बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए बड़ी खबर, अब सहायता राशि के तौर पर मिलेंगे इतने रुपये

 

डेस्क : प्रदेश के बाढ़ प्रभावित परिवार के लिए एक बड़ी खबर है। सरकार ने बाढ़ प्रभावित परिवारों को मिलने वाली सहायता राशि बढ़ा दी है। अब प्रति परिवार छह हजार की जगह सात हजार रुपये मिलेंगे। 

राहत शिविर में रहने वाले पीड़ित को मुख्यमंत्री राहत कोष से कपड़ा और लोटा-थाली के लिए मिलने वाली राशि भी 600 रुपये से बढ़ाकर एक हजार रुपये कर दी गई है।

आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। सभी प्रमंडलीय आयुक्त और जिलाधिकारियों को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित परिवारों के लिए राज्य आपदा रिस्पांस कोष में आनुग्रहिक (सहायता) राशि का पुनर्निधारण किया गया है।

यह आदेश एक जुलाई से लागू हो गया है। शिविरों में रहने वाले बाढ़ पीड़ितों के लिए भी राशि बढ़ाई गई है। संयुक्त सचिव अरुण कुमार ठाकुर ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। मुख्यमंत्री राहत कोष न्यासी पर्षद की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया जा चुका है।

नेपाल और उत्तर प्रदेश में भारी बारिश से बिहार की नदियों में उफान, कई जिलों में मंडरा रहा बाढ़ का खतरा

डेस्क : नेपाल के अलावा उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के बाद राज्य की नदियों में उफान है। गंगा समेत तमाम बड़ी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। गंगा के अलावा कोसी, बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक, खिरोई, अधवारा, महानंदा, घाघरा, पुनपुन, कमला बलान, भूतही बलान नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इससे उत्तर व पूर्वी बिहार और कोसी-सीमांचल के जिलों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।

गंगा पिछले 24 घंटे में एक मीटर से भी अधिक बढ़ी है, जबकि कोसी हर घंटे डेढ़ सेंटीमीटर व बागमती हर घंटे 3 सेंमी से अधिक बढ़ रही है। इसके कारण नदी के पानी का फैलाव आसपास के इलाकों में भी शुरू हो गया है। पुनपुन का जलस्तर 24 घंटे में 1.63 मीटर तक बढ़ गया। जयनगर में कमला बलान का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। यहां नदी खतरे के निशान से 55 सेमी ऊपर बह रही है।

उधर, वाल्मीकिनगर बराज पर गंडक में 26 हजार क्यूसेक पानी अचानक बढ़ गया। कोसी नदी में वीरपुर बराज पर 24 घंटे में 15 हजार क्यूसेक पानी बढ़ा। वाल्मीकिनगर बराज से तीन बजे 1 लाख 35 हजार 200 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। बराज में पानी की मात्रा बढ़ने के बाद सभी 36 फाटक खोल दिए गए हैं। इसके बाद मैदानी इलाकों में स्थिति बिगड़ने की आशंका उत्पन्न हो गयी है।

पूर्व परंपरा और नैतिकता के आधार पर उपमुख्यमंत्री का इस्तीफा अविलंब लिया जाना राज्य हित में आवश्यक : नेता प्रतिपक्ष

डेस्क : बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर जमीन के बदले नौकरी मामले में सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल किये जाने के बाद प्रदेश की राजनीति गरम है। प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी इस मामले को लेकर नीतीश सरकार पर हमलावर है। इसी कड़ी में बीजेपी नेता व बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को उनके पद से हटाए जाने की बात की है। 

विजय कुमार सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर सी0बी0आई द्वारा चार्जशीट मामले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि पूर्वक, परंपरा और नैतिकता के आधार पर उपमुख्यमंत्री का इस्तीफा अविलंब लिया जाना राज्य हित में आवश्यक है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बिहार की जनता जानती है कि किस प्रकार वर्ष 2005 में दलित के पुत्र जीतन राम मांझी का मात्र केस में नाम रहने पर इस्तीफा लिया गया था। वर्तमान 17 वीं विधानसभा के कार्यकाल में ही मंत्री बनने के तुरन्त बाद स्वर्गीय मेवालाल चौधरी एवं पिछले साल महागठ़बंधन सरकार बनने पर कार्तिक कुमार का इस्तीफा लिया गया। 

वर्ष 2017 में तो सी0बी0आई द्वारा छापा मारने पर ही तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव को शासन से अलग करने हेतु राजद का परित्याग कर दिया गया था। अब कौन सी मजबूरी है जो राज्य के मुखिया भष्ट्राचार के बड़े मामले में चार्जशीटेड उपमुख्यमंत्री पर कार्रवाई करने से डर रहे हैं?

