*”भागवत कथा से मिलता है प्रेम-भक्ति का मार्ग”, कृष्णजन्म की कथा सुन झूम उठे श्रद्धालु*


गोरखपुर- कंस के अन्याय और अत्याचारों से सिर्फ मथुरा, वृंदावन और गोकुलवासी ही नहीं उसके पिता महाराज उग्रसेन, माता महारानी पद्मावती, बहन देवकी, बहनोई वसुदेव समेत सभी प्रजाजनों में भय व्याप्त था। उसके पाप कर्मों से धरा व्याकुल हो उठीं थी। आकाशवाणी और अपनी मृत्यु के भय से कंस ने अपनी बहन देवकी की 7 संतानों को मार डाला था। ऐसे अधर्म और कठिन समय में कंस के कारागार मथुरा में भगवान कृष्ण का देवकी के गर्भ से अवतार हुआ।

खजनी कस्बे के निकट रूद्रपुर गांव में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के चौथे दिन व्यास पीठ से पंडित श्रीधर शुक्ला ने कृष्ण जन्म की कथा का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए श्रद्धालु श्रोताओं को बताया कि भागवत कथा संसार के सभी जीवों के प्रति दया और करूणा की भावना बढाने अन्याय अत्याचार का प्रतिकार करने और सृष्टि के कण-कण में विद्यमान ईश्वर की अनुभूति कराने वाली है। कथा सुनने वाले सहज रूप में ही अपने मानव जीवन की सार्थकता को पा लेते हैं उन्हें ईश्वर की कृपा प्रेम तथा भक्ति का मार्ग मिल जाता है।

संगीतमय कथा में जन्मोत्सव के दौरान लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत बधाई और मांगलिक भजन गीतों पर लोग झूमते रहे। 'नंद घर आनंद भयो' गीत पर श्रद्धालु झूम उठे और पांडाल में ठुमके लगाए।

मुख्य यजमान जयप्रकाश तिवारी, कमलावती देवी, सुशील, सुनील, सुधीर, आलोक, रवि शंकर, शिवाजी, सुशीला, मुस्कान, पूजा, शीतल, अनमोल, अर्चना, राकेश, कृष्ण प्रताप, अनुभव, गोपाल समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे।

*कार्यक्रमों के बीच मनाया गया अंतरराष्ट्रीय मिडवाइफरी दिवस*


गोरखपुर । महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ कॉलेज ऑफ नर्सिंग के तत्वावधान में शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मिडवाइफरी दिवस के उपलक्ष्य में नर्सिंग कॉलेज और जिला अस्पताल में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

नर्सिंग कॉलेज में प्रधानाचार्या डॉ डीएस अजीथा व उप प्रधानाचार्या मिसेज प्रिंसी जॉर्ज विद्यार्थियों को मिडवाइफरी की महत्ता बताने के साथ उन्हें कई व्यावहारिक जानकारियां दीं। प्रधानाचार्या डॉ अजीथा ने नेचुरल बर्थिंग, मिडवाइफरी स्किल्स तथा डिलीवरी के बारे मे विस्तार से अवगत कराया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मिडवाइफरी सेवा चिकित्सा तंत्र का अभिन्न अंग है। इस सेवा की सराहना के लिए प्रति वर्ष इंटनेशनल डे फ़ॉर मिडवाइफ मनाया जाता है।

इस कार्यक्रम में पुराने विद्यार्थियों अनु यादव, बबली यादव, अनुराधा मौर्य और रेनू सिंह ने अपनी मिडवाइफरी सेवा का अनुभव साझा किया।

उधर जिला अस्पताल में अयोजित कार्यक्रम मे एएनएम के 54 विद्यार्थियों द्वारा रोल प्ले और मास हेल्थ एजुकेशन से नेचुरल बर्थिंग और एंटीनेटल विजिट के बारे मे अवगत कराया गया। कार्यक्रम प्रभारी सुश्री श्वेता अल्बर्ट, सलोनी गुप्ता, मिसेज संगीता, मिस सोनी के नेतृत्व के संपन्न हुआ।

