इमरान खान की पार्टी पीटीआई पर बैन के मूड में शहबाज सरकार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दी चेतावनी

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पाकिस्‍तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी की जा रही है।सत्तारूढ़ पीडीएम सरकार उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बुधवार को इसकी पुष्टि की कि सरकार पीटीआई पर पाबंदी लगाने पर विचार किया जा रहा है। 9 मई को पीटीआई चीफ इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद देशभर में हुए दंगों के बाद उनकी पार्टी पर बैन का खतरा मंडरा रहा है। 

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बुधवार को कहा कि देश में गहरा रहे राजनीतिक संकट के बीच सरकार इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है।उन्होंने कहा कि पीटीआई ने देश के आधार पर हमला किया है, जो पहले कभी नहीं हुआ था। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। पाकिस्‍तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बुधवार को कहा कि इमरान खान की पार्टी के लोगों, नेताओं और समर्थकों ने मिलकर पाकिस्‍तान की सेना, पुलिस और सरकारी इमारतों पर हमला किया। पूरे देश में आगजनी, तोड़फोड़ और दंगा किया, इसलिए अब सरकार ऐसी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है। उन्‍होंने कहा कि इमरान खान की गिरफ्तारी को लेकर पूरे देश में अराजकता का माहौल बनाया गया और सेना तक पर हमला किया गया। इससे देश की प्रतिष्‍ठा धूमिल हुई है।

सेना को अपना दुश्‍मन मानते- ख्‍वाजा आसिफ

रक्षा मंत्री ख्‍वाजा आसिफ ने कहा कि इमरान खान, लगातार देश की सेना को निशाने पर ले रहे हैं, उनके हर भाषण में सेना प्रमुख और सेना ही होते हैं। वो सेना को अपना दुश्‍मन मानते हैं। इमरान खान की पूरी राजनीति सेना से शुरू हुई थी और आज वही इमरान खान सेना का विरोध कर रहे हैं और उनके कार्यकर्ता, नेता और समर्थक सेना के मुख्‍यालय पर हमला कर रहे हैं। ऐसा काम शर्मनाक है। आसिफ ने कहा कि ये बातें इमरान खान की पार्टी छोड़ने वाले तमाम नेता कह रहे हैं।

पीटीआई चीफ का दावा है कि हिंसा सुनियोजित थी

बता दें कि इमरान खान ने भी 9 मई की हिंसा की आलोचना की है। इमरान हिंसा मामले में स्वतंत्र जांच की मांग कर चुके हैं। पीटीआई चीफ का दावा है कि हिंसा सुनियोजित थी। पीटीआई को खत्म करने की साजिश के आरोपों के साथ इमरान खान का कहना है कि जांच होगी तो असमाजिक तत्वों का खुलासा हो जाएगा।

क्या है मामलाल?

दरअसल, 9 मई, 2023 को भ्रष्टाचार एक मामले में इमरान खान को गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। खान को अल-कादिर ट्रस्ट मामले में भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट से गिरफ्तार किया था। अधिकारियों का आरोप है कि खान और उनकी पत्नी ने एक चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिए एक रियल एस्टेट कारोबारी से रिश्वत के रूप में लाखों डॉलर की जमीन हासिल की। उनकी गिरफ्तारी के बाद लाहौर, कराची और इस्लामाबाद सहित कई शहरों में बड़े पैमाने पर और हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। बड़ी संख्या में पीटीआई कार्यकर्ता कोर कमांडर लाहौर आवास पर घुस गए

व्हाइट हाउस के पास बैरियर से ट्रक की टक्कर मारने वाला आरोपी पकड़ाया, अमेरिकी राष्ट्रपति की हत्या करने की साज़िश रचने की बात पुलिस के सामने कबूली

अमेरिकी राष्ट्रपति के सरकारी निवास व्हाइट हाउस के पास बैरियर से ट्रक की टक्कर मारने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस पूछताछ में युवक ने इस बात के संकेत दिए हैं और कबूल किए हैं कि वह राष्ट्रपति जो बाइडेन की जान को नुकसान पहुंचाना चाहता था। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि चेस्टरफील्ड के 19 वर्षीय ड्राइवर साईं वार्षिथ कंडुला ने ऐसे भड़काऊ बयान दिए हैं, जिससे जांचकर्ताओं को संकेत मिल रहा है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को नुकसान पहुंचाना चाहता था।