सिन्हा ने कहा की शासन में इसी दोहरा मापदंड के कारण बिहार में प्रशासनिक अराजकता चरम पर है। जन कल्याण की योजनाएं भष्ट्राचार की भेट चढ़ रही है। सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है। इस स्थिति से उबरने हेतु आवश्यक है कि राज्य के मुखिया स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर निर्णय लें। सिन्हा ने कहा कि महागठबंधन सरकार का तमाशा राज्य के लोग अच्छी तरह देख रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब अपनी चुप्पी तोड़ कर यह बताना चाहिए कि वे उपमुख्यमंत्री का इस्तीफा कब लेंगे या क्यों नहीं लेंगे।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव समेत बड़े पदाधिकारियों की कार्यशैली से शिक्षा मंत्री नाराज, पीएस के माध्यम से भेजा पीत पत्र

डेस्क : बिहार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के.के पाठक एक ईमानदार और कड़क छवि के लिए जाने जाते है। उनकी कार्यशैली के कारण अक्सर उनके विभाग के मंत्री और उनके बीच टकराव होती रहती है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव बनाए जाने के बाद एकबार फिर ऐसा ही मामला सामने आया है। शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने विभागीय कार्यशैली पर आपत्ति जताते हुए विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक समेत निदेशक स्तर के कुछ पदाधिकारियों को पीतपत्र भेजा है।

अपनी पीएस के माध्यम से भेजे गए पीत पत्र में मंत्री ने विभाग के कई कार्यों को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने लिखा है कि ऐसा देखा जा रहा है कि कई मामलों में सरकार की कार्यसंहिता के हिसाब से काम नहीं किया जा रहा है। राजपत्रित अधिकारी को भी उनके पद के अनुरूप काम नहीं दिए जा रहे हैं। विभाग के ऐसे कई अधिकारी हैं, जिनसे उनके पद से नीचे के स्तर के काम लिये जा रहे हैं, जो विभागीय नियमानुकूल नहीं है। इन मसलों पर ही मंत्री ने उक्त पदाधिकारियों को पीतपत्र भेजा है।

शिक्षा मंत्री के आप्त सचिव कृष्णा नंद यादव ने 4 जुलाई को मंत्री के निदेश पर पीत पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि निदेशानुसार अवगत कराना है कि पिछले कई दिनों से शिक्षा मंत्री, के द्वारा यह महसूस किया जा रहा है कि विभाग मीडिया में नकारात्मक खबरों से अधिक चर्चा में रहा है। विभाग से संबंधित कोई भी पत्र / संकल्प आदि विभागीय पदाधिकारियों / मंत्री कोषांग में पहुंचने से पूर्व ही सोशल मीडिया / युट्यूब चैनलों तथा विभिन्न वॉट्सऐप ग्रुप में पारेषित होने लगते है। शिक्षा विभाग में ज्ञान से अधिक चर्चा कड़क, सीधा करने, नट बोल्ट टाईट करने, शौचालय सफाई, झारू मारने, ड्रेस पहनने, फोड़ने, डराने, पेंट गिली करने, नकेल कसने वेतन काटने, निलम्बित करने, उखाड़ देने, फाड़ देने जैसे शब्दों का हो रहा है। हद तो तब हो गई जब कार्यालय अवधि समाप्ति के पश्चात् कार्य कर रहे एक निदेशक के कक्ष से टी०वी० चैनल वाले लाइव टेलीकास्ट करते देखे गए। 

टी०वी० रिर्पोटर उनसे पूछताछ भी कर रहे थे और वे विश्रान्ति से जबाब दे रहे थे। यह भी संज्ञान में आया है कि कई रिर्पोटर/यू ट्यूबर को किसी अदृश्य व्यक्ति द्वारा विभागीय अधिकारी के दौरे/निरीक्षण की जानकारी पहले से ही प्राप्त हो जाती है तथा निरीक्षत स्थलों पर वे पहले से मौजूद रहते है। अवलोकित है कि वरीय अधिकारी द्वारा बंद कमरे में ली जा रही मीटिंग आदि से संबंधित खबर भी मीडिया में द्रुत गति से संचारित हो जाते है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि किसी खास व्यक्ति द्वारा निहित स्वार्थो की पूर्त्ति अथवा सरकार की छवि कुप्रभावित करने के उद्देश्य से विभागीय आन्तरिक खबरों को मीडिया में प्लांट किया जा रहा है। 

