पंजाब के सीएम भगवंत मान को केंद्र ने दी जेड -प्लस सुरक्षा, 55 जवान होंगे तैनात

#punjabcmbhagwantmannzplussecurity

पंजाब के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान को केंद्र सरकार ने जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी है।भगवंत मान को जेड-प्लस सुरक्षा कवर देश-विदेश और खालिस्तानी आतंकियों से संभावित खतरों के मद्देनजर दिया गया है।सीएम मान के पास पहले से ही पंजाब पुलिस का सुरक्षा कवर है। ऐसे में सीआरपीएफ का जेड+ कवर मिलने से उनके सुरक्षा लेयर डबल हो गई है।

10एनएसजी कमांडो के साथ 55 की तैनाती

जेड+ सुरक्षा मिलने के बाद अब सीएम भगवंत मान की सुरक्षा में 55 कमांडो तैनात होंगे। इसमें 10 से ज्यादा एनएसजी कमांडो शामिल होंगे। इन कमांडो को विशेषज्ञ मार्शल आर्ट और निहत्थे युद्ध प्रशिक्षण प्राप्त होता है। इसके अलावा सुरक्षा व्यवस्था में भी कई बदलाव होंगे। जैसे कि अखिल भारतीय अग्रिम सुरक्षा संपर्क सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति, उसकी आवाजाही के लिए बैलिस्टिक रेटिंग वाहन और जैमर, और उसके लिए हर समय पुख्ता समीपस्थ सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

सीएम के करीबी परिवार के सदस्यों को भी मिलेगी सुरक्षा

जेड-प्लस सुरक्षा कवर का मतलब है कि जवान सिर्फ सीएम मान की ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री आवास और उनके करीबी परिवार के सदस्यों की भी सुरक्षा करेंगे। सूत्रों ने बताया कि पंजाब में खालिस्तानी गतिविधियों के मद्देनजर सीएम मान पर खतरे को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। इसके बाद केंद्रीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने भगवंत मान के लिए इस तरह के सुरक्षा कवच की सिफारिश की थी।

अमृतपाल की गिरफ्तारी के बाद लिया गया सुरक्षा बढ़ाने का फैसला

पंजाब के सीएम की सुरक्षा बढ़ाने का ये अहम फैसला 'वारिस पंजाब दे' के चीफ और खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के बाद लिया गया है। पंजाब में करीब 36 दिन की फरारी काटने के बाद अमृतपाल सिंह को आखिरकार जरनैल सिंह भिंडरांवाला के गांव रोडे से पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद से ही वो असम ही डिब्रूगढ़ जेल में अपने 9 करीबी साथियों के साथ बंद है।

कोरोना के बाद अब पूरी दुनिया में एक और घातक महामारी का अाने वाला है साया, डब्ल्यूएचओ के प्रमुख ने दी चेतावनी, कहा, सामूहिक लड़ाई के लिए रहें तैय


अभी कोरोना की मार का डर गया नहीं कि दुनिया पर एक और घातक महामारी का खतरा मंडरा रहा है। यह महामारी कोरोना से भी घातक बताई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने चेतावनी जारी की है। घेब्रेयसस मंगलवार को 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में शामिल हुए। वहां एक रिपोर्ट पेश करते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, "ऐसा लगता है कि दुनिया भर में कोविड का प्रकोप खत्म हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं है। एक अन्य प्रकार की महामारी की संभावना बनी हुई है। जिससे मरीजों और मौतों की संख्या में काफी इजाफा होगा। इसके अलावा कोविड से भी ज्यादा घातक वायरस के फैलने की भी आशंका है।"

घेब्रेयसस ने कहा कि इस बात से दुनिया को यह आत्मसंतुष्ट होने की जरूरत नहीं है कि कोविड महामारी खत्म हो गई है। उन्होंने आम लोगों को भी अपनी देखभाल करने और सावधान रहने का संदेश दिया।