अधिकारियों ने कहा कि 19 वर्षीय कंडुला जो मिसौरी का रहने वाला है, को व्हाइट हाउस के पास अवरोधकों में ट्रक मारने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। कई कानून प्रवर्तन एजेंसियों को दिए गए बयानों के आधार पर साईं वार्षित कंडूला के खिलाफ "मारने की धमकी देना, अपहरण करना, राष्ट्रपति, उपा राष्ट्रपति या उनके परिवार के सदस्यों को नुकसान पहुंचाने" का आरोप लगाया गया है।

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा कि जब ट्रक बैरियर से टकराया था, तब राष्ट्रपति बाइडेन व्हाइट हाउस में ही थे। बतौर प्रेस सचिव उस वक्त राष्ट्रपति स्पीकर केविन मैककार्थी से ऋण सीमा पर चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इस घटना की सूचना राष्ट्रपति बाइडेन को तत्काल नहीं दी गई थी।

घटना के बाद जांच के दौरान गिरफ्तार युवक से गुप्तचर सेवा के जांचकर्ताओं ने भी पूछताछ की जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स पार्क पुलिस, एफबीआई और यूएस कैपिटल पुलिस भी शामिल है। साईं वार्षिथ कंडूला पर खतरनाक हथियार से हमला करने, मोटर वाहन का लापरवाही से संचालन करने और अनधिकार प्रवेश का आरोप लगाया गया है। शुरुआती जांच से संकेत मिला है कि आरोपी ने जानबूझकर लाफायेट पार्क के बाहर बोलार्ड में टक्कर मारी थी। घटना स्थल पर अधिकारियों द्वारा नाजी झंडे को भी जब्त किया गया है।

अधिकारियों ने कहा कि संदिग्ध आरोपी ने टक्कर मारने के बाद घटनास्थल पर व्हाइट हाउस के बारे में धमकी भरे बयान दिए लेकिन उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया। हालांकि, टक्कर मारने वाले ट्रक में हथियार या विस्फोटक नहीं थे। इस घटना में किसी को भी कोई चोट या कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। वाशिंगटन पुलिस ने घटना के बाद ट्रक को जब्त कर लिया है। ये घटना सोमवार रात करीब 10 बजे की है।

*क्या होता है सेंगोल, जिसे नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा, जानें विस्तार से*

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भारतीय संसदीय इतिहास में 28 मई का दिन खास दिन के तौर पर अंकित हो जाएगा। इस खास दिन पीएम नरेंद्र संसद भवन की नई इमारत को देश को समर्पित करने वाले हैं। इससे ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को खास जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्पीकर की कुर्सी के पास राजदंड सेंगोल को रखा जाएगा।इसके साथ ही एक ऐतिहासिक परपंरा भी पुनर्जीवित होगी।

चोल साम्राज्य से रहा है रिश्ता

अमित शाह की ओर से साझा किए गए इस बयान के बाद सवाल उठ रहे हैं आखिर ये सेंगोल क्या होता है और इसका क्या महत्व है? सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है। आजाद भारत में इसका बड़ा महत्व है। इसका रिश्ता चोल साम्राज्य से रहा है। चोल साम्राज्य 100 एडी से लेकर 250 एडी और बाद में 700 एडी से लेकर 950 एडी तक दक्षिण भारत के एक बड़े हिस्से पर राज किया। राजेंद्र चोल और राजराज चोल मशहूर शासक रहे हैं। चोल साम्राज्य में परंपरा रही है कि जब सत्ता का हस्तांतरण होता था संगोल उत्तराधिकारी को दिया जाता और इस तरह से सत्ता हस्तांरण की प्रक्रिया को पूर्ण होती थी।।

सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक

14 अगस्त 1947 में जब भारत की सत्ता का हस्तांतरण हुआ, तो वो इसी सेंगोल द्वारा हुआ था। एक तरह कहा जाए तो सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक है। उस समय सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। 1947 में जब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए। तो पंडित नेहरू ने इसके लिए सी राजा गोपालचारी से मशवरा मांगा। उन्होंने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में बताया। इसके बाद इसे तमिलनाडु से मंगाया गया और आधी रात को पंडित नेहरु ने स्वीकार किया।