*मतदान के बाद सपा कार्यकर्ता स्ट्रांग रूम की तरह रखवाली*


गोरखपुर। समाजवादी पार्टी की मेयर प्रत्याशी श्रीमती काजल निषाद ने बताया कि कई दिनों की चुनावी व्यस्तता के बाद ऐसा महसूस हो रहा है जैसे युद्ध के बाद शांति, आज काफी रिलैक्स माहौल रहा है कई दिनों बाद आज 8:00 बजे तक सोई रही, जगने के बाद समाचार पत्रों को पढने के उपरांत अपने लोगो से चुनावी चर्चा हुई आवास पर आए हुए मीडिया के साथियों से बातचीत किया पहले की बनाई हुई अधूरी बाल पेंटिंग को पूरा किया प्लांट की देखभाल किया।

काफी दिनों बाद परिवार के साथ समय बिताया,उसके बाद हमारे एक कार्यकर्ता साथी को चोट लग गई थी सेवई बाजार जाकर उनसे मिलकर उनका हालचाल लिया वहां से सतर्कता बरतने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय में स्ट्रांग रूम की रखवाली कर रहे पार्टी नेताओं से जाकर मुलाकात किया उसके बाद पार्टी कार्यालय पहुंचकर पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं से मिली तत्पश्चात मतगणना की तैयारियों में जुट गई हूं पार्टी के नेतागण व कार्यकर्तागण सतर्कता बरतने के उद्देश्य से कल से ही स्ट्रांग रूम की रखवाली में जुटे हुए हैं रखवाली के लिए कई टीमें बनाई गई है।

रखवाली करने वालों में प्रमुख रूप से पार्टी जिलाध्यक्ष बृजेश कुमार गौतम कृष्ण कुमार त्रिपाठी पूर्व जिलाध्यक्ष रजनीश यादव पूर्व जिलाध्यक्ष नगीना प्रसाद साहनी अखिलेश यादव तूफानी निषाद खरभान यादव गवीश दुबे रामा यादव धनंजय सिंह सैंथवार हाजी शकील अंसारी सत्येंद्र गुप्ता आनंद राय आशुतोष गुप्ता संतोष यादव अनूप यादव ईश्वर अविनाश तिवारी संजय निषाद कपिल मुनि यादव अनुज प्रताप यादव शादाब सामान्य आजम लारी भूपेंद्र सरकार सहित नेता कार्यकर्ता कल से ही रंग रूप की रखवाली में जुटे हुए हैं।

*मई की गर्मी में मिलेगा आध्यात्मिक फुहार का विशेष आनंद*


गोरखपुर। श्री गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर प्राचीन काल से ही धर्म, संस्कृति, अध्यात्म की शीतल बयार सतत प्रवाहमान रहती है पर, मई माह की गर्मी में गोरखपुरवासियों को आध्यात्मिक फुहार का विशेष आनंद भी मिलेगा। गोरखनाथ मंदिर परिसर में बने नव देव-मंदिरों में विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में 8 मई से 21 मई तक दो चरणों में अलग-अलग कथाएं होने जा रही हैं। 8 मई से शिव महापुराण की कथा होगी तो 15 मई से श्रीमद्भागवत कथा।

21 मई को कथा एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठान की पूर्णता के साथ मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ सभी देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। गोरक्षपीठ में नौ देव विग्रहों वाला नवीन मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। प्राण प्रतिष्ठा के संदर्भ में धार्मिक अनुष्ठानों का शुभारंभ आठ मई से होगा। दो सप्ताह के दौरान लक्ष्मीनारायण महायज्ञ, शिव महापुराण कथा व श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन होगा। कथारस के अभिसिंचन के लिए सुपरिचित कथावाचक बालकदास जी महाराज और डॉ. श्याम सुंदर पराशर जी मंदिर परिसर पधारेंगे।

पहले चरण में शिव महापुराण की कथा वाचन 8 से 14 मई तक बालकदास जी करेंगे। जबकि दूसरे चरण में 15 से 21 मई तक विद्वतप्रवर श्रीधाम वृंदावन,मथुरा के डॉ श्याम सुंदर पराशर श्रीमद्भागवत कथा सुनाएंगे। शिव महापुराण की कथा का श्रवण अपराह्न 3.00 बजे से 6.00 बजे तक तथा श्रीमद्भागवत कथामृत का पान अपराह्न 3.00 बजे से 6.00 बजे तक किया जा सकेगा। अलग-अलग तिथियों में कथाएं गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में होंगी।

गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने बताया कि देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के आनुष्ठानिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में 15 मई से 21 मई तक श्री श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन गोरखनाथ मंदिर की यज्ञशाला में होगा। इसमें अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठान होंगे। यज्ञाचार्य की भूमिका का निर्वहन मंदिर के मुख्य पुरोहित पंडित रामानुज त्रिपाठी वैदिक करेंगे।

*प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन के मनपसंद साधन का करें चुनाव*


गोरखपुर । पहली बार जब महिला गर्भधारण करती है तो घर में खुशियों का माहौल होता है और पहला बच्चा होने के बाद खुशी से सराबोर इन पलों में कई बार कुछ चूक भी हो जाती है । पहले बच्चे के तुरंत बाद परिवार नियोजन के किसी साधन का चुनाव न करने से तीन साल पहले ही पुनः गर्भधारण भी एक ऐसी चूक है जो मां और बच्चे दोनों की सेहत पर नकारात्मक असर डालती है।

इस समस्या के प्रति योग्य दंपति को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग वीडियो संदेश का सहारा ले रहा है । दो मिनट छह सेकेंड के इस वीडियो संदेश में बताया गया है कि प्रसव के डेढ़ माह बाद ही मां के पुनः गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए परिवार नियोजन के किसी न किसी साधन का चुनाव आवश्यक है ।

शाहपुर शहरी स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू बताती हैं कि प्रसव के बाद स्तनपान कराने और प्रसव के कारण मां में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है । इसे पूरा होने में औसतन तीन साल का समय लग जाता है । ऐसे में पहले प्रसव के बाद दूसरी बार गर्भधारण तीन साल के अंतराल पर ही करना चाहिए । प्रसव के बाद जल्दी गर्भधारण से मां और नवजात शिशु के साथ साथ होने वाले बच्चे पर भी नकारात्मक असर पड़ता है । मां में एनीमिया और कुपोषण जबकि बच्चे का कम वजन का पैदा होना, शीघ्र गर्भधारण का दुष्परिणाम हो सकता है। पहले बच्चे को भी पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है और अक्सर उसका स्तनपान भी बंद हो जाता है, जिससे उसका विकास भी नहीं हो पाता ।

खोराबार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्वेता पांडेय ने बताया कि वीडियो संदेश ब्लॉक के तीन सौ से ज्यादा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं खासतौर पर आशा, एएनएम व सीएचओ के बीच साझा किया जा चुका है । उनसे कहा गया है कि उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) के जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ द्वारा साझा किये गये इस वीडियो संदेश को लाभार्थियों तक अवश्य पहुंचाए । इसी ब्लॉक क्षेत्र की अमहिया गांव की (32) आशा कार्यकर्ता रंजना बताती हैं कि पहले लाभार्थी को परिवार नियोजन के प्रति प्रेरित करने में दिक्कत होती थी लेकिन वीडियो संदेश के जरिये उन्हें समझाना आसान होता है। ऐसे संदेश को हम योग्य दंपति को व्यक्तिगत तौर पर फारवर्ड कर देते हैं।

नहीं हो सका बच्चे का विकास

महानगर से सटे नौसढ़ की रहने वाली राधिका (26) (बदला हुआ नाम) की शादी मई 2019 में हुई । उन्होंने जानकारी के अभाव में परिवार नियोजन के किसी साधन का इस्तेमाल नहीं किया और उनको पहला बेटा वर्ष 2020 में पैदा हुआ । उन्होंने साधन इस्तेमाल न करने की गलती दोबारा की और नतीजा यह हुआ कि साल भर के भीतर दोबारा गर्भधारण हो गया । वह बताती हैं कि इसका नुकसान यह हुआ कि पहले बेटे का स्तनपान बंद हो गया और उसका शारीरिक विकास नहीं हो सका । दूसरी बच्ची वर्ष 2021 में हुई। एक परिचित की सलाह पर पिपरौली सीएचसी पर जाकर आईयूसीडी के साधन का चुनाव कर लिया । वह बताती हैं कि दो बच्चों के बाद जो निर्णय उन्होंने लिया अगर पहले बच्चे के बाद ही ले लिया होता तो उनका बड़ा बेटा कम से कम दो साल तक स्तनपान कर पाता । जो गलती उन्होंने की वह किसी और को नहीं करना चाहिए ।

इन साधनों का कर सकते हैं चुनाव

• एक बच्चे के बाद दूसरा बच्चा न चाहने वाली महिला प्रसव के तुरंत बाद या सात दिन के भीतर नसबंदी करवा लें ।

