*क्या होता है सेंगोल, जिसे नए संसद भवन में स्पीकर के आसन के पास लगाया जाएगा, जानें विस्तार से*
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भारतीय संसदीय इतिहास में 28 मई का दिन खास दिन के तौर पर अंकित हो जाएगा। इस खास दिन पीएम नरेंद्र संसद भवन की नई इमारत को देश को समर्पित करने वाले हैं। इससे ठीक पहले गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को खास जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्पीकर की कुर्सी के पास राजदंड सेंगोल को रखा जाएगा।इसके साथ ही एक ऐतिहासिक परपंरा भी पुनर्जीवित होगी।
चोल साम्राज्य से रहा है रिश्ता
अमित शाह की ओर से साझा किए गए इस बयान के बाद सवाल उठ रहे हैं आखिर ये सेंगोल क्या होता है और इसका क्या महत्व है? सेंगोल का इतिहास काफी पुराना है। आजाद भारत में इसका बड़ा महत्व है। इसका रिश्ता चोल साम्राज्य से रहा है। चोल साम्राज्य 100 एडी से लेकर 250 एडी और बाद में 700 एडी से लेकर 950 एडी तक दक्षिण भारत के एक बड़े हिस्से पर राज किया। राजेंद्र चोल और राजराज चोल मशहूर शासक रहे हैं। चोल साम्राज्य में परंपरा रही है कि जब सत्ता का हस्तांतरण होता था संगोल उत्तराधिकारी को दिया जाता और इस तरह से सत्ता हस्तांरण की प्रक्रिया को पूर्ण होती थी।।
सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक
14 अगस्त 1947 में जब भारत की सत्ता का हस्तांतरण हुआ, तो वो इसी सेंगोल द्वारा हुआ था। एक तरह कहा जाए तो सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक है। उस समय सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। 1947 में जब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए। तो पंडित नेहरू ने इसके लिए सी राजा गोपालचारी से मशवरा मांगा। उन्होंने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में बताया। इसके बाद इसे तमिलनाडु से मंगाया गया और आधी रात को पंडित नेहरु ने स्वीकार किया।
क्या है सेंगोल का अर्थ
सेंगोल तमिल भाषा के शब्द 'सेम्मई' से निकला हुआ शब्द है। इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा। सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था। सेंगोल जिसे दिया जाता है उससे न्यायसंगत और निष्पक्ष शासन प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है।
May 24 2023, 16:41