क्या है सेंगोल का अर्थ

सेंगोल तमिल भाषा के शब्द 'सेम्मई' से निकला हुआ शब्द है। इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था। सेंगोल जिसे दिया जाता है उससे न्यायसंगत और निष्पक्ष शासन प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है।

नए संसद भवन के उद्घाटन पर मचे घमासान के बीच ओवैसी का नया “शिगूफा”, न पीएम मोदी-न महामहिम मुर्मू, जानें कौन है एआईएमआईएम चीफ की पसंद*

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नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर लगातार सियासी बवाल मचा हुआ है। 28 मई को होने वाले समारोह का कई राजनीतिक दलों ने बहिष्कार किया है।नए संसद भवन के उद्घाटन पर मचे सियासी बवाल के बीच अब एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है। उन्होंने नए संसद भवन के उद्घाट को लेकर अपना अलग रुख सामने रखा है। ओवैसी ने कहा कि नए संसद का भवन का उद्घाटन न तो राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए और न ही पीएम मोदी के हाथों। नए संसद भवन का उद्घाटन लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के हाथों होना चाहिए। 

मैंने नई लोकसभा बनाने का प्रस्ताव दिया था- ओवैसी

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर विपक्षी दलों की ओर से मचे घमासान के बीच एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश को इसकी जरूरत थी, इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि मौजूदा संसद भवन को फायर डिपार्टमेंट की एनओसी ही नहीं है। उन्होंने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पीएम ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसका एजेंडा एक राष्ट्र, एक चुनाव था. तकरीबन सभी पार्टियां इससे सहमत थीं। हालांकि मैंने और सीताराम येचुरी ने इसका विरोध किया था। मैंने नई लोकसभा बनाने का प्रस्ताव दिया था। उस वक्त पीएम मुझ पर बहुत नाराज हुए थे। 

प्रधानमंत्री को इससे पीछे हट जाना चाहिए-ओवैसी

ओवैसी ने कहा कि हमारा बस इस बात पर विरोध है कि पीएम नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन क्यों कर रहे हैं। ओवैसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों को ही नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करना चाहिए। ओवैसी के मुताबिक प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यपालिका का हिस्सा हैं, जिस वजह से नए संसद भवन का उद्घाटन स्पीकर को करना चाहिए। ओवैसी ने साफ कहा, अगर प्रधानमंत्री नए संसद भवन का उद्घाटन करते हैं तो हम उस समारोह में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने ये भी कहा कि प्रधानमंत्री को इस वक्त इससे पीछे हट जाना चाहिए। 

19 विपक्षी दलों ने पीएम मोदी की ओर से नए संसद भवन के उद्घाटन का किया विरोध

ओवैसी को यह बयान ऐसे समय में आया जब कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस समते कुल 19 विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध किया है। विपक्षी दलों का कहना है कि नए भवन का उद्घाटन पीएम की ओर से किया जाना देश की लोकतंत्र पर हमला है।नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को नहीं बुलाने पर सवाल उठ रहे हैं। नेताओं का कहना है कि भवन का उद्घाटन द्रौपदी मुर्मू के हाथों न कराकर पीएम मोदी से कराना राष्ट्रपति का अपमान है। इसलिए ही एक के बाद एक राजनीतिक दल समारोह का बहिष्कार करते जा रहे हैं।कांग्रेस नेताओं और कई अन्य विपक्षी नेताओं का मानना है कि पीएम की बजाय राष्ट्रपति को उद्घाटन करना चाहिए। कांग्रेस का कहना है कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति के हाथों ही होना चाहिए। मुर्मू द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा।

डिफॉल्टर होने के करीब अमेरिका, सुपरपावर कैसे पड़ा कमजोर

#usonthevergeofbecomingdefaulter

अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर देश है। अमेरिका की इकोनॉमी दुनिया में सबसे ताकतवर है। लेकिन पिछले एक दशक से ही अमेरिका की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है।इन दिनों अमेरिका के ऊपर डिफॉल्टर यानी ‘दिवालिया’ होने का खतरा है।देश के पास अब केवल 57 अरब डॉलर का कैश रह गया है जो गौतम अडानी की नेटवर्थ से भी कम है।