उन्होंने कहा, "अब कोविड की चिंता मत कीजिए। कोविड महामारी चिंता का एकमात्र कारण नहीं है। हमें हर स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। अगली महामारी बहुत जल्द दस्तक देने वाली है। तब हम सभी को सामूहिक रूप से उस महामारी से लड़ने के लिए तैयार रहना होगा।"

डेली मेल की एक अन्य रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि डब्ल्यूएचओ ने नौ प्राथमिक बीमारियों की पहचान की है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा जोखिम पैदा करती हैं। उपचार की कमी या महामारी पैदा करने की उनकी क्षमता के कारण इन बीमारियों को जोखिम भरा माना जाता है।

द मिरर ने उनके हवाले से कहा, "दुनिया हैरान थी और कोविड-19 महामारी के लिए तैयार नहीं थी, जो सदी में सबसे गंभीर स्वास्थ्य संकट है।" कोविड-19 महामारी के लिए वैश्विक आपातकालीन स्थिति को समाप्त करने के बाद बोलते हुए टेड्रोस ने कहा कि यह अगली महामारी को रोकने के लिए बातचीत को आगे बढ़ाने का समय है।

नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्‍कार पर रविशंकर प्रसाद का पलटवार, पूछा-शिलान्यास में क्यों नहीं आई कांग्रेस?

#bjpleadersonoppositionboycottingtheinaugurationofnewparliamentbuilding

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। लेकिन 19 विपक्षी दलों ने इस उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है। उनकी मांग है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के द्वारा किया जाना चाहिए। इसको लेकर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधा है।

रविशंकर प्रसाद ने पूछा कि उद्घाटन समारोह पर राजनीति कर रही कांग्रेस नए भवन के शिलान्यास में क्यों नहीं आई थी। बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस को परेशानी उद्घाटन की नहीं है, कांग्रेस की परेशानी प्रधानमंत्री मोदी हैं। रविशंकर ने आगे कहा कि हम आज भी कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं से कहेंगे कि आप संसद के उद्घाटन समारोह में आइए।रविशंकर ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री भी संवैधानिक दायित्व रखते हैं। कांग्रेस अपना ह्रदय बड़ा करेगी तो अच्छा रहेगा।

रविशंकर कांग्रेस से खास अपील

रविशंकर प्रसाद ने कहा, विपक्ष के नेताओं से कहेंगे कि आप आइए, संसद देश का मुकुट है। जब संख्या बढ़ेगी तब तो बैठने जगह होनी चाहिए। भारत को भारतीयों के द्वारा बनाया गया संसद क्यों नही मिलना चाहिए। 75 साल में हमने क्या बनाया, भारत की संसद में भारत का परिचय मिल रहा है। सेंगोल गर्व की परंपरा है। कांग्रेस से कहूंगा कि सेंगोल की परंपरा तो आप से भी जुड़ी हुई है, उसी को देखने आ जाइए।

सीतारमण ने की रुख बदल समारोह में भाग लेने की अपील

इस बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान भी सामने आया है। विपक्षी के बहिष्कार को लेकर उन्होंने कहा, यह लोकतंत्र का मंदिर है, यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी अपने कदमों पर झुककर संसद में प्रवेश किया। मैं (विपक्ष से) विनम्रता पूर्वक अपील करती हूं कि कृपया फिर से सोचें, अपना रुख बदलें और समारोह में भाग लें। 

आपके पास अपने लिए अलग मानक हैं और दूसरों के लिए अलग-पूरी

नए संसद भवन के उद्घाटन का कांग्रेस सहित विपक्ष द्वारा बहिष्कार किए जाने पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, उन्होंने (विपक्षी दलों ने) संविधान से कुछ अनुच्छेद बोले और उस आधार पर हमें सलाह दे रहे। उस समय भी इंदिरा गांधी ने (संसद के उपभवन के उद्घाटन के दौरान) किया था। आपके पास अपने लिए अलग मानक हैं और दूसरों के लिए अलग। यह देश और किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक बार आने वाला क्षण है। फुटनोट में कहीं लिखा जाएगा कि इन लोगों द्वारा संसद भवन के खुलने के कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।

नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्‍कार पर रविशंकर प्रसाद का पलटवार, पूछा-शिलान्यास में क्यों नहीं आई कांग्रेस?*

#bjpleadersonoppositionboycottingtheinaugurationofnewparliamentbuilding

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 28 मई को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। लेकिन 19 विपक्षी दलों ने इस उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है। उनकी मांग है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के द्वारा किया जाना चाहिए। इसको लेकर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधा है।

रविशंकर प्रसाद ने पूछा कि उद्घाटन समारोह पर राजनीति कर रही कांग्रेस नए भवन के शिलान्यास में क्यों नहीं आई थी। बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस को परेशानी उद्घाटन की नहीं है, कांग्रेस की परेशानी प्रधानमंत्री मोदी हैं। रविशंकर ने आगे कहा कि हम आज भी कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं से कहेंगे कि आप संसद के उद्घाटन समारोह में आइए।रविशंकर ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री भी संवैधानिक दायित्व रखते हैं। कांग्रेस अपना ह्रदय बड़ा करेगी तो अच्छा रहेगा।

रविशंकर कांग्रेस से खास अपील

रविशंकर प्रसाद ने कहा, विपक्ष के नेताओं से कहेंगे कि आप आइए, संसद देश का मुकुट है। जब संख्या बढ़ेगी तब तो बैठने जगह होनी चाहिए। भारत को भारतीयों के द्वारा बनाया गया संसद क्यों नही मिलना चाहिए। 75 साल में हमने क्या बनाया, भारत की संसद में भारत का परिचय मिल रहा है। सेंगोल गर्व की परंपरा है। कांग्रेस से कहूंगा कि सेंगोल की परंपरा तो आप से भी जुड़ी हुई है, उसी को देखने आ जाइए।

सीतारमण ने की रुख बदल समारोह में भाग लेने की अपील

इस बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान भी सामने आया है। विपक्षी के बहिष्कार को लेकर उन्होंने कहा, यह लोकतंत्र का मंदिर है, यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी अपने कदमों पर झुककर संसद में प्रवेश किया। मैं (विपक्ष से) विनम्रता पूर्वक अपील करती हूं कि कृपया फिर से सोचें, अपना रुख बदलें और समारोह में भाग लें। 

आपके पास अपने लिए अलग मानक हैं और दूसरों के लिए अलग-पूरी

नए संसद भवन के उद्घाटन का कांग्रेस सहित विपक्ष द्वारा बहिष्कार किए जाने पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, उन्होंने (विपक्षी दलों ने) संविधान से कुछ अनुच्छेद बोले और उस आधार पर हमें सलाह दे रहे। उस समय भी इंदिरा गांधी ने (संसद के उपभवन के उद्घाटन के दौरान) किया था। आपके पास अपने लिए अलग मानक हैं और दूसरों के लिए अलग। यह देश और किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक बार आने वाला क्षण है। फुटनोट में कहीं लिखा जाएगा कि इन लोगों द्वारा संसद भवन के खुलने के कार्यक्रम का बहिष्कार किया था।

गगनचुंबी इमारतों के बोझ तले डूब रहा अमरीका का बड़ा शहर न्यूयॉर्क, वैज्ञानिकों ने कहा, जलवायु संकट और मानवीय हस्तक्षेप के कारण उत्पन्न हो रही यह स्थिति, संभलना आवश्यक



अमेरिकी शहर न्यूयार्क उत्तरी-पूर्वी हिस्से में अटलांटिक महासागर के किनारे और हडसन नदी के मुहाने पर स्थित है। यह अमेरिका का सबसे बड़ा और प्रमुख नगर है। एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि न्यूयॉर्क शहर अपनी सभी इमारतों के सामूहिक भार की वजह से नीचे डूब रहा है। हालांकि, यह एक क्रमिक प्रक्रिया है, जो ऐसे शहर के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है, जिसके चारों ओर समुद्र है। समुद्र का जल स्तर वैश्विक दर से दोगुनी गति से तेजी से बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि 2050 तक वैश्विक समुद्र का स्तर 8 इंच से 30 इंच तक बढ़ सकता है।