विभाग से जुड़ी महत्वपूर्ण व जनमानस से सरोकार रखने वाले खबरों को राज्य सरकार की घोषित नीति के अनुरूप प्रसारित करने पर किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन नकारात्मक खबरों से विभाग व सरकार की छवि धूमिल हो रही है। विभागीय अधिकारियों का उपरोक्त कृत्य बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली, 1976 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन है। साथ ही बिहार सरकार की सामाचार माध्यमों को खबर देने की सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के विपरीत है। शिक्षा मंत्री ने इस पर काफी अप्रसन्नता व्यक्त किया है।

बड़ी खबर : बिहार में आकाश से बरसी मौत, 10 जिलों में 25 लोगों की गई जान

डेस्क : बिहार में बीते मंगलवार को आसमान से मौत बरसी। बारिश के दौरान हुए वज्रपात की चपेट मे आने प्रदेश के 10 जिलों में 25 लोगों की जान चली गई। रोहतास जिले में छह, जहानाबाद-बक्सर में तीन-तीन, गया में दो और औरंगाबाद में एक की मौत हो गई। वहीं, पूर्वी बिहार में 10 लोग वज्रपात की चपेट में आ गए।

रोहतास जिले में रोहतास, करगहर, काराकाट, सूर्यपुरा व दावथ थाना क्षेत्रों में छह लोग काल के गाल में समा गए। वहीं कुछ लोग झुलस गए। कई मवेशियों के मरने की भी सूचना है। मकान भी ध्वस्त होने की खबरें सामने आई हैं। 

जहानाबाद में मूसलाधार बारिश के दौरान वज्रपात से किसान समेत तीन लोगों की जान चली गई। काको प्रखंड में दो, जबकि हुलासगंज में एक की मौत हो गई। इस घटना में दो लोग भी जख्मी हो गए। इसी तरह बक्सर में ठनका ने तीन जानें लील लीं। जिले के औद्योगिक थाना क्षेत्र में एक तथा सिकरौल थाना इलाके में दो लोगों ने अपनी जान गंवा दी। वहीं एक महिला व एक युवती गंभीर रूप से जख्मी हो गई। उधर, गया जिले में गर्भवती महिला और किसान की मौत हो गई।

औरंगाबाद में भी वज्रपात से एक व्यक्ति की जान चली गई। वहीं, पूर्वी बिहार में बारिश के साथ वज्रपात से 10 लोगों की जान चली गयी। मृतकों में भागलपुर जिले के चार, जमुई-बांका के दो-दो तथा कटिहार-खगड़िया के एक-एक लोग शामिल हैं। बारिश के दौरान ये लोग खेत या बहियार में किसी काम से थे।

प्रदेश में वज्रपात से 25 लोगों की गई जान पर सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक, 4-4 लाख मुआवजे का किया एलान



डेस्क : बिहार में बीते मंगलवार को आसमान से मौत बरसी। बारिश के दौरान हुए वज्रपात की चपेट मे आने प्रदेश के 10 जिलों में 25 लोगों की जान चली गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वज्रपात से हुई मौत पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में वे प्रभावित परिवारों के साथ हैं। उन्होंने मृतक के परिजनों को अविलंब चार-चार लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने का निर्देश दिया। 

मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की है कि सभी लोग खराब मौसम में पूरी सतर्कता बरतें। खराब मौसम होने पर वज्रपात से बचाव के लिये आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी सुझावों का अनुपालन करें। खराब मौसम में घरों में रहें और सुरक्षित रहें।

महाराष्ट्र की राजनीतिक घटना को राजद प्रदेश अध्यक्ष ने बताया देश के लोकतंत्र का मजाक बनने वाला घटनाक्रम