अमेरिका को रोजाना 1.3 अरब डॉलर इंटरेस्ट के रूप में देने पड़ रहे हैं। देश में अब इस संकट का असर दिखने लगा है। मंगलवार को पहली बार अमेरिकी शेयर बाजार ने इस संकट पर रिएक्ट किया और चार घंटे में 400 अरब डॉलर स्वाहा हो गए। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने चेतावनी दी है कि अगर इस संकट का समाधान नहीं किया गया तो एक जून को देश डिफॉल्टर बन जाएगा। जैसे-जैसे यह डेडलाइन करीब आ रही है, बाजार में गिरावट आ रही है और बोरोइंग कॉस्ट बढ़ रही है।

अमेरिका की उधार लेने की क्षमता को इसकी सुपरपावर माना जाता है।दुनियाभर में निवेश के लिए अमेरिका को सबसे बेहतर जगह माना जाता है।अमेरिकी सरकार बॉन्ड बेचकर कर्ज जुटाती है। देश की आर्थिक छवि बेहतरीन होने के कारण दुनियाभर के लोग अमेरिकी बॉन्ड में निवेश करते हैं। इसके बदले सरकार उन्हें हर साल ब्याज का पैसा देती है। साथ ही जब भी बॉन्डधारक की मर्जी हो वह उसे बेचकर बॉन्ड की पूरी रकम वापस ले सकता है। कर्ज से मिले पैसों का इस्तेमाल अमेरिकी सरकार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए करती है। अमेरिका में पिछले 50-60 से ऐसा ही हो रहा है।

कमाई से ज्यादा खर्च

ऐसे में सवाल है कि अमेरिकी सरकार टैक्स वगैरह जैसे अन्य रेवेन्यू के साधनों से मिले पैसों का क्या करती है, जो उसे कर्ज लेना पड़ रहा है।अमेरिका के इस स्थिति में पड़ने का कारण है कमाई से ज्यादा खर्च करना। वित्तीय वर्ष 2021 में अमेरिका ने 334 लाख करोड़ रुपये कमाए तो 564 लाख करोड़ रुपये खर्च दिए। इस अतिरिक्त रकम की भरपाई बॉन्ड बेचकर मिल रहे पैसों से होती है।

अब कर्ज लेने में क्या दिक्कत

अमेरिका में 1917 में एक कानून बना कि सरकार एक सीमा से अधिक कर्ज नहीं ले सकती है। इसमें अब तक 78 बार बदलाव किया जा चुका है। सरकार किसी भी पार्टी की रही हो यह सीमा बढ़ती रही हैय़ इसके लिए संसद की अनुमति लेनी होती है। फिलहाल कर्ज लेने की सीमा 31.4 लाख करोड़ डॉलर है। लेकिन एक बार फिर सरकार की देनदारियां कमाई से ज्यादा हो गई हैं। साथ ही ये देनदारी कर्ज की सीमा को भी पार कर गई है। अब अगर बाइडन सरकार ने संसद से डेट सीलिंग नहीं बढ़वा पाई तो वह डिफॉल्टर हो जाएगी।

अमेरिका ने डिफॉल्ट किया तो

अगर अमेरिका डिफॉल्ट करता है तो इसके भयावह नतीजे होंगे। व्हाइट हाउस के इकनॉमिस्ट्स का कहना है कि इससे देश में 83 लाख नौकरियां खत्म हो जाएंगी, स्टॉक मार्केट आधा साफ हो जाएगा, जीडीपी 6.1 परसेंट गिर जाएगी और बेरोजगारी की दर पांच फीसदी बढ़ जाएगी। देश में इंटरेस्ट रेट 2006 के बाद टॉप पर पहुंच गया है, बैंकिंग संकट लगातार गहरा रहा है और डॉलर की हालत पतली हो रही है। देश में मंदी आने की आशंका 65 फीसदी है। अमेरिका डिफॉल्ट करता है तो उसका मंदी में फंसना तय है। इसका पूरी दुनिया पर असर देखने को मिल सकता है।

राजनयिक यात्रा दस्तावेज लौटाने के बाद साधारण पासपोर्ट के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) हासिल करने के लिए दिल्ली की एक अदालत में पहुंचे राहुल गांधी

 दिल्ली की एक अदालत नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की, नया पासपोर्ट हासिल करने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र पाने के उद्देश्य से दाखिल की गई याचिका पर 26 मई को सुनवाई करेगी। राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की एक अदालत द्वारा आपराधिक मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