वैज्ञानिकों ने यह भी कहा है कि जलवायु संकट और मानवीय हस्तक्षेप के कारण कई इलाकों में नॉरएस्टर और चक्रवाती तूफान लगातार और अत्यधिक वर्षा की घटनाएं बारंबार हो सकती हैं। यूएस जियोलॉजिकल सर्वे की एक स्टडी में जियोफिजिस्ट, मुख्य शोधकर्ता और लेखक टॉम पार्सन्स ने कहा, "हम लगातार समुद्र से दूर जा रहे हैं।"

जर्नल अर्थ्स फ्यूचर में प्रकाशित पेपर

जर्नल अर्थ्स फ्यूचर में प्रकाशित पेपर का उद्देश्य यह दिखाना है कि तटीय, रिवरफ्रंट या लेकफ्रंट क्षेत्रों में ऊंची इमारतें भविष्य में बाढ़ के जोखिम में कैसे योगदान दे सकती हैं और संभावित खतरनाक प्रभावों को कम करने के लिए क्या उपाय किए जाने चाहिए? स्टडी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि न्यूयॉर्क में सैंडी और इडा के साथ कुछ प्रमुख तूफान की घटनाएं हाल में हुई हैं, जहां भारी बारिश से शहर में बाढ़ आ गई है, और शहरीकरण के कुछ प्रभावों की वजह से नदी का कुछ पानी शहर के अंदर आ गया।

न्यूयॉर्क का वजन लगभग 1.68 ट्रिलियन पाउंड

न्यूयॉर्क के डूबने के बारे में शोधकर्ताओं ने मौजूदा समय में शहर के पांच उपनगरों में मौजूद 1,084,954 इमारतों के द्रव्यमान की गणना की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उनका वजन लगभग 1.68 ट्रिलियन पाउंड (762 अरब किलोग्राम) है। यानी इसका वजन पूरी तरह से लोड किए गए लगभग 19 लाख बोइंग 747-400 विमानों के बराबर है।

न्यूयॉर्क शहर के डूबने की दर 1 से 2 मिलीमीटर प्रतिवर्ष 

अध्ययन दल ने जमीन पर ऊंची इमारतों के वजन के प्रभावों की गणना करने के लिए सिमुलेशन का इस्तेमाल किया और वास्तविक भूविज्ञान सतह दिखाने वाले उपग्रह डेटा के साथ इसकी तुलना की। उस विश्लेषण से पता चला कि शहर किस दर से डूब रहा है। टॉम पार्सन्स ने कहा,"औसतन लगभग 1 से 2 मिलीमीटर प्रति वर्ष की दर से न्यूयॉर्क शहर डूब रहा है। कुछ क्षेत्रों में डूबने की रफ्तार (अवतलन दर) इससे भी ज्यादा लगभग 4½ मिलीमीटर प्रति वर्ष है।" 

48 में से 44 क्षेत्र में हो रहा अवतलन

अवतलन प्राकृतिक या कृत्रिम कारणों से पृथ्वी की सतह के नीचे धंसने या डूबने की एक प्रक्रिया को बताने वाला तकनीकी शब्द है। सितंबर 2022 के एक अध्ययन में पाया गया था कि दुनिया के 48 सबसे अधिक आबादी वाले तटीय शहरों में से 44 ऐसे क्षेत्र हैं, जो समुद्र के स्तर की तुलना में तेजी से डूब रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि निचले शहर मैनहट्टन, ब्रुकलिन और क्वींस के कुछ क्षेत्र औसत दर से अधिक तेजी से डूब रहे हैं।

अवतलन से क्या-क्या खतरा

न्यूयॉर्क शहर दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले तटीय क्षेत्रों में से एक है, इसके महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का एक बड़ा हिस्सा निचले इलाकों में निर्मित है। इसलिए यहां खतरा और बढ़ गया है। अगर शहर का अवतलन जारी रहा तो समुंदर का पानी शहर में घुस सकता है और जनजीवन तबाह हो सकता है। इसके अलावा शहर का इकोलॉजी सिस्टम नष्ट हो सकता है। इस अध्ययन से दुनिया भर के तटीय शहरों पर खतरा बढ़ गया है, जहां ऊंची-ऊंची इमारतें हैं।