• तीन साल बाद दूसरे बच्चे की इच्छा रखने वाले दंपति प्रसव के तुरंत बाद कंडोम, छाया या पीपीआईयूसीडी का चुनाव करें।

• प्रसव के डेढ़ महीने बाद अंतराल आईयूसीडी,अंतरा, स्थायी साधन नसबंदी का भी चुनाव किया जा सकता है।

आशा को प्रोत्साहन राशि का प्रावधान

अगर किसी आशा के प्रयास से कोई महिला शादी के दो साल बाद गर्भधारण करती है तो आशा को 500 रुपये की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। साथ ही यदि आशा की बात मानकर कोई दंपति अपने दो बच्चों में तीन वर्ष का अंतर रखता है तो संबंधित आशा को 500 रुपये दिए जाते हैं। एक या दो बच्चों के बाद आशा की प्रेरणा से यदि कोई दंपति नसबंदी अपनाता है तो 1000 रुपये अतिरिक्त देने की योजना है।

डॉ नंद कुमार, एसीएमओ आरसीएच

*उपच्छाई चंद्रग्रहण 5 मई को, जाने कब से कब तक*


गोरखपुर। चंद्रमा पृथ्वी का एक एकलौता प्राकृतिक उपग्रह है, जिसे आसानी से पृथ्वी से रात के समय देखा जा सकता है और करीब होने के कारण रात्रि आकाश का सबसे चमकदार पिंड होता है। चंद्रमा की अपनी स्वयं की कोई रोशनी नहीं होती है और यह सूर्य की रोशनी से ही प्रकाशमान होता है।

पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और उसी तरह से चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए सूर्य की परिक्रमा करता है। चंद्रमा का परिक्रमा पथ पृथ्वी के तल से लगभग 5° झुका हुआ है। इन तीनों पिंडो के एक दूसरे की परिक्रमा करने के कारण कभी कभी तीनों पिंड एक सीधी रेखा में और एक ही तल संरेखित हो जाते है। इस स्थिति को सिज्गी (Syzgee) की स्थिति कहते है ।

इस स्थिति में या तो सूर्य ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होती है या चंद्र ग्रहण की खगोलीय घटना घटित होती है। चंद्र ग्रहण में सूर्य एवम् चंद्रमा के मध्य पृथ्वी आ जाती है जिसके फलस्वरूप पृथ्वी की छाया पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर पड़ती है। जिससे चंद्रमा की रोशनी क्षीण होती नजर आती है या प्रकाश के पृथ्वी के वायुमंडल से प्रकीर्णन के कारण सुर्ख लाल रंग का चंद्रमा भी नजर आता है।

सूर्य पृथ्वी से 109 गुना बड़ा है और गोल है इसलिए पृथ्वी की परछाई दो शंकु बनाती है। इस प्रकार पृथ्वी की छाया भी दो प्रकार की होती है।

1. अंब्रा या मुख्य छाया या प्रच्छाया

2. पेनंब्रा या उपच्छाया

पृथ्वी की मुख्य छाया शंकु के आकार का अंधकार मय क्षेत्र होता है। छाया के अंदर और सबसे गाढ़ा भाग है, जहां प्रकाश स्रोत पूरी तरह से उस पिण्ड या वस्तु से अवरुद्ध है। यदि इस छाया के संपर्क में चंद्रमा आता है तो आंशिक या पूर्ण चंद्रग्रहण लगता है ।

जबकि पेनंब्रल या उपच्छाया penumbra वह क्षेत्र है जिसमें प्रकाश स्रोत केवल आंशिक रूप से ढका होता है। इसमें प्रकाश छितराया होता है । इसका क्षेत्रफल अम्ब्रा के क्षेत्रफल से बड़ा होता है। पेनंब्रा अम्ब्रा को चारों और से घेरा होता है । हल्की छाया वाला क्षेत्र पेनंब्रा क्षेत्र होता है । ग्रहण लगते समय चंद्रमा हमेशा पश्चिम की ओर से पृथ्वी की प्रच्छाया (Umbra) में प्रवेश करता है इसलिए सबसे पहले इसके पूर्वी भाग में ग्रहण लगता है और यह ग्रहण सरकते हुए पूर्व की ओर से निकल कर बाहर चला जाता है।