डेस्क : महाराष्ट्र के घटनाक्रम के बाद से लगातार भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि बिहार में भी जदयू और राजद में टूट होना तय है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जदयू के विधायकों और सांसदों से मिलने की घटना को भी जदयू में सम्भावित टूट बताते हुए भाजपा ने कटाक्ष किया था।

अब इन्हीं कयासबाजियों और अटकलों के बीच राजद के वरिष्ठ नेता व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का बड़ा बयान सामने आया है।

जगदानंद सिंह ने आज मंगलवार को कहा कि ने कहा कि बिहार कभी धन-दौलत के आगे नहीं बिका है। उन्होंने महाराष्ट्र में हुए राजनैतिक घटनाक्रम को देश के लोकतंत्र के लिए अनुचित करार देते हुए इसे भारत के लोकतंत्र का मजाक बनने वाला घटनाक्रम करार दिया।

उन्होंने कहा कि बिहार में भी कोई बड़ा सियासी बदलवा नहीं होगा। इस प्रकार की अटकलबाजी करने वालों के दावों में कोई सच्चाई नहीं है। बिहार कभी भी धन और दौलत के आगे नहीं बिका है।

वहीं जगदानंद सिंह ने बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि क्या खरीद-बिक्री से लोकतंत्र चलेगा? पूरे दुनिया में भारत मज़ाक का पात्र बनता जा रहा है। ये विश्व गुरू बनेंगे? उन्होंने कहा कि देश में निर्वाचित सरकारों को अडानी-अंबानी के पैसे से खरीदकर तोड़ा जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि बिहार कभी धन-दौलत के आगे नहीं बिका। यहां टूट की कोई संभावना नहीं है।

बताते चले महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक के बाद से बिहार को लेकर भी कयासों का दौर शुरू हो गया है। दावा किया जा रहा है कि महाराष्ट्र के बाद बिहार में भी कोई बड़ा सियासी उठापटक हो सकता है। विपक्षी दल जबरदस्त तरीके से भाजपा पर हमलावर हैं। वहीं, भाजपा का दावा है कि बिहार में राजनीतिक दलों के भीतर विद्रोह की स्थिति है। भाजपा इस तरह के दावे जदयू के लिए कर रही है।

पूर्व सीएम मांझी के बेटे को केन्द्र सरकार का तोहफा, अब वाई + श्रेणी की सुरक्षा में रहेंगे संतोष सुमन

डेस्क : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन को केंद्र सरकार ने तोहफा देते हुए वाई + श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की है। केंद्र सरकार की ओर से मंगलवार को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री संतोष सुमन की सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय लिया गया। उन्हें अब वाई + श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है।

पिछले महीने ही जीतनराम मांझी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया था कि उन्होंने हम को जदयू में विलय करने की शर्त रखी थी। इसके बाद मांझी के बेटे संतोष सुमन ने नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। बाद में मांझी ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद एनडीए में शामिल होने की घोषण की थी। बिहार में भाजपा को हम के रूप में एक बड़ा साथी मिला है। अब इन सबके बीच संतोष सुमन को वाई + श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है।

मांझी की भाजपा से बढ़ी नजदीकियों और बिहार में हर दिन बदलते सियासी समीकरण के बीच अब संतोष सुमन कोई वाई + श्रेणी की सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय बेहद खास माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव के पहले अपने सहयोगियों को मोदी सरकार द्वारा बेहतर सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में यह एक बड़ा संदेश देने वाला कदम माना जा रहा है।

गौरतलब है कि इसके पहले चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी को केंद्र सरकार ने सुरक्षा प्रदान कराई है. अब उसी कड़ी में संतोष सुमन का नाम शामिल हो गया है।

बिहार कैबिनेट की बैठक खत्म, इन 7 महत्वपूर्ण एजेंडो पर लगी मुहर


डेस्क : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज मंगलवार को कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। जिसमें 7 एजेंडो को मंजूरी दी गई है।

राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में उद्योग विभाग के तहत बिहार बायोफ्यूल्स उत्पादन प्रोत्साहन नीति 2023 को स्वीकृति दे दी गई है। जबकि बिहार राज्य निवेश प्रोत्साहन( वस्त्र एवं चर्म) नीति 2022 का अवधि विस्तार 30 जून 2024 तक करने का निर्णय लिया गया है।