भारत की स्थिति 

भारत के तटीय शहरों खासकर मुंबई, चेन्नई और कोलकाता इस खतरे की जद में आ सकता है। बता दें कि भारत के समुद्र तटीय राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल आते हैं, जबकि चार तटीय केंद्र शासित प्रदेश पुदुचेरी, लक्षद्वीप, दमन और दीव और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह हैं। इन राज्यों में भी यह खतरा मंडरा सकता है।

कर्नाटक में सत्ताधारी कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की हत्या से इलाके में हड़कंप, सिर कुचलकर की गई हत्या, पुलिस का दावा, पांच लोग हैं घटना में संलिप्त


 कर्नाटक में सत्ताधारी कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की हत्या से इलाके में हड़कंप मच गया है। कांग्रेस कार्यकर्ता का शव राजधानी बेंगलुरु के चौवदेश्वरी नगर में पड़ा मिला है। मौके पर पहुंची पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। शव पर चोट के निशान मिले हैं।

पुलिस ने बताया कि शव की पहचान कर ली गई है। मृतक की पहचान 42 वर्षीय रवि उर्फ मथिरावी के तौर पर हुई है। पुलिस ने बताया कि रवि के सिर पर पत्थर से वार किया गया है। रवि का सिर कुचलकर उसकी हत्या कर दी गई।

पांच लोगों ने दिया वारदात को अंजाम

पुलिस का दावा है कि हत्या की वारदात को पांच लोगों ने अंजाम दिया है। पांच आरोपी बाइक पर आए और रवि के सिर पर पत्थर से वार कर उसकी जान ले ली। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए विक्टोरिया अस्पताल भेजा है। पुलिस ने बताया कि आरोपियों की तलाश की जा रही है। मामले में केस दर्ज कर लिया गया है। फिलहाल छानबीन चल रही है।

20 दिन तगड़ी कमाई के बाद धीमी पड़ गई फिल्म द केरल स्टोरी की रफ्तार, जानिए, क्या 250 करोड़ कमा पाएगी, किस फिल्म ने रोकी इसकी गति

द केरल स्टोरी को रिलीज हुए 20 दिन हो चुके है। कम बजट में बनी अदा शर्मा की इस फिल्म ने छप्परफाड़ कमाई की। वहीं, अब फिल्म का कलेक्शन में गिरावट आती जा रही है।

सुदीप्तो सेन के डायरेक्शन मे बनी द केरल स्टोरी को भारत में सफलता मिलने के बाद विदेश में भी रिलीज किया गया। चंद दिनों पहले द केरल स्टोरी ने 200 करोड़ क्लब में शानदार एंट्री की है।

द केरल स्टोरी की आगे बढ़ने की रफ्तार देख लगा रहा था कि फिल्म 200 करोड़ के बाद अब 250 करोड़ की ओर दौड़ लगाने वाली है। हालांकि, अब नोट छापने वाली द केरल स्टोरी का बिजनेस भी मंद पड़ता जा रहा है।

द केरल स्टोरी ने बीते सोमवार 18 मई को 4.50 करोड़ का कलेक्शन किया। इसके साथ ही देशभर में फिल्म ने 200 करोड़ की नेट कमाई कर ली। मंडे टेस्ट के बाद द केरल स्टोरी के कलेक्शन में गिरावट आई।

अब तक कितना हुआ द केरल स्टोरी का बिजनेस ?