उपच्छायी चंद्रग्रहण में चंद्रमा के प्रकाश में नग्न आंखों से कोई अंतर दिखाई नही देता । इस घटना को रिकॉर्ड करने के लिए वैज्ञानिक फोटोमेट्री मैथड का प्रयोग करते है और प्रकाश के छोटे छोटे अणुओं या फोटोंस की संख्या,ग्रहण से पूर्व तथा ग्रहण के समय, को काउंट कर तथा तुलना कर के ये बताते है कि ग्रहण में कितने प्रतिशत प्रकाश कम हुआ है । चूंकि प्रकाश कम होने का प्रतिशत बहुत ही ज्यादा कम होता है अतः जन सामान्य को नग्न आंखों से चंद्रमा के प्रकाश में कोई परिवर्तन नहीं दिखाई देता है। ज्योतिष में भी इस प्रकार के ग्रहण का कोई सूतक नहीं माना जाता ।

भारत वर्ष में उपच्छायी चंद्र ग्रहण दिनांक 5 मई 2023 को रात्रि में 8.45 से 1.02 बजे तक दिखाई देगा । इसे ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, साउथ/ईस्ट अमेरिका, यूरोप और सम्पूर्ण एशिया में देखा जाएगा। अगला सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को तथा अगला चंद्र ग्रहण दिनांक 29 अक्टूबर 2023 को आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। अगला पेनंबरल चंद्र ग्रहण 24 - 25 मार्च 2024 तथा 20-21 फरवरी 2027 को घटित होगा ।

वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला द्वारा विशेष दूरबीन के माध्यम से इस खगोलीय घटना का अवलोकन कराया जायेगा। अधिक जानकारी के लिए नक्षत्र शाला में अमर पाल, खगोलविद तथा महादेव पांडे, नक्षत्रशाला प्रभारी से संपर्क कर सकते है।

*सीएम योगी ने किया 'पहले मतदान फिर जलपान' के मंत्र का अनुसरण, अपने बूथ के पहले वोटर बने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ*


गोरखपुर। नगर निगम चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को 'पहले मतदान फिर जलपान' के मंत्र का पालन करते हुए गोरखनाथ स्थित इंग्लिश मीडियम प्राथमिक विद्यालय (कन्या) के बूथ संख्या 797 पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सुबह 7:01 बजे ही इस आदर्श मतदान केंद्र के बूथ पर पहुंचे मुख्यमंत्री अपने बूथ के पहले वोटर भी बने। मतदान के बाद मुख्यमंत्री गोरखनाथ मंदिर लौटे और जलपान किया।

मतदान हमारे महान संविधान के निर्माताओं द्वारा दिया गया लोकतांत्रिक अधिकार ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी है

मतदान के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मतदान हमारे महान संविधान के निर्माताओं द्वारा दिया गया लोकतांत्रिक अधिकार ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी है। नगर निकाय के चुनाव में इस अधिकार का बेहतर उपयोग करते हुए हम नगरीय व्यवस्था को सुदृढ़ करने, स्मार्ट व सेफ सिटी बनाने की दिशा में योगदान दे सकते हैं। सीएम योगी ने कहा कि नगरीय क्षेत्रों में सुव्यवस्थित विकास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को धरातल पर उतारने के लिए मतदान के अधिकार को कर्तव्य मानकर इसका बेहतर उपयोग करें।

पूरे नगर निकाय चुनाव में प्रदेश में 4 करोड़ 32 लाख से अधिक मतदाता

मतदान को लोकतंत्र का उत्सव बताते हुए तथा इस उत्सव में सबका अभिनंदन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूरे नगर निकाय चुनाव में प्रदेश में 4 करोड़ 32 लाख से अधिक मतदाता दो चरणों में भाग लेकर नगरीय व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए मताधिकार का प्रयोग करेंगे। आज गुरुवार को 37 जिलों में 10 नगर निगमों, 104 नगर पालिकाओं व 276 नगर पंचायतों में कुल 7288 बूथों पर मतदान हो रहा है। इसमें 2 करोड़ 40 लाख से अधिक मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि मतदान को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने अच्छी व्यवस्था की है। साथ ही ईश्वर की विशेष कृपा है कि मौसम इतना सुहावना हो गया है। 4 मई को प्रायः इतना सुहावना मौसम नहीं देखा जाता रहा है।