इसके पश्चात राहुल ने राजनयिक यात्रा दस्तावेज लौटा दिए थे। अब उन्होंने नए ‘‘साधारण पासपोर्ट' के वास्ते अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) हासिल करने के लिए मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत का रुख किया है। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता ने मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

आवेदन में कहा गया है, "आवेदक की मार्च 2023 में संसद सदस्यता समाप्त हो गई और फिर उन्होंने अपना राजनयिक पासपोर्ट जमा कर दिया तथा वह एक नए साधारण पासपोर्ट के लिए आवेदन कर रहे हैं...वर्तमान आवेदन के माध्यम से, आवेदक नए साधारण पासपोर्ट के लिए इस कोर्ट से अनुमति और अनापत्ति मांग रहे हैं।' अदालत ने 19 दिसंबर 2015 को गांधी और अन्य को नेशनल हेराल्ड मामले में जमानत दे दी थी।

फिल्म छपाक और हिंदी हॉरर फिल्म 'तिमिर' फेम वैभवी उपाध्याय का हिमाचल प्रदेश में एक कार एक्सीडेंट में मौत

फिल्म छपाक और हिंदी हॉरर फिल्म 'तिमिर' फेम वैभवी उपाध्याय का हिमाचल प्रदेश में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। वहीं फिल्म 'छपाक' के बाद वैभवी उपाध्याय निर्देशक अतुल कुमार दुबे की हिंदी हॉरर फिल्म 'तिमिर' (2023) में नजर आएगी। हालांकि फिल्म अभी रिलीज नहीं हुई है और ये वैभवी की जिंदगी की आखिरी प्रोजेक्ट था। टीवी का लोकप्रिय शो 'साराभाई वर्सेज साराभाई' में जैस्मीन का किरदार निभाने वाली फेमस एक्ट्रेस वैभवी उपाध्याय का निधन हो गया है। 32 साल की वैभवी की मौत हिमाचल प्रदेश में एक कार दुर्घटना में हुई। वैभवी ने एक्टिंग की दुनिया में कई दमदार किरदार निभाए थे। उन्होंने CID, संरचना, अदालत, सावधान इंडिया: क्राइम एलर्ट, क्या कुसूर है अमरा का, संरचना जैसे शो करने के बाद दीपिका की सुपरहीट फिल्म 'छपाक' में नजर आई थी।

वैभवी उपाध्याय CID, संरचना, अदालत, सावधान इंडिया: क्राइम एलर्ट, प्लीज फाइंड अटैच्ड, क्या कसूर है अमला का, डिलीवरी गर्ल, इश्क किल्स और लेफ्ट राइट लेफ्ट जैसे हिट शोज का भी हिस्सा रही थी। 

पॉपुलर टीवी शो 'साराभाई वर्सेज साराभाई' की एक्ट्रेस वैभवी उपाध्याय का हिमाचल प्रदेश में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। वैभवी 32 साल की थीं।

वैभवी उपाध्याय काफी समय से टीवी जगत में एक्टिव थीं और उन्होंने कई पॉपुलर शोज में काम किए थे।

हालांकि उनको असली पहचान कॉमेडी सीरियल साराभाई वर्सेस साराभाई से मिली। इस शो में उन्होंने जैस्मिन का किरदार निभाया था। उन्होंने साल 2020 में रिलीज हुई एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की फिल्म 'छपाक' में नजर आई थीं। 

कई टीवी शोज में काम करने के बाद वैभवी उपाध्याय ने फिल्मों में भी अपना हाथ आजमाया था। इसके अलावा वैभवी एक्टर राजकुमार राव की फिल्म सिटी लाइट्स में भी काम किया था।

फिल्म छपाक में वैभवी मीनाक्षी का किरदार निभाया था।

बाबा केदार के धाम पहुंची बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रणौत, बोलीं- सनातन धर्म का करुंगी प्रचार-प्रसार

प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री कंगना रणौत बुधवार दोपहर बाबा केदार के लिए दर्शन के लिए पहुंचीं। इससे पहले कंगना हरिद्वार पहुंची थीं। जहां वह गंगा आरती में लीन दिखीं। केदारनाथ धाम में सितारों के आने का सिलसिला जारी है। इससे पहले सारा अली खान सहित साउथ की अभिनेत्री केदारनाथ धाम पहुंचीं थीं।