फिल्म ने मंगलवार को 3.50 करोड़ का नेट कलेक्शन किया। वहीं, बुधवार के बिजनेस की बात करें तो Sacnilk की रिपोर्ट के अनुसार, द केरल स्टोरी ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर लगभग 3.20 करोड़ का नेट कलेक्शन किया। द केरल स्टोरी ने इसके साथ ही देशभर में अब तक 210.17 करोड़ का नेट बिजनेस कर लिया है।

रिलीज के तीसरे हफ्ते में वर्क डेज के दौरान फिल्म की हालत थोड़ी खराब होती नजर आई। हालांकि, पिछला रिकॉर्ड देखते हुए वीकेंड पर द केरल स्टोरी के अभी भी बाजी मारने की उम्मीद है।  

इसने लगाई बिजनेस में सेंध 

कुछ दिनों पहले हॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म फास्ट एंड फ्यूरियस की नई सीरीज फास्ट एक्स रिलीज हुई है। फिल्म ने रिलीज के चंद दिनों में ही दुनियाभर में ताबड़तोड़ कमाई करनी शुरू कर दी है। भारत में रिलीज के 5 दिनों के अंदर ही फास्ट एक्स ने 75 करोड़ से ज्यादा कमा लिए है। इसके साथ ही फास्ट एक्स ने द केरल स्टोरी का बिजनेस भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है।

जेल के बाथरूम में गिरे सत्येंद्र जैन की हालत बिगड़ी, ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं पूर्व मंत्री, डीडीयू से एलएनजेपी हॉस्पिटल किए गए शिफ्ट

#satyendar_jain_was_admitted_to_hospita

दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन की तबीयत ज्यादा खराब हो गई है। आज सुबह पहले उनको दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन दोपहर तक हालत गंभी होने पर उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रख दिया गया और आनन-फानन में एलएनजेपी हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक, तिहाड़ जेल के बाथरूम में चक्कर आने से सत्येंद्र जैन गिर गए थे।

इस पूरे मामले पर अब आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, जो इंसान जनता को अच्छा इलाज और अच्छी सेहत देने के लिए दिन-रात काम कर रहा था, आज उस भले इंसान को एक तानाशाह मारने पर तुला है।उस तानाशाह की एक ही सोच है - सबको खत्म कर देने की, वो सिर्फ “मैं” में ही जीता है। वो सिर्फ खुद को ही देखना चाहता है। भगवान सब देख रहे हैं, वो सबके साथ न्याय करेंगे। ईश्वर से सत्येंद्र जी के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं. भगवान उन्हें इन विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति दें।'

बता दें कि जेल में बंद आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को तीन दिन पहले भी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें सफदरजंग अस्पताल लाया गया था। इस दौरान वह काफी दुबले पतले नजर आए थे। सत्येंद्र जैन का वजन करीब 35 किलो कम हुआ है। तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन ने कुछ समय पहले यह शिकायत की थी कि वह उदास और अकेला महसूस कर रहे हैं। इसके बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने कहा था कि वह मनोवैज्ञानिक की मदद लेगा

कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन हटा सकती है कांग्रेस सरकार! बजरंग दल को लेकर क्या है विचार, जानें मंत्री खड़गे का बयान

#controversialorganizationswillbebannedinkarnataka 

कर्नाटक में भारी बहुमत से जीतने और सरकार बनाने के बाद कांग्रेस एक्शन मोड़ में है।कांग्रेस पार्टी की अगुआई वाली सरकार आने के बाद अब बजरंग दल और पीएफआई पर प्रत‍िबंध लगाने आद‍ि को लेकर अभी से सवाल खड़े होने लगे हैं। वहीं इस तरह के भी सवाल किए जा रहे है कि क्या कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर लगे बैन को हटाएगी? कर्नाटक सरकार सबसे पहले बीजेपी सरकार के लाए गए विवादित कानूनों को खत्म करने की तैयारी हो रही है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार में मंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने इसे लेकर एक बड़ा बयान दिया है। जिसमें उन्होंने इशारों-इशारों में बजरंग दल पर बैन लगाने की बात भी कही।इसके अलावा प्रियांक ने हिजाब बैन, गो हत्या और धर्म परिवर्तन का भी जिक्र किया।

ह‍िजाब प्रत‍िबंध हटाने को लेकर क्या बोले प्रियांक

कर्नाटक की स‍िद्धारमैया सरकार में मंत्री बनाए गए प्र‍ियांक खड़गे से ह‍िजाब प्रत‍िबंध हटाने को लेकर भी सवाल क‍िया गया है ज‍िस पर उन्‍होंने बड़े ही सधे हुए तरीके से जवाब द‍िया है।प्रियांक खड़गे ने कहा क‍ि इस पर हम अपने रुख को लेकर बहुत स्पष्ट हैं। हम ऐसे किसी भी कार्यकारी आदेश की समीक्षा करेंगे। हम किसी भी विधेयक की समीक्षा करेंगे जो कर्नाटक की आर्थिक नीतियों के लिए प्रतिगामी हैं। कोई भी विधेयक जो राज्य की छवि खराब करता है।उन्होंने कहा कि कोई भी विधेयक जो आर्थिक गतिविधियों के लिए उपयोग नहीं किया जाता है। कोई भी विधेयक जो रोजगार पैदा नहीं करता है, कोई भी विधेयक जो किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है, कोई भी विधेयक जो असंवैधानिक है तो उसकी समीक्षा की जाएगी और यदि आवश्यक ना हो तो खारिज कर दिया जाएगा।

बजरंग दल बैन पर क्या बोले प्रियांक खरगे

कांग्रेस ने चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में पीएफआई के साथ ही बजरंग दल पर भी बैन लगाने की बात कही थी। जब आरएसएस को लेकर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ‘जो भी संगठन, फिर चाहे वो धार्मिक हो या फिर राजनीतिक और सामाजिक, वह समाज में नफरत फैलाने या समाज को बांटने की कोशिश करेगा तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम ऐसे संगठनों को कानूनी और संवैधानिक तरीके से निपटेंगे। फिर चाहे वो बजरंग दल हो, पीएफआई या फिर कोई अन्य संगठन। अगर वह कानून व्यवस्था के लिए खतरा बनते हैं तो हम उन पर प्रतिबंध लगाने से नहीं हिचकेंगे।

कर्नाटक को फिर से अव्वल बनाना लक्ष्य

प्रियांक ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा,हमारा लक्ष्य कर्नाटक को फिर से अव्वल बनाना है और हम उस दिशा में कदम उठाएंगे। बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस ने रिकॉर्ड 135 सीटों पर जीत दर्ज की और मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद के कई दिनों बाद सरकार का गठन किया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक उन आठ मंत्रियों में शामिल हैं, जिन्हें पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा नए संसद भवन का मामला, राष्ट्रपति से उद्घाटन कराने की मांग

#pilfiledinsupremecourtfornewparliamentbuilding_inauguration 

नए संदन भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कई विपक्षी दल पीएम द्वारा संसद भवन के उद्घाटन का विरोध करते हुए कार्यक्रम के बहिष्कार का ऐलान कर चुके हैं। इस बीच नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। 

नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दाखिल हुई है। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति संसद का एक अनिवार्य हिस्सा हैं। लोकसभा सचिवालय ने उनसे उद्घाटन न करवाने का जो फैसला लिया है, वह गलत है। पेशे से वकील जयासुकिन ने ये याचिका दायर की है।

सीआर जया सुकिन ने अपनी याचिका में कहा है कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं। राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है। साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है।

क्यों हो रहा विरोध?

बता दें कि नई संसद भवन के उद्घाटन समारोह को लेकर सियासी संग्राम जारी है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों न करवाने को लेकर इसे मुद्दा बनाया है और इस समारोह के बॉयकट का ऐलान किया है। तमाम विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए।

किन पार्टियों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार?

कांग्रेस समेत विपक्ष की 19 राजनीतिक दल नए संसद के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करेंगे। इन दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, द्रमुक, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, राष्ट्रीय जनता दल, शिवसेना (यूबीटी), एआईएमआईएम, माकपा, भाकपा शामिल हैं। इन दलों ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उद्घाटन समारोह से दरकिनार करना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने का फैसला लोकतंत्र पर सीधा हमला है।