2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य: टीबी को जड़ से मिटाने को स्वास्थ्यकर्मी चला रहे हैं जागरूकता अभियान: सीडीओ
पूर्णिया, 09 मई।
जब तक हमलोग जागरूक नहीं होंगे तब तक समाज के अन्य लोग जागरूक नहीं हो सकते हैं। क्योंकि अकेले कोई भी इंसान या संगठन किसी के खिलाफ क्रांति नहीं ला सकता है।
कुछ इसी तरह की क्रांति लाने के लिए जीविका दीदियों का समूह कार्य करने में जुटा हुआ है। संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा ने बताया कि जिले में जीविका समूह से जुड़ी हुई दीदी टीबी जैसी बीमारी को आगामी 2025 तक जड़ से मिटाने में अपनी-अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं। टीबी को जड़ से मिटाने के उद्देश्य से लगातार स्वास्थ्य कर्मियों सहित अन्य सहयोगी संस्थाओं के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। टीबी संक्रमण की जांच से लेकर इलाज तक की सुविधा बिल्कुल निःशुल्क है।
पौष्टिक आहार खाने के लिए टीबी मरीज को निक्षय योजना के तहत आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। किसी भी व्यक्ति को टीबी के लक्षण दिखे तो घबराने की आवश्यकता नहीं है। नजदीकी सरकारी अस्पताल में जाकर जांच करानी चाहिए। अगर दो सप्ताह तक लगातार खांसी हो या खांसी में खून निकलने जैसे लक्षण दिखे तो तत्काल सरकारी अस्पताल जाना चाहिए।
आगामी 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाना लक्ष्य: एमओआईसी
श्री नगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ दिवाकर राजपाल ने बताया कि भारत सरकार द्वारा टीबी उन्मूलन के लिए आगामी 2025 का वर्ष निर्धारित किया गया है। जिसके लिए ग्रास रूट पर कार्य करने की आवश्यकता है।
वहीं लोगों को भी समेकित रूप से इसकी जागरूकता को लेकर प्रयास करना होगा। जिले के सभी प्रखंडों में सामुदायिक स्तर तक स्वास्थ्य कर्मियों सहित कई अन्य सहयोगी संस्थाएं कार्य कर रही हैं। जिसमें जीविका समूह से जुड़ी हुई महिलाओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। क्योंकि ग्रामीण स्तर पर इनलोगों द्वारा बनाया संगठन कार्य करता है। प्रतिदिन इनलोगों द्वारा बैठक कर अधिक से अधिक रोगियों की खोज और उपचार कराई जाती है।
टीबी संक्रमित व्यक्तियों की स्थानीय स्तर पर की जाती है जांच: एसटीएस श्री नगर प्रखंड की वरीय यक्ष्मा पर्यवेक्षक ममता कुमारी ने बताया कि जनवरी 2023 में 09, फ़रवरी में 12 व मार्च महीने में 09 टीबी मरीज़ों की पहचान की गई है। स्थानीय अस्पताल में ही टीबी संक्रमित व्यक्तियों की बलग़म (स्पूटम) जांच की जाती है।
जांच होने के बाद इनलोगों को निःशुल्क दवा का वितरण किया जाता है। किसी भी व्यक्ति को अगर बीमारी हो जाए तो उसको नियमित रूप से दवा का सेवन करना होता है। लगातार छः महीनें तक इलाज के दौरान भरपूर मात्रा में पौष्टिक आहार लेना चाहिए। जैसे- सोयाबीन, दाल, मछली, अंडा, पनीर सहित हरि सब्जियों को अपने भोजन में शामिल करना होता है।
नियमित रूप से दवा सेवन कराने में जीविका दीदियों की भूमिका महत्वपूर्ण: केएचपीटी कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट की प्रखंड समन्यवयक उषा कुमारी ने बताया कि स्थानीय श्री नगर प्रखंड के सभी पंचायतों में आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका एवं सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ता सहित जीविका समूह से जुड़ी हुई दीदियों द्वारा क्षेत्र भ्रमण कर सामुदायिक स्तर पर बैठक कर लोगों को टीबी को लेकर जागरूक किया जाता है।
क्षेत्र भ्रमण के दौरान किसी भी व्यक्ति में टीबी का लक्षण मिलने की स्थिति में स्थानीय अस्पताल रेफर किया जाता है या स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा बलग़म जांच करायी जाती है ताकि बीमारी की सही समय पर जानकारी मिल सके। उसके बाद निःशुल्क दवा दी जाती है। लेकिन दवा को नियमित रूप से सेवन कराने में इनलोगों की भूमिका काफी अहम होती है। क्योंकि लगातार छः महीने तक दवा का सेवन कराना चुनौतीपूर्ण होता है।
बचाव एवं सुरक्षित रहने के तौर तरीके:
-लक्षण होने पर बलगम की जांच कराएं।
-एक्स-रे कराएं।
-चिकित्सक द्वारा पुष्टि करने पर सावधानी बरतें।
-घरों में साफ-सफाई रखें।
-बीमार व्यक्ति मुंह पर रुमाल लगाकर चलें।






May 10 2023, 16:01
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