भवन निर्माण विभाग के अतर्गत विभिन्न श्रेणी के कुल पांच पदों के सृजन तथा आशुलिपिक के अनावश्यक कुल 53 पदों को विलोपित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है। इसके साथ ही साथ सरकार ने बिहार वास्तिविद सेवा नियमावली 2014 में संशोधन करते हुए संविदा पर बहाल हुए नियोजित कर्मियों को नियमित करने का फैसला लिया है।

सरकार ने राष्ट्रीय बचत कार्यालयों में आशुलिपिक संवर्ग के स्वीकृति 8 पदों में से आशुलिपिक ग्रेड 2 के 2 पदों को समायोजित करते हुए अंकेक्षण निदेशालय में आशुटंकक संवर्ग के पदों को मूल कोटि एवं प्रोन्नोत्ति के पदों में वर्गीकृत करने तथा राष्ट्रीय बचत आशुलिपिक संवर्ग के शेष 6 पदों को प्रत्यर्पित किया है।

वहीं भारत सरकार द्वारा तैयार एवं अधिसूचित अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी अधिनियम 2019 की धारा 38 के अधीन बिहार अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी नियमावली 2023 को बिहार राज्य में अंगीकृत किए जाने की स्वीकृति दी गई है।

इसके साथ ही साथ स्वास्थ्य विभाग के तहत सरकार ने विदेशी आयुर्विज्ञान स्नातकों को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग नई दिल्ली के दिशा निर्देशों के आलोक में राज चिकित्सा परिषद में निबंध के क्रम में इंटर्नशिप के लिए राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों एवं अस्पतालों में इंटरशिप की सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला लिया गया है।

तेजस्वी के खिलाफ सीबीआई द्वारा चार्जशीट दायर करने पर गरमाई बिहार की सियासत, बीजेपी और महागठबंधन के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु

डेस्क : बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ गई है। नौकरी के बदले जमीन मामले में सोमवार को सीबीआई ने इस मामले में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अभियुक्त बनाते हुए नई दिल्ली के रॉउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायालय में दूसरी चार्जशीट दायर की। तेजस्वी के अलावा तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी समेत 16 अन्य को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। इसमें रेलवे के कुछ पूर्व अधिकारियों के भी नाम अभियुक्तों की लिस्ट में शामिल हैं।

इधर इस मामले को लेकर बिहार की सियासत गरम हो गई है। प्रदेश की सत्तासीन और विपक्ष द्वारा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है।  

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने इस मामले को लेकर सीधे-सीधे बीजेपी और केन्द्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने आज मंगलवार को कहा कि केंद्र की मोदी सरकार हमेशा से सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरूपयोग करती रही है. अब जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र में राजद प्रमुख लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम को शामिल करने से यह फिर से सिद्ध हुआ है।

कहा कि अगस्त 2022 में जब बिहार में तेजस्वी यादव महागठबंधन में शामिल हो गए तो जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले में आरोप पत्र दायर किया जा रहा है। वहीं इसी मामले में पहले ही दो बार सीबीआई ने जांच की और आरोपों को खारिज कर दिया। ऐसे में यह हर कोई जानता है कि केंद्र क्या कर रहा है। जनता सब कुछ देख रही है कि कैसे सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों का दुरूपयोग हो रहा है। 

वहीं आरजेडी प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा है कि यह बीजेपी की बौखलाहट है, जिसके कारण वह विपक्ष को परेशान करने के लिए सीबीआई, ईडी, आईटी जैसी केन्द्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। जिस दिन बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी, उसी दिन से तेजस्वी भाजपा के आंख की किरकिरी बने हुए हैं। देश की जनता सब कुछ देख रही है और समय आने पर इसका माकूल जवाब देगी।

वहीं दूसरी ओर बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम व बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि सीबीआई द्वारा ‘नौकरी के बदले जमीन घोटाला’ मामले में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया है। जिसके सारे दस्तावेज ललन सिंह ने ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उपलब्ध कराया था।

इस जमीन घोटाले का संबंध तेजस्वी यादव के नई दिल्ली स्थित 150 करोड़ के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी डी-1088 के बंगले से है जिसे तेजस्वी यादव ने एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से मात्र 4 लाख में खरीद लिया था। इस पूरे मामले में तेजस्वी यादव से कई बार पूछताछ हो चुकी है तथा लालू प्रसाद, राबड़ी देवी व मीसा भारती पहले से चार्जशीटेड हैं।