बॉलीवुड के मिस्टर खिलाड़ी भी हाल ही में केदानाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंचे थे। वहीं अब अभिनेत्री कंगना रणौत केदारनाथ धाम पहुंचीं। इस दौरान कंगना ने कहा कि कहा, बाबा के दर्शन से सनातन धर्म के प्रति और अधिक आस्था बढ़ी है। बोलीं कि सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार करुंगी।

उत्तराखंड के सीएम धामी से मिले अभिनेता अक्षय कुमार, प्रदेश को नए फिल्म इंडस्ट्री हब के रूप में विकसित करने पर हुई चर्चा

 प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने सोमवार को बाबा केदारनाथ का दर्शन और पूजन किया। इसके बाद मंगलवार को उत्तराखंड के सीएम आवास में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर उत्तराखंड को नए फिल्म इंडस्ट्री हब के रूप में विकसित करने पर चर्चा की। अक्षय कुमार ने सीएम के साथ मुख्यमंत्री आवास परिसर का भ्रमण भी किया। इस दौरान कला संस्कृति भी चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा उत्तराखंड राज्य दिन प्रतिदिन फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक नए शूटिंग डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है। उत्तराखंड का नैसर्गिक सौंदर्य फिल्मांकन के लिए लोगों को आकर्षित कर रहा है। राज्य सरकार भी उत्तराखंड को एक बड़े फिल्म डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रही है।

इसके लिए नई फिल्म नीति पर भी कार्य किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से फिल्मांकन के लिए फिल्मकारों को कई सुविधाएं दी जा रही है। अक्षय कुमार ने श्री केदारनाथ धाम में किए जा रहे पुनर्निर्माण कार्यों और तीर्थ यात्रियों की सुविधाओं के लिए राज्य सरकार की ओर से की गई व्यवस्थाओं को सराहा।

मातोश्री में उद्धव ठाकरे से मिले अरविंद केजरीवाल, अध्यादेश के खिलाफ मांगा समर्थन

#delhicmkejriwalwillmeetuddhavthackeray_today 

 में नौकरशाहों के ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार एलजी को दिए जाने के केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ बवाल मचा हुआ है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अब विपक्षी नेताओं के समर्थन के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को मातोश्री पहुंचकर पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और शिवसेना के नेताओं से मिले।इस दौरान उनके साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान भी मौजूद थे। इसके अलावा आप सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा के साथ-साथ दिल्ली की केबिनट मंत्री आतिशी भी मौजूद रहीं।

उनका देश की न्यायपालिका पर कोई भरोसा नहीं -केजरीवाल

मुलाकात के बाद एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुझसे वादा किया है कि वो अध्यादेश के खिलाफ लड़ाई में साथ देंगे। आगे केजरीवाल ने कहा, जैसे ही दिल्ली में हमारी सरकार बनी वैसे ही केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन के जरिये हमारी सारी शक्तियां छीन लीं। आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया और कहा कि जनता द्वारा चुनी गयी सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाकर यह साबित कर दिया है कि उनका देश की न्यायपालिका पर कोई भरोसा नहीं है। केंद्र सरकार ने यह भी साबित कर दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते हैं। अगर ऐसा ही है तो फिर चुनाव क्यों करवाए जाते हैं, क्यों सरकार बनवाई जाती है। अगर ऐसा ही है तो सरकार का गठन नहीं कराना चाहिए।

प्रजातंत्र को बचाने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा- उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम रिश्ता मानने और उसे संभालने वाले लोग हैं। राजनीति अपनी जगह पर है। अगला साल चुनाव का साल है। इसलिए अगर इस बार ट्रेन छूट गयी तो फिर हमारे देश से लोकतंत्र खत्म हो जायेगा। इसलिए लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने दो फैसले दिए। जिसमें से एक दिल्ली के बारे में और दूसरा शिवसेना के बारे में था।

बता दें कि केजरीवाल ने मंगलवार से देशव्यापी दौरे की शुरुआत की है। केजरीवाल नौकरशाहों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी नेताओं का समर्थन मांगने के लिए दौरे कर रहे हैं। अध्यादेश के मुद्दे पर अब अरविंद केजरीवाल महाविकास अघाड़ी के संयोजक शरद पवार से भी मिलेंगे। मंगलवार को केजरीवाल ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मुलाकात कर उनका समर्थन मांगा था।