लोस, विस चुनाव में भी बूथ के पहले वोटर बने थे सीएम योगी

नगर निगम चुनाव में अपने बूथ के पहले मतदाता बनने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकसभा चुनाव 2019 और विधानसभा चुनाव 2022 में भी मतदान करने वाले पहले वोटर बने थे। लोकतंत्र की मजबूती के लिए मतदान को लेकर वह न केवल सतत लोगों को जागरूक करते हैं बल्कि स्वयं भी इसके लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। लगातार तीन चुनाव में बूथ का वोटर नम्बर वन बनना इसका प्रमाण है।

*वार्ड वासियों से मतदान करने की वार्ड नंबर 57 रायगंज के पार्षद पद प्रत्याशी ने की अपील*


गोरखपुर। नगर निकाय चुनाव के प्रचार प्रसार के अंतिम दिन प्रत्याशियों ने जीत और मेहनत कर लोगों को अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की। प्रत्याशियों ने सघन जनसंपर्क कर लोगों का ध्यान आकर्षित किया। ऐसे में वार्ड संख्या 57 रायगंज से निर्धन पार्षद प्रत्याशी गौरव शुक्ला ने आपसी सौहार्द व भाईचारा के तहत तिरंगे की पदयात्रा के साथ विलुप्त हो रही संस्कृति के कलाकारों को लेकर विशाल रैली निकाली।

जिसको लोगों ने खूब सराहा, वहीं देखने वालों की भीड़ भी लग गई। रैली के माध्यम से लोगों से अपने पक्ष में मतदान करने के साथ ही वोट के चौमुखी विकास का वादा भी पार्षद पद के प्रत्याशी गौरव शुक्ला ने किया। वहीं उनके पिता सेंट एंड्रयूज डिग्री कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष, पार्षद एकता मंच के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व पार्षद शिवाजी शुक्ला ने अपने संघर्षों और वार्ड के लिए किए गए कार्यों के आधार पर लोगों से अपने पक्ष में मतदान करने की बात कही। उन्होंने कहा कि जाति धर्म पार्टी आदि से ऊपर उठकर मतदाता अपने मतों का प्रयोग करें। अपने 8 सूत्री मांग पत्र को जन-जन में वितरित कर उन्हें शत-प्रतिशत पूरा करने का वादा भी किया।

वार्ड नंबर 48 धर्मशाला बाजार से पार्षद पद प्रत्याशी ने लोगों से अपने मतों का प्रयोग करने की अपील


गोरखपुर। निकाय चुनाव के प्रथम चरण में चुनाव प्रचार थम जाने के बाद अब प्रत्याशी लोगों से केवल मतदान करने की अपील कर रहे प्रत्याशी घूम घूम कर लोगों से अपने मतों का प्रयोग कर बेहतर जनप्रतिनिधि चुनने की बात भी कह रहे हैं।

इसी क्रम वॉर्ड नम्बर 48 धर्मशाला बाजार से पार्षद पद के प्रत्याशी बबलू प्रसाद गुप्ता उर्फ छठी लाल चुनाव प्रचार थम जाने के बाद आदर्श आचार संहिता का अनुपालन करते हुए लोगों से लोकतंत्र के महापर्व में बढ़-चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही उन्होंने कहा कि जात पात पार्टी से ऊपर उठकर आप सभी केवल और केवल अपने मतों का प्रयोग करें।

*क्वालिटी सेल समेत सात अधीक्षक सम्मानित, मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवाओं पर मंथन*


गोरखपुर। मुख्य विकास अधिकारी संजय कुमार मीणा की अध्यक्षता में शनिवार की शाम हुई जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिला क्वालिटी सेल समेत हाल ही में कायाकल्प अवार्ड जीतने वाले सभी सात सीएचसी के अधीक्षक सम्मानित किये गये। बैठक के दौरान मातृ शिशु स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता व गैप्स पर मंथन हुआ ।

नियमित टीकाकरण कार्यक्रम, मंत्रा एप पर फीडिंग, ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों के एडॉप्शन और छाया वीएचएसएनडी को मजबूती प्रदान करने के बारे में भी विशेष तौर पर चर्चा हुई।

नियमित टीकाकरण सम्बन्धित विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ संस्थाओं के फीडबैक के आधार पर सीडीओ ने दिशा निर्देश दिया कि समुदाय में इस संदेश को प्रचारित व प्रसारित करें कि बच्चे के जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक सात बार नियमित टीकाकरण जरूरी है। यह टीके बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाते हैं ।

सत्र व सत्र स्थल की अग्रिम सूचना आशा कार्यकर्ता द्वारा सभी लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचाया जाए। इसके अलावा मंत्रा एप पर प्रसव कक्ष से ही कम से कम 95 फीसदी फीडिंग अवश्य हो ।

इस मौके पर क्वालिटी सेल के जिला प्रशासनिक कार्यक्रम सहायक विजय श्रीवास्तव, भटहट सीएचसी के अधीक्षक डॉ अश्वनी चौरसिया, जंगल कौड़िया सीएचसी के अधीक्षक डॉ मनीष चौरसिया, बरही सीएचसी के अधीक्षक डॉ एसके मिश्रा, पाली सीएचसी के अधीक्षक डॉ सतीश सिंह, गगहा सीएचसी के अधीक्षक डॉ बृजेश बरनवाल, पिपराइच सीएचसी के अधीक्षक डॉ मणि शेखर और सहजनवां सीएचसी के अधीक्षक डॉ व्यास कुशवाहा को सीडीओ ने पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि बैठक में ज्यादा से ज्यादा टीबी मरीजों को एडॉप्ट कर टीबी उन्मूलन की लड़ाई को जनान्दोलन बनाने के बारे में चर्चा हुई। मुख्य विकास अधिकारी ने अपने स्तर से भी प्रयास कर विभिन्न विभागों और निजी संस्थाओं को इस मुहिम से जोड़ने का आश्वासन दिया।

हीट वेव, बदलते मौसम और संक्रामक बीमारियों की आशंका के मद्देनजर छाया ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (छाया वीएचएसएनडी) पर ओआरएस के पैकेट और आवश्यक दवाएं पर्याप्त मात्रा में रखने का निर्देश दिया गया । इन सत्रों पर आयरन फोलिक एसिड की गोली, कैल्शियम की गोली, एचआईवी व अन्य जांच किट की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए ।

नवजात स्वास्थ्य सेवा को मजबूती प्रदान करने के लिए आशा की ओर से किये जाने वाले गृह भ्रमण की नियमित जांच करने और बीमार बच्चों को सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट भेजने के लिए प्रेरित करने को कहा गया। मातृ मृत्यु की ऑडिट एक माह के भीतर करा कर पोर्टल पर दर्ज करना है। बच्चों के मृत्यु की रिपोर्टिंग व ऑडिट को भी सुनिश्चित करना है । बैठक के दौरान सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के प्रतिनिधि ने भी स्वास्थ्य संचार सुदृढ़ीकरण सम्बन्धित प्रस्तुति दी ।

बैठक में जिला महिला अस्पताल के कार्यवाहक एसआईसी डॉ जय कुमार, जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ अंबुज श्रीवास्तव, एसीएमओ डॉ नंद कुमार, डॉ एके चौधरी, डॉ नंदलाल कुशवाहा, डीएमओ अंगद सिंह, डिप्टी डीटीओ डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, डीडीएचईआईओ सुनीता पटेल, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक पंकज आनंद, डीसीपीएम रिपुंजय पांडेय, डैम पवन कुमार, जेई एईएस कंसल्टेंट डॉ सिद्धेश्वरी सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा, डीपीसी धर्मवीर प्रताप, हॉस्पिटल मैनेजर डॉ मुकुल व डॉ कमलेश और सहायक आदिल फखर प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

भटहट की भूमिका सराही गयी

सीएमओ ने बताया कि कायाकल्प पुरस्कार योजना में प्रदेश में दूसरा स्थान लाने वाले भटहट सीएचसी की भूमिका की बैठक में सराहना की गयी । सीएचसी के अधीक्षक डॉ अश्वनी चौरसिया से अन्य केंद्रों को प्रेरणा लेने को कहा गया और पाया गया कि इस सीएचसी सभी संकेतांक बेहतर हैं।

एक डिप्टी सीएमओ के तौर पर स्टोर और राष्ट्रीय कार्यक्रम की दोहरी जिम्मेदारी संभालते हुए भटहट सीएचसी के अधीक्षक का भी दायित्व देखना और प्रत्येक कार्यक्रम में नंबर वन रहना डॉ चौरसिया को एक नजीर की तरह पेश कर रहा है।