीव प्रशासन अधिनियम, 1962 की धारा 5(1) के माध्यम से जीवित रहा।

मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने कहा कि समान नागरिक संहिता भारत के वास्तविक विचार के विपरीत है। उन्होंने कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है और विविधता ही हमारी ताकत है। एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति है और हम चाहेंगे कि वह बनी रहे। अपने राज्य का उदाहरण लेते हुए संगमा ने कहा, "उदाहरण के लिए, हम एक मातृसत्तात्मक समाज हैं और यही हमारी ताकत रही है और यही हमारी संस्कृति रही है। अब इसे हमारे लिए नहीं बदला जा सकता है।" हालाँकि, एनपीपी प्रमुख ने कहा कि यूसीसी ड्राफ्ट की वास्तविक सामग्री को देखे बिना विवरण में जाना मुश्किल होगा।

दिल्ली, पंजाब के बाद अब हिमाचल प्रदेश में सरकार और राज्यपाल के बीच ठनी,

हिमाचल राजभवन ने एक विधेयक को अपने पास रखा, दूसरे को दोबारा परीक्षण के लिए भेजा, कुदी आम आदमी पार्टी


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देश की राजनीति में इन दिनों चुनी हुई सरकार और राज्यपाल के बीच तकरार लगातार सुर्खियों में है। दिल्ली और पंजाब के बाद हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही तकरार नजर आ रहा है।

हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में विधानसभा से पारित दो विधेयक कानून नहीं बन सके हैं। हिमाचल राजभवन ने एक विधेयक को अपने पास रखा है, जबकि दूसरे को दोबारा परीक्षण के लिए वापस भेज दिया है। जानकारी के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक को मंजूरी नहीं दी है। वहीं, सुखाश्रय विधेयक को भी राज्य सरकार के पास कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।

मामले में कूदी आम आदमी पार्टी

हिमाचल प्रदेश मेल उपज रहे इस सियासी तकरार में आम आदमी पार्टी भी कूद गई है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली से विधायक नरेश बालियान ने ट्वीट करते हुए लिखा- 'पहले ही अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली तो बस शुरुआत है। पूरे देश में ये राज्यपाल के द्वारा सत्ता हथियाना चाहेंगे। अब अजय माखन क्या करोगे? यहां भी मत मदद करना अपने मुख्यमंत्री को, यहां मदद किया तो फिर दिल्ली में क्या जवाब दोगे? आप लोग इसी चक्कर में पांडिचेरी खो चुके हो।

AAP ने मांगा विपक्षी दलों का साथ

इससे पहले विपक्षी एकता की बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसी बात को लेकर नाराज हो गए थे कि कांग्रेस केंद्र सरकार की ओर से पारित अध्यादेश मामले में आम आदमी पार्टी का साथ नहीं दे रही है। बैठक से पहले केजरीवाल ने कहा था कि केंद्र सरकार ने दिल्ली अध्यादेश के सहारे एक प्रयोग किया है। अगर वो इसमें सफल हो जाती है, तो फिर एक-एक कर सभी गैर-बीजेपी राज्यों के लिए समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर अध्यादेश जारी कर राज्यों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। इसी लिए सभी पार्टियां मिलकर इसे किसी हालत में संसद में पास न होने दें।

ध्वनिमत से पारित हुआ था विधेयक

बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र के दौरान लोकतंत्र प्रहरी सम्मान निरसन विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव किया था। भारतीय जनता पार्टी ने विधेयक निरसन को लेकर खूब हंगामा किया और विरोध में वॉकआउट कर दिया। इस बीच सत्तापक्ष ने ध्वनिमत से इस कानून विधेयक को पारित किया इसके तहत पूर्व भाजपा सरकार ने आपातकाल के वक्त जेल में रहने वाले नेताओं की अलग-अलग दो श्रेणियों में 20 हजार रुपए और 12 हजार रुपए हर महीने सम्मान राशि के तौर पर देने का प्रावधान किया था।

सुक्खू सरकार ने इसे राजनीति से जुड़ा हुआ बताते हुए खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया। सत्तापक्ष कांग्रेस के कई विधायकों ने इसे आरएसएस और भाजपा के लोगों को फायदा देने वाला बताया था। सदन में भारी विरोध के बीच सरकार ने लोकतंत्र सम्मान प्रहरी निधि को खत्म करने का फैसला ले लिया। इससे पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन ने इस सम्मान राशि को खत्म करने की मांग उठाई थी।

इसके अलावा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय विधेयक 2023 को भी पारित किया है। इसमें अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट मानते हुए कई कानूनी प्रावधान दिए गए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि बच्चों अनाथ बच्चों को सरकार उनका अधिकार दे रही है। भाजपा ने इस विधेयक पर तर्क दिया था कि केंद्र सरकार के पहले से चल रहे प्रावधानों में जोड़ने की बात की थी। विपक्ष की ओर से इसमें कई खामियां भी गिनाई गई थी।

जानकारी के मुताबिक, अब राज्यपाल ने कुछ बिंदुओं पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। सरकार ने यह फाइल विधि विभाग के पास भेजी है। वित्त विभाग से राय-मशवरा करने के बाद इसे दोबारा राजभवन भेजा जाना है। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से किसी भी विवाद से इनकार किया जा रहा है। अगर राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद होता है तो गैर भाजपा शासित राज्य में चल रही इस सियासी लड़ाई में हिमाचल प्रदेश नहीं एंट्री